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Romance निर्मोही

Sanju@

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ये कहानी है चंदा की....चंदा जैसा नाम वैसी ही लड़की एकदम चांद सी खूबसूरत गोरी चिट्टी और पतली छरहरे बदन वाली एक लड़की....बेगूसराय के एक गांव में अपने बूढ़े पिता के साथ रहती है....
चंदा का बाप ठेला चलाता है गांव में ही कमाई का और कोई जरिया था नही इसलिए उसका परिवार संपन्नता से कोसो दूर था.....
चंदा की मां नहीं थी एक जानलेवा बीमारी से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद इस दुनिया को अलविदा बोल गई थी पर जितने दिन वो रही एक तरफ चंदा का बाप अपनी सारी कमाई उसमे झोंकता गया और दूसरी तरफ उसने चंदा को सर्वगुण सम्पन्न बना दिया था ताकि उसके ना रहने पर उसकी लाडली की जब कही शादी हो तो उसे ये न सुनने को मिले की मां ने कुछ सिखाया ही नही......
अपनी उमर से पहले ही चंदा परिपक्व बन गई थी....उसके उमर की लड़किया जब गली में कितकित खेला करती थी तब वो अपने घर में खाना पका रही होती थी.....
बचपन से वो इतने दुख तकलीफ देखते आई थी की आम लड़कियों की तरह वो खुद को कभी देख ही नहीं पाई हर वक्त हर कदम पे हालातो से समझौता करना उसकी आदत में शुमार था यही कारण था की वो एकदम शांत स्वभाव की लड़की थी....पर रूप....इस चीज से उसे भगवान ने वंचित नही रखा था....गरीबी में रहने के बावजूद उसका चेहरा ऐसे खिला हुआ रहता था जैसे कोयले में हीरा.....एकदम दिव्या भारती की तरह दिखती थी वो....
..
...

चंदा के गांव के कई लोग दूसरे बड़े शहरों में कमाने जाते थे और इसी तरह चंदा के बाप ने उसके भाई गोपी को थोड़ा पढ़ाने लिखाने के बाद कमाने के लिए सूरत भेज दिया और गोपी ने भी वहा जाने के बाद जितना कमाया उसका एक हिस्सा अपने पास रख कर बाकी सारा घर भेजा करता था ताकि उसकी मां का इलाज हो सके.....
बाप की कमाई तो पहले ही उसकी मां के इलाज में जाता था पर अब अब गोपी की कमाई का भी एक बड़ा हिस्सा उसके जाने लगा....
कई बार उसने अपने बाप को बोला की यहां का घर बेच कर सूरत आ जाए यहां मां का इलाज भी हो सकेगा और आपको भी अच्छा काम मिल सकेगा पर उसका बाप नही माना......
और जब चंदा की मां नही रही तो गोपी ने एक बार फिर अपने बाप को साथ चलने को बोला की वो और चंदा उसके साथ वही चल कर रहे अब यहां कुछ नही बचा है पर अब तक चंदा के बाप को शराब ने अपनी गिरफ्त में ले लिया था और इसी कारण उसका बाप उसके साथ नही गया....
जब तक शरीर में ताकत रहती वो अपना ठेला खींचता और शाम होते होते अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा शराब में घोल कर पी जाता...

पर एक बात थी बूढ़ा अपनी बेटी को बहुत प्यार करता था उसके लिए कुछ न कुछ खाने को जरूर ले जाता था रात को और कुछ पैसे भी देता था उसको जिससे चंदा घर की जरूरतों के साथ साथ अपनी भी छोटी छोटी जरुरते पूरी कर लेती थी.....और चंदा भी जानती थी की मां और गोपी के बाद उसके बाबा का कोई नही है....
इसलिए वो भी अपने बाबा की सेवा एक अच्छी बेटी की तरह करती थी...वो उसकी शराब तो नही छुड़वा सकती थी पर अपनी सेवा से हर सुबह उसकी बूढ़ी टांगो में इतनी ताकत जरूर भर देती थी की वो पूरे दिन कमा सके....
इधर गोपी ने कुछ दिन तक अपने बाप को समझाने का पूरा प्रयत्न किया पर कोई असर नहीं हुआ थक हार कर उसने चंदा को अपने साथ ले जाना चाहा तो चंदा बोली की वो अपने बाबा को छोड़ कर नही जायेगी....जब तक बाबा है तब तक वो उनके साथ ही रहेगी....
तो गोपी ने कहा कि सूरत में वो जहां काम करता है वही एक लड़की से वो शादी करने वाला है....इसलिए अब वो यहां नही आएगा और तू भी कब तक बिनब्याही बैठी रहेगी वहां मेरे साथ रहेगी तो कोई अच्छा सा लड़का देख के तेरा बियाह कर दूंगा....
तो चंदा का बाप अपने बेटे गोपी से ही लड़ बैठा की जब उसने अपनी जिंदगी के सारे फैसले खुद कर लिए है तो चंदा की फिकर करने की उसे कोई जरूरत नहीं है अभी उसका बाप जिंदा है....

उस दिन जो गोपी गया उसके बाद उसने इन दोनो से सदा के लिए मुंह फेर लिया.....जाने से पहले चंदा नेे गोपी को बहुत समझाने की कोशिश की पर अब गोपी का भी सब्र जवाब दे गया था इसलिए वो सारी बातो को अनसुना करते हुए सूरत वापिस लौट गया....
गोपी के सूरत जाने के बाद चांद के बाप ने चंदा को बोला की तू फिकर मत कर तुझे तेरे घर विदा करने के बाद ही मरूंगा....
चंदा बोलती मरे तेरे दुश्मन बाबा मां के बाद तुमने और भईया ने ही तो मुझे इतना बड़ा किया है तो फिर अब भईया के बाद मैं ही तो आपको आपके बुढ़ापे में संभालूंगी ना....
चंदा के बाप ने भी उसके सर पे हाथ फेर कर कहा जीती रह हमार बेटी भोला बाबा तोहर जोड़ी जरूर लगहिए.....

कुछ दिन तक चंदा के बाप ने उसकी शादी के लिए काफी प्रयास कीये पर कही दहेज तो कही कुछ लफड़ा लगा कर उसकी शादी तय नहीं हुई.....
दिन बदले महीनो में और महीने बदले साल में....समय अपनी रफ्तार से चलता गया और गोपी को गए चार साल हो गए और चंदा के बाप को उसके लिए रिश्ता ढूंढते हुए भी.....
चंदा अपने जीवन के अब उनतीसवे साल में प्रवेश कर चुकी थी अपने उम्र की वही एक लड़की थी पूरे कस्बे मे जो अभी तक बिनब्याही थी.....उसकी सारी सहेलियां का बियाह कब का हो गया था और कइयो के तो तीन तीन बच्चे थे....पढ़ाई लिखाई तो उतनी आती थी जितने में वो अपना नाम लिख लेती थी और थोड़ा बहुत पढ़ लेती थी....
पर मन तो सबके पास होता है ना....अपनी चंदा के पास भी था जिसमे चुलबुलापन, अल्लहड़पन से ले कर सजने संवरने लाली लिपिस्टिक लगाने और अपने सपनो के राजकुमार के साथ जीवन जीने के रंगीन सपने समेटे हजारों ख्वाब रख रखी थी....पर उसके इस व्यवहार से शायद ही कोई परिचित था क्युकी जिस माहोल में वो रहते आई थी उसने उसको एक तरह से निर्मोही बना दिया था.....
पास हो तो भी ठीक ना हो तो भी ठीक.....पर इस दिल को कैसे संभाले वो तो नही मानता था ना वो तो बस भावनाओं में बह जाता था......
पहले मां दूर हुई फिर भाई और हर बार वो इसे अपने भोले बाबा की मर्जी मान कर सहती आई......
पर जो भी उससे दूर होता तो चंदा हर बार खून के आँसू रोती पर अपना दुख वो किस्से कहती कोई हमदर्द हो तब तो.....
पर उसे यकीन था की एक दिन भोले बाबा सब कुछ ठीक करेंगे....

..
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आज शाम से ही बारिश हो रही थी और चंदा पूरे समय अपने एक मंजिला घर में पानी चुने से रोकने के लिए कभी इधर पन्नी लगाती तो कभी उधर झाड़ू से पानी बाहर करती....बांस की सीढ़ी से छत पर भी जा कर कई मर्तबा झाड़ू से जम रहे पानी को बाहर गली में गिरा चुकी थी पर उसे मालूम था की जब तक बारिश बंद नही होती ये पानी लागतार ऐसे ही परेशान करेगा....
बारिश का मौसम हो और बिजली रानी ना भागे ऐसा हो सकता है भला....
शाम तो यूंही बीत गया और अब रात होने को आई बाबा के आने में भी ज्यादा समय नहीं रह गया था इसलिए उसने टपकते पानी की चिंता छोड़ कर अपने और बाबा के लिए खाना बनाया सत्तू भरे परांठे और आग पे सिझे हुए टमाटर की चटनी....
बारिश का मौसम में उसके बाबा को ये बहुत पसंद था और उम्र के इस पड़ाव पे वो जितना हो सके अपने बाबा को खुशी देना चाहती थी....
खाना बनाते बनाते बारिश अब थम चुकी थी पर बिजली रानी अभी भी गायब थी मोमबत्ती की रोशनी में उसने सब काम निपटाया और जब देखा की अब कोई काम नही बचा है तो मोमबत्ती बुझा कर वो अपनी बगल की सहेली सोनी के यहां चली गई थी वहा उसकी मां थी जिसको वो चाची कह कर बुलाती थी और चाची भी चंदा को अपनी बेटी की तरह ही मानती थी....
बारिश थमने के बाद ठंडी हवा चल रही थी और सोनी के घर की छत पे बैठी वो चाची के साथ बाते कर रही थी की तभी चंदा को अपने बाबा की आवाज आई
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...

चंदा अरे चंदा केन्ने है बेटा.....
चंदा - आई बाबा...
चंदा सोनी के छत से दौड़ते हुए नीचे आई और अपने घर के द्वार पे खड़े बाबा से बोली आज बहुत देर कर देला बाबा कहां रह गेला हल एक तो लाइन शामे से कटल है...अकेले मन ना लगत रहे त सोनिया के घरे चल गेले रही....
बाबा ( नशे में ) - अरे बेटा आज गाड़ी ले के बहूते दूर गए थे त लौटे में टाइम लग गइल....
लाओ खाना का बनईले है बड़ी भूख लगल है...
चंदा - अरे पहले मुंह हाथ तो धोवा ओकरा बाद ना खईबा की अईसही.....
अभी चंदा ये बोल कर मोमबत्ती जला ही रही थी की उसका बाप लड़खड़ा कर गिर पड़ा और चंदा तुरंत उनको सहारा दे कर उठाती है और बोलती है.....के बार बोल्लुआ है एतना मत पियल करा बाकी तू अपन आदत से मजबूर ह देखीया एक दिन तू हमरा टुअर कर के छोड़बा पहिले माई गयीली ओकरा बाद भईयो मुंह फेर लेलस अब तुहू अपन आदत के चलते हमरा अकेले छोड़ देबा...

चंदा का गला भर गया ये बोलते हुए....
उसका बाप वही जमीन पे बैठा और बोला ना रे बेटा तू भी कौची बोले लगे है तुरंत में अरे पिछुल के गिर गेलू ना अंधारा ना हलऊ रे पगली...आऊ हम बिना तोहर जोड़ा लगईले ना मरबू बेटा....
तभी बिजली आ गई और घर में जल रहे तीनो बल्ब जल उठे और पंखा भी चलने लगा....
तो चंदा के बाबा बोले देख सच बोल्लु हम आऊ लाइन आ गेलऊ...चल बेटा अब तू खाना निकाल हम आबा हु तुरंत मुंह हाथ धो के....
चंदा बोली हम तोरे संघे रहबुआ जिंदगी भर हमरा ला बाबा केकरो ना भेजलन ह ई धरती पर...
ऊ बोल्लन ह की हमरा अपन बाबू के सेवा करे ला बाकी बात बाद में देखल जाई....

उधर चंदा का बाप उसकी इन बचकानी बातो को सुन कर हस्ते हुए अपना मुंह हाथ धोया और सोचा की सब तो भोले बाबा ही करे वाला आगे भी ऊ कुछ जरूर सोचले होथन हमरी चंदा ला.....
पर असलियत तो ये थी की गोपी के पैसे न भेजने से घर के हलाता दिन पर दिन बद से बदतर हो चले थे और चंदा का बाप अपनी इस गिरी हुई हालत में कब तक खींच पाएगा ये न उसको पता था नाही चंदा को....
Congratulations start a new story
 

Boobsingh

Prime
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कुछ दिन तक नौरंगी और दयानंद में यूंही बहस चलती रहती है और दयानंद जब घर आने के बाद टेंशन से सही से खाना पीना नही करता है तो चंदा भी परेशान हो जाती है क्युकी अब उसकी दुनिया में उसके बाबा ही तो थे और अगर उनको भी कुछ हो जाता वो भी उसकी वजह से तो वो तो जीते जी मर जाती....
इसलिए उसने कई बार अपने बाबा से बात की क्युकी अब दयानंद में इतनी क्षमता नही बची थी की वो काम धंधा छोड़ कर अपनी बेटी के लिए वर ढूंढता फिरे.....
क्युकी अब उसका भी शरीर जवाब देने लगा था पर ये चंदा के प्यार का असर था की वो अब तक कमा कर खुद का और अपनी बेटी का पेट पाल रहा था पर जो हालात थे उसके हिसाब से अब ये ज्यादा दिन नहीं चलने वाला था....
उधर नौरंगी लगातार दयानंद को समझाता फिर रहा था की वो जिसको अभी गलत समझ रहा है वो कब का सुधार चुका है जिंदगी उसके पास भी मौका ले कर आई है और उसके भतीजे के पास भी बस देर है तो तेरी हा की......

पर दयानंद अपनी बात से उतरने को तैयार नहीं था पर कहते है ना की एक ही जगह चोट करते रहो तो मजबूत से मजबूत लोहे को भी टूटना पड़ता है....
आखिर कार एक दिन खूब दारू पीने के बाद दयानंद नौरंगी से बोला देख नौरंगी प्रमोद को हम जानते नही की कैसा था और अब वो कैसा है जो सुना है वो सब तेरे मुंह से सुना है पर अगर तू जबान देता है की सब कुछ अच्छा रहेगा तो मैं अपनी चंदा से बात करूंगा....
पर अगर वो मना कर देगी तो फिर तू इस बात को ले कर कभी नही टोकेगा....
नौरंगी बोला तू चंदा बेटा से बात तो कर और अगर तू बोले तो मैं भी तेरे साथ चलता हु....
पर दयानंद बोला नही नही पहले मुझको बात कर लेने दे उसके बाद जो होगा वो तुझको बता दूंगा पर वो इस मुद्दे का आखिरी फैसला होगा....

उस रात जब दयानंद घर आता है तो वो खाना खाने के बाद चंदा से बोलता है की बेटा तुझको मेरा कसम है अभी जो तुझे पूछूंगा उसका जवाब तू सोच समझ के अपने मन से देगी नाकि मेरे कारण दबाव में आ कर.....
चंदा जान रही थी की उसके बाबा उससे क्या पूछने वाले है इसलिए वो तुरंत बोल दी की बाबा हम शादी के लिए तैयार है....
दयानंद बोला अरे बेटी तू पहले पूरी बात तो जान ले....
चंदा बोली जानती हु बाबा वो व्यक्ति सजा काट के आया है पर नौरंगी चाचा बोले है ना की अब वो ठीक से कमा खा रहा है और अपना घर भी है फिर कोई परेशानी वाली बात नही है बाद बाकी जो मेरी किस्मत में होगा अच्छा या बुरा वो अपने प्यार और समर्पण से सब ठीक कर लेंगे हम.....
इतना तो आपने और मां ने मुझको सिखला दिया है की परिस्थिति कैसी भी हो उसको अपने दृढ़ संकल्प, मेहनत और प्यार के बल पे बदल सकते है और हो सकता है की नौरंगी चाचा के भतीजे को भी अब उसकी गलतियों पे पछतावा हो....

बाबा आप मेरे लिए बहुत भटके पर शायद भोले बाबा मेरी जोड़ी इसके साथ ही लगाए है तो फिर उनकी मर्जी को कैसे टाल सकते है और अगर उन्होंने किसी और को मेरे लिए रखा होता तो इतने दिनो तक इसकी चर्चा हमारे घर में ना होती....और आप मेरे लिए बिल्कुल भी परेशान मत होना अब आपकी बेटी के तरफ से आपकी जिम्मेदारी खतम हुई बस अब अपनी सेहत का खयाल रखिए बहुत भाग दौड़ कर लिए....और नौरंगी चाचा बोले है ना की वो मेरे ससुर नही बल्कि बाप की जिम्मेदारी निभायेंगे फिर क्यों चिंता करते हो....
दयानंद चंदा की बातो को सुनने के बाद लगभग रोते हुए बोलता है बेटा तू लाख हमको बहलाने की कोशिश कर ले पर हम जानते है की तेरा दिल कभी भी इस शादी के लिए नही तैयार होगा ये सब तू सिर्फ सौर फिर मेरे लिए कर रही है ताकि हमको चैन पड़ जाए पर बेटा तू नही जान रही ये मेरे लिए चैन की बात नही बल्कि सबसे बड़ी चिंता वाली बात है पता नहीं वहा तुझसे कैसा व्यवहार करेगा....
चंदा बोली अरे बाबा अभी ना हम बोले की वो जो भी है जैसा भी है हम सब कुछ सही कर लेंगे और अगर कुछ दिक्कत हुआ तो आप तो रहोगे ही न मेरे पास बस जैसे आज तक आपने संभाला है उस वक्त भी आप अपनी चंदा को संभाल लेना पर बाबा हम आपसे वादा करते है आपके ऊपर और बोझ नहीं बनूंगी आपने बहुत किया मेरे लिए इतना कोई बाप नही करेगा बेटियां तो वैसे भी पराया धन होती है.....

दयानंद बोला अरे बेटा नही रे तू ये सब क्या बोल रही है तू ही तो है जिसके लिए हम जी रहे है वरना बेटा जिसकी बीवी बेटा उसको छोड़ कर चले गए उसके जीवन में क्या ही बचा रहेगा जीने के लिए.....
चंदा बोली अरे बाबा हम है ना और मेरे लिए तो अभी आपको और सौ साल जीना है....पर अब एक सबसे जरूरी बात बाबा....
दयानद उसके तरफ सवालिया नजरो से देखने लगता है...
चंदा अपने बाबा के आंसुओ से भरे आंखो को पोंछते हुए बोलती है की बाबा हम शादी तो करेंगे पर आप हम लोग के साथ ही वहा चलोगे क्युकी मेरे पीछे आपको यहां देखने वाला कोई नहीं रहेगा इसलिए आप मेरे साथ चलोगे और अगर आप इंकार करते हो या फिर उनके तरफ से इंकार होता है तो बात वही खतम हो जायेगी क्युकी हम अपने बाबा को अकेला छोड़ कर कही नही जाने वाले....

और वो अपने बाबा के गले लग जाती है पर वो रोती नही है हालांकि उसका दिल अभी बहुत ज्यादा गमजदा हो रखा था पर वो नही रोई क्युकी अगर वो रो देती तो उसके बाबा इस शादी के लिए कभी तैयार नहीं होते और बात वही की वही रह जाती......
वो आगे बोली और इस बारे में आप नौरंगी चाचा से बात कर लेना और अगर आपको कोई दिक्कत है तो हम बात कर लेंगे उनसे जब भी वो घर आयेंगे तब.....
दयानंद बुझे मन से चंदा के सर पे हाथ फेर कर कहता है की पता नही बेटा ये हम सही कर रहे है या नही पर हमको उन्पे (भोले बाबा) भरोसा है वो सब अच्छा ही करेंगे....

इधर नौरंगी को अब यकीन था की उसके भतीजे का घर दुबारा से बस जायेगा इसलिए उसने प्रमोद और प्रेम को यहां बुला लिया था.....प्रमोद ने अभी तक चंदा को देखा नही था पर जितना वो अपने चाचा के मुंह से सुन चुका था उसके हिसाब से वो खुद को बहुत नसीबो वाला समझ रहा था और असलियत में वो था भी नसीब वाला क्युकी जिंदगी के इतने बुरे दौर से गुजरने एक बावजूद उसकी जिंदगी की गाड़ी पटरी पर टिकी हुई चल रही थी....पर अब चंदा के उसके जीवन में आने के बाद देखना था की उसकी जिंदगी पटरी पर रहती है या फिर वो दुबारा से अपनी कारस्तानियो से जिंदगी के लौड़े लगाएगा....
बाप बेटी के बीच हुए इस बात चीत को तीन दिन हो चुके थे और इन तीन दिनों में दयानंद ने कई बार चंदा से उसके फैसले को ले कर टोका पर चंदा का जवाब एक ही था और उसकी शर्ट भी....थक हार कर दयानंद ने नौरंगी को अपने घर आने का न्योता दे दिया और आज नौरंगी के साथ प्रमोद और प्रेम भी आने वाले थे......

उन लोगो के आने का सुन कर चंदा से ज्यादा दयानंद घबराया हुआ था....खैर भरी दुपहरी में वो तीनो दयानंद के घर आए और आते के साथ प्रमोद ने चंदा को देखा कमरे के एक कोने में सिमटी हुई बैठी थी थोड़ी सहमी सी पर प्रमोद उसको देखते के साथ अंदर ही अंदर ऐसे खुश हुआ जैसे उसके हाथ सोने की खान लग गई हो और दूसरी तरफ प्रेम चंदा को देख कर मन ही मन बोला ये बहुत ज्यादा गलत हो रहा है बेचारी के साथ....उसका एक रत्ती भी मन नही हो रहा था वहा रुकने का क्युकी किसी मासूम की जिंदगी ऐसे बिगड़ते हुए वो नही देख सकता था.....
खैर अभी तो उसकी एक न चलने वाली थी इसलिए वो चुप चाप आ कर बैठ गया वही नौरंगी ने अपनी बाते शुरू की और दयानंद भी थोड़ा सहमा हुआ सा था उसने कुछ औपचारिक सवाल प्रमोद से किए और प्रमोद ने भी अच्छे तरह से सारी बातो का जवाब दिया.....
उसके बाद दयानंद ने चंदा को बुलाया तो चंदा ने पहले से तैयार कर रखी चाय के चार कप एक थाली में सजाई और ले के उनके सामने आ गई....
साधारण सी सलवार सूट में भी चंदा एकदम गुलाब जैसी खिल रही थी दुपट्टे से अपने सर पे पल्लू कर रखी थी.....वही प्रमोद एक शर्ट पैंट मजदूर से ज्यादा कुछ नहीं लग रहा था....
नौरंगी ने चंदा से पूछा की बेटा अगर तुझे भी कुछ बोलना है तो बोल पूछ ले हमको और नाही प्रमोद को कोई दिक्कत है....

चंदा अपने बाबा के तरफ देखती है की वो अपनी बात उनसे करे पर दयानंद के मुंह से शब्द नही फूटे फिर चंदा ने नौरंगी की तरफ देख कर कहा की शादी के बाद बाबा उसके साथ गोरखपुर चलेंगे क्युकी यहां उनकी देखभाल को कोई नही रह जायेगा इसलिए वो अपने बाबा के साथ ही जायेगी......
इस बात से साफ था की अगर प्रमोद चंदा के बाबा के लिए हा करता है तो ही उसकी शादी होगी वरना नही...
चंदा की शर्त सुन कर प्रमोद थोड़ा अचकचाया और उसके मुंह से आवाज निकली आय.....जबकि प्रेम प्रमोद का मुंह देख के धीरे से हस दिया हालांकि चंदा सिर्फ उनकी हा या ना का इंतजार कर रही थी....
तभी नौरंगी बोला अरे बेटा ये तो तूने बहुत अच्छा सोचा है और मेरे भतीजे को भी इस बात से कोई दिक्कत नही होगी....
इधर दयानंद की आंखों में आसू थे क्युकी कन्यादान उसे करना था पर चंदा ने अपने बाप की जिम्मेदारी खुद के कंधो पे उठा कर उसके जीवन को धन्य कर दिया था....

इधर नौरंगी ने चंदा की हा समझ एक दयानंद को बोला अरे भाई तू अब रो मत चंदा अब मेरी बेटी है....आज से तेरी सारी टेंशन खत्म समझा और फिर वो प्रेम को बोलता है बेटा जा कर नुक्कड़ पर से मिठाई ले आ खुशी का मौका है....
प्रेम के कदम तो उठने का नाम ही नहीं ले रहे थे वो बस अपनी जगह पे ही बैठा हुआ था....
तो प्रमोद ने उसके हिलाते हुए बोला की जायेगा की अभी टेंपू मंगवा दे....
प्रेम बुझे मन से वहा से उठा और निकला मिठाई लाने के लिए....उधर उसके जाने के बाद दयानंद प्रमोद से बोला देखो नेता मेरी चंदा बहुत समझदार है पर फिर भी अगर कभी उससे कोई गलती हो जाए तो उसे समझना वो उसको सही कर देगी....
प्रमोद बोला नही बाबूजी आप ये सब मत बोलिए हम अब पहले वाले प्रमोद नही रहे अब अपने मुंह से क्या बोली आप साथ रहिएगा तो खुद देखिएगा....
और वो अपने हाथ जोड़ लेता है....तभी प्रेम वापस आ जाता है और फिर मिठाई खाने का दौर चला उसके बाद नौरंगी ने शादी की बात छेड़ी तो प्रेम से अब रहा नही गया और वो बोल पड़ा अरे अभी तो बात ही हुआ है थोड़े दिन रुक कर करिएगा शादी और तुरंत शादी कहा से होगी इनको भी तो कुछ समय चाहिए रहेगा ना तैयारी के लिए.....

प्रमोद ने प्रेम को खा जाने वाली नजरो से देखा तब नौरंगी बोला ठीक है फिर अगले महीने कोई शुभ दिन देख कर शादी की रस्म पूरी कर लेते है.....क्यू दया ठीक है ना....
दयानंद बोला हा ये ठीक रहेगा और फिर वो लोग वहां से लौट जाते है.....घर आने के बाद भी प्रेम को बुरा लग रहा था इसलिए वो नौरंगी से बोला मेरा बाप तो पागल था ही उसकी संगत में रह कर दादा आप भी बौरा गए है....बेचारी उस लड़की का जीवन आप दोनो बरबाद कर देंगे हमको तो कुछ समझ ही नही आ रहा कम से कम उसकी उमर को तो देखिए वो कोई औरत नही है लड़की है अभी और पापा अपनी आधी उमर के पास पहुंचने वाले है ये सब देख कर भी आपको ये शादी के लिए मन कैसे मान रहा है भगवान ही जाने....
प्रमोद बहुत देर से उसकी ये बाते सुन रहा था और चंदा के घर पर भी उसने जो बेरुखी दिखलाई थी उससे चिढ़ कर उसने प्रेम को जोर से डांटते हुए बोला अरे तू ज्यादा पंडितई ना झाड़ उसका भला बुरा समझने वाला उसका बाप है और चाचा ने मेरी शादी उससे करवाने के लिए सोचा है तो सब कुछ जान समझ कर ही करवा रहे होंगे ना आज बोला सो बोला दुबारा ये बात अपनी जुबान से निकाली ना तो देखना हमसे बुरा कोई ना होगा.....

प्रेम भी अब खुद को नही रोक पाया और प्रमोद पे चिल्ला बैठा बूढ़े हो चले हो पापा आप और आपको अपनी बेटी की उमर से शादी करना है दिमाग है या वो भी गांजे के नशे में फूक आए....
इतना सुनना था की प्रमोद प्रेम के ऊपर हाथ उठा देता है और देखते ही देखते प्रमोद प्रेम को बुरी तरह पिट देता है जबकि नौरंगी बीच बचाव करता है पर जब तक प्रमोद का जी नही बाहर गया उसने प्रेम को मारना नही छोड़ा....
मार पीट के बाद प्रेम रोते हुए बोला आप मेरे बाप हो इसलिए हम पलट कर हाथ नही उठाए पर इतना तो जरूर है की आपकी जिस अकल पे पर्दा गिरा हुआ है उसको सही रास्ता दिखलाए पर आपलोग अभी मेरी बात नही समझोगे पर आप दोनो एक बात याद रखना उससे शादी तो कर लोगे पर वो कभी खुश नही रह पाएगी और एक और बात हम उसको मां तो बुलाने से रहा और इस बात को कोई नही बदल सकता दादा आप भी नही....जो काम आप करने जा रहे हो उसका फल आपको बहुत जल्द मिलेगा देखना....आज अगर मां होती तो मेरी उतनी बड़ी बहन होती जैसे आज दयानंद चाचा भटक रहे है उसकी शादी के लिए वैसे ही आपको भटकना पड़ता पर ये सब आपको कहा से समझ आएगा क्युकी जीवन भर तो आपने अपनी खुशी अपनी अय्याशी को आगे रखा....

प्रेम आज अपने अंदर पल रहे सारे घुटन को बाहर निकाल रहा था....क्युकी यही एक रास्ता बचा था उसके पास जिससे अगर उसका बाप ना सही कम से कम दादा तो कुछ समझे....
प्रमोद प्रेम की बातो को सुन कर दुबारा उसके तरफ लपका पर नौरंगी इस बार उसको धक्का दे कर हटाया और बोला तू बाहर जा अभी इसको अकेला छोड़ और खबरदार जो दुबारा इसपे हाथ उठाया.....
प्रमोद बोला देख नही रहे है कैसे मुंह लड़ा रहा है आपसे हमसे हा दो चार किताबें क्या पढ़ ली हमसे जबान लड़ाएगा हा....
नौरंगी प्रमोद को बोला तू शांत रह और बाहर जा हम इसको समझाते है....
प्रेम बोला हमको कुछ समझने का जरूरत नहीं है समझना आपको है और उन दोनो से पहले प्रेम वहा से निकल जाता है.....और वो उसी रात गोरखपुर के लिए ट्रेन पकड़ लेता है....

इधर चंदा अपने आप को एकदम नॉर्मल दिखलाने की कोशिश कर रही थी पर उसके अंदर तूफान उठा हुआ था पर वो चाह कर भी उसको बाहर नहीं ला सकती थी क्युकी दयानंद फिर शायद ही चंदा की शादी के लिए मानता और दूसरी तरफ दयानंद के मन में उथल पुथल हो रहा था पर अब उसने भी इसी को चंदा का नसीब मान लिया था एक पल को उसके मन में आया की वो मना कर दे इस शादी के लिए पर फिर उसके आगे नौरंगी की वही बात घूम गई की उसके बाद चंदा को देखेगा कौन.....
अगली सुबह दयानंद काम पर जाता है उसके बाद चंदा मंदिर जाती है और अपने भोले बाबा के सामने अपनी वेदना व्यक्त करती की जीवन में इतना कष्ट दिया आपने पर हम सब कुछ आपकी मर्जी मान कर सहते आए पर बाबा जीवनसाथी के रूप में आपने इसे भेजा है अपनी चंदा के लिए इससे अच्छा तो होता की आप हमको अपने पास बुला लेते कम से कम मेरी जिंदगी नरक तो न बनती....कुछ देर यूंही कुढ़ने के बाद चंदा आंखो में आंसू लिए ये बोलते हुए खड़ी होती है की आज के बाद आपके द्वार पे कभी पैर नही रखूंगी और अगर कभी जरूरत पड़ भी गई तो भी नही आऊंगी ये आपकी चंदा का वादा है आपसे.....और वो अपने द्वारा जलाए गए दिए को बुझा कर वहा से चल देती है.....
नसीब का फैसला मान कर दयानंद ने भी चंदा की शादी के लिए कुछ साजो सामान जुटा लिया था वैसे तो उनकी कोई मांग नही थी पर फिर भी दयानंद ने अपनी क्षमता अनुसार कुछ सामान का इंतजाम कर दिया था और अब बस इंतजार था नौरंगी के आने का....

...
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कुछ दिन बीतने के बाद नौरंगी दयानंद से मिलता है और उसको साथ ले कर पंडित के पास पहुंचता है और वहा जरूरी तिथि वगैरह बताने के बाद पंडित बताता है की चंदा और प्रमोद की शादी के लिए इसी हफ्ते की मंगलवार की तारीख बढ़िया रहेगी....ये सुनने के बाद नौरंगी बोलता है अब बस बिना देर किए हमे ये शुभ काम खतम कर लेना चाहिए......
तारीख तय होने के बाद नौरंगी ने उसी मंदिर में शादी का इंतजाम करने को पंडित जी बोला और फिर दोनो बूढ़े अपने अपने रास्ते हो लिए.....
इधर प्रमोद ने जब से चंदा को देखा था और उसकी आवाज सुनी थी वो तो बावला हुआ पड़ा था की कब वो हुस्न परी उसके नीचे आयेगी और वो अपने इतने सालो की प्यास को बुझाएगा....
वही चंदा पहले के मुकाबले थोड़ी बुझी बुझी रहती थी और दयानंद भी उसके इस व्यवहार से वाकिफ था पर वो करे भी तो क्या....
चंदा से उसने शादी की बात तय होने के बाद से हजारों बार पूछने की कोशिश करी थी पर चंदा हर बार यही कहती की बाबा अब आप परेशान मत हो सब ठीक है और मेरा क्या है थोड़ा घबराई हुई हु पर समय के साथ वो भी ठीक हो जायेगा....

इसी तरह वो दिन भी आ गया जब चंदा और प्रमोद दोनो शादी के बंधन में बंधने जा रहे थे और वही प्रेम भी बेमन से अपने बाप और दादा की इस काली करतूत में शामिल हो रखा था.....जब पंडित में चंदा और प्रमोद को देखा तो वो भी एक पल के लिए आश्चर्यचकित हो गया पर उसका काम था ब्याह करवाना सो उसने धीरे धीरे शादी की रस्मों को करवाना शुरू किया और अंततः चंदा की शादी प्रमोद से हो गई.....
 

Sanjuhsr

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Awesome update आखिर हालत के हाथो मजबूर होकर चंदा की शादी प्रमोद से होने वाली है, प्रेम ने एक समझदार की तरह भरपूर कोसीस की, लेकिन प्रमोद का समझ आता है लेकिन दयानंद क्यों पीछे पड़ा है शादी के , अगर करनी है तो प्रेम की कर देता
 

Boobsingh

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Awesome update आखिर हालत के हाथो मजबूर होकर चंदा की शादी प्रमोद से होने वाली है, प्रेम ने एक समझदार की तरह भरपूर कोसीस की, लेकिन प्रमोद का समझ आता है लेकिन दयानंद क्यों पीछे पड़ा है शादी के , अगर करनी है तो प्रेम की कर देता

धन्यवाद भाई....
दयानंद नही पड़ा है पीछे बल्कि नौरंगी पड़ा हुआ था और प्रमोद से बात चलाने के बाद उसको प्रेम का ध्यान आया पर प्रमोद आड़े आ गया और खुद की शादी चंदा के साथ कर ली.....👍🏻
 
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Awesome update bahi maja agya hai
Thanks bro....

कहानी अभी थोड़ी बोरिंग लगेगी पर धीरे धीरे अच्छा लगने लगेगा थोड़ा समय चाहिए अभी निर्मोही को😅
 

Sanjuhsr

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धन्यवाद भाई....
दयानंद नही पड़ा है पीछे बल्कि नौरंगी पड़ा हुआ था और प्रमोद से बात चलाने के बाद उसको प्रेम का ध्यान आया पर प्रमोद आड़े आ गया और खुद की शादी चंदा के साथ कर ली.....👍🏻
Ohh गलती हो गई लेकिन जब देखने आए तब दयानंद प्रेम।के लिए बोल सकता था, शायद
 

Boobsingh

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Ohh गलती हो गई लेकिन जब देखने आए तब दयानंद प्रेम।के लिए बोल सकता था, शायद
वो तो ना प्रमोद के पक्ष में था ना ही प्रेम के उसका तो नौरंगी ने ब्रेनवाश किया की उसके बाद चंदा को देखने वाला कौन रहेगा....
कहानी की दिशा ही यही थी भाई की चंदा की शादी प्रमोद से होगी तो उसी दिशा में बढ़ रही है.....

ये कहानी usc के लिए लिखी थी पर उस वक्त कस्तूरी को डाला था इसके अलावा एक और पड़ी है पर अभी इसको खतम करेंगे....
और आप देख रहे होंगे इसमें ज्यादा बात चीत के दृश्य नही है....और जो थे उसको भी अब थोड़ा कम कर दिए है क्युकी ऐसे में कहानी ज्यादा खींचेगी जो अभी हमको खुद में लग रहा है पर थोड़ा समय देते है आशा है की रिस्पॉन्स बढ़िया रहेगा.....🙏🏻
 

Sanjuhsr

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वो तो ना प्रमोद के पक्ष में था ना ही प्रेम के उसका तो नौरंगी ने ब्रेनवाश किया की उसके बाद चंदा को देखने वाला कौन रहेगा....
कहानी की दिशा ही यही थी भाई की चंदा की शादी प्रमोद से होगी तो उसी दिशा में बढ़ रही है.....

ये कहानी usc के लिए लिखी थी पर उस वक्त कस्तूरी को डाला था इसके अलावा एक और पड़ी है पर अभी इसको खतम करेंगे....
और आप देख रहे होंगे इसमें ज्यादा बात चीत के दृश्य नही है....और जो थे उसको भी अब थोड़ा कम कर दिए है क्युकी ऐसे में कहानी ज्यादा खींचेगी जो अभी हमको खुद में लग रहा है पर थोड़ा समय देते है आशा है की रिस्पॉन्स बढ़िया रहेगा.....🙏🏻
कहानी आपके हिसाब से ही लिखिए हम केवल अपने आइडिया लगा रहे है की ऐसा हो सकता था,
कहानी जबरदस्त है, और रिस्पॉन्स भी अच्छा आ रहा है और आगे और भी बढ़िया आएगा
 
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