Part 4
मैं सुबह के सात बजे ससुरजी के साथ घर पहुच गयी थी। थोड़ी देर मैंने आराम कर लिया। फिर 11 बजे सास को खाना बनाने में मदद करने लगी। खाना बनकर ही हो रहा तब ससुरजी रसोईघर में आये और मुझे दूध पिलाने कहने लगे। सास ने मुझे बोला,
" मैं खाना बनाती हूँ। तुम जाकर इनको पिलाओ।"
मैं ससुरजी को लेकर हॉल में आ गयी और सोफे के आगे जमीन पर बैठ गयी। सासुरजी मेरी गोद मे लेट गए। मैंने घर आते ही नहा लिया था और पिंक साड़ी और सफेद ब्लाऊज पहना था। मैंने ब्लाऊज के बटन खोलने के लिए अपना पल्लू ऊपर कर दिया तो ससुरजी ने तुरंत मेरा एक मुम्मा ब्लाउज के ऊपर से ही मुँह में ले लिया और चुसने का प्रयास करने लगे।
"दे रही हूँ ना। इतनी भूख लगी है मेरे बच्चे ?"
"जल्दी पिलाओ ना । "
"बटन तो खोलने दो जरा। फिर जितना चाहे उतना दूदू पी लेना । "
उन्होंने ब्लाऊज से उनका मुँह हटा लिया। मैंने निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर ब्लाऊज एक साइड से ऊपर करते हुए मैं उनको अपना दूध पिलाने लगी। वो दूध पीते वक्त बहुत आवाज कर रहे थे। मुझे इसमें कोई परेशानी नही थी। थोड़ी देर बाद सास हॉल में आ कर सोफे पर बैठ गयी। अपने बूढ़े पति को स्तनपान करते देख वो खुश हो गयी।
"बहुत अच्छा। लगता है उनकी भूख बढ़ गयी है। "
"हा माँ जी। अब बहुत ज्यादा दूध पीते है। "
"उनके ज्यादा पीने से तुम्हारे दूध की मात्रा भी बढ़ जाएगी। "
"पर माँ जी। उनको कबतक पिलाना उचित रहेगा ?"
"जबतक उनकी इच्छा होती है तबतक पिलाती रहो बहु।"
"ठीक है माँ जी। "
मैंने सासुरजी को मेरा पूरा दूध पिला दिया।
दोपहर को हम तीनों हॉल में जमीन पर बिस्तर पर लेट रहे थे। गर्मी के कारण मैंने मैक्सी पहनी थी और ब्रा निकाल कर रखा था। मैं ससुरजी और सास के बीच सो गई । हम दोनों बाते करने लगें पर थोड़ी ही देर में ससुरजी ने मुझे अपनी तरफ पलट लिया। मैं उनको करीब लेकर पीठ पर हाथ थपथपाकर सुलाने लगी। फिर भी वो हलचल कर रहे थे। मुझे पता था उनको क्या चाहिये था। सास से बातें मारते हुए ही मैंने मैक्सी के बटन खोल दिये। फिर एक मुम्मा बाहर निकाल कर मैं उनको स्तनपान करने लगी। ससुरजी ने कुछ ही समय पहिले खाना खाया था। फिर भी अब ऐसे दूध पीने लगे कि जैसे 2 दिन के भूखे ही हो। मुझे थोड़ा दर्द भी हो रहा था। पर क्या करूँ अपने ससुरजी को अपना दूध पिलाने में कुछ और ही मजा आ रहा था। कुछ देर बाद सास खर्राटे मारने लगी पर मैं तो ससुरजी को बहुत देर तक पिला रही थी।
शाम को हम सब ने नाश्ता कर लिया पर जब हम हॉल में टीव्ही देखने गए तो पड़ोस की निशा जो लगभग मेरी ही उम्र की थी हमारे घर आ गयी। फिर हम उसके साथ टीव्ही देखने लगे। ससुरजी मेरे मुम्मो को घूर रहे थे। थोड़ी देर बाद मैंने ही उनको कहा,
"चलो ससुरजी, आपको दवाई देती हूँ।"
मैं उनको एक बाजू के कमरे में ले गयी। मुझे कमरे का दरवाजा बंद करते देख निशा हँसते हुए बोली,
"ऐसी कौनसी दवाई देती है जो कमरे का दरवाजा बंद करना पड़े ?"
सास ने जवाब दिया,
"डॉक्टर ने उन्हें दूध पिलाने कहा है। बहूँ उनको बोतल से पिलाती है। कोई देखकर हँसेगा इसलिए दरवाजा बंद करना पड़ता है।"
"बोतल से पीते है ? बहुत अजीब आदत है उनको। "
"अब क्या करे इस उम्र में ये बचकानी हरकत जो करते है । "
फिर वो दोनों टीव्ही देखने मे दंग हो गयी। मैंने निचे बैठकर ससुरजी को गोद मे सुला दिया। फिर उनको मैं स्तनपान करने लगी।
मेरे जेठ छुट्टिया बिताने आये थे। जेठानी उनके साथ नही आयी थी। उस रात मेरे पति खटाई पर सो गए। मैं सास और ससुर के बीच सो गई। ये देखकर वो अचंभित हो गए। पर सास ने उनको समझाया,
"बहु उनको सुला देती है। उनको अब आदत हो गयी इसकी।"
"बहुत अजीब है ये।"
जेठ भी एक दूसरी खटाई पर सो गए। मैंने लाइट डिम कर दी थी। ससुरजी उतावले हो गए थे इसलिए मैं उनकी तरफ पलट गई और तुरंत उनका सर पल्लू से ढकते हुए उन्हें अपना दूध पिलाने लगी।
सुबह जेठ जल्दी उठ गए थे। वो ब्रश करके सोफे पर बैठे हुए थे। थोड़ी देर बाद मैं उठकर थोड़ी देर बिस्तर पर ही बैठ गयी। मेरा ध्यान पल्लू पर गया तो मुझे समझ आ गया कि वो थोड़ा हट गया था और ब्लाऊज के कुछ बटन भी खुले हुए थे। जेठ मेरे स्तनों को ही घूरने लगे। मैंने शरमाते हुए बटन लगा लिए और पल्लू ठीक कर लिया और उनको लगा,
"माफ करना जेठ जी। "
"कोई बात नही। "
मैं काम करने किचन में चली गयी। सुबह मैं ससुरजी को पिला नही सकी क्योंकि जेठ घर पे ही थे। दोपहर को जेठ हॉल में सोफे पर बैठे थे। तब सास ने मुझे कहा,
"तुम इनको कमरे सुला दो बहु। "
"ठीक है माँ जी।"
जेठ जी हँसते हुए बोले,
"क्या पिताजी ? आप बच्चे हो क्या अभी जो आपकी बहु आपको सुला रही है?"
सास ने जेठ को डाट दिया,
"उनको ताने मत मारो।"
ससुरजी ने जेठ पर ध्यान नही दिया। मै उनको लेकर कमरे में चली गई और कमरे का दरवाजा लगा लिया । हम दोनों जमीन पर बिस्तर था उसपर लेट गए।
"दूदू पीना है ना बच्चे?"
"हा बहू।"
मैंने हँसते हुए अपने ब्लाऊज के कुछ बटन खोल दिये । फिर उनका सर पल्लू से ढकते हुए उनको मेरा दूध पिलाने लगी।
"सब दूदू पी जाना हा मेरे बच्चे।"
थोड़ी देर बाद वो दूध पीते पीते ही सो गए। मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं बिस्तर से उठ गई और अपना ब्लाऊज और पल्लू ठीक करते हुए ही मैने दरवाजा खोल दिया। पर दरवाजे के सामने ही सोफे पर जेठ बैठे थे। वो टीव्ही देख रहे थे पर दरवाजे की आवाज सुनकर उन्होंने मेरी तरफ देखा तो मैं अभी भी पल्लू ठीक कर रही थी। उनको बहुत ताज्जुब हुआ। वो मेरे मुम्मो को घूरने लगे। मैं उनके तरफ देखकर हँसने लगी और उनको पूछा,
"क्या देख रहे हो जेठ।"
वो शरमाते हुए बोले,
"कुछ नही नंदिता।"
"ठीक है।"
वो फिरसे टीव्ही देखने लगे।
रात को हम सब सोने की तैयारी कर रहे थे तब ना जाने क्यों जेठ मेरे स्तनो को निखार रहे थे। मैं उनकी तरफ देखकर मुस्कुराई । फिर मैंने लाइट बंद कर दी और ससुरजी की बगल में सो गयीं। थोड़ी ही देर बाद मैं उनको स्तनपान करने लगी। मुझे उनको पिलाते हुए कब नींद आ गई वो पता ही नही चला।
सुबह के 6 बजे मेरी नींद खुल गई । अभी थोड़ा अंधेरा था तो मैं बिस्तर पर ही बैठकर अपने ब्लाऊज के बटन लगाने लगी। कल रात ससुरजी ने बहुत दूध पी लिया था। मैं अपना पल्लू ठीक कर रही थी। तब अंधेरा बहुत था इसलिए सामने सोफे पर बैठे हुए जेठ को मैंने देखा ही नही। वो अचानक से बोल गए,
"क्या कर रही थी तुम नंदिता रात में? तुम्हारे ब्लाउज के बटन क्यों खुले थे ?"
मैं चौक गयी पर मैंने कुछ गलत नही किया था इसलिए उनको जवाब दे दिया,
"क्या कहु अब जेठ जी ? आपको बहुत गुस्सा आएगा ?"
"गुस्सा क्यों आएगा नंदिता?"
"ससुरजी को स्तनपान जो कर रही थी रात में ।"
"ये क्या बोल रही हो? इतने बड़े आदमी को कोई स्तनपान करता है क्या?"
"ससुरजी इतने बूढ़े हो चुके है कि अब वो बच्चों जैसी ही हरकत करते है। सासूमाँ और मेरे पति ने भी अनुमति दे दी है कि उनको जितना चाहे उतना पिलादो। "
"है भगवान । ये मैं क्या सुन रहा हूँ। "
"नादान मत बनो आप। आपको भी स्तन चुसना अच्छा लगता है ना?"
"अच्छा तो लगता है पर बिना दूध के चुसने में मजा ही क्या है ?"
"बहुत बेशरम हो आप जेठ जी। "
मैं उठकर काम करने चली गयी। बाद में मेरे पति काम पर चले गए। तब 8 बज चुके थे। बाकी सब ने रसोईघर में खाना खा लिया। ससुरजी ने सिर्फ चाय पी ली इसलिए उनको मैंने रसोईघर में ही अपनी गोद मे लिटा दिया। सामने बैठे हुए जेठ ये सब देख रहे थे। मैंने पल्लू के नीचे हाथ डालकर मेरे ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये। फिर जेठ के सामने ही मैं अपने ससुरजी का सर पल्लू से ढकते हुए उनको किसी बच्चे जैसा स्तनपान करने लगी। जेठ ये सब आँखे फाड़कर देखने लगे।
"कितना मजा आता होगा पिताजी को।"
"अब दूध पीने में कैसा मजा जेठ जी? "
"तो फिर मुझे भी ऐसे पिलाओ ना ।"
"आपको क्या हुआ है जो आपको स्तनपान करना है?"
"स्तनपान करने का भी कोई बहना चाहिए?"
"आप भी ना जेठ जी। "
फिर मेरा ध्यान ससुरजी को दूध पिलाने में लग गया।
मैं अब जेठ के सामने बिना किसी परेशानी से स्तनपान करती थी।
कुछ दिन बाद हम सब हॉल में टीव्ही देख रहे थे । मेरे पति, सास और ससुरजी सोफे पर बैठे थे । पर जेठ मेरे साथ जमीन पर बैठे थे। थोड़ी देर बाद जेठ मेरे पास खिसक गई और अचानक से मेरी गोद मे बच्चे की तरह लेट गए।
"क्या हुआ जेठ जी ?"
"स्तनपान करो ना मुझे। बहुत इच्छा हो रही है आज।"
मैं हँसते हुए बोली,
"पर आप तो बीमार नही है। फिर क्यों पिलादु आपको?"
"वो सब छोड़ दो। मुझे ऐसे ही पीना है।"
मेरे पति हँसते हुए बोले,
"बड़े भैया इतना चाहते है तो पिलाओ ना उनको।"
"ठीक है। पिलाती हूँ।"
मैंने ब्लाऊज के निचले कुछ बटन खोल दिये फिर जेठ का सर ढक दिया और उनको अपना दूध पिलाने लगी। जेठ जी जोर से चुसने लगे और उनके चुसने की आवाज सबको सुनाई दे रही थी। हम सब हँसने लगे। पर जेठ तो किसी बच्चे की तरह मेरा दूध पीने में दंग थे।