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Adultery पडोसी भैया बने सैयां

Aar am

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Update kaha hai bhai
 

Premkumar65

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हैलो दोस्तों, मेरा नाम रेनू है। मेरी उमर 35 साल है। मेरे स्तनों का साइज़ 36″ है, कमर का 24″ है, और गांड का 35″। मेरी इस कहानी में आपको बताऊंगी कि कैसे एक हादसे ने मेरे अंदर की रंडी को जगा दिया।

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बात करीब 2 साल पहले की है। मेरी शादी को 8 साल पूरे हो गए थे। मेरे पति का नाम मनीष है और तब वो 38 साल के थे और मैं 33 की। मनीष का बहुत बड़ा बिजनेस है, और हम बहुत अमीर घराने से तालुक रखते है। मेरे पति ज्यादातर काम से बाहर ही होते है, जिसके कारण मैं कई महीनों तक घर में अकेली रहती हूं। वैसे मेरे पति चुदाई में तो काफी अच्छे है, मगर बहुत ही कम बार मुझे चोदते है। यानि जब वो घर पर होते है तभी। लेकिन जो भी हो, मैं अपने पति से प्यार करती थी, और उनके आने तक उंगलियों से काम चला लेती थी।

हमारे बंगले के पड़ोस के बंगले में एक 48 साल के सज्जन रहते थे। उनसे हमारे अच्छे संबंध थे, और वो मेरे बड़े भाई समान थे। वो भले ही 48 साल के थे, मगर दिखने में और तन्दरूस्ती में वो 40-42 साल के मर्द को भी हरा दे। अब भी रोज व्यायाम करते हैं और बहुत संभल कर खाना खाते हैं। पार्टी में भी वो थोडा सा ही खाते हैं और कभी मैंने उनको 2 पेग से ज्यादा पीते नहीं देखा। उनका नाम राजेश अरोड़ा है। उनकी पत्नी दिव्या तब अपने बेटी के पास अमेरिका गयी हुई थी। उनकी बेटी को बच्चा होने वाला था इसीलिए वो पिछले 2 महीने से अमेरिका में ही थी और राजेश उनको छोड़ कर यहाँ वापस आ गए थे। दिव्या ने बताया था की वो लगभग एक साल के लिए जा रही हैं क्योंकि उनकी बेटी भी नौकरी करती थी और डिलीवरी के बाद उसको ऑफिस ज्वाइन करना था तो बच्चे की देखभाल के लिए दिव्या को वहां रुकना पड़ता।

एक रात मैं और मेरे पति सोए हुए थे, और तभी हमने कुछ धमाके की आवाज़ सुनी। हम जल्दी से उठ गए, और बाल्कनी से देखा तो राजेश जी के बालकनी से कुछ धुआं उठ रहा था। वो बालकनी में खड़े थे। मनीष ने उनसे पुछा की क्या हुआ राजेश जी?

तब वो बोले, “एसी में शोर्ट सर्किट हुआ था, मैंने आग तो बुझा दी लेकिन लाइट चली गयी है, इलेक्ट्रीशियन को फ़ोन कर रहा था लेकिन वो उठा ही नहीं रहा।” ये कह कर वो चुप हो गए। मेरे पति ने उन्हें कहा, “इतनी रात को तो इलेक्ट्रीशियन आने से रहा तो आप हमारे घर आ जाइये, इतनी गर्मी में कैसे रहेंगे? सुबह रिपेयर हो जायेगा”।

राजेश जी अपना घर लॉक करके हमारे यहाँ आ गए। अगले दिन सुबह इलेक्ट्रीशियन आया तो उसने चेक करके बताया, “सर, पूरी लाइन में ही दिक्कत आ गयी है तो पूरी वायरिंग ही बदलनी पड़ेगी। हो सकता है की सारे पंखे, लाइट्स और एसी, फ्रिज वगेरह भी ख़राब हो गया हो। अब दीवार तोड कर दुबारा से पाइप डाल कर नए सिरे से तार डालने होंगे फिर कहीं जाकर बिजली चालू होगी।“

राजेश जी ने इलेक्ट्रीशियन को बोला की “फिलहाल कुछ जुगाड़ करके घर के एक हिस्से में बिजली शुरू कर दो ताकि यहाँ रहने लायक तो हो जाए।“

इलेक्ट्रीशियन बोला, “इसमें फिर से शोर्ट सर्किट का खतरा हो सकता है और घर में आग भी लग सकती है तो फिलहाल आप कहीं और शिफ्ट हो जाये। ज्यादा से ज्यादा 1 महीने के अन्दर मैं यहाँ बिजली चालू कर दूंगा।“
ये सुन कर राजेश जी परेशान हो गए तब मेरे पति ने कहा, “आप परेशान क्यों हो रहे है। इसको आराम से काम करने दीजिये और जब तक सब ठीक नहीं हो जाता आप मेरे घर पर रहेंगे।“

तो राजेश जी ने कहा, “अरे नहीं मनीष, तुमने मुझे रात को रहने के लिये अपने घर में जगह दी बस वो ही काफी है, मैं किसी होटल में शिफ्ट हो जाऊंगा।”

तो मैं बोली, “कैसी बात करते हैं आप। हम लोग क्या गैर हैं? अपना घर होते हुए आप होटल में रहेंगे? हम आपकी एक नहीं सुनेंगे। जब तक सब ठीक नहीं होता आप हमारे साथ ही रहेंगे”

अब ये तय हो गया की राजेश हमारे साथ रहेंगे। इलेक्ट्रीशियन को काम शुरू करने को बोलकर हम तीनो घर आ गए। नाश्ता होने के बाद मनीष अपने ऑफिस निकल गए और राजेश अपने। राजेश जी के कपडे वगेरह उनके घर से मंगवा कर मैंने नीचे गेस्ट रुम में रख दिए। एक हफ्ते बाद उनके घर का काम शुरु हुआ, और मेरे पति को जरुरी काम से 2 महीनों के लिए अमेरिका जाना पड़ा। हम दोनों यानि राजेश जी और मैं अकेले ही घर में रह गए। पहले दो-तीन दिन बिल्कुल सामान्य थे।

फिर एक रात राजेश जी लिविंग रूम में टीवी देख रहे थे। हमारा खाना खा कर हो गया था। मुझे सोने से पहले नहाने की आदत थी, तो मैं हर रात की तरह इस रात भी नहा कर बाहर आई। लेकिन मैंने सोचा कि थोड़ी देर टीवी देखा जाए। तो मैं नीचे गई। मेरे बाल भीगे हुए थे, और मैंने नाइट गाउन पहना हुआ था, जिसके अंदर मैंने कुछ नहीं पहना था, और मेरी फिगर उसमें से साफ झलक रही थी।

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मैं राजेश जी के बगल के सोफा पे जाकर बैठ गई। मुझे देख राजेश जी थोड़े अचम्भित हो गए। हम दोनों बातें कर रहे थे, और उनका ध्यान रह-रह कर मेरी खुली टांगो पर जा रहा था। कुछ देर बाद मैंने देखा कि उनका लंड एक-दम खड़ा हो गया था। मेरी नज़र वहां गई और फिर वहां से हट ही नहीं रही थी। मेरी नज़र उनके लंड पर थी, ये उन्होंने देख लिया और बोले, “रेनू, मुझे माफ कर दो। दिव्या को अमेरिका गए दो महीने से ज्यादा हो गए है, इसलिये मेरी ये हालत है। सॉरी।”

मैंने मन में सोचा की इस उम्र में भी ये सेक्सुअली एक्टिव है लेकिन मैंने उनसे कहा, “अरे नहीं, में समझ सकती हूं।” तभी टीवी पर कंडोम का ऐड आया, और माहौल और भी अजीब हो गया।

राजेश जी ने कहा, “रेनू तुम टीवी देखो, मैं अपने कमरे में सो जाता हूं।” यह कह कर वो उठे तो उनका मोटा लम्बा लंड उनकी लुंगी से बाहर फुदक गया। उनका बड़ा लंड मेरे चहरे के सामने ही था। उन्होंने झट से लंड लुंगी के अंदर डाला, और माफी मांगने लगे। में उनका लंड देख कर गरम हो गई थी। मैंने कहा “क्या आप मुझे अपना लंड फिर से दिखा सकते है?” तो वो बोले, “देखो रेनू ये गलत है।”

तो मैंने कहा, “बस मुझे सिर्फ देखना है”। तो वो झिझकते हुए अपना लंड बाहर निकालने लगे। उनका लंड 8 इंच लम्बा था, और मोटा भी था। लंड देख कर मेरी चूत गीली हो गई, और मेरा हाथ अपने आप उनके लंड को हिलाने लगा। कुछ पल के लिए राजेश जी भी मजा ले रहे थे। फिर होश आने के बाद वो पीछे हो गए। मैं इतनी गरम हो गई थी कि उनका लंड फिर से हाथ में ले लिया। अब वो भी ज्यादा विरोध नहीं कर रहे थे।

राजेश जी बोले, “बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं?” मैं उनका लंड हिलाने में मग्न थी, तो मैंने हां में सिर हिलाया। तो वो बोले, “भीगे बालों में तुम बहुत सुंदर लग रही हो।” ये सुन कर मैं खुश हो गई, और उन्हें देख मुस्कुराने लगी।

कुछ पल हिलाने के बाद मैंने उनका लंड धीरे से अपने होठों से चूम लिया। वो बोले, “रेनू अब और ना तड़पाओ इस उम्र में।” ये सुनते ही मैं झट से लंड का टोपा मुंह में लेकर चूसने लगी। राजेश जी से और रहा नहीं गया। उन्होंने मेरा सर पकड़ा और एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरे मुंह में भर डाला, और मेरे मुंह को जोर-जोर से चोदने लगे।

मेरी तो मानो सांस ही अटक गई थी। बस बीच-बीच में सांस लेने के लिए अपना लंड मेरे मुंह से बाहर निकालते, और फिर मुंह चोदने लगते। ऐसा करीब 15 मिनट चला, और उसके बाद एक जोर के झटके से अपना सारा पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया। उन्होंने अपना लंड मेरे मुंह में रख कर मेरा सिर दबा कर रख दिया, और जब तक मेरी सांस फूल नहीं जाती, तब तक वैसे ही दबाए रखा।

जब उन्होने लंड बाहर निकाला, तब मैं जोर-जोर से हांफने लगी, और उनका पानी पी गई। मैंने देखा कि राजेश जी का लंड अब भी खड़ा ही था। मैंने जल्दी‌ से अपने कपड़े निकाल दिये, और नंगी हो कर सोफे पर अपने पैर फैला कर लेट गई। फिर चूत में उंगली डाल कर उन्हें इशारे करने लगी।

वो भी बिना किसी झिझक के मेरी चूत के सामने खड़े होकर मेरी चूत को देख रहे थे। राजेश जी ने अपना लंड मेरी चूत के उपर थोड़ा रगड़ा, तो मैं पूरी तरह से हवस की दुनिया में खो गई।

मैंने कहा: राजेश भैया प्लीज और मत तड़पाओ, मेरी चूत आपके लंड की भीख मांग रही है।

यह सुन कर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत में थोडा अंदर डाला, और मेरी सिस्कारी निकल गई आह्ह। उन्होंने अपना लंड फिरसे बाहर निकाला और एक ही जोर के झटके से अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। झटका इतना जोर का था कि मैं वहीं झड़ गई और चीखने लगी आआऊऊईई अरे मर गई आआ।

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कुछ देर बाद दर्द थोड़ा कम हुआ, तो उन्होंने फिर से धक्के लगाने शुरु कर दिये, और मैं भी मजे से उनसे चुदने लगी आ आ आ करके सिसकियां लेने लगी। कुछ देर बाद उनके धक्के तेज हो गए, और में फिरसे झड़ने की कगार पे थी। उन्होंने एक जोर का झटका लगाया, और हम दोनों एक साथ झड़ गए। उनके लंड का सारा पानी मेरी चूत में बह गया।

वो मेरे उपर ही लेट गए, और कुछ पल बाद वो उठ गए, और अपना लंड मेरी चूत में से बाहर निकाला। मैं देख कर हैरान थी, कि उनका लंड अब भी शांत नहीं हुआ था। राजेश जी ने मुझे बड़ी ही आसानी से गोद में उठा लिया, और अपने कमरे में लेकर गए। कमरे में ले जाने के बाद उन्होंने मुझे बिस्तर पर ऐसे फेंक दिया कि मानो मैं कोई छोटी गुड़िया थी। अब वो भी वासना से भर चुके थे।

वो बिस्तर पर चढ़ गए, और मेरे पैरों को फैलाया, और मेरी चूत में उंगली करने लगे। बाद‌ में वो मेरी चूत को चाटने लगे, और मैं उउउम-उउउम करके मजा ले रही थी। कुछ देर बाद मैं फिरसे झड़ने वाली थी, तो मैंने उनका सर मेरी चूत में दबा के रखा, और मेरे पैर भी बंद कर दिये। फिर मैं इतनी जोर से झड़ी कि मेरा पूरा शरीर ढीला पड़ गया, और मैं कंपकंपाने लगी।

राजेश जी उठ गए और अपना लंड चूत पर सेट किया, और धक्के देने लगे। करीब आधे घंटे बाद वो फिर मेरी चूत में झड गए। हमने उस रात सुबह 4 बजे तक सेक्स किया, और हम दोनों थकने के बाद खुद बा खुद सो गए। सुबह के 9:30 को मेरी आंख खुली। मैं नींद से उठी तो देखा कि राजेश जी का लंड मेरे चेहरे के सामने था, और मेरी चूत उनके चेहरे के।

मैंने पिछली रात के बारे में सोचा कि मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी और मैंने अपने पति को धोखा दे दिया। मेरे आंखों में आंसू आ गए। मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो लडखड़ा कर गिर गई। मेरे शरीर में जरा भी जान नहीं बची थी। मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। मैं रेंग-रेंग कर रूम से बाहर निकल आई, और सीड़ियों पर लड़खड़ाते हुए चढ़ने लगी।

मैं बाथरुम में गई, और जैसे-तैसे दीवार के सहारे खड़े हो गई, और अपने आप को शीशे में देखा तो मेरे पूरे चेहरे और चून्चियों पर राजेश जी का वीर्य सूख गया था। मेरा पूरा बदन लाल हो गया था, और चूत भी सूझ गई थी। मैं अपने आप को इस तरह देख रोने लगी। बाथ टब में जब गरम पानी भर कर अंदर गई तो शरीर को सुकून महसूस हुआ।

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मैंने अपनी आंखें बंद की तो पिछली रात की हर बात मेरे दिमाग से गुजरती, और मैं झट से अपनी आंखें खोल देती। मैं दो घंटे बाद बाथरूम से बाहर निकल गई, और मेरे कमरे में जाकर कपड़े पहनने लगी।‌ अब मैं अपने कमरे में ही बैठ कर रो रही थी। थोड़ी देर बाद जब मैं शांत हुई तो नीचे चली गई। नीचे गई तो देखा कि कल रात को पहने हुए कपड़े फर्श पर थे।

करीब 12 बज गए थे, और राजेश जी कहीं नज़र नहीं आए। मैंने उनके कमरे का दरवाजा देखा तो बंद था। मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला तो देखा कि राजेश जी एक कोने में बैठ कर रो रहे थे। मैं अंदर गई तो वो मुझे देख कर बोले, “रेनू मुझे माफ कर दो। मुझसे गलती हो गई। मैं अभी घर छोड कर चला जाता हूं”। मैं कुछ नहीं बोली। फिर वो एक-दम से मेरे पैरों पर गिर पड़े और माफी मांगने लगे।
Woww very fast moving story. First update me hi Renu apne padosi se chud gai.
 
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मैंने उन्हें खड़े होने के लिए कहा और बोली: बाहर चल कर बात करते है।

बाहर आकर वो मुझे बोले: देखो रेनू, मैं ये घर छोड़ कर चला जाता हूं।

मैं बोली: आप ऐसा मत कीजिये और ऐसा करेंगे तो मैं मनीष को क्या कहूँगी की आप क्यों चले गए? और फिर दोष आपका नहीं है। कल रात पहल मैंने ही की थी।“

वो बोले: रेनू लेकिन गलती मेरी भी उतनी ही है।

तो मैंने कहा: नहीं इसमें गलती मनीष की है जो मुझे हमेशा अकेला छोड़ कर चला जाता है, आखिर मेरी भी कुछ जरूरतें हैं।

राजेश: कुछ ऐसी ही हालत दिव्या के जाने के बाद से मेरी भी थी इसीलिए ये गलती हो गयी। तुम बताओ रेनू मैं इस गलती को सुधारने के लिए क्या करूँ?

मैंने राजेश जी को सामान्य करने के लिए इतरा कर बोला: मैं सोच कर आपको आपकी सजा बताती हूँ तब तक आप मेरा इंतज़ार करिए।

ये कह कर मैं नाश्ता बनाने किचन की तरफ जाने लगी तभी अचानक मेरे घर से कॉल आ गया तो मैं मम्मी से बात करने के लिए वापस अपने रूम में चली गयी।

थोड़ी देर बाद जब मैं वापस बाहर आई तो मैंने देखा की राजेश जी किचन में चाय बना रहे थे।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे आप चाय भी बना लेते है। वाह!” तो वो भी मुस्कुराने लगे और बोले, “चाय ही नहीं साथ में नाश्ता भी रेडी है, चलो फटाफट खा लो वरना ठंडा हो जायेगा”

मैं सोचने लगी की मेरी शादी को इतने साल हो गए थे, लेकिन एक बार भी मेरे पति ने मेरे लिये चाय नहीं बनाई, और आज राजेश जी ने मेरे लिये चाय भी बनाई और नाश्ता भी।

राजेश: क्या सोच रही हो रेनू?

मैंने कहा “आपकी सजा सोच रही थी”

“सोच ली?” उन्होंने पूछा।

“हाँ” मैंने कहा “जब तक मनीष वापस नहीं आ जाता आपको मेरा पति बन कर रहना पड़ेगा। बोलिए सजा मंजूर है।“

“मतलब? तुम कहना क्या चाहती हो? मैं कुछ समझा नहीं” राजेश आश्चर्य से बोले। उनको अपने कानों पर भरोसा नहीं हुआ।

“मतलब जब तक मेरा पति नहीं आता आपको उसके बदले मेरी चुदाई करनी होगी। जैसे कल रात को की थी। अब भी नहीं समझे क्या?” मैंने शरारत से कहा।

राजेश जी ने मुझे फिर से पूछा, “क्या तुम सच में तुम्हारे पति आने तक मुझसे चुदना चाहती हो?” इस पर मैं बोली, “अरे हां बाबा, सच में। आप चिंता मत करो, हम दोनों मेरे पति आने तक खुब चुदाई करेंगे।”

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फिर मैं अपने सारे कपडे उतार कर किचन की स्लैब के उपर अपने पैर फैला कर बैठ गई और बोली, “अब चोदोगे नहीं?” दोस्तों मैं अब इस स्थिति में थी कि अगर मुझे कभी भी चोदने के लिये बोला जाए, तो मैं तुरंत मान जाऊं। राजेश जी ने कहा कि, “अभी नहीं, पहले चाय पी कर नाश्ता लेते है, फिर करते है। वैसे तुम्हारे अंदर इतनी हवस भरी होगी, मुझे लगा नहीं था।”

मैंने कहा, “सब आपके लंड का कमाल है। मुझे पसंद आ गया आपका लंड और चोदने का तरीका।”

चाय पीने के बाद मैं राजेश जी की गोद में जाकर बैठ गई, और उन्हें चूमने लगी। वो भी मेरे होंठो को चूसने लगे, और मेरे मम्मों को धीरे-धीरे दबाने लगे। मैंने सिसकारियां लेते हुए कहा, “चलो अब चुदाई का खेल शुरु करते है।”

ये कह‌ कर मैं उठ गई और राजेश जी भी अपना पजामा नीचे खिसका कर लंड बाहर निकाल कर तैयार हो गए। मैंने उनके लंड को हाथ में पकड़ कर सहलाना शुरु कर दिया, और मैं उनके लंड पर बैठने ही वाली थी कि वो बोले, “रुको रेनू”।

मैंने कहा “क्या हुआ?” तो वो बोले, “तुम्हारी चूत कल की भारी चुदाई की वजह से लाल हो गई है। अगर मैंने तुम्हें फिर चोदा तो तुम्हारी हालत बुरी हो जाएगी।” उनकी ये बात सच तो थी, मगर मुझ पर उनके लंड का ऐसा नशा चढ़ा था कि मैं उस बात पर गौर ही नहीं दे पा रही थी।

मैंने कहा, “अरे वो बाद में देख लेंगे, अभी तो बस मुझे आपका लंड मेरी चूत में चाहिये।” वो फिर भी थोड़ा चिंतित थे, तो मैंने ही पहल करने की ठानी। मैं घुटनों के बल बैठ गई, और उनके लंड के टोपे को मेरी जुबान सहलाने लगी। राजेश जी भी सिसकियां ले रहे थे।

फिर मैंने धीरे-धीरे उनका लंड मुंह में लेना शुरु किया। मैं जान बूझ कर उनका लंड धीरे-धीरे चूस रही थी, ताकि वो पूरी तरह हवस के नशे में डूब जाए। फिर कुछ देर बाद ही वो मेरे बाल सहलाने लगे, और मेरा सर पकड़ कर लंड मेरे मुंह में और अंदर तक डालने लगे।

अब मैंने भी जोर-जोर से उनका लंड चूसना शुरु कर दिया, और थोड़ी ही देर में उनका लंड मेरे मुंह में फुदकने लगा। मैं समझ गई कि ये अब झड़ने वाले थे। मगर मुझे उनका लंड चूत में लेना था। मैंने जल्दी से लंड मेरे मुंह से बाहर निकाला, तो वो बोले, “अरे रेनू, क्या कर रही हो? मेरा बस निकलने वाला था।” तो मैं बोली, “मुझे आपका लंड चूत में चाहिये।”

उनसे अब मेरी ये छेड़-खानी और बर्दाश्त नहीं हो रही थी। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी गोद में बिठा दिया, और बोले, “अब तो तेरी चूत फाड़ कर ही दम लूंगा”।

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मैं उनकी ये बात सुन कर खुश हो गई, और जल्दी से उनके लंड पर बैठ गई। मेरी चूत पहले से गीली थी, इसलिये मैं उनका लंड आसानी से ले पाई। उनका लंड अंदर जाते ही मेरी आंखे बंद हो गई, और मेरे चेहरे पर एक सुकून भरी मुस्कान आ गई। जैसे कोई तड़पती मछली को पानी मिल जाए, मेरी लंड लेकर बिल्कुल वैसी ही हालत हो गई थी।

राजेश जी सोफे पर बैठे थे, और मैं उनके लंड पर उछल-उछल कर मेरी चूत चुदवा रही थी। राजेश जी बिल्कुल मजे से सिस्कारियां ले रहे थे, और मैं आअह उउह्ह्ह कर चिल्ला रही थी। करीब 15 मिनट बाद वो मेरी चूत में झड़ गए। मुझे भी बहुत मजा आया, और मैं उनका लंड अंदर लिये ही उनकी गोद में बैठ गई।

मैं हांफते हुए बोली, “बहुत मजा आया पति देव”। तो वो बोले, “अरे अभी तो बहुत मजा आना बाकी है।” ये कह कर मुझे उन्होनें गोद में से उठाया, और सोफा पर लिटा दिया। फिर मेरे उपर चढ़ कर मेरे बूब्स दबाने लगे, और मेरे होंठों को जोर से चूमने लगे। मैं अब फिर से गरम होने लगी, और उनका लंड भी फिर से खड़ा हो गया।

वो उठ गए और मेरी चूत पर अपना लंड सहलाने लगे, और फिर एक ही जोर के झटके से पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। मेरी तो चीख निकल गई, “आआऊऊईई। मर गई आअह”। लेकिन वो मुझे जोर-जोर से चोदे जा रहे थे। मैं मिशनरी पोज़ीशन में थी, इसलिये वो मेरी चूत में और अंदर तक लंड डाल पा रहे थे।

उनकी चोदने की स्पीड और बढ़ गई, और फिर वो मेरे बूब्स दबाने लगे। बीच-बीच में वो मेरे बूब्स को जोर से मारते थे, और मुझे उससे बहुत मजा आता था। उन्होंने मेरे बूब्स दबा-दबा कर लाल कर दिये थे। मेरी चूत में भी अब थोड़ा-थोड़ा दर्द होने लगा था। मगर मुझ पर लंड का ऐसा नशा चढ़ा था कि मुझे उस दर्द में भी मजा आ रहा था।

मैं उनसे कहने लगी, “और जोर से करो बहुत मजा आ रहा है।” ये सुन कर वो और जोर से मुझे चोदने लगे। ये खेल करीब आधे घंटे तक चला, और फिर वो जब झड़ने वाले थे, तब वो मेरे पेट पर उनका सारा वीर्य छोड़ दिया।

थोड़ा बहुत माल मेरे चेहरे पर और मेरे बूब्स पर भी गिर गया। झड़ने के तुरंत बाद उन्होंने लंड फिर से मेरी चूत में डाला, और मुझे चोदने लगे। मैंने कहा, “मन नहीं भरा?” उस पर उन्होंने कहा कि, “मन तो मेरा तेरी चूत से कभी नहीं भरेगा”। मैं मुस्कुराई और उनको किस्स करने लगी। कुछ देर किस्स करने के बाद उन्होंने मुझे कुतिया बनने को कहा। मैं झट से डॉगी पोजीशन में आ गई, और राजेश जी ने भी झट से अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया।

लंड चूत के अंदर घुसते ही मेरे मोबाइल की रिंग बजने लगी। मैं इस बात से बहुत गुस्सा हो गई और बोली, “यार अब किसका फ़ोन आ गया!” मैं उठी और फोन की तरफ देखा तो मेरे पति का फ़ोन था। मैं थोड़ा हड़बड़ा गई लेकिन फिर मैंने उनका फ़ोन उठाया।

मैं: हैलो, कैसे हो?

मेरे पति: मैं ठीक हूं बेबी, तुम कैसी हो?

मैं: मैं बिल्कुल ठीक हूं।

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मैं बोलते-बोलते राजेश जी के बगल में जा कर बैठ गई। मैं फ़ोन पर बोल ही रही थी कि राजेश जी ने अपना लंड मेरे हाथ में रखा, और हिलाने का इशारा किया। मैं उनका इशारा समझ गई और उनका लंड हिलाने लगी। मेरे मन में आया, “एक पति से फ़ोन पर बात कर रही हूं, और एक पति का लंड हिला रही हूं”। ये सोच कर मैं मुस्कराने लगी।

पति: क्या हुआ, हँस क्यों रही हो?

मैं: अरे कुछ नहीं, बस तुमसे बात करके अच्छा लगा।

पति: अरे मेरी जान। अच्छा वैसे राजेश जी कैसे है? कोई तकलीफ तो नहीं?

मैंने राजेश जी के तरफ देखते हुए कहा- अरे वो तो बहुत खुश है।

ऐसे ही करीब पांच मिनट बात करने के बाद मैंने काम का बहाना बना कर फ़ोन काट दिया। फ़ोन कटते ही मैं झट से राजेश जी का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी। राजेश जी, “अरे फ़ोन रखते ही शुरु हो गई, वाह क्या बात है!”

मैं चुप-चाप मजे से उनका लंड चूसे जा रही थी, और फिर कुछ ही देर में वो मेरे मुंह में झड़ गए, और मैंने भी उनका सारा पानी बड़े आराम से पी लिया। फिर हम दोनों ऐसे ही एक-दूसरे के बगल में बैठे रहे।

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राजेश जी बहुत खुश लग रहे थे। उन्हें खुश देख मुझे भी अच्छा लगा। राजेश जी ने कहा, “वाह! रेनू तूने तो मेरा सारा पानी निकाल दिया। ऐसा लग रहा है जैसे में फिर से जवान हो गया हूं, तुम इतनी हॉट हो कि मेरा मन ही नहीं भरता। मन करता है कि तुम्हें बस चोदते रहूं। या फिर पहले मैं पहलवानी करता था, इसलिये मेरा शरीर आज भी मेरा साथ दे रहा है”।

उनसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। ऐसे लगा के मानो वो मुझे समझ सकते थे। मेरी धड़कन तेज होने लगी, और मैंने झट से बोल दिया, “राजेश जी क्या आप मेरे सच में पति बनेंगे?”

वो ये सुन कर शॉक हो गए और बोले, “रेनू ये तुम क्या कह रही हो? तुम्हें मेरे बारे में ऐसा क्यों लग रहा है?”

मैंने कहा, “आप तो मेरे झूठे पति होने के बाद भी मेरा खयाल रखते है, और मेरे असली पति को तो मेरे लिये टाइम ही नहीं रहता”। ये कह कर मैं उदास हो गई।

राजेश जी हंसे और बोले, “अरे रेनू, कितनी भोली हो तुम। हम दोनों का रिश्ता बस एक-दूसरे के शरीर को खुश रखने तक का ही है। और रही बात तुम्हारे पति की, तो वो तो तुम्हें सबसे ज्यादा प्यार करता है”।

मैंने गुस्से में कहा, “अगर उन्हें मुझसे इतना प्यार है, तो हर बार मुझे छोड़ कर क्यों चले जाते है?”

राजेश जी बोले, “मनीष जब भी मुझसे मिलता है तो तुम्हारे बारे में बहुत बोलता है। वो सारी मेहनत बस तुम्हारे लिये कर रहा है”।

ये बात सुन कर मुझे अच्छा लगा और बुरा भी, कि कैसे मैं अपने पति के प्यार को कम समझ बैठी। लेकिन राजेश जी ने मुझे अच्छे से समझाया और मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ।

हम दोनों काफी देर नंगे ही सोफे पर बैठे थे, और मैंने तो दिन भर कोई कपड़ा ही नहीं पहना था। सच कहूं तो मुझे अब नंगी रहने में ही मजा आ रहा था।

कुछ देर बाद राजेश जी ने मुझसे खाने के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें कहा कि, “मैं अब खाना बनाने के हालत में नहीं हूं”। हम दोनों दिन भर चुदाई के बाद थक गए थे, और पसीने से लथपथ थे। तभी राजेश जी ने कहा, “तुम भी थक गई हो और मैं भी। तो चलो आज होटल में खाना खाते है”।

मैं ये सुन कर बहुत खुश हुई और जल्दी से हां कर दी। बस मैं कपड़े पहनने के लिए उठने ही वाली थी कि राजेश जी का फ़ोन बजा। उन्होंने फ़ोन देखा तो खुश हो गए। दरअसल उनके जिगरी दोस्त का फ़ोन था इसलिए वो खुश हो गए।

फिर क्या, दोस्त जैसे आपस में हँसी-मज़ाक करके बात करते है, वैसे ही उनकी बातें शुरु हो गई। मैं राजेश जी को हसता हुआ देख कर बहुत खुश हुई। क्योंकि शायद घर जलने के हादसे के बाद वो पहली बार इतना मन भर कर हँस रहे थे। तो ये देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा।

मैं तो खैर वैसे ही नंगी राजेश जी को फ़ोन पर बोलते हुए सुन रही थी, और मन में सोच रही कि यार कब खतम होगा इनका बोलना। बाहर खाने भी जाना था।

8:30 बज गए थे। मैं ये सब सोच ही रही थी कि राजेश जी फ़ोन पर बात करते हुए बोले, “अरे अभी? अभी तो मुश्किल है। अच्छा कुछ अर्जेंट बात है? ठीक है फिर।” ये कह कर उन्होंने फ़ोन रख दिया।

मैं: किसका फ़ोन था जी?

राजेश जी: अरे मेरे जिगरी दोस्त का फ़ोन था।

मैं: अच्छा। तो क्या कह रहे थे वो?

राजेश जी: रेनू देखो गुस्सा मत होना। पर मुझे अभी जाना होगा। मेरे सारे दोस्तों ने मुझे मिलने बुलाया है। मुझे जाना ही होगा।

मैं: अरे आप मेरी चिंता मत करिए। जाइये अपने दोस्तों से मिल कर आइये। हम किसी और दिन बाहर खाना खाते है।

राजेश जी: तुम सच में गुस्सा नहीं हो ना?

मैं: गुस्सा तो नहीं हूं, पर नाराज हूं। लेकिन आप भी अपने दोस्तों से मिलने जा रहे है, तो मैं भी कैसे मना करूंगी।

राजेश जी: रेनू तुम कितनी समझदार हो। अब तो हम आज ही बाहर खाना खाएंगे।

मैं (खुश होकर): सच में!?

राजेश जी: हां बाबा, मेरा इन्तज़ार करना।

मैंने राजेश जी के कपड़े लाकर दिये, और वो उन्हें मेरे सामने पहनने लगे। कपड़े पहन कर तैयार होने के बाद वो निकल रहे थे, कि मैंने उनका हाथ पकड़ा और उनको रोक कर झट से उनके होंठों पर कस के किस किया और बोली, “जल्दी आना”।

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उन्होंने मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारा, और हां में सर हिलाया। फिर राजेश जी चले गए और मैं अकेली ही घर पर नंगी रह गई। मैं नंगे बदन ही टीवी देख रही थी। अब तो मुझे नंगा रहने में शरम भी नहीं आ रही थी।

ऐसे ही बैठी थी कि मुझे राजेश जी की बात याद आ गई। उन्होंने कहा था कि मेरे पति से ज्यादा मुझसे कोई प्यार नहीं कर सकता। मुझे भी मेरे पति से बहुत प्यार है। पर क्या करूं मेरी चूत की आग ही इतनी बढ़ गई कि में राजेश जी से चुद गई। मुझे मेरे पति की याद आ रही थी। तो मैंने उन्हें फ़ोन किया।

(मैं और मेरे पति फ़ोन पर बात करते हुए)

मैं: हेलो।

पति: हेलो रेनू, क्या हुआ फिरसे फ़ोन किया?

मैं: जी वो आपकी याद आ रही थी।

पति: मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही है।

मैं: तो फिर यहां क्यों नहीं आते?

पति: आना तो चाहता हूं, पर तुम तो जानती हो बिज़नेस को संभालना कितना मुश्किल है।

मैं (गुस्से में): तुम और तुम्हारा बिज़नेस।

पति: अरे तुमने मुझे डांटने के लिए कॉल किया है क्या?

मैं: नहीं जी, बस आप काम में लगे रहते हैं, और मेरी तरफ कुछ ध्यान नहीं देते इसलिये।

पति: मैं ये सब तुम्हारे लिये ही कर रहा हूं।

ऐसे ही बात करते-करते हमारी बात-चीत थोड़ी गरम हो गई और मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी। फिर मेरे पति ने मुझसे पूछा कि, “राजेश जी घर पर है कि नहीं?” तो मैंने उन्हें कहा कि, “वो बाहर गए है”। ये बोलते ही उन्होंने मुझे वीडियो कॉल करने बोला। उन्हें मुझे अच्छे से देखना था। वीडियो कॉल करते ही मेरे पति चौंक गए क्योंकि मैं नंगी ही थी।

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पति: वाह! मेरी बीवी तो तैयार बैठी है।

मैं इस बात पर मुस्कुराई। फिर उन्होंने भी अपने कपड़े निकाले, और हम दोनों अपने आप को खुश करने लगे। वो अपना लंड हिला रहे थे, और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी। ये खेल करीब आधे घंटे तक चला। फिर हम दोनों शांत हो गए।

मैंने पूछा: कितने दिन बाद लौटोगे?

पति: पता नहीं जानू शायद 1 या 2 महीने लग सकते है।

मैं: इतने दिन! (मैं ये सुन कर थोड़ी खुश भी हो गई कि और 1-2 महीने मैं और राजेश जी पति पत्नी बन कर रह सकते है)

फिर कुछ और देर हमने बाते की, और मैंने बातों-बातों में बता दिया कि मैं और राजेश जी बाहर खाना खाने जा रहे थे। मुझे लगा कि मेरे पति गुस्सा होंगे, पर वो उल्टा खुश हो गए। मेरे पति का मुझ पर पूरा विश्वास था। मुझे बुरा भी लगा कि मैं उनका विश्वास तोड़ रही थी। फिर हमने एक-दूसरे को बाय कहा, और फ़ोन कट कर दिया।

मैंने घड़ी देखी तो 9:30 बज गए थे। मैं बाथरुम में गई, और अच्छे से नहा लिया। पूरे आधे घंटे तक नहाने के बाद मैं अपने रूम में तैयार होने के लिये गई। मैंने लाल नेट की सारी पहन ली, और गोल्डन ब्लाऊज पहना, और एक सरप्राइज था, वो आपको बाद में पता चलेगा।

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मैं बहुत ही अच्छे से सज-धज कर तैयार थी और राजेश जी का इन्तज़ार कर रही थी। करीब 11:00 बजे राजेश जी घर आए।

मैं: इतनी देर क्यूं कर दी?

राजेश जी मुझे देख कर एक-दम थम से गए और बोले, “रेनू तुम कितनी सेक्सी लग रही हो! मन कर रहा है कि तम्हें फिर से चोदना शुरु करूं“।

मैं शर्मा गई और उनसे फिर पूछा कि, “देर क्यों हो गई?” उन्होंने कहा कि,‌ “बातों-बातों में समय का पता नहीं चला।” और फिर मैंने भी ज्यादा कुछ पूछा नहीं। मैं राजेश जी के सामने गई और उन्हें गले लगाया, और उन्होंने भी मेरी गांड और बूब्स को कस कर दबाया। मेरी तो आह निकल गई।

राजेश जी: चलो रेनू अब चलते है।

मैं: ठीक है।

हम दोनों घर के बाहर आ गए, और कार में बैठ गए।

कार में बैठने के बाद मैंने उन्हें कहा: जी आपको कुछ बताना है।

राजेश जी: मुझे भी कुछ कहना है।

मैं: ठीक है आप पहले बोलिये।

राजेश जी: मेरे दोस्त मुझे घर में पूजा रखने के लिये कह रहे हैं।

मैं: किस बात की पूजा?

राजेश जी: घर में शोर्ट सर्किट हो गया था इसलिये घर शान्ति की पूजा रखनी है।

मैं: हां, फिर ये तो अच्छी बात है। कब करनी है पूजा?

राजेश जी: अभी तय नहीं किया और पूजा तुम्हारे घर में करें या अपने घर में ये भी देखना होगा।

मैं: ठीक है। हम इसके बारे में बाद में बात करते है।

राजेश जी: वैसे तुम क्या कहने वाली थी?

मैं: आपके लिये एक सरप्राइज है।

राजेश जी: क्या सरप्राइज है?

मैं थोड़ी आगे झुक गई और उनके कानों में धीरे से बोली, “मैंने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी है” ये सुन कर उनकी आंखें बड़ी हो गई और वो चौंक गए।

राजेश जी: सच में!

मैं: हां बाबा। मैंने साड़ी और ब्लाऊज के अलावा अन्दर कुछ नहीं पहना है।

राजेश जी: ओह रेनू! इसलिये तुम मुझे अच्छी लगती हो।

ये कह कर राजेश जी ने कार चालू की, और हम होटल में जाने के लिये निकल गए। इतनी रात में सारे रेस्तरा बंद हो गए थे तो हम एक 5 स्टार होटल के रेस्तरा में आ गए। राजेश जी ने गाड़ी होटल के पार्किंग लॉट में पार्क कर दी, और मैं गाड़ी से निकलने वाली थी कि राजेश जी ने मेरा हाथ पकड़ा, और मुझे रोक लिया।

राजेश जी: कहा जा रही हो? अपने पति का लंड तो शांत करो।

मैंने उनकी पैंट के तरफ देखा तो उनका लंड बाहर आने के लिये तरस रहा था।

मैं: जी हां, अभी शांत करती हूं।

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मैंने जल्दी से उनका लंड बाहर निकाला और अपना ब्लाऊज उतार दिया। राजेश जी मेरे बूब्स को दबाने लगे, और मैं उनका लंड हाथ में लेके हिलाने लगी। राजेश जी से और रहा नहीं गया। फिर उन्होनें मेरे बाल पकड़े, और खींच के मुझे अपना लंड चुसवाया।

मैं मस्त होकर लंड चूस रही थी, और राजेश जी भी आंखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहे थे। करीब 15 मिनट बाद वो मेरे मुंह में झड़ गए, और मैं एक अच्छी पत्नी की तरह वो सारा माल पी गई।

फिर राजेश जी ने अपना लंड पैंट के अन्दर डाल दिया, और मैंने भी अपना ब्लाऊज पहन लिया, और रुमाल से थोड़ा वीर्य जो मेरे चेहरे पर लगा था, उसे पोंछ लिया। बस जरा सी लिपस्टिक फिर से लगा ली, और मैं गाड़ी के बाहर आ गई।

हम दोनों होटल के अंदर गए और खाना मंगाया। खाना बहुत अच्छा था। राजेश जी और मैं इधर-उधर की बातें कर रहे थे। लेकिन बार-बार राजेश जी मेरे बूब्स को घूर रहे थे। मुझे ये देख कर बहुत मजा आ रहा था। तभी मैंने एक शरारत की।

मैंने जान बूझ कर थोड़ी सी चटनी मेरे बूब्स पर गिरा दी। राजेश जी ने जल्दी से टिशू दिया तो मैंने मना कर दिया। फिर मैंने पहले आस-पास देखा कि कोई देख तो नहीं रहा था। वैसे भी वहां सिर्फ तीन चार कपल ही बैठे थे जो सब अपने में ही मशगूल थे तो फिर मेरी उंगली से बूब्स पर लगी हुई चटनी ली, और राजेश जी को उसे चाटने बोली। उन्होनें बिना किसी देरी के मेरी उंगली चाटी।

मैं: बस अब तो खुश हो गए? कब से मेरे बूब्स को घूर रहे थे आप।

राजेश जी: क्या करूं, वो है ही इतने सुंदर कि नज़र ही नहीं हट रही मेरी।

मैं: अरे वो तोह आपके ही है, घर जाने के बाद खेल‌ लेना मन भर कर उनके साथ।

राजेश जी और मैं इस बात पर हसने लगे। फिर मैं वाशरूम जाने के लिये उठ गई। मैं वाशरूम में अपने बूब्स साफ करने गई थी। वाशरूम के बाहर आते ही मैंने देखा की एक आदमी मुझे देख रहा था। मैं उसे अनदेखा कर दिया और फिर से अपने टेबल पर जा रही थी कि उसने मुझे बुलाया।

वो आदमी: मैडम! एक मिनट रुकिये।

मैं पीछे मुड़ी और उसे इशारों से पूछा “क्या मैं?” तोह उसने हां में सर हिलाया और मैं उसके पास गई।

मैं: जी, क्या हुआ?

वो आदमी: हेल्लो मैडम,मेरा नाम नौशाद खान है और मैं इस होटल का नाईट मेनेजर हूँ।

मैं: तो?

नौशाद: आप नई हैं क्या? कैसे काम करती हैं?

मैं: क्या मतलब?

नौशाद: अरे क्या आप भी नाटक कर रही है। चलो मैं ही काम की बात करता हूं। आप कितना लेती हो?

मैं: जी, मैं कुछ समझी नहीं?

नौशाद: ओह! अरे एक रात का कितना लेती हो?

मैं ये सुन कर हैरान रह गई कि ये आदमी मुझे रंडी समझ बैठा था।

मैं: क्या बकवास कर रहा है, मैं वैसी औरत नही हूं।

नौशाद: अरे क्यों नाटक कर रही हो? तुम जो बोलोगी वो रकम तुम्हें दूंगा और आगे भी बड़े क्लाइंट दिलवा दूंगा,यहाँ बड़े बड़े लोग आते है। उनकी तुम्हारे जैसे माल की डिमांड रहती है।

मैं: फिर से वही बकवास। दिमाग ख़राब है क्या? बोला न मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ।

नौशाद: अच्छा तो तू उस बूढ़े के साथ क्या इधर नाटक करने आई है?

मैं: वो मेरे पति है। तमीज़ से बात कर।

मैंने उसे मेरे गले का मंगलसूत्र भी दिखाते हुए बोला और वापस जा ही रही थी कि उसने कुछ ऐसा कहा जिससे मेरी धड़कन थम गई।

नौशाद: सॉरी मैडम आपको कुछ और समझ बैठा लेकिन आपने पार्किंग लाट में काम ही ऐसा किया की मुझे लगा की आप रंडी हो। कोई नहीं मैडम जाते जाते सिर्फ लंड ही चूस लो!

मैं: क्या कहा, रुक अभी मेरे पति को बुलाती हूं।

नौशाद: रुको मैडम, जरा ये तो देख लो।

उसने अपने मोबाइल में एक वीडियो चलाई। मैं वो वीडियो देख कर ठंडी पड़ गई। वो पार्किंग लाट की सी.सी.टी.वी. फूटेज थी, जिसमे मैं राजेश जी का लंड चूस रही थी, ऐसा साफ दिख रहा था।

मैं: देखो ये बहुत गलत बात है। वो मेरे पति हैं और तुम ऐसा नहीं कर सकते।

नौशाद: पति हैं तो ये सब घर पर करो न। अब अगर कोई ये वीडियो इंटरनेट पर डाल दे तो? और तुम्हें तो मालूम है एक बार कोई चीज इंटरनेट पर गई तो वो हमेशा के लिए वहीं रहती है।

मैं: देखो तुम ऐसा नहीं कर सकते।

नौशाद: अरे मैंने कब कहा की मैं ऐसा करूंगा? तुम मेरा ख्याल रखोगी तो मैं भी तो तुम्हारा ख्याल रखूंगा। वैसे कोई और होता तो बिना चोदे नहीं छोड़ता लेकिन तुम शादी-शुदा हो इसलिये तुम्हें बस लंड चूसने कह रहा हूं।

मैं अब कुछ सोच नहीं पा रही थी। मैंने अखिर में नौशाद की बात मानने का फैंसला किया, और सोचा कि इसे बाद में मजा चखाती हूं। बस वो वीडियो डिलीट हो जाए एक बार।

मैं: देखो तुम वीडियो तोह डिलीट करोगे ना?

नौशाद: हां बाबा, मैं अपने वादे का पक्का हूं।

मैं: ठीक है, मैं तैयार हूं। लेकिन यहां नहीं चूस सकती।

नौशाद: अरे यहां कौन तुझे लंड चुसवाने वाला है।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने केबिन में ले गया, और दरवाजा बंद कर दिया। उसकी केबिन एक-दम कोने में थी, और उसमें कोई खिड़की भी नहीं थी। लेकिन केबिन थी बहुत बड़ी।

नौशाद: चलो अब शुरु हो जा।

नौशाद का बोलने ढंग एक-दम बदल गया था। वो बहुत रोब जमा कर बात कर रहा था।

मैं: अपना पुर्ज़ा तो बाहर निकालो।

नौशाद (गुस्से में): तू नहीं बताएगी कि क्या करना है, मैं बताऊंगा समझी!

मैं सोच रही थी, कि अब ये मेरे साथ क्या करने वाला था। नौशाद कुर्सी पर बैठा था और मैं उसके सामने खड़ी थी।

नौशाद: मेरे सामने क्या खड़ी हो? चलो पीछे जाओ।

मैं पीछे हो गई।

नौशाद: और पीछे जाओ। कमरे के उस कोने तक जाओ, और चेहरा मेरी तरफ होना चाहिये।

मैंने वैसे ही किया।

नौशाद: चलो अब अपने बूढ़े को फ़ोन लगा, और बोल कि तुझे थोड़ी देर होगी।

मैं: क्या बहाना दूं?

नौशाद: अब क्या वो भी मैं ही बताऊं? कुछ भी बता दे।

मैंने फिर राजेश जी को फ़ोन लगा दिया।

(फ़ोन पर बोलते हुए)

राजेश जी: अरे कहां रह गई हो?

मैं: टॉयलेट में हूं, वो थोड़ा पेट खराब हो गया है।

राजेश जी: ऐसे कैसे?

मैं: पता नहीं शायद इस होटल का खाना ही घटिया है! (गुस्से से नौशाद की तरफ देखा)

राजेश जी: अच्छा तुम्हें कितनी देर लगेगी?

मैं: पता नहीं शायद 20-25 मिनट लगेंगे।

राजेश जी: ठीक है तुम्हारे आने के बाद हम सीधे डॉक्टर के पास चलते है।

मैं: जी ठीक है।

मेरे पास राजेश जी को नौशाद के बारे में बताने का मौका था। मगर ना जाने क्यों मैं कह नहीं पाई।

फिर मैंने फ़ोन रख दिया।

नौशाद: मुझे लगा तुम 10 मिनट मांग लोगी। लेकिन तुमने तो लगभग आधे घंटे तक का समय दिया इस बहाने में।

मैं कुछ नहीं बोली।

नौशाद: चलो अब अपने कपड़े उतारो।

मैं: ये क्या कह रहे हो? बात सिर्फ चूसने की हुई थी।

नौशाद: मैंने चूसने की बात की लेकिन कैसे लंड चूसना है उसकी नहीं।

मैं: देखो ये तुम बहुत गलत…

नौशाद (चिल्लाते हुए): चुप! ज्यादा बोल मत।‌ अब कुछ सवाल नहीं। बस मैं जितना बोलूंगा उतना करो। समझी?

मैंने हां में सिर हिलाया।

नौशाद: एक और बात, मुझे आप और तुम करके नहीं बोलोगी। तुम मुझे “मालिक” बोलोगी।

मेरे: जी ठीक है।

नौशाद: अभी क्या कहा मैंने!

मैं: जी मालिक।

नौशाद: चलो, तो मैंने तुम्हें क्या आदेश दिया था। वो पूरा करो।

मैंने अपने कपड़े उतार दिये, और उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी। क्योंकि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था, इसलिये आसानी से कपड़े उतर गए। नौशाद मुझे नंगा देख पागल हो गया।

नौशाद: वाह! वाह! क्या टॉप माल है तू। मन कर रहा है कि तुझे चोद दूं, मगर मैंने तुम्हें जुबान दी है कि मैं नहीं चोदूंगा।

दोस्तों नौशाद भले ही घटिया इन्सान था, मगर अपनी जुबान का पक्का था।

नौशाद: चलो अब घुटनों पर बैठ जाओ।

मैं घुटनों पर बैठ गई।

नौशाद: अब कुतिया बनो।

मैं कुतिया बन गई।

नौशाद: अब भौंकना शुरू कर दे।

मैं: क्या?

नौशाद ने टेबल के नीचे से छड़ी निकाली, और मुझे और मारने के लिए हाथ उठाया।

मैं: रुको-रुको मैं करती हूं। आप जैसा बोलोगे वैसा करती हूं।

उसने छड़ी नीचे कर दी और मैं उसके कहने के मुताबिक भौंकने लगी।

मैं: भौं! भौं!

नौशाद मेरी इस हालत का मजा ले रहा था, और जोर-जोर से हस रहा था।

नौशाद: देख ये तेरी औकात है। बाहर बहुत अकड़ दिखा रही थी साली रांड।

फिर उसने उसके हाथ में जो छड़ी थी, उसे कमरे के दूसरे कोने में फेंक दिया।

नौशाद: ऐसे ही जा, और वो छड़ी यहां लेके आ।

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मैंने वैसे ही किया। किसी कुतिया की तरह मैं वहां गई और वो छड़ी हाथ में उठा ली।

नौशाद: हाथ से नहीं मुंह में पकड़ के ला।

मैंने वो छड़ी मुंह में दांतों के बीच पकड़ ली, और कुतिया की तरह चल कर उसके सामने रख दी।

नौशाद: अपनी जुबान बाहर निकाल कर हांफना शुरु कर।

मैंने फिर वैसा ही किया और नौशाद मुझे देख हस रहा था। उसने मेरे सिर पर हाथ फेरना शुरु कर दिया, जैसे कि मैं कोई सच में कुतिया हूं।

नौशाद: क्या हुआ, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है?

मैं: अच्छा लग रहा है।

नौशाद: तो बता मैं कौन हूं तेरा?

मैं: मालिक हो मेरे।

नौशाद: शाबाश! जल्दी सीख रही हो।

उसने ड्रावर से एक बिस्कुट निकाला, और मुझे खाने दिया। मैंने भी वो बिस्कुट खा लिया। फिर उसने दूसरे ड्रावर से कुत्ते का पट्टा निकाला, और मेरे गले में बांध दिया।


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नौशाद उठा, और मेरे गले का पट्टा पकड़ कर मुझे पूरे कमरे में घुमाने लगा। वो बीच-बीच में मुझे बिस्कुट खाने देता था। कभी सीधा मेरे मुंह में डालता था, और कभी सीधे जमीन पर फेंक देता था। कमरे के 2-3 चक्कर लगाने के बाद वो एक शीशे के सामने रुक गया और बोला-

नौशाद: देख अपने आप को।

मैंने शीशे में देखा तो बहुत बुरा लगा। मैंने देखा कि मैं उस नौशाद के बगल में घुटनों के बल बैठी थी, और मेरे गले में कुत्ते का पट्टा था, जो नौशाद के हाथ में था। मैं यह देख कर टूट गई, और फुट-फुट कर रोने लगी।

मैं: क्यूं कर रहे हो मेरे साथ ये सब?

नौशाद: क्योंकि तुझको बहुत अकड़ है। तू असल में रंडी है। बस दुनिया से छुपा रही है। मैं तुम्हारी उस रंडी को बाहर निकालना चाहता हूं।

मैं: देखो प्लीज मुझे जाने दो, चाहे तो पैसे लेलो।

नौशाद: साली मुझे तेरा पैसा नहीं चाहिये। मुझे तेरे अंदर की रंडी देखनी है।

मैं: ठीक है, मैं अपने अंदर की रंडी बाहर निकाल लूंगी, मगर प्लीज मुझे ऐसे बेईज्जत मत करो।

नौशाद: अरे ये मेरा स्टाइल है। मुझें तुम्हें बेईज्जत करके मजा आ रहा है।

मेरे बहुत कोशिश करने के बाद भी उसने अपना तरीका नहीं बदला, उल्टा मुझे उसका कहना मानना पड़ा.

मैं: अगर मैं तुम्हारा कहना मानूं, तो मुझे जल्दी छोड़ दोगे?

नौशाद: हां, अगर तुम भूखी रंडी की तरह मेरा सारा कहना मानो, तो मैं तुम्हें जल्दी छोड़ दूंगा.

मैंने इस बात को मंजूर कर लिया, और उसका कहना चुप-चाप मानना शुरु कर दिया.

नौशाद फिर कुर्सी पर बैठ गया, और मुझे भी अपने साथ खींच लिया.

नौशाद: चल अब मेरे शूज उतारो.

मैं: जी मालिक.

मैंने उसके शूज उतार दिये.

नौशाद: मेरे शूज को किस्स करो और उन्हें चाटो.

मेरे पास कोई और चारा नहीं था, तो मैंने बिल्कुल वैसे ही किया. पहले शूज को किस्स किया, और फिर उन्हें हल्का चाटा.

नौशाद: अब मेरे सॉक्स उतारो, और उन्हें सूंघों.

मैंने वैसे ही किया, उसके सॉक्स उतार दिये, और उन्हें सूंघा. वो सॉक्स की इत्नी गंदी बदबू थी कि मुझे तो उल्टी जैसा होने लगा.

नौशाद: अब मेरे पैरों पर अपनी नाक रगड़ और मेरे लंड की भीख मांग.

मैं (उसके पैरों पर अपनी नाक रगड़ते हुए): प्लीज मुझे अपना लंड चूसने दो मालिक, प्लीज.

नौशाद: ऐसे भीख नहीं मांगते, और थोड़ी कोशिश कर.

मैं: मैं आपसे भीख मांग रही हूं, मुझे अपना लंड चूसने दीजिये. मुझ जैसी गंदी रांड को आपके लंड की प्यास लगी है.

नौशाद: अब हुई ना बात. ये ले चूस ले.

ऐसा बोल कर उसने झट से अपना लंड पैंट में से निकाला. उसका लंड बस 6 इंच का था, मगर एक-दम कड़क बन गया था. मैं जल्दी से उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगी.

नौशाद: कैसा लगा मेरा लंड?

मैं: बहुत बढ़िया है मालिक.

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मैंने नौशाद का लंड ऐसे चूसा, ऐसे चूसा कि मानो दुनिया का अंत हो रहा हो. नौशाद मेरे सामने 5 मिनट ही टिका. फिर उसका झड़ने वाला था.

नौशाद: मैं झड़ने वाला हूं, सारा माल पी जाना. एक भी बूंद नहीं गिराना.

वो मेरे मुंह में ही झड़ गया. उसका माल बहुत सारा था. मेरा पूरा मुंह उसके वीर्य से भर गया. मैंने उसका माल एक झटके में गटक लिया.

नौशाद: होटल में खाना खाने आई थी, साली मेरा लंड खा कर जा अब.

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मैं: अब वो वीडियो डिलीट कर दो, और मुझे जाने दो.

नौशाद: ठीक है जाओ, अब कपड़े पहन कर.

फिर नौशाद ने वो वीडियो भी डिलीट कर दी, और मुझे कुछ पैसे देने लगा, तो मैंने उन्हें लेने से इन्कार कर दिया और नौशाद के केबिन से बाहर निकल गई. बाहर आते ही मैं सीधा अपने टेबल पर गई. उधर राजेश जी मेरा इंतजार कर रहे थे.

राजेश जी: अरे कहां रह गई थी?

मैं: सॉरी-सॉरी, वो पेट ही खराब हो गया तो.

राजेश जी: लेकिन फिर भी आधा घंटा!

मैं: बाबा सॉरी बोला ना. मुझे घर जा कर सजा दे देना बस.

राजेश जी: वो तो तुम्हें मिलेगी ही.

मैं आ तो गई थी, मगर मुझे उस नौशाद को मजा चखाना था. आखिर उसने मेरा अपमान जो किया.
 

sunoanuj

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उन्होंने मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारा, और हां में सर हिलाया। फिर राजेश जी चले गए और मैं अकेली ही घर पर नंगी रह गई। मैं नंगे बदन ही टीवी देख रही थी। अब तो मुझे नंगा रहने में शरम भी नहीं आ रही थी।

ऐसे ही बैठी थी कि मुझे राजेश जी की बात याद आ गई। उन्होंने कहा था कि मेरे पति से ज्यादा मुझसे कोई प्यार नहीं कर सकता। मुझे भी मेरे पति से बहुत प्यार है। पर क्या करूं मेरी चूत की आग ही इतनी बढ़ गई कि में राजेश जी से चुद गई। मुझे मेरे पति की याद आ रही थी। तो मैंने उन्हें फ़ोन किया।

(मैं और मेरे पति फ़ोन पर बात करते हुए)

मैं: हेलो।

पति: हेलो रेनू, क्या हुआ फिरसे फ़ोन किया?

मैं: जी वो आपकी याद आ रही थी।

पति: मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आ रही है।

मैं: तो फिर यहां क्यों नहीं आते?

पति: आना तो चाहता हूं, पर तुम तो जानती हो बिज़नेस को संभालना कितना मुश्किल है।

मैं (गुस्से में): तुम और तुम्हारा बिज़नेस।

पति: अरे तुमने मुझे डांटने के लिए कॉल किया है क्या?

मैं: नहीं जी, बस आप काम में लगे रहते हैं, और मेरी तरफ कुछ ध्यान नहीं देते इसलिये।

पति: मैं ये सब तुम्हारे लिये ही कर रहा हूं।

ऐसे ही बात करते-करते हमारी बात-चीत थोड़ी गरम हो गई और मैं अपनी चूत में उंगली करने लगी। फिर मेरे पति ने मुझसे पूछा कि, “राजेश जी घर पर है कि नहीं?” तो मैंने उन्हें कहा कि, “वो बाहर गए है”। ये बोलते ही उन्होंने मुझे वीडियो कॉल करने बोला। उन्हें मुझे अच्छे से देखना था। वीडियो कॉल करते ही मेरे पति चौंक गए क्योंकि मैं नंगी ही थी।

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पति: वाह! मेरी बीवी तो तैयार बैठी है।

मैं इस बात पर मुस्कुराई। फिर उन्होंने भी अपने कपड़े निकाले, और हम दोनों अपने आप को खुश करने लगे। वो अपना लंड हिला रहे थे, और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी। ये खेल करीब आधे घंटे तक चला। फिर हम दोनों शांत हो गए।

मैंने पूछा: कितने दिन बाद लौटोगे?

पति: पता नहीं जानू शायद 1 या 2 महीने लग सकते है।

मैं: इतने दिन! (मैं ये सुन कर थोड़ी खुश भी हो गई कि और 1-2 महीने मैं और राजेश जी पति पत्नी बन कर रह सकते है)

फिर कुछ और देर हमने बाते की, और मैंने बातों-बातों में बता दिया कि मैं और राजेश जी बाहर खाना खाने जा रहे थे। मुझे लगा कि मेरे पति गुस्सा होंगे, पर वो उल्टा खुश हो गए। मेरे पति का मुझ पर पूरा विश्वास था। मुझे बुरा भी लगा कि मैं उनका विश्वास तोड़ रही थी। फिर हमने एक-दूसरे को बाय कहा, और फ़ोन कट कर दिया।

मैंने घड़ी देखी तो 9:30 बज गए थे। मैं बाथरुम में गई, और अच्छे से नहा लिया। पूरे आधे घंटे तक नहाने के बाद मैं अपने रूम में तैयार होने के लिये गई। मैंने लाल नेट की सारी पहन ली, और गोल्डन ब्लाऊज पहना, और एक सरप्राइज था, वो आपको बाद में पता चलेगा।

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मैं बहुत ही अच्छे से सज-धज कर तैयार थी और राजेश जी का इन्तज़ार कर रही थी। करीब 11:00 बजे राजेश जी घर आए।

मैं: इतनी देर क्यूं कर दी?

राजेश जी मुझे देख कर एक-दम थम से गए और बोले, “रेनू तुम कितनी सेक्सी लग रही हो! मन कर रहा है कि तम्हें फिर से चोदना शुरु करूं“।

मैं शर्मा गई और उनसे फिर पूछा कि, “देर क्यों हो गई?” उन्होंने कहा कि,‌ “बातों-बातों में समय का पता नहीं चला।” और फिर मैंने भी ज्यादा कुछ पूछा नहीं। मैं राजेश जी के सामने गई और उन्हें गले लगाया, और उन्होंने भी मेरी गांड और बूब्स को कस कर दबाया। मेरी तो आह निकल गई।

राजेश जी: चलो रेनू अब चलते है।

मैं: ठीक है।

हम दोनों घर के बाहर आ गए, और कार में बैठ गए।

कार में बैठने के बाद मैंने उन्हें कहा: जी आपको कुछ बताना है।

राजेश जी: मुझे भी कुछ कहना है।

मैं: ठीक है आप पहले बोलिये।

राजेश जी: मेरे दोस्त मुझे घर में पूजा रखने के लिये कह रहे हैं।

मैं: किस बात की पूजा?

राजेश जी: घर में शोर्ट सर्किट हो गया था इसलिये घर शान्ति की पूजा रखनी है।

मैं: हां, फिर ये तो अच्छी बात है। कब करनी है पूजा?

राजेश जी: अभी तय नहीं किया और पूजा तुम्हारे घर में करें या अपने घर में ये भी देखना होगा।

मैं: ठीक है। हम इसके बारे में बाद में बात करते है।

राजेश जी: वैसे तुम क्या कहने वाली थी?

मैं: आपके लिये एक सरप्राइज है।

राजेश जी: क्या सरप्राइज है?

मैं थोड़ी आगे झुक गई और उनके कानों में धीरे से बोली, “मैंने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी है” ये सुन कर उनकी आंखें बड़ी हो गई और वो चौंक गए।

राजेश जी: सच में!

मैं: हां बाबा। मैंने साड़ी और ब्लाऊज के अलावा अन्दर कुछ नहीं पहना है।

राजेश जी: ओह रेनू! इसलिये तुम मुझे अच्छी लगती हो।

ये कह कर राजेश जी ने कार चालू की, और हम होटल में जाने के लिये निकल गए। इतनी रात में सारे रेस्तरा बंद हो गए थे तो हम एक 5 स्टार होटल के रेस्तरा में आ गए। राजेश जी ने गाड़ी होटल के पार्किंग लॉट में पार्क कर दी, और मैं गाड़ी से निकलने वाली थी कि राजेश जी ने मेरा हाथ पकड़ा, और मुझे रोक लिया।

राजेश जी: कहा जा रही हो? अपने पति का लंड तो शांत करो।

मैंने उनकी पैंट के तरफ देखा तो उनका लंड बाहर आने के लिये तरस रहा था।

मैं: जी हां, अभी शांत करती हूं।

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मैंने जल्दी से उनका लंड बाहर निकाला और अपना ब्लाऊज उतार दिया। राजेश जी मेरे बूब्स को दबाने लगे, और मैं उनका लंड हाथ में लेके हिलाने लगी। राजेश जी से और रहा नहीं गया। फिर उन्होनें मेरे बाल पकड़े, और खींच के मुझे अपना लंड चुसवाया।

मैं मस्त होकर लंड चूस रही थी, और राजेश जी भी आंखें बंद करके लंड चुसवाने का मजा ले रहे थे। करीब 15 मिनट बाद वो मेरे मुंह में झड़ गए, और मैं एक अच्छी पत्नी की तरह वो सारा माल पी गई।

फिर राजेश जी ने अपना लंड पैंट के अन्दर डाल दिया, और मैंने भी अपना ब्लाऊज पहन लिया, और रुमाल से थोड़ा वीर्य जो मेरे चेहरे पर लगा था, उसे पोंछ लिया। बस जरा सी लिपस्टिक फिर से लगा ली, और मैं गाड़ी के बाहर आ गई।

हम दोनों होटल के अंदर गए और खाना मंगाया। खाना बहुत अच्छा था। राजेश जी और मैं इधर-उधर की बातें कर रहे थे। लेकिन बार-बार राजेश जी मेरे बूब्स को घूर रहे थे। मुझे ये देख कर बहुत मजा आ रहा था। तभी मैंने एक शरारत की।

मैंने जान बूझ कर थोड़ी सी चटनी मेरे बूब्स पर गिरा दी। राजेश जी ने जल्दी से टिशू दिया तो मैंने मना कर दिया। फिर मैंने पहले आस-पास देखा कि कोई देख तो नहीं रहा था। वैसे भी वहां सिर्फ तीन चार कपल ही बैठे थे जो सब अपने में ही मशगूल थे तो फिर मेरी उंगली से बूब्स पर लगी हुई चटनी ली, और राजेश जी को उसे चाटने बोली। उन्होनें बिना किसी देरी के मेरी उंगली चाटी।

मैं: बस अब तो खुश हो गए? कब से मेरे बूब्स को घूर रहे थे आप।

राजेश जी: क्या करूं, वो है ही इतने सुंदर कि नज़र ही नहीं हट रही मेरी।

मैं: अरे वो तोह आपके ही है, घर जाने के बाद खेल‌ लेना मन भर कर उनके साथ।

राजेश जी और मैं इस बात पर हसने लगे। फिर मैं वाशरूम जाने के लिये उठ गई। मैं वाशरूम में अपने बूब्स साफ करने गई थी। वाशरूम के बाहर आते ही मैंने देखा की एक आदमी मुझे देख रहा था। मैं उसे अनदेखा कर दिया और फिर से अपने टेबल पर जा रही थी कि उसने मुझे बुलाया।

वो आदमी: मैडम! एक मिनट रुकिये।

मैं पीछे मुड़ी और उसे इशारों से पूछा “क्या मैं?” तोह उसने हां में सर हिलाया और मैं उसके पास गई।

मैं: जी, क्या हुआ?

वो आदमी: हेल्लो मैडम,मेरा नाम नौशाद खान है और मैं इस होटल का नाईट मेनेजर हूँ।

मैं: तो?

नौशाद: आप नई हैं क्या? कैसे काम करती हैं?

मैं: क्या मतलब?

नौशाद: अरे क्या आप भी नाटक कर रही है। चलो मैं ही काम की बात करता हूं। आप कितना लेती हो?

मैं: जी, मैं कुछ समझी नहीं?

नौशाद: ओह! अरे एक रात का कितना लेती हो?

मैं ये सुन कर हैरान रह गई कि ये आदमी मुझे रंडी समझ बैठा था।

मैं: क्या बकवास कर रहा है, मैं वैसी औरत नही हूं।

नौशाद: अरे क्यों नाटक कर रही हो? तुम जो बोलोगी वो रकम तुम्हें दूंगा और आगे भी बड़े क्लाइंट दिलवा दूंगा,यहाँ बड़े बड़े लोग आते है। उनकी तुम्हारे जैसे माल की डिमांड रहती है।

मैं: फिर से वही बकवास। दिमाग ख़राब है क्या? बोला न मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ।

नौशाद: अच्छा तो तू उस बूढ़े के साथ क्या इधर नाटक करने आई है?

मैं: वो मेरे पति है। तमीज़ से बात कर।

मैंने उसे मेरे गले का मंगलसूत्र भी दिखाते हुए बोला और वापस जा ही रही थी कि उसने कुछ ऐसा कहा जिससे मेरी धड़कन थम गई।

नौशाद: सॉरी मैडम आपको कुछ और समझ बैठा लेकिन आपने पार्किंग लाट में काम ही ऐसा किया की मुझे लगा की आप रंडी हो। कोई नहीं मैडम जाते जाते सिर्फ लंड ही चूस लो!

मैं: क्या कहा, रुक अभी मेरे पति को बुलाती हूं।

नौशाद: रुको मैडम, जरा ये तो देख लो।

उसने अपने मोबाइल में एक वीडियो चलाई। मैं वो वीडियो देख कर ठंडी पड़ गई। वो पार्किंग लाट की सी.सी.टी.वी. फूटेज थी, जिसमे मैं राजेश जी का लंड चूस रही थी, ऐसा साफ दिख रहा था।

मैं: देखो ये बहुत गलत बात है। वो मेरे पति हैं और तुम ऐसा नहीं कर सकते।

नौशाद: पति हैं तो ये सब घर पर करो न। अब अगर कोई ये वीडियो इंटरनेट पर डाल दे तो? और तुम्हें तो मालूम है एक बार कोई चीज इंटरनेट पर गई तो वो हमेशा के लिए वहीं रहती है।

मैं: देखो तुम ऐसा नहीं कर सकते।

नौशाद: अरे मैंने कब कहा की मैं ऐसा करूंगा? तुम मेरा ख्याल रखोगी तो मैं भी तो तुम्हारा ख्याल रखूंगा। वैसे कोई और होता तो बिना चोदे नहीं छोड़ता लेकिन तुम शादी-शुदा हो इसलिये तुम्हें बस लंड चूसने कह रहा हूं।

मैं अब कुछ सोच नहीं पा रही थी। मैंने अखिर में नौशाद की बात मानने का फैंसला किया, और सोचा कि इसे बाद में मजा चखाती हूं। बस वो वीडियो डिलीट हो जाए एक बार।

मैं: देखो तुम वीडियो तोह डिलीट करोगे ना?

नौशाद: हां बाबा, मैं अपने वादे का पक्का हूं।

मैं: ठीक है, मैं तैयार हूं। लेकिन यहां नहीं चूस सकती।

नौशाद: अरे यहां कौन तुझे लंड चुसवाने वाला है।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने केबिन में ले गया, और दरवाजा बंद कर दिया। उसकी केबिन एक-दम कोने में थी, और उसमें कोई खिड़की भी नहीं थी। लेकिन केबिन थी बहुत बड़ी।

नौशाद: चलो अब शुरु हो जा।

नौशाद का बोलने ढंग एक-दम बदल गया था। वो बहुत रोब जमा कर बात कर रहा था।

मैं: अपना पुर्ज़ा तो बाहर निकालो।

नौशाद (गुस्से में): तू नहीं बताएगी कि क्या करना है, मैं बताऊंगा समझी!

मैं सोच रही थी, कि अब ये मेरे साथ क्या करने वाला था। नौशाद कुर्सी पर बैठा था और मैं उसके सामने खड़ी थी।

नौशाद: मेरे सामने क्या खड़ी हो? चलो पीछे जाओ।

मैं पीछे हो गई।

नौशाद: और पीछे जाओ। कमरे के उस कोने तक जाओ, और चेहरा मेरी तरफ होना चाहिये।

मैंने वैसे ही किया।

नौशाद: चलो अब अपने बूढ़े को फ़ोन लगा, और बोल कि तुझे थोड़ी देर होगी।

मैं: क्या बहाना दूं?

नौशाद: अब क्या वो भी मैं ही बताऊं? कुछ भी बता दे।

मैंने फिर राजेश जी को फ़ोन लगा दिया।

(फ़ोन पर बोलते हुए)

राजेश जी: अरे कहां रह गई हो?

मैं: टॉयलेट में हूं, वो थोड़ा पेट खराब हो गया है।

राजेश जी: ऐसे कैसे?

मैं: पता नहीं शायद इस होटल का खाना ही घटिया है! (गुस्से से नौशाद की तरफ देखा)

राजेश जी: अच्छा तुम्हें कितनी देर लगेगी?

मैं: पता नहीं शायद 20-25 मिनट लगेंगे।

राजेश जी: ठीक है तुम्हारे आने के बाद हम सीधे डॉक्टर के पास चलते है।

मैं: जी ठीक है।

मेरे पास राजेश जी को नौशाद के बारे में बताने का मौका था। मगर ना जाने क्यों मैं कह नहीं पाई।

फिर मैंने फ़ोन रख दिया।

नौशाद: मुझे लगा तुम 10 मिनट मांग लोगी। लेकिन तुमने तो लगभग आधे घंटे तक का समय दिया इस बहाने में।

मैं कुछ नहीं बोली।

नौशाद: चलो अब अपने कपड़े उतारो।

मैं: ये क्या कह रहे हो? बात सिर्फ चूसने की हुई थी।

नौशाद: मैंने चूसने की बात की लेकिन कैसे लंड चूसना है उसकी नहीं।

मैं: देखो ये तुम बहुत गलत…

नौशाद (चिल्लाते हुए): चुप! ज्यादा बोल मत।‌ अब कुछ सवाल नहीं। बस मैं जितना बोलूंगा उतना करो। समझी?

मैंने हां में सिर हिलाया।

नौशाद: एक और बात, मुझे आप और तुम करके नहीं बोलोगी। तुम मुझे “मालिक” बोलोगी।

मेरे: जी ठीक है।

नौशाद: अभी क्या कहा मैंने!

मैं: जी मालिक।

नौशाद: चलो, तो मैंने तुम्हें क्या आदेश दिया था। वो पूरा करो।

मैंने अपने कपड़े उतार दिये, और उसके सामने पूरी नंगी खड़ी थी। क्योंकि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था, इसलिये आसानी से कपड़े उतर गए। नौशाद मुझे नंगा देख पागल हो गया।

नौशाद: वाह! वाह! क्या टॉप माल है तू। मन कर रहा है कि तुझे चोद दूं, मगर मैंने तुम्हें जुबान दी है कि मैं नहीं चोदूंगा।

दोस्तों नौशाद भले ही घटिया इन्सान था, मगर अपनी जुबान का पक्का था।

नौशाद: चलो अब घुटनों पर बैठ जाओ।

मैं घुटनों पर बैठ गई।

नौशाद: अब कुतिया बनो।

मैं कुतिया बन गई।

नौशाद: अब भौंकना शुरू कर दे।

मैं: क्या?

नौशाद ने टेबल के नीचे से छड़ी निकाली, और मुझे और मारने के लिए हाथ उठाया।

मैं: रुको-रुको मैं करती हूं। आप जैसा बोलोगे वैसा करती हूं।

उसने छड़ी नीचे कर दी और मैं उसके कहने के मुताबिक भौंकने लगी।

मैं: भौं! भौं!

नौशाद मेरी इस हालत का मजा ले रहा था, और जोर-जोर से हस रहा था।

नौशाद: देख ये तेरी औकात है। बाहर बहुत अकड़ दिखा रही थी साली रांड।

फिर उसने उसके हाथ में जो छड़ी थी, उसे कमरे के दूसरे कोने में फेंक दिया।

नौशाद: ऐसे ही जा, और वो छड़ी यहां लेके आ।

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मैंने वैसे ही किया। किसी कुतिया की तरह मैं वहां गई और वो छड़ी हाथ में उठा ली।

नौशाद: हाथ से नहीं मुंह में पकड़ के ला।

मैंने वो छड़ी मुंह में दांतों के बीच पकड़ ली, और कुतिया की तरह चल कर उसके सामने रख दी।

नौशाद: अपनी जुबान बाहर निकाल कर हांफना शुरु कर।

मैंने फिर वैसा ही किया और नौशाद मुझे देख हस रहा था। उसने मेरे सिर पर हाथ फेरना शुरु कर दिया, जैसे कि मैं कोई सच में कुतिया हूं।

नौशाद: क्या हुआ, तुझे अच्छा नहीं लग रहा है?

मैं: अच्छा लग रहा है।

नौशाद: तो बता मैं कौन हूं तेरा?

मैं: मालिक हो मेरे।

नौशाद: शाबाश! जल्दी सीख रही हो।

उसने ड्रावर से एक बिस्कुट निकाला, और मुझे खाने दिया। मैंने भी वो बिस्कुट खा लिया। फिर उसने दूसरे ड्रावर से कुत्ते का पट्टा निकाला, और मेरे गले में बांध दिया।


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नौशाद उठा, और मेरे गले का पट्टा पकड़ कर मुझे पूरे कमरे में घुमाने लगा। वो बीच-बीच में मुझे बिस्कुट खाने देता था। कभी सीधा मेरे मुंह में डालता था, और कभी सीधे जमीन पर फेंक देता था। कमरे के 2-3 चक्कर लगाने के बाद वो एक शीशे के सामने रुक गया और बोला-

नौशाद: देख अपने आप को।

मैंने शीशे में देखा तो बहुत बुरा लगा। मैंने देखा कि मैं उस नौशाद के बगल में घुटनों के बल बैठी थी, और मेरे गले में कुत्ते का पट्टा था, जो नौशाद के हाथ में था। मैं यह देख कर टूट गई, और फुट-फुट कर रोने लगी।

मैं: क्यूं कर रहे हो मेरे साथ ये सब?

नौशाद: क्योंकि तुझको बहुत अकड़ है। तू असल में रंडी है। बस दुनिया से छुपा रही है। मैं तुम्हारी उस रंडी को बाहर निकालना चाहता हूं।

मैं: देखो प्लीज मुझे जाने दो, चाहे तो पैसे लेलो।

नौशाद: साली मुझे तेरा पैसा नहीं चाहिये। मुझे तेरे अंदर की रंडी देखनी है।

मैं: ठीक है, मैं अपने अंदर की रंडी बाहर निकाल लूंगी, मगर प्लीज मुझे ऐसे बेईज्जत मत करो।

नौशाद: अरे ये मेरा स्टाइल है। मुझें तुम्हें बेईज्जत करके मजा आ रहा है।

मेरे बहुत कोशिश करने के बाद भी उसने अपना तरीका नहीं बदला, उल्टा मुझे उसका कहना मानना पड़ा.

मैं: अगर मैं तुम्हारा कहना मानूं, तो मुझे जल्दी छोड़ दोगे?

नौशाद: हां, अगर तुम भूखी रंडी की तरह मेरा सारा कहना मानो, तो मैं तुम्हें जल्दी छोड़ दूंगा.

मैंने इस बात को मंजूर कर लिया, और उसका कहना चुप-चाप मानना शुरु कर दिया.

नौशाद फिर कुर्सी पर बैठ गया, और मुझे भी अपने साथ खींच लिया.

नौशाद: चल अब मेरे शूज उतारो.

मैं: जी मालिक.

मैंने उसके शूज उतार दिये.

नौशाद: मेरे शूज को किस्स करो और उन्हें चाटो.

मेरे पास कोई और चारा नहीं था, तो मैंने बिल्कुल वैसे ही किया. पहले शूज को किस्स किया, और फिर उन्हें हल्का चाटा.

नौशाद: अब मेरे सॉक्स उतारो, और उन्हें सूंघों.

मैंने वैसे ही किया, उसके सॉक्स उतार दिये, और उन्हें सूंघा. वो सॉक्स की इत्नी गंदी बदबू थी कि मुझे तो उल्टी जैसा होने लगा.

नौशाद: अब मेरे पैरों पर अपनी नाक रगड़ और मेरे लंड की भीख मांग.

मैं (उसके पैरों पर अपनी नाक रगड़ते हुए): प्लीज मुझे अपना लंड चूसने दो मालिक, प्लीज.

नौशाद: ऐसे भीख नहीं मांगते, और थोड़ी कोशिश कर.

मैं: मैं आपसे भीख मांग रही हूं, मुझे अपना लंड चूसने दीजिये. मुझ जैसी गंदी रांड को आपके लंड की प्यास लगी है.

नौशाद: अब हुई ना बात. ये ले चूस ले.

ऐसा बोल कर उसने झट से अपना लंड पैंट में से निकाला. उसका लंड बस 6 इंच का था, मगर एक-दम कड़क बन गया था. मैं जल्दी से उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगी.

नौशाद: कैसा लगा मेरा लंड?

मैं: बहुत बढ़िया है मालिक.

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मैंने नौशाद का लंड ऐसे चूसा, ऐसे चूसा कि मानो दुनिया का अंत हो रहा हो. नौशाद मेरे सामने 5 मिनट ही टिका. फिर उसका झड़ने वाला था.

नौशाद: मैं झड़ने वाला हूं, सारा माल पी जाना. एक भी बूंद नहीं गिराना.

वो मेरे मुंह में ही झड़ गया. उसका माल बहुत सारा था. मेरा पूरा मुंह उसके वीर्य से भर गया. मैंने उसका माल एक झटके में गटक लिया.

नौशाद: होटल में खाना खाने आई थी, साली मेरा लंड खा कर जा अब.

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मैं: अब वो वीडियो डिलीट कर दो, और मुझे जाने दो.

नौशाद: ठीक है जाओ, अब कपड़े पहन कर.

फिर नौशाद ने वो वीडियो भी डिलीट कर दी, और मुझे कुछ पैसे देने लगा, तो मैंने उन्हें लेने से इन्कार कर दिया और नौशाद के केबिन से बाहर निकल गई. बाहर आते ही मैं सीधा अपने टेबल पर गई. उधर राजेश जी मेरा इंतजार कर रहे थे.

राजेश जी: अरे कहां रह गई थी?

मैं: सॉरी-सॉरी, वो पेट ही खराब हो गया तो.

राजेश जी: लेकिन फिर भी आधा घंटा!

मैं: बाबा सॉरी बोला ना. मुझे घर जा कर सजा दे देना बस.

राजेश जी: वो तो तुम्हें मिलेगी ही.

मैं आ तो गई थी, मगर मुझे उस नौशाद को मजा चखाना था. आखिर उसने मेरा अपमान जो किया.
Jabardast update hai ! Naushaad ki bhi gaand marwa hee dena ab …
 

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Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
 

DB Singh

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Sala Kya Ho gya hai forum pr har kahaani me mus... M characters ko ghused dete hai... Mus..M character ki bina kahaani nahi chal skti Kya..? Ye kahaani bhi chhodna hoga... Forum ki maa Behan kar rkhaa hai..
 
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kamdev99008

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Sala Kya Ho gya hai forum pr har kahaani me mus... M characters ko ghused dete hai... Mus..M character ki bina kahaani nahi chal skti Kya..? Ye kahaani bhi chhodna hoga... Forum ki maa Behan kar rkhaa hai..
Ye interfaith ka chutiyapa yaha ke Admin mods ki shah par failaya ja raha hai.....
Kis chutiye ka logic hai ki interfaith religious nahin hota .... Interfaith ka base hi religion hai
 
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