Bahut hee jabardast or kamuk update …मैं: वैसे पंडित जी, पूजा का मुहूर्त निकला कि नहीं।
पंडित जी: हां रेनू, परसों का दिन बहुत अच्छा है, शुभ मुहूर्त है तो पूजा हो सकती है।
मैं: पंडित जी, मेरी एक इच्छा है, जो आप ही पूरी कर सकते है।
पंडित जी: हां रेनू बोलो। कौन सी इच्छा है?
मैं: मुझे एक और शादी करनी है।
पंडित जी ये सुनते ही चौंक गए और बोले...
पंडित जी: ये क्या कह रही हो? ये तो गलत है।
मैं: किस शास्त्र में लिखा है की ये गलत है? पहले भी तो लोग एक से अधिक विवाह करते थे।
पंडित जी: भले ही पहले लोग एक से ज्यादा शादी करते थे लेकिन अब तो ये गैरकानूनी है। और तुमको किससे शादी करनी है।
मैं: ये शादी बस मैं अपने लिए करना चाहती हूँ, कानूनी तौर पर नहीं, इसीलिए आपको बोल रही हूँ।
पंडित जी: लेकिन फिर भी दूसरी शादी?
मैं: मेरी बात तो सुनिए आप, मेरे पति हमेशा काम से बाहर रहते है तो मुझे शारिरीक सुख की कमी थी और उस कमी को राजेश जी ने पूरा किया।
पंडित जी: क्या? कौन मेरे यजमान राजेश जी जो नीचे बैठे हुए है, वो?
मैं: हां। लेकिन आप यह मत सोचिये कि मेरा मेरे असली पति पर प्यार नहीं है।
पंडित जी: तो फिर राजेश जी से शादी क्यूं करनी है? और उनकी देवी सामान पत्नी दिव्या का क्या होगा?
मैं: अरे वो तो उनकी बीवी ही रहेंगी लेकिन मेरा मेरे असली पति पर जितना प्यार है, अब उतना ही मेरा राजेश जी पर भी प्यार है। इसलिये मुझे उनको भी अपना पति बनाना है। अब आपको इसमें मेरी मदद करनी है बस। देखिये मैंने भी आपकी मदद की है।
पंडित जी: अच्छा अगर राजेश जी तैयार हैं तो फिर ठीक है। लेकिन कब करनी है शादी?
मैं: परसो ही करवा दीजिये।
पंडित जी: इतनी जल्दी? मैं परसो पूजा के लिए तो आ ही जाऊंगा। तुमको सामान भी बता दूंगा तो बस वो सारा सामान लाकर रख देना।
फिर हम दोनों नीचे आ गए। राजेश जी ने मुझे देखते ही पूछा
राजेश जी: अरे ऊपर क्या कर रहे थे पंडित जी?
मैं: वो पंडित जी को घर दिखा रही थी की कहाँ पूजा ठीक रहेगी तो पंडित जी ऊपर वास्तु शांति के मंत्र पढ़ने लगे तो मैं उनके साथ रुक गई।
राजेश जी: ठीक है लेकिन पूजा कहाँ होगी?
मैं: वो मैं बाद में बताती हूं, और हां, मुझे पंडित जी ने प्रसाद भी दिया।
यह कह कर मैंने पंडित जी की तरफ देख कर हल्की सी मुस्कान दी। फिर राजेश जी ने पंडित जी से पूजा के मुहूर्त के बारे में पूछा, तो पंडित जी ने उन्हें बता दिया कि शुभ मुहूर्त परसों का है।
कुछ देर बाद पंडित जी सामान की लिस्ट देकर चले गए और फिर राजेश जी भी बाहर चले गए पूजा का सामान लाने के लिए ।
मैं फिर एक बार घर में अकेली थी। मैंने अपने पति को कॉल किया, और उन्हें पूजा के मुहूर्त के बारे में बता दिया और फ़ोन रख दिया।
मैं भी अब घर में अकेले-अकेले बोर हो रही थी। मैंने सोचा “परसों मेरी राजेश जी के साथ शादी थी, तो क्यों ना मेरी शादी की शॉपिंग की जाए”। और मैं तैयार होकर मेरी शादी की शॉपिंग करने बाहर निकल गई।
मैंने अपना क्रेडिट कार्ड साथ ले लिया, और बहुत सारी कैश लेली। लगभग 80 हज़ार रुपए थे, और क्रेडिट कार्ड की तोह लाखों में लिमिट थी। अमीर घर का होने का यही फायदा है, पैसों की कभी चिंता नहीं रहती। मैं अपनी कार में बैठ कर सोनार की दुकान में गई। वहां मैंने अपने लिये एक बढ़िया सा मंगल सूत्र और हार खरीद लिया। दोनों की कीमत मिला कर लगभग 2 लाख तक होगी।
फिर मैं साड़ी की दुकान में गई, और वहां मैंने अपने लिये दुल्हन का जोड़ा खरीद लिया जो पचास हजार का था। चप्पल, अंगूठियां, चैन और बाकी सब खरीद लिया। आखिर में मैंने राजेश जी के लिये शेरवानी खरीद ली। मैंने अपने लिये बहुत सारे गहने भी खरीद लिये थे, और आखिर में मैंने फूलों की दुकान में जाकर शादी का हार परसों मेरे घर भेजने बोला।
शाम के 7 बजे मैं घर वापस आ गई, और सारा हिसाब-किताब करने लगी। मैंने कुल मिला कर 6 लाख की शॉपिंग की। मैंने ज्यादातर गहने ही खरीदे थे। मैंने ये सब सामान मेरी अलमारी में सजा कर रख दिया।
कुछ ही देर बाद राजेश जी घर आ गए उनके साथ कुछ और लोग भी थे, जिनके हाथ में पूजा का सामान था। उन्होंने वो सामान स्टोर रूम में रखा, और वहां से चले गए।
वो लोग जाते ही राजेश जी ने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मुझे जोर से किस्स करने लगे। मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी।
राजेश जी: चलो रेनू, मुझसे रहा नहीं जाता। मुझे तुम्हें अभी चोदना है।
मैं: नहीं। आप दो दिन मुझे छू भी नहीं सकते।
राजेश जी थोड़े चिंतित हो गए और बोले।
राजेश जी: क्या हुआ रेनू? तुम्हारी तबियत तो ठीक है?
मैं: मुझे कुछ नहीं हुआ है।
राजेश जी: तो फिर क्या हुआ?
मैं: जी वो, मुझे आपसे कुछ कहना है।
राजेश जी: क्या कहना है, बोलो?
मैं: मैंने हम दोनों की शादी फिक्स कर दी है।
राजेश जी चौंक गए।
राजेश जी: क्या? देखो रेनू मैंने तुमसे मना किया था न। इसकी कोई जरूरत नहीं है। मनीष तुमसे बहुत प्यार करता है और मैं भी दिव्या को नहीं छोड़ सकता।
मैं: सुनिए तो मैंने कब कहा की आप अपनी बीवी को छोड़ दीजिये या मैं मनीष को तलाक दूँगी। ये शादी समाज के लिए नहीं बस हम दोनों के लिए है। हमको किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है। आप चिंता मत कीजिये, मेरी पंडित से बात हो गयी है।
राजेश: अरे लेकिन अगर किसी को पता चल गया तो? पंडित ने दिव्या को बोल दिया तो?
मैं: किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। पंडित को मैंने मुंह मांगी कीमत दे दी है तो परसों हमारी शादी है, और मैंने सारी शॉपिंग भी कर ली है।
राजेश जी: लेकिन...
मैं: लेकिन वेकिन कुछ नहीं, अगर मुझे चोदना है तो वो तो अब हमारी शादी के बाद ही होगा। आप सोच लीजिये।
फिर भी राजेश जी थोड़ा हिचकिचा रहे थे। लेकिन मेरी चूत का चस्का उनको लग गया तो आखिर में राजेश जी मुझसे शादी करने के लिए राजी हो गए। मैं बहुत खुश हो गई, और और उन्हें कस कर गले लगा लिया। राजेश जी मेरी गांड दबाने लगे, तो मैं झट से उनसे अलग हो गई और बोली-
मैं: नहीं शादी से पहले कोई बदमाशी नहीं।
राजेश जी: अरे यार मैंने तुझे चोदने के कितने प्लान बनाए थे।
मैं: थोड़ा सब्र रखिये, बस दो दिन की बात है।
राजेश जी थोड़े नाराज होकर सोफे पर बैठ गए। कुछ देर बाद हम दोनों ने डिनर कर लिया, और हम अलग-अलग कमरे में जा कर सो गए। मुझे भी राजेश जी के चुदाई की आदत पड़ गई थी, जिसके कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरी चूत उनके विचार से ही गीली होने लगी। ऐसा लग रहा था कि अभी उनके कमरे में जाकर उनसे चुदवा लूं।
लेकिन मैंने ठान लिया था कि शादी से पहले मैं चुदाई नहीं करूंगी। मैं अपने आप को शांत करने के लिए चूत में उंगली करने लगी और झड़ने के बाद सो गई। अगले दिन की सुबह कुछ खास नहीं थी। हम दोनों ने एक-दूसरे को छुआ भी नहीं। लेकिन अन्दर ही अन्दर हम दोनों चुदाई के लिये तड़प रहे थे। वो पूरा दिन बहुत बोरियत भरा था, लेकिन अगले ही दिन हमारी शादी थी, इसलिए यह एक दिन सहना पड़ा।
मैं उस दिन ब्यूटी पार्लर गई और अपना फेशियल और वेक्सिंग करा लिया। मेरी त्वचा एक-दम कोमल हो गई थी। अगला दिन हम दोनों के लिये खास था। मैं सुबह जल्दी उठ गई, और तैयार हो गई।
फिर थोड़ी देर बाद राजेश जी भी उठ गए, और अपने कपड़े पहन कर वो भी तैयार हो गए। 8:30 बजे पंडित जी आ गए, और हमारी शादी की विधि शुरू हो गई। राजेश जी ने मेरे गले में मंगल सूत्र पहनाया, और मेरी मांग भर दी। साथ फेरों के सात वचनों के बाद हम सात जनम के लिये एक-दूसरे के हो गए।
फिर हम दोनों ने पंडित जी के पैर छू लिए, और उनका आशीर्वाद ले लिया। मैंने पंडित के पास अपना फ़ोन दिया, और उन्हें हमारी तस्वीर लेने के लिए कहा। हम दोनों ने अलग-अलग पोज दे कर कई फोटोज ले लिये। आखिर में हमने पंडित जी को उनकी दक्षिणा दे दी, और वो चले गए। पंडित जी के जाने के बाद-
राजेश जी: अब तो खुश हो ना तुम रेनू?
मैं: हां मेरी जान, अब तो में बहुत खुश हूं। आपकी बीवी जो बन गई हूं।
ये कह कर मैंने राजेश जी के गाल पर किस्स दे दी।
राजेश जी: हां रेनू, लेकिन फिर भी मुझे ये कुछ ठीक नहीं लग रहा है।
मैं: अरे बाबा… आप क्यूं इतना टेंशन ले रहें है? ये शादी बस हमारे प्यार की निशानी है, और कुछ नहीं।
राजेश जी: ठीक है रेनू। अगर तुम मुझे अपना पति मानती हो, तो मेरा सारा कहना मानना होगा।
मैं: जी मुझे मंजूर है आप कहिये आपकी ये नई-नवेली पत्नी आपके क्या काम आ सकती है?
राजेश जी: मुझे तुम्हें अभी के अभी चोदना है। तुम्हारी चूत के बिना एक दिन भी एक साल जैसा लगता है।
मैं: बस इतनी सी बात। अरे मैं तो आपकी पत्नी हूं। आपका जब मन करे तब मुझे चोद डालो। और मैं भी आपके लंड के लिए प्यासी हूं।
राजेश जी: तो चलो अपने कपड़े उतारो। आज तो तुझे पूरे दिन चोदूंगा। देख तुझे अपने लंड के लिए पागल कैसे बनाता हूं।
मैं मुस्कुराई और बोली: अरे मैं तो आपको और आपके लंड को देखते ही पागल हो गई थी।
मैंने ऊपर के कपड़ो को उतार दिया, और राजेश जी का इंतज़ार करने लगी।
राजेश जी किचन में जा कर दो ग्लास पानी लेकर आए, और तेल की बोतल लेकर आए। उन्होनें पानी और तेल टेबल पर रख दिया फिर उन्होंने मेरे बाकी के कपडे और गहने भी उतार दिए।
अब मैं उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। मेरे शरीर पर बस शादी के गहने थे। राजेश जी मुझे उपर से नीचे तक अच्छे से देख रहे थे।
राजेश जी: अरे वाह रेनू, बिल्कुल कमाल लग रही हो।
मैं: शुक्रिया।
राजेश जी: हम्म… चलो फिर आज और अभी से तुम को मेरी एक बात और माननी पड़ेगी।
मैं: अब और क्या बाबा?
राजेश जी: जब-जब हम दोनों घर में अकेले होंगे, तब-तब तुम्हें इस तरह से नंगी ही रहना पड़ेगा। अगर कपड़े पहनने होंगे तो मेरी परमिशन लेनी पड़ेगी।
शादी के बाद राजेश जी मुझ पर अपना हक जमा रहे थे। मैं उनका ये रुप देख कर थोड़ी हैरान थी, मगर मुझे यहीं तो चाहिये था, कि राजेश जी मुझे अपनी समझे, और मुझ पर हक जमा ले।