Chapter 06- विस्मय
तृप्ती बेड से उठकर हरीश के रूम की और चल पडी...
अंदर जाते हुए तृप्ति ने जानबूझकर उसका पल्लू एक साइड से थोड़ा खींच लिया ताकि उसका वह छेद से बाहर निकला हुआ बड़ा सा निप्पल जिसे ममता अभी अभी चूस रही थी वो हरीश देख सके और वह उसके रूम में आ गई रूम में हरीश नहीं था वो बाथरूम में गया था.. ये देख कर तृप्ति ने किचन से हरीश तो देने के लिए एक ग्लास में पानी भार वो वापस हरीश के रूम में आ गई, तृप्ति के मन में उत्तेजना वश एक मीठी से गुदगुदी हो रही थी... और उसका मातृत्व उसके स्तन से दुध के रूप में छलक ने लगा... एक हल्की से दुध की धार उसके गीले निप्पल से बहने लगी...
इधर हरीश बाथरूम में आपने आप को स्वाभाविक करने की कोशिश में लगा हुआ था.. उसका लिंग तन गया था और उसी स्तिथि में उसने झट से आपने कपड़े उतार दिए और अपने लिंग को हल्के से रगडते हुए वो ठंडे शॉवर के नीचे खडा हो गया...
'भाभी to कमाल है... वो उसकी सहेली को स्तनपान करा रही है.. तब तो मैं भी कह सकता हू की मुझे भी दूध पिलाओ.. हे भगवान.. अब मुझसे रहा नहीं जाता.. और तो और.. वो दूसरी औरत भी क्या सुन्दर दिखती है.. मेरी मदत कर भगवान..'
हरीश के मन में विचारो का एक बवंडर सा चल रहा था...
उधर ममता हॉल में सोफ़े पे बैठ बेडरूम के दरवाजे मे खडे.. हाथ में ग्लास लिए तृप्ति की और देख रही थी.. पहली झलक में ही ममता को हरीश भा गया था.. शरीर से थोड़ा दुबला पतला लेकिन फिट.. चौड़े कंधे और तेज नुकीली नाक.. बाल घुंघराले.. और puppy eyes थी हरीश की.. ममता हरीश के लिंग के खयाल से अब गीली हुई जा रही थी... 'कितना भोला और प्यारा दिखता है ये हरीश... उसका लिंग कैसा होगा.. मुझे तो लगता है कि इसके लिंग की foreskin काफी लंबी होगी.. और इसके गोरे रंग को देख लगता है कि इसका टीप गुलाबी होगा... Wow... कितना माझा आएगा इसके लिंग को चूसने और चूदवाने मे'...ममता के मन में प्यारे प्यारे ख़यालों के गुलाब खिल रहे थे...
इधर हरीश ने शॉवर शॉवर बंद किया और उसने तौलिये से अपना बदन पोछा और गंजी पहन उसने तौलिया अपने कमर पर लपेट दिया.. उसका लिंग अब भी फुल तना हुआ था... तौलिये का जॉइन्ट सामने की और होने के कारण उसका सूपड़ा गैप में से बाहर निकल रहा था.. उसने जैसे तैसे लिंग को ढक दिया और वो बाथरुम के बाहर आ गया... तृप्ति को सामने देख हरीश थोड़ा सकपका गया.. फिर आपने आपको सांभाळते हुए उसने कहा...
"अरे भाभी... आ.. आप.. क्यू कष्ट ले रही है.. मै.. मैं खुद.. ले. ले लेता पानी.."
अब तृप्ति की नजर हरीश के तौलिये की और गई.. तंबू साफ़ दिख रहा था और हरीश के लिंग का टीप भी हल्का सा बाहर आ गया था.. तृप्ति कस मसा गई.. उसके मुह से शब्द नहीं निकल पा रहे थे... हरीश को पानी का गिलास पकड़ाते आते हुए उसने कहा
"हरीश... लो पानी पीं लो बेटा... तुम तो बहुत थके हुए लग रहे हो... शॉवर लिया के नाही?"
"भाभी.. मैं ठीक हू.. पर.. पर.. भाभी.. आपका.. आपका.. वो.. दूध निकल.." हरीश मंत्र मुग्ध हो कर तृप्ति के खुले निप्पल से निकालती दुध की धार को देख.. लड खडाते हुए बोला...
तृप्ति ने आपने खुले nipple की और देखा और कृत्रिम आश्चर्य जताते हुए.. उसे ढाकने की चेष्टा करते हुए बोली...
"ओ ओह.. ह्म्म.. उई मा.. हा.. देखो ना हरीश.. दूध इतना ज्यादा आ रहा है.. इसी लिए तो मैंने ममता को बुलाया है याद है ना... मैने तुम्हें बताया था मेरी सहेली के बारे में? .. मैं उसे ही पीला रही थी"
"अच्छा.. ओके ओके भाभी.. मैं समझ सकता हू... पर.." हरीश की बात पूरी ही नहीं हो पाई..
क्यू के.. तृप्ती ने आगे बढ़कर हरीश के तन के बाहर निकले हुए लिंग तो आपनी नाजुक उँगलियों में पकड़ लिया था...
"हरीश.. तुम्हारा तो बहुत तन गया है बेटा.. क्या बात है?"
स्वर्ग में आने पर कैसा लगता है? अगर किसीने हरीश को पूछा होता तो वो तुरंत कहता... ऐसा! हरीश की आँखों के काले बिंदु ऐब उसके मस्तिष्क में विलीन हो गए थे.. बची थी तो बस वो सफेद पुतलियाँ.. याद करो "exorcism of Emily rose!"
"हरीश sss... क्या हुआ.. डरों मत.. सब ठीक हैं"...
"भाभी.. अगर यह ही बात थी... तो... तो. आप मुझे कहती.. मैं.. आप का दूध पी लेता.. स.. सह.. सहेली को बुलाने की क्या जरूरत थी?... आप के स्तन और आप के nipple देख के देखो मेरी क्या हालत हो गई है!"
"अरे बाबा.. इतनी परेशानी हुई मेरे बेटे को sss.. मम्मोsss इधर तो आ sss, मैं सब ठीक कर दूंगी बेटा... आओ इधर बेड पे बैठ जाओ" कह कर तृप्ति ने हरीश को बेड पे बिठा दिया...
"चलो अब अच्छे बच्चे की तरह... मम्मी का दूध पी लो.. मैं तुम्हारी माँ ही हू" कहते हुए तृप्ति उसके बगल में बैठ गई..
इधर ममता रूम में दाखिल हो गई और उसने हरीश की और मुस्काते हुए कहा...
"हरीश.. मैं भी तुम्हारी माँ की तरह ही हू... मुझे तृप्ती ने तुम्हारे बारे में सब बता दिया है..."
कहते हुए तृप्ति ने हरीश के तौलिये से बाहर निकले लिंग को हाथ में लिया और फर्श पर बेड के बगल में बैठ गई... हरीश इन सारी घटनाओ से पागल सा हो गया था.. वो बोलना तो Bohot चाहता था लेकिन परिस्थितियां उसे बोलने की अनुमती नहीं दे रही थी... बस एक अभूतपूर्व कंपन या सिर सिरी उसके बदन में दौड़ रही थी...
"हरीश.. तुम तुम्हारी भाभी का दूध पियो... और मुझे तुम्हारा लिंगपान करने दो... प्लीज!"
कहते हुए ममता ने नीचे बैठे बैठे हरीश का लिंग... पहले चूमा और फिर उसके गुलाबी foreskin को मुह में ले चूसने लगी... ऊपर हरीश के होठों पे उसे मुलायम और गीले गीले nipple मेहसूस हुए... तृप्ति ने उसका वो नाजुक... लंबा और दूध से भरा चॉकलेट nipple हरीश के मुह में दे दिया... हरीश.. बस मरने की कगार पर था... हा.. जो कुछ भी हो रहा था... वो उसने सपने में भी नहीं सोचा था... ओह हो हो हो... Sss परमानंद sss... हरीश ने अपनी भाभी का nipple जोर जोर से चूसना शुरू किया... तृप्ति की आंखे आधी बंद हुई.. आधी खुली थी.. स्तनपान का परमानंद जो उसे मिल रहा था.. उस बारिश में वो भावविभोर हो भीग रही थी... और नीचे.. ममता आपनी आंखे बंद किए किसी बिल्ली की तरह हरीश का यवन रूपी दूध पीए जा रही थी..