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Adultery पडोसी भैया बने सैयां

macssm

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मैं: वैसे पंडित जी, पूजा का मुहूर्त निकला कि नहीं।

पंडित जी: हां रेनू, परसों का दिन बहुत अच्छा है, शुभ मुहूर्त है तो पूजा हो सकती है।

मैं: पंडित जी, मेरी एक इच्छा है, जो आप ही पूरी कर सकते है।

पंडित जी: हां रेनू बोलो। कौन सी इच्छा है?

मैं: मुझे एक और शादी करनी है।

पंडित जी ये सुनते ही चौंक गए और बोले...

पंडित जी: ये क्या कह रही हो? ये तो गलत है।

मैं: किस शास्त्र में लिखा है की ये गलत है? पहले भी तो लोग एक से अधिक विवाह करते थे।

पंडित जी: भले ही पहले लोग एक से ज्यादा शादी करते थे लेकिन अब तो ये गैरकानूनी है। और तुमको किससे शादी करनी है।

मैं: ये शादी बस मैं अपने लिए करना चाहती हूँ, कानूनी तौर पर नहीं, इसीलिए आपको बोल रही हूँ।

पंडित जी: लेकिन फिर भी दूसरी शादी?

मैं: मेरी बात तो सुनिए आप, मेरे पति हमेशा काम से बाहर रहते है तो मुझे शारिरीक सुख की कमी थी और उस कमी को राजेश जी ने पूरा किया।

पंडित जी: क्या? कौन मेरे यजमान राजेश जी जो नीचे बैठे हुए है, वो?

मैं: हां। लेकिन आप यह मत सोचिये कि मेरा मेरे असली पति पर प्यार नहीं है।

पंडित जी: तो फिर राजेश जी से शादी क्यूं करनी है? और उनकी देवी सामान पत्नी दिव्या का क्या होगा?

मैं: अरे वो तो उनकी बीवी ही रहेंगी लेकिन मेरा मेरे असली पति पर जितना प्यार है, अब उतना ही मेरा राजेश जी पर भी प्यार है। इसलिये मुझे उनको भी अपना पति बनाना है। अब आपको इसमें मेरी मदद करनी है बस। देखिये मैंने भी आपकी मदद की है।

पंडित जी: अच्छा अगर राजेश जी तैयार हैं तो फिर ठीक है। लेकिन कब करनी है शादी?

मैं: परसो ही करवा दीजिये।

पंडित जी: इतनी जल्दी? मैं परसो पूजा के लिए तो आ ही जाऊंगा। तुमको सामान भी बता दूंगा तो बस वो सारा सामान लाकर रख देना।

फिर हम दोनों नीचे आ गए। राजेश जी ने मुझे देखते ही पूछा

राजेश जी: अरे ऊपर क्या कर रहे थे पंडित जी?

मैं: वो पंडित जी को घर दिखा रही थी की कहाँ पूजा ठीक रहेगी तो पंडित जी ऊपर वास्तु शांति के मंत्र पढ़ने लगे तो मैं उनके साथ रुक गई।

राजेश जी: ठीक है लेकिन पूजा कहाँ होगी?

मैं: वो मैं बाद में बताती हूं, और हां, मुझे पंडित जी ने प्रसाद भी दिया।

यह कह कर मैंने पंडित जी की तरफ देख कर हल्की सी मुस्कान दी। फिर राजेश जी ने पंडित जी से पूजा के मुहूर्त के बारे में पूछा, तो पंडित जी ने उन्हें बता दिया कि शुभ मुहूर्त परसों का है।

कुछ देर बाद पंडित जी सामान की लिस्ट देकर चले गए और फिर राजेश जी भी बाहर चले गए पूजा का सामान लाने के लिए ।

मैं फिर एक बार घर में अकेली थी। मैंने अपने पति को कॉल किया, और उन्हें पूजा के मुहूर्त के बारे में बता दिया और फ़ोन रख दिया।

मैं भी अब घर में अकेले-अकेले बोर हो रही थी। मैंने सोचा “परसों मेरी राजेश जी के साथ शादी थी, तो क्यों ना मेरी शादी की शॉपिंग की जाए”। और मैं तैयार होकर मेरी शादी की शॉपिंग करने बाहर निकल गई।

मैंने अपना क्रेडिट कार्ड साथ ले लिया, और बहुत सारी कैश लेली। लगभग 80 हज़ार रुपए थे, और क्रेडिट कार्ड की तोह लाखों में लिमिट थी। अमीर घर का होने का यही फायदा है, पैसों की कभी चिंता नहीं रहती। मैं अपनी कार में बैठ कर सोनार की दुकान में गई। वहां मैंने अपने लिये एक बढ़िया सा मंगल सूत्र और हार खरीद लिया। दोनों की कीमत मिला कर लगभग 2 लाख तक होगी।

फिर मैं साड़ी की दुकान में गई, और वहां मैंने अपने लिये दुल्हन का जोड़ा खरीद लिया जो पचास हजार का था। चप्पल, अंगूठियां, चैन और बाकी सब खरीद लिया। आखिर में मैंने राजेश जी के लिये शेरवानी खरीद ली। मैंने अपने लिये बहुत सारे गहने भी खरीद लिये थे, और आखिर में मैंने फूलों की दुकान में जाकर शादी का हार परसों मेरे घर भेजने बोला।

शाम के 7 बजे मैं घर वापस आ गई, और सारा हिसाब-किताब करने लगी। मैंने कुल मिला कर 6 लाख की शॉपिंग की। मैंने ज्यादातर गहने ही खरीदे थे। मैंने ये सब सामान मेरी अलमारी में सजा कर रख दिया।

कुछ ही देर बाद राजेश जी घर आ गए उनके साथ कुछ और लोग भी थे, जिनके हाथ में पूजा का सामान था। उन्होंने वो सामान स्टोर रूम में रखा, और वहां से चले गए।

वो लोग जाते ही राजेश जी ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझे जोर से किस्स करने लगे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी।

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राजेश जी: चलो रेनू, मुझसे रहा नहीं जाता। मुझे तुम्हें अभी चोदना है।

मैं: नहीं। आप दो दिन मुझे छू भी नहीं सकते।

राजेश जी थोड़े चिंतित हो गए और बोले।

राजेश जी: क्या हुआ रेनू? तुम्हारी तबियत तो ठीक है?

मैं: मुझे कुछ नहीं हुआ है।

राजेश जी: तो फिर क्या हुआ?

मैं: जी वो, मुझे आपसे कुछ कहना है।

राजेश जी: क्या कहना है, बोलो?

मैं: मैंने हम दोनों की शादी फिक्स कर दी है।

राजेश जी चौंक गए।

राजेश जी: क्या? देखो रेनू मैंने तुमसे मना किया था न। इसकी कोई जरूरत नहीं है। मनीष तुमसे बहुत प्यार करता है और मैं भी दिव्या को नहीं छोड़ सकता।

मैं: सुनिए तो मैंने कब कहा की आप अपनी बीवी को छोड़ दीजिये या मैं मनीष को तलाक दूँगी। ये शादी समाज के लिए नहीं बस हम दोनों के लिए है। हमको किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। आप चिंता मत कीजिये, मेरी पंडित से बात हो गयी है।

राजेश: अरे लेकिन अगर किसी को पता चल गया तो? पंडित ने दिव्या को बोल दिया तो?

मैं: किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। पंडित को मैंने मुंह मांगी कीमत दे दी है तो परसों हमारी शादी है, और मैंने सारी शॉपिंग भी कर ली है।

राजेश जी: लेकिन...

मैं: लेकिन वेकिन कुछ नहीं, अगर मुझे चोदना है तो वो तो अब हमारी शादी के बाद ही होगा। आप सोच लीजिये।

फिर भी राजेश जी थोड़ा हिचकिचा रहे थे। लेकिन मेरी चूत का चस्का उनको लग गया तो आखिर में राजेश जी मुझसे शादी करने के लिए राजी हो गए। मैं बहुत खुश हो गई, और और उन्हें कस कर गले लगा लिया। राजेश जी मेरी गांड दबाने लगे, तो मैं झट से उनसे अलग हो गई और बोली-

मैं: नहीं शादी से पहले कोई बदमाशी नहीं।

राजेश जी: अरे यार मैंने तुझे चोदने के कितने प्लान बनाए थे।

मैं: थोड़ा सब्र रखिये, बस दो दिन की बात है।

राजेश जी थोड़े नाराज होकर सोफे पर बैठ गए। कुछ देर बाद हम दोनों ने डिनर कर लिया, और हम अलग-अलग कमरे में जा कर सो गए। मुझे भी राजेश जी के चुदाई की आदत पड़ गई थी, जिसके कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरी चूत उनके विचार से ही गीली होने लगी। ऐसा लग रहा था कि अभी उनके कमरे में जाकर उनसे चुदवा लूं।

लेकिन मैंने ठान लिया था कि शादी से पहले मैं चुदाई नहीं करूंगी। मैं अपने आप को शांत करने के लिए चूत में उंगली करने लगी और झड़ने के बाद सो गई। अगले दिन की सुबह कुछ खास नहीं थी। हम दोनों ने एक-दूसरे को छुआ भी नहीं। लेकिन अन्दर ही अन्दर हम दोनों चुदाई के लिये तड़प रहे थे। वो पूरा दिन बहुत बोरियत भरा था, लेकिन अगले ही दिन हमारी शादी थी, इसलिए यह एक दिन सहना पड़ा।

मैं उस दिन ब्यूटी पार्लर गई और अपना फेशियल और वेक्सिंग करा लिया। मेरी त्वचा एक-दम कोमल हो गई थी। अगला दिन हम दोनों के लिये खास था। मैं सुबह जल्दी उठ गई, और तैयार हो गई।


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फिर थोड़ी देर बाद राजेश जी भी उठ गए, और अपने कपड़े पहन कर वो भी तैयार हो गए। 8:30 बजे पंडित जी आ गए, और हमारी शादी की विधि शुरू हो गई। राजेश जी ने मेरे गले में मंगल सूत्र पहनाया, और मेरी मांग भर दी। साथ फेरों के सात वचनों के बाद हम सात जनम के लिये एक-दूसरे के हो गए।

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फिर हम दोनों ने पंडित जी के पैर छू लिए, और उनका आशीर्वाद ले लिया। मैंने पंडित के पास अपना फ़ोन दिया, और उन्हें हमारी तस्वीर लेने के लिए कहा। हम दोनों ने अलग-अलग पोज दे कर कई फोटोज ले लिये। आखिर में हमने पंडित जी को उनकी दक्षिणा दे दी, और वो चले गए। पंडित जी के जाने के बाद-

राजेश जी: अब तो खुश हो ना तुम रेनू?

मैं: हां मेरी जान, अब तो में बहुत खुश हूं। आपकी बीवी जो बन गई हूं।

ये कह कर मैंने राजेश जी के गाल पर किस्स दे दी।

राजेश जी: हां रेनू, लेकिन फिर भी मुझे ये कुछ ठीक नहीं लग रहा है।

मैं: अरे बाबा… आप क्यूं इतना टेंशन ले रहें है? ये शादी बस हमारे प्यार की निशानी है, और कुछ नहीं।

राजेश जी: ठीक है रेनू। अगर तुम मुझे अपना पति मानती हो, तो मेरा सारा कहना मानना होगा।

मैं: जी मुझे मंजूर है आप कहिये आपकी ये नई-नवेली पत्नी आपके क्या काम आ सकती है?

राजेश जी: मुझे तुम्हें अभी के अभी चोदना है। तुम्हारी चूत के बिना एक दिन भी एक साल जैसा लगता है।

मैं: बस इतनी सी बात। अरे मैं तो आपकी पत्नी हूं। आपका जब मन करे तब मुझे चोद डालो। और मैं भी आपके लंड के लिए प्यासी हूं।

राजेश जी: तो चलो अपने कपड़े उतारो। आज तो तुझे पूरे दिन चोदूंगा। देख तुझे अपने लंड के लिए पागल कैसे बनाता हूं।

मैं मुस्कुराई और बोली: अरे मैं तो आपको और आपके लंड को देखते ही पागल हो गई थी।

मैंने ऊपर के कपड़ो को उतार दिया, और राजेश जी का इंतज़ार करने लगी।


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राजेश जी किचन में जा कर दो ग्लास पानी लेकर आए, और तेल की बोतल लेकर आए। उन्होनें पानी और तेल टेबल पर रख दिया फिर उन्होंने मेरे बाकी के कपडे और गहने भी उतार दिए।

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अब मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मेरे शरीर पर बस शादी के गहने थे। राजेश जी मुझे उपर से नीचे तक अच्छे से देख रहे थे।

राजेश जी: अरे वाह रेनू, बिल्कुल कमाल लग रही हो।

मैं: शुक्रिया।

राजेश जी: हम्म… चलो फिर आज और अभी से तुम को मेरी एक बात और माननी पड़ेगी।

मैं: अब और क्या बाबा?

राजेश जी: जब-जब हम दोनों घर में अकेले होंगे, तब-तब तुम्हें इस तरह से नंगी ही रहना पड़ेगा। अगर कपड़े पहनने होंगे तो मेरी परमिशन लेनी पड़ेगी।

शादी के बाद राजेश जी मुझ पर अपना हक जमा रहे थे। मैं उनका ये रुप देख कर थोड़ी हैरान थी, मगर मुझे यहीं तो चाहिये था, कि राजेश जी मुझे अपनी समझे, और मुझ पर हक जमा ले।
Super hot hot update diya hai 💦💦💦💦💦💦
 
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renus

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मैं: ठीक है मेरी जान। अब चोदोगे भी या बस यूं ही खड़े रहोगे?

राजेश जी ने अपनी जेब में से गोलियों का एक पैकेट निकला और उन्होंने उसमें से 1 गोली खा ली।

मैं: ये किस चीज की गोली है?

राजेश जी: चुदाई की है। आज हम दोनों बस चुदाई करेंगे और कुछ नहीं। इसलिए ये गोलियां लाया हूं तांकि मुझे दिन भर तुमको चोदने की ताकत मिले। लो ये दुसरे पैकेट से एक गोली तुम भी खा लो। ये औरतों के लिए है।

मैंने ये बात सुन कर दो गोलियां खा ली। शुरु में कुछ नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे गोली का असर शुरु हो गया। मेरे दिमाग में बस लंड और चुदाई के खयाल थे। मैं पसीने से लथ-पथ हो गई और मेरी चूत भी गीली हो गई।

मैं: चोदो मुझे प्लीज। मुझे आपका लंड चाहिये। आप जो बोलोगे मैं वो करूंगी, बस मुझे चोदना शुरु कर दो।

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मैं राजेश जी के सामने घुटनों पर बैठ कर भीख मांग रही थी, और राजेश जी के चेहरे पर मुस्कान थी। उनका लंड एक दम कड़क हो गया था, मानों जैसे कोई लोहा या पत्थर हो। मैं समझ गई कि आज हम दोनों एक-दूसरे को निचोड़ने वाले थे।

मैंने जल्दी से राजेश जी का लंड अपने हाथ में ले लिया। लंड एक दम गरम था। मैं लंड को आगे-पीछे करने लगी और राजेश जी आंख बंद करके मजा ले रहे थे।

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फिर मैं उनका लंड चूसने लगी। मैं उनका पूरा लंड चूस रही थी, और जब तक मेरी सांस नहीं फुल जाती, तब तक लंड मुंह में रख रही थी। मेरी आंखों से लगातार लंड चूसने के कारन आंसू आ गए, और मेरा काजल बहने लगा। मेरा चेहरा और मेरे बूब्स अपने ही थूक और राजेश जी के वीर्य से लथ-पथ थे। मैं मानो कोई रंडी की तरह से राजेश जी का लंड चूस रही थी।

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कुछ देर ऐसे ही लंड चूसने के बाद राजेश जी मेरे बाल पकड़ कर अपना लंड मेरे मुंह में जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगे। वो मेरे मुंह को जोर-जोर से चोदे जा रहे थे। मैं समझ गई कि उनका अब झड़ने वाला था।

फिर 4-5 जोर के धक्कों के बाद राजेश जी मेरे मुंह में अपनी मलाई छोड़ने लगे। मेरे पूरे मुंह में उनका एक-दम सफेद और गाढ़ा वीर्य भर चुका था। मैंने एक बूंद भी नहीं गिराई, और उनका वीर्य एक झटके में पी गई। मम्मम, क्या स्वाद था उनके वीर्य का वाह!

राजेश जी: ओहो… रेनू क्या मस्त हो तुम। पूरा पानी पी गई मेरा।

मैं: ये तो बस शुरुआत है मेरी जान। असली खेल तो अब चालू होगा।

यह कह कर मैं हसने लगी। राजेश जी का लंड झड़ने के बाद भी खड़ा था और कड़क था।

राजेश जी: चल फिर सोफे पर। अब शुरु होगी चुदाई।

मैं सोफे पर झट से चढ़ कर कुतिया बन गई, और राजेश जी को अपनी चूत के ओर इशारा करने लगी। राजेश जी ने बिना कोई टाईम गवाए जल्दी से मेरे पीछे आ गए, और अपना लंड मेरी चूत पे रगड़ने लगे।

मैं: चोदोगे भी या सिर्फ रगड़ते रहोगे?

राजेश जी: हां मेरी रानी, थोड़ा सब्र करना चाहिए।

मैं: मुझसे नहीं होगा। आप बस मुझे चोदना शुरु करो।

मेरे ऐसा कहते ही उन्होनें अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में घुसा दिया। उनका लंड एक-दम कड़क और गरम था। हम दोनों पर गोली का असर पूरी तरह से चढ़ चुका था। मेरी सांसें और दिल की धड़कन तेज हो गई थी। राजेश जी ने फिर अपने चोदने की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ानी शुरु कर दी, और कुछ ही देर में वो पूरी तेजी से मेरी चूत मार रहे थे। मैं बड़े मजे से चुदाई का आनंद ले रही थी।


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मेरी चीखें और सिस्कारियां पूरे घर में गूंज रही थी। मैं पूरी बेशर्म हो कर “आह्ह्ह… उन्ह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह… चोदो मुझे, अपने लंड की दिवानी बना दो‌। मुझे रंडी की तरह चोदो अह्ह…” चिल्ला रही थी।

राजेश जी भी मेरी बातें सुन कर जोश में आ गए, और वो भी मुझे गाली देने लगे।

राजेश जी: साली तेरी चूत इतनी मस्त है कि रुकने का मन ही नहीं करता। तू सिर्फ चुदने के लिए पैदा हुई है।

मैं ये सुन कर थोड़ी हैरान हो गई,‌ मगर मुझे इससे और मजा आने लगा। ऐसे ही पूरे एक घंटे मुझे जोरदार चोदने के बाद राजेश जी मेरी चूत में झड़ गए। मेरी चूत उनके गरम रस से भर गई। मैं इस दौरान कितनी बार झड गई, मुझे याद भी नहीं था। हम दोनों इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद भी संतुष्ट नहीं थे। बल्कि अब भी हम दोनों पर उतना ही वासना का असर था जितना पहले था।

मैं: चलो अब आप नीचे लेट जाओ।

राजेश जी: क्यों क्या हुआ?

मैं: आप मुझे चोद कर थक गए होंगे ना। तो अब मेरी बारी सारा काम करने की।

मेरी बात मान कर राजेश जी सोफे पर लेट गए। मैं उनके पांव को चूमते हुए धीरे-धीरे उपर की ओर बढ़ने लगी। फिर उनके बड़े-बड़े सुपारे को चूमने लगी। राजेश जी भी पूरा मजा ले रहे थे।

फिर मैं उनके खड़े हो चुके लंड को धीरे-धीरे हिलाने लगी। लेकिन मुंह में नहीं लिया। मैं दरअसल राजेश जी को छेड़ रही थी। उन्हें जान बूझ कर तड़पा रही थी।

राजेश जी: अरे रेनू, ऐसे तड़पाओ मत। जल्दी चूसना शुरु कर दो।

मैं: ओह मेरी जान, कितने प्यारे दिखते हो तुम ऐसे।

राजेश जी: रेनू ऐसे ही करती रहोगी, तो मैं पागल हो जाऊंगा।

मैं: ठीक है में चूसना शुरु कर दूंगी। लेकिन एक इच्छा है।

राजेश जी: कोई भी इच्छा मुझे मंजूर है रेनू।

मैं: सोच लो।

राजेश जी: हां बाबा मुझे कोई भी इच्छा मंजूर है।

मैं ये सुन कर खुश हो गई, और राजेश जी के लंड पर किस्स करने लगी। फिर मैं उनका लंड चूसने लगी। मुझे राजेश जी के लंड की इतनी आदत हो गई थी कि मैं उनका अब पूरा लंड बिना किसी परेशानी के मुंह में लेकर चूस लेती थी।

राजेश जी: वाह क्या चूसती हो तुम। लेकिन तुमने मुझे अपनी इच्छा नहीं बताई?

मैं: वो में आपको बाद में बता दूंगी। फिलहाल हम चुदाई का मजा लेते है।

यह कह कर मैं उठ कर खड़ी हो गई, और राजेश जी के लंड के उपर बैठ गई। मैंने राजेश जी का लंड अपने हाथ में लेकर अपनी चूत पर सेट कर दिया। मेरी चूत पहले से गीली थी, और ऊपर से अन्दर राजेश जी के वीर्य से भरी हुई थी, जिसके कारण उनका लंड मेरी चूत में बड़े ही आसानी से गया।

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मैं फिर मजे से अपनी कमर हिला कर और उठा कर उनके लंड को मेरी चूत में से अंदर-बाहर करने लगी, और राजेश जी मेरे मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसल रहे थे। मैं और जोर-जोर से उनके लंड पर कूद-कूद कर चुदवा रही थी।

राजेश जी: रेनू मेरा निकलने वाला है।

मैं: हां मैं भी झड़ने वाली हूं।

हम दोनों एक साथ झड़ गए। राजेश जी का लंड मेरी चूत में हिचकियां लेता हुआ महसूस हो रहा था, और मेरे पैर भी झड़ने की वजह से कांप रहे थे। मेरी चूत अब इतने वीर्य से भर गई थी, कि अब उसमें से वीर्य टपक रहा था। मैं ऐसी ही स्थिति में राजेश जी के उपर लेट गई। वो भी मुझे अपने बाहों में भर कर मेरे साथ लेट गए।

राजेश जी: रेनू मुझे आज का दिन हमेशा याद रहेगा।

ये कह कर उन्होंने मेरे माथे पर किस्स किया।

मैं: मुझे भी ये दिन हमेशा याद रहेगा।

हम दोनों यूं ही नंगे बदन एक-दूसरे को गले लगा कर सोफे पर सो गए। सच कहूं तो मैं बहुत दिनों बाद चैन की नींद सो पाई। जब आंख खुली तो शाम हो गई थी। राजेश जी अभी भी सो रहे थे। मैं उन्हें उठाने वाली थी कि मेरे मन में एक आइडिया आया।

मैं धीरे से सोफे पर से उतर गई और उनके मोटे लंड की तरफ बैठ गई। मैं उनके बड़े से लंड को निहार रही थी, और सोच रही थी कि “क्या लंड है यार, मुझे तो पूरी रंडी बना कर रख दिया है”।

मैंने फिर धीरे से उनके लंड को सहलाने लगी। मैं अब राजेश जी के लंड से अच्छे से वाकिफ हो गई थी। मुझे पता था कि इनके लंड में अभी बहुत जान बाकी थी।

मैं फिर अपने दोनों हाथों से उनके लंड को हिलाने लगी, और कुछ ही पल में उनका तन कर खड़ा हो गया। मैंने फिर धीरे-धीरे उनके लंड को चूसना शुरु किया। मैं उनके लंड को मेरे मुंह के अंदर पूरी तरह से ले पा रही थी।

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राजेश जी की भी कुछ ही पल बाद नींद खुल गई। मैं उन्हें देख मुस्कराई और आंख मारी।

मैं: उठ गए मेरी जान।

राजेश जी: अरे रेनू, क्या कमाल हो तुम! बस इसी तरह मुझे रोज उठाया करो।

मैं: जैसी आपकी मर्जी।

मैं फिर से उनका लंड चूसने लगी। राजेश जी पूरे मजे के साथ अपनी आंखें बंद करके सिसकियां ले रहे थे। “आह्ह… ओह्ह… वाह रेनू मेरी जान, ऐसे ही मेरे लंड की सेवा करो”

ये सुन कर मैं खुश हो गई। मैं और जोर-जोर से उनका लंड चूसने लगी। मेरा पूरा चेहरा अपनी थूक और उनके लंड के वीर्य से भर गया था।

ऐसे ही थोड़ी देर बाद राजेश जी ने मेरे सर को पकड़ लिया और मेरे मुंह को चोदने लगे। मैं समझ गई कि इनका अब जल्दी ही निकलने वाला था।

वो मेरे मुंह को अपना पूरा जोर लगा कर चोद रहे थे। उनका लंड मेरी थूक से चमक रहा था और जोर-जोर से मेरा मुंह चोदने के कारण मेरी आंखों से आंसू आ रहे थे। फिर उन्होनें दो-तीन जोर के धक्के दिये, और मेरे मुंह में झड़ गए।

मेरा मुंह उनके वीर्य से भर गया। मैं तो हैरान थी कि एक आदमी इतनी बर झड़ने के बाद भी इतना माल कैसे छोड़ सकता था? राजेश जी अपना पूरा लंड झड़ने के बाद भी मेरे मुंह में भरे हुए थे, जिसकी वजह से मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। मैं उनके लंड को अपने मुंह से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।

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जब मैं बहुत झटपटाने लगी, तब कहीं जा कर राजेश जी ने अपना लंड बाहर निकाला। उनका लंड बाहर निकलते ही मैं जोर-जोर से खांसने लगी, और लंबी-लंबी सांस लेने लगी। उनका वीर्य मेरे मुंह में से बाहर निकल कर मेरे मम्मों पर गिर गया।

मैं (गुस्से से): ये क्या था! आपने तो मेरी जान ही लेली थी।

राजेश जी हसने लगे और बोले-

राजेश जी: सॉरी मेरी जान, क्या करूं जब तुम मेरे लंड पर ऐसे छटपटाने लगी, तो मुझे बहुत मजा आया।

मैं: आपको मजा आया और मेरी जान निकल गई उसका क्या?

राजेश जी: अरे बाबा बोला ना सॉरी। फिर कभी ऐसा नहीं होगा।

हम दोनों कुछ देर बाद उठ गए, और मैं नाश्ता बनाने के तैयारी में लग गई। राजेश जी सोफे पर बैठ कर मेरे नंगे बदन को निहार रहे थे। मैंने उन्हें मुझे घूरते हुए देखा।

मैं: क्या मुझे पहली बार ऐसे देख रहे हैं आप?

राजेश जी: अरे नहीं रेनू, मैं तो तुम्हें ऐसे नंगे बदन नाश्ता बनाते देख थोड़ा उत्तेजित हो गया।

मैं: तो आईये अपनी उत्तेजना दूर करने।

राजेश जी उठ कर किचन में आने ही वाले थे कि मेरा फ़ोन बजने लगा। मैंने देखा तो मेरे पति का फ़ोन आया था।

मैंने फोन उठाया और उनसे बाते करने लगी।

मैं: हैलो जान! कैसे हो?

मनीष: हैलो! मैं बढ़िया हूं। मेरी याद आती भी है कि नहीं?

मैं: याद आती है जान, लेकिन राजेश जी है तो समय कट जाता है।

मनीष: अरे वाह! बहुत अच्छा हुआ राजेश जी तुम्हारे साथ है। वरना अकेली बोर हो जाती।

मैं मनीष से बातें कर ही रही थी कि मुझे मेरी पीठ पर कुछ महसूस हुआ। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो राजेश जी मेरी पीठ पर अपना हाथ सहला रहे थे। मेरी डर के मारे धड़कन बढ़ने लगी, ये सोच कर कि अब ये क्या करने की सोच रहे थे?

मनीष: हैलो रेनू? शांत क्यों हो गई?

मैं: अरे वो कुछ नहीं, अभी नाश्ता बना रही थी, तो उसमें ध्यान था। तुम बोलो काम कैसा चल रहा है?

राजेश जी अब पीछे से मेरी गांड को सहला और दबा रहे थे। मैं भी अब धीरे-धीरे फिर से उत्तेजित हो रही थी। मेरे पति फोन पर काम के बारे में कुछ बता रहे थे। लेकिन मेरा उस पर कुछ ध्यान नहीं था। मैं बीच-बीच में हां और अच्छा बोल रही थी।

फिर राजेश जी ने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। पहले वो धीरे-धीरे दबा रहे थे। फिर उन्होंने जोर-जोर से मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मेरी सांसे अब तेज हो गई, और मेरी चूत में तो मानो आग सी लग गई।

मनीष: रेनू तुम ठीक तो हो ना? तुम्हारी सांसे क्यों इतनी तेज हो गई?

मैं थोड़ी डर गई

मैं: कुछ नहीं डार्लिंग, किचन में हूं तो गर्मी लग रही है। इसी वजह से सांस फूल रही है।

मेरे चूत की हालत अब खराब हो गई थी। मेरी चूत राजेश जी के लंड के लिए तड़प रही थी। राजेश जी मुझे छेड़े जा रहे थे। कभी वो मेरे मम्मों को मसलते, कभी गांड पर अपना लंड रगड़ते, तो कभी मेरी गर्दन को चूमते थे।

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एक तरफ मैं अपने पति से फोन पर बात कर रही थी, और दूसरी तरफ मेरे दूसरे पति यानी राजेश जी मुझे चोदने की फिराक में थे। यह सोच कर मुझे बहुत मजा आ रहा था।

(मैं पति से फोन पर बात करते हुए)

मैं: जानू‌ वहां सब ठीक तो है ना? खाना-पीना अच्छे से हो रहा है ना?

मनीष: हां रेनू तुम चिंता मत करो।

मैं: मैं तो बस…।

मैं फोन पर बोल ही रही थी कि राजेश जी अपना हाथ मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मेरी चूत तो पानी-पानी हो गई।

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मनीष: बस क्या? आगे बोलो।

मैं: कुछ नहीं बस तुम्हारी फिकर हो रही थी।

राजेश जी ने अब अचानक से अपना लंड जोर के धक्के के साथ मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी जोर से चीख निकल गई आह!

मनीष: क्या हुआ रेनू?

मैं: कुछ नहीं आपसे बाद में बात करती हूं।

और मैंने फोन कट कर दिया। मेरे फोन रखते ही राजेश जी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं किचन के काउंटर को पकड़े झुक कर उनसे चुद रही थी। पता नहीं राजेश जी को क्या हुआ था, वो मुझे दना दन चोदे जा रहे थे। वैसे भी वो शॉट जोर-जोर से ही मरते थे। मगर इस बार कुछ अलग ही जुनून चढ़ा था।

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मैं: आह आह राजेश जी, मैं कहीं भागने वाली नहीं हूं। थोड़ा आराम से चोदिए न।

मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी, कि राजेश जी ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया, और मुझे खड़ा कर दिया, और अपने बदन से चिपका कर चोदे जा रहे थे। मैं अब खड़ी-खड़ी चुद रही थी। मेरा पर शरीर ढीला पढ़ चुका था। मैंने आज पूरे दिन बिना आराम किये चुदाई कर-कर के मेरे शरीर में अब जान नहीं बची थी, और राजेश जी ने दी हुई गोली का असर भी खतम हो गया था।

मैं यहीं सोच में पड़ गई कि राजेश जी अभी कैसे नहीं थके। बल्कि अभी तो मुझे अपनी पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे। मुझे राजेश जी ऐसे ही खड़े-खड़े 10 मिनट तक पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे छोड़ दिया। मेरे शरीर में अब खड़े होने की भी जान नहीं बची थी। मैं किचन के काउंटर को पकड़ कर उसके सहारे जैसे-तैसे अपने आप को संभाल पा रही थी।

मुझे लगा राजेश जी का अब झड़ने वाला होगा, लेकिन मैं गलत थी। राजेश जी ने मुझे काउंटर पर चढ़ने बोला, लेकिन मेरी हालत बहुत खराब थी। राजेश जी समझ गए उन्होंने मुझे किसी गुड़िया के तरह उठाया, और किचन काउंटर पर बिठाया। राजेश जी अब मेरी चूत में फिर से लंड डालने के लिए रेडी थे।
मैं: प्लीज़ इस बार आराम से करिये।

राजेश जी (गुस्से में): में तेरा पति हूं। अब से तेरी ऐसे ही चुदाई होगी हर बार।

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मैं ये सुन कर हैरान हो गई कि ऐसे रोज चुदाई हुई तो मेरी चूत का भोंसड़ा बन जाएगा। मैं कुछ और कह पाती इससे पहले ही उन्होंने अपना लंड फिर से मेरी चूत में एक जोरदार झटके के साथ घुसेड़ दिया। उसके बाद जो उन्होंने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की। मेरे तो होश उड़ गए। चूत पानी छोड़-छोड़ के और ऐसे चुदाई से टमाटर जैसे लाल हो गई थी, और सूजन से फूल चुकी थी। मेरे पैरों ने तो जान ही छोड़ दी थी, और दिमाग में बस राजेश जी की चुदाई का नशा चढ़ गया था।

राजेश जी बिना रुके बस मुझे चोदे जा रहे थे। उन्होंने थोड़ी सी भी रफ्तार कम नहीं की। ऐसा करीब पूरे 40 मिनट तक चला। मैं तो पूरी लाल हो गई थी, और सोच रही थी कि ना जाने कब यह चुदाई खतम होगी। फिर और पांच मिनट बाद राजेश जी ने लंड बाहर निकाला और मुझे नीचे बिठा कर आखरी 4-5 झटके मारे, और सारा माल मेरे मुंह पर छोड़ दिया। हम दोनों हाफ रहे थे, और एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे।

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5 मिनट हम दोनों एक-दूसरे के आंखों में खो गए थे। राजेश जी अब भी अपना लंड मेरी चूत में डाले ही खड़े थे। मैं कुछ महसूस किया मेरे दिल में मानो मेरा दिल राजेश जी को देख जोर से धड़क रहा था। मैं झट से बोल पड़ी-

मैं: राजेश जी आई लव यू।

राजेश जी थोड़े चौंक गए लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं। बल्कि मेरी और झुके और मेरे होठों को चूमने लगे, और बोले-

राजेश जी: आई लव यू टू रेनू।
 
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Vishalji1

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macssm

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मैं: ठीक है मेरी जान। अब चोदोगे भी या बस यूं ही खड़े रहोगे?

राजेश जी ने अपनी जेब में से गोलियों का एक पैकेट निकला और उन्होंने उसमें से 1 गोली खा ली।

मैं: ये किस चीज की गोली है?

राजेश जी: चुदाई की है। आज हम दोनों बस चुदाई करेंगे और कुछ नहीं। इसलिए ये गोलियां लाया हूं तांकि मुझे दिन भर तुमको चोदने की ताकत मिले। लो ये दुसरे पैकेट से एक गोली तुम भी खा लो। ये औरतों के लिए है।

मैंने ये बात सुन कर दो गोलियां खा ली। शुरु में कुछ नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे गोली का असर शुरु हो गया। मेरे दिमाग में बस लंड और चुदाई के खयाल थे। मैं पसीने से लथ-पथ हो गई और मेरी चूत भी गीली हो गई।

मैं: चोदो मुझे प्लीज। मुझे आपका लंड चाहिये। आप जो बोलोगे मैं वो करूंगी, बस मुझे चोदना शुरु कर दो।

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मैं राजेश जी के सामने घुटनों पर बैठ कर भीख मांग रही थी, और राजेश जी के चेहरे पर मुस्कान थी। उनका लंड एक दम कड़क हो गया था, मानों जैसे कोई लोहा या पत्थर हो। मैं समझ गई कि आज हम दोनों एक-दूसरे को निचोड़ने वाले थे।

मैंने जल्दी से राजेश जी का लंड अपने हाथ में ले लिया। लंड एक दम गरम था। मैं लंड को आगे-पीछे करने लगी और राजेश जी आंख बंद करके मजा ले रहे थे।

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फिर मैं उनका लंड चूसने लगी। मैं उनका पूरा लंड चूस रही थी, और जब तक मेरी सांस नहीं फुल जाती, तब तक लंड मुंह में रख रही थी। मेरी आंखों से लगातार लंड चूसने के कारन आंसू आ गए, और मेरा काजल बहने लगा। मेरा चेहरा और मेरे बूब्स अपने ही थूक और राजेश जी के वीर्य से लथ-पथ थे। मैं मानो कोई रंडी की तरह से राजेश जी का लंड चूस रही थी।

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कुछ देर ऐसे ही लंड चूसने के बाद राजेश जी मेरे बाल पकड़ कर अपना लंड मेरे मुंह में जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगे। वो मेरे मुंह को जोर-जोर से चोदे जा रहे थे। मैं समझ गई कि उनका अब झड़ने वाला था।

फिर 4-5 जोर के धक्कों के बाद राजेश जी मेरे मुंह में अपनी मलाई छोड़ने लगे। मेरे पूरे मुंह में उनका एक-दम सफेद और गाढ़ा वीर्य भर चुका था। मैंने एक बूंद भी नहीं गिराई, और उनका वीर्य एक झटके में पी गई। मम्मम, क्या स्वाद था उनके वीर्य का वाह!

राजेश जी: ओहो… रेनू क्या मस्त हो तुम। पूरा पानी पी गई मेरा।

मैं: ये तो बस शुरुआत है मेरी जान। असली खेल तो अब चालू होगा।

यह कह कर मैं हसने लगी। राजेश जी का लंड झड़ने के बाद भी खड़ा था और कड़क था।

राजेश जी: चल फिर सोफे पर। अब शुरु होगी चुदाई।

मैं सोफे पर झट से चढ़ कर कुतिया बन गई, और राजेश जी को अपनी चूत के ओर इशारा करने लगी। राजेश जी ने बिना कोई टाईम गवाए जल्दी से मेरे पीछे आ गए, और अपना लंड मेरी चूत पे रगड़ने लगे।

मैं: चोदोगे भी या सिर्फ रगड़ते रहोगे?

राजेश जी: हां मेरी रानी, थोड़ा सब्र करना चाहिए।

मैं: मुझसे नहीं होगा। आप बस मुझे चोदना शुरु करो।

मेरे ऐसा कहते ही उन्होनें अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में घुसा दिया। उनका लंड एक-दम कड़क और गरम था। हम दोनों पर गोली का असर पूरी तरह से चढ़ चुका था। मेरी सांसें और दिल की धड़कन तेज हो गई थी। राजेश जी ने फिर अपने चोदने की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ानी शुरु कर दी, और कुछ ही देर में वो पूरी तेजी से मेरी चूत मार रहे थे। मैं बड़े मजे से चुदाई का आनंद ले रही थी।


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मेरी चीखें और सिस्कारियां पूरे घर में गूंज रही थी। मैं पूरी बेशर्म हो कर “आह्ह्ह… उन्ह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह… चोदो मुझे, अपने लंड की दिवानी बना दो‌। मुझे रंडी की तरह चोदो अह्ह…” चिल्ला रही थी।

राजेश जी भी मेरी बातें सुन कर जोश में आ गए, और वो भी मुझे गाली देने लगे।

राजेश जी: साली तेरी चूत इतनी मस्त है कि रुकने का मन ही नहीं करता। तू सिर्फ चुदने के लिए पैदा हुई है।

मैं ये सुन कर थोड़ी हैरान हो गई,‌ मगर मुझे इससे और मजा आने लगा। ऐसे ही पूरे एक घंटे मुझे जोरदार चोदने के बाद राजेश जी मेरी चूत में झड़ गए। मेरी चूत उनके गरम रस से भर गई। मैं इस दौरान कितनी बार झड गई, मुझे याद भी नहीं था। हम दोनों इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद भी संतुष्ट नहीं थे। बल्कि अब भी हम दोनों पर उतना ही वासना का असर था जितना पहले था।

मैं: चलो अब आप नीचे लेट जाओ।

राजेश जी: क्यों क्या हुआ?

मैं: आप मुझे चोद कर थक गए होंगे ना। तो अब मेरी बारी सारा काम करने की।

मेरी बात मान कर राजेश जी सोफे पर लेट गए। मैं उनके पांव को चूमते हुए धीरे-धीरे उपर की ओर बढ़ने लगी। फिर उनके बड़े-बड़े सुपारे को चूमने लगी। राजेश जी भी पूरा मजा ले रहे थे।

फिर मैं उनके खड़े हो चुके लंड को धीरे-धीरे हिलाने लगी। लेकिन मुंह में नहीं लिया। मैं दरअसल राजेश जी को छेड़ रही थी। उन्हें जान बूझ कर तड़पा रही थी।

राजेश जी: अरे रेनू, ऐसे तड़पाओ मत। जल्दी चूसना शुरु कर दो।

मैं: ओह मेरी जान, कितने प्यारे दिखते हो तुम ऐसे।

राजेश जी: रेनू ऐसे ही करती रहोगी, तो मैं पागल हो जाऊंगा।

मैं: ठीक है में चूसना शुरु कर दूंगी। लेकिन एक इच्छा है।

राजेश जी: कोई भी इच्छा मुझे मंजूर है रेनू।

मैं: सोच लो।

राजेश जी: हां बाबा मुझे कोई भी इच्छा मंजूर है।

मैं ये सुन कर खुश हो गई, और राजेश जी के लंड पर किस्स करने लगी। फिर मैं उनका लंड चूसने लगी। मुझे राजेश जी के लंड की इतनी आदत हो गई थी कि मैं उनका अब पूरा लंड बिना किसी परेशानी के मुंह में लेकर चूस लेती थी।

राजेश जी: वाह क्या चूसती हो तुम। लेकिन तुमने मुझे अपनी इच्छा नहीं बताई?

मैं: वो में आपको बाद में बता दूंगी। फिलहाल हम चुदाई का मजा लेते है।

यह कह कर मैं उठ कर खड़ी हो गई, और राजेश जी के लंड के उपर बैठ गई। मैंने राजेश जी का लंड अपने हाथ में लेकर अपनी चूत पर सेट कर दिया। मेरी चूत पहले से गीली थी, और ऊपर से अन्दर राजेश जी के वीर्य से भरी हुई थी, जिसके कारण उनका लंड मेरी चूत में बड़े ही आसानी से गया।

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मैं फिर मजे से अपनी कमर हिला कर और उठा कर उनके लंड को मेरी चूत में से अंदर-बाहर करने लगी, और राजेश जी मेरे मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसल रहे थे। मैं और जोर-जोर से उनके लंड पर कूद-कूद कर चुदवा रही थी।

राजेश जी: रेनू मेरा निकलने वाला है।

मैं: हां मैं भी झड़ने वाली हूं।

हम दोनों एक साथ झड़ गए। राजेश जी का लंड मेरी चूत में हिचकियां लेता हुआ महसूस हो रहा था, और मेरे पैर भी झड़ने की वजह से कांप रहे थे। मेरी चूत अब इतने वीर्य से भर गई थी, कि अब उसमें से वीर्य टपक रहा था। मैं ऐसी ही स्थिति में राजेश जी के उपर लेट गई। वो भी मुझे अपने बाहों में भर कर मेरे साथ लेट गए।

राजेश जी: रेनू मुझे आज का दिन हमेशा याद रहेगा।

ये कह कर उन्होंने मेरे माथे पर किस्स किया।

मैं: मुझे भी ये दिन हमेशा याद रहेगा।

हम दोनों यूं ही नंगे बदन एक-दूसरे को गले लगा कर सोफे पर सो गए। सच कहूं तो मैं बहुत दिनों बाद चैन की नींद सो पाई। जब आंख खुली तो शाम हो गई थी। राजेश जी अभी भी सो रहे थे। मैं उन्हें उठाने वाली थी कि मेरे मन में एक आइडिया आया।

मैं धीरे से सोफे पर से उतर गई और उनके मोटे लंड की तरफ बैठ गई। मैं उनके बड़े से लंड को निहार रही थी, और सोच रही थी कि “क्या लंड है यार, मुझे तो पूरी रंडी बना कर रख दिया है”।

मैंने फिर धीरे से उनके लंड को सहलाने लगी। मैं अब राजेश जी के लंड से अच्छे से वाकिफ हो गई थी। मुझे पता था कि इनके लंड में अभी बहुत जान बाकी थी।

मैं फिर अपने दोनों हाथों से उनके लंड को हिलाने लगी, और कुछ ही पल में उनका तन कर खड़ा हो गया। मैंने फिर धीरे-धीरे उनके लंड को चूसना शुरु किया। मैं उनके लंड को मेरे मुंह के अंदर पूरी तरह से ले पा रही थी।

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राजेश जी की भी कुछ ही पल बाद नींद खुल गई। मैं उन्हें देख मुस्कराई और आंख मारी।

मैं: उठ गए मेरी जान।

राजेश जी: अरे रेनू, क्या कमाल हो तुम! बस इसी तरह मुझे रोज उठाया करो।

मैं: जैसी आपकी मर्जी।

मैं फिर से उनका लंड चूसने लगी। राजेश जी पूरे मजे के साथ अपनी आंखें बंद करके सिसकियां ले रहे थे। “आह्ह… ओह्ह… वाह रेनू मेरी जान, ऐसे ही मेरे लंड की सेवा करो”

ये सुन कर मैं खुश हो गई। मैं और जोर-जोर से उनका लंड चूसने लगी। मेरा पूरा चेहरा अपनी थूक और उनके लंड के वीर्य से भर गया था।

ऐसे ही थोड़ी देर बाद राजेश जी ने मेरे सर को पकड़ लिया और मेरे मुंह को चोदने लगे। मैं समझ गई कि इनका अब जल्दी ही निकलने वाला था।

वो मेरे मुंह को अपना पूरा जोर लगा कर चोद रहे थे। उनका लंड मेरी थूक से चमक रहा था और जोर-जोर से मेरा मुंह चोदने के कारण मेरी आंखों से आंसू आ रहे थे। फिर उन्होनें दो-तीन जोर के धक्के दिये, और मेरे मुंह में झड़ गए।

मेरा मुंह उनके वीर्य से भर गया। मैं तो हैरान थी कि एक आदमी इतनी बर झड़ने के बाद भी इतना माल कैसे छोड़ सकता था? राजेश जी अपना पूरा लंड झड़ने के बाद भी मेरे मुंह में भरे हुए थे, जिसकी वजह से मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। मैं उनके लंड को अपने मुंह से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।

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जब मैं बहुत झटपटाने लगी, तब कहीं जा कर राजेश जी ने अपना लंड बाहर निकाला। उनका लंड बाहर निकलते ही मैं जोर-जोर से खांसने लगी, और लंबी-लंबी सांस लेने लगी। उनका वीर्य मेरे मुंह में से बाहर निकल कर मेरे मम्मों पर गिर गया।

मैं (गुस्से से): ये क्या था! आपने तो मेरी जान ही लेली थी।

राजेश जी हसने लगे और बोले-

राजेश जी: सॉरी मेरी जान, क्या करूं जब तुम मेरे लंड पर ऐसे छटपटाने लगी, तो मुझे बहुत मजा आया।

मैं: आपको मजा आया और मेरी जान निकल गई उसका क्या?

राजेश जी: अरे बाबा बोला ना सॉरी। फिर कभी ऐसा नहीं होगा।

हम दोनों कुछ देर बाद उठ गए, और मैं नाश्ता बनाने के तैयारी में लग गई। राजेश जी सोफे पर बैठ कर मेरे नंगे बदन को निहार रहे थे। मैंने उन्हें मुझे घूरते हुए देखा।

मैं: क्या मुझे पहली बार ऐसे देख रहे हैं आप?

राजेश जी: अरे नहीं रेनू, मैं तो तुम्हें ऐसे नंगे बदन नाश्ता बनाते देख थोड़ा उत्तेजित हो गया।

मैं: तो आईये अपनी उत्तेजना दूर करने।

राजेश जी उठ कर किचन में आने ही वाले थे कि मेरा फ़ोन बजने लगा। मैंने देखा तो मेरे पति का फ़ोन आया था।

मैंने फोन उठाया और उनसे बाते करने लगी।

मैं: हैलो जान! कैसे हो?

मनीष: हैलो! मैं बढ़िया हूं। मेरी याद आती भी है कि नहीं?

मैं: याद आती है जान, लेकिन राजेश जी है तो समय कट जाता है।

मनीष: अरे वाह! बहुत अच्छा हुआ राजेश जी तुम्हारे साथ है। वरना अकेली बोर हो जाती।

मैं मनीष से बातें कर ही रही थी कि मुझे मेरी पीठ पर कुछ महसूस हुआ। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो राजेश जी मेरी पीठ पर अपना हाथ सहला रहे थे। मेरी डर के मारे धड़कन बढ़ने लगी, ये सोच कर कि अब ये क्या करने की सोच रहे थे?

मनीष: हैलो रेनू? शांत क्यों हो गई?

मैं: अरे वो कुछ नहीं, अभी नाश्ता बना रही थी, तो उसमें ध्यान था। तुम बोलो काम कैसा चल रहा है?

राजेश जी अब पीछे से मेरी गांड को सहला और दबा रहे थे। मैं भी अब धीरे-धीरे फिर से उत्तेजित हो रही थी। मेरे पति फोन पर काम के बारे में कुछ बता रहे थे। लेकिन मेरा उस पर कुछ ध्यान नहीं था। मैं बीच-बीच में हां और अच्छा बोल रही थी।

फिर राजेश जी ने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। पहले वो धीरे-धीरे दबा रहे थे। फिर उन्होंने जोर-जोर से मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मेरी सांसे अब तेज हो गई, और मेरी चूत में तो मानो आग सी लग गई।

मनीष: रेनू तुम ठीक तो हो ना? तुम्हारी सांसे क्यों इतनी तेज हो गई?

मैं थोड़ी डर गई

मैं: कुछ नहीं डार्लिंग, किचन में हूं तो गर्मी लग रही है। इसी वजह से सांस फूल रही है।

मेरे चूत की हालत अब खराब हो गई थी। मेरी चूत राजेश जी के लंड के लिए तड़प रही थी। राजेश जी मुझे छेड़े जा रहे थे। कभी वो मेरे मम्मों को मसलते, कभी गांड पर अपना लंड रगड़ते, तो कभी मेरी गर्दन को चूमते थे।

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एक तरफ मैं अपने पति से फोन पर बात कर रही थी, और दूसरी तरफ मेरे दूसरे पति यानी राजेश जी मुझे चोदने की फिराक में थे। यह सोच कर मुझे बहुत मजा आ रहा था।

(मैं पति से फोन पर बात करते हुए)

मैं: जानू‌ वहां सब ठीक तो है ना? खाना-पीना अच्छे से हो रहा है ना?

मनीष: हां रेनू तुम चिंता मत करो।

मैं: मैं तो बस…।

मैं फोन पर बोल ही रही थी कि राजेश जी अपना हाथ मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मेरी चूत तो पानी-पानी हो गई।

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मनीष: बस क्या? आगे बोलो।

मैं: कुछ नहीं बस तुम्हारी फिकर हो रही थी।

राजेश जी ने अब अचानक से अपना लंड जोर के धक्के के साथ मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी जोर से चीख निकल गई आह!

मनीष: क्या हुआ रेनू?

मैं: कुछ नहीं आपसे बाद में बात करती हूं।

और मैंने फोन कट कर दिया। मेरे फोन रखते ही राजेश जी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं किचन के काउंटर को पकड़े झुक कर उनसे चुद रही थी। पता नहीं राजेश जी को क्या हुआ था, वो मुझे दना दन चोदे जा रहे थे। वैसे भी वो शॉट जोर-जोर से ही मरते थे। मगर इस बार कुछ अलग ही जुनून चढ़ा था।

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मैं: आह आह राजेश जी, मैं कहीं भागने वाली नहीं हूं। थोड़ा आराम से चोदिए न।

मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी, कि राजेश जी ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया, और मुझे खड़ा कर दिया, और अपने बदन से चिपका कर चोदे जा रहे थे। मैं अब खड़ी-खड़ी चुद रही थी। मेरा पर शरीर ढीला पढ़ चुका था। मैंने आज पूरे दिन बिना आराम किये चुदाई कर-कर के मेरे शरीर में अब जान नहीं बची थी, और राजेश जी ने दी हुई गोली का असर भी खतम हो गया था।

मैं यहीं सोच में पड़ गई कि राजेश जी अभी कैसे नहीं थके। बल्कि अभी तो मुझे अपनी पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे। मुझे राजेश जी ऐसे ही खड़े-खड़े 10 मिनट तक पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे छोड़ दिया। मेरे शरीर में अब खड़े होने की भी जान नहीं बची थी। मैं किचन के काउंटर को पकड़ कर उसके सहारे जैसे-तैसे अपने आप को संभाल पा रही थी।

मुझे लगा राजेश जी का अब झड़ने वाला होगा, लेकिन मैं गलत थी। राजेश जी ने मुझे काउंटर पर चढ़ने बोला, लेकिन मेरी हालत बहुत खराब थी। राजेश जी समझ गए उन्होंने मुझे किसी गुड़िया के तरह उठाया, और किचन काउंटर पर बिठाया। राजेश जी अब मेरी चूत में फिर से लंड डालने के लिए रेडी थे।
मैं: प्लीज़ इस बार आराम से करिये।

राजेश जी (गुस्से में): में तेरा पति हूं। अब से तेरी ऐसे ही चुदाई होगी हर बार।

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मैं ये सुन कर हैरान हो गई कि ऐसे रोज चुदाई हुई तो मेरी चूत का भोंसड़ा बन जाएगा। मैं कुछ और कह पाती इससे पहले ही उन्होंने अपना लंड फिर से मेरी चूत में एक जोरदार झटके के साथ घुसेड़ दिया। उसके बाद जो उन्होंने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की। मेरे तो होश उड़ गए। चूत पानी छोड़-छोड़ के और ऐसे चुदाई से टमाटर जैसे लाल हो गई थी, और सूजन से फूल चुकी थी। मेरे पैरों ने तो जान ही छोड़ दी थी, और दिमाग में बस राजेश जी की चुदाई का नशा चढ़ गया था।

राजेश जी बिना रुके बस मुझे चोदे जा रहे थे। उन्होंने थोड़ी सी भी रफ्तार कम नहीं की। ऐसा करीब पूरे 40 मिनट तक चला। मैं तो पूरी लाल हो गई थी, और सोच रही थी कि ना जाने कब यह चुदाई खतम होगी। फिर और पांच मिनट बाद राजेश जी ने लंड बाहर निकाला और मुझे नीचे बिठा कर आखरी 4-5 झटके मारे, और सारा माल मेरे मुंह पर छोड़ दिया। हम दोनों हाफ रहे थे, और एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे।

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5 मिनट हम दोनों एक-दूसरे के आंखों में खो गए थे। राजेश जी अब भी अपना लंड मेरी चूत में डाले ही खड़े थे। मैं कुछ महसूस किया मेरे दिल में मानो मेरा दिल राजेश जी को देख जोर से धड़क रहा था। मैं झट से बोल पड़ी-

मैं: राजेश जी आई लव यू।

राजेश जी थोड़े चौंक गए लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं। बल्कि मेरी और झुके और मेरे होठों को चूमने लगे, और बोले-

राजेश जी: आई लव यू टू रेनू।
Super super hot update diya hai 💦💦💦💦🍫🍫👌👌💗💗
 
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मैंने राजेश जी को गले लगाया और रोने लगी। अब हम दोनों को एहसास हो चुका था कि हम दोनों के बीच का ये रिश्ता अब वाकई में एक-दूसरे के दिल से जुड़ गया था। मैं बहुत खुश थी लेकिन अगले ही दिन मनीष का फ़ोन आया और वो बोला, “जान, तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है। मेरा यहाँ का काम जल्दी पूरा हो जायेगा और मैं 15 दिन में ही वापस आ जाऊंगा।”

ये सुन कर मैंने फोन पर तो ख़ुशी जताई लेकिन अन्दर ही अन्दर मुझे मायूसी हुई की अब मैं राजेश जी के साथ मजे कैसे करूंगी। जब मैंने ये बात राजेश जी को बताई तो वो बोले

राजेश: देखो रेनू, परेशान मत हो। मनीष को तो वापस आना ही था तो वो आ रहा है और कुछ ही महीनों में दिव्या भी वापस आ जाएगी लेकिन हमारा प्यार कम नहीं होगा। मैं कुछ न कुछ तरीका निकाल ही लूँगा।

रेनू: लेकिन मैं तो सोच ही नहीं पा रही की मैं आपके बिना कैसे रहूंगी? मुझे तो आपकी आदत सी हो गयी है।

राजेश: अरे जब मनीष ऑफिस जायेगा तब तो हम मिलेंगे ही और अभी तो उसके आने में 15 दिन हैं तो तुम पैकिंग करो। कल हम लोग हनीमून पर चलेंगे।

रेनू: सच? कहाँ?

राजेश: हाँ! मैंने सब इन्तेजाम कर लिया है। हम दोनों कल गोवा जा रहे है।

राजेश जी ने जेब से प्लेन के टिकट निकाल कर मुझे दिखाते हुए कहा। मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा दरअसल गोवा में हनीमून मनाने के मेरा सपना था और मनीष भी मुझे हनीमून पर गोवा ले जाना चाहते थे लेकिन शादी के तुरंत बाद उनको एक बड़ा आर्डर मिल गया था जिसके कारण हमारा हनीमून कैन्सिल हो गया था और मैं तब से आज तक गोवा नहीं जा पाई। अब गोवा में हनीमून का सपना भी पूरा हो रहा था भले ही मेरे दुसरे पति के साथ। सच में राजेश जी मेरा कितना ख्याल रखते हैं।

अगले दिन हम दोनों सुबह की फ्लाइट से गोवा निकल गए और दोपहर में हम दोनों अपने होटल में पहुँच गए। राजेश जी के साथ घर से बाहर अकेले दुसरे शहर में होना बहुत रोमांचक लग रहा था। कमरे में पहुचते ही राजेश जी ने फटाफट मेरे और अपने कपडे उतारे और मेरे ऊपर चढ़ गए और उस समय जो उन्होंने मेरी चुदाई शुरू की तो अगले दस दिन तक उन्होंने मुझे सांस ही नहीं लेने दी।

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हमारे रूम के प्राइवेट स्वीमिंग पूल में भी राजेश जी ने मुझे चोदा और पहली बार खुले आस्मान के नीचे बीच पर भीपूरे गोवा में उन्होंने मुझे बिकिनी में घुमाया और रूम में तो कपडे ही नहीं पहनने दिए

दस दिन के हमारे हनीमून पर राजेश जी ने मुझे चुदाई के वो सारे पाठ पढ़ा दिए जो शादी के इतने सालों में मनीष भी नहीं सिखा पाए थे। लंड चूसने के अलग अलग तरीके, सिक्स्टी नाइन करना, कुतिया बनकर चुदाई, काउगर्ल और रिवर्स काउगर्ल पोजीशन, चूत चटवाना, अलग अलग तरह की ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित होना और फिर चुदाई करना, ये सब उन्होंने अच्छे से मुझे सिखा दिया था। उन्होंने ही पहली बार मेरी गांड भी मारी और वीर्य को कैसे स्वाद लेकर निगलना है, और डर्टी सेक्स का मजा भी उन्होंने मुझे समझाया।

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राजेश जी मेरी गदरायी हुई जवानी के कायल हो गए थे और मैं उनको बिस्तर में अब पहले से ज्यादा मज़ा देती हूँ। कुल मिला कर हमारा हनीमून यादगार रहा और हम वापस घर लौट आये।

मैं काफी दिन से राजेश जी से बिना किसी प्रोटेक्शन के चुदवा रही थी और अब मेरे पीरियड्स का समय निकल चूका था तो मुझे शक हुआ की कहीं मैं प्रेग्नेंट तो नहीं हो गयी। दो दिन बाद मनीष भी वापस आ गए और उन्होंने भी उस रात मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की लेकिन मुझे वो मजा नहीं आया जो राजेश जी के साथ आता था।

अगले कुछ दिनों तक मनीष ने रोज रात को मुझे चोदा और उनके ऑफिस जाने के बाद दिन में राजेश जी ने अपने पति होने का फर्ज निभाया। कुछ दिन में राजेश जी का घर ठीक हो गया तो वो वापस अपने घर चले गए और मनीष भी वापस अपने काम में लग गए लेकिन मुझे चिंता थी की मेरे पीरियड्स शुरू नहीं हो रहे थे तो मैंने एक दिन अपनी डॉक्टर के पास गयी और मेरा शक सही था। मैं पेट से थी और मैं जानती थी की ये बच्चा राजेश जी का है क्योंकि मैं और मनीष तो बहुत समय से कोशिश कर रहे थे लेकिन मैं माँ नहीं बन पा रही थी। डॉक्टर्स ने बताया था की मनीष का स्पर्म काउंट थोडा कम है तो मेरा माँ बनना थोडा मुश्किल है।

शाम को मैंने जब मनीष को बताया की मैं माँ बनने वाली हूँ तो उन्होंने ख़ुशी का इज़हार तो किया लेकिन उन्हें कुछ शक भी हुआ क्योंकि डॉक्टर्स ने कहा था की सिर्फ 5% चांस है की मैं नेचुरल तरीके से माँ बन पाउँ इसीलिए उन्होंने IVF करवाने को बोला था लेकिन मनीष तैयार नहीं हुए थे। अब उनको शक हुआ क्योंकि मेरे और राजेश जी के व्यवहार में न चाहते हुए भी एक बेतकल्लुफी आ गयी थी जो अब उनको खटक रही थी लेकिन वो खुल कर कुछ नहीं बोले।

अगले दिन मनीष के जाने के बाद जब राजेश जी घर आये तब मैंने उनको ये खुशखबरी दी की वो बाप बनने वाले हैं तो वो ख़ुशी से झूम उठे।

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राजेश: रेनू तुम सोच नहीं सकती की मैं कितना खुश हूँ। मैं हमेशा से चाहता था की मेरे दो बच्चे हो लेकिन दिव्या एक के बाद दुसरे के लिए मानी ही नहीं। आज तुमने मेरी ये हसरत भी पूरी कर दी।

रेनू: आपने मेरी इतनी हसरतें पूरी की है तो ये तो कुछ भी नहीं है। आपने मुझे वो प्यार दिया जो मनीष नहीं दे पाए। मैं एक तो क्या आपके दस बच्चों की माँ बनने के लिए तैयार हूँ।

राजेश जी ने मुझे ख़ुशी से गले लगा लिया।

रेनू: लेकिन डॉक्टर ने कहा है की लेट प्रेगनैंसी है तो कोई रिस्क नहीं लेना तो नो सेक्स टिल डिलीवरी। समझे।

राजेश: पीछे तो ले ही सकती हो न जैसे गोवा में लिया था।

रेनू: न बाबा न। आपने तो जान ही निकाल दी थी मेरी। कितना दर्द हुआ था। अब थोड़े दिन कण्ट्रोल कीजिये।

राजेश: रोज मिठाई खाने की आदत डाल कर कहती हो की अब उपवास करो। बहुत नाइंसाफी है। अच्छा आज तो करने दो न। वैसे भी मैं अगले हफ्ते अमेरिका जा रहा हूँ कुछ दिनों के लिए। शायद दिव्या भी आ जाएगी मेरे साथ तो फिर जल्दी मौका नहीं मिलेगा।

रेनू: अगर ज्यादा दर्द हुआ तो मैं नहीं करूँगी.

राजेश: अब ज्यादा दर्द नहीं होगा। एक बार तो ले ही चुकी हो। अगर मेरा कहा मान कर दो चार बार और ले लेतीं तो अब तक तो एक्सपर्ट हो गयी होती लेकिन तुमने तो एक बार के बाद दुबारा हाथ ही नहीं लगाने दिया।

ये कहते हुए राजेश जी ने मेरे कपडे खोल दिए और मुझे झुका कर अपने दोनों हाथों से मेरे चूतड़ों को फैलाया और उन्हें मेरी गांड का गुलाबी छेद दिखने लगा। उन्होंने छेद पर पहले अपना थूक गिराया और एक उंगली से गांड को खोलने लगे। फिर उन्होंने पास ही रखी तेल ही शीशी उठा कर शीशी का मुँह मेरी गांड के छेद लगा कर शीशी दबा दी।

अब काफी सारा तेल मेरी गांड में चला गया और वो अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रगड़ने लगे।

राजेश: डालूं?

रेनू: हां लेकिन थोडा आराम से।

राजेश: गांड को ढीली किए रखना।

मैंने अपनी गांड को ढील दी और उसी समय उन्होंने जोर लगा दिया। तेल की वजह से उनका सुपाडा गांड के पहले छल्ले के अन्दर फंस गया।

रेनू: उन्ह आआह आह बहुत दर्द हो रहा है … आह निकाल लो आह निकाल लो ओ … आह

राजेश जी ने झट से शीशी का मुँह लंड और गांड के जोड़ पर लगा दिया और तेल टपकाने लगे।

राजेश: थोडा तो बर्दाश्त करो। याद है न कितना मजा आया था पिछली बार।

रेनू: मजा तो आपको आया होगा, मुझे तो तीन दिन तक दर्द हुआ था वहां। बस बस अबआआअ आआह्ह्ह मरररर गयीई

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मेरी बात पूरी होने से पहले ही राजेश जी ने एक जोर का शॉट मारा और पूरा लंड मेरी गांड में जड़ तक घुसता चला गया। मेरी हालत ख़राब हो गयी और मैं लगभग बेहोश हो गईं। मगर राजेश जी ने कोई दया नहीं दिखाई और अपना लंड आधा बाहर निकाल कर फिर से उसे अन्दर ठूंस दिया। साथ ही तेल की शीशी से तेल टपकाते रहे। मेरी आँख से आंसू निकल आये मगर तेल ने अपना काम किया और मुझे धीरे धीरे राजेश जी के लंड की मोटाई से मीठा मजा भी आने लगा।

थोड़ी देर बाद जब मैं सामान्य हुईं तो उन्होंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी लेकिन मेरी गांड के कसाव को उनका लंड ज्यादा देर तक झेल नहीं पाया और वो दस मिनट में मेरी गांड के अन्दर ही झड गए।


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उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे प्यार से चूम कर गले लगा लिया। कुछ देर हमने इधर उधर की बातें की और फिर वो चले गए।

कुछ दिन बाद राजेश जी दिव्या भाभी के लेने चले गए और जब तक वो लौटे तब मनीष ने अपनी बड़ी बहन को मेरा ख्याल रखने के लिए बुला लिया था तो अब मेरे घर में मेरा राजेश जी से अकेले में मिलना संभव नहीं था और उनके घर में दिव्या भाभी थी। बस हम फोन पर ही बात करते थे।

आखिरकार डिलीवरी का समय आ ही गया और मैंने एक चाँद से बेटे को जन्म दिया। मनीष काफी खुश थे। राजेश जी दिव्या भाभी के साथ मुझसे मिलने हॉस्पिटल आये। वो भी अपने लड़के को देख कर बहुत खुश थे।

समाप्त

 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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मैं: ठीक है मेरी जान। अब चोदोगे भी या बस यूं ही खड़े रहोगे?

राजेश जी ने अपनी जेब में से गोलियों का एक पैकेट निकला और उन्होंने उसमें से 1 गोली खा ली।

मैं: ये किस चीज की गोली है?

राजेश जी: चुदाई की है। आज हम दोनों बस चुदाई करेंगे और कुछ नहीं। इसलिए ये गोलियां लाया हूं तांकि मुझे दिन भर तुमको चोदने की ताकत मिले। लो ये दुसरे पैकेट से एक गोली तुम भी खा लो। ये औरतों के लिए है।

मैंने ये बात सुन कर दो गोलियां खा ली। शुरु में कुछ नहीं हुआ, लेकिन धीरे-धीरे गोली का असर शुरु हो गया। मेरे दिमाग में बस लंड और चुदाई के खयाल थे। मैं पसीने से लथ-पथ हो गई और मेरी चूत भी गीली हो गई।

मैं: चोदो मुझे प्लीज। मुझे आपका लंड चाहिये। आप जो बोलोगे मैं वो करूंगी, बस मुझे चोदना शुरु कर दो।

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मैं राजेश जी के सामने घुटनों पर बैठ कर भीख मांग रही थी, और राजेश जी के चेहरे पर मुस्कान थी। उनका लंड एक दम कड़क हो गया था, मानों जैसे कोई लोहा या पत्थर हो। मैं समझ गई कि आज हम दोनों एक-दूसरे को निचोड़ने वाले थे।

मैंने जल्दी से राजेश जी का लंड अपने हाथ में ले लिया। लंड एक दम गरम था। मैं लंड को आगे-पीछे करने लगी और राजेश जी आंख बंद करके मजा ले रहे थे।

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फिर मैं उनका लंड चूसने लगी। मैं उनका पूरा लंड चूस रही थी, और जब तक मेरी सांस नहीं फुल जाती, तब तक लंड मुंह में रख रही थी। मेरी आंखों से लगातार लंड चूसने के कारन आंसू आ गए, और मेरा काजल बहने लगा। मेरा चेहरा और मेरे बूब्स अपने ही थूक और राजेश जी के वीर्य से लथ-पथ थे। मैं मानो कोई रंडी की तरह से राजेश जी का लंड चूस रही थी।

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कुछ देर ऐसे ही लंड चूसने के बाद राजेश जी मेरे बाल पकड़ कर अपना लंड मेरे मुंह में जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगे। वो मेरे मुंह को जोर-जोर से चोदे जा रहे थे। मैं समझ गई कि उनका अब झड़ने वाला था।

फिर 4-5 जोर के धक्कों के बाद राजेश जी मेरे मुंह में अपनी मलाई छोड़ने लगे। मेरे पूरे मुंह में उनका एक-दम सफेद और गाढ़ा वीर्य भर चुका था। मैंने एक बूंद भी नहीं गिराई, और उनका वीर्य एक झटके में पी गई। मम्मम, क्या स्वाद था उनके वीर्य का वाह!

राजेश जी: ओहो… रेनू क्या मस्त हो तुम। पूरा पानी पी गई मेरा।

मैं: ये तो बस शुरुआत है मेरी जान। असली खेल तो अब चालू होगा।

यह कह कर मैं हसने लगी। राजेश जी का लंड झड़ने के बाद भी खड़ा था और कड़क था।

राजेश जी: चल फिर सोफे पर। अब शुरु होगी चुदाई।

मैं सोफे पर झट से चढ़ कर कुतिया बन गई, और राजेश जी को अपनी चूत के ओर इशारा करने लगी। राजेश जी ने बिना कोई टाईम गवाए जल्दी से मेरे पीछे आ गए, और अपना लंड मेरी चूत पे रगड़ने लगे।

मैं: चोदोगे भी या सिर्फ रगड़ते रहोगे?

राजेश जी: हां मेरी रानी, थोड़ा सब्र करना चाहिए।

मैं: मुझसे नहीं होगा। आप बस मुझे चोदना शुरु करो।

मेरे ऐसा कहते ही उन्होनें अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में घुसा दिया। उनका लंड एक-दम कड़क और गरम था। हम दोनों पर गोली का असर पूरी तरह से चढ़ चुका था। मेरी सांसें और दिल की धड़कन तेज हो गई थी। राजेश जी ने फिर अपने चोदने की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ानी शुरु कर दी, और कुछ ही देर में वो पूरी तेजी से मेरी चूत मार रहे थे। मैं बड़े मजे से चुदाई का आनंद ले रही थी।


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मेरी चीखें और सिस्कारियां पूरे घर में गूंज रही थी। मैं पूरी बेशर्म हो कर “आह्ह्ह… उन्ह्ह्ह्ह… अह्ह्ह्ह… चोदो मुझे, अपने लंड की दिवानी बना दो‌। मुझे रंडी की तरह चोदो अह्ह…” चिल्ला रही थी।

राजेश जी भी मेरी बातें सुन कर जोश में आ गए, और वो भी मुझे गाली देने लगे।

राजेश जी: साली तेरी चूत इतनी मस्त है कि रुकने का मन ही नहीं करता। तू सिर्फ चुदने के लिए पैदा हुई है।

मैं ये सुन कर थोड़ी हैरान हो गई,‌ मगर मुझे इससे और मजा आने लगा। ऐसे ही पूरे एक घंटे मुझे जोरदार चोदने के बाद राजेश जी मेरी चूत में झड़ गए। मेरी चूत उनके गरम रस से भर गई। मैं इस दौरान कितनी बार झड गई, मुझे याद भी नहीं था। हम दोनों इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद भी संतुष्ट नहीं थे। बल्कि अब भी हम दोनों पर उतना ही वासना का असर था जितना पहले था।

मैं: चलो अब आप नीचे लेट जाओ।

राजेश जी: क्यों क्या हुआ?

मैं: आप मुझे चोद कर थक गए होंगे ना। तो अब मेरी बारी सारा काम करने की।

मेरी बात मान कर राजेश जी सोफे पर लेट गए। मैं उनके पांव को चूमते हुए धीरे-धीरे उपर की ओर बढ़ने लगी। फिर उनके बड़े-बड़े सुपारे को चूमने लगी। राजेश जी भी पूरा मजा ले रहे थे।

फिर मैं उनके खड़े हो चुके लंड को धीरे-धीरे हिलाने लगी। लेकिन मुंह में नहीं लिया। मैं दरअसल राजेश जी को छेड़ रही थी। उन्हें जान बूझ कर तड़पा रही थी।

राजेश जी: अरे रेनू, ऐसे तड़पाओ मत। जल्दी चूसना शुरु कर दो।

मैं: ओह मेरी जान, कितने प्यारे दिखते हो तुम ऐसे।

राजेश जी: रेनू ऐसे ही करती रहोगी, तो मैं पागल हो जाऊंगा।

मैं: ठीक है में चूसना शुरु कर दूंगी। लेकिन एक इच्छा है।

राजेश जी: कोई भी इच्छा मुझे मंजूर है रेनू।

मैं: सोच लो।

राजेश जी: हां बाबा मुझे कोई भी इच्छा मंजूर है।

मैं ये सुन कर खुश हो गई, और राजेश जी के लंड पर किस्स करने लगी। फिर मैं उनका लंड चूसने लगी। मुझे राजेश जी के लंड की इतनी आदत हो गई थी कि मैं उनका अब पूरा लंड बिना किसी परेशानी के मुंह में लेकर चूस लेती थी।

राजेश जी: वाह क्या चूसती हो तुम। लेकिन तुमने मुझे अपनी इच्छा नहीं बताई?

मैं: वो में आपको बाद में बता दूंगी। फिलहाल हम चुदाई का मजा लेते है।

यह कह कर मैं उठ कर खड़ी हो गई, और राजेश जी के लंड के उपर बैठ गई। मैंने राजेश जी का लंड अपने हाथ में लेकर अपनी चूत पर सेट कर दिया। मेरी चूत पहले से गीली थी, और ऊपर से अन्दर राजेश जी के वीर्य से भरी हुई थी, जिसके कारण उनका लंड मेरी चूत में बड़े ही आसानी से गया।

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मैं फिर मजे से अपनी कमर हिला कर और उठा कर उनके लंड को मेरी चूत में से अंदर-बाहर करने लगी, और राजेश जी मेरे मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसल रहे थे। मैं और जोर-जोर से उनके लंड पर कूद-कूद कर चुदवा रही थी।

राजेश जी: रेनू मेरा निकलने वाला है।

मैं: हां मैं भी झड़ने वाली हूं।

हम दोनों एक साथ झड़ गए। राजेश जी का लंड मेरी चूत में हिचकियां लेता हुआ महसूस हो रहा था, और मेरे पैर भी झड़ने की वजह से कांप रहे थे। मेरी चूत अब इतने वीर्य से भर गई थी, कि अब उसमें से वीर्य टपक रहा था। मैं ऐसी ही स्थिति में राजेश जी के उपर लेट गई। वो भी मुझे अपने बाहों में भर कर मेरे साथ लेट गए।

राजेश जी: रेनू मुझे आज का दिन हमेशा याद रहेगा।

ये कह कर उन्होंने मेरे माथे पर किस्स किया।

मैं: मुझे भी ये दिन हमेशा याद रहेगा।

हम दोनों यूं ही नंगे बदन एक-दूसरे को गले लगा कर सोफे पर सो गए। सच कहूं तो मैं बहुत दिनों बाद चैन की नींद सो पाई। जब आंख खुली तो शाम हो गई थी। राजेश जी अभी भी सो रहे थे। मैं उन्हें उठाने वाली थी कि मेरे मन में एक आइडिया आया।

मैं धीरे से सोफे पर से उतर गई और उनके मोटे लंड की तरफ बैठ गई। मैं उनके बड़े से लंड को निहार रही थी, और सोच रही थी कि “क्या लंड है यार, मुझे तो पूरी रंडी बना कर रख दिया है”।

मैंने फिर धीरे से उनके लंड को सहलाने लगी। मैं अब राजेश जी के लंड से अच्छे से वाकिफ हो गई थी। मुझे पता था कि इनके लंड में अभी बहुत जान बाकी थी।

मैं फिर अपने दोनों हाथों से उनके लंड को हिलाने लगी, और कुछ ही पल में उनका तन कर खड़ा हो गया। मैंने फिर धीरे-धीरे उनके लंड को चूसना शुरु किया। मैं उनके लंड को मेरे मुंह के अंदर पूरी तरह से ले पा रही थी।

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राजेश जी की भी कुछ ही पल बाद नींद खुल गई। मैं उन्हें देख मुस्कराई और आंख मारी।

मैं: उठ गए मेरी जान।

राजेश जी: अरे रेनू, क्या कमाल हो तुम! बस इसी तरह मुझे रोज उठाया करो।

मैं: जैसी आपकी मर्जी।

मैं फिर से उनका लंड चूसने लगी। राजेश जी पूरे मजे के साथ अपनी आंखें बंद करके सिसकियां ले रहे थे। “आह्ह… ओह्ह… वाह रेनू मेरी जान, ऐसे ही मेरे लंड की सेवा करो”

ये सुन कर मैं खुश हो गई। मैं और जोर-जोर से उनका लंड चूसने लगी। मेरा पूरा चेहरा अपनी थूक और उनके लंड के वीर्य से भर गया था।

ऐसे ही थोड़ी देर बाद राजेश जी ने मेरे सर को पकड़ लिया और मेरे मुंह को चोदने लगे। मैं समझ गई कि इनका अब जल्दी ही निकलने वाला था।

वो मेरे मुंह को अपना पूरा जोर लगा कर चोद रहे थे। उनका लंड मेरी थूक से चमक रहा था और जोर-जोर से मेरा मुंह चोदने के कारण मेरी आंखों से आंसू आ रहे थे। फिर उन्होनें दो-तीन जोर के धक्के दिये, और मेरे मुंह में झड़ गए।

मेरा मुंह उनके वीर्य से भर गया। मैं तो हैरान थी कि एक आदमी इतनी बर झड़ने के बाद भी इतना माल कैसे छोड़ सकता था? राजेश जी अपना पूरा लंड झड़ने के बाद भी मेरे मुंह में भरे हुए थे, जिसकी वजह से मुझे सांस लेने में तकलीफ होने लगी। मैं उनके लंड को अपने मुंह से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी।

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जब मैं बहुत झटपटाने लगी, तब कहीं जा कर राजेश जी ने अपना लंड बाहर निकाला। उनका लंड बाहर निकलते ही मैं जोर-जोर से खांसने लगी, और लंबी-लंबी सांस लेने लगी। उनका वीर्य मेरे मुंह में से बाहर निकल कर मेरे मम्मों पर गिर गया।

मैं (गुस्से से): ये क्या था! आपने तो मेरी जान ही लेली थी।

राजेश जी हसने लगे और बोले-

राजेश जी: सॉरी मेरी जान, क्या करूं जब तुम मेरे लंड पर ऐसे छटपटाने लगी, तो मुझे बहुत मजा आया।

मैं: आपको मजा आया और मेरी जान निकल गई उसका क्या?

राजेश जी: अरे बाबा बोला ना सॉरी। फिर कभी ऐसा नहीं होगा।

हम दोनों कुछ देर बाद उठ गए, और मैं नाश्ता बनाने के तैयारी में लग गई। राजेश जी सोफे पर बैठ कर मेरे नंगे बदन को निहार रहे थे। मैंने उन्हें मुझे घूरते हुए देखा।

मैं: क्या मुझे पहली बार ऐसे देख रहे हैं आप?

राजेश जी: अरे नहीं रेनू, मैं तो तुम्हें ऐसे नंगे बदन नाश्ता बनाते देख थोड़ा उत्तेजित हो गया।

मैं: तो आईये अपनी उत्तेजना दूर करने।

राजेश जी उठ कर किचन में आने ही वाले थे कि मेरा फ़ोन बजने लगा। मैंने देखा तो मेरे पति का फ़ोन आया था।

मैंने फोन उठाया और उनसे बाते करने लगी।

मैं: हैलो जान! कैसे हो?

मनीष: हैलो! मैं बढ़िया हूं। मेरी याद आती भी है कि नहीं?

मैं: याद आती है जान, लेकिन राजेश जी है तो समय कट जाता है।

मनीष: अरे वाह! बहुत अच्छा हुआ राजेश जी तुम्हारे साथ है। वरना अकेली बोर हो जाती।

मैं मनीष से बातें कर ही रही थी कि मुझे मेरी पीठ पर कुछ महसूस हुआ। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो राजेश जी मेरी पीठ पर अपना हाथ सहला रहे थे। मेरी डर के मारे धड़कन बढ़ने लगी, ये सोच कर कि अब ये क्या करने की सोच रहे थे?

मनीष: हैलो रेनू? शांत क्यों हो गई?

मैं: अरे वो कुछ नहीं, अभी नाश्ता बना रही थी, तो उसमें ध्यान था। तुम बोलो काम कैसा चल रहा है?

राजेश जी अब पीछे से मेरी गांड को सहला और दबा रहे थे। मैं भी अब धीरे-धीरे फिर से उत्तेजित हो रही थी। मेरे पति फोन पर काम के बारे में कुछ बता रहे थे। लेकिन मेरा उस पर कुछ ध्यान नहीं था। मैं बीच-बीच में हां और अच्छा बोल रही थी।

फिर राजेश जी ने मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। पहले वो धीरे-धीरे दबा रहे थे। फिर उन्होंने जोर-जोर से मेरे मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। मेरी सांसे अब तेज हो गई, और मेरी चूत में तो मानो आग सी लग गई।

मनीष: रेनू तुम ठीक तो हो ना? तुम्हारी सांसे क्यों इतनी तेज हो गई?

मैं थोड़ी डर गई

मैं: कुछ नहीं डार्लिंग, किचन में हूं तो गर्मी लग रही है। इसी वजह से सांस फूल रही है।

मेरे चूत की हालत अब खराब हो गई थी। मेरी चूत राजेश जी के लंड के लिए तड़प रही थी। राजेश जी मुझे छेड़े जा रहे थे। कभी वो मेरे मम्मों को मसलते, कभी गांड पर अपना लंड रगड़ते, तो कभी मेरी गर्दन को चूमते थे।

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एक तरफ मैं अपने पति से फोन पर बात कर रही थी, और दूसरी तरफ मेरे दूसरे पति यानी राजेश जी मुझे चोदने की फिराक में थे। यह सोच कर मुझे बहुत मजा आ रहा था।

(मैं पति से फोन पर बात करते हुए)

मैं: जानू‌ वहां सब ठीक तो है ना? खाना-पीना अच्छे से हो रहा है ना?

मनीष: हां रेनू तुम चिंता मत करो।

मैं: मैं तो बस…।

मैं फोन पर बोल ही रही थी कि राजेश जी अपना हाथ मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मेरी चूत तो पानी-पानी हो गई।

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मनीष: बस क्या? आगे बोलो।

मैं: कुछ नहीं बस तुम्हारी फिकर हो रही थी।

राजेश जी ने अब अचानक से अपना लंड जोर के धक्के के साथ मेरी चूत में घुसा दिया। मेरी जोर से चीख निकल गई आह!

मनीष: क्या हुआ रेनू?

मैं: कुछ नहीं आपसे बाद में बात करती हूं।

और मैंने फोन कट कर दिया। मेरे फोन रखते ही राजेश जी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं किचन के काउंटर को पकड़े झुक कर उनसे चुद रही थी। पता नहीं राजेश जी को क्या हुआ था, वो मुझे दना दन चोदे जा रहे थे। वैसे भी वो शॉट जोर-जोर से ही मरते थे। मगर इस बार कुछ अलग ही जुनून चढ़ा था।

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मैं: आह आह राजेश जी, मैं कहीं भागने वाली नहीं हूं। थोड़ा आराम से चोदिए न।

मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी, कि राजेश जी ने मेरे मुंह पर हाथ रख दिया, और मुझे खड़ा कर दिया, और अपने बदन से चिपका कर चोदे जा रहे थे। मैं अब खड़ी-खड़ी चुद रही थी। मेरा पर शरीर ढीला पढ़ चुका था। मैंने आज पूरे दिन बिना आराम किये चुदाई कर-कर के मेरे शरीर में अब जान नहीं बची थी, और राजेश जी ने दी हुई गोली का असर भी खतम हो गया था।

मैं यहीं सोच में पड़ गई कि राजेश जी अभी कैसे नहीं थके। बल्कि अभी तो मुझे अपनी पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे। मुझे राजेश जी ऐसे ही खड़े-खड़े 10 मिनट तक पूरी ताकत के साथ चोद रहे थे। फिर उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से निकाला और मुझे छोड़ दिया। मेरे शरीर में अब खड़े होने की भी जान नहीं बची थी। मैं किचन के काउंटर को पकड़ कर उसके सहारे जैसे-तैसे अपने आप को संभाल पा रही थी।

मुझे लगा राजेश जी का अब झड़ने वाला होगा, लेकिन मैं गलत थी। राजेश जी ने मुझे काउंटर पर चढ़ने बोला, लेकिन मेरी हालत बहुत खराब थी। राजेश जी समझ गए उन्होंने मुझे किसी गुड़िया के तरह उठाया, और किचन काउंटर पर बिठाया। राजेश जी अब मेरी चूत में फिर से लंड डालने के लिए रेडी थे।
मैं: प्लीज़ इस बार आराम से करिये।

राजेश जी (गुस्से में): में तेरा पति हूं। अब से तेरी ऐसे ही चुदाई होगी हर बार।

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मैं ये सुन कर हैरान हो गई कि ऐसे रोज चुदाई हुई तो मेरी चूत का भोंसड़ा बन जाएगा। मैं कुछ और कह पाती इससे पहले ही उन्होंने अपना लंड फिर से मेरी चूत में एक जोरदार झटके के साथ घुसेड़ दिया। उसके बाद जो उन्होंने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की। मेरे तो होश उड़ गए। चूत पानी छोड़-छोड़ के और ऐसे चुदाई से टमाटर जैसे लाल हो गई थी, और सूजन से फूल चुकी थी। मेरे पैरों ने तो जान ही छोड़ दी थी, और दिमाग में बस राजेश जी की चुदाई का नशा चढ़ गया था।

राजेश जी बिना रुके बस मुझे चोदे जा रहे थे। उन्होंने थोड़ी सी भी रफ्तार कम नहीं की। ऐसा करीब पूरे 40 मिनट तक चला। मैं तो पूरी लाल हो गई थी, और सोच रही थी कि ना जाने कब यह चुदाई खतम होगी। फिर और पांच मिनट बाद राजेश जी ने लंड बाहर निकाला और मुझे नीचे बिठा कर आखरी 4-5 झटके मारे, और सारा माल मेरे मुंह पर छोड़ दिया। हम दोनों हाफ रहे थे, और एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे।

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5 मिनट हम दोनों एक-दूसरे के आंखों में खो गए थे। राजेश जी अब भी अपना लंड मेरी चूत में डाले ही खड़े थे। मैं कुछ महसूस किया मेरे दिल में मानो मेरा दिल राजेश जी को देख जोर से धड़क रहा था। मैं झट से बोल पड़ी-

मैं: राजेश जी आई लव यू।

राजेश जी थोड़े चौंक गए लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं। बल्कि मेरी और झुके और मेरे होठों को चूमने लगे, और बोले-

राजेश जी: आई लव यू टू रेनू।
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