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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।

अब आगे ...........

Update 14​



विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।

“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”

सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।

विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।

"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:

“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”

"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"

“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।

“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”

“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।

"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।

“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।

“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।

“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।

"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।

“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।

“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”

दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,

“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”

बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”

“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”

इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।

“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।

लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।

पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।

बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।

सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।

“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”

सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!

वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।

भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।


*******.


आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए शुभरात्री।


।। जय भारत ।।
 

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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।

अब आगे ...........

Update 14​



विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।

“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”

सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।

विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।

"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:

“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”

"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"

“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।

“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”

“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।

"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।

“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।

“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।

“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।

"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।

“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।

“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”

दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,

“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”

बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”

“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”

इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।

“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।

लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।

पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।

बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।

सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।

“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”

सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!

वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।

भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।


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आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए शुभरात्री।


।। जय भारत ।।
Nice update
 

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चलिए अब कहानी में आगे चलते है...........


उधर......


अंदर कमरे में, उषा बिस्तर पर बैठी अपने स्तनों को सहला रही थी। उसे हैरानी हो रही थी कि उसने अपने से *** साल छोटे लड़के को अपने इतने प्यारे स्तनों को सहलाने की इजाज़त कैसे दी। शादी के बाद पिछले चार सालों में उसके पति के अलावा किसी ने उसके स्तनों को नहीं सहलाया, जबकि शादी से पहले उसने तीन-चार लोगों को चूमने और सहलाने की इजाज़त दी थी। उसे हैरानी हुई कि परम ने जो किया, वह उसे पसंद आया। उसने परम के लंड का कसाव भी अपनी कमर पर महसूस किया और यह सोचकर ही सिहर उठी। उसने मन ही मन फुसफुसाया

“साला मादरचोद उसको पता ही नहीं चला की मेरी गांड की दरार कहा है, वही उसे अपना लंड को सटा ना चाहिए था। थोडा बहूत रगड़ देता मेरी गांड को तो उसके बाप का क्या जाता! वैसे भी उतनी दुरी होते हुए भी उसका लंड मेरी गांड की दरार को धुंध रहा था, मतलब की साले का माल बहोत बड़ा है। अच्छा चोदु हो सकता है......”
आप मैत्री और नीता की अनुवादित रचना पढ़ रहे है

"मैं परम से चुदवाऊँगी.."

उसी समय सुंदरी चाय की ट्रे और कुछ खाने का सामान लेकर आ गई। सुंदरी ने परम के बारे में पूछा। उसने कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि सुंदरी और उसकी बेटी के बारे में बात घुमा दी। उषा ने महक के बारे में पूछा और यह भी पूछा कि वह अपनी जवानी कैसे संभाल रही है। सुंदरी ने उत्तर दिया,

“बहुत आसान है, खूब खाओ, और खूब चुदवाओ”… और दोनों हंस पड़े..

“लगता है दीदी तुम खूब माल खाती हो!”

“ये बताने की बात नहीं है.!।” सुंदरी ने उषा से कहा और उसने अपने स्तन सहलाये।

“तुम्हारे बोबले बहुत बड़ी बड़ी है,..बहुत से लोग तुम्हारी लाइन मारते होंगे…सिर्फ बोबला दबाने के लिए।, इतने बड़े बड़े चुचियो को कैसे संभाल कर रखती हो…” सुंदरी ने जोरो से उसके बोबले को मसला..

“सीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसीसी,” बहू कराह उठी। “पहला बेटा मसल कर गया और अब माँ चुची दबा रही है।”

सुंदरी बहू की चुची को सहलाते हुए कहा “साला बहुत हरामी हो गया है.. आने दो मैं दातुंगी…”
आप मैत्री और फनलव की रचना पढ़ रहे है

बहू ने एक हाथ सुंदरी की जांघों पर रखा और कहा "तुम परम को मत कुछ बोलना, मैं खुद समजा दूंगी। जानती हो! आज शादी के चार साल में पहली बार किसी ने मेरी चूची दबायी है।"

सुंदरी ने बहू का हाथ अपनी जांघों से उठाया कर साड़ी के ठीक ऊपर नंगी पेट (पेट) पर रख दिया। और खुद अपनी उंगलियों से बहू की निपल्स को मसलने लगी।

"उषा, तू तो किस्मत बाली हो...तुम्हें चार साल बाद ही कोई चुची दबाने बाला मिल गया। मुझे तो 17 साल के बाद किसी ने हाथ लगाया।"

“कब…कौन…उसने तुम्हें चोदा?..”कहते हुए बहू ने अपने हाथ सुंदरी के साड़ी के अंदर डाला।

“तू क्या कर रही है.. कोई आ जाएगा तो क्या बोलेगा…।” सुंदरी बोली..

“बस दीदी, एक बार छूने दो…” बहू ने हाथ पूरा अंदर घुसा कर सुंदरी के चिकनी चूत को मसल दिया। “बोलो ना दीदी उसने चोदा भी.. ।”

सुंदरी ने जांघों को फैला दिया और बहू को आराम से चूत मसलने दिया। और कहा (उसने झूठ बोला):

“नहीं चुदवाई नहीं, सिर्फ चुची ही मसलवाई…लेकिन सच कहु..जबसे साले ने चुची मसला है चूत में खलबली हो रही है.. ।”

अब बहू सुंदरी की योनि को मसल रही थी, “कौन था वह किस्मतवाला जिसने एक सुन्दर सुंदरी के बोबले को मसला?”

“परम का दोस्त, विनोद..” सुंदरी को मजा आ रहा था… “बस अब निकाल लो, कोई आ जाएगा… कभी घर पे आओ तो पूरा मजा दूंगी.. ।” सुंदरी ने भी बहू के चूची के उभारो से हाथ हटाया और उसकी साड़ी के अंदर हाथ घुसेड़ कर बहू का चूत मसलने लगी… और कहा, “तू कभी मेरे घर आ, परम से चुदवाना और फिर हम दोनो उसका दोस्त विनोद से चुदवाएंगे… विनोद बहुत बड़ा चुद्दकड़ है.. यहाँ तक कि अपनी माँ और बहन को भी चोदता है.. उसने खुद कहा है।”

“हें.. कोई अपनी माँ को भी चोदता है क्या?..” बहू चिल्लाइ!

(सुंदरी ने उसे नहीं बताया कि उसे भी उसके बेटे और उसके दोस्त विनोद और सेठजी ने चोदा है)…

उसमे कौन सी बड़ी बात है बहु, अब यह गाव में घर घर में होता जा रहा है बस सबका मुह बंद होता है और घर में क्या होता है, सच कह रही हु ना, तुम्हारी माँ भी तो .......शायद मैं सब जानती हु”

बहु ने सुंदरी के मुह पर हाथ रखते हुए कहा:”बस, बस अपना मुह बंद रखो अगर जानती हो तो.....!”

“तुम भी तो कुछ अच्छे फलो का स्वाद लेके यहाँ बहु बनी हो..सही है न....!”

“जी दीदी” पर अब बंद करो अपना यह बकवास, जानती हो तो अपने तक रखो प्लीज़....हा मैंने भी लिया है पर अब चुप....!”

"कल ही आ जा। खूब चुदाई करेंगे।" दोनो साड़ी के अंदर एक दूसरे का चूत मसल रहे थे।

बहू डर रही थी..” किसी को पता चलेगा तो..”

“तुम डरती हो..मज़ा लेना है तो हिम्मत करना ही पड़ेगा…थोडा बहोत मुज पर छोड़ दे सेठानी की परवाह मत कर उनको मैं संभाल लुंगी साली नंगी औरत को।”
आप फनलव और मत्री की अनुवादित रचना में है

“कोई तुम्हें चोदेगा उसे पहले मैं तुम्हें चोदूंगी…दीदी तुम मेरी पहली पसंद हो और तुम्हारी चूत का रस पि लेने दो।” कहते हुए बहू ने सुंदरी को बिस्तर पर लिटा दिया और साड़ी पेटीकोट को कमर तक उठा दिया। सुंदरी ने सुबह ही विनोद से चुदवाने के लिए झांट साफ़ किया था और चूत बिल्कुल चिकनी थी..”

“ओह… दीदी, तुम्हारी चूत तो… बहुत मस्त है..” कहते हुए बहू ने चूत में उंगली घुसा दी…!



सुंदरी ने बहू को कुछ बार चोदने दिया और फिर उठ गई। सेठानी ने सुंदरी को बुलाया और वे दोनों बाहर आ गईं।

******



रोज की तरह .........


आज भी आपके फीडबेक (मंतव्य) की प्रतीक्षा रहेगी।
Mast update
 
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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।

अब आगे ...........

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विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।

“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”

सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।

विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।

"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:

“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”

"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"

“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।

“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”

“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।

"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।

“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।

“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।

“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।

"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।

“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।

“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”

दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,

“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”

बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”

“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”

इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।

“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।

लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।

पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।

बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।

सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।

“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”

सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!

वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।

भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।


*******.


आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए शुभरात्री।


।। जय भारत ।।
Ab stroy galat ja raha hai is khanai ka title hai param and sundari par lekin param ko to kamjor dikh raha hai aur sundari pura randi se bhi jyda in do character ko strong dikhao yaar sundari sex kare lekin sabse nahi kuch se hi baki apka maan aap is khanai ke lekhak ho kuch bhi kar sakte ho
 
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Mass

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Hot threesome from Vinod, Sundari and Bahu..
शायद परम का अगला शिकार भी सेट हो गया है. Wonderful!!!

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sunoanuj

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"आह्ह्ह.... बेटा इतने दिन कहा था? मैं तेरा लंड खाने के लिए तरस रही थी। जोर से पेल, जम कर पेल, पूरा लंड अंदर घुसा जा। फाड़ डाल…चूत की आग को ठंडा कर दे…आह राजा……चोदते रहो…बेटा…।” अब एक बार मुनीम का लंड गया हो उस चूत को विनोद दुबारा चोद रहा था। सुंदरी को मजा तो नहीं आ रही थी क्यों की विनोद का लंड कुछ हद तक छोटा पड़ रहा था उसकी भोस के लिए। और तभी तो सुंदरी मुनीम को थोडा दूर ही रखती थी।

लेकिन यह व्याभिचार का नशा था इस लिए वह अपने यार से चुदवा रही थी और मजे ले रही थी।

***************


अब आगे..........



विनोद भी जम कर सुंदरी को चोद रहा था। महक से मिलने के पहले विनोद को सुंदरी सबसे अच्छा माल लगती थी और आखिरी दो सालो से सुंदरी को नंगा कर के रात दिन मजा लेना चाहता था। कुछ दिन पहले जब परम ने अपनी माँ सुंदरी को विनोद से चुदवाया तो उसे लगा कि उसे दुनिया की हर चीज मिल गई। लेकिन कल शाम को सुंदरी की बेटी महक की बोब्लो पर हाथ लगाते ही विनोद का पूरा हो गया। उसी वक़्त उसके लंड ने जवाब देके पेंट को ख़राब कर दिया था। विनोद सुंदरी की जवानी को भूल गया और उसने महक से शादी का फैसला कर लिया।


विनोदने सुंदरी के कंधे को दोनों हाथों से दबाया और जोर से धक्का दिया।।और कहा,

“सुंदरी, तेरी बेटी महक से मेरी शादी करवा दो।” और जम कर धक्का मारा…ओह...रानी तेरी चूत में जो मज़ा है वो और किसी औरत में नहीं… तू सच है… जबर दस्त माल हो…।”

विनोद चोद रहा था सुंदरी को और बात कर रहा था उसकी बेटी महक की....किसी भी सूरत में किसी भी माँ को ये बात पसंद नहीं आएगी कि उसके सामने कोई किसी और माल के बारे में बात करे चाहे उसकी अपनी ही बेटी क्यों ना हो। सुंदरी को बहुत गुस्सा आया। उसने विनोद को धक्का देकर अपने शरीर से हटाना चाहा, लेकिन विनोद ने सुंदरी को अपनी बाहों में कस कर पकड़ लिया। सुंदरी विनोद से अलग होने के लिए तैयार थी। लेकिन विनोद ने उसे खूब कसकर पकड़ रखा था और जोर-जोर से चुदाई कर रहा था। सुंदरी को चुदाई में बहुत मजा आ रहा था लेकिन उसका गुस्सा कम नहीं हुआ।

“हरामी...मादरचोद, माँ को चोद रहा है और बहनचोद, बोलता है कि बेटी से शादी करेगा…जा हरामी तू मुझसे दूर हो जा…मैं अपनी चूत के लिए कोई दूसरा लंड ढूँढ लूंगी…।”

सुंदरी ने विनोद को धक्का मारते हुए कहा “चल लंड बाहर निकाल।” लेकिन दोनों में से किसी ने लंड को बहार निकाल ने की कोशिश तक नहीं की। दोनों अपनी चुदाई में मस्त थे।

“शादी भी करेगा और बहनचोद, माँ और बेटी दोनों को चोदेगा!” सुंदरी ने कहा और साथ-साथ में कहा “यह भी सही है, हो सकता है मैं जमाई बाबु से चुद-चुद के चूत और गांड मरवाती रहू।“

दोनो चुदाई कर रहे थे और उधर बिस्तर पर लेटी बहू सोच रही थी कि रंडी सुंदरी वापस क्यों नहीं आई! दस मिनट हो गए...सुंदरी रूम में नहीं आई....बहू कि चुत मुनीम से चुदवाने के बाद ठंडी हो गई थी लेकिन बहू और मजा लेना चाहती थी कम मौक़ा मिले ना मिले। वह सुंदरी की चूत का माल ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में भरना चाहती थी और वो भी सुंदरी के चूत और बोब्लो का...बहु सुंदरी का चुतरस ज्यादा से ज्यादा अपने मुंह में भरना सोच रही थी।

बहू को डर लगा की,सुंदरी को क्या हुआ! क्या कोई उसे जबरदस्त चोद तो नहीं रहा है? यह सोच कर बहु बेडरूम से बाहर आई बिल्कुल नंगी। बहू की मोटी और बड़ी-बड़ी चुचिया उठ कर निचे जा रही थी और मोटी-मोटी जांघों को लेकर बहू बाहर के कमरे में आई तो जो देखा उसे देखकर बहू को सरप्राइज नहीं हुआ।

सुंदरी के नंगे शरीर पर परम के उम्र का लड़का देख कर बहू को समझने में देर नहीं लगेगी कि यही 'विनोद' है।

बहू उनके पैर की तरफ खड़ी थी। बहू ने देखा कि विनोद ने सुंदरी को कस कर बाहों में लेकर खूब जोर-जोर से चोद रहा था। सुंदरी ने अपनी जांघों को ऊपर उठाये रखा था और कुल्हे उछाल कर चुदाई करवा रही थी। बहू ने देखा कि विनोद का लंड सटासट सुंदरी की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। फिर बहु ने सोचा की जहा मुनीमजी का लंड गया हो वह चूत में एकसाथ दो दो लंड जाए तभी उसे शान्ति हो सकती है। यह मुनीमजी भी ना क्या लंड लेके पैदा हुए है।

बहू की जांघें फैली हुई थीं और उसका हाथ आने आप अपनी चूत के ऊपर चला गया और बहू अपनी चूत रगड़ने लगी। बहु ने खुद की चूत के दरवाजे कुछ ज्यादा ही खुले हुए पाए, और फिर से मुस्कुराती हुई “क्या मुनीमजी कुछ तो रहने देना था।“ बहू चुपचाप खड़ी रही थी और कभी अपनी छाती को दबाती और चूत से खेल रही थी। तभी सुंदरी ने बहू को देखा और मुस्कुरा दी। बहु ने उसे चुप रहने का इशारा किया। बहू को देख कर सुंदरी का गुस्सा ख़तम हो गया और सुंदरी ने विनोद को किस करते हुए पूछा।

“अच्छा विनोद, ये बता…गांव में इतनी मस्त गर्ल्स हैं तो फिर तू मेरी जैसी दो-दो बच्चों की माँ को क्यों चोदना चाहता है…? और खास कर मुनीमजी जैसे लैंड की गुलाम को कैसे पसंद किया?”

“ओह…रानी…तेरे जैसी माल इस गांव में क्या आस-पास के गांव में कोई नहीं है…मैं कोलकाता भी जाता हूं और वहा भी चुदाई करता हूं लेकिन कोई भी तुम्हारा जैसा माल नहीं…तू कोलकाता मे चुदवायेगी तो सबसे अमीर महिला हो जायेगी…तेरी चूत का स्वाद जो एक बार लेगा वो शरबत को भूल जाएगा!'' बहू ने यह सब सुना और वह विनोद की बात से पूरी तरह सहमत हो गई।

विनोद को नहीं पता था कि कोई और उसे सुंदरी को चोदते हुए देख रहा है। विनोद ने लंड को चूत से पूरा बाहर निकाला और खूब जोर से धक्का मारा…

“ओह्ह…माआआ…आह……मजा आआ…गयाआ…।” बहु जानती थी की सुंदरी विनोद को उकसाने और उसके धक्के ज्यादा लगे उसके लिए यह नाटक कर रही थी। वह मुनीमजी पहले से ही बमबारी कर चुके थे।

सुंदरी जोर से कराह उठी। विनोद को प्रोत्साहन मिला और फिर दोबारा लंड को बाहर निकाला और दोबारा खूब जोर से धक्का मारा…

“आह्ह्ह्ह…बेटा…आह्ह्ह्ह…मै…तो.....गयी…।! फाड़ दी मेरी चूत को.....अब पति को क्या दिखौंगी....इतना बड़ा खेत बना दिया....”

सुंदरी ने पैर और हाथ से विनोद को जकड़ा और फिर ढीला कर दिया। लेकिन विनोद उसे तेजी से चोदता रहा और जल्द ही उसने सुंदरी की चूत को अपने रस से भर दिया। बहू ने उन्हें एक-दूसरे को सहलाते और चूमते देखा। फिर विनोद सुंदरी के शरीर से अलग हो गया और सुंदरी की साड़ी जमीन से खींच ली।
फनलवर की प्रस्तुति।

“साडी का क्या करेगी, पहनेगी क्या? “

यह सुनते ही विनोद पलट गया। उन्होंने जबरदस्त औरत देखी। विनोद ने 100 से ज्यादा नंगी मालों को देखा और आनंद लिया, लेकिन उसने इतने भरे हुए और बड़े रसीले स्तनों की जोड़ी कभी नहीं देखी थी। विनोद ने अपनी नजरें उस महिला, बहू पर नीचे की ओर घुमाईं और उन्हें एक मोटी जांघें और उन जांघों के बीच एक फूली और सूजी हुई बड़े आकार की चूत दिखाई दी। विनोद उसे चोदने से ज्यादा उन दूध के गोलों को चूसना चाहता था।
नीता की पेशकश।

“लंड साफ करेगी…!” विनोद ने हकलाते हुए कहा।

“तेरे लये तो नहीं पर इस लंड पर सुंदरी का चुतरस को जरुरु चाट लुंगी। यह रस मेरे लिए अमृत समान है।”

बहू आगे बढ़ी और विनोद के हाथ से साड़ी खींचकर दूर फेंक दी। वह सुन्दरी के पास बैठ गयी और विनोद को कमर से पकड़ लिया। विनोद का लंड सुंदरी की चुदाई बहुत ढीला हो गया था। बहू ने एक हाथ से लंड को पकड़ा और कहा:

“सुंदरी, तुमने साले को पूरा निचोड़ लिया…!”

इतना कहकर बहू ने सिर नीचे कर लिया और लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप जैसे चुसने लगी। सुंदरी उठी और रसोई में चली गई, वह 10 मिनट बाद लौटी और तब तक बहू विनोद का लंड चबा रही थी। विनोद का लंड फिर से अकड़ने लगा। सुंदरी तीन गिलास थोड़े से जूस के साथ आई। तीनो ने एक गिलास पिया।

ड्रिंक खत्म होने के बाद सुंदरी ने बहू से कहा- “बिस्तर पर लेट जाओ बहु”।

बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।


आजके लिए बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक आप अपने कोममेंट देते रहिये।



।। जय भारत ।।
बहुत ही उम्दा और बेहतरीन कामुक अपडेट दिया है !
 

sunoanuj

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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।

“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।

बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।

अब आगे ...........

Update 14​



विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।

“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”

सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।

विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।

"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:

“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”

"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"

“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।

“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”

“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।

"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।

“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।

“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।

“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।

"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।

“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।

“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”

दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,

“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”

बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”

“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”

इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।

“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।

लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।

पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।

बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।

सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।

“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”

सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!

वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।

भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।


*******.


आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।


तब तक के लिए शुभरात्री।


।। जय भारत ।।
बहुत बढ़िया लाला जी की बहू को एक दिन में ही तीन बार मिल गए बहुत ही कामुक
 
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