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Premkumar65

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"आप एक पैर मेरे कंधे पर रख दीजिए मै मसल-मसल कर दबाउंगा तो आपकी पूरी थकान उतर जाएगी।"

परम उठकर दोनो पैरों के बीच आया और बिना पूछे उसने कपड़े को खिसका कर शेठानी के घुटनो के ऊपर कर दिया और एक टाँग उठाकर अपने कंधे पर रख ली।

"आप आंखे बंद कर लीजिए, अच्छा लगेगा।"

परम एक हाथ से पैर को सहारा देकर दूसरे हाथ से घुटने के उपर जांघो को मरोडकर मसलने लगा और तभी उसे शेठानी की मोटी फूली हुई चूत दिखाई दी।

चूत पर छोटे-छोटे झाँटे थे,शायद 8-10 दिन पहले झाँटे साफ किया हो। परम का हाथ शेठानी के जांघो से नीचे से चूत तक फिसल रहा था।

शेठानी ने हौले से कहा, "खूब ज़ोर से मसलो!"

परम ने अंदरकी जांघो को दबाते दबाते चूत को मुठ्ठी मे भरकर मसलने लगा।

"और आगे आ जाओ।" वह चाहती थी कि परम उसे और उसकी चूत को अधिक से अधिक सहलाए।

परम ने पैर को कंधे से उठाया और कपड़े को बिल्कुल उपर तक उठा दिया। शेठानी की चूत साफ दिख रही थी। परम दोनो हाथो से चूत को मसलने लगा।

"शेठानीजी, आप अकेली कब रहती है मै आकर आपको पूरा मज़ा दूँगा, बहुत मस्त चूत है आपकी ….खूब प्यार से चोदूंगा…।"

"बेटा अभी 15-20 दिन कोई मौका नही मिलेगा,जहां दबाना है आज ही दबा दो।"


लेकिन सेठानी तो चुदाई के लिए आतुर थी... वो चाहती थी कि परम उसे वहीं चोद दे। उसे इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं थी कि वो लड़का उससे 30 साल छोटा है और उसकी बेटी का ख़ास दोस्त है।

चूत को मसलते मसलते परम शेठानी के जांघो के बीच आ गया। एक हाथ से वो चूत को दबा रहा था और दूसरे हाथ से बोबला को दबाने लगा।

"चूत बहुत मस्त और रसीली है, लगता है शेठजी चुदाई नही करते है ठीक से?"

"6 महीने से उसने मुझे चोदा नही है, लेकिन तुम्हारी माँ को चोदना चाहता है। सुंदरी को बोलो की एक बार अपनी चूत मे शेठजी का लंड घुसा ले।"

उसने जोड़ा...

“हो सकता है सुंदरी की चूत को भोसड़ा बनाकर मज़ा लेने के बाद वो मुझे फिर से चोदना शुरू कर दे... हो सकता है, कौन जाने, ऐसा भी हो कि तेरी माँ की चूत हमेशा के लिए उसका लंड ले ले।”



“सेठानी जी, आप पहली औरत है ..जिसे मैने नंगा देखा है …और ये पहला चूत है जो मेरे हाथ में है…..मैं जिंदगी भर आपको चोद कर खुश करता रहूँगा…शेठजी की जरुरत शायद ही पड़े आपको....!”

परम को लगा की उसकी पैंट फट जाएगी और उसने पैंट का बटन खोलकर नीचे धकेल दिया। परम का लंड तना हुआ था उसने लंड को चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा।

शेठानी की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी,पूरा लंड गप से अंदर चला गया। शेठानी ने परम को जकड़ लिया और परम बोबला को दबते-दबाते चुदाई करने लगा। 50 साल की औरत को चोद कर ऐसा लग रहा था कि शेठानी की बेटी रेखा को चोद रहा हो। सेठानी की चूत बहुत गर्म है।

"आओ बेटा.... ज़ोर-ज़ोर धक्के मारो, बहुत मज़ा आ रहा है, जल्दी जल्दी...कही तुम्हारी माँ ना आ जाए, वाह मस्त लंड है तुम्हारा बेटे।"

"वो देखेगी तो किसिको नही बोलेगी। उसके सामने भी तुम्हे चोदुंगा।" परम ने आश्वासन दिया और धक्के मारता रहा।

“ओह्ह…बेटा ..लगता है और बहुत लंबा दर्द हो रहा है…..बहुत टाइट से चूत को रगड़ रहा है……आआह मारो …और जोर से…।” वह वास्तव में आनंद ले रही थी...

"शेठानी तेरी चूत पहली चूत है जिसे मै चोद रहा हूँ लेकिन मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है।"

"बेटा,रेखा चली जाएगी तो उसके बाद रोज मुझे चोदना।"

"हा रानी रोज चोदुंगा लेकिन मै तुम्हारी बेटी को चोदना चाहता हूँ।"
मौके का फायदा उठाते हुए परम ने इच्छा व्यक्त की...


“लेकिन मैंने तो सोचा था कि तुम रेखा और पूनम दोनों की चुदाई कर चुके हो…।” उसने कमर झटकाई और लंड के लिए और गहराई के जाने का रास्ता दे दिया और कहा,

"उसको भी चोदो, मेरी बहुओ (डॉटर इन लॉ) को भी चोदो। मै मना नही करूँगी, लेकिन मुझे हर दो-तीन दिन मे आकर चोदना पड़ेगा।"
Ufffff Sab chhodkar pahli chut sethani ki mili Param ko. Thik bhi hai experienced aurat ke sath pahli chudai ho to jyada mazaa aata hai. Meri bhi first chudai apni mausi ke sath hui thi.
 

Premkumar65

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"चोदुंगा रानी और गांड भी मारूँगा।"

परम ने ज़ोर से धक्का मारते मारते कहा, "लंड नही चुसोगी ? "

"चुसूंगी,लेकिन आज नही कभी अकेले मे।"

फिर दोनो जम कर चुदाई करने लगे और थोडी ही देर में शेठानी पस्त हो गयी।

"लंड बाहर निकाल लो, अब दर्द कर रहा है। मै सुंदरी जैसी जवान नही हूँ की लंड खाती राहु।"

लेकिन वह कहा सुननेवाला था,परम धक्का मारता रहा और उसके लंड ने शेठानी के सुखी हुई चूत मे पानी पानी का छंटकाव कर दिया और उसकी चूतरस से उसके वीर्य से मिला कर पूरी भर दी।

ठंडा होने के बाद परम शेठानी के उपर से उतरा और दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए। शेठानी थोड़ी देर तक लंड को मसलती रही…..सच बेटा बहुत मस्त लंड है….और इतना मोटा सुपारा….रेखा की चूत फट जाएगी…मेरी बेटी को थोडा आराम से चोदना बेटे, वह शायद ही तेरे लंड को झेल पाए, एक-दो बार उसकी फट जायेगी पर बाद में तेरे लिए अपनी चूत खुली रखेगी।”


थोड़ी देर बाद सुंदरी बाहर निकली।

"शेठानीजी सब बना दिया है। अब हम लोग जाते है।"

सुंदरी ने कहा और फिर पूछा "परम तुमने ठीक से पाव दबाया ना।"

"अरे तेरा बेटा तो बहुत अच्छा दबाता है। फिर आना बेटा!"

शेठानी उठी और 1000 रुपये सुंदरी को दिया। "रख लो" और बहुत अच्छा लगता है..और तेरा ये बेटा बहुत प्यारा है..और जब तक शादी है आती रहना और परम को भी लाना। सेठानी ने सुंदरी के सामने परम के गालो को चुमते हुए कहा…। थोड़ी देर के लिए रोज आ जाया करो..” श और अनुरोध किया…
यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है

और हा, एक बार मेरे शेठ को खुश कर दो। बेचारा पागल हो गया है तुम्हारा माल खाने के लिए…। और मुझे भी तो दिखा दे तेरा माल कैसा लग रहा है कि मेरा बंदा उसे खाने को बेताब हो गया है, एक बार अपने सारे छेद दिखा दे।"


यह सुनकर सुंदरी के गाल लाल हो गये। वो केवल मुस्कुराई और घर चली गई। वापसी में परम रिक्शे पर सुंदरी के बगल में बैठ कर पूरे रास्ते चूत को सहलाता रहा और शेठ से चुदवाने के लिए मनाता रहा। दोनों घर आ गये। परम शेठानी को चोदकर बहुत खुश था और उसने निश्चय किया की कल ही वो अपनी माँ को चोदेगा।
यह अपडेट कैसा लगा !!!!!!

अपनी राय देना ना भूलियेगा
Very sexy update. Ab sab raste khul gaye hain Param ke liye.
 

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रात में खाना खाने के बाद अपने कमरे में आया तो देखा की उसकी बहन बिल्कुल नंगी बैठी है और चूत को मसल रही है। परम ने महेक को बांहों में जकड़कर चूमा और चूची को दबाया। महेक ने फटाफट अपने भाई को भी नंगा कर दिया और बेड पर सीधा लिटा दिया। महेक भाई की जांघों के बीच घुटनों पर बैठ गयी और झुककर भाई के लंड से खेलने के लिए उसकी चमड़ी को ऊपर कर के लंड का सुपारे को बाहर आते देखा तो वह ज्यादा उत्साहित हो गई और मुँह में ले लिया। एक हाथ से लंड को जड़ से पकड़ी थी और दूसरे हाथ से बाल्स को भी दबा रही थी।

परम को बहुत अच्छा लग रहा था। ये पहला मौका था की किसी ने उसके लंड को मुँह में लिया था। परम बहन के बालों को सहला रहा था और आह्ह… आह्ह… करके मजा ले रहा था। महेक अपनी जीभ को पूरे लंड पर चला रही थी और कभी-कभी लंड को मुँह से निकालकर बोल्स को चाटती थी और गांड के छेद पर भी जीभ चलाती थी। इस तरह महेक खूब मजे से भाई के लंड का मजा ले रही थी। जीभ से सहला-सहलाकर गांड का छेद खुल गया था। महेक ने भाई की गांड में एक उंगली गाड़ दी और उंगली से भाई की गांड मारने लगी। फिर उसने गांड पर थूका और दो उंगली घुसाकर गांड मारने लगी। करीब 15 मिनट तक लंड को चूसने और गांड मारने के बाद परम के लंड ने पानी छोड़ दिया और जोश में अपनी बहन के सिर को लंड पर दबा दिया। महेक ने पूरा पानी गले के नीचे उतार लिया। लंड को जीभ से साफ करने के बाद उसने मुँह से लंड को निकाला और छपाक से दोनों उंगली को गांड से बाहर निकाला।
परम ने बहन को अपने सीने पर खींच लिया और पूछा-

“कहाँ से ये सीखा… बहुत मजा आया बहना…”

महेक ने भाई को किस करते हुवे कहा की उसकी दोस्त सुधा ने सिखाया- “आज उसका बाप और नौकरानी रिंकू ऐसे ही प्यार कर रहे थे। अब तुम मेरी चूत चाटो…” महेक दोनों पाँव फैलाकर सीधा लेट गयी- “भैया मेरी चूत तुम्हारा इंतजार कर रही है…”

परम ने जांघों के बीच बैठकर दोनों हाथों से उसकी कमर को जकड़कर चूत के क्लिट पर जीभ को ऊपर-नीचे किया।
महेक- “आहह… भैया… बहुत अच्छा…”
परम अपनी उंगली और जीभ से बहन की चूत और गांड को चाट रहा था। कभी-कभी दाँत से क्लिट को दबाकर खींचता था और महेक उछल पड़ती थी। चूत को चाटते-चाटते परम दोनों हाथ आगे बढ़ाकर टाइट बोबले को भी दबाने लगा। कभी उंगली से चूत की फांक को फैलाकर जीभ अंदर करता, तो कभी गांड चूसने लगता था। करीब 10 मिनट चाटने के बाद उसने एक उंगली बहन की गांड में घुसाया। गांड गीली हो गयी थी और एक नहीं दो-दो उंगली आराम से गांड के अंदर चली गयी। महेक ने अपनी गांड को ढीला छोड़ दिया ताकि भाई की उंगलिया आराम से उसकी गांड मार सके। हाला की थोडा दर्द हो रहा था पर उस आनंद के सामने यह दर्द कुछ भी नहीं था।

महेक ने अपने हाथों से दोनों टांगों को पकड़कर अपनी ओर खींच लिया था और चूतड़ उछाल-उछाल कर चूत चुसाई का मजा ले रही थी। परम एक साथ चूची दबा रहा था, चूत चाट रहा था और बहन की गांड में उंगली पेल रहा था। महेक खूब जोर-जोर से कमर उछाल रही थी और भाई से चुसाई का मजा ले रही थी, साथ-साथ अपनी गांड भी मरवा रही थी और उसका एक अलग ही आनंद ले रही थी।


लेकिन थोडा समय के बाद उसकी मंजिल आ ही गई,महेक की चूत ने पानी छोड़ दिया। चूत से सफेद गाढ़ा चूतरस बाहर आने लगा और परम ने चूत फैलाकर सारा रस चाट लिया। परम ने बहन की चूत चाटते हुए सोचा की कल दो और चूत, सुंदरी और रेखा की भी इसी तरह चाटेगा। परम से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसे लगा की झड़ जाएगा और फटाक से सीधा बैठकर लोडे को बहन की चूत पर रखा। लंड से सफेद रस निकलकर चूत पर फैलने लगा। महेक ने रस को चूत पर फैलाया और हाथों में उठा-उठाकर रस को प्यार से चाटने लगी। दोनों थक चुके थे। एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गये।

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Ufff mehak sabse jyada kamuk hai. Bahut maje degi Param ko.
 

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दोनों अलग हो गये। तुरंत सुंदरी बेड पर सीधा हो गयी। लेकिन परम ने लोडे को अंदर नहीं घुसाया। उसने सुंदरी की टांगों को पूरा फैला दिया और पूरी चूत को मुँह में भरकर चूसने लगा। चूत को चूसते-चूसते क्लिट को काट लेता था और सुंदरी उछल पड़ती थी। अभी तक सुंदरी ने 8 लंड का मजा लिया था लेकिन कभी किसी मर्द ने उसकी चूत को चूमा या चाटा नहीं था। सिर्फ़ उसकी एक नौकरानी और माँ ने कभी-कभी चूत को चूमा चाटा था लेकिन ऐसा मजा कभी नहीं आया था। परम पूरी जीभ चूत में डालकर चूत का स्वाद ले रहा था और दो उंगली गांड में घुसाकर मजा ले रहा था। पिछली रात बहन ने चूत को चटवाकर मजा लेना सिखाया था और परम माँ की चूत को चूस-चूस कर मजा ले रहा था। उंगली करते-करते गांड बिल्कुल गीली हो गयी थी और परम को लगा की गांड में लंड भी घुस जाएगा लेकिन पहले वो चूत का पूरा मजा लेना चाहता था। उसने एक बार फिर पूरी चूत को चूसा और आगे बढ़कर माँ के होंठों को चूमने लगा और एक हाथ से लंड को चूत में डालकर चोदने लगा। जोर-जोर से धक्का मारने लगा। हर धक्के के साथ सुंदरी की आह्ह निकल जाती थी। आप यह कहानी मैत्री और नीता के द्वारा अनुवादित कहानी पढ़ रहे है


सुंदरी- “कैसा लग है बेटे, माँ को चोदने में…”

परम- “आह्ह माँ बहुत अच्छा लग रहा है। रोज चुदवाओगी?”

सुंदरी- “मैं हमेशा लंड लेने को तैयार हूँ। बहुत साल पहले एक साथ 5-5 आदमियों से चुदवाई थी उस दिन भी इतना मजा नहीं आया था। लेकिन बेटा धीरे-धीरे चोदो…अन्दर दुखता है साला।”

परम चुदाई करता रहा। कभी रुक कर धइले को मसलने लगता था।

सुंदरी चीख उठती थी- “मादरचोद, रुकता क्यों है? गांड में दम नहीं है तो चोदना शुरू क्यों किया?”

और परम जोर-जोर से धक्का मारने लगा और पूछता- “विनोद का लंड अपनी चूत में लोगी?”

सुंदरी- “हाँ… बेटा, विनोद से चुदवाऊँगी…और उसका लंड भी शांत कर दूंगी।”

परम- “शेठ का लंड चूत में लोगी?”

सुंदरी- “हाँ… शेठ से भी चुदवाऊँगी…मुझे तो बस लंड चाहिए बेटे।”

परम- “शेठानी के सामने शेठ का लंड चूसोगी?”

सुंदरी- “हाँ… चूसूँगी…”

परम- “अपनी बेटी के सामने मेरा लंड चूत और गांड में लोगी?”

सुंदरी- “हाँ… लूँगी…और गांड भी मस्ती से मरवाउंगी।”

परम- “मेरे और दोस्तों से भी चुदवाओगी?”

सुंदरी- “हाँ… सबसे चुदवाऊँगी…”

परम- “साली, वेश्या बनोगी?”

सुंदरी- “हाँ… मैं वेश्या हूँ… हाँ…”

दोनों गंदी-गंदी बातें करते-करते चुदाई कर रहे थे। दोनों ने एक दूसरे को कसकर जकड़ लिया और परम ने माँ की चूत में वीर्यदान कर दिया। सुंदरी उसे चूमने लगी और तब तक चूमती रही जब तक दोनों बिल्कुल ठंडे ना हो गये। परम बेड से उतरकर खड़ा हो गया और घूर-घूर कर प्यार से सुंदरी के बदन को देखने लगा।

परम- “आखिर क्या है सुंदरी में की सभी मर्द उसकी जवानी से खेलना चाहते हैं…” परम ने अबतक सुंदरी के अलावा अपनी बहन महेक और रेखा को ही ध्यान से देखा था।

कल शेठानी को जोश में आकर चोद लिया लेकिन आज जो मजा माँ को चोदने में आया वैसा कल नहीं आया था। शेठानी थोड़ी मोटी थी और कोई खास सुंदर भी नहीं थी।


लेकिन सुंदरी का एक-एक अंग छील-छील कर बनाया गया था, करीब 5’5” लंबी, घने काले और लंबे बाल, आलमोस्ट गोल चेहरा, बहुत गोरा नहीं लेकिन बहुत आकर्षक रंग, बड़ी और चमकीली आँखें, गालों में बड़े-बड़े गड्ढे, आकर्षक होंठ, ऊपरी होंठ पतले जब की निचले होंठ मोटे और कूबसूरत कताव, जब वो हँसती थी तो उसके सफेद चमकदार दाँत दिखाई देते थे। उसकी आँखों और चेहरे पर हमेशा मुशकुराहट रहती थी। परम की नजर उसकी लंबी गर्दन और चौड़े कंधों के नीचे फिसली, उसकी बांहें मोटी नहीं लेकिन मांसल थीं बिना मोटापा के, कुहनी तक शंकु के आकार में। उसके बोबले पूरे गोल, कसी और रसीली थीं, जिसका मज़ा वो ले चुका था। अब निपल्स सामान्य आकार में थे, आधा इंच लंबे और मोटे।

परम अपनी कुँवारी बहन, शेठानी और अपनी प्रेमिका रेखा कि धइले मसल चुका था। हालांकी महेक और रेखा की बोबले कसे थे, जब की सुंदरी की बोबले स्पंजी थी। ये अपने भार के कारण थोड़ा लटक गईं थीं।

सुंदरी मुश्कुराई और परम से पूछा- “अब तो चोद लिया, फिर क्या देख रहा है?” उसने अँगड़ाई ली- “फिर चोदना है तो चढ़ जाओ। मेरी चूत तैयार है…मेरी चूत का भोसड़ा बनाओगे!!!”

परम- “मैं देख रहा हूँ की आखिर तुममें क्या है की सभी तुम्हें चोदना चाहते हैं…”

आशा करती हु आपको यह एपिसोड्स पसंद आये होंगे!!!!!!!!!!!!

प्लीज़ कोमेंट कर के अपनी राय देते रहिये..............
wooww maa bhi chud gai. Param bahut jaldi aage badh raha hai.
 

Premkumar65

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“हमारे पास समय बहुत कम है…” रेखा फुसफुसाई। उसने ब्रा को खोलकर उसके स्तनों को मुक्त कर दिया और परम के मुँह में एक निपल पेल दिया- “एक बेटे की तरह मुझे चूसो, तुमको बहुत भूख लगी है…!”

परम ने सिर हिलाया और एक के बाद एक दोनों स्तनों को चूसा और रेखा को बिस्तर पर धक्का दे दिया। परम ने रेखा के पैरों से चड्डी को नीचे खींच लिया और उसको नंगा कर दिया। वह खड़ा होकर उसके सौंदर्य को देखता रहा। वह केवल 20 साल की थी और पतले शरीर की थी। न तो वह अपनी बहन महेक की तरह नाजुक और प्यारी थी और न ही सुंदरी की तरह सेक्सी और आकर्षक। फिर भी वह सुंदर थी। परम को बुरा लगा की वह उससे शादी नहीं कर सकता था।

रेखा- “परम… जैसा मैंने पिछली शाम को तुमसे कहा था, मैंने तुमको सबकुछ दिया है। तुम्हें और अधिक देखना है या मैं कपड़े पहन लूँ?”

परम नीचे झुका और योनी को सहलाया- “रेखा, मैं तुमसे प्यार करता हूँ। मैं शादी करना चाहता था, हालांकि की मैं जानता हूँ की यह संभव नहीं है…” उसने योनी के होठों को चूमा और झाँटों को सहलाया। वह योनी को सहलाता और क्लिट को मसलता रहा।

उसकी मां सुंदरी ने चोदते समय उसे सिखाया था की सिर्फ सहलाने और क्लिट मसलने से एक मृत महिला को भी कैसे उत्तेजित किया जा सकता है।

जैसे ही परम ने क्लिट दबाया, रेखा उछल गई- “आह…”


परम ने उसके क्लिट को दांत से पकड़ा लिया और धीरे-धीरे उसे चबाने लगा। रेखा उत्तेजित हो गई। परम क्लिट के साथ ही योनी के होंठों को चबा गया था और आनंद ले रहा था। उसने तो सुंदरी के क्लिट और चूत को भी चखा था लेकिन उसकी स्वाद और गंध बेहतर थी। वह अपनी बहन की चूत का स्वाद भूल गया जो उसने कल रात को खाया था। अब उसने रेखा को उंगली की।

“ओह परम, ऐसा मत करो… मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ, मेरी शादी सिर्फ कुछ ही दिन दूर है। आह्ह… परम, बहुत मजा, मत करो, मैं मर जाऊँगी। ओह्ह… मुझे मेरी अपनी आँखों से मत गिराओ… जो आपने किया है उससे मेरी चूत जल रही है, मेरी निपल कस रही है। उसने अपनी चूची को मसला। आह्ह… नहीं, एक उंगली और पुश करो दोनों एक साथ। हाँ हाँ, तेजी से, तेजी से और जोर से, तुम क्या कर रहे हो? आह्ह… मेरी गांड खोद रहे हो, चाटो, मेरी गांड चाटो। आह तेजी से गांड में दो उंगली से चोदो। मैं चुदना चाहती हूँ, लेकिन मैं कुंवारी रहना चाहती हूँ। तुम चाहेंगे कि कुछ दिन बाद मेरे पति मेरी ‘सील’ (कौमार्य) टूटी हुई देखकर मुझे गाली दें… और साथ ही मेरे परिवार को भी… मुझे चोदो। आह्ह…”

परम ने उसके शरीर से मुँह और उंगली हटा लिया और अचानक अपनी प्रेमिका की गांड के अंदर अपने लंड को पेल दिया।

“उह म...र....गई......ओ...म...री...म..अ....म...मी....ओह राजा… मेरी गांड में दर्द हो रही है…गांड फट जायेगी राजा मत मार इतना उसे...थोडा धीरे-धीरे डाल... अपने लंड को काबू में रख...वह मेरी गांड चीरे जा रहा है....ओ...माँ.....मैं गई आज....इस लंड से!!!!”

लेकिन परम ने धीरे-धीरे उसकी गांड के छेद को चिकना बनाया और फिर उसकी गांड में पेल दिया। वह उसे अपने सीने की ओर करके उसके पैरों को धक्का देकर आगे से उसे गांड में चोदा था। उसने रेखा को चूमा और उसके कसे बोबले को निचोड़ा। बोला- “रानी, मैं तुम्हारे पास चुदाई करने के लिए आया था, लेकिन टूटी सील देखकर तुम्हारा पति तुम पर क्रोधित हो सकता है, इसलिए मैंने अपने लंड को तम्हारी कसी गांड का स्वाद देने के बारे में सोचा…सही है ना!”

तब परम उसकी गांड चोदता रहा। लगा वो उसके लंड से खुल जाएगी। उसे सुंदरी और शेटानी की चुदाई किया था जो कभी दर्द महसूस कर रही थी। रेखा कि गांड का छेद बहुत तंग था। रेखा के पूरे शरीर में अकड़न हो गयी।

रेखा “परम प्लीज लंड बाहर निकालो, बहुत दर्द कर रहा है। मेरी छोटी सी गांड फट गयी। लगता है खून भी निकलेगा आह्ह… परम जिद मत करो इससे अच्छा है की लंड निकालकर मेरी चूत ही फाड़ डालो, मर जाऊँगी… आ कोई मजा नहीं… आह… परम धीरे-धीरे मारो। थोड़ा और धीरे… आह्ह अब ठीक लग रहा है…”

कुछ समय के बाद रेखा ने भी आराम मिला और अपने जीवन की पहली चुदाई का मज़ा लिया। उसकी गांड का कौमार्य टूटा चुका था और असली कौमार्य बचा हुअ था। उन लोगों ने चुदाई की। जब परम चरमोत्कर्ष के कगार पर आया तो उसने रेखा के मुँह में झड़ने का अनुरोध किया।

वो शुरू में विरोध किया लेकिन बहुत मनाने के बाद मान गई। परम ने गांड से लंड बाहर निकाला और सीधे उसके मुँह में पेल दिया। उसको निश्चित रूप से गंध पसंद नहीं आई और उसने मुँह बनाया लिकिन सब पी गयी, कुछ वीर्य उसके होठों से बाहर बहने लगा। उसने उंगलियों से उसे साफ किया। लंड सिकुड़ने के बाद उसने बाहर खींच लिया। परम ने चूत को सहलाया और कहा- “वह हमेशा से इस सुंदर माल को चाहता था और अब कोई और इसका मज़ा लेगा।“
मैत्री और नीता द्वारा अनुवादित कहानी आप पढ़ रहे है



जाइएगा नहीं लिख रही हु ..................
Ufff Rekha ki bhi gaand faad di Param ne . Bahut maje hain Param ke.
 

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शेठजीने उसे बैठने के लिये कहा।

परम :- “शेठजी, सुंदरी आपसे चुदवाने को तैयार हो गयी है, और वह आपके लंड को शांत करने के लिए रेडी हो गई है, आखिर आप हमारे अन्नदाता जो हो। उसने रुपये लाने को कहा है। पूरा 50000/- जो आपने कहा था…!”

शेठ के चेहरा ख़ुशी से चमक उठा। उन्होंने परम का हाथ पकड़ा और पूछा, “सच में!!! सुंदरी ने ऐसा कहा?"

“हाँ, शेठजी....वैसे मुझे उसको मनाने में काफी पसीना बहाना पड़ा, पर खेर आखिर मान ही गई,और कौन कहेगा आपका माल है अब आपको ही तो संभालना है लेकिन आप उसे चोदेंगे कहाँ पर? आपके घर में…? शेठानी तैयार नहीं होगी… !”

“अरे नहीं, यही पीछे वाले कमरे में।"

उन्होंने आगे बोला “उस कमरे को दो दरवाजे है। एक दरवाजा इस कार्यालय से और एक दरवाजा पीछे से है। मैं और मेरे दोस्त इस कमरे का उपयोग आराम करने के लिए करते है। एक चाबी तुम अपने पास रख लो और सुंदरी को पीछले दरवाजे से अंदर ले आना।“

शेठजीने उनके मुनीमको (सुंदरी के पति) आवाज देकर बुलाया और उसे कुछ निर्देश दिये।

परम के पिता ने तिजोरी से पैसे निकाल लिए और एक बैग में डालके शेठ को दिये । मुनीम के कमरे से बाहर जाने के बाद शेठजीने वो बैग परम के हाथ में थमा दिया और कहा,


“कल शाम को सुंदरी को साथ लेकर आना.... मैं वो पीछे वाला कमरा तैयार रक्खुंगा और किसीको इस बात का पता भी नही चलने दुंगा…! तुम्हारी माँ को आराम से छोड़ कर वापिस आराम से उसके घर ले जा सकोगे।”

“मेरे बाप को इस बारेमे भनक भी नही पडनी चाहीए....वर्ना भेन्चोद मेरे जैसा बुरा ..... इस बात का भी आपको खयाल रखना पडेगा…”, परम ने कहा ।

एक नौकर शरबत के दो गिलास ले आया। अपने बेटे के साथ शेठ इतनी अच्छी तरह पेश आ रहा है यह देखकर मुनीम को आश्चर्य हुआ। वो बेचारा तो इस बात से अनजान था कि कल पीछे के कमरे में उसकी नाक के नीचे उसकी अपनी बीवी शेठ के लंड अपने मुँह में और चूत में लेने वाली है। उसकी बीवी का सौदा जो हो चुका था।

शरबत पिते पिते परम ने अचानक पूछा, “शेठजी, आपकी बेटी रेखा बहोत प्यारी है, जब वो ससुराल चली जाएगी …आप बहोत अकेला महसूस करेंगे।"

“हाँ परम, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। इकलौती बेटी है वो मेरी!” और मुझे पता है, वह भी तुम्हे बहुत ज्यादा पसंद करती है। है ना?"

“हाँ… शेठजी, शादी के बाद वो कही दूर चली जाएगी ये सोच के ही मुझे बहुत दु:ख होता है। उसने मेरी जिंदगी खुशियोंसे भर दी थी…।।!”

शेठजी को कहां पता था यह जवान लड़का पहले ही उसकी मोटी बिवी की चूत से खेला है और बेटी की गांड मार चुका है।

परम:- “शेठजी, आप सुंदरी के पीछे क्यों पडे हैं ? क्या शेठानी आपको अच्छी नही लगती? मुझे तो वो बहुत प्यारी लगती है।"

शेठजी:- “तू बच्चा है, तुझे नहीं मालूम, साली (शेठानी) बिल्कुल थूल-थूल हो गयी है। उसमें कुछ मजा नहीं है कही भी हाथ लगाओ तो लगता है की माँस के लोथडे (मीट लोफ) को दबा रहा हूँ। लेकिन तेरी माँ सुंदरी को देखते ही पूरे बदन में खुन दौड़ने लगता है, बहुत मजा आएगा साली को दबाने में…चोदने में।”
आप नीता और मैत्री की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

शेठ पुरा गरमा गया था । परम ने फिर पूछा, “शेठानी के अलावा और किस-किस को चोदा है अब तक?”

“अरे बेटे, जवानी के दिनों में तो बहुतो को चोदा है, जो औरत घर में आती थी सबको बहला फुसलाकर या पैसा देकर चोद लेता था…!”

“तो फिर सुंदरी को क्यों नहीं चोदा? वो भी तो आपके घर में आती-जाती थी! आज 36 साल की उम्रमें ऐसी मस्त माल लगती है तो पहले कैसी लगती होगी…?”


आपकी राय की अपेक्षा.........
Param seth se uske purane kisse sunna chahta hai.
 

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