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Adultery नंदिता का ससुराल

Vivekdaware

Madhuri Aunty
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Vivekdaware

Madhuri Aunty
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इस स्टोरी का update 5 कब पढणे को मिलेगा?
स्टोरी पढणे का इंतजार रहेगा.
 

Rajkhan1994

maharaj
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in
नई कहानी 😎🤠

Part 1

नमस्कार मेरा नाम नंदिता है। उम्र 32 साल और शादीशुदा हूँ। ससुराल में काफी खुश हूँ। अच्छे सास ससुर मिल गए है मुझे। मेरे पति और सास ससुर सिर्फ इतने लोग घर मे है। मुझे अब 2 साल का बेटा भी है। मेरे ससुरजी का नाम बाबूलाल है और मेरे पति का रोहित है। ससुरजी की काफी उम्र हो गयी है इसलिए उनकी काफी देखभाल करनी पड़ती है मुझे। अब सास भी बूढ़ी है इसलिए मुझे ही ससुरजी का सबकुछ करना पड़ता है।
कुछ दिनों पहले ससुरजी कमज़ोरी के कारण बहुत बीमार पड़ गए थे। हमने उनको अस्पताल में दाखिल किया। पर डॉक्टर ने 3 दिन बाद ही उनको डिस्चार्ज कर दिया। क्योंकि वो कुछ कर नही सकते थे। ससुरजी की उम्र अब 83 जो थी। पर डॉक्टर ने कहा कि उनको दूध जैसा कुछ पिलाया करो। दूध ताजा होना चाहिए। अब मेरे घरवाले सब परेशान हो गए। क्योंकि हम गांव में रहते थे। इतने दूरदराज गांव में दूध की उपलब्धि नही थी। तो सास ने एक सुझाव दे दिया। कि किसी औरत को पैसे देकर उसका दूध ले लेंगे और ससुरजी को पिलादेंगे। पर मैंने कहा कि अगर किसी औरत का ही दूध पिलाना है तो मेरा क्यों नही? सास को बहुत समझाने के बाद वो मान गयी और मेरे पति को तो कोई परेशानी नही थी। तो अब हम सब ने तय कर लिया कि मैं अपना दूध निकालकर फिर बोतल से ससुरजी को पिलादूँगी।
अगले ही दिन सुबह में मैंने अपना दूध एक गिलास में निकाल दिया और फिर एक निप्पल वाली बोतल में भर दिया। ससुरजी हॉल में पलंग पर सो रहे थे। मैं उनके पास जाकर एक कुर्सी पर बैठ गयी और उनको बोली,
"ससुरजी आपके लिए दूध लायी हूँ। पिलो अब। "
ससुरजी की आँखे खुल गयी और उन्होंने हँसते हुए कहा कि,
"अब मुझे बच्चे की तरह बोतल से दूध पीना होगा।"
"आप गिलास से तो नही ना पी सकते अब । "
"अच्छा । दे दो फिर।"
मैंने उनके हाथ मे बोतल दे दी और वो सोते हुए ही दूध पीने लगे। करीब 10 मिनिट में ही उन्होंने सारा दूध पी लिया और मुझे बोतल वापस दे दी।
"बहुत अच्छा था दूध। शक्कर डाली थी क्या तूने?"
"नही तो ससुरजी। "
"काफी मीठा था। थोड़ा खट्टा भी था। कहा मिल गया दूध ?"
मुझे डर लग रहा था पर मेरे पास उनको सच बताने के सिवाय कुछ चारा नही था।
"गांव में कहा मिलता है दूध ससुरजी। मेरा दूध निकालकर दिया आपको। "
ससुरजी स्तब्ध हो गए।
"क्या कह रही हो बहु? तूने अपना दूध दिया मुझे?"
"क्या करूँ ससुरजी। डॉक्टर ने आपको दूध पिलाना जरूरी बताया था। फिर हम सब ने मिलकर तय कर लिया कि आपको मेरा ही दूध दे देंगे। "
"पर बहु ये तो पाप है। अपने बहु का दूध पीना बहुत गलत काम है।"
"इसमें पाप क्या है ससुरजी? आप एक इंसान ही तो हो ना। "
"पर फिर भी..."
वो चुप होकर सोच में पड़ गए।
शाम को हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे और ससुरजी पास में ही लेटे हुए थे। तब मैंने किचन में जाकर बोतल में अपना दूध भर लिया और वापस हॉल में आकर ससुरजी को वो बोतल दे दी।
ससुरजी बोले,
"कितनी परेशानी हो रही होगी तुम्हे बहु।"
"कोई परेशानी नही होती मुझे। आप दूध पी लो जल्दी।"
मेरे पति और सास ने भी उनको धीरज दिया। फिर ससुरजी बोतल मुँह को लगाकर दूध पीने लगे। दूध पीने के बाद मैंने उनकी पूछा,
"आपको दूध पीने के बाद अच्छा तो लग रहा है ना?"
"हा बहु। "
ये सुनकर मेरी सास और पति खुश हो गए।

दूसरे दिन सुबह नाश्ता करने के बाद मैंने बोतल में दूध भर दिया और फिर बोतल हॉल में लेटे हुए ससुरजी को दे दी। मैं उनको बोतल देते वक्त हँस रही थी और ससुरजी का चेहरा लाल हो गया था। कुछ दिन मेरा दूध पीकर उनकी सेहत में काफी सुधार आ गया था।
कुछ दिनों के बाद हम सब को हमारे एक रिश्तेदार के घर जाना पड़ा। वो एक दूसरे गांव में रहते थे। एक ही दिन जाना था। उनके घर हम रात को पहुच गए और डिनर करने के बाद हम सब एक बड़े कमरे में सोने गए। तब मुझे याद आ गया कि ससुरजी की बोतल लानी ही भूल गयी थी। मैंने सोते वक्त सास को कह दिया,
"बोतल ही लाना भूल गयी। अब क्या करूँ?"
थोड़ी देर सोचने के बाद सास मुझे बोली,
"तू उनको ऐसेही करवा दे। एक ही रात की बात है।"
ससुरजी नही नही बोल रहे थे पर मेरे पति और सास ने उनको समझाया। कमरे की लाइट बंद करके सब सो गए। मैं ससुरजी के बगल में सो गई। फिर उनकी तरफ पलट गई और उनको कहा,
"चलो आओ आपको दूध पिलाती हूँ।"
"पर बहु... तुम्हे क्यों परेशानी ?"
"अब नादान मत बनो ससुरजी। इसमें क्या परेशानी की बात है ।"
मैंने उनको करीब लिया और अपने पल्लू के नीचे हाथ डालकर अपने ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर मैं ससुरजी का सर पल्लू से ढककर उनको किसी बच्चे की तरह स्तनपान करने लगी। थोड़ी देर बाद वो चुपचाप मेरा दूध पीने लगे। मैंने एक हाथ से मेरा स्तन उनके मुँह में ठीक से पकड़कर रखा था। सास को दिख नही रहा था तो उन्होंने मुझे पूछा,
"पी रहे है क्या वो?"
"हा माँ जी।"
"अच्छा है।"
"आप सो जाओ माँ जी । उनको बहुत समय लगेगा दूध पीने में। "
"ठीक है बहु।"
मैं ससुरजी को बहुत देर तक दूध पिला रही थी।
दूसरे दिन हम सब वापस घर आने के लिए ट्रेन में चढ़ गए। रात का वक्त था। हमारे डिब्बे में दो तीन महिलाएं भी थी। सास मुझे बोली ,
"बहु तू इनके पास सो जाओ और उनको सुला दो। "
"ठीक है माँ जी।"
वो दो महिलाएं भी हमारे सामने वाली बंक पर सोने लगी। सास और मेरे पती भी सो गए। मैं डिब्बे की लाइट डिम करके ससुरजी की बगल में सो गई। मैंने उनको बोला,
"चलो आओ ससुरजी आपको सुला देती हूँ।"
वो मेरी तरफ पलट गए और फिर मैं उनके पीठ पर हाथ फिरा फिरा के उनको सुलाने लगी। बहुत देर तक ट्रैन की हलचल से उनको नींद ही नही आ रही थी। मैंने उनको हँसते हुए कहा,
"दूध पिलादु आपको ससुरजी?"
वो बोले,
"पर किसी ने देख लिया तो ?"
"कोई नही देख रहा। आप खामखा परेशान हो रहे हो। चलो पी लो दूध।"
"ठीक है पिला दो फिर।"
"आराम से पी लेना। कोई जल्दी नही है ।"
मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर ससुरजी का सर ढकते हुए उनको स्तनपान करने लगी। वो बहुत धीरे धीरे मेरा दूध पीने लगे। मैं हलके से उनकी पीठ थपथपा रही थी। 10 मिनिट बाद वो दूध पीते पीते ही सो गए।
हम सब सुबह 10 बजे घर पहुच गए। शाम को मैंने ससुरजी को बोतल से दूध पीने दिया। रात के समय जब सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब मैंने अपनी सास से कहा,
"क्यू ना मैं ससुरजी को सोते वक्त दूध पिलादु? उनको अच्छी नींद आ जाएगी। "
सास खुश होकर बोली,
"अच्छा होगा अगर वो दूध पी ले। उनकी सेहत काफी सुधर जाएगी।"
"जी माँ जी। "
मेरे पती साइड में खटाई पर सो गए। सास भी एक कोने में सो गई और मुझे बोली,
"तुम इनको लेकर दूसरी तरफ सो जाओ। उनको दूध पीते वक्त डिस्टर्ब नही होना चाहिए। "
मैंने ससुरजी को हॉल में ही पर सास से दूरी रखकर सोने को कहा। फिर मैंने हॉल की लाइट डिम कर दी और उनके बगल में सो गई। मैंने उनको पास लिया और उनके पीठ पर हाथ थपथपाने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उनको कहा,
"दूदू पिला दु ना आपको?"
"हा बहु। "
"चलो आप जल्दी मान गए।"
"बहुत स्वादिष्ट होता है तुम्हारा दूध।"
ये सुनते ही मैंने तुरंत उनका सर पल्लू से ढक दिया और उनको अपना दूध पिलाने लगी।
teresting story little different but awosome yr
 
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