Am@n
Milf lover
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Pi
Update-5
दोपहर कविता घर पे गप्पे लडाने आ गई बोलते बोलते वो कह गई
कविता- दीदी बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं
सरला- कौनसी बात
कविता- दीदी शायद आप भैया से उमर मे बडी हो है ना
सरला ने नजर झुकाई
कविता- अरे देखो आप नाराज हो गई आपकी लव मैरेज है ना
सरला ने मजबूरी मे हां मे सीर हीलाया
कविता- अरे दीदी प्यार मे उमर थोडी देखी जाती है, आप दोनो का जोडा ना बहोत सुंदर है । पर बहोत दीनों से देख रही हूं
भाईसाब उदास-उदास
रहते है । कीसी गहरी सोच मे डुबे हुए लगते है । माफ कीजीएगा पर मुझे लगता है । शायद आप उनको खुष नही रख पाती
आप समझ गई ना मै
कौनसी खुषी की बात कर रही हूं ।
सरला गालो ही गालों मे हस पडी
कविता की नजर सरला की पहनी हुई चोली पर थी, कवीता ने सरला की चोली के ओर देखे बोला
कविता- क्या दीदी आप भी ना ये कौन से जमाने के ब्लाउज पहनती हो पुरे ढके-ढके । भला भैया आप पे लट्टू कैसे होंगे आज
कल खुले और बडे गले
के ब्लाउज पहनने का फैशन है । कल हम मेरे वाले टेलर के पास चलेंगे ।
सरला को तो ये सब सुन कर बडा बुरा लग रहा था, ये क्या दीन उस पे आन पडे है वो अपने बदन की नुमाईश अपने ही बेटे को
करने वाली थी ।
पर कविता और बस्ती के लोगों को शक ना हो इसीलीए अच्छा यही था की ईस नाटक को आगे बढाया जाए सरला ने भी नाटक
करने की सोच ली
कविता- दीदी आप भी ना, भाईसाब का नाम लेते ही नई दुल्हन की तरह शरमाती हो, ये शहर है आपका गाव नही ये शरमाना
छोडीये कुछ तो बोलो
दीदी कबसे मैं ही बकबक कीये जा रही हूं ।
सरला- कविता म म मेरे पती और मै , हम दोनो तुम्हे बराबर तो लगते है ना
कविता- बराबर मतलब
सरला- वो मुझसे १० साल उमर मे कम है ना
कविता- क्या दीदी आप कहा बडी लगती हो भाईसाब से, दोनो सुंदर जोडा लगते हो बिल्कूल एक-दुसरे के लिए बने हो आप दोनो
।
सरला- स...स सच मे
कविता- क्या दीदी आप भी कीतना डरती हो जैसे कोई पाप कर रही हो । अरे दीदी दोनो खुलके प्यार करो बाकी दुनिया गई तेल
लेने, पर हां रात मे
प्यार जरा धीरे से करो हां नही तो छोटू की निंद तुट जाएगी ।
और फीर कविता जोर-जोर से हसने लगी
सरला बेचारी मां बेटे के रीश्ते की धज्जीया उडते सह रही थी पर आखिर वो मां थी बेटे के लिए कुछ भी सहने को तैयार थी ।
सरला- कविता तेरे भाईसाब को पुराने लोगों की बडी याद सताती है और वो दुखी हो जाते है तू बता ना क्या करू
कविता- ईतनी सी बात, दीदी एसे वक्त बीवी ही पती का सहारा होती है । एक काम करो आप रोज उनका खयाल रखा करो काम
पे जाने पर उनकी
हर कुछ घंटो बाद फोन करके हालचाल पुछा करा, बाकी उन्हे कैसे खुष रखना है ये तो आपको अच्छी तरह पता होगा । मेरे पती
भी उनके बापू
गुजरने के बाद बडे सदमे मे रहते थे मैने ही उन्हे जल्द उससे बाहर निकाला ।
सरला बडी गौर से कविता की सलाह सुन रही थी ।
सुनिल अब धीरे-धीरे अपने बुरे अतित से बाहर आ रहा था पर जब कभी सरीता के यादों से जुडी कोई चीज देख लेता तो फीर
दुखी हो जाता था ।
इसलिए सरला ने सरीता की यादों से जुडी हर चिज को घर से दुर कर दीया ।
कुछ दीन गुजर गये सरला ने एक दीन कविता की साडी और खुले गले की चोली पहन ली शाम को सुनिल थका हारा घर लौटा
सरला ने दरवाजा
खोला सरला को देख कर सुनिल की आंखे फटी की फटी रह
Pic add kro story m maja double ho jayegaUpdate-5
दोपहर कविता घर पे गप्पे लडाने आ गई बोलते बोलते वो कह गई
कविता- दीदी बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं
सरला- कौनसी बात
कविता- दीदी शायद आप भैया से उमर मे बडी हो है ना
सरला ने नजर झुकाई
कविता- अरे देखो आप नाराज हो गई आपकी लव मैरेज है ना
सरला ने मजबूरी मे हां मे सीर हीलाया
कविता- अरे दीदी प्यार मे उमर थोडी देखी जाती है, आप दोनो का जोडा ना बहोत सुंदर है । पर बहोत दीनों से देख रही हूं
भाईसाब उदास-उदास
रहते है । कीसी गहरी सोच मे डुबे हुए लगते है । माफ कीजीएगा पर मुझे लगता है । शायद आप उनको खुष नही रख पाती
आप समझ गई ना मै
कौनसी खुषी की बात कर रही हूं ।
सरला गालो ही गालों मे हस पडी
कविता की नजर सरला की पहनी हुई चोली पर थी, कवीता ने सरला की चोली के ओर देखे बोला
कविता- क्या दीदी आप भी ना ये कौन से जमाने के ब्लाउज पहनती हो पुरे ढके-ढके । भला भैया आप पे लट्टू कैसे होंगे आज
कल खुले और बडे गले
के ब्लाउज पहनने का फैशन है । कल हम मेरे वाले टेलर के पास चलेंगे ।
सरला को तो ये सब सुन कर बडा बुरा लग रहा था, ये क्या दीन उस पे आन पडे है वो अपने बदन की नुमाईश अपने ही बेटे को
करने वाली थी ।
पर कविता और बस्ती के लोगों को शक ना हो इसीलीए अच्छा यही था की ईस नाटक को आगे बढाया जाए सरला ने भी नाटक
करने की सोच ली
कविता- दीदी आप भी ना, भाईसाब का नाम लेते ही नई दुल्हन की तरह शरमाती हो, ये शहर है आपका गाव नही ये शरमाना
छोडीये कुछ तो बोलो
दीदी कबसे मैं ही बकबक कीये जा रही हूं ।
सरला- कविता म म मेरे पती और मै , हम दोनो तुम्हे बराबर तो लगते है ना
कविता- बराबर मतलब
सरला- वो मुझसे १० साल उमर मे कम है ना
कविता- क्या दीदी आप कहा बडी लगती हो भाईसाब से, दोनो सुंदर जोडा लगते हो बिल्कूल एक-दुसरे के लिए बने हो आप दोनो
।
सरला- स...स सच मे
कविता- क्या दीदी आप भी कीतना डरती हो जैसे कोई पाप कर रही हो । अरे दीदी दोनो खुलके प्यार करो बाकी दुनिया गई तेल
लेने, पर हां रात मे
प्यार जरा धीरे से करो हां नही तो छोटू की निंद तुट जाएगी ।
और फीर कविता जोर-जोर से हसने लगी
सरला बेचारी मां बेटे के रीश्ते की धज्जीया उडते सह रही थी पर आखिर वो मां थी बेटे के लिए कुछ भी सहने को तैयार थी ।
सरला- कविता तेरे भाईसाब को पुराने लोगों की बडी याद सताती है और वो दुखी हो जाते है तू बता ना क्या करू
कविता- ईतनी सी बात, दीदी एसे वक्त बीवी ही पती का सहारा होती है । एक काम करो आप रोज उनका खयाल रखा करो काम
पे जाने पर उनकी
हर कुछ घंटो बाद फोन करके हालचाल पुछा करा, बाकी उन्हे कैसे खुष रखना है ये तो आपको अच्छी तरह पता होगा । मेरे पती
भी उनके बापू
गुजरने के बाद बडे सदमे मे रहते थे मैने ही उन्हे जल्द उससे बाहर निकाला ।
सरला बडी गौर से कविता की सलाह सुन रही थी ।
सुनिल अब धीरे-धीरे अपने बुरे अतित से बाहर आ रहा था पर जब कभी सरीता के यादों से जुडी कोई चीज देख लेता तो फीर
दुखी हो जाता था ।
इसलिए सरला ने सरीता की यादों से जुडी हर चिज को घर से दुर कर दीया ।
कुछ दीन गुजर गये सरला ने एक दीन कविता की साडी और खुले गले की चोली पहन ली शाम को सुनिल थका हारा घर लौटा
सरला ने दरवाजा
खोला सरला को देख कर सुनिल की आंखे फटी की फटी रह गई ।