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Romance निर्मोही

Boobsingh

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Bhai mujhe to samjh araha hai but ho sakta hai hamre ka readers ko na aye isliye beech me use kar lena
हा भाई इसलिए हिंदी ही रखे है पर बात चीत में भोजपुरी आयेगी ही आयेगी....😅
 

Abhi32

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चंदा का बाप रोज सवेरे अपना ठेला ले कर निकलता और कई जगहों से काम उठता जिसमे ज्यादातर किराने का सामान होता था जिसको वो एक थोक दुकानदार से खुदरा दुकानदार तक पहुंचाता और कभी कभी वो बालू गिट्टी या सीमेंट भी ढोता था....कुल मिला कर चंदा के बाबा का मूलतः काम था ठेले से माल ढुलाई का...
और दिन भर की कमर तोड़ कमाई का एक बड़ा हिस्सा वो जा के देशी शराब के ठेके पे बहा आता सिर्फ और सिर्फ सुकून भरी नींद के लिए क्युकी पहले बीवी के जाने का दुख था और उसके बाद गोपी के मूंह मोड़ लेने से उसके जीवन का खालीपन अब उसके गले की फांस बन गया था....इसलिए वो शराब पे अब ज्यादा निर्भर रहने लगा था और देशी शराब का तो आप सब को पता है जितना गहरा उसका नशा होता है उससे कही ज्यादा घातक उसका नुकसान होता है जो धीरे धीरे उसको मौत की तरफ धकेल रहा था.....पर चंदा का चेहरा उसको एक अदृश्य डोर से बांधे हुआ था जिस कारण वो बूढ़ा आदमी चाह कर भी मौत की आगोश में नही जा सकता था क्युकी इन सब से ऊपर जो वहा आसमान में बैठा है उसके हाथ में सब का लेखा जोखा तय रहता है....✨

..
...

चंदा का बाबा जिस ठेके पे शराब पीने जाता था वहा पे कई और लोग शराब पीते थे जिसमे से एक था नौरंगी सिंह उर्फ नारंगी चाचा....
ठेके पे बैठे तमाम लोगों में से ये एक ऐसा शख्स था जो चंदा के बापू से दोस्ती का रिश्ता रखता था....
हालांकि नारंगी चाचा की हालत भी लगभग लगभग चंदा के बापू जैसी ही थी....ना घर परिवार का साथ और न ही आगे पीछे किसी की जिम्मेदारी...अपने वैवाहिक जीवन के शुरू शुरू के समय में नारंगी का पूरा भरा पूरा परिवार था पत्नी एक बेटा और एक मां....
बाप से विरासत में मिले पैसों को व्यापार में लगाने के बजाय इसने राजनीति का रास्ता अख्तियार किया पर राजनीति हर किसी के किस्मत में हो ये कोई मामूली बात तो है नही....
लगातार कई सालो तक जनता के लिए काम करने के बावजूद ये गांव के मुखिया के चुनाव में कभी नही जीता अब इसमें बहुत से कारण हो सकते है पर असलियत यही थी की अपना सब कुछ दाव पे लगा कर नारंगी को हर बार हार का ही सामना करना पड़ा.....
परिवार वालो के लाख समझाने के बावजूद नारंगी अपने धुन में मस्त रहा और उसी मस्ती में धीरे धीरे अपने परिवार से दूर होता चला गया....ले दे कर अब उसके पास ना तो धन बचा था और ना ही ताकत जिससे वो अपना लुटाया हुआ धन वापिस से अर्ज कर सके.....नतीजा साफ था जीवन का अंतिम समय फटेहाली में गुजरने लगा ये तो गांव के कुछ पुराने लोग जो उसको उसके समय से जानते थे वो उसकी मदद कर दिया करते थे पर कब तक....

..
....

थोड़ा फ्लैशबैक में चलते है...💫


नौरंगी का एक बड़ा भाई था सरयुग प्रसाद जो गोरखपुर में रहता था और ये वहा के एक समृद्ध कारोबारी था कपड़ो का.......इनके परिवार में इनकी पत्नी और एक बेटा था प्रमोद......एकलैता बेटा होने के कारण हर समय सर पे चढ़ाए रखा जो आगे चल कर उनके लिए जी का जंजाल बन गया...
ये प्रमोद साला एक नंबर का जुआरी, शराबी और रंडीबाज किस्म का व्यक्ति था....ना बात करने का लहजा ना बड़े छोटो का फर्क उसको मालूम था....जुबान पे गाली हर वक्त रहती थी....
सरयुग जी ने जो कुछ भी अर्ज कर रखा था उसका रसूख जितना वो खुद नही रखते थे उतना प्रमोद रखता था....
आए दिन जुए के अड्डे से गिरफ्तार होना तो उसके लिए आम बात थी और अपने मुहल्ले में लफड़ा करना उसके हर दूसरे दिन की रूटीन में शामिल था....
इसलिए तंग आ कर उन्होंने गोरखपुर के ही एक जाने माने महाजन जो की सरयुग जी के मित्र थे उनकी बेटी से इसका विवाह करवा दिया जिसका नाम था रेणु....

कुछ दिन तो सब कुछ सही रहा और सरयुग जी को लगा की बेटा अब रास्ते पे आ गया है पर प्रमोद अपने कमीनेपन से ज्यादा दिन दूर नही रह पाया....शादी के दो साल में ही उसको रेणु से दो बेटे पैदा हुए एक प्रेम और दूसरा प्रवीण....समय अपनी रफ्तार से चलता रहा और धीरे धीरे प्रमोद का असली चेहरा रेणु के सामने आने लगा.....
रोज रात को शराब के नशे में आना और बेफिजूल की बातो पे रेणु से झगड़ा करना उसकी रोज की आदत बन चुकी थी.....
धीरे धीरे रेणु और प्रमोद के बीच लगाव खतम होने लग गया अब हालात यहां तक आ पहुंचे की प्रमोद फिर से रंडीबाजी और जुए में उतरने लगा....
नतीजा ये हुआ की शराब के नशे में जो अनबन केवल बहसबाजी तक थी अब वो मारपीट में बदल गई....
रेणु बेचारी प्रमोद के हाथो कई बार बुरी तरह पिट जाती और बीच बचाव करते थे सरयुग जी और उनकी पत्नी....प्रेम और प्रवीण भी कई बार प्रमोद के गुस्से के लपेटे में आ जाते थे....

एक रात यूंहि प्रमोद और रेणु में मार पीट हो रही थी और गुस्से में प्रमोद ने रेणु के सीने पे इतने जोर से मारा की उसके प्राण पखेड़ू उड़ गए....
प्रमोद ने जब रेणु को देखा की वो मुंह के बल जो गिरी सो गिरी ही रह गई तो उसके होश फाख्ता हो गए.....उसने उसे उठा कर होश में लाने की बहुत कोशिश की पर अब कुछ नही हो सकता था रेणु की मौत हो चुकी थी और प्रमोद ने अपने बचने का कोई रास्ता ना देख वहा से फरार हो गया....
सरयुग जी की हस्ती खेलती दुनिया पल भर में बरबाद हो गई....
रेणु के बाप ने अपने हत्यारे दामाद पर हत्या का केस दर्ज करा दिया और मामला बुरी तरह फस गया...
इधर पुलिस ने सरयुग जी को हत्यारे के बाप के रूप में हर तरह से प्रताड़ित किया की वो प्रमोद का ठिकाना बता दे पर उन्हें तो खुद कुछ मालूम नही था तो वो पुलिस को कुछ कहा से बताते....उनकी बनी बनाई इज्जत मिट्टी में मिल रही थी पर वो अभी लाचार थे....
व्यापार का नुकसान तो हो ही रहा था पर पुलिस और थाने के चक्कर काट काट के सरयुग जी मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार हो चले थे....

इधर प्रमोद जिसको नशे से दूर रहने की आदत नही थी वो आखिर कब तक खुद को रोकता इसलिए रेणु की हत्या के डेढ़ महीने बाद उसने कोर्ट में सरेंडर कर दिया...
मुकदमा चला और उसे दस साल की सजा हो गई......बेटे की ऐसी दुर्गति देख कर प्रमोद की मां सदमा सहन नही कर पाई और वो परलोक सिधार गई....सरयुग जी पे अब दुखो का पहाड़ टूट पड़ा था पर जब नौरंगी को ये सब के बारे में पता चला तो वो सरयुग के साथ हो लिया और उसने अपने भाई को इस दुख की घड़ी में एक मजबूत सहारे के रूप में साथ दिया ताकि वो अपने बिखर चुके संसार को वापिस से पटरी पर ला सके......नारंगी चाचा का परिवार अभी नया नया छूटा था कई बार मान मनौवाल के बावजूद उनकी पत्नी उनके साथ वापिस नही आई थी.......

इसलिए वो अपनी भाभी के जाने के बाद अपने बड़े भाई के साथ ही रहे कुछ दिन और इसी बीच रेणु के पिता ने उनके दोनो नातियो के कानूनी हक के लिए न्यायालय में याचिका दायर कर दी....अभी तक प्रमोद की मां इन दोनो को संभालती आ रही थी पर अब तो इनको देखने वाला कोई नहीं था और सरयुग जी किधर किधर दौड़ लगाते....
व्यापार की तरफ, बेटे की रिहाई की तरफ की अपने दोनो पोतो को संभालने के तरफ.....
खैर पोतो के लिए सरयुग जी ने भी अपना पक्ष न्यायालय में जज के सामने रखा और न्यायालय ने प्रवीण को रेणु के पिता के पास और प्रेम को सरयुग जी के साथ रहने का फैसला सुना दिया....
प्रेम अब अपने दादा के साथ उनके घर में रह रहा था उसकी उम्र अभी सात साल थी....
अपने दादा के साथ रहते रहते उसने अपनी छूट चुकी पढ़ाई दुबारा से शुरू की और इधर सरयुग जी से अब उनके लगभग लगभग डूब चुके व्यापार को दुबारा खड़ा पाना बहुत ही मुश्किल था पर फिर भी नारंगी के साथ मिल कर जो बचा था उसी को सही से चलाने लगे पर जो ठाट बाट पहले हुआ करती थी अब वो नाम मात्र रह गया था......

दूसरी तरफ प्रमोद अपनी सजा काट रहा था पर जब भी सरयुग जी उससे मिलने जेल आते वो उनको उसकी जमानत करवाने को कहता और सरयुग जी इस काम में लगे भी हुए थे पर हत्या के केस में जमानत मिलना इतना आसान तो था नहीं.....
अपने किए पर प्रमोद को जरा भी पछतावा नहीं था बल्कि उस नीच को ये लगता था की उसके किए की सजा के रूप में उसको ये जेल की कोठरी मिल गई बस उसका पाप धुल गया पर अभी उसको अपने अंजाम का अंदाजा नहीं था की उसके साथ आगे चल कर क्या क्या होने वाला है.....
खैर सजा होने के पांच साल बाद सरयुग जी और नारंगी चाचा के अथक प्रयासों और एक मोटी रकम घुस में देने के बाद प्रमोद को जमानत मिल गई और वो बाहर आ गया.....
बाहर आने के बाद से प्रमोद सही से रहने लगा जेल में काटे हुए पांच साल के लंबे समय के कारण उसकी आदत कुछ हद तक सुधर गई थी पर देखना ये है की कब तक वो इस आचरण को निभा पाता है.....

प्रमोद बाहर आने के बाद से अपने बाप के व्यापार में पूरी तरह लीन हो गया और अपने बाप और चाचा की छत्रछाया में धीरे धीरे उसने फिर से सब कुछ पहले के जैसे वापिस से कमा लिया और जीवन को सही से बिताने लगा पर पैसों की चमक धमक उसपे पड़ते ही वो फिर से उसी तरफ रुख करने लगा जहा से वो एक बार बरबाद हो कर लौटा था....

इधर सरयुग जी की उमर हो चली थी सो एक रात जो वो सोए फिर सदा के लिए सो गए......सरयुग जी की मृत्यु के बाद प्रमोद फिर से अपने असली रंग में रंग गया और फिर से वही सब शुरू कर दिया.....
नौरंगी ने चाचा होने के नाते प्रमोद को बहुत हद तक संभाला पर ये साला संभाले ना संभले और प्रमोद दुबारा से शराब और जुए में डब गया और खुद की मेहनत से संजोए हुए कारोबार और अर्ज किए हुए धन समृद्धि की माँ चोद दिया और कुछ ही समय मे उसका बाल बाल कर्जे मे डूब गया.....
नतीजतन अपने बाप और खुद का सारा अर्ज किया हुआ धन घर जमीन सब गंवा दिया....
नौरंगी ना चाहते हुए भी अपने भाई की आखिरी निशानी उसके बेटे यानी की प्रमोद से मुंह नही फेर पाया और जो कुछ भी नौरंगी ने अपने भाई के साथ रहते हुए कमाया था उसमे से थोड़े पैसे निकाल कर प्रमोद के लिए गोरखपुर में ही एक नाश्ते की दुकान चालू करवा दी और इस बार उसने प्रमोद को साफ साफ शब्दों में धमकी दी की अगर तूने इस बार भी शराब या जुए की तरफ आंख उठा कर देखा तो वो भूल जायेगा की तू उनका भतीजा है.....
हर महीने के अंत में हिसाब लेने आया करूंगा इसलिए गड़बड़ी करने की सोचना भी मत और प्रेम का भी खयाल उसे ही रखना है.....

नौरंगी प्रमोद को छोड़ कर बेगूसराय इसलिए चला आया ताकि वो यहां अपने घर को भी देख सके क्युकी भाई के चक्कर ने काफी दिनों से उसने अपने घर की सुध नहीं ली थी और प्रमोद को भी अपनी जिम्मेदारियों का बोझ खुद ही उठाना होगा जो गलती उसके बड़े भाई ने की थी प्रमोद को सर पे चढ़ा कर उसको सही करने का जिम्मा अब नौरंगी के कंधो पे था.....
इसलिए वो हर महीने के अंत में प्रमोद के पास पहुंच जाता और महीने भर का हिसाब लेने के बाद थोड़े पैसे अपने पास रख कर बाकी प्रमोद के हवाले कर देता और अब प्रमोद भी अपने बेटे के साथ सही से रह रहा था.....शहर के दूसरी तरफ एक कमरा किराए पे ले रखा था जिसमे वो प्रेम के साथ रहता था.....

..
....

अब आज के वर्तमान समय में....

नौरंगी और दयानंद यानि की चंदा के बाबा साथ में शराब पीते थे और नौरंगी दयानंद की हालात भी बखूबी जानता था और उसे ये भी पता था की दयानंद को उसकी बेटी चंदा के लिए एक लड़के की तलाश है....
प्रमोद और प्रेम को भी किसी संभालने वाले की जरूरत थी और प्रेम बड़ा तो हो ही गया था पर वो पढ़ाई के साथ साथ अपने घर का हर काम करता था खाना पकाने से ले कर झाड़ू बर्तन सब कुछ और फिर अपने बाप का भी हाथ बटाटा था दुकान पर....
लेकिन प्रेम ने कभी भी इस बात को ले कर ना प्रमोद को टोका था नाही नौरंगी को....
और प्रमोद को तो वैसे भी इन बातो से फर्क नही पड़ता था....पर नौरंगी को पड़ता था और इसी कशमकश में भगवान ने एक अजीब खेल रच दिया था जिसमे नौरंगी ने चंदा का हाथ प्रमोद के लिए दयानंद से मांगने का सोचा था.....
Nice update bro maja aa gaya .Story ka bulidup achha ban raha hai
 

Boobsingh

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Nice update bro maja aa gaya .Story ka bulidup achha ban raha hai
Thanks bro👍🏻
 

Boobsingh

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Yah.. Preface like 70's bollywood movie.
Good start bro 👍👍.
🤣🤣 कुछ ज्यादा ही पुराना नही हो गया
 
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अगर चन्दा की शादी प्रमोद से होगी तो फिर वो निर्मोही नही बनेगी तो और क्या बनेगी !
अभावग्रस्त जिंदगी , मां की असमय मौत , बड़े भाई की बेरूखी , मजदूर बूढ़े बाप के कमजोर कंधे और कुंवारी चन्दा की बढ़ती उम्र उसे निर्मोही बनाए या न बनाए लेकिन प्रमोद जैसे इंसान के साथ उसकी शादी उसे अवश्य ही निर्मोही बना देगी ।

अरेंज मैरेज मे शादियाँ काफी देख समझ कर की जाती है। एक मामूली ऐब की वजह से रिश्ते बन नही पाते। जबकि प्रमोद महाशय जी तो ऐब की दुकान बने हुए है।
शराबी है , जुआरी है , रंडीबाज है , औरतों पर जुल्म करते है , हत्यारे है और सजायाफ्ता भी है। इतने सारे अवगुण होने के बाद भी अगर नारंगी चाचा अपने दोस्त से उनकी बेटी का हाथ मांगते है तो इसका सिर्फ एक ही अर्थ निकलता है कि वो दोस्त नही बल्कि कट्टर दुश्मन है।
इससे बेहतर है लड़की आजीवन कुंवारी बने रहे। बहुत सारी लड़कियाँ ऐसी है जो अविवाहित होने के बावजूद भी बहुत सुखी है।

खैर , देखते है चन्दा के तकदीर मे प्रभु ने क्या लिख रखा है ! बहुत ही खूबसूरत अपडेट भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।
 

Boobsingh

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अगर चन्दा की शादी प्रमोद से होगी तो फिर वो निर्मोही नही बनेगी तो और क्या बनेगी !
अभावग्रस्त जिंदगी , मां की असमय मौत , बड़े भाई की बेरूखी , मजदूर बूढ़े बाप के कमजोर कंधे और कुंवारी चन्दा की बढ़ती उम्र उसे निर्मोही बनाए या न बनाए लेकिन प्रमोद जैसे इंसान के साथ उसकी शादी उसे अवश्य ही निर्मोही बना देगी ।

अरेंज मैरेज मे शादियाँ काफी देख समझ कर की जाती है। एक मामूली ऐब की वजह से रिश्ते बन नही पाते। जबकि प्रमोद महाशय जी तो ऐब की दुकान बने हुए है।
शराबी है , जुआरी है , रंडीबाज है , औरतों पर जुल्म करते है , हत्यारे है और सजायाफ्ता भी है। इतने सारे अवगुण होने के बाद भी अगर नारंगी चाचा अपने दोस्त से उनकी बेटी का हाथ मांगते है तो इसका सिर्फ एक ही अर्थ निकलता है कि वो दोस्त नही बल्कि कट्टर दुश्मन है।
इससे बेहतर है लड़की आजीवन कुंवारी बने रहे। बहुत सारी लड़कियाँ ऐसी है जो अविवाहित होने के बावजूद भी बहुत सुखी है।

खैर , देखते है चन्दा के तकदीर मे प्रभु ने क्या लिख रखा है ! बहुत ही खूबसूरत अपडेट भाई।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट।

धन्यवाद भाई जी आपका....🙏🏻❣️
 
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Boobsingh

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कुछ जरूरी काम से अपने शहर से बाहर आना पड़ा इसलिए मौका नहीं लगा लिखने का गुरुवार तड़के सुबह से ही बाहर हु...आज मौका हाथ लगा है तो ऑनलाइन आया....
हु तो अभी भी बाहर ही अपने आशियाने पहुंचूंगा परसो सुबह....फिर रेगुलर जैसे देता हु अपडेट वैसे दूंगा फिलहाल आज शाम तक आशा है की एक अपडेट आएगा....
बाकी प्रभु की माया जैसे वो घुमाएंगे हमे घूमना पड़ेगा🙏🏻😅
 

Boobsingh

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नौरंगी ने प्रमोद की शादी के बारे में सोच तो लिया था पर दयानंद इसके लिए मानेगा या नही ये उसको भी नही पता था खासकर बात जब प्रमोद जैसे विधुर के शादी की बात थी.....
उसने चंदा को देखा था और उसको देखने के बाद ये जानता था की अगर चंदा प्रमोद के घर में आ जाएगी तो उसके बिखरे हुए घर को जरूर बसा देगी पर दयानंद से बात करना ही अभी उसके लिए टेढ़ी खीर थी पर आज वो उससे बात जरूर करेगा चाहे कैसे भी हो और यही सोचते हुए वो पहुंच गया ठेके पे....
अभी दयानंद आया नही था....पर नौरंगी को तो पता था की आज वो आएगा देर सवेर जब भी आए पर आएगा.....
लेकिन आज दयानंद नही आया क्युकी उसकी तबियत बिगड़ी हुई थी....और अभी चंदा उसकी देखभाल में लगी थी और थोड़े बहुत जो पैसे उसने अपने पास बचा कर रखे थे उसी से उसकी दवाई और बाकी चीजे ला रही थी....

इधर नौरंगी को दयानंद का इंतजार करते हुए तीन दिन होने को आए थे इसलिए आज वो उसके घर के तरफ हो लिया....
दयानंद के घर पहुंचने पे उसे पता चला कि दयानंद बीमार है और वो काम पे भी नही जा रहा है....
फिर चंदा ने उन दोनो के लिए चाय बनाई और फिर घर के बाहर जा कर चबूतरे पर बैठ गई जहां पहले से गली की कुछ औरते और बच्चियां बैठी हुई थी.....
इधर नौरंगी ने मौके की नजाकत का फायदा उठाते हुए दयानंद को बोला....

नौरंगी - यार दया ए गो बात बालू....चंदा बेटा के बियाह के बारे में का सोचले है....कोई लइका हऊ दिमाग में...ऐसे कब तक ला चंदा के घरे बैठयिले रहबे....
दयानंद - का बताऊ भाई केतना जगह तो रिश्ता जोड़े के कोशिश कयिली बाकी कोई बाते ना बनलक..... कहू दहेज मोटा मांगे त कही लड़की के उमर जादे बता के बात काट देवे....बाकी देखा बाबा हमर चंदा ला कुच्छो ना कुच्छो जरूर सोचले होथन....
नौरंगी - ए गो हमर भतीजा हऊ अगर तू बोल्बे त बात करबू ओकरा से....
दयानंद खुश होते हुए - हा भाई अरे बोलना का है ओकरा में तू बात कर...
नौरंगी - अरे पहले बात जान ले हमर भतीजा है त हम जानते ही ना...पहले बात सुन....और उसने फिर प्रमोद के बारे में एक एक बात बिना कुछ छुपाए दयानंद को बता दी.....

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सब कुछ सुनने के बाद दयानंद तीखे स्वर में बोला अरे तू हमर दोस्त है की दुश्मन रे कोन बात के दुश्मनी ऐसे निकाले ला सोचले हमर काज कुंवार बेटी ला ऐइसन लड़का....तू सोचले भी कैसे की हम मान जाम आऊ हमर छोड़ चंदा के बारे में ना सोचले जरीको....अपन भतीजा के बोल अब जिंदगी भर ऐसही रहे ला....

नौरंगी ने मामला बिगड़ता देख बोला...अरे सुन हम सब जानते समझते ही बाकी तू ई भी तो देख की तोरा पीछे चंदवा के देखे वाला कोन है कोई हऊ गोपिया तो आवे से रहलऊ आऊ तोहर जो सेहत हऊ ओकरा हिसाब से के दिन तू ओकरा देख पईबे....
प्रमोदवा पहिले जो हलई सो हलई बाकी अब ऊ बदल गेलउ है दुकान करवईला के बाद से कमावे लगलई है आऊ प्रेम के भी देखा हई ऊ हो बच्चा भी अपन पढ़ाई के संगे संगे घरों के सब काम करा हई....
बाकी औरत के बात दुसर ना रहा हई भाई...आऊ अपन चंदा ओकर बिखरल घर के बसा देतई फिर से हा हम ई माना ही की उमर ढेर है बाकी चंदा बेटा के कोनो बात के दुख तकलीफ न होतऊ ई हमर वादा....
अरे जैसे तू अभी ओकर बाप है हीया ओज्जा हम ओकर बाप बन के रहम....
बात के समझ तनी....

दयानंद - हमरा कुच्छों समझे के जरूरत ना हे तू भूल जो ई सब बात के.... मर जाम त घर हई ना कही केकरों दुसर के दुहारी ना ना जाए ला हई माथा छुपाए ला....बाप के बनावल घर हई आऊ झाड़ू पोछा कर के पेट भर लेतई ऊ समझले....बाकी ऐईसन लईका से बियाह ना करवाम....
नौरंगी - थोड़ा सा बात समझ लेबे त अपन चंदा के भी हाथ पियर हो जैतऊ....बाकी उमर तो ओकरो बढ़िए रहलऊ है...हमर बात पे जरा गौर करिहे आऊ जल्दी से ठीक हो जो....चल अब चला हु..
और ये बोल के नौरंगी वहा से चल दिया....उसके जाने के बाद दयानंद ने उसकी बात पे जरा भी ध्यान देना सही नही समझा.....
पर नौरंगी की एक बात उसके मन में लग गई थी वो ये की आखिर उसके जाने के बाद चंदा को कौन देखेगा और वैसे भी आज के समय में लोग अकेली लड़की या औरत को खुली तिजोरी के समान समझते है जिसको खुद तो लुटते ही है दूसरो से भी लुटवाते है.....
और इधर चंदा ने भी उनदोनो के बीच की सारी बाते सुन ली थी और वो बहुत बड़े असमंजस में पड़ गई थी क्युकी एक तरफ उसके बाबा की गिरती हुई हालत थी और दूसरी तरफ उसे अच्छे से पता था की उसका बाबा उसकी शादी के लिए कितना चिंतित है.....
अभी वो इसी उधेड़बुन में थी की दयानंद ने उसे आवाज लगाई....और वो चबूतरे से उठ कर अंदर जाते हुए ये सोची की सब भोले बाबा पे छोड़ती हु उन्होंने जो सोचा होगा अच्छा ही सोचा होगा....

चंदा - का हुआ बाबा नौरंगी चाचा से काहे ला इतना बहस कर रहे थे....
दयानंद - अरे साला पगला है हरामी कुछ से कुछ अल बल बक रहा था तो हम भी सुना देली बढ़िया से.... ई सब छोड़ तू बतो मीट बनईबे ला दू काहे से की बुखार में पूरा मुंह फिक्का हो गेलक है....
चंदा - बाबा तू हमर शादी ला काहे इतना चिंता करा ह ऊ जो ऊपरे बैठल हथन ना ऊ हमरा साथे कुच्छो गलत न होवे दिहन....आऊ मीट कल बना देम आज भर कुच्छो हल्के खा ला ना त फिर तबियत बिगड़े के डर रही....
दयानंद - देख भोले बाबा सब अच्छा करिहें तू ई सब बात के टेंशन ना ले पर बेटा तू ही बतों हम तोहर शादी वैसन आदमी से कईसे कर दी जे साला मर्डर कइले बा...
चंदा - बाबा मर्डर कइले रहे चाहे डकैती बाकी ओकर ई मतलब ना ना ह की ऊ इंसान बदली ना....पर जाए दा तू आराम से लेटा हम जा तानी खाना बनावे....

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थोड़े दिन बाद दयानंद ठीक हो कर वापिस काम पर जाने लगता है और अभी उसने ठेके पे ना ही जाने का सोचा था क्युकी वहा नौरंगी से उसका सामना होता और फिर वो वही सब बाते दोहराता जो वो करना नही चाहता था.....पर दारू के नशे से वो ज्यादा दिन दूर नही रह पाया.....क्युकी दिन भर काम करने के बाद भी उसे दारू का नशा किए बगैर नींद ही नहीं आती थी इसलिए आज वो पहुंच गया ठेके पे....
वहा नौरंगी अभी तक नही आया था इसलिए उसने सोचा की बढ़िया है साला से सामना नहीं हुआ जल्दी से एक दो ग्लास गटक लेता हु और निकलता हु घर की तरफ पर अभी उसने एक ग्लास ही पिया था की नौरंगी उसके बेंच पे आ कर बैठा और बोला का दया तू तो हमरा से एकदम मुहे फेर लेले...अब दोस्त ना माने है का....
दयानंद - दोस्त....दोस्त के मतलब समझे है तू आय.....अपन बेटी रहतऊ हल त करवईते हल एईसन से बियाह....साला अइले है दोस्ती निभावे....
नौरंगी - अरे तू बात समझिए ना रहले है त का बोलूं हम...हमर बेटी रहतक हल त हम ओकर बियाह केकरा से करवईते हिला ई देखती हल बाकी साथे साथे ई भी देखती हल की हम कोन स्तिथि में ही हमरा मरला के बाद ओकरा देखे वाला कोई रही की ना....
अरे जब हम ही न रहम त बेटी कोन हाल में है देख के आ ना देख के का कर लेम.....अगर ऊ कोई दिक्कत में भी रही त कुछ न कर पईबे ई से अच्छा है की जो हमर आंख के सामने कन्यादान कर देम ऊ ना बढ़िया रही आऊ हम तोरा ऊ दिन भी बोलले हलू की हम रहम ओकर बाप बन के..... चचा ससुर बाद में पहिले ओकर बाप ही हम....
आऊ के जगह तू कोशिश कईले बाकी अब बात त बनते ना हउ आऊ हमर प्रमोदवा आऊ चंदा बेटा में जादे ना बारह साल के फरक हऊ पर कभी कभी लड़का के घर परिवार कमाई भी देख के बियाह करल जा हई आऊ हम हीलूक ना रे तू काहे टेंशन ले है....

दयानंद - तू पगला गेले है आऊ कोई बात न हऊ....साला हरामी
और वो उठ कर जाने लगता है तो नौरंगी वापिस से उसको रोकता है और कहता है की प्रमोदवा से तू एक बार मिल ले हम ओकरा बुलइले हु ई हफ्ता में....
दयानंद - तोहर लक्षण खराब लगते हऊ बेटा देख हमरा ई सब बेफालतू के काम में मत फसाव हमरा केकरो से ना मिले ला है समझले न....भूलो के हमर घरे मत ले के अइहे ओकरा बता देते हिलूक....

और वो वहां से गुस्से में निकल जाता है जबकि नौरंगी वही खड़ा रह गया.....इधर जब उसने प्रमोद को चंदा से शादी के लिए बोला तो वो तुरंत मान गया क्युकी जब से नौरंगी ने उससे पाई पाई का हिसाब लेने लगा था तब से प्रमोद के लिए पैसे की हेरा फेरी करना बहुत मुश्किल हो गया था और इसी वजह से उसे ना चूत के दर्शन हुए थे और नाही शराब के और जुआ तो दूर की बात थी उसके लिए.....
हा अपनी दुकान के कुछ ग्राहकों के साथ दोपहर में कभी कभी वो गांजे का नशा कर लेता था पर शराब तो बहुत दूर की बात थी क्युकी नौरंगी कब आ धमकेगा उसके दुकान या घर पे ये उसे भी नही पता होता था और वो जानता था की नौरंगी ने अगर उसे नशे में पकड़ लिया तो फिर उसकी दुर्गति होनी तय है....इसलिए अब वो जो भी करता था थोड़े होशो हवास में करता था.....पर चंदा से शादी की बात सुनते ही उसने बिना कुछ सोचे समझे हा कर दिया था लेकिन प्रेम इसके खिलाफ था उसने जब इस बात का विरोध किया तो उसे प्रमोद ने डांट डपट कर चुप करवा दिया और नौरंगी ने भी इस बार प्रमोद को कुछ नही कहा....पर उसके मन में एक बात खटकी की उसे प्रमोद के बजाय प्रेम की बात करनी चाहिए थी क्युकी उमर तो उसकी भी हो रही है शादी की पर प्रमोद अब शायद ही इस बात के लिए मानता.....
 

Sanjuhsr

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अपडेट का सार बढ़िया रहा , वार्तालाप ज्यादा समझ नही आया बस इतना समझे की एक बाप कितना भी शराबी हो अपनी बिटिया का अच्छा बुरा बहुत अच्छे से समझता है वही सब चंदा के पिता ने किया और नोरंगी को हड़का दिया लेकिन वो भी डीथ निकला फिर उसने बात छेड़ दी लेकिन दयानंद ने फिर।से दुत्कार दिया,
उधर नोर्ंगी परमोद से भी बात कर चुका और परमौद खुश हुआ नई chut का सुनकर,
लेकिन परमौद का बेटा प्रेम भी खिलाफ है शादी के,
Norngi के बाद में तो कुछ समझ आई की प्रमोद की जगह प्रेम।की शादी करवा देता चंदा से
 
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