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Fantasy ध्रुव: एक योद्धा का सफर

प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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Aadi bhai

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Sbhi updates ek se badkar ek hain aapke
Bs ek vinti or h aapse hero ek rakh rhi hain aap to heroine ki b sankhya km se km rakhiyega aaise nhi ki vha gya or ek raani mil gyi us jgh ek ghayal ldki mili usko raani bna liya fir aaisa lgta h ki kothe vaali gali k chakkr kat rha h hero
 

dhparikh

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अध्याय 03: सोनल का प्यार



इधर ध्रुव को चार दिन बाद होश आया। उसने अपनी आंखे खोली तो देखा की सोनल उसको एकटक से उसके चेहरे को देख रही है। सोनल बहुत ही सुंदर है उसकी बड़ी बड़ी आंखे और गुलाबी होठ है। अभी वह 18 साल की रही होगी।


"ये लड़की कौन है मुझे यह ऐसे क्यों देख रही है। मैं कहा आ गया हू और वर्षा कहा है? रुको देखता हु ये आगे क्या करती है।" यह सोचते हुए वह आंख बंद कर लेता है। वही सोनल ध्रुव को देख कर अपने आप में ही बाते करने लगी उसे ये ध्यान नहीं था की ध्रुव जगा हुआ है।


"दिखने में कितना सुंदर है। किसी राजकुमार की तरह लगता है। काश इसकी मुझसे शादी हो जाती।" वह कभी ध्रुव के नाक को टच करती कभी पलको से खेलती। "वो तो वर्षा दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है वरना मैं तो तुम्हे अपने पास ही रख लेती कही जाने नही देती।"


ध्रुव यह सुनकर हिल गया। "ये छोटी लड़की क्या बकवास किए जा रही है। हुह वर्षा मुझसे प्यार करती है।" फिर कुछ सोचकर "लेकिन अगर वर्षा मुझसे प्यार करती तो मुझे कैसे पता होता। वो मुझे बताई ही नहीं। कही ये भी हो सकता है की मैं इस बात पर ध्यान ही नही दिया। रुको इस लड़की से ही पूछ लेता हूं।"


सोनल अभी ध्रुव के होठों पर अपनी अंगुली घुमा रही थी। ध्रुव को मजाक सूझा उसने अपने होठ खोल दिए सोनल की अंगुली उसके मुंह में चली गई। ध्रुव ने उसकी अंगुली पर अपने दांत गड़ा दिए। वह अभी जोड़ो से चीखती लेकिन ध्रुव ने अपने हाथो से उसका मुंह बंद कर दिया। "मैं हाथ हटा रहा हूं। चीखना मत"


"हु हू!!" सोनल अपनी सर हिलाते हुए बोली।ध्रुव ने धीरे से अपना हाथ हटा दिया। ध्रुव अब जाकर सोनल को गौर से देखा। उसका चेहरा बहुत ही मासूम था। ध्रुव उसके चेहरे में खो गया। उसके ऐसे एकटक देखने से सोनल को शर्म आने लगी। उसने ध्रुव के हाथो पर चुटकी कर ली।


"आउच" ध्रुव एकाएक चीखा। फिर अपने आप को संभाला। वह अपने बिस्तर पर एक तरफ खिसकर खाली पड़े जगह को सोनल को दिखाते हुए बोला "इधर लेट जाओ।"


"लेकिन मैं मैं!!!"


"मैं मैं क्या लगा रखी हो। अभी तो बोल रही थी की मुझे प्यार करती हो। बड़ा आई प्यार करने वाली।" ध्रुव सोनल को चिढ़ते हुए बोला। सोनल चिढ़ गई वो गुस्से में बोली। "हा करने लगी हू तुमसे प्यार। तुम इतने प्यारे हो मैं क्या करू।"


यह सुनकर ध्रुव चौक गया उसे पता नही था ये लड़की इतनी मासूम और सच्ची होगी की ये बात भी इतनी आसानी से बोल देगी। उसे सोनल पर बड़ा प्यार आया। अब वह इस लड़की को अपने से दूर नहीं करना चाहता था। वह सोनल को दुनिया की हर बुराई से बचाना चाहता था। लेकिन अभी उसे वर्षा के बारे में कन्फर्म करना था। यह सब सोचकर ध्रुव को अपने आप पर ताज्जुब हुआ की वह कब से ऐसा सोचने लगा है। वह इमोसन के मामले में इतना ढीठ कभी नही हुआ था। इसीलिए तो वह करुणा से बिना मिले ही चला आया। 'हुह्ह्ह लगता है मैं चंद्रास्वामी के विचारो से प्रभावित हो गया हू। मैं जो काम करना चाहता हु उसे कोई रोक नहीं सकता लेकिन मैं वर्षा और इस लड़की की भावनाओ के साथ खेल नही सकता। खैर ये सब बाद की बात है।'


"प्यार करती हो तो डरती क्यों हो। मैं खा नही जाऊंगा। ऊपर आ जाओ।" ध्रुव सोनल को बोलता है। सोनल को ध्रुव से सच में प्यार हो गया था। वह थोड़ी झिझक के साथ बेड पर चढ़ गई। ध्रुव उसे खींचकर अपने साथ कर लिया और उसे अपनी चादर ओढ़ा दी।


"मेरा नाम ध्रुव है और तुम्हारा।" ध्रुव पूछा।


"सोनल" वह बोली।


"अच्छा अब मैं जो पूछ रहा हू वो सही सही बताना।" ध्रुव बोला।


"हम्म्म!!!" सोनल गर्दन हिला दी।


"मुझसे क्यों प्यार करती हो।" ध्रुव बोला।


"मुझे तुम बहुत हैंडसम लगते हो और तुमसे एक पॉजिटिव वाइब्स आती है। जो मुझे परेशान नही करती। तुम उन मुहल्लो के गंदे बदमाश की तरह नहीं दिखते।" सोनल बोली। उसे इतना तो समझ आ गाय था की ध्रुव को वो पसंद आ गई है। लेकिन प्यार हुआ है। ये अभी पता नही चला।


"लेकिन मुझे आगे जाकर एक बहुत ही खतरनाक काम करना है अगर मर गया तों……" यह सुनते ही सोनल ने ध्रुव का मुंह बंद कर दिया।


"ऐसा मत बोलो। काम कितना भी खतरनाक क्यों न हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी। अगर तुम मुझसे प्यार नही करते तो कोई बात नही।" सोनल बोली।


"अच्छा अगर मैं कभी कोई ऐसा काम किया जो मुझे करना जरूरी हो और उससे तुम्हे ठेस पहुंची तो क्या तुम मुझे छोड़कर चली जाओगी?" ध्रुव फिर पूछा।


"मैं ऐसा क्यों करूंगी। मैं तुमसे प्यार करती हु अगर तुम पर से ही भरोसा उठ जाए तो मुझे खुद पर से भरोसा टूट जायेगा। हा अगर किसी दिन तुमने ऐसा काम किया तो मैं नाराज जरूर होऊंगी। और तुम्हे मनाना भी पड़ेगा।" सोनल बोली और उसने अपने चेहरे पर रूठने वाले एक्सप्रेशन लाए।


"अगर मैं किसी दिन शक्तिहीन हो गया और तुम्हे मुझसे अच्छा इंसान पसंद करने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी।" ध्रुए यह सवाल बहुत डरते हुए पूछा। क्योंकि उसे करुणा की बात बार बार याद दिलाती थी।


"बिलकुल पागल हो तुम। मेरा प्यार इतना कमजोर नही की एक हवा का झोका उड़ा ले जाए।" सोनल बोली


"अच्छा अगर मेरी जिंदगी में कोई और आ जाये तो?" ध्रुव पूछा।


"तुम उसे ला सकते हो लेकिन वह स्वभाव की अच्छी होनी चाहिए और हमारे परिवार में आग लगाने वाली भी नही होनी चाहिए। और हा मैं ये जानती हु की वर्षा दीदी भी तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती है।" सोनल ने जबाव दिया।


"वर्षा भी मुझसे प्यार करती है ये बात तुम्हे वर्षा ने कही है। ये हो ही नही सकता। वो तो मुझसे कभी बोली भी नही।" ध्रुव बोला।


"उनका प्यार उनकी आंखों में झलकता है। पर सायद वह डरती है। कही तुम उन्हे माना ना कर दो।" सोनल और ध्रुव कुछ देर चुप रहे फिर सोनल बोली "मेरी एक बार मानोगे।"


"बोलो" ध्रुव बोला।


"यही की वर्षा दीदी को कभी मना मत करना। नही तो वह टूट जायेगी।" सोनल बोली। ध्रुव यह सुनकर जम गया। और फिर एकाएक हसने लगा। "पागल मैं वर्षा को कभी नही छोडूंगा। और तुम चिंता मत करो वर्षा जल्द ही ठीक हो जाएगी।"



अभी दोनो बात ही कर रहे थे की दरवाजे पर आहट हुई।



पढ़कर प्रतिक्रिया और टिप्पणी जरूर करे।
Nice update.....
 

park

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अध्याय 03: सोनल का प्यार



इधर ध्रुव को चार दिन बाद होश आया। उसने अपनी आंखे खोली तो देखा की सोनल उसको एकटक से उसके चेहरे को देख रही है। सोनल बहुत ही सुंदर है उसकी बड़ी बड़ी आंखे और गुलाबी होठ है। अभी वह 18 साल की रही होगी।


"ये लड़की कौन है मुझे यह ऐसे क्यों देख रही है। मैं कहा आ गया हू और वर्षा कहा है? रुको देखता हु ये आगे क्या करती है।" यह सोचते हुए वह आंख बंद कर लेता है। वही सोनल ध्रुव को देख कर अपने आप में ही बाते करने लगी उसे ये ध्यान नहीं था की ध्रुव जगा हुआ है।


"दिखने में कितना सुंदर है। किसी राजकुमार की तरह लगता है। काश इसकी मुझसे शादी हो जाती।" वह कभी ध्रुव के नाक को टच करती कभी पलको से खेलती। "वो तो वर्षा दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है वरना मैं तो तुम्हे अपने पास ही रख लेती कही जाने नही देती।"


ध्रुव यह सुनकर हिल गया। "ये छोटी लड़की क्या बकवास किए जा रही है। हुह वर्षा मुझसे प्यार करती है।" फिर कुछ सोचकर "लेकिन अगर वर्षा मुझसे प्यार करती तो मुझे कैसे पता होता। वो मुझे बताई ही नहीं। कही ये भी हो सकता है की मैं इस बात पर ध्यान ही नही दिया। रुको इस लड़की से ही पूछ लेता हूं।"


सोनल अभी ध्रुव के होठों पर अपनी अंगुली घुमा रही थी। ध्रुव को मजाक सूझा उसने अपने होठ खोल दिए सोनल की अंगुली उसके मुंह में चली गई। ध्रुव ने उसकी अंगुली पर अपने दांत गड़ा दिए। वह अभी जोड़ो से चीखती लेकिन ध्रुव ने अपने हाथो से उसका मुंह बंद कर दिया। "मैं हाथ हटा रहा हूं। चीखना मत"


"हु हू!!" सोनल अपनी सर हिलाते हुए बोली।ध्रुव ने धीरे से अपना हाथ हटा दिया। ध्रुव अब जाकर सोनल को गौर से देखा। उसका चेहरा बहुत ही मासूम था। ध्रुव उसके चेहरे में खो गया। उसके ऐसे एकटक देखने से सोनल को शर्म आने लगी। उसने ध्रुव के हाथो पर चुटकी कर ली।


"आउच" ध्रुव एकाएक चीखा। फिर अपने आप को संभाला। वह अपने बिस्तर पर एक तरफ खिसकर खाली पड़े जगह को सोनल को दिखाते हुए बोला "इधर लेट जाओ।"


"लेकिन मैं मैं!!!"


"मैं मैं क्या लगा रखी हो। अभी तो बोल रही थी की मुझे प्यार करती हो। बड़ा आई प्यार करने वाली।" ध्रुव सोनल को चिढ़ते हुए बोला। सोनल चिढ़ गई वो गुस्से में बोली। "हा करने लगी हू तुमसे प्यार। तुम इतने प्यारे हो मैं क्या करू।"


यह सुनकर ध्रुव चौक गया उसे पता नही था ये लड़की इतनी मासूम और सच्ची होगी की ये बात भी इतनी आसानी से बोल देगी। उसे सोनल पर बड़ा प्यार आया। अब वह इस लड़की को अपने से दूर नहीं करना चाहता था। वह सोनल को दुनिया की हर बुराई से बचाना चाहता था। लेकिन अभी उसे वर्षा के बारे में कन्फर्म करना था। यह सब सोचकर ध्रुव को अपने आप पर ताज्जुब हुआ की वह कब से ऐसा सोचने लगा है। वह इमोसन के मामले में इतना ढीठ कभी नही हुआ था। इसीलिए तो वह करुणा से बिना मिले ही चला आया। 'हुह्ह्ह लगता है मैं चंद्रास्वामी के विचारो से प्रभावित हो गया हू। मैं जो काम करना चाहता हु उसे कोई रोक नहीं सकता लेकिन मैं वर्षा और इस लड़की की भावनाओ के साथ खेल नही सकता। खैर ये सब बाद की बात है।'


"प्यार करती हो तो डरती क्यों हो। मैं खा नही जाऊंगा। ऊपर आ जाओ।" ध्रुव सोनल को बोलता है। सोनल को ध्रुव से सच में प्यार हो गया था। वह थोड़ी झिझक के साथ बेड पर चढ़ गई। ध्रुव उसे खींचकर अपने साथ कर लिया और उसे अपनी चादर ओढ़ा दी।


"मेरा नाम ध्रुव है और तुम्हारा।" ध्रुव पूछा।


"सोनल" वह बोली।


"अच्छा अब मैं जो पूछ रहा हू वो सही सही बताना।" ध्रुव बोला।


"हम्म्म!!!" सोनल गर्दन हिला दी।


"मुझसे क्यों प्यार करती हो।" ध्रुव बोला।


"मुझे तुम बहुत हैंडसम लगते हो और तुमसे एक पॉजिटिव वाइब्स आती है। जो मुझे परेशान नही करती। तुम उन मुहल्लो के गंदे बदमाश की तरह नहीं दिखते।" सोनल बोली। उसे इतना तो समझ आ गाय था की ध्रुव को वो पसंद आ गई है। लेकिन प्यार हुआ है। ये अभी पता नही चला।


"लेकिन मुझे आगे जाकर एक बहुत ही खतरनाक काम करना है अगर मर गया तों……" यह सुनते ही सोनल ने ध्रुव का मुंह बंद कर दिया।


"ऐसा मत बोलो। काम कितना भी खतरनाक क्यों न हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी। अगर तुम मुझसे प्यार नही करते तो कोई बात नही।" सोनल बोली।


"अच्छा अगर मैं कभी कोई ऐसा काम किया जो मुझे करना जरूरी हो और उससे तुम्हे ठेस पहुंची तो क्या तुम मुझे छोड़कर चली जाओगी?" ध्रुव फिर पूछा।


"मैं ऐसा क्यों करूंगी। मैं तुमसे प्यार करती हु अगर तुम पर से ही भरोसा उठ जाए तो मुझे खुद पर से भरोसा टूट जायेगा। हा अगर किसी दिन तुमने ऐसा काम किया तो मैं नाराज जरूर होऊंगी। और तुम्हे मनाना भी पड़ेगा।" सोनल बोली और उसने अपने चेहरे पर रूठने वाले एक्सप्रेशन लाए।


"अगर मैं किसी दिन शक्तिहीन हो गया और तुम्हे मुझसे अच्छा इंसान पसंद करने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी।" ध्रुए यह सवाल बहुत डरते हुए पूछा। क्योंकि उसे करुणा की बात बार बार याद दिलाती थी।


"बिलकुल पागल हो तुम। मेरा प्यार इतना कमजोर नही की एक हवा का झोका उड़ा ले जाए।" सोनल बोली


"अच्छा अगर मेरी जिंदगी में कोई और आ जाये तो?" ध्रुव पूछा।


"तुम उसे ला सकते हो लेकिन वह स्वभाव की अच्छी होनी चाहिए और हमारे परिवार में आग लगाने वाली भी नही होनी चाहिए। और हा मैं ये जानती हु की वर्षा दीदी भी तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती है।" सोनल ने जबाव दिया।


"वर्षा भी मुझसे प्यार करती है ये बात तुम्हे वर्षा ने कही है। ये हो ही नही सकता। वो तो मुझसे कभी बोली भी नही।" ध्रुव बोला।


"उनका प्यार उनकी आंखों में झलकता है। पर सायद वह डरती है। कही तुम उन्हे माना ना कर दो।" सोनल और ध्रुव कुछ देर चुप रहे फिर सोनल बोली "मेरी एक बार मानोगे।"


"बोलो" ध्रुव बोला।


"यही की वर्षा दीदी को कभी मना मत करना। नही तो वह टूट जायेगी।" सोनल बोली। ध्रुव यह सुनकर जम गया। और फिर एकाएक हसने लगा। "पागल मैं वर्षा को कभी नही छोडूंगा। और तुम चिंता मत करो वर्षा जल्द ही ठीक हो जाएगी।"



अभी दोनो बात ही कर रहे थे की दरवाजे पर आहट हुई।



पढ़कर प्रतिक्रिया और टिप्पणी जरूर करे।
Nice and superb update.....
 

प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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अध्याय 04: करुणा की क्रूरता



अभी ध्रुव और सोनल बात कर ही रहे थे की वर्षा अंदर आ गई। वह सोनल को ध्रुव के साथ लेटे हुए देखकर चौक गई। वह कुछ सोचकर अंदर तक कांप गई। वह ध्रुव को बहुत पसंद करती है। कही अब ध्रुव सोनल की सुंदरता देख उसे छोड़ ना दे। अभी वह कुछ उटपटांग सोच ही रही थी की उसके कानो में ध्रुव की आवाज पड़ी।


"वर्षा इधर आ न" ध्रुव ने वर्षा को अपने पास बुलाया। वह वर्षा को अपने दूसरे साइड लेटने केलिए बोला। वर्षा भी उसके साथ लेट गई। वह जैसे ही लेटी ध्रुव ने उसके चूतड पर एक थप्पड़ मार दिया।


*चटाक*"आह्ह्ह्ह"


वर्षा के शरीर में एक तेज सिहरन दौड़ गई। वह अपनी आंखो में पानी लिए एक टक ध्रुव को देखने लगी मानो वह जवाब मांग रही हो।


"हुह्ह मुझे छोड़ कर जाने का सोचना भी मत। वरना सजा मिलेगी।" ध्रुव बोला।


"सजा!!" सोनल और वर्षा एक साथ बोल पड़े।


*चटाक*"आउच"


इस बार ध्रुव सोनल के चूतड पर एक चाटा मरता है। सोनल चिहुक उठती है। वह ध्रुव के सीने को मुक्के से मारती हुई बोलती है "गंदे आदमी"


"वैसे तो अब तुम दोनो को ही इस गंदे आदमी को झेलना है।" ध्रुव उन दोनो के छातियों को घूरते हुए बोलता है। दोनो का चेहरा शर्म से लाल हो गया। ध्रुव को चोट लगने के कारण उसके शरीर से काफी खून बह गए थे। इतनी देर बात करने से उसके शरीर में कमजोरी सी होने लगी थी। वह वर्षा को देखता है। उसकी आंखे भी थकी हुई सी लग रही थी।


"मुझे नींद आ रही है। तुम दोनो भी मेरे साथ सो जाओ। थकी थकी सी लग रही हो।" उन दोनो ने भी कोई बखेड़ा नही किया। दोनो तरफ से ध्रुव की कमर में हाथ डालकर सो गई।

***

***

***

***

भैरवी राज्य, एक गुप्त तहखाना


एक लंबी और खूबसूरत लड़की खड़ी हुई है। उसका शरीर बहुत ही कातिलाना है। उसकी छातियां और नितम्ब बाहर की तरफ निकाले हुए है। वही कमर बिलकुल पतली। बदन पर कही चर्बी का निसान नही। चेहरे पर एक मैच्योर औरत की चार्म है। कोई भी मर्द देखे तो उसे पा लेने की चाह हो। लेकिन अभी इस लड़की के चेहरे पर एक सिकन की भाव थे। अभी वह इधर से उधर टहल रही है। कुछ समय बीते होंगे की कमरे में एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति पधारता है। लड़की उन्हे देखकर खुश हो जाती है। और आगे बढ़कर एक घुटने के बल बैठ सर झुका कर बोलती है "मास्टर"


वह आदमी अपना सर हिला देता है और लड़की को खड़ा होने का बोलता है। "कहो करुणा क्या समस्या आ गई है?" की हा ये लड़की कोई और नहीं राजकुमारी करुणा है और अधेड़ उम्र का व्यक्ति अलीपुर युद्ध शिक्षा संस्थान की एक वरिष्ठ गुरु है। संस्थान में जाने के बाद इन्होंने ही करुणा और साहिल की शिक्षा दी थी।


करुणा खड़ी होकर उस आदमी से कहती है। "मास्टर पहले आप बैठिए। क्या आप अपनी इस शिष्या को सेवा करने का अवसर भी नही देंगे।" इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए उस गुरु का हाथ पकड़ लेती और खींचकर वहा पड़े एक मात्र सिंहासन पर बिठा देती है और आदमी के गोदी में बैठ जाती है।


"हा हा हा करुणा मैंने तुम्हे सही पहचाना था। तुम कम कामिनी चीज नही हो।" वह आदमी करुणा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला।


"मास्टर आप भी कम कमिने नही है। पहले ही दिन मंत्र सिखाने के बहाने चोद लिया था। ही ही ही!!!" करुणा हस्ते हुए बोली। "हा हा हा हा!!!" दोनो हंसने लगते है।


"मास्टर अपने साहिल को माया मंत्र क्यों दी।" करुणा ने पूछा।


"अरे रण्डी तेरे लिए। तेरे को कौन संभालेगा। जानती है माया मंत्र का असली मतलब क्या है।" आदमी बोला।


"मास्टर बताइएगा तो आपकी ये शिष्या समझ जायेगी।" करुणा बोली।


"माया मंत्र दो भाग में बांटा गया है। पुरुष भाग और स्त्री भाग। यह मंत्र पूरा तब होता है जब तुम दोनो में से कोई एक दूसरे का कत्ल करे वो भी संभोग करते वक्त। समझी।" आदमी बोला।


"मास्टर अगर कोई दोनो मंत्र की साधना करे तो।" करुणा पूछी।


"हा करेगा तो उसे हमेशा ही वासना में डूबे रहने का मन करेगा। हा लेकिन अभी जैसे तुम जिसके साथ संभोग करती हो वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहता लेकिन प्यार मंत्र की साधना करने से यह नहीं होगा। ऐसे ही 'माया मंत्र' स्वर्ग स्तर की साधना मंत्र नही है।" अब तक करुणा ने आदमी की कमीज उतार दी थी।


"मास्टर समझ गई।" करुणा बोली। अब आदमी ने करुणा को गोद में घुमा दिया। करुणा का पीठ आदमी की तरफ हो गया।


आदमी ने करुणा की छातियों को पीछे से पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे मसलना शुरू किया। करुणा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलने लगी। "मास्टर आपकी युद्ध मंडल क्या है?"


"मेरा युद्ध मंडल नारंगी स्तर के नौवे चरण में है।" वह आदमी बोला। "वैसे तुम्हारा भी इधर कम वृद्धि नही हुई है। तुम भी तो नारंगी स्तर के पहले चरण में प्रवेश कर गई हो।"


"हा मास्टर अभी पांच दिन पहले साहिल से चुद रही थी तभी।" करुणा बेशर्म की तरह बोली।


करुणा की बात सुनकर मास्टर का लंड फड़कने लगा। वह करुणा की चुचियों को जोड़ जोड़ से मसलने लगा। करुणा को दर्द भरा आनंद मिल रहा था। वह सिसकियां भरने लगी। कुछ देर तक कपड़ो के ऊपर से ही मसलने के बाद आदमी ने करुणा के कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया। वह करुणा को अपने लंड पर बिठा दिया। और उसे तेजी में चोदने लगा। करुणा उसके गले में हाथ डाल कर चुद रही थीं। जब वह आदमी झड़ने को हुआ तो करुणा ने उसके गले में एक छुड़ा भोक दिया। वह आदमी अपने चरम पर था उसे कुछ समझ नहीं आया। जब तक समझ आता वह इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया था।


करुणा ने उस आदमी को वैसे ही रहने दिया और फिर वह उसके लंड पर कूदने लगी। कुछ देर में वह झड़ने लगी। उसके बाद उसने आदमी की अंगूठी निकली। वह एक स्पेस अंगूठी थी। वह अपनी मानसिक शक्ति से उसमे कुछ खोजने लगी। कुछ देर में वह उसमे से एक कार्ड निकली जिसपर प्राचीन लिपि में कुछ लिखा हुआ था। "हू तो ये है पूरी माया मंत्र। पढ़ती हू इसे।"


वह अपनी मानसिक शक्ति की सहायता से धीरे धीरे पढ़ने लगी। जैसे जैसे वह उसे पढ़ने लगी। उसके चेहरा बदलने लगी। पूरा मंत्र तथा साधना करने के उपाय पढ़ उसने उस कार्ड को मसल कर धूल में मिला दिया। "माया मंत्र को पूरा करने केलिए पहले पति और पत्नी दोनो को स्त्री माया मंत्र और पुरुष माया मंत्र की साधना करनी पड़ेगी। इस माया मंत्र की पूरी साधना करने से पहले उसे अपने साथी के हृदय की खून पीनी पड़ेगी।"


"हुह ये मंत्र साधना बड़ी जालिम है। लेकिन मैं भी कोई काम जालिम नही हू। अब इस हरामजदे ने भी माया मंत्र की साधना की थी। मैं इसी के दिल की खून पी कर इस मंत्र की साधना करूंगी।" फिर करुणा ने एक और चाकू उसके दिल में उतर दी। जो भी खून निकला उसे निगल गई। करीब दो मिनट खून पीने के बाद वह वही बैठ गई और मंत्र की साधना करने लगी। जैसे जैसे समय बीत रहा था उसकी युद्धस्तर में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही थी।


अपडेट पढ़कर प्रतिक्रिया और टिप्पणी करे!!!!
 

प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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अध्याय 04: करुणा की क्रूरता



अभी ध्रुव और सोनल बात कर ही रहे थे की वर्षा अंदर आ गई। वह सोनल को ध्रुव के साथ लेटे हुए देखकर चौक गई। वह कुछ सोचकर अंदर तक कांप गई। वह ध्रुव को बहुत पसंद करती है। कही अब ध्रुव सोनल की सुंदरता देख उसे छोड़ ना दे। अभी वह कुछ उटपटांग सोच ही रही थी की उसके कानो में ध्रुव की आवाज पड़ी।


"वर्षा इधर आ न" ध्रुव ने वर्षा को अपने पास बुलाया। वह वर्षा को अपने दूसरे साइड लेटने केलिए बोला। वर्षा भी उसके साथ लेट गई। वह जैसे ही लेटी ध्रुव ने उसके चूतड पर एक थप्पड़ मार दिया।


*चटाक*"आह्ह्ह्ह"


वर्षा के शरीर में एक तेज सिहरन दौड़ गई। वह अपनी आंखो में पानी लिए एक टक ध्रुव को देखने लगी मानो वह जवाब मांग रही हो।


"हुह्ह मुझे छोड़ कर जाने का सोचना भी मत। वरना सजा मिलेगी।" ध्रुव बोला।


"सजा!!" सोनल और वर्षा एक साथ बोल पड़े।


*चटाक*"आउच"


इस बार ध्रुव सोनल के चूतड पर एक चाटा मरता है। सोनल चिहुक उठती है। वह ध्रुव के सीने को मुक्के से मारती हुई बोलती है "गंदे आदमी"


"वैसे तो अब तुम दोनो को ही इस गंदे आदमी को झेलना है।" ध्रुव उन दोनो के छातियों को घूरते हुए बोलता है। दोनो का चेहरा शर्म से लाल हो गया। ध्रुव को चोट लगने के कारण उसके शरीर से काफी खून बह गए थे। इतनी देर बात करने से उसके शरीर में कमजोरी सी होने लगी थी। वह वर्षा को देखता है। उसकी आंखे भी थकी हुई सी लग रही थी।


"मुझे नींद आ रही है। तुम दोनो भी मेरे साथ सो जाओ। थकी थकी सी लग रही हो।" उन दोनो ने भी कोई बखेड़ा नही किया। दोनो तरफ से ध्रुव की कमर में हाथ डालकर सो गई।

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भैरवी राज्य, एक गुप्त तहखाना


एक लंबी और खूबसूरत लड़की खड़ी हुई है। उसका शरीर बहुत ही कातिलाना है। उसकी छातियां और नितम्ब बाहर की तरफ निकाले हुए है। वही कमर बिलकुल पतली। बदन पर कही चर्बी का निसान नही। चेहरे पर एक मैच्योर औरत की चार्म है। कोई भी मर्द देखे तो उसे पा लेने की चाह हो। लेकिन अभी इस लड़की के चेहरे पर एक सिकन की भाव थे। अभी वह इधर से उधर टहल रही है। कुछ समय बीते होंगे की कमरे में एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति पधारता है। लड़की उन्हे देखकर खुश हो जाती है। और आगे बढ़कर एक घुटने के बल बैठ सर झुका कर बोलती है "मास्टर"


वह आदमी अपना सर हिला देता है और लड़की को खड़ा होने का बोलता है। "कहो करुणा क्या समस्या आ गई है?" की हा ये लड़की कोई और नहीं राजकुमारी करुणा है और अधेड़ उम्र का व्यक्ति अलीपुर युद्ध शिक्षा संस्थान की एक वरिष्ठ गुरु है। संस्थान में जाने के बाद इन्होंने ही करुणा और साहिल की शिक्षा दी थी।


करुणा खड़ी होकर उस आदमी से कहती है। "मास्टर पहले आप बैठिए। क्या आप अपनी इस शिष्या को सेवा करने का अवसर भी नही देंगे।" इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए उस गुरु का हाथ पकड़ लेती और खींचकर वहा पड़े एक मात्र सिंहासन पर बिठा देती है और आदमी के गोदी में बैठ जाती है।


"हा हा हा करुणा मैंने तुम्हे सही पहचाना था। तुम कम कामिनी चीज नही हो।" वह आदमी करुणा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला।


"मास्टर आप भी कम कमिने नही है। पहले ही दिन मंत्र सिखाने के बहाने चोद लिया था। ही ही ही!!!" करुणा हस्ते हुए बोली। "हा हा हा हा!!!" दोनो हंसने लगते है।


"मास्टर अपने साहिल को माया मंत्र क्यों दी।" करुणा ने पूछा।


"अरे रण्डी तेरे लिए। तेरे को कौन संभालेगा। जानती है माया मंत्र का असली मतलब क्या है।" आदमी बोला।


"मास्टर बताइएगा तो आपकी ये शिष्या समझ जायेगी।" करुणा बोली।


"माया मंत्र दो भाग में बांटा गया है। पुरुष भाग और स्त्री भाग। यह मंत्र पूरा तब होता है जब तुम दोनो में से कोई एक दूसरे का कत्ल करे वो भी संभोग करते वक्त। समझी।" आदमी बोला।


"मास्टर अगर कोई दोनो मंत्र की साधना करे तो।" करुणा पूछी।


"हा करेगा तो उसे हमेशा ही वासना में डूबे रहने का मन करेगा। हा लेकिन अभी जैसे तुम जिसके साथ संभोग करती हो वह ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रहता लेकिन प्यार मंत्र की साधना करने से यह नहीं होगा। ऐसे ही 'माया मंत्र' स्वर्ग स्तर की साधना मंत्र नही है।" अब तक करुणा ने आदमी की कमीज उतार दी थी।


"मास्टर समझ गई।" करुणा बोली। अब आदमी ने करुणा को गोद में घुमा दिया। करुणा का पीठ आदमी की तरफ हो गया।


आदमी ने करुणा की छातियों को पीछे से पकड़ लिया और उसे धीरे धीरे मसलना शुरू किया। करुणा के मुंह से मादक सिसकारियां निकलने लगी। "मास्टर आपकी युद्ध मंडल क्या है?"


"मेरा युद्ध मंडल नारंगी स्तर के नौवे चरण में है।" वह आदमी बोला। "वैसे तुम्हारा भी इधर कम वृद्धि नही हुई है। तुम भी तो नारंगी स्तर के पहले चरण में प्रवेश कर गई हो।"


"हा मास्टर अभी पांच दिन पहले साहिल से चुद रही थी तभी।" करुणा बेशर्म की तरह बोली।


करुणा की बात सुनकर मास्टर का लंड फड़कने लगा। वह करुणा की चुचियों को जोड़ जोड़ से मसलने लगा। करुणा को दर्द भरा आनंद मिल रहा था। वह सिसकियां भरने लगी। कुछ देर तक कपड़ो के ऊपर से ही मसलने के बाद आदमी ने करुणा के कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया। वह करुणा को अपने लंड पर बिठा दिया। और उसे तेजी में चोदने लगा। करुणा उसके गले में हाथ डाल कर चुद रही थीं। जब वह आदमी झड़ने को हुआ तो करुणा ने उसके गले में एक छुड़ा भोक दिया। वह आदमी अपने चरम पर था उसे कुछ समझ नहीं आया। जब तक समझ आता वह इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया था।


करुणा ने उस आदमी को वैसे ही रहने दिया और फिर वह उसके लंड पर कूदने लगी। कुछ देर में वह झड़ने लगी। उसके बाद उसने आदमी की अंगूठी निकली। वह एक स्पेस अंगूठी थी। वह अपनी मानसिक शक्ति से उसमे कुछ खोजने लगी। कुछ देर में वह उसमे से एक कार्ड निकली जिसपर प्राचीन लिपि में कुछ लिखा हुआ था। "हू तो ये है पूरी माया मंत्र। पढ़ती हू इसे।"


वह अपनी मानसिक शक्ति की सहायता से धीरे धीरे पढ़ने लगी। जैसे जैसे वह उसे पढ़ने लगी। उसके चेहरा बदलने लगी। पूरा मंत्र तथा साधना करने के उपाय पढ़ उसने उस कार्ड को मसल कर धूल में मिला दिया। "माया मंत्र को पूरा करने केलिए पहले पति और पत्नी दोनो को स्त्री माया मंत्र और पुरुष माया मंत्र की साधना करनी पड़ेगी। इस माया मंत्र की पूरी साधना करने से पहले उसे अपने साथी के हृदय की खून पीनी पड़ेगी।"


"हुह ये मंत्र साधना बड़ी जालिम है। लेकिन मैं भी कोई काम जालिम नही हू। अब इस हरामजदे ने भी माया मंत्र की साधना की थी। मैं इसी के दिल की खून पी कर इस मंत्र की साधना करूंगी।" फिर करुणा ने एक और चाकू उसके दिल में उतर दी। जो भी खून निकला उसे निगल गई। करीब दो मिनट खून पीने के बाद वह वही बैठ गई और मंत्र की साधना करने लगी। जैसे जैसे समय बीत रहा था उसकी युद्धस्तर में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही थी।


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चौथी अपडेट पोस्ट कर दी है कृपया पढ़कर टिप्पणी करे
 
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प्रिया

जिन्दगी बहुत छोटी है, खुल के जियो!!!!
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All update to good

Thankyou :)
 
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