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Adultery पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना

aamirhydkhan

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं, कपूरथला, पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
 
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"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना": – पार्ट – 5


हेलो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का अगला पार्ट लेकर। पिछ्ले पार्ट मे आपने पढ़ा के केसे भूरा सरबी के करीब आने के लिये सुखा से दोस्ती करता है। वही दुसरी तरफ रितु बातो बातो मे सरबी से सब कुच जान लेती है और उसे पराये मर्द के साथ सोने के लिये मना लेती है। तो चलिये स्टोरी को आगे बढ़ाते है।

सुबह जेसे ही सरबी उठी तो रितु केतली मे चाय लेकर कमरे मे बेठी थी। “अरे सरबी उठ गयी, फ्रेश हो आ फिर चैपी ले आके”। रितु सरबी को देखकर बोली।


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सरबी बाथरूम जाकर फ्रेश होके आ गयी तो रितु ने उसे कप मे चाय देते हुए पुछा, “सरबी रात अच्छी गुजरी ना तंग तो नही हुई”।

“हा रितु रात अची गुजरी, अच्छी नीन्द आयी”। सरबी ने बोल।

“अच्छा, मेने सोचा शायद इसने तंग किया हो तुमे” रितु सरबी की चुत को छूकर बोली।

“ये भला क्यो तंग करेगी मुझे” सरबी थोडा शर्माते हुए बोली।

“अरे हम देर रात पराये मर्दो के बारे मे बात कर रहे थे तो मेने शायद ये मचलने ना लग गयी हो” रितु हस्ते हुये बोली।

“नही, अब तक तो नही मचली” सरबी बोली।

“हम्म मत्लब सम्भावना है के ये मचल सकती है तो क्यो ना इस्क मचलना बन्द किया जए” रितु ने सरबी को देख बोला।

“वो केसे भला” सरबी भी रितु को अब थोडा बेशर्मी से जवाब देने लगी।

“वो एसे सरबी जट्टी, जो ये मांगती है वो इसे दे दिया जाये” रितु ने सरबी को कहा।

“और ये कया मांग रही है” सरबी ने रितु को मुस्कुराते हुये कहा।

“ये मांग रही है एक लण्ड जो जट्टी की चुत को चीरता हुआ यहा तक आ जाये”




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रितु ने सरबी की नाभि पर हाथ रख कर बोला।

“हाये इत्ना बड़ा भी होता है” सरबी ने हैरां होकर रितु को देखा।

“अरे बिलकुल होता है, तुमने नही देखा कया” रितु ने सरबी को देखकर कहा।

“नही” सरबी ने जवाब दिया। दरसल सरबी ने कभी मर्द का लण्ड नही देखा था उसने तो बस अपने पति सुखा की छोटी बच्चो जेसी लुल्ली देखी थी तो उसे यकीं कर्ना मुस्किल था के इतना बड़ा लण्ड भी होता है।

“बोल ना सरबी लेगी कया इतना बड़ा, मजा आ जायेगा” रितु ने सरबी को बोला।

“ले तो लुंगी रितु लेकिन मुझे डर लग रहा है किसी को पता चल गया तो” सरबी हिचकिचाते हुये बोली।

“अरे किसी को पता नही चलेगा, बात हम दोनो के बीच रहेगी, तो अपने वाले से बात कर मे फिर तेरे बारे मे” रितु सरबी को देखते हुये बोली।

“तेरे वाला कौन है बता तो सही मुझे जरा” सरबी ने रितु से पुछा।

“हम्म बुझो तो जानू, तुम भी जानती हो वेसे उसे” रितु से सरबी की तरफ देखते हुये बोला।

“लेकिन मे केसे जानती हू उसे, तुमने कभी मिल्वया तो है नही मुझे” सरबी हैरां थी थी वो रितु वाले मर्द को केसे जानती थी।

“अरे मुझे मिल्वाने की कया जरूरत सरबी, तू खुद ही उस से मिलती है” रितु ने कहा।

“अरे पहेलिया मत बुझा यार रितु साफ साफ बता ना कौन है वो” सरबी ने जोर देकर बोला।

“अपने लाला जी सरबी तू मिलती तो है उनसे” रितु ने सरबी को देखकर जवाब दिया।

सरबी हैरां होकर रह गयी के रितु बनवारी लाल से चुदवाती है। “मतलब तू लाला जी के पास” सरबी बोली।

“हा सरबी, इत्ना बडा है लाला जी का, जब अन्दर जाता है तो बहुत मजा आता है यार” रितु सरबी को अपनी बाजू से नाप् कर बोली। “तुझे भी दिलाओ कया लाला का”। सरबी थोडी परेशान सी हो गयी। रितु ने सरबी की तरफ देखा और बोली, “कया सोच रही है, तुमे कोनसा उस से फ़्री मे चुदवाना है”।

“मतलब” सरबी ने रितु से पुछा। “मतलब ये सरबी जट्टी, देख तू लाला से चुदवयेगी, एक तो तुझे लण्ड का मजा मिलेगा और फर दुसरा यह के तुजे जब ब रुपयो की जरूरत होगी तो उनसे ले लेना और चाहे तो तेरा जो कर्ज वगेरा है ना वो भी साफ करवा लेंना, सोच ले सरबी घाटे का सौदा नही है यह” रितु सरबी को ललचाती हुई बोली।

सरबी भी रितु की बात को सोचने लगी। “अरे बोल ना जल्दी इत्ना भी कया सोच रही है, मे भी तो एसे ही करती हू” रितु ने सरबी को देख कर बोला “और फर एसे लाला का लण्ड भी तो मिलेगा” रितू सरबी की चुत को छूकर बोला।

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“हाये क्या कर रही है” सरबी रितु को मुस्कुराते हुए बोली।

सरबी की मुस्कुराहट को देख रितू समझ गयी के सरबी की हा है। “तो फिर करू मे लाला जी को फ़ोन के जाती आयेगी आज दिन मे”। रितु बोली।

“नही दिन मे नही रितु रात को, सुखा को पता है के अज मुझे काम से छुट्टी है, रात को मे तेरे पास आ जाओगी और हम यहा से चली जायेगी”।

सरबी मे रितु को देखकर बोला। “ठीक है मे रात का बोल दूंगी लाला जी को” रितु बोली।

“अच्छा ठीक है तो मे चलती हू अब रितु” सरबी बोली और जाने लगी।

“ठीक है सरबी लेकिन रात को तैयार रहना आज लाले के लण्ड के लिये” रितु ने पीछे से सरबी को बोला।

“तू भी ना रितु, मे आ नओगी तेरे पास” सरबी बोली और हँसती हुई चली गयी।

सरबी के जाते ही रितु ने लाला बनवारी लाल को फोन लगाया, “ट्रिंग ट्रिंग”।

“हेल्लो” बनवारी लाल ने फ़ोन उठाते हुए बोला।

“राम राम सेठ जी” रितु ने जवाब दिया।

“अरे जान केसी है तू, अज केसे याद कर लिया लाला को” लाला रितु की अवाज पहचान कर बोला।

“अपको कुछ बताना था सेठ जी” रितु ने जवाब दिया।

“कया बताना है जान, बोल तो सही” लाला ने जवाब दिया।

“लाला जी आपकी मुर्गी फंस गयी” रितु हँसते हुए बोली।

“मेरि कौनसी मुर्गी थी जान जो तेरे पास फंस गयी” लाला बोला।

“आपकी मुर्गी सेठ जी, सरबी जिसके आप सपने लेते है” रितु ने जवाब दिया।

“हाये जट्टी, कया बोली जान, कब लेके आ रही है मेरे पास उसे” लाले ने लण्ड मस्ल्ते हुए बोला।

“तैयार रेहना सेठ जी आज रात को ही लेके आ रही हू आपकी दुकान पर” रितु बोली।

“हाय मेरि जान, कुरबान जाओ तेरे पर, ले आ फिर जट्टी को मेरि सेज पर” लाला बोला।

“ले आओगी सेठ जी आज, लेकिन अपना वादा मत भूलियेगा” रितु ने सेठ को उसका खातासाफ करने का वादा याद दिलाया।

“अरे हा जान तू जट्टी को ले आ और तेरा खाता साफ” सेठ ने रितु से कहा।

“ठीक है सेठ जी रखती हू” इत्ना कहकर रीति ने फ़ोन रख दिया। लाला भी खुशी से फूला नही समा रहा था क्यो के जिस जट्टी के वो सपने लेता था वो आज उसके लण्ड के निचे आने वाली थी।


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सरबी को घर के काम करते हुए पता ही नही चला के कब शाम हो गयी और सुखा घर आ गया। सरबी ने सुखे को पानी दिया, “खाना लगाऊ”।

“नही सरबी मे रुक कर खओगा” सुखे ने जवाब दिया। “ठीक है तो फिर रसोई मे से ले लेना, मे आज भी रितु के य्हा जा रही हू” सरबी मे जवाब दिया।

“ठीक है मे खा लुगा” सुखा बोला। सरबी रितु के गजर चली गयी,

“रितु कहा है तू”।

“अरे आ गयी सरबी” रितु कमरे से बहर आकर बोली। सामने लाल रन्ग का सूट पहने सरबी तैयार खडी थी।


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“पूरी तओयर होके आयी है आज तो,, चले” रितु मे सरबी को देखकर बोला। सरबी भी रितु की बातो से गरम थी और लण्ड लेने को मचल रही थी,

” हा चलो” सरबी ने जवाब दिया। रितु ने घर का दरवाजा लगाया और लाले की दुकान की तरफ चल दी।

"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना" जारी रहेगी

Sarbi is ready to get fucked.
 

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"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना" – पार्ट – 6


हेलो दोस्तो मे गौरव कुमार स्टोरी का अगला पार्ट लेके हाज़िर हू। पिछ्ले पार्ट मे आपने पढ़ा के केसे रितु सरबी को लाला का लण्ड लेने के लिये मनाती है और सरबी भी इसके लिये राजी हो जाती है। रितु फ़ोन पर लाला को सरबी को उसके पास दुकान पर लाने की करती है और शाम होते ही दोनो लाला की तरफ चल देती है। तो आईये कहानी को आगे बढ़ाते है।

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सरबी और रितु दोनो लाला की दुकान की तरफ चल देती है। सरबी ने लाल रन्ग का सूट पहना हुआ है, पैरो मे पायल, दोनो हाथो मे 8-8चूडिया पहने आज उसने अपना शिन्गार किया है। जब वह लाला की दुकान पर पहुंचती है तो रितु लाला को बुलाती है, “राम राम लाला जी”।

लाला आंखे बन्द करके लेटा हुआ था, रितु की अवाज सुनते ही आंखे खोलता है, “अरे राम राम रितु रानी, बडी देर करदी आने मे”।

“हम तो टाईम पर ही है लाला जी लेकिन आप तो अभी से सो रहे है” रितु लाला को बोली।

“अरे सो कहा रहा हू बस एसे ही आराम कर रहा था” इत्ने मे लाला की नज़र सरबी पर पडी, “कया बात है सरबी आज तो पूरी नयी नवेली दुल्हन लग रही है तू” लाला सरबी को छेड़ता हुआ बोला।

“अरे दुल्हन तो लगेगी ही लाला जी आज इसे इस्का दूल्हा जो मिलने वाला है” रितु बोली और हँसने लगी, सरबी भी मुस्कुरा रही थी और उसने रितु को धक्का सा मारा।

“अरे मुझे नही अज के बाद अपने दूल्हे को धक्के मारना” रितु ने सरबी को हन्स्के बोला। लाला की नज़र सरबी पर ही टिकी हुई थी,

“शरमाओ मत सरबी डार्लिंग, बस मजे लो इस जिन्द्गगी के” लाला सरबी को बोला। लाले ने रितु को आंख से सरबी को अन्दर लिजाने का इशारा किया।

रितु भी लाला का इशारा समझ गयी, “आजा सरबी” रितु सरबी को अन्दर ले जाने लगी। सरबी भी रितु के पीछे चली गयी। लाला ने चारो तरफ देखा और दुकान का दरवाजा बंद कर लाईट जला दी। शाम के 7बज रहे थे। रितु सरबी को उसी सुरंग टाइप कमरे मे ले गयी, वहा पर जाके देखा तो लाला ने बिस्त्र पर फूल बिछाये हुए थे और बिस्तर को अच्छे से फूलो से सजाया हुआ था जेसे किसी की सुहागरात का बैड हो।

“देख तो तेरे आने की खुशी मे केसे कमर सजाया है लाले ने” रितु बोली। सरबी भी देख रही थी लेकिन थोडा डर रही थी, “रितु कुछहोगा तो नही ना”।

“कुछ नही होगा सरबी, किसी को पता नही चलेगा बस तू शर्माना मत और मजे ले, ये बैड तो देख लाला, रानी बनज लाला की सरबी और फिर ऐश करना” रितु बोली।

सरबी भी देखे जा रही थी, रितु ने सरबी को कमरे मे पडी एक कुर्सी पर बिठाया, “देख सरबी मजे लेने है तो बिल्कुल मत शर्माना, और किसी बात की चिंता मत कर, बाहर किसी को कानो कान खबर ना होगी” रितु बोल रही थी और सरबी सुने जा रही थी।

“अच्छा मे चलती हू अब” रितु सरबी को बोल कर बाहर दुकान मे आ गयी यहा लाला बेठा था, “कर दिया तैयार जान जट्टी को” रितु को देख लाला बोला।

“एक दम तैयार है लाला अब तो तेरी कमी है उस कमरे मे, दुल्हन बेठी इन्तज़ार कर रही है” रितु बोली।

“अरे तो दूल्हा भी जा रहा है अब, तू इस कमरे मे चली जा” लाला ने रितु को सीढियों के साथ वाला कमरा खोला।

रितु कमरे मे सोने चली गयी और लाला अपनी दुल्हन सरबी के पास चल दिया।

रुम के अन्दर आकर लाला ने कुंडी लगा दी और कमीज उतर कर खूँटे पर टांग दी, लाला अब बनयान और धोती मे था। लाला बैड पर जा बेठा, “यहा आओ सरबी इतनी दूर क़ बेठी हो” लाले ने सरबी पास बुलाया।

सरबी कुर्सी से उठी और लाला की तरफ चल दी, उसके पैरो की पायल से छणछण की अवाज आने लगी। सरबी लाला के पास आके खडी हो गयी। लाले ने सरबी उपर से निचे तक देखा, “अरे शर्मा क़्यो रही हो जान, अब तो तुम मेरि दुल्हन बनने जा रही हो, बेठो यहा” लाला सरबी को बोला। सरबी लाला के पास बेठ गयी लेकिन उसे अब भी शर्म आ रही थी, अज पहली बार वो किसी पराये मर्द के साथ एसे बेठी थी। लाला ने सरबी के चेहरे को उपर उठा अपनी तरफ घुमाया और देखने लगा।


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सरबी भी लाला को देख रही थी, “कितनी सुन्दर हो तुम जट्टी” लाला ने कहा तो सरबी ने शर्मकर नज़रे झुका ली। “

मे तो तुमे जट्टी ही बुलओगा लेकिन तुम मुझे कया कहोगी बोलो” लाला सरबी को बोला।

“लाला जी” सरबी ने हल्की अवाज मे जवाब दिया। “अरे सुना नही मुझे जोर से कहो” लाला बोला।

सरबी ने थोडी उची अवाज मे कहा “लाला जी”। “हाये जान निकाल ली जट्टी तुने तो लाला की” लाला सरबी को बोला।

“मेने जान केसे निकल ली लाला जी आपकी” सरबी ने थोडा शर्माते हुए पुछा।

“अरे ये पुछ केसे नही निकाली जट्टी, तेरा मुस्कुरना, तेरी आंखे का वो नशा, तेरे जिस्म मे दौडती जवानी की बिजली, तेरे प्यारे और छोटे छोटे ये मुम्मे, तेरी वो चुतड्ड मटका के चल्ना और” इस से पहले के लाला कुच और बोलता सरबी ने लाला के मुंह पर हाथ रख उसे चुप करवाया।

सरबी लाला की बाते सुन शर्म से लाहो गयी थी। लाला ने सरबी के हाथ को अपने हाथ मे पकडा और चूम्ते हुए मुंह से हटाया।

लाला सर्बी की आंखो मे देख मर बोला ” बनेगी इस लाला की जान जट्टी, रानी की तरह रखुगा तुमे”।

“हा लाला जी” सरबी बोली, सरबी अब कम शर्मा रही थी लाला से, शायद उसे भी अब लाला के रूप् मे अपनी जवानी का मालिक मिल गया। सरबी के हा बोलते ही लाला ने सरबी को बाहो मे भर कर बैड पर लिटा लिया और उसके उपर आ होंठो को चूमने लगा। सरबी ने लाला के गले मे अपनी बाहो का हार डाल दिया और उसके होंठ चूम्ने लगी। लाला सरबी के होन्य्हो को चूसे जा रहा था और उसके हाथ सरबी के 34 के मुम्मो को मसल रहे थे।


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सरबी लाला के जिसम को सहलाए जा रही थी, उसके मुम्मे लाला के हाथो मे आकर अकड रहे थे और निप्पल कडक हो गये थे। लाला सरबी के होंठ चुस्ते हुए खडा हुआ और कुर्सी पर जाकर बेठ गया। सरबी को समझ नही के लाला ने ऐसा क़्यो किया और वो बिस्तर पेर लेटी लाला को देख रही थी।

“यहा अपने लाला के पास आओ जट्टी” लाला ने सरबी को बुलाया। सरबी भी बिस्तर से उठी और लाला के पास चली गयी, लाला ने सरबी को बाह से पकड खीच लिया और गोद मे बिठा लिया। “अपनी जवानी के दर्शन नही कर्वओगी जट्टी” लाला ने सरबी के मुम्मे म्स्ल्ते हुए कहा।

“तो कारलो ना दर्शन जट्टी की जवानी के लाला जी, अपको रोका किस्ने है” सरबी ने कहा। “रोकने वाला है कौन जान मुझे जब तुम इस लाला की हो गयी हो लेकिन अपनी जवानी के दर्शन तुम खुद कर्वओ मुझे” लाला ने सरबी को गोद से उठाते हुए बोला।

सरबी खडी थी और लाला उसे देख रहा था, एकाएक सरबी ने अपनी कुर्ती उतारनी शुरु करदी। जेसे जेसे सरबी कुर्ती उतर रही थी लाला जट्टी की जवानी देखने के लिये तडप बढ रही थी। सरबी ने कुर्ती उतर दी और लाला के सम्ने सलवार और ब्रा मे खडी थी। जेसे ही सरबी का हाथ सलवार के नाडे पर गया तो लाला बोला “रुको जट्टी”।

लाला उठकर सरबी के पास आकर निचे बेठ गया, और अपने होंठ सरबी की नाभि पर रख दिये। “आह्ह्ह्ह लाला जी” लाला के होंठ सरबी के नाभि पर जाते ही सरबी की सिसकी निकल गयी। लाला सरबी की नाभि को चूम रहा था और उसकी कमर को हाथो से सहला रहा था। धीरे धीरे लाला ने सरबी की सलवार का नाड़ा दाँतो से खींच कर खोल दिया। नाड़ा खुलते ही सलवार जट्टी की टांगों से खिसकती हुई पैरो मे जा गिरी। सरबी अब सिरफ ब्रा और पेंटी मे लाला के सम्ने थी। लाला ने ब्रा के उपर से सरबी की चुत को चूम लिया और हाथो से उसके 36के चूतड़ दबा दिये। “हाये लाला जी”सरबी की सिसकी निकली और उसके हाथ लाला के सर को सहलाने लगे।


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लाला भी सरबी के चूत्डो को दबाते हुए पेंटी के उपर से चूमने लगा। लाला ने सरबी को बैड पर लेटा दिया और उसके उपर आ गया। लाला जट्टी की आंखो मे देख रहा था और फिर उसने अपना मुंह सरबी मुम्मो पर रख दिया। लाला ब्रा के उपर से सरबी के मुम्मे चुस्ने लगा, “आअह्ह्ह लाला जी”सिसकिया लेती सरबी लाला ते जिस्म को श्ल रही थी। लाला ने अपना हाथ सरबी की पीठ पर ले गया और ब्रा की हूक खोल ब्रा निकल कर फेंक दी। “उउफ्फ्फ जट्टी तेरे मुम्मे कित्ने गोरे है दूध जेसे, लेकिन ये इत्ने छोटे क्यो है जान” लाला ने सरबी को देख कर पूछा?


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“क्यो के इन्हे अब तक किसी ने भी अपकी तरह प्यार नही किया लाला जी” सरबी लाला की आंखो मे देख बोली।

“तो आज से लाला रोज जट्टी के मुम्मो को प्यार करेगा” लाला बोला और सरबी का मम्मा मुंह मे डाल चुस्ने लगा।

“हाये लाला जी”सरबी भी सिसकिया लेते हुए लाला से मुम्मे चुस्वने लगी और उसके बदन को सहलाने लगी।

लाला सरबी का पुरा मम्मा मुंह मे डालकर चूस रहा ओर दुसरे मुम्मे को हाथ से दबा रहा था। सरबी भी लाला के निचे पने चुस्वा मजे ले रही थी, आज पहली बार कोई मर्द सरबी के मुम्मो को मुंह मे भर कर चूस रहा था। सरबी आह्ह्ह स्स्सीई हाये लाला जी जेसी आवाजे निकल रही थी। मुम्मे चुस्त हुआ लाला सरबी के पेट को चूम्ने लगा और धीरे धीरे उसके होंठ सरबी की चुत पर आ गये जो अब तक लाला की नज़रो से पेंटी मे छुपी हुई थी।

लाला ने धीरे धीरे सरबी की पेंटी उतार्नी शुरु की और उसे उतर कर निचे फेंक दिया। जेसे ही पेंटी फेंक लाला ने नज़र घुमायी तो दूध जेसी गोरी जट्टी लाला के बिस्तर पर नंगी पडी थी। लाला की नज़रे सरबी की चुत पर आ गयी। सरबी की चुत उसकी टांगो मे बीच छुपी हुई थी, चुत हल्के हल्के बाल थे। लाला ने अपनी बनयान उतार दी और सिर्फ धोती मे आ गया। उसने सरबी की तरफ देख टाँगे खोल्ने का इशारा किया। जेसे ही सरबी ने टाँगे फैलायी तो जट्टी की चुत लाला के सामने आ गयी।

लाला ने एक हाथ से चुत को खोला तो जट्टी की गुलाबी चुत का छेद लाला को साफ दिखाई देने लगा। लाला ने झुक कर अपने होंठो से चुत को चूम लिया। लाला के चुत को चूम्ते ही ज़रबी सिहर उठी उसके बदन मे जेसे हज़ारो वोल्ट का करंट दौडने लगा। लाला ने जीभ से चुत चाटनी शुरु करदी, स्स्सीईईई आह्ह्ह लाला जी कहती हुई जट्टी के हाथो ने लाला को सर से पकड लिया और पागलो की तरह उसे चुत पर दबने लगी।

लाला भी चुत को खोल कर जीभ से चाट रहा था। कभी कभी लाला अपने दाँतो से चुत को हल्का सा काट लेता जिस से सरबी और भी उतेजित हो जाती। आआह्ह्ह्ह लाला जी स्स्सीईई हाये चुस्स लो इसे, सरबी लाला को बोल रही थी। करीब 30मिंट बाद सरबी का जिस्म अकड़ने लगा और उज़्की जवानी का रस्स चुत से रिस्ने लगा, आह्ह्ह्ह लाला जी कहती हुई सरबी झड़ रही थी और लाला उसके रस्स को पिए जा रहा था।

सरबी झड़ कर निढ़ाल हो गयी, और लाला का लण्ड आब धोती मे से खडा होकर सांप की तरह फ़ूकारे मार रहा था।

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"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना " जारी रहेगी
Hot hot update. Sarbi is getting excited with Lala's foreplay.
 

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"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना" – पार्ट – 7


हेल्लो दोसतो मे गौरव कुमार स्टोरी का अगला पार्ट लेके हाज़िर हू। पिछ्ले पार्ट मे आपने पढ़ा के केसे रितु और सरबी लाला की दुकान प्र जाती है और लाला रितु को अलग कमरे मे भेज देता है और खुद सरबी के पास जाता है और उसे नंगी कर उसके मम्मे और चुत चुअता है जिससे सरबी एक बार झड़ गयी है, तो चलिये स्टोरी आगे बढ़ाते है।

सरबी बिस्तर पर लेती हुई थी और उसकी चुत पानी छोड चुकी रही। लाला सरबी को देख धोती के उपर से अपना लण्ड मसले जा रहा, जिस जट्टी को पाने के वह रोज सपने देख्ता था अज वह उसके बिस्तर पर नंगी लेती हुई थी। लाला ने सरबी का हाथ पकडा ओर अपने लण्ड पर रख दिया, “इसे सहलाओ जट्टी”।


सरबी ने लण्ड को हाथ मे पकडा और सहलाने लगी। लाला सरबी के मुम्मे दबा रहा था। लाला ने सरबी उठकर बिस्तर से निचे आने को बोला, और उसके साम्ने खडा हो गया।

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“इसे धोती से बाहर निकालो मेरि जान” लाला सरबी को बोला। सरबी लण्ड को धोती मे देख रही थी और लाला का लंद उसकी उम्मीद से भी बड़ा था। सरबी ने लाला की धोती निकाली, धोती खोलते ही लण्ड सरबी के सामने था और बिल्कुल तना हुआ खडा था। सरबी ने हाथ मे पकड कर लण्ड सहलाना शुरु किया, सरबी के हाथ मे आज पहली बार किसी मर्द का लण्ड आया था वो उसे देखे जा रही थी। लाला ने लण्ड को पकड टोपा सरबी के होंठो पर मसल दिया जिससे सरबी की लिपस्टिक टोपे पर लग गयी।


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लाला ने सरबी को लंड चुस्ने को कहा तो सरबी ने भी बिना हिचकिचाये लण्ड को अपने मुह मे ले लिया और चुस्ने लगी, सरबी पहली बार लण्ड चुस रही थी उसे लण्ड का स्वाद अच्छा लग रहा था और वह लण्ड को जित्ना हो सक्ता मुह मे लेती और चुस्ती। 20-25मिंट लण्ड चुस्वने के बाद लाला ना सरबी को पकड कर खडी किया, “अब इसकी बरी है जट्टी, तैयार है ना ये” लाला सरबी की चुत छूकर बोला।

“हा लाला जी तैयार है”सरबी ने भी आगे से जवाब दिया। लाला ने सरबी को बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी टाँगे फैला बीच मे आ गया। सरबी बिस्त्र पर लेटी थी ओर लाला अपना मिसल जेसा लंड लेकर उसकी टांगो के बीच खडा था, लाला के लण्ड का टोपा सरबी की चुत पर था। लाला ने एक हाथ से सरबी की जाँघ को पकडा और दुसरे हाथ से लण्ड को चुत के उपर मसलने लगा। सरबी अब लण्ड लेने के लिये तडप रही थी, और लाला लण्ड को बाहर मसले जा रहा था।

“आह्ह हाये लाला जी डाल दो अब” सरबी तडपती हुई बोली।

“कया डालू जट्टी, ये भी तो बता” लाला बोला। “चुत मे डालो लाला जी” सरबी ने लाला को कहा लेकिन लाला लण्ड को चुत पर मसल रहा था, “पुरा बोल जट्टी, किसका कया और किसके कहा डालू” लाना सरबी को देखते हुए बोला।

सरबी लण्ड लेने के लिये तडप रही थी और बेशर्मी से बोली, “हाये लाला, अपना लंड डालो जट्टी की चुत मे”।



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लाला भी सरबी से यही सुनना चाहता था और उसने चुत को खोला और लंड को सेट करते हुए हल्का सा धक्का मारा जिससे टोपा चुत मे उतर गया। “आअह्ह्ह “सरबी की हल्की सी सिसकी निक्ली।

लाला ने सरबी की जांघो को हाथो मे पकड सेट होकर खड़ गया और एक जोर का धक्का मारा जिस से लंड सरबी की चुत को चीरता हुआ आधा घुस गया, “हाये लाला आअह्ह्ह्ह “सरबी की सिसकी निकल गयी।

लाला ने देर ना करते हुए एक धक्का और मारा और पुरा लंड सरबी की चुत की गहरायी मे डाल दिया, लंड के निचे लटके टट्टे सरबी के चूत्ड़ौ से टकर गये। “हाये मा आह्ह्ह्ह मार दिया लाले ने उउउफ्फ्फ्फ्फ लाला” लंड पुरा चुत मे जाते ही सरबी की चीख निकल गयी जो उस कमरे मे ही गूंज कर रह गयी।


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पहली बार किसी मर्द का लंड सरबी की चुत मे इतनी गहरायी मे गया था, सरबी को दर्द भी हो रहा था लेकिन वह खुश थी क्योके शादी के बाद जिस दर्द के लिये वह 2 साल से तडप रही वह दर्द अज लाला के लंड ने जट्टी को दिया था, लाला के लंड ने आज सरबी को पहली बार उसकी जवानी का अह्सास कराया।

लाला ने जब चुत को देखा तो उसमे से थोडा सा खुन बाहर आया हुआ था, “अरे ये क्या सरबी जट्टी तुमरी चुत से तो खुन निकल रहा है, कुंवारी हो कया अब तक” लाला ने सरबी के चूतड़ सहलाए हुए पुछा। “आह्ह्ह्हहा हाये हा लाला जी स्स्स्स्स्सीईई अज पहली बार आपका लंड गया है इस मे उउउह्ह्ह्ह ” सरबी सिसकिया लेते हुए बोली।

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लाला समझ गया के सुखा नामर्द है और लाला मन ही मन मे खुश हो रहा था क्योके आज उसके लंड ने एक शादीशुदा कुंवारी जट्टी की सील तोड दी थी। लाला ने लंड को हल्के हल्के धक्के मारते हुए सरबी की चुत मे आगे पीछे कर्ने लगा, सरबी भी “आअह्ब्ब्ब स्स्सीई लाला जी”सिसकिया लेती हुई लंड का स्वाद लेने लगी।



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धीरे धीरे लाला ने स्पीड बढा दी और तेज तेज चोदने लगा। लाला के धक्को से सरबी के मुम्मे उछल रहे थेओर सरबी भी “आअऊच्छ लाला जी हये चोदो लाला जी” सियकिया लेते हुए चुदवा रही थी। सरबी की सिसकिया लाले के जोश को और बढा देती, वह और तेजी से लंड अन्दर बाहर करता। लंड के धक्को से पूरे कमरे मे छप छप की अवाज गूंज रही थी, और जेसे जेसे लाला धक्के मारता तो सरबी की पायल भी शोर मचा देती, एसा लगता मानो वह कह रही हो के जट्टी लाले से चुद गयी।

लाला तेज तेज धक्के मारे जा रहा था और सरबी भी बेशर्म होकर अब लाला का लंड ले रही थी। “केसा लग रहा है मेरि जट्टी, मजा तो आ रहा है जट्टी को लाले के लंड से”लाला धक्के मारते हुए सरबी से पुछा।


“आअह्ह्ह्ह मा हायेई ईईस्स्स्स्सीई लाला जी बहुत मजा आ रहा है इस लंड से मुझे उउउउफ्फ्फ्फ्फ”सरबी ने भी बेशर्म होकर जवाब दिया।

करीब पौना घन्टा चुदाई के बैड अब सरबी का जिस्म फर से अकड रहा था तो लाला भी अब मंजिल के करीब था, लाला ने सरबी को पकड कस कर 3-4 धक्के मारे और लंड को सरबी की चुत मे पूरा उतार रुक ज्ञ।

सरबी की चुत भी पानी छोड़ रही थी और लाला की लंड भी सरबी की चुत के अन्दर गहराई मे अपने माल की पिचकारीया मार रहा था। सरबी के चेहरे पर एक खुशी थी, जो लाला की मर्दानगी की वजह से आयी थी। लाला ने सरबी की बाजू को पकडा और उसे बेठ्ने को कहा। सरबी बेठ गयी, लाला का लंड अब भी चुत के अन्दर ही था। लाला सरबी की आंखो मे देख रहा था। लाला के हाथ सरबी की कमर से होए हुए उसकी पीठ पर थे, “केसा लगा जान लाला का लंड” लाला ने सरबी को देखते हुए पूछा।



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“मजा आ गया लाला जी, आपके इस लंड ने मेरे सारे अरमान पूरे कर दिये” सरबी ने लाला को देख जवाब दिया। लाला ने सरबी का जवाब सुन उसके होंठ चूम लिये।

“अभी तो पूरी रात पडी है जान, बस देखती जा केसे लाला जट्टी के अरमान पूरे करता है” लाला बोला और उसने सरबी का मम्मा मुंह मे डाल चुस्ने लगा, आह्ह्ह्ह्ह सरबी की सिसकी निकली ओर उसके हाथ लाला के सर को सहलाने लगे। लाला ने लंड चुत मे से निकाला सरबी की तरफ देखा “चल अब इस लाला की घोड़ी बनजा जान”।

सरबी की शरम अब पूरी तरह से उतर चुकी थी और वह लाला के कहे अनुसार घोड़ी बन गयी। लाला सरबी के चूतड़ देख कर लंड मसल रहा था उसे यक़ीं नही हो रहा था के कभी जिस जट्टी के चूतड़ देख वह उसे घोड़ी बनाने के सपने लेता था वह आज उसके सामने नंगी खडी थी।

लाला लंड को मस्लता हुआ सरबी पास आया और उसके चूतड़ मस्ल्ने लगा। “उउफ्फ सरबी जान, कितने मुलायम चूतड़ है तेरे, कहा छुपा के रखे थे ये लाला से” लाला चूतड़ मसल कर बोला।


“हाये लाला जी, धीरे मसलो बहुत नरम है ये” सरबी बोली।

लाला ने जोर से चूतड़ मसल दिये, “तो इत्ने नरम किसके लिये किये है जान”लाला चूतड़ो को चूम्ते हुए बोला।

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“स्सिसीई अपने लाला के लिये”सरबी सिस्की लेती हुई बोली। लाला का लंड अब तन चुका था, लाला ने अपने लंड को चुत पर मस्ल्ते हुए सेट कर्ने लगा। “तैयार हो मेरि घोड़ी इस घोड़े से चुद्ने के लिये” लाला ने लंड मसले हुए पुछा।

“हा लाला जी आपकी घोड़ी तैयार है” सरबी ने जवाब दिया और आपमे चूतड़ो को लाला के लंड पर दबा दिया।


लाला ने बिना देर किये लंड को चुत पर सटाया और सरबी की कमर को पकड पूरे जोर से धक्का दे मारा। लाला ने एक ही धक्के से इस बार अपना पूरा लंड सरबी को चुत मे उतर दिया, “आअह्ह्भ लाला जी स्स्सिसिस्स्सी” सरबी सिसकी लेती हुई कस्मसाई और लाला के लंड को अपनी चुत मे पूरा समा लिया। लाला ने अब सरबी की कमर पकड धक्के मारने शुरु किये, लाला जब धक्के मारते हुए सरबी ले चूत्ड़ौ से टकराता तो कमरे मे छपछप की अवाज गूंजने लगी। लाला ने अब स्पीड बढा और तेज धक्को के साथ सरबी की चुत चोदने लगा। सरबी भी अपने चूतड़ आगे पीछे कर लाला के लंड मा मजा ले रही थी।

“आअह्ह्ह्ह लाला जी चोद दो अपनी जट्टी को आज आह्ह्ह उउउफ्फ्फ लाला जी”सरबी सिसकिया लेते हुए लाला से घोड़ी बनकर चुदवा रही थी। लाला के धक्को से सरबी के मम्मे उछल रहे थे, “आअह्भ मेरि जान सरबी उउउफ्फ्फ जट्टी अज से तू लाला की जान है”लाला सरबी चोदते हुए बोला।

लाला धक्के पर धक्के मारे जा रहा था और सरबी “आह्ह्ह्ह हाये लाला जी ममममममं आह्ह उउफ्फ्फ्फ” सिसकिया लेती हुई चुदवा रही थी। इसी तरह चुदायी करते हुए एक घन्टा बीत चुका था, लाला ने अब लंड बाहर निकाला ओर सरबी को बिस्तर पर लेटने को कहा। सरबी बिस्तर टाँगे फैला कर लेट गयी, और लाला सरबी के उपर आ गया। लाला ने हाथ से लंड का टोपा सरबी की चुत पर सेट किया और सरबी की आंखो मे देखते हुए लंड को सरबी की चुत मे धकेल दिया।


“आअह्ह्ह्ह लाला जी स्स्स्स्सीईईई “सरबी की सिसकी निकली और लाला का लंड पुरा चुत मे उतर गया। लाला ने अब हल्के हल्के धक्के मारने शुरु किये। सरबी मे हाथ लाला की पीठ को सहला रहे थे और लाला का सरबी की चुत खोल रहा था। लाला चुत मे धक्के मार रहा था और साथ ही सरबी के होंठ चूमने लगा, उउउम्म्म्माआआ सरबी जान, सरबी भी लाला मे होंठ चूमती निचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर लाला के लंड का मजा लेने लगी।

लाला तेज तेज धक्के मार रहा था, जब भी कभी लाला रुक कर अपना पूरा लंड बाहर निकाल जोर से धक्का मारता तो सरबी की टाँगे हवा मे उछल जाती और सिस्सक कर रह जाती। “आअह्ह्ह्ह्ह लाला जी हाये चोदो मुझे”सरबी लाला की आंखो मे देख रही थी, सरबी की बात सुन्ते ही लाला ने जोर से धक्का मारा जिस से सरबी का पुरा जिस्म् हिल गया।


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सरबी लाला मे निचे लंड के धक्को से उछल रही थी उसकी चूडिया खन खन की आवाजे निकाल रही थी तो पायल छण छण की। लाला के धक्को से पलंग भी हिल्ने लगा था। सरबी अब तक दो बार झड़ चुकी थी और फिरसे उसका जिसम अकड रहा था और लाला भी अब करीब था। लाला ने अब धक्को की स्पीड और बढा दी, आअह्ह्ह्ह स्स्स्सीईई लाला जी सरबी सिसकिया ले रही थी। करीब 10मिंट बाद सरबी की चुत पानी छोड़ने लगी।

लाला ने भी एक जोर का धक्का मारा और सरबी के उपर लेट गया। लाला का लंड भी जट्टी की चुत मे पिचकारीया मार रहा था। सरबी ने लाला को अपनी बाहो मे जकड़ लिया और दोनो एक दुसरे लिपट गये। कुच टाईम बाद लाला सरबी की गालों को चूम्ते हुए उपर उठा और सरबी की आंखो मे देख पुछा, “केसा लगा जट्टी को लाला की दुल्हन बनकर”।

सरबी ने अपने हाथो से लाला के चेहरे को सहलाते हुए कहा, “मजा आया लाला जी, आपने तो आज जट्टी को खुश कर दिया”। लाला ने सरबी के होंठो को चूम लिया, “जान अब तो एसे ही खुश रखुगा तुझे मे”लाला सरबी के होंठ चुस्ने लगा। सरबी भी लाला के सर को सहलाते हुए लाला के होंठ चुम रही थी। दोनो एक दुसरे के होन्ठ चूम रहे थे के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। लाला दरवाजे की तरफ देखकर सरबी को बोला, “मे देखकर आता ही जान”। सरबी ने हा मे सर हिलाया और लाला ने अपना लंड चुत मे से निकाला जो अब तक सरबी की चुत मे था, लाला ने धोती बंधी और जाकर दरवाजा खोला तो रितु सामने खडी थी। “कया हुआ रितु क्यो आधी रात को ही दरवाजा तोड रही हो”लाला बोला। “लाला जी आधीरात कहा, सुबह के 5 बजने वाले है” रितु बोली।


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“कया”लाला ने हैरां होकर रितु को देखा और फिर कमरे मे लगी घड़ी को देखा तो 5ब्ज्ने मे 10मिंट रह्ते थे। लाला और सरबी चुदायी मे इतना खो ग्ये थे के उन्हे टाईम का पाता ही नही चला। “चल तू जा कमरे मे मैं भेजता हू सरबी को”लाला रितु को बोला। “जल्दी भेजिए लाला जी”रितु मुस्कुराती हुई चली ज्ञी। लाला ने दरवाजा लगाया और सरबी साथ आकर लेट गया। सरबी ने अपना सर लाला की छाती पर रखा, “रितु थी लाला जी” सरबी ने पुछा। “हा जान”लाला बोला।

“कया कह रही थी”सरबी ने पुछा। “टाईम बताने आयी थी, 5बजने वाले है जान” लाला बोला। सरबी चौंक कर उठी “5ब्ज्ने वाले है लाला जी”। लाला ने सरबी को पकड लेटाया और उपर आ गया “हा जट्टी क्यो कया हुआ” लाला बोला। “लाला जी जाना है हमे फिर, इस से पहले के कोई हमे इधर से जाता देख ले”। सरबी बोली। “फिर कब आओगी जान” लाला ने पुछा।

“जब आप बुलाओ, लेकिन अभी जाने दिजीये” सरबी बोली। “ठीक है जान” कहते हुए लाला ने सरबी को छोड़, सरबी ने अपने सारे कपडे पहने और जाने लगी तो लाला ने सरबी को पकड लिया “एक चुम्मी तो देती जा जट्टी”। सरबी भी लाला से लिपट गयी और उसके होंठो पर होंठ रख दिये उउउम्माआ,,, अच्छा लाला जी चलती हू। सरबी लाला की किस्स कर कमरे से बाहर निकल गयी, रितु भी बाहर बेठी थी। रितु सरबी को देख आंख मार कर मुस्कराई और फिर दोनो लाला की दुकान से घर को चल दी।

कहानी ""पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना" " जारी रहेगी
Finally chud gai Jatti lala ke bade lund se.
 

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 9


हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर।

रितु अब तक खाना खा चुकी थी और नहा धोकर लाला की दुकान की ओर चल पड़ी। जब वह तो जा रही तो भूरा अप्ने घर के बाहर बेठा था तो उसने रितु को जाते देख बोला, अरे भाभी जी आज सुबह सुबह कहा चल दी “।

” सेठ जी के पास किसी काम से जा रही हू भूरा ” रितु ने जवाब दिया।

” क्यो भैया जी काम पर गये है क्या जो आप जा रही हो ” भूरा बोला।

” हा भूरा वो तो की दिनो से ट्रक पर गये है, ” रितु बोली।

” आईये ना भाभी जी चाय पीते जाईये एक कप, फिर चले जाना ” भूरा रितु को निमन्त्र देते हुए बोला।

” अरे नही भुरा मुझे जल्दी है, फिर कभी चाय पिलुगी ” रितु ने जवाब दिया।

” अरे इत्नी भी कया जल्दी भाभी जी, चाय पिते जाईये 5 मिंट तो लगेगे भी नही ” भूरा रितु को जोर देकर बोला।

” अच्छा अब तुम इत्ना जोर दे रहे हो तो पी लेती हू ” रितु भूरा को बोली घर मे आ गयी।

भूरा जल्दी से दो कप चाय ले आया ओर साथ मे कुछ बिस्किट भी।

” लिजिये भाभी जी, उठाईये चाय ” भूरा चाय मेज पर रख्ता हुआ बोला।

रितु ने चाय का कप उठाया और एक बिस्किट भी ले लिया।

” ओर बताईये भाभी जी कोई नयी कली आयी है के नही ” भूरा मुछो को ताव देता हुआ बोला।

” अरे अब नयी कली कहा भूरे, खर्च भुत हो जाता है और उपर से पुलिस का डर सो अलग ” रितु चाय की चुस्की लेती हुई बोली।


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अप्ने पती की गैरहाजरी मे रितु लड़किया सप्लाई करने का काम भी करती है और कभी कभी अपना घर घंटे के हिसाब से किराए पर लगाती है।

” ओर वो नयी चिडिया जो आयी है आपके पडोस मे उसका क्या सीन है ” भूरा सरबी की तरफ इशारा करते हुए बोला।

” वो एसी नही है भूरा, सीधी सादी है बेचारी काम करके घर चलाती है, ” रितु ने स्पस्ट जवाब दिया।

” अरे क्या भाभी जी जट्टी हो और सीधी सादी, और फिर आपसे तो अच्छी बनती है उसकी थोड़ा रास्ता दिखाओ मंज़िल तक भूरा खुद पहुंच जायेगा ” भूओर ने जवाब दिया।


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” हम्म्म है तो बेचारी पयासी ही, कोशिश करके देख ले अगर तेरे जाल मे आ जाये तो ” रितु ने चाय का कप निचे रखते हुए कहा।

” तो समझ लो मच्छ्ली जाल मे आ गयी, मुझे भी धान्का मत केहना अगर जट्टी को अपने निचे ना ला स्कू तो ” भूरा मुस्कुरते हुए बोला।

रितु भी हसती हुई भूरा के घर से निकल गयी।

तेज तेज चलती हुई रितु लाला का दुकान पर पहुंची तो दुकान बंद थी। रितु ने लाला को फोन किया।

” हेल्लो ” लाला ने फोन उठाया और बोला।

रितु – ” हा सेठ जी रितु बोल रही हू “।

लाला – ” हाये बोल मेरि जान केसे याद किया “।

रितु – ” आपकी दुकान पर थी सेठ जी, कुछ वादा किया था आपने सोचा मे याद दिला दूं “।

लाला – ” अरे रानी याद है मुझे तेरे से किया वादा लेकिन अभी तो मे शहर से बाहर गया काम से “।

रितु – ” तो कब तक लौटेगे बता दिजीये तब आ जाओगी मे “।

लाला – ” कल सुबह तक आओगा जान तब, तेरा वादा भी निभा दूगा और कुछ काम है वो भी निपटा लेगे “।


रितु – ” ठीक है सेठ जी कल सुबह आओगी फिर, अब रखती हू फोन “।

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लाला – ” ठीक है मेरि रानी “।

रितु ने फोन रखा और वापिस घर की और चल दी।

पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी


Ritu to dalla nikli.
 

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 10


हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर।

दिन भर सोने के बाद सरबी अन्ग्ड़ाई लेती हुई और फ्रेश होने चली गयी। फ्रेश होने के बैड सर्बी ने चाय बनायी और आपमे सास ससुर को दी ओर खुद भी अपने बैड रुम मे आकर चाय पीने लगी। सरबी ने अभी चाय की चुस्की ही ली थी की उसका फोन बज पढ़ा, सरबी ने नम्बर देखा तो नया नम्बर था। ” हेल्लो ” सरबी ने फ़ोन उठकर बोला।

” केसी है जट्टी, लाला बोल रहा हू ” बनवारी लाला ने सरबी की सुनकर कहा।

लाला की अवाज सुनकर सर्बी शर्मा सी गयी, ” अची हू लाला जी अप केसे है “।

” मे भी बस ठीक हू जान तेरे बिना केसा हो सक्ता हू ” लाला ने जवाब दिया।

” क़्यो लाला जी मेरे बिना मतलब, मे समझी नही ” सरबी ने मुस्कुरते हुए कहा।

” मतलब तेरी याद आ रही थी जट्टी, कल रात तक तो तू मेरे साथ थी ” लाला ने लंड म्सल्ते हुए कहा।


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रात का जिकर आते ही सरबी शर्मा गयी, ” लाला जी आप भी “।

” लय मे भी जान, तेरी याद मे ये छोटा लाला खडा है अज फिर ” लाला बोला।

” तो उसे बिथा दिजीये ना लाला जी, खडा खडा थक जायेगा बेचारा ” सरबी ने भी अब बेशरमी से जवाब दिया।

” केसे बिठा दु जान, बोल रहा है के जट्टी आयेगी तो उसके हाथो मे ही बेठना है। ” लाला ने लंड को मसला।

” हाये जट्टी तो फिर कछ दिन रुक कर आयेगी ” सरबी ने कहा।

” कित्ने दिन जान ” लाला ने पुछा।

” कुछ दिन तो रुकिये लाला जी, अच्छा रख्ती मे फोन ” इत्ना कहते हुए सरबी ने फोन काट दिया।

फोन काटते वक़्त जेसे ही सरबी ने टाईम देखा तो वो हेरान हो गयी।

” हे भगवान 4 बज ग्ये ओर अबी तो मुझे बाज़ार से सब्जी भी लानी है ” सरबी सोच्ने लगी और उसने जल्दी जल्दी चाय खतम की और तैयार होकर बाज़ार की और चल दी। बाज़ार जाते वक़्त जेसे ही सरबी भूरा के घर के पास से गुजरी तो भूरा ने उसे देख लिया। भूरा ने जल्दी जल्दी अप्ने कपडे पहने और मोटरसाइकिल पर सरबी के पीछे पीछे चल दिया।

बाज़ार मे पहुंच भूरा ने बाइक पार्किंग मे लगा दी और पैदल ही सरबी का पीछा करने लगा। सरबी को भूरा का पता नही था के वह उसका पीछा कर रहा है, इस्लिये वो अपने ही ध्यान मे बाज़ार मे सब्जी वाली दुकाने देखती जा रही थी और एक दुकान पर रुकी, ” टिंड़े का क्या भाव है ” सरबी ने पुछा। ” 30रुपय किलो ” दुकानदार बोला। ” 30रुपए इतना महँगा कौन लेगा ” कहती हुई सरबी आगे बढ गयी। भूरा भी सरबी के पीछे ही था।


आगे एक दुकान पर जाके सरबी फिर से रुकी, ” लोकी किस रेट पे दे रहे हो “।

” 15 रुपए बहन जी ” औरत ने जवाब दिया।

” 1 किलो कर दो ” सरबी ने कहा।

वही पर भूरा भी आ गया, ” खीरा क्या भाव दिया रानी “।

” अरे भूरा तू, इत्ने दिन बाद केसे आ गया आज, 10रुपए किलो है ” औरत ने जवाब दिया। सब्जी वाली का नाम रानी था, उमर 34, फिगर 36-34-38और भूरा उसे जानता था। रानी अक्सर रितु के द्वारा कोठो पर जाती थी, और भूरा भी कई बार उसकी जवानी का मजा चख चुका था।

” बस यही होता हू रानी कभी टाईम ही नही लगा, अरे भाभी जी आप ” भूरा सरबी को देखकर बोला, ” नमस्ते भाभी जी “।

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” नमस्ते ” सरबी मे भी भूरा को बुलाया।

” सब्जी लेने आयी है भाभी जी ” भूरा ने पुछा।

” हा भूरा जी, वो काम पर थे तो मे खुद आ गयी ” सरबी ने उत्तर दिया।

” ए रानी हमारी भाभी जी है, जायज रेट लगाना जो भी ले, ” भूर रानी को देख कर बोला।

” अरे हा भूरा तुमने बोल दिया समझो हो गया ” रानी ने भी हस्ते हुए जवाब दिया।

सरबी ने कुछ सबजी ली और जाने लगी तो भूरा ने फिर सरबी को बुलाया ” अरे भाभी जी हम छोड़ देते है आपको कहा पैदल जायेगी या रिक्सा करेगी “।

” अरे नही देवर जी मे चली जाओगी ” सरबी ने कहा।

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” अरे कया भाभी जी देवर भी कहती हो और मना भी करती हो, आईये आप मे छोड़ देता हू आपकों ” भूरा ने जोर दिया तो सरबी साथ चल पड़ी।

पार्किंग से भूरा ने अपना मोटरसाइकिल निकाला और स्टार्ट किया, ” बेठीये भाभी जी “। सरबी पीछे बेठ गयी तो भूरा ने मोटरसाइकिल गियर मे डाला और चल दिया। भूरा मोटरसाइकिल धीरे चला रहा था और बीच बीच मे ब्रेक लगा रहा था जिस से सरबी के मम्मे भूरा की पीठ से चिपक जाते। मोटरसाइकिल भूरा ने अपने घर के साम्ने रोक ली, ” आईए भाभी जी चाय पिलता हू आपको “। ” अरे नही देवर जी हम पहले ही बहुत लेट है अभी सब्जी भी बनानी है ” सरबी बोली।

” अरे तो कया हुआ भाभी जी एक कप चाय पी लिजिये ना 5मिंट लगेगे बस, आईए आप ” भूरा सरबी को बोला। ” अरे देवर जी, अच्छा ठीक है चलिये ” सरबी भी अब भूरा के साथ घर मे चली गयी।

भूरा जल्दी जल्दी चाय बना के ले आया ओर बिस्किट भी। ” लिजिये भाभी जी, बताईये केसी बनी है ” भूरा चाय रखते हुए बोला। सरबी ने चाय उठाई और एक चुस्की ली, ” केसी बनी है भाभी जी चाय ” भूरा बोला।

” अच्छी है ” सरबी बोली। ” अरे भाभी जी आप तो शर्मा रही है, शर्माइये मत अप्ना ही घर समझिये ” भूरा बोला। सरबी चाय पी रही थी और भूरा सरबी के जिस्म को निहार रहा था।

” भाभी जी एक बात बोले अगर बुरा ना माने तो ” भूरा ने कहा।

” कया देवर जी ” सरबी भूरा को देख बोली।

” आप हो एक दम मस्त कली ” भूरा सरबी को देख्ते हुए बोला।


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भूरा की बात सुन सरबी शरम से लाल हो गयी।

” अरे मजाक कर रहा हू भाभी जी अप तो शर्मा गयी ” भूरा हस्ते हुए बोला।

” आप भी बहुत शरारती हो देवर जी ” सरबी भी मुस्कुराती हुई बोली।

” अच्छा देवर जी मे चलती हू ” सरबी चाय का कप रखती हुई बोली।

” फिर कभी बाज़ार जाना हो तो बता देना भाभी जी ” भूरा सरबी को बोला।

” हा देवर जी जरुर ” कहती हुई सरबी बाहर निकली और अपने घर को चल दी।

पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी

Bhura bhi line maar raha hai Sarbi par.
 

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पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना – पार्ट – 16

हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट लेकर। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे सरबी फिर लाला से मिलने गयी और लाला ने दारु के साथ सरबी की चुदाई शुरू करि . अब आगे .

सरबी लाला के लंड को सहल्ने लगी जो अभी अभी सरबी के मुह और मम्मो पर झड़ चुका था, सरबी ने लाला की तरफ देखते हुए पुछा, “ये सब आपके लिए क्या है लाला जी”। फिर सरबी ने अपने मम्मो पर गिरे लंड के पानी की तरफ इशारा किया।

“अरे लाला का बीज है जट्टी, इसी बीज से तो तेरी कोन्ख हरी करुगा मे” लाला ने कहा और मुस्कुरा पड़ा
सरबी भी लाला की बात सुन मुस्कुरा दी, और फिर उठ कर एक कपडे से अपने मुह और मम्मो को साफ़ किया। लाला भी सरबी के पीछे ही आ गया और उसने अपने आधा खडा लंड सरबी के चुतडौ की दरार मे फसा कर सरबी की गर्दन को किस्स करते हुए उसके मुम्मे पकड कर मसल दिये। “स्सीईई हयेए लाला जी” सरबी की सिसकी निकल गयी और लाला धीरे धीरे वसे ही अपना लंड सरबी के चुतडो मे मसल कर खडा करने लगा।

सरबी कहने लगी . "लाला जी आपसे कुछ अर्ज करनी थी"

लालजी उसे चुम कर कहने लगे- बोल सरबी क्या चाहती है तू ?

" अरे लालजी ज्यादा नही लाला जी बस अपना खाता साफ चाहिये”। सरबी ने भी तीर चला दिया और थोड़ा दूर खिसक गयी

लाला . समझ गया की जट्टी अब अपनी बात मनवा कर ही मानेगी - "ठीक है कर दूंगा पर अपने तरीके से किसी को शक नहीं होना चाहिए . सगली फसल आने पर हिसाब साफ़ कर दूंगा . अभी दुनिया के लिए सब ऐसे ही चढ़े रहन दे मेरी जट्टिए अब आजा मेरे पास " और जट्टी महरबानी लाला जी कह लाला से चिपक गयी और लाले को चूमने लगी

थोड़े समय मे ही लाला का लंड फिर से सर उठा कर तैयार खडा था, लाला ने वही पर सरबी को आगे को किया और सरबी दीवार के सहारे आगे की तरफ झुक कर घोड़ी बन गयी। लाला ने अपना लंड सरबी की चुत पर मस्ल्ने लगा और उसे चुत के छेद पर दबाने लगा। लाला ने हल्का सा जोर दिया तो लंड का टोपा चुत को चीर अन्दर चला गया। “तैयार हो ना जट्टी ” लाला ने सरबी को पुछा।

“स्सीई हा लाला जी तैयार हू” सरबी मे कहा। लाला ने सरबी की हा सुन्ते ही एक धक्का मारा और लंड चुत को चीरता हुआ आधा अन्दर जा घुसा।

“हयेई मर् गयी, लाला जी धीरे उउउफ्फ्फ” सरबी ने सिसकी ली। “तेरे जेसे जट्टी लंड के आगे हो तो अप्ने आप जोर लग जता है जान” लाला ने कहा और एक धक्का और दे मारा जिस से लंड चुत को चीर जड़ तक अन्दर चला गया, ” आअह्ह्ह्ह्ह लाला जी स्स्सीईईई” लाला के धक्के से सरबी आगे को हो चली और दीवार से टकराते बच गयी, सरबी को लाला का लंड अपने अन्दर गहरायी तक मेहसूस हो रहा था, लाला ने अब हल्के हल्के धक्के लगाने स्टार्ट किये वो लंड को थोड़ा सा बाहर निकलता और फिर अन्दर डाल देता, सरबी भी अब सहज होती हुई लाला के लंड का मजा लेने लगी, आअह्ह्ह्ह उउउफ्फ्फ्फ्फ की आवाजे निकालने लगी। लाला ने अब धीरे धीरे धक्के तेज कर दिये थे और औरे जोश मे छोड़ने लगा, जब लाला का का लंड अन्दर जाता और लाला के पट्ट सरबी के चुतडौ से टकराते तो थपथप की आवाज आ रही थी।

सरबी भी आआह्ह्ह्ह उउउउफ्फ लाला जी स्स्सीईई हयेए तेज चोदो अपनी जट्टी को स्सीई करती हुई सिसकिया लेते लाला से चुदवाए जा रही थी।

” स्स्स्सीईई हयेई लाला जी चोदो अपनी जट्टी की उउउउफ्फ्फ” सर्बी पीछे मुड़कर लाला को देखती हुई बोली।

लाला भी सरबी की बात सुन जोश मे आ गया और उसने और तेज तेज धक्के लगाने चालू कर दिये, “चोद रहा हू जान, तुझेचोदने के लिये तो लाला कबसे बेताब था”।


लाला सरबी की कमर को पकड कर अपना लंड उसकी चुत की गहराईयो मे उतर रहा था। एक दम से लाला लंड बाहर खीचता और फर से एक ही झटके मे अन्दर डाल देता, कमरे सरबी की सिसकिया और उसके पैरो की पायल की खन खन सुनाई दे रही थी जो इस बात की गवाही भर रही थी के अज फिर जट्टी लाला के लंड से चुद रही है। लाला भी धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था और सरबी जो कल तक पराये मर्द को देखती तक ना थी अज लाला के लंड के आगे घोड़ी बनी हुई थी। सरबी लाला की ताकत के आगे दो बार झड़ चुकी थी और अब लाला भी अपनी मंजिल के करीब था।

उसने सर्बी को बाजुओ के कोहनी से पकडा और तेज तेज घस्से मारने लगा, “आह्ह्ह सरबी मेरि जट्टी तेरे लाला का बीज निकलने वाला है, सम्भाल लेगी ना इसे अपनी कोन्ख मे”, लाला बोला।

“हायेए लाला जी आह्ह्ह्ह हा सम्भाल लगी उउउफ्फ्फ्फ अप डाल दो अन्दर ही”, सरबी ने भी सिसकिया लेती हुई ने जवाब दिया। लाला ने सरबी की बात सुन एक और का धक्का मारा और लंड को सरबी की चुत मे पुरा डाल कर रुक गया, लाला के लंड से वीज की धार सरबी की चुत मे पड़ रही थी, सरबी के चेहरे पर एक सुकून भरी खुशी और तस्सल्ली थी जो उसे लाला के लंड ने दी। पुरा वी्ज सरबी की चुत मे छोड़ लाला ने लंड बाहर निकाला और सरबी अब सीधी खडी हुई तो लाला ने उसे सीने से सटा लिया

“मजा आया जान अपने लाला के साथ”, लाला ने सरबी की तरफ देखते हुए पुछा, सरबी ने मुस्करा कर लाला की तरफ देखा, “हा लाला जी बहुत मजा आया”, सरबी ने कहा और लाला ने उसके होंठ चूम्ने सुरु कर दीये, “उउउफ्फ्फ छोडिए लाला जी अब कपडे पहनने दिजीये”, लाला ने सरबी से खुद को छुड़ा कपडे पहनने लगी, लाला सम्ने बैड पर बेठ कर सर्बी को देखने लगा और अप्ना लंड सहलाने लगा, सरबी कपडे पहनती हुई लाला को देख रही थी, “अब इसे क्यो सहला रहे हो लाला जी”सरबी लाला को देखकर बोली, “हाये जान ये तुमरे अन्दर जाना चाहता है और मे इसे समझा रहा हू”लाला ने सरबी को कहा, “अच्छा अभी तो निकला है अन्दर से ये” सरबी मुस्कुरते हुए बोली, “हा लेकिन क्या करे जट्टी है ही इत्नी सुन्दर के इसे बाहर आने का मन ही नही करता”, लाला ने कहा, सरबी ने कपडे पहन लिये थे

“अच्छा लाला जी अब मे चलती हू, इसे कहिये कुच दिन बाद आओगी तब अन्दर जायेगा ये”, इत्ना कहती हुई सरबी लाला की दुकान से बाहर निक्ली और ढलती रात के अन्धेरे मे रितू के घर आ गयी।

उसी दिन मैं गाँव से लौटा और ढलती रात के अन्धेरे मे मैंने सरबी को छिपते छिपाते अपने घर से निकलते हुए देख लिया


पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
Sarbi to ab bilkul chuddakad ho gai hai.
 

aamirhydkhan

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पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–37

सिनेमा हाल में मेरा पहला सेक्स अनुभव



मैं अब डेजी दीदी को और कहीं ले जाना चाहता था मुझे डेजी दीदी को आराम से छूने का अच्छा मौका सिनेमा हॉल में मिल सकता था । जब दीदी सिनेमा जाने के लिए तैयार होने लगी तो मैं धीरे से दीदी से कहा आज तुने उस दिन जो स्कर्ट ली थी वही पहन कर चलो ।

दीदी बस थोड़ा-सा मुस्कुरा दीं और स्कर्ट पहनने के लिए राजी हो गई ।

ठीक ठाक मौसम था इस लिए मैं और दीदी ने ऊपर से जैकेट भी ले लिया था। मैंने आज यह सिनेमा हॉल जान बूझ कर चुना था, क्योंकि यह हॉल शहर से थोड़ा-सा बाहर था और वहाँ जो फ़िल्म चल रही थी वह दो हफ्ते पुरानी हो गई थी। मुझे मालूम था कि अब हॉल में ज़्यादा भीड़ भाड़ नहीं होगी। हमने वहाँ पहुँच कर टिकट ले ली और हॉल में जब घुसे तो किसी और फ़िल्म का ट्रेलर चल रहा था, इसलिए हॉल के अंदर अँधेरा था।

जब अंदर जा कर मेरी आंखें अंधेरे में देखने में कुछ अभ्यस्त हो गई तो मैंने देखा कि हॉल में कुछ लोग ही बैठे हुए हैं और मैं एक किनारे वाली सीट पर दीदी को ले जाकर बैठ गया। हम लोग जहाँ बैठे थे उसके आस पास और कोई नहीं था और जो भी हॉल में बैठे थे वह सब किनारे वाली सीट पर बैठे हुए थे। हम लोग भी बैठ गए, सिनेमा देखने लगे। मैं सिनेमा देख रहा था और दिमाग़ में सोच रहा था।

मैं अपनी सीट पर मैं आराम से पैर फैला कर बैठ गया। डेजी दीदी मेरे दाहिने तरफ़ बैठी थीं मैं धीरे से अपना दाहिना हाथ बढ़ा कर दीदी के कंधे पर रख दिया, दीदी के अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया मैंने इधर उधर देखा सब कपल ही थे हाल में और आपस में मस्त थे, फिर मैंने दीदी से धीरे से पूछा मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?

डेजी दीदी कुछ नहीं बोलीं और आस पास देखा सब अपने साथी के साथ मग्न थे और अपनी सर मेरे कंधों पर टिका कर आंखें बंद कर ली। मैंने दीदी की ठुड्डी पकड़ कर उनका चेहरा अपनी तरफ़ घुमाया तो दीदी ने मेरी आंखों में झांका और फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं । मैं अब तक दीदी को पकड़े-पकड़े गर्म हो चुका था और मैंने अपने होंठ दीदी के होंठों पर रख दिए । दीदी के होंठ बहुत ही रसीले और गर्म थे ।

जैसे ही मैंने अपने होंठ डेजी दीदी के होंठ पर रख मैं दीदी को कुछ देर तक चूमता रहा चूमने से मैं तो गर्म हो ही गया और मुझे लगा कि दीदी भी गर्मा गई । दीदी मेरे दाहिने तरफ़ बैठी थी अब मैं अपने हाथ से दीदी की एक चूची पकड़ कर दबाने लगा मैं इत्मीनान से दीदी की चूची से खेल रहा था क्योंकि यहाँ किसी के आने का डर नहीं था।

मैं थोड़ी देर तकडेजी दीदी की एक चूची कपड़ों के ऊपर से दबाने के बाद मैंने अपना दूसरा हाथ दीदी की टॉप के अंदर घुसा दिया और उनकी ब्रा के ऊपर से उनकी चूची दबाने लगा ।

मुझे हाथ घुसा कर दीदी की चूची दबाने में थोड़ा अटपटा-सा लग रहा था और इस लिए मैंने अपने हाथों को दीदी की टॉप में से निकाल कर अपने दोनों हाथों को उनकी कमर के पास रखा और धीरे-धीरे दीदी की टॉप को उठाने लगा और फिर अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को पकड़ कर ज़ोर जोर से मसलने लगा । दीदी ने अपना जैकट इस तरह अपने और मेरे ऊपर रख लिया था कि किसी को ंजे नहीं आये की मेरे हाथ कहाः थे और क्या कर रहे थे ।

फिर मैंने कुछ देर उनके बूब्स दबाने के बाद अपना हाथ उनकी जांघों पर रख दिया, फिर मैं धीरे-धीरे दीदी की जांघों पर स्कर्ट के ऊपर से हाथ फेरने लगा दीदी कुछ नहीं बोलीं।

डेजी दीदी बस चुपचाप बैठी रही और मैं उनकी जांघों पर हाथ फेरने लगा। अब मैं धीरे-धीरे दीदी की

स्कर्ट को पैरों से ऊपर उठाने लगा, जिससे कि मैं अपना हाथ स्कर्ट के अंदर डाल सकूं। दीदी ने मुझको रोका नहीं और ऊपर से मेरे कानों के पास अपनी मुंह लेकर के बोलीं कोई देख ना ले।

फिर इधर उधर देख कर मैंने भी धीरे से बोला सब दूर है, हीं कोई नहीं देख पाएगा।

दीदी फिर से बोलीं स्क्रीन की लाइट काफ़ी ज़्यादा है और इसमें कोई भी हमें देख सकता है।

मैंने डेजी दीदी से कहा आप अपना जैकेट उतार कर अपनी गोद में रख लो।

डेजी दीदी ने थोड़ी देर रुक कर अपनी जैकेट उतार कर अपनी गोद में रख लीं और इससे उनकी जांघ और मेरा हाथ दोनों जैकेट के अंदर छुप गया। मैं अब अपना हाथ दीदी के स्कर्ट के अंदर डाल कर के उनके पैरों और जांघों को सहलाने लगा, दीदी फिर फुसफुसा कर बोलीं कोई हमें देख ना ले?

मैंने डेजी दीदी को समझाते हुए कहा"हमें कोई नहीं देख पाएगा आप चुपचाप बैठी रहो।"

मैंने अपना हाथ अब डेजी दीदी के जांघों के अंदर तक ले जाकर उनकी जांघ के अंदरूनी भाग को सहलाने

लगा वाह क्या चिकनी जाँघे थी, क्या एहसास था और धीर धीरे अपना हाथ दीदी की पैंटी की तरफ़ बढ़ाने लगा मेरा हाथ इतना घूम गया की दीदी की पैंटी तक नहीं पहुँच रहा था।

मैंने फिर हल्के से डेजी दीदी के कानों में कहा थोड़ा नीचे खिसक कर बैठो ना ।

डेजी दीदी ने शर्माते हुए पूछा क्या तुम्हारा हाथ वहाँ तक नहीं पहुँच रहा है?

"हाँ" मैंने दबी ज़ुबान से डेजी दीदी को बोला।

डेजी दीदी धीरे से हंसते हुए बोलीं तुमको अपना हाथ कहाँ तक पहुँचाना है?

मैं शर्माते हुए बोला "तुमको मालूम तो है ।"

डेजी दीदी मेरी बातों को समझ गई और नीचे खिसक कर बैठीं मेरा हाथ शुरू से दीदी के स्कर्ट के अंदर ही घुसा हुआ था और जैसे ही दीदी नीचे खिसकी मेरा हाथ जा कर अपने आप दीदी की पैंटी से लग गया। फिर मैंने अपने हाथ को उठा कर पैंटी के ऊपर से दीदी की चूत पर रखा और ज़ोर से दीदी की चूत को छू लिया।

यह पहलीं बार था कि मैं डेजी दीदी की चूत को छू रहा था। दीदी की चूत बहुत गर्म थीं। मैं अपनी ऊंगली को दीदी की चूत के छेद के ऊपर चलाने लगा ।

थोड़ी देर के बाद दीदी फुसफुसा कर बोलीं"काके! रुक जाओ नहीं तो फिर से मेरी पैंटी गीलीं हो जायेगी ।"

लेकिन मैंने दीदी की बात को अनसुनी कर दी और दीदी की चूत के छेद को पैंटी के ऊपर से सहलाता रहा ।

दीदी फिर से बोलीं"प्लीज़ अब मत करो नहीं तो मेरी पैंटी और स्कर्ट दोनों गंदी हो जायेगीं।"

मैं समझ गया कि दीदी बहुत गर्मा गई हैं लेकिन मैं यह भी नहीं चाहता था कि जब हम लोग सिनेमा से निकलें तो लोगों को दीदी गंदी स्कर्ट दिखे इस लिए मैं रुक गया मैंने अपना हाथ चूत पर से हटा कर दीदी की जांघों को सहलाने लगा थोड़ी देर के बाद इंटरवल हो गया।

इंटरवल होते ही मैं और दीदी अलग-अलग बैठ गए और मैं उठ कर पॉपकॉर्न और पेप्सी ले आया मैंने दीदी से धीरे से कहा "दीदी अब तुम टॉयलेट जाकर अपनी पैंटी निकाल कर जाओ."

डेजी दीदी ने आंखें फाड़ कर मुझसे पूछा मैं अपनी पैंटी क्यों निकलूं?

मैं हंस कर बोला "निकाल लेने से पैंटी गीलीं नहीं होगी ।"

डेजी दीदी ने तपाक से पूछा "और स्कर्ट का क्या करें? क्या उसे भी उतार कर आऊँ?"

" सिंपल-सी बात है जब टॉयलेट से लौट कर आओगी तो बैठने से पहले अपनी स्कर्ट उठा कर बैठ

जाना " मैं दीदी को आँख मारते हुए बोला।

दीदी मुस्कुरा कर बोलीं तुम बहुत शैतान हो और तुम्हारे पास हर बात का जवाब है। " जैसा मैंने कहा था वैसे दीदी टॉयलेट में गई और मैं पॉपकार्न और पेप्सी लेने चला गया । थोड़ी देर के बाद लौट आई जब मैं दीदी को देख कर मुस्कुराया तो दीदी शर्मा गई और अपनी गर्दन झुका ली ।

हम लोग फिर से हॉल में चले गए जब बैठने लगीं तो डेजी दीदी ने अपनी स्कर्ट ऊपर उठा लीं लेकिन पूरी नहीं, हम लोगों के जैकेट अपने-अपने गोद में थीं और हम लोग पॉपकॉर्न खाना शुरू किया । थोड़ी देर के बाद हम लोगों ने पॉपकॉर्न ख़त्म किए और फिर पेप्सी भी ख़त्म कर लिया। फिर हम लोग अपनी-अपनी सीट पर नीचे हो कर पैर फैला कर आराम से बैठ गए

थोड़ी देर के बाद मैंने अपना हाथ बढ़ा कर डेजी दीदी की गोद पर रखी हुई जैकेट के नीचे से ले जाकर के दीदी की जांघों पर रख दिया। मेरे हाथों को दीदी की जांघों से छूते ही दीदी ने अपने जांघों को और फैला दिया । फिर दीदी ने अपने चूतड़ थोड़ा ऊपर उठा करके अपने नीचे से अपनी स्कर्ट को खींच करके निकाल दिया और फिर से बैठ गई. अब दीदी हॉल के सीट पर अपनी नंगी चूतड़ों के सहारे बैठी थी।

सीट की रेग्जीन से डेजी दीदी को कुछ ठंड लगीं पर वह आराम से सीट पर नीचे होकर के बैठ गई. मैं फिर से अपने हाथ को दीदी की स्कर्ट के अंदर डाल दिया। मैं सीधे दीदी की चूत पर अपना हाथ ले गया जैसे ही मैं दीदी की नंगी चूत को छुआ, दीदी झुक गई जैसे कि वह मुझे रोक रही हो।

मुझे डेजी दीदी की नंगी चूत में हाथ फेरना बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे चूत पर हाथ फेरते-फेरते चूत के ऊपरी भाग पर कुछ बाल का होना महसूस हुआ ।

मैं डेजी दीदी की नंगी चूत और उसके बालों को धीरे-धीरे सहलाने लगा । मैं दीदी की चूत को कभी अपने हाथ में पकड़ कर कस कर दबा रहा था, कभी अपने हाथ उसके ऊपर रगड़ रहा था और कभी-कभी उनकी क्लिंट को भी अपने उंगलियों से रगड़ रहा था। मैं जब दीदी की क्लिंट को छेड़ रहा था, तब दीदी का शरीर कांप-सा जाता था ।उनको एक झुरझुरी-सी होती थीं। मैंने अपनी एक ऊंगली दीदी की चूत के छेद में घुसेड़ दी।

ओह भगवान डेजी दीदी की चूत अंदर से बहुत गर्म थीं और मुलायम भी थीं चूत अंदर से पूरी रस से भरी हुई थीं।मैं अपनी ऊंगली को धीरे-धीरे चूत के अंदर और बाहर करने लगा, थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी दूसरी ऊंगली भी चूत में डाल दी। ये तो और भी आसानी से चूत में समा गई. अब मैंने दोनों उंगलियों कुछ अंदर बाहर कर धीरे-धीरे दीदी चूत को चोदना शुरू किया।

दीदी की तेज सांसों की आवाज़ मझे साफ़ साफ सुनाई दे रही थीं थोड़ी देर के बाद डेजी दीदी का शरीर अकड़ गया ।कुछ ही देर के बाद दीदी शांत हो कर सीट पर बैठ गई. अब दीदी की चूत में से ढेर सारा पानी निकलने लगा चूत की पानी से मेरा पूरा हाथ गीला हो गया मैं थोड़ी देर रुक कर फिर से दीदी की चूत में अपनी ऊंगली चलाने लगा थोड़ी देर के बाद दीदी दोबारा झड़ी ।

फिर मुझे जब लगा कि सिनेमा अब ख़त्म होने वाला है, तो मैंने अपना हाथ डेजी दीदी की चूत पर से हटा लिया जैसे ही सिनेमा ख़त्म हुआ, मैं और दीदी उठ कर बाहर निकल आए बाहर आने के बाद मैंने दीदी से कहा अगले शो में जो भी उस सीट पर बैठेगा उसका पैंट या उसकी साड़ी भीग जाएगी दीदी मेरे बातों को सुन कर बहुत शर्मा गई और मुझसे नज़र हटा ली।

पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी
 
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