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Adultery पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना

aamirhydkhan

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं, कपूरथला, पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
 
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Par chudai ko thoda lamba le ke jane ki koshish ki jaa sakti hai... Socho ki jis aadmi ke pass 12 inch ka lund hai aur wo ek ghante tak chod sakta hai to wo us aurat se kya kya baate kar sakta hai jo uske karze ke niche dabi hui ho... Aur kya kya karwa sakta hai... Hawas ka nanga naach kara sakta hai... Hawas ka nanga naach dekhne ka maza hi alag hoga.. think about it
 

aamirhydkhan

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"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना" – पार्ट – 4


हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार स्टोरी का अगला पार्ट लेके हाज़िर हूँ। पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा के सुखा और सरबी शहर आकर रहने लग जाते है और बनवारी लाला उन्हे अपने यहा नौकरी पर रख लेता है। तो चलिये स्टोरी को अब आगे बढ़ाते है।

सुखा और सरबी शहर मे आ ग्ये थे, उन्होने अपना गांव का मकान किराये पर दे दिया और व्हा से अपना जरूरी समान ले अए। दिन मे जब सुखा और सरबी काम पर होते तो घर मे उन्के मा बाबू जी रह जाते। सरबी और रोतू का मकान साथ साथ था तो जब भी मौका मिलता दोनो मिलकर बाते करने लगती। जिस मोहल्ले मे इनके मकान थे व्हा सिर्फ धान्का जात के लोग रह्ते थे, बस अकेली रितु बौरनी और सरबी जट्टी रह्ती थी। धान्के मर्द पहले तो रितु पर डोरे डालते थे लेकिन जब से उन्होने सरबी को देखा था तो वह उसके पीछे पैड ग्ये थे। इन धान्को मे भूरा नाम का एक आदमी था जिसकी उमर 30 साल और रन्ग का काला था। भूरा से सब डरते थे, चारो तरफ उसकी बदमाशी मशहूर थी, पुलिस ठाणे मे भी उसके खिलाफ कई रिपोर्ट दर्ज थी। जब से उसने सरबी को देखा था वह भी सरबी का दीवाना हो गया। भूरा की रितु के पति के साथ अच्छी दोसती थी वह अक्सर उसके पास आया जाया करता था, वही पर से भूरा सरबी को देखता और कबी कबी सुखे को बुला लेता। भूरा सुखे के साथ दोस्ती करना चाह्ता था।

एक दिन जब सुखा कामसे आ रहा था भूरा ने उसे देख लिया और अवाज लगा दी, “ओए सुखे, यहा आ”।

सुखे ने अवाज सुनी भूरा के पास चला गया। “क्या बात है भूरा”, सुखे ने पास जाकर पुछा। “अरे बेठ तो जा फिर बात करते है”, भूरा ने कुर्सी देते हुए कहा।

“और सुना केसा चल रहा है काम, घर मे सब केसे है”।

“काम अच्छा चल रहा है भूरा, और घर मे सब ठीक ठाक”। सुखे ने बेठ्ते हुए जवाब दिया। “रह्ता कहा है तू आजकल दिखायी ही नही देता”। भूरा ने शराब की बोतल निकलते हुए कहा। “दिखायी केसे दू भूरा पुरा दिन काम पर ही निकल जाता है, टाईम का पता ही नही चलता”। सुखे ने कहा।

भूरा ने दो गिलासो मे शराब डाली और सुखे को बोला, “चल फिर उठा सुखे आज तेरी सारी थकान निकल्ता हू”।

“अरे नही भूरा मे पीता नही हू”। सुखा बोला।

“अरे पी ले एक घूंट से कुच नही होने वाला पी ले”। भूरा ने दबाव देते हुए कहा। सुखे ने गिलास उठाया और शराब पी गया। सुखा शराब कम पीता था। “और डालू” भूरा बोला।

“अरे नही, बस बई यही बहुत है”। सुखा बोला। “किसी चीज की जरूरत हो ते बेजिजक मांग लेना सुखे अज से हम दोस्त है”। भूरे ने सुखे से कहा। “हा बिल्कुल भूरा”। सुखा इत्ना कहता हुआ चला गया।

सुखा घर आया तो सरबी खाना बनए बेठी थी, सुखे को आते उसने पानी का ग्लास्स दिया और पुछा, “खाना दू या अभी रुकोगे”।

zk7
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“अरे नही सरबी मे आज सेठ जी के यहा से खा के आया हू, मे सोने जा रहा हू”। सुखे ने कहा।

“अच्छा ठीक है तो मे रितु के यहा जा रही हू सोने, वो अकेली है आज घर मे”। सरबी बोली।

“हा जाओ” सुखे ने जवाब दिया। सरबी ने बर्तन रखे और रितु के घर चली गयी। रितु अज अकेली थी क्यो के उसका पति ट्रक पर चला गया थ। सरबी ने अन्दर आते हुए दरवाजा लगा दिया, “रितु कहा है तू”। “हा इस तरफ आ जा सरबी”, रितु ने अन्दर से अवाज लगायी। सरबी आगे चली गयी, वह एक कमरे के दरवाजे से होते हुए आगे दुसरे कमरे मे चली गयी। सरबी कई बार रितु के घर आ चुकी थी लेकिन उसने यह कमर अज पहली बार देखा था। सरबी अन्दर ज्ञी तो रितु बैड पर बेठी थी।

“ये कोनसा कमरा है रितु, बाहर से तो बिल्कुल पता नही चलता, कोई खजाना छुपाती हो क्या यहा” सरबी ने अन्दर आते पुछा।

“क्यो, तुमे क्या लगता है क्या करती हूँ मे इस कमरे मे” रितु सरबी को देख बोली।

“मुझे क्या पता, कमरा तेरा है तू बता”। सरबी ने बेठ्ते हुए कहा।

“कोई ना टाईम आने पे बता दूंगी, वेसे तू बता अज कुछ किया के नही” रितु ने सरबी को छेड़ते हुए पुछा।

“मतलब, क्या करना था अज मुझे”, सरबी ने हैरानी से पुछा।

“अरे बाबा मेरा मतलब सैयां जी के साथ किया के नही” रितु ने सरबी की तरफ हस्कर बोला।

सरबी निराश होते हुए बोली, “उसके साथ क्या करना है मुझे”।

“मतलब तेरा वाला भी मेरे वाले जेसा ही है” रितु ने पुछा।

“तेरे वाले जेसा केसे” सरबी को फिर कुछ समझ नही आया। “अरे यार मतलब नामर्द है, कुछ होता नही क्या उससे” रितु ने पुछा।

“कुच कया होगा अन्दर भी नही जा पाता” सरबी ने सर झुका लिया। रितु समझ गयी के सरबी अब भी कुंवारी ही है। “ओह, माफ करना सरबी, क्या है मे बड़बोली हू तो कुछभी पुछ लेती हू” रितु बोली।

“तुम क्यो माफी मांग रही हो रितु, अब सिक्का तो अपना ही खोटा है” सरबी नार्मल होते हुए बोली।

“अच्छा एक बात पूछू अगर गुस्सा ना करे तो” रितु बोली। “तेरा क्यो गुस्सा करूगी, एक की दो पूँछ”।

सरबी ने कहा। “तेरा दिल नही करता कभी करने का” रितु ने लोहा गरम देख कर हथौड़ा मार दिया।

“क्या करने का, एक तो तू पहेलिया बहुत बुझाती है, खुल कर बोल ना” सरबी बोली।

“अरे मेरा मतलब किसी पराये मर्द को अपने उपर चड़ाया के नही कभी” रितु सरबी को देखकर बोली।

“धत्त, पागल है क्या” सरबी मुस्कुराते हुए बोली।

“अरे बता ना सरबी इत्ना भी क्या शर्मा रही है” रितु बोली।

“हम्म तुम क्या करती हो पहले तुम बताओ” सरबी ने रितु को देखते हुए पूछा।

“मै हम्म, मेरा तो जब दिल करता है तो पराया मर्द चढा लेती हू, वेसे अब जाना पहचाना है पराया भी नही रहा” रितु बेशर्मी से बोली।

सरबी ये सुनकर सुन्न रह गयी, “हाय तुझे शरम नही आती रितु” सरबी चौन्क्ती हुई बोली।

“पहली बार शरम आयी थी लेकिन जब उसके लण्ड ने मजा दिया तो सारी शरम उतर गयी” रितु ने जवाब दिया।

“हाय रितु मे तुमे कितनी शरीफ समझती थी और तू कितनी बेशरम है, ” सरबी अब भी हैरां थी के रितु केसे अपने पति को छोड पराये मर्द की तारीफ किया जा रही थी। लेकिन मन ही मन मे सरबी को भी रितु को बाते सुनकर मजा आ रहा था।

“शरम केसी यार सरबी अब पति से कुछनही होता तो मेरि कया गलती है इसमे, मुझे तो लण्ड का मजा चाहिये ना, तू बता तुझे चाहिये क्या” रितु ने सरबी को कन्धा मारते हुए कहा।

सरबी रितु की बात सुनकर थोडा शर्मा गयी “नही नही रितु मुझे नही चाहिये एसा मजा” सरबी सर झुकाती हुई बोली। “जरा सर तो उठाना सरबी” रितु बोली। “कया हुआ” सरबी रितु को देखते हुए बोली।



pb
“अरे अरे ये क्या तेरी आंखे तो कुच और ही बोल रही है सरबी” रितु ने सरबी की आंखो मे देखे हुए कहा।

“क्या हुआ, क्या है मेरि आंखो मे” सरबी रितु को देखकर बोली। “अरे होना कया है, तेरी आंखे तो बता रही है उन्हे पराया मरद चाहिये जो इसकी गहराई को नाप सके” रितु ने सरबी को देख सलवार के उपर से उसकी चुत को छूते हुए बोली।

जेसे ही रितु का हाथ सरबी की चुत पर गया सरबी की सिसकी निकल गयी “आह्ह रितु हत ना कया कर रही है”। सरबी रितु की बातो से पुरी गरम हो चुकी थी।

“एक बार हा तो बोल सरबी जेसा कहेगी वेसा मर्द लाके दूंगी” रितु ने सरबी को देखते हुए कहा। सरबी रितु को देख रही थ, “लेकिन किसी को पता चल गया तो”।

“किसी को कानो कान खबर नही होगी, मे भी तो करती ही हूँ, कितनो को पता है मेरे बारे मे”। रितु सरबी को देख बोली। सरबी कुछ नही बोली सिर्फ सर हिला कर रितु को हा मे जवाब दिया।

रितु भी सरबी का जवाब समझ गयी। “हम्म ये हुई ना बात, मे सुबह ही तेरे लिये कोई मर्द देखती हू, तू फ़िकर मत कर तेरी इस दुलारी को कोई कमी नही आने दूंगी”। रितु सरबी की चुत को हाथ लगते हुए बोली।

सरबी भी रितु की बात सुन कर हंस पडी और फिर दोनो सो गयी।


"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना" जारी रहेगी

 
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Neerav

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"पंजाब दियां मस्त रंगीन जट्टीयां – पार्ट – 4


हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार स्टोरी का अगला पार्ट लेके हाज़िर हूँ। पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा के सुखा और सरबी शहर आकर रहने लग जाते है और बनवारी लाला उन्हे अपने यहा नौकरी पर रख लेता है। तो चलिये स्टोरी को अब आगे बढ़ाते है।

सुखा और सरबी शहर मे आ ग्ये थे, उन्होने अपना गांव का मकान किराये पर दे दिया और व्हा से अपना जरूरी समान ले अए। दिन मे जब सुखा और सरबी काम पर होते तो घर मे उन्के मा बाबू जी रह जाते। सरबी और रोतू का मकान साथ साथ था तो जब भी मौका मिलता दोनो मिलकर बाते करने लगती। जिस मोहल्ले मे इनके मकान थे व्हा सिर्फ धान्का जात के लोग रह्ते थे, बस अकेली रितु बौरनी और सरबी जट्टी रह्ती थी। धान्के मर्द पहले तो रितु पर डोरे डालते थे लेकिन जब से उन्होने सरबी को देखा था तो वह उसके पीछे पैड ग्ये थे। इन धान्को मे भूरा नाम का एक आदमी था जिसकी उमर 30 साल और रन्ग का काला था। भूरा से सब डरते थे, चारो तरफ उसकी बदमाशी मशहूर थी, पुलिस ठाणे मे भी उसके खिलाफ कई रिपोर्ट दर्ज थी। जब से उसने सरबी को देखा था वह भी सरबी का दीवाना हो गया। भूरा की रितु के पति के साथ अच्छी दोसती थी वह अक्सर उसके पास आया जाया करता था, वही पर से भूरा सरबी को देखता और कबी कबी सुखे को बुला लेता। भूरा सुखे के साथ दोस्ती करना चाह्ता था।

एक दिन जब सुखा कामसे आ रहा था भूरा ने उसे देख लिया और अवाज लगा दी, “ओए सुखे, यहा आ”।

सुखे ने अवाज सुनी भूरा के पास चला गया। “क्या बात है भूरा”, सुखे ने पास जाकर पुछा। “अरे बेठ तो जा फिर बात करते है”, भूरा ने कुर्सी देते हुए कहा।

“और सुना केसा चल रहा है काम, घर मे सब केसे है”।

“काम अच्छा चल रहा है भूरा, और घर मे सब ठीक ठाक”। सुखे ने बेठ्ते हुए जवाब दिया। “रह्ता कहा है तू आजकल दिखायी ही नही देता”। भूरा ने शराब की बोतल निकलते हुए कहा। “दिखायी केसे दू भूरा पुरा दिन काम पर ही निकल जाता है, टाईम का पता ही नही चलता”। सुखे ने कहा।

भूरा ने दो गिलासो मे शराब डाली और सुखे को बोला, “चल फिर उठा सुखे आज तेरी सारी थकान निकल्ता हू”।

“अरे नही भूरा मे पीता नही हू”। सुखा बोला।

“अरे पी ले एक घूंट से कुच नही होने वाला पी ले”। भूरा ने दबाव देते हुए कहा। सुखे ने गिलास उठाया और शराब पी गया। सुखा शराब कम पीता था। “और डालू” भूरा बोला।

“अरे नही, बस बई यही बहुत है”। सुखा बोला। “किसी चीज की जरूरत हो ते बेजिजक मांग लेना सुखे अज से हम दोस्त है”। भूरे ने सुखे से कहा। “हा बिल्कुल भूरा”। सुखा इत्ना कहता हुआ चला गया।

सुखा घर आया तो सरबी खाना बनए बेठी थी, सुखे को आते उसने पानी का ग्लास्स दिया और पुछा, “खाना दू या अभी रुकोगे”।

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“अरे नही सरबी मे आज सेठ जी के यहा से खा के आया हू, मे सोने जा रहा हू”। सुखे ने कहा।

“अच्छा ठीक है तो मे रितु के यहा जा रही हू सोने, वो अकेली है आज घर मे”। सरबी बोली।

“हा जाओ” सुखे ने जवाब दिया। सरबी ने बर्तन रखे और रितु के घर चली गयी। रितु अज अकेली थी क्यो के उसका पति ट्रक पर चला गया थ। सरबी ने अन्दर आते हुए दरवाजा लगा दिया, “रितु कहा है तू”। “हा इस तरफ आ जा सरबी”, रितु ने अन्दर से अवाज लगायी। सरबी आगे चली गयी, वह एक कमरे के दरवाजे से होते हुए आगे दुसरे कमरे मे चली गयी। सरबी कई बार रितु के घर आ चुकी थी लेकिन उसने यह कमर अज पहली बार देखा था। सरबी अन्दर ज्ञी तो रितु बैड पर बेठी थी।

“ये कोनसा कमरा है रितु, बाहर से तो बिल्कुल पता नही चलता, कोई खजाना छुपाती हो क्या यहा” सरबी ने अन्दर आते पुछा।

“क्यो, तुमे क्या लगता है क्या करती हूँ मे इस कमरे मे” रितु सरबी को देख बोली।

“मुझे क्या पता, कमरा तेरा है तू बता”। सरबी ने बेठ्ते हुए कहा।

“कोई ना टाईम आने पे बता दूंगी, वेसे तू बता अज कुछ किया के नही” रितु ने सरबी को छेड़ते हुए पुछा।

“मतलब, क्या करना था अज मुझे”, सरबी ने हैरानी से पुछा।

“अरे बाबा मेरा मतलब सैयां जी के साथ किया के नही” रितु ने सरबी की तरफ हस्कर बोला।

सरबी निराश होते हुए बोली, “उसके साथ क्या करना है मुझे”।

“मतलब तेरा वाला भी मेरे वाले जेसा ही है” रितु ने पुछा।

“तेरे वाले जेसा केसे” सरबी को फिर कुछ समझ नही आया। “अरे यार मतलब नामर्द है, कुछ होता नही क्या उससे” रितु ने पुछा।

“कुच कया होगा अन्दर भी नही जा पाता” सरबी ने सर झुका लिया। रितु समझ गयी के सरबी अब भी कुंवारी ही है। “ओह, माफ करना सरबी, क्या है मे बड़बोली हू तो कुछभी पुछ लेती हू” रितु बोली।

“तुम क्यो माफी मांग रही हो रितु, अब सिक्का तो अपना ही खोटा है” सरबी नार्मल होते हुए बोली।

“अच्छा एक बात पूछू अगर गुस्सा ना करे तो” रितु बोली। “तेरा क्यो गुस्सा करूगी, एक की दो पूँछ”।

सरबी ने कहा। “तेरा दिल नही करता कभी करने का” रितु ने लोहा गरम देख कर हथौड़ा मार दिया।

“क्या करने का, एक तो तू पहेलिया बहुत बुझाती है, खुल कर बोल ना” सरबी बोली।

“अरे मेरा मतलब किसी पराये मर्द को अपने उपर चड़ाया के नही कभी” रितु सरबी को देखकर बोली।

“धत्त, पागल है क्या” सरबी मुस्कुराते हुए बोली।

“अरे बता ना सरबी इत्ना भी क्या शर्मा रही है” रितु बोली।

“हम्म तुम क्या करती हो पहले तुम बताओ” सरबी ने रितु को देखते हुए पूछा।

“मै हम्म, मेरा तो जब दिल करता है तो पराया मर्द चढा लेती हू, वेसे अब जाना पहचाना है पराया भी नही रहा” रितु बेशर्मी से बोली।

सरबी ये सुनकर सुन्न रह गयी, “हाय तुझे शरम नही आती रितु” सरबी चौन्क्ती हुई बोली।

“पहली बार शरम आयी थी लेकिन जब उसके लण्ड ने मजा दिया तो सारी शरम उतर गयी” रितु ने जवाब दिया।

“हाय रितु मे तुमे कितनी शरीफ समझती थी और तू कितनी बेशरम है, ” सरबी अब भी हैरां थी के रितु केसे अपने पति को छोड पराये मर्द की तारीफ किया जा रही थी। लेकिन मन ही मन मे सरबी को भी रितु को बाते सुनकर मजा आ रहा था।

“शरम केसी यार सरबी अब पति से कुछनही होता तो मेरि कया गलती है इसमे, मुझे तो लण्ड का मजा चाहिये ना, तू बता तुझे चाहिये क्या” रितु ने सरबी को कन्धा मारते हुए कहा।

सरबी रितु की बात सुनकर थोडा शर्मा गयी “नही नही रितु मुझे नही चाहिये एसा मजा” सरबी सर झुकाती हुई बोली। “जरा सर तो उठाना सरबी” रितु बोली। “कया हुआ” सरबी रितु को देखते हुए बोली।



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“अरे अरे ये क्या तेरी आंखे तो कुच और ही बोल रही है सरबी” रितु ने सरबी की आंखो मे देखे हुए कहा।

“क्या हुआ, क्या है मेरि आंखो मे” सरबी रितु को देखकर बोली। “अरे होना कया है, तेरी आंखे तो बता रही है उन्हे पराया मरद चाहिये जो इसकी गहराई को नाप सके” रितु ने सरबी को देख सलवार के उपर से उसकी चुत को छूते हुए बोली।

जेसे ही रितु का हाथ सरबी की चुत पर गया सरबी की सिसकी निकल गयी “आह्ह रितु हत ना कया कर रही है”। सरबी रितु की बातो से पुरी गरम हो चुकी थी।

“एक बार हा तो बोल सरबी जेसा कहेगी वेसा मर्द लाके दूंगी” रितु ने सरबी को देखते हुए कहा। सरबी रितु को देख रही थ, “लेकिन किसी को पता चल गया तो”।

“किसी को कानो कान खबर नही होगी, मे भी तो करती ही हूँ, कितनो को पता है मेरे बारे मे”। रितु सरबी को देख बोली। सरबी कुछ नही बोली सिर्फ सर हिला कर रितु को हा मे जवाब दिया।

रितु भी सरबी का जवाब समझ गयी। “हम्म ये हुई ना बात, मे सुबह ही तेरे लिये कोई मर्द देखती हू, तू फ़िकर मत कर तेरी इस दुलारी को कोई कमी नही आने दूंगी”। रितु सरबी की चुत को हाथ लगते हुए बोली।

सरबी भी रितु की बात सुन कर हंस पडी और फिर दोनो सो गयी।


जारी रहेगी

Nice update bro
Lala ke bete ko bhi lao
Vo bhi to mzze kre
 
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Samsonu

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कहानी "पंजाब दियां मस्त रंगीन जट्टीयां: गौरव कुमार की है

मेरा नाम गौरव कुमार है। मैं पंजाब का रहने वाला हूँ। हमारा आड़त का काम है यानी हम किसान और सरकार मे बीच मे फसल का लेंन देंन का काम करते है। अब मे पंजाब से हूँ तो बता दूं के यहा की दो चीजें बहुत मशहूर है, एक पटियाला पेग ओर दुसरी पंजाबन जट्टीयां। हमारा किसानो के साथ आना जाना लगा रहता है तो किसी ना किसी जट्टी के साथ भी बात बन जाती है। आज एसी ही कहानी लेकर आया हूँ। तो कहानी आरंभ करते है।


SARBI
Yaar Ek Patiala peg aur ek Patiala salwar ek chadne k bad mja deti ek utrne k bad mja deti
 

aamirhydkhan

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"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना": – पार्ट – 5


हेलो दोस्तो मे गौरव कुमार हाज़िर हू स्टोरी का अगला पार्ट लेकर। पिछ्ले पार्ट मे आपने पढ़ा के केसे भूरा सरबी के करीब आने के लिये सुखा से दोस्ती करता है। वही दुसरी तरफ रितु बातो बातो मे सरबी से सब कुच जान लेती है और उसे पराये मर्द के साथ सोने के लिये मना लेती है। तो चलिये स्टोरी को आगे बढ़ाते है।

सुबह जेसे ही सरबी उठी तो रितु केतली मे चाय लेकर कमरे मे बेठी थी। “अरे सरबी उठ गयी, फ्रेश हो आ फिर चैपी ले आके”। रितु सरबी को देखकर बोली।


sar
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सरबी बाथरूम जाकर फ्रेश होके आ गयी तो रितु ने उसे कप मे चाय देते हुए पुछा, “सरबी रात अच्छी गुजरी ना तंग तो नही हुई”।

“हा रितु रात अची गुजरी, अच्छी नीन्द आयी”। सरबी ने बोल।

“अच्छा, मेने सोचा शायद इसने तंग किया हो तुमे” रितु सरबी की चुत को छूकर बोली।

“ये भला क्यो तंग करेगी मुझे” सरबी थोडा शर्माते हुए बोली।

“अरे हम देर रात पराये मर्दो के बारे मे बात कर रहे थे तो मेने शायद ये मचलने ना लग गयी हो” रितु हस्ते हुये बोली।

“नही, अब तक तो नही मचली” सरबी बोली।

“हम्म मत्लब सम्भावना है के ये मचल सकती है तो क्यो ना इस्क मचलना बन्द किया जए” रितु ने सरबी को देख बोला।

“वो केसे भला” सरबी भी रितु को अब थोडा बेशर्मी से जवाब देने लगी।

“वो एसे सरबी जट्टी, जो ये मांगती है वो इसे दे दिया जाये” रितु ने सरबी को कहा।

“और ये कया मांग रही है” सरबी ने रितु को मुस्कुराते हुये कहा।

“ये मांग रही है एक लण्ड जो जट्टी की चुत को चीरता हुआ यहा तक आ जाये”




BIG1

रितु ने सरबी की नाभि पर हाथ रख कर बोला।

“हाये इत्ना बड़ा भी होता है” सरबी ने हैरां होकर रितु को देखा।

“अरे बिलकुल होता है, तुमने नही देखा कया” रितु ने सरबी को देखकर कहा।

“नही” सरबी ने जवाब दिया। दरसल सरबी ने कभी मर्द का लण्ड नही देखा था उसने तो बस अपने पति सुखा की छोटी बच्चो जेसी लुल्ली देखी थी तो उसे यकीं कर्ना मुस्किल था के इतना बड़ा लण्ड भी होता है।

“बोल ना सरबी लेगी कया इतना बड़ा, मजा आ जायेगा” रितु ने सरबी को बोला।

“ले तो लुंगी रितु लेकिन मुझे डर लग रहा है किसी को पता चल गया तो” सरबी हिचकिचाते हुये बोली।

“अरे किसी को पता नही चलेगा, बात हम दोनो के बीच रहेगी, तो अपने वाले से बात कर मे फिर तेरे बारे मे” रितु सरबी को देखते हुये बोली।

“तेरे वाला कौन है बता तो सही मुझे जरा” सरबी ने रितु से पुछा।

“हम्म बुझो तो जानू, तुम भी जानती हो वेसे उसे” रितु से सरबी की तरफ देखते हुये बोला।

“लेकिन मे केसे जानती हू उसे, तुमने कभी मिल्वया तो है नही मुझे” सरबी हैरां थी थी वो रितु वाले मर्द को केसे जानती थी।

“अरे मुझे मिल्वाने की कया जरूरत सरबी, तू खुद ही उस से मिलती है” रितु ने कहा।

“अरे पहेलिया मत बुझा यार रितु साफ साफ बता ना कौन है वो” सरबी ने जोर देकर बोला।

“अपने लाला जी सरबी तू मिलती तो है उनसे” रितु ने सरबी को देखकर जवाब दिया।

सरबी हैरां होकर रह गयी के रितु बनवारी लाल से चुदवाती है। “मतलब तू लाला जी के पास” सरबी बोली।

“हा सरबी, इत्ना बडा है लाला जी का, जब अन्दर जाता है तो बहुत मजा आता है यार” रितु सरबी को अपनी बाजू से नाप् कर बोली। “तुझे भी दिलाओ कया लाला का”। सरबी थोडी परेशान सी हो गयी। रितु ने सरबी की तरफ देखा और बोली, “कया सोच रही है, तुमे कोनसा उस से फ़्री मे चुदवाना है”।

“मतलब” सरबी ने रितु से पुछा। “मतलब ये सरबी जट्टी, देख तू लाला से चुदवयेगी, एक तो तुझे लण्ड का मजा मिलेगा और फर दुसरा यह के तुजे जब ब रुपयो की जरूरत होगी तो उनसे ले लेना और चाहे तो तेरा जो कर्ज वगेरा है ना वो भी साफ करवा लेंना, सोच ले सरबी घाटे का सौदा नही है यह” रितु सरबी को ललचाती हुई बोली।

सरबी भी रितु की बात को सोचने लगी। “अरे बोल ना जल्दी इत्ना भी कया सोच रही है, मे भी तो एसे ही करती हू” रितु ने सरबी को देख कर बोला “और फर एसे लाला का लण्ड भी तो मिलेगा” रितू सरबी की चुत को छूकर बोला।

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“हाये क्या कर रही है” सरबी रितु को मुस्कुराते हुए बोली।

सरबी की मुस्कुराहट को देख रितू समझ गयी के सरबी की हा है। “तो फिर करू मे लाला जी को फ़ोन के जाती आयेगी आज दिन मे”। रितु बोली।

“नही दिन मे नही रितु रात को, सुखा को पता है के अज मुझे काम से छुट्टी है, रात को मे तेरे पास आ जाओगी और हम यहा से चली जायेगी”।

सरबी मे रितु को देखकर बोला। “ठीक है मे रात का बोल दूंगी लाला जी को” रितु बोली।

“अच्छा ठीक है तो मे चलती हू अब रितु” सरबी बोली और जाने लगी।

“ठीक है सरबी लेकिन रात को तैयार रहना आज लाले के लण्ड के लिये” रितु ने पीछे से सरबी को बोला।

“तू भी ना रितु, मे आ नओगी तेरे पास” सरबी बोली और हँसती हुई चली गयी।

सरबी के जाते ही रितु ने लाला बनवारी लाल को फोन लगाया, “ट्रिंग ट्रिंग”।

“हेल्लो” बनवारी लाल ने फ़ोन उठाते हुए बोला।

“राम राम सेठ जी” रितु ने जवाब दिया।

“अरे जान केसी है तू, अज केसे याद कर लिया लाला को” लाला रितु की अवाज पहचान कर बोला।

“अपको कुछ बताना था सेठ जी” रितु ने जवाब दिया।

“कया बताना है जान, बोल तो सही” लाला ने जवाब दिया।

“लाला जी आपकी मुर्गी फंस गयी” रितु हँसते हुए बोली।

“मेरि कौनसी मुर्गी थी जान जो तेरे पास फंस गयी” लाला बोला।

“आपकी मुर्गी सेठ जी, सरबी जिसके आप सपने लेते है” रितु ने जवाब दिया।

“हाये जट्टी, कया बोली जान, कब लेके आ रही है मेरे पास उसे” लाले ने लण्ड मस्ल्ते हुए बोला।

“तैयार रेहना सेठ जी आज रात को ही लेके आ रही हू आपकी दुकान पर” रितु बोली।

“हाय मेरि जान, कुरबान जाओ तेरे पर, ले आ फिर जट्टी को मेरि सेज पर” लाला बोला।

“ले आओगी सेठ जी आज, लेकिन अपना वादा मत भूलियेगा” रितु ने सेठ को उसका खातासाफ करने का वादा याद दिलाया।

“अरे हा जान तू जट्टी को ले आ और तेरा खाता साफ” सेठ ने रितु से कहा।

“ठीक है सेठ जी रखती हू” इत्ना कहकर रीति ने फ़ोन रख दिया। लाला भी खुशी से फूला नही समा रहा था क्यो के जिस जट्टी के वो सपने लेता था वो आज उसके लण्ड के निचे आने वाली थी।


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सरबी को घर के काम करते हुए पता ही नही चला के कब शाम हो गयी और सुखा घर आ गया। सरबी ने सुखे को पानी दिया, “खाना लगाऊ”।

“नही सरबी मे रुक कर खओगा” सुखे ने जवाब दिया। “ठीक है तो फिर रसोई मे से ले लेना, मे आज भी रितु के य्हा जा रही हू” सरबी मे जवाब दिया।

“ठीक है मे खा लुगा” सुखा बोला। सरबी रितु के गजर चली गयी,

“रितु कहा है तू”।

“अरे आ गयी सरबी” रितु कमरे से बहर आकर बोली। सामने लाल रन्ग का सूट पहने सरबी तैयार खडी थी।


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“पूरी तओयर होके आयी है आज तो,, चले” रितु मे सरबी को देखकर बोला। सरबी भी रितु की बातो से गरम थी और लण्ड लेने को मचल रही थी,

” हा चलो” सरबी ने जवाब दिया। रितु ने घर का दरवाजा लगाया और लाले की दुकान की तरफ चल दी।

"पंजाब दियां मस्त रंगीन पंजाबना" जारी रहेगी

 
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Rajizexy

Punjabi Doc, Rajiii
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Nice story dear Khan ❣️
🌶️🌶️🌶️🌶️🌶️
💦💦💦💦
 
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