अध्याय 03: सोनल का प्यार
इधर ध्रुव को चार दिन बाद होश आया। उसने अपनी आंखे खोली तो देखा की सोनल उसको एकटक से उसके चेहरे को देख रही है। सोनल बहुत ही सुंदर है उसकी बड़ी बड़ी आंखे और गुलाबी होठ है। अभी वह 18 साल की रही होगी।
"ये लड़की कौन है मुझे यह ऐसे क्यों देख रही है। मैं कहा आ गया हू और वर्षा कहा है? रुको देखता हु ये आगे क्या करती है।" यह सोचते हुए वह आंख बंद कर लेता है। वही सोनल ध्रुव को देख कर अपने आप में ही बाते करने लगी उसे ये ध्यान नहीं था की ध्रुव जगा हुआ है।
"दिखने में कितना सुंदर है। किसी राजकुमार की तरह लगता है। काश इसकी मुझसे शादी हो जाती।" वह कभी ध्रुव के नाक को टच करती कभी पलको से खेलती। "वो तो वर्षा दीदी तुमसे बहुत प्यार करती है वरना मैं तो तुम्हे अपने पास ही रख लेती कही जाने नही देती।"
ध्रुव यह सुनकर हिल गया। "ये छोटी लड़की क्या बकवास किए जा रही है। हुह वर्षा मुझसे प्यार करती है।" फिर कुछ सोचकर "लेकिन अगर वर्षा मुझसे प्यार करती तो मुझे कैसे पता होता। वो मुझे बताई ही नहीं। कही ये भी हो सकता है की मैं इस बात पर ध्यान ही नही दिया। रुको इस लड़की से ही पूछ लेता हूं।"
सोनल अभी ध्रुव के होठों पर अपनी अंगुली घुमा रही थी। ध्रुव को मजाक सूझा उसने अपने होठ खोल दिए सोनल की अंगुली उसके मुंह में चली गई। ध्रुव ने उसकी अंगुली पर अपने दांत गड़ा दिए। वह अभी जोड़ो से चीखती लेकिन ध्रुव ने अपने हाथो से उसका मुंह बंद कर दिया। "मैं हाथ हटा रहा हूं। चीखना मत"
"हु हू!!" सोनल अपनी सर हिलाते हुए बोली।ध्रुव ने धीरे से अपना हाथ हटा दिया। ध्रुव अब जाकर सोनल को गौर से देखा। उसका चेहरा बहुत ही मासूम था। ध्रुव उसके चेहरे में खो गया। उसके ऐसे एकटक देखने से सोनल को शर्म आने लगी। उसने ध्रुव के हाथो पर चुटकी कर ली।
"आउच" ध्रुव एकाएक चीखा। फिर अपने आप को संभाला। वह अपने बिस्तर पर एक तरफ खिसकर खाली पड़े जगह को सोनल को दिखाते हुए बोला "इधर लेट जाओ।"
"लेकिन मैं मैं!!!"
"मैं मैं क्या लगा रखी हो। अभी तो बोल रही थी की मुझे प्यार करती हो। बड़ा आई प्यार करने वाली।" ध्रुव सोनल को चिढ़ते हुए बोला। सोनल चिढ़ गई वो गुस्से में बोली। "हा करने लगी हू तुमसे प्यार। तुम इतने प्यारे हो मैं क्या करू।"
यह सुनकर ध्रुव चौक गया उसे पता नही था ये लड़की इतनी मासूम और सच्ची होगी की ये बात भी इतनी आसानी से बोल देगी। उसे सोनल पर बड़ा प्यार आया। अब वह इस लड़की को अपने से दूर नहीं करना चाहता था। वह सोनल को दुनिया की हर बुराई से बचाना चाहता था। लेकिन अभी उसे वर्षा के बारे में कन्फर्म करना था। यह सब सोचकर ध्रुव को अपने आप पर ताज्जुब हुआ की वह कब से ऐसा सोचने लगा है। वह इमोसन के मामले में इतना ढीठ कभी नही हुआ था। इसीलिए तो वह करुणा से बिना मिले ही चला आया। 'हुह्ह्ह लगता है मैं चंद्रास्वामी के विचारो से प्रभावित हो गया हू। मैं जो काम करना चाहता हु उसे कोई रोक नहीं सकता लेकिन मैं वर्षा और इस लड़की की भावनाओ के साथ खेल नही सकता। खैर ये सब बाद की बात है।'
"प्यार करती हो तो डरती क्यों हो। मैं खा नही जाऊंगा। ऊपर आ जाओ।" ध्रुव सोनल को बोलता है। सोनल को ध्रुव से सच में प्यार हो गया था। वह थोड़ी झिझक के साथ बेड पर चढ़ गई। ध्रुव उसे खींचकर अपने साथ कर लिया और उसे अपनी चादर ओढ़ा दी।
"मेरा नाम ध्रुव है और तुम्हारा।" ध्रुव पूछा।
"सोनल" वह बोली।
"अच्छा अब मैं जो पूछ रहा हू वो सही सही बताना।" ध्रुव बोला।
"हम्म्म!!!" सोनल गर्दन हिला दी।
"मुझसे क्यों प्यार करती हो।" ध्रुव बोला।
"मुझे तुम बहुत हैंडसम लगते हो और तुमसे एक पॉजिटिव वाइब्स आती है। जो मुझे परेशान नही करती। तुम उन मुहल्लो के गंदे बदमाश की तरह नहीं दिखते।" सोनल बोली। उसे इतना तो समझ आ गाय था की ध्रुव को वो पसंद आ गई है। लेकिन प्यार हुआ है। ये अभी पता नही चला।
"लेकिन मुझे आगे जाकर एक बहुत ही खतरनाक काम करना है अगर मर गया तों……" यह सुनते ही सोनल ने ध्रुव का मुंह बंद कर दिया।
"ऐसा मत बोलो। काम कितना भी खतरनाक क्यों न हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी। अगर तुम मुझसे प्यार नही करते तो कोई बात नही।" सोनल बोली।
"अच्छा अगर मैं कभी कोई ऐसा काम किया जो मुझे करना जरूरी हो और उससे तुम्हे ठेस पहुंची तो क्या तुम मुझे छोड़कर चली जाओगी?" ध्रुव फिर पूछा।
"मैं ऐसा क्यों करूंगी। मैं तुमसे प्यार करती हु अगर तुम पर से ही भरोसा उठ जाए तो मुझे खुद पर से भरोसा टूट जायेगा। हा अगर किसी दिन तुमने ऐसा काम किया तो मैं नाराज जरूर होऊंगी। और तुम्हे मनाना भी पड़ेगा।" सोनल बोली और उसने अपने चेहरे पर रूठने वाले एक्सप्रेशन लाए।
"अगर मैं किसी दिन शक्तिहीन हो गया और तुम्हे मुझसे अच्छा इंसान पसंद करने लगा तो क्या तुम उसके साथ चली जाओगी।" ध्रुए यह सवाल बहुत डरते हुए पूछा। क्योंकि उसे करुणा की बात बार बार याद दिलाती थी।
"बिलकुल पागल हो तुम। मेरा प्यार इतना कमजोर नही की एक हवा का झोका उड़ा ले जाए।" सोनल बोली
"अच्छा अगर मेरी जिंदगी में कोई और आ जाये तो?" ध्रुव पूछा।
"तुम उसे ला सकते हो लेकिन वह स्वभाव की अच्छी होनी चाहिए और हमारे परिवार में आग लगाने वाली भी नही होनी चाहिए। और हा मैं ये जानती हु की वर्षा दीदी भी तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती है।" सोनल ने जबाव दिया।
"वर्षा भी मुझसे प्यार करती है ये बात तुम्हे वर्षा ने कही है। ये हो ही नही सकता। वो तो मुझसे कभी बोली भी नही।" ध्रुव बोला।
"उनका प्यार उनकी आंखों में झलकता है। पर सायद वह डरती है। कही तुम उन्हे माना ना कर दो।" सोनल और ध्रुव कुछ देर चुप रहे फिर सोनल बोली "मेरी एक बार मानोगे।"
"बोलो" ध्रुव बोला।
"यही की वर्षा दीदी को कभी मना मत करना। नही तो वह टूट जायेगी।" सोनल बोली। ध्रुव यह सुनकर जम गया। और फिर एकाएक हसने लगा। "पागल मैं वर्षा को कभी नही छोडूंगा। और तुम चिंता मत करो वर्षा जल्द ही ठीक हो जाएगी।"
अभी दोनो बात ही कर रहे थे की दरवाजे पर आहट हुई।
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