पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना–पार्ट–34
मेरा पहला सेक्स अनुभव-रॉन्ग नबंर-धन् भाग हमारे
स्टोरी का नेक्स्ट पार्ट। पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कि कैसे डेजी और मैं कसबे में शॉपिंग करने गए और फिर शॉपिंग के बाद मैंने अपनी मुहबोली बहन डेजी के साथ नहर किनार एकांत के मस्ती की अब आगे ।
उस दिन मैंने सारे बैग फिर से उठा लिए और डेजी दीदी के पीछे-पीछे चलने लगा थोड़ी दूर चलने के बाद वे मुझसे बोलीं मुझे चलने में बहुत परेशानी हो रही है मैंने फौरन पूछा क्यों?
डेजी दीदी मेरी आंखों में देखती हुई बोलीं नीचे बहुत गीला हो गया है मेरी पैंटी बुरी तरह से भीग गई है। मुझे चलने में बहुत अटपटा लग रहा है।
मैंने मुस्कुराते हुए बोला सारी! दीदी मेरी वज़ह से तुम्हें परेशानी हो गई है ना?
डेजी दीदी ने मेरा एक हाथ पकड़ कर कहा काके यह गलती सिर्फ़ तुम्हारी अकेले की नहीं है, मैं भी उसमें शामिल हूँ। हम लोग चुपाचाप चलते रहे और मैं सोच रहा था कि दीदी की समस्या को कैसे दूर करूं?
मेरे दिमाग़ में एक बात सूझी मैंने फौरन डेजी दीदी से बोला एक काम करते हैं वहाँ पर एक पब्लिक टॉयलेट है, दीदी तुम वहाँ जाओ और अपने पैंटी को बदल लो अरे तुमने अभी-अभी जो पैंटी खरीदी है।वहाँ जाकर उसको पहन लो और गन्दी हो चुकी पैंटी को निकाल दो।
डेजी दीदी मुझे देखते हुए बोलीं-तेरा आईडिया तो बहुत अच्छा है मैं जाती हूँ और अपनी पैंटी बदल कर आती हूँ। ।
हम लोग टॉयलेट के पास पहुँचे और डेजी दीदी ने मुझसे अपनी ब्रा और पैंटी वाला बैग ले लिया और टॉयलेट की तरफ़ चल दीं जैसे ही दीदी टॉयलेट जाने लगी मैंने दीदी से धीरे से बोला तुम अपनी पैंटी चेंज कर लेना तो साथ ही अपनी ब्रा भी चेंज कर लेना। इससे तुम्हें यह पता लग जाएगा कि ब्रा ठीक साइज़ की हैं या नहीं?
डेजी दीदी मेरी बातों को सुन कर हंस पड़ीं और मुझसे बोलीं बहुत शैतान हो गए हो और स्मार्ट भी।
डेजी दीदी शर्मा कर टॉयलेट चली गई करीब 15 मिनट के बाद दीदी टॉयलेट से लौट कर आई हम लोग बस स्टॉप तक चल दिए हम लोगों को बस जल्दी ही मिल गई और बस में भीड़ भी बिल्कुल नहीं थीं।
बस करीब-करीब खाली थीं हमने टिकट लिया और बस के पीछे जा कर बैठ गए सीट पर बैठने के बाद मैंने डेजी दीदी से पूछा तुमने अपनी ब्रा भी चेंज कर ली ना?
डेजी दीदी मेरी तरफ़ देख कर हंस पड़ी मैंने फिर दीदी से पूछा बताओ ना दीदी क्या तुमने अपनी ब्रा भी चेंज कर ली है?
तब डेजी धीरे से बोलीं हाँ! मैंने अपनी ब्रा चेंज कर ली है ।
मैं फिर डेजी दीदी से बोला "मैं तुमसे एक रिक्वेस्ट कर सकता हूँ?"
डेजी दीदी ने मेरी तरफ़ देखा तब "मैं तुम्हें तुम्हारे नयी पैंटी और ब्रा में देखना चाहता हूं" मैंने दीदी से कहा।
डेजी फौरन घबरा कर बोलीं "यहाँ? काके पागल तो नहीं हो गए हो तुम, मुझे यहाँ मुझे ब्रा और पैंटी में देखना चाहते हो?"
मैंने डेजी दीदी को समझाते हुए बोला "नहीं यहाँ नहीं मैं घर पर तुम्हें घर में नई ब्रा और पैंटी में देखना चाहता हूँ।"
दीदी फिर मुझसे "बोलीं पर घर पर कैसे होगा माँ घर पर होगी, घर पर यह संभव नहीं हैं ।"
"दीदी कोई प्रॉब्लम नहीं होनी हैं माँ घर पर खाना बना रही होंगी और तुमकमरे में जाकर अपने कपड़े चेंज करोगी जैसे तुम रोज़ करती हो लेकिन जब तुम कपड़े बदलो कमरे का पर्दा थोड़ा-सा खुला छोड़ देना मैं हॉल में बैठ कर तुम्हें ब्रा और पैंटी में देख लूंगा।"
दीदी मेरी बातें सुन कर बोलीं-"काके देखते हैं।"
फिर हम लोग चुप हो गए और अपने घर पहुँच गए हमने घर पहुँच कर देखा कि दीदी की माँ रसोई में खाना बना रही हैं।
हम लोगों ने पहले 5 मिनट तक रेस्ट किया और फिर दीदी अपनी मैक्सी उठा कर कपड़े
बदलने चली गई । मैं हॉल में ही बैठा रहा।
मैं घर आकर अपने तनी नाम के दोस्त को काल करने लगा। गलती से एक नम्बर की गलती से फ़ोन किसी और जगह जाकर लग गया। जिसे एक लड़की ने उठाया। शुरू में लगा के तनी के घर में से कोई लड़की होगी। उसने कहा, " हलो जी, तनी से बात करवादो?
लड़की– (दिल को छू लेने वाली मीठी-सी आवाज़ में) –हलो, कौन तनी जी, आपने कहाँ फ़ोन मिलाया है? यहाँ कोई तनी नहीं रहता। शायद आपका नम्बर ग़लत लग गया। नम्बर चेक करके लगाया करो जी।
मैंने ने भी सॉरी कह कर बात बन्द करदी और इतना कह कर उस लड़की ने फ़ोन काट दिया। उसकी मीठी-सी आवाज़ दिल को चीर गयी। ना चाहते हुए भी मेरा मन उसकी आवाज़ बार-बार सुनने को कर रहा था।
उसी शाम मैंने कुछ मजेदार बढ़िया चुटकुले उस नंबर के व्हाट्सप में भेज दिए। लड़की ने वह पढ़ लिए और वापिस फ़ोन किया।
लड़की–हलो, आप वह ही हो न, जिनका अभी ग़लत नम्बर लग गया था?
मैं–हांजी, सही पहचाना आपने।
लड़की–फेर भी आप ये चुटकुले भेज रहे हो?
मैं–ओह जी मैंने फेर तनी का नंबर समझ कर भेज दिए। सारी जी
लड़की–सारी किसलिए? आपके चुटकुले बहुत अच्छे हैं। पहले तो उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मेरी तो पढ़-पढ़ के हंसी ही बन्द नहीं हो रही है। सोचा आपका थैंक्स करदूँ। इतने अच्छी चुटकले भेज मुझे हंसाने के लिए।
मैं–मोस्ट वेलकम जी, धन् भाग हमारे जो हम आपकी हंसी की वज़ह बन सके। मुझे तो लगा था के आप फ़ोन पर झगड़ा करेंगी के जब एक बार बोल दिया फेर बार-बार क्यों तंग कर रहे हो।
लड़की–नही, नहीं जी हर लड़का लड़की बुरी नहीं होती।
मैं–हांजी, ये तो सही बोला आपने, अगर आप बुरा न माने तो मेसज आगे से भी भेज सकता हूँ क्या?
लड़की–हाँ क्यों नही? बस मेसज ऐसा होना चाहिए के अगर घर का कोई सदस्य भी पढ़ ले तो उसे बुरा ना लगे। वैसे तुम्हारा नाम क्या है, मेसज भेजने वाले अजनबी दोस्त?
मैं–जी मेरा नाम गौरव फ़्रॉम सोनगांव कपूरथला, और आप? दोस्त लोग प्यार से मुझे काके कहते है ।
लड़की–जी मेरा नाम जिनिया है और मैं जालंधर से हूँ। प्यार से घर के लोग मुझे "जिन्नि" कहते है।
मैं–अरे क्या चिराग वाली जिन्नि हैं आप? लगता है आज मेरी क़िस्मत खुल गयी?
लड़की-हुकुम मेरे आका वाली नहीं जी, चिराग वाली कहाँ, नाम जिन्नि है बस । पर आप हैं बड़े फन्नी, हर बात पर आप मज़ाक कर लेते है । हुकुम आप फिर भी फरमा सकते है ।
मैं-नाम तो आपका भी बहुत सुंदर है जिन्नि जी। अच्छा जिन्नि जी आप करते क्या हो मतलब पढ़ाई या कोई जॉब वगैरह?
जिन्नि–मैं फ़िलहाल फ्री हूँ। पढ़ाई पूरी हो चुकी है। आप क्या करते हो काके जी और आपकी फेमली में कौन-कौन है?
मैं–मैं नीट की तयारी कर रहा हूँ और मेरा ले दे के बस एक चाचा है और आपकी फॅमिली?
जिन्नि–मेरी फेमली में मैं, मेरे भाई, एक बहन और माता पिता कुल 5 मेंम्बर्स है। आपसे बात करके बहुत अच्छा लगा। अच्छा फेर किसी दिन बात करेंगे। अभी थोडा काम है। फ़ोन काट रही हूँ। बाय, -सी यू सून!
मैं–बाय, अपना ख़्याल रखना जिन्नि जी।
इस तरह से दोनों की पहले दिन की बातचीत ख़त्म हुई।
मैंने उसे 5-10 हल्के फुल्के जोक और भेज दिए और जिन्नि ने भी उनका जवाब दे दिया। एक रॉन्ग नंबर बात इतनी बढ़ गई के फिर गुड़ इवनिंग, सुबह गुड मोर्निंग का मेसज, शाम को गुड नाईट के मेसज और नए-नए जोक दोनों तरफ़ से आने जाने लगे। इस तरह से उस दिन मेरी जिन्नि से दोस्त हो गयी ।
पंजाब दियाँ मस्त रंगीन पंजाबना जारी रहेगी