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Thriller दुनिया मेरी जेब मे

Mr. Perfect

"Perfect Man"
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:congrats: Bhai starting a new story______

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यह कहानी है एक ऐसे सख्स की जो मेहनत करके दो वक्त की रोटी कमाता था... वो हर जगह अपनी किस्मत को आजमा चुका था लेकिन उसे कही भी कामयबी नही मिली... वो हालात से मजबूर होकर ऑटो रिक्सा चलाने लगा.... लेकिन एक दिन उसके नसीब में एक ऐसा तूफान आता है की उसकी जिंदगी बदल जाती है।

एक तरफ दौलत और दूसरी तरफ लाश।।।।
 
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बहुत बहुत शुक्रिया।
 
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दोस्तों बहुत बहुत शुक्रिया मेरी कहानी को पसंद करने के लिए। आशा करता हू आपको अगले अपडेट्स भी पसंद आये।

कुछ ही देर में दूसरा अपडेट् पोस्ट करने वाला हूँ। उम्मीद करता हूँ की यह अपडेट भी आप लोगो को पसंद आएगी
 
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par ye dilip aur ramesh ke bich confusion ho gayi hai ..1st update me hi aise laga ki ..
 
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दिलीप इस दुनिया में अकेला था- बिल्कुल तन्हा ।फिर वह थोड़ा डरपोक भी था ।

खासतौर पर सोनपुर के उन गुण्डे-मवालियों को देखकर तो रमेश की बड़ी ही हवा खुश्क होती थी, जो जरा-जरा सी बात पर ही चाकू निकालकर इंसान की अंतड़ियां बिखेर देते हैं ।

सारी बुराइयों से रमेश बचा हुआ था, सिवाय एक बुराई के । शराब पीने की लत थी उसे ।

उस वक्त भी रात के कोई सवा नौ बज रहे थे और रमेश सोनपुर के ही एक दारू के ठेके में विराजमान था ।

उसने मेज से उठकर दारू की बोतल मुँह से लगायी, चेहरा छत की तरफ उठाया, फिर पेशाब जैसी हल्के पीले रंग वाली दारू को गटागट हलक से नीचे उतार गया । उसने जब फट् की जोरदार आवाज के साथ बोतल वापस मेज पर पटकी, तो वह पूरी तरह खाली हो चुकी थी ।

ठेके में चारों तरफ गुण्डे-मवालियों का साम्राज्य कायम था, वह हंसी-मजाक में ही भद्दी-भद्दी गालियाँ देते हुए दारू पी रहे थे और मसाले के भुने चने खा रहे थे ।

कुछ वेटर इधर-उधर घूम रहे थे ।

“ओये- इधर आ ।”

दिलीप ने नशे की तरंग में ही एक वेटर को आवाज लगायी ।
yaha dilip aur ramesh kya alag alag insaan hai ?? yaa ek hi hai ..
 
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