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बहु ने कहा: “सुंदरी आज जाने दो थक सी गई हूँ।” बहु ने अपनी सूजी हुई और बड़े होल वाली चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।
बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।
अब आगे ...........
विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।
“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”
सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।
विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।
"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:
“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”
"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"
“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।
“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”
“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।
"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।
“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।
“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।
“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।
"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।
“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।
“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”
दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,
“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”
बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”
“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”
इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।
“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।
लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।
पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।
बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।
सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।
“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”
सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!
वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।
भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।
*******.
आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए शुभरात्री।
।। जय भारत ।।
“आज जी भर के जी ले बहु फिर मौक़ा मिले तो फिर खा लेना, चूत में काफी भूख होती है।“ सुंदरी ने बहु को खिंच के लिटा दिया।
बहू दोनो जांघों को फैला कर लेट गई और सुंदरी ने विनोद से बहू की चुचियों का मजा लेने को कहा। सुंदरी को लगा कि बहू की चुचियो का मजा लेकर विनोद का लंड जल्द ही टाइट हो जाएगा। विनोद एक हाथ से बोबले को दबाते हुए बहू को दूसरी चुची (निपल) को चूसने लगा।
अब आगे ...........
Update 14
विनोद को चुची दबाने में इतना मजा कभी नहीं आया था। महक की टाइट चुची और सुंदरी की स्पंजी चुची में भी नहीं। विनोद खूब प्यार से दोनों चुची को एक-एक करके दबा कर मजा ले रहा था और निपल भी चूस रहा था और नीचे सुंदरी ने सिर विनोद के बीच में डाल कर लंड चूस रही थी और अगले 10 मिनट में लंड चुदाई के लिए पूरा तैयार हो गया।
“चल बेटा अब जल्दी से इस चुदक्कड को भी ठंडा कर दे!”
सुंदरी ने कहा और बहू ने विनोद को अपना ऊपर खींचा और लंड को चूत पर लगाया। चूत तो पहले से ही पानी-पानी हो गई थी, सुंदरी और विनोद की चुदाई देख कर। एक ही धक्के में पूरा लंड चूत के अंदर सरक गया। वो तो होना ही था, मुनीम अभी-अभी उसकी चूत का बड़ा भोसड़ा बना के गया हुआ था। विनोद का पहला धक्का से ही बहु को अच्छा लगा। वैसे तो विनोद का लंड, परम और मुनिम के लंड जैसा मोटा और लंबा तो नहीं था लेकिन विनोद जीस स्पीड ऑर फोर्स से चुदाई कर रहा था वो बहू को बहुत अच्छा लगा। विनोद ने ज्यादा देर नहीं की और लंड को बाहर खिंचा और वापी चूतमें सरका दिया और अपनी स्पीड को धीरे-धीरे बढाने में व्यस्त हो गया। बहु भी मजा ले ले कर चुदवा रही थी और सुंदरी नंगी किचन का काम कर रही थी।
विनोद अब लगातार धक्के लगा रहा था, हालाकि बहु सिस्कारिया नहीं ले रही थी क्यों की उसकी चूत पहले से ही झड चुकी थी और दूसरा मुनीम ने जो जोश उसकी चूत पर लगाया था उसके शॉट्स अभी भी बहु की चूत को अनुभव मिल ही रहा था। मुनीम के बड़े सुपारे और लंड ने उसके चूत को जो मरामत की थी और मुनीम के सुपारे ने उसकी चूत कुछ ज्यादा ही चौड़ी कर राखी थी, उसकी वजह से विनोद का लंड आराम से चूत में सरक जाता और आहार आ जाता था। लगभग 9-10 मिनट के बाद विनोद को लगा कि वो झड जाएगा तो उसे और जोर से दबाते चोदने लगा और दोनों एक साथ ठंडे हो गए। बहू की चूत विनोद के पानी से पूरी भर गई। बहु के कुए में अब विनोद और मुनीम का वीर्य जमा कर चुकी थी और बहू संतुष्ट थी।
"विनोद, सुंदरी ठीक ही कहती थी तू, तू बहुत बड़ा चोदु है।" उसने मस्का मारते हुए कहा। हांलाकि वह अभी भी मुनीम का लंड को नहीं भूली थी और विनोद को जाने भी नहीं देना चाहती थी क्यों की अब वह चाहती थी की जब चाहे वह विनोद परम और मुनीमजी से अपनी चूत और गांड की मरामत करवा सकती थी। उसने फिर पूछा:
“सच बता, तू अपनी माँ और दीदी को भी चोदता करता है?”
"हा,रानी!" विनोद ने चुचियो को मसलते हुए कहा "मैं दोनो माँ और दीदी को पिछले एक साल से चोद रहा हूँ। वो भी सुंदरी के कारण ही!"
“कभी मेरे सामने चोदेगा उन्हें…?” बहू ने पूछा।
“तूम जब बोलो डार्लिंग।” विनोद ने उत्तर दिया “अभी तुम मेरे घर चलो तो उन दोनो को तेरे सामने चोदूंगा!” विनोद ने निपल चूसा और फिर कहा, “मैंने और परम दोनो ने एक साथ मेरी माँ और दीदी को चोदा है। मैं तो बोलता हूँ कि सुंदरी भी परम से चुदवा ले। मेरी माँ और दीदी को परम का लंड बहुत पसंद है।”
“देख विनोद मुझे कहना पड़ेगा की मेरे पति और परम का लंड काफी बड़े है और मोटे है तेरे इस लंड से पर मुझे, तेई चुदाई बहुत पसंद है…” सुंदरी रसोई से चिल्लाई।
"अब मैं जाता हूं, माँ इंतजार कर रही होगी।" विनोद ने कहा।
“चुदवाने के लिए?” बहू ने पूछा।
“साली वह तो परम से चुदवा रही होगी, मुझे कुछ ज़रूरी काम है। तेरे जैसे भोसड़ा फैला के पड़े थोड़ी रहना है!” विनोद ने कपड़े पहने, दोनों को चूमा और घर से बाहर चला गया।
“क्यो रानी! अब चूत की प्यास बुझी की नहीं?” सुंदरी ने पूछताछ की।
"सच सुंदरी, तेरे विनोद ने बहुत मजा दिया, लेकिन सच कहू तो मुनीमजी का लंड...... एक साथ 5 लंड चोदे और एक तरफ अकेला मुनीमजी........अब तो एक साथ 5-5 लंड का मजा लेना है। रानी कोई मौका निकाल!'' बहू ने जवाब दिया।
“और कुत्ते से नहीं चुदवायेगी…?” सुंदरी ने पूछा।
“पहले कुत्ते का लंड चूत में लेकर चुदवा फिर मैं भी कुत्ते से मरवाउंगी।”
दोनों हस पड़े। उनके पास कुछ खाना था। उन्होंने घड़ी देखी, उस समय 1:30 बज रहे थे और उनके पास 2:30 बजे तक का समय था। उन्होंने कपड़े पहने। सुंदरी ने भी बहू के साथ सेठजी के घर जाने का फैसला किया। वे कार का इंतजार करने लगे, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई थी। सुंदरी ने दरवाज़ा खोला। यह परम था। वह बहू को देखकर खुश हुआ। उसने उसे बाहों में ले लिया और उसके मालों से खेलने लगा,
“परम, मैं तो आई थी तेरा लंड मेरी चूत में लेने को, लेकिन आज तेरे बाप और तेरा दोस्त विनोद ने हम दोनो को चोद कर खुश कर डाला…बहुत मजा आया।।!”
बहू ने खुश होते हुए कहा। “अब छोड़ दे…घर जाना है…!”
“ओह्ह....भाभी बस एक बार चोदने दे…!”
इतना कहकर परम ने बहू को नीचे दबाया और डॉगी पोज़ दिया। बहू ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया। वो बेड के रेस्ट पर जा कर कुतिया बन गई। परम ने साड़ी और पेटीकोट को कमर तक ऊपर उठाया और पीछे से बहू की चूत में लंड घुसा कर चोदने लगा।
“परम,तुझे मजा नहीं आएगा…चूत चुदवा-चुदवा कर सूख गई है…मजा नहीं आ रहा है,बाद में चोद लेना, अब चूत में उतना पानी नहीं है की वह छूटे। अब यह माल तेरा ही तो है तुम बाप-बेटे मिलकर चोदते रहना!” बहू ने अनुरोध किया।
लेकिन परम ने चुदाई जारी रखी और कुछ धक्कों के बाद चूत गीली होनी ही थी और हो भी गई। परम पीछे से बहू की कमर पकड़ कर मजा लेकर चोदने लगा। आज विनोद के घर में परम ना तो विनोद की माँ को चोद नहीं पाया उसकी दीदी क्योंकि दोनों का 'पीरियड' का आज पहला दिन था। लेकिन दीदी ने परम के लिए एक कमसिन/पतली लड़की को ला दिया और परम को उस लड़की का 'सील' फाड़ने में गांड फट गई। बहुत मुश्किल से परम उसने कच्ची कली को चोद पाया।
पहले भी उसने सुधा की वर्जिनिटी तोड़ी थी लेकिन उस रात आराम से सुधा को चोदा था लेकिन आज उस माल को चोदने में परम थक गया। और अब उस नई लड़की की टाइट चूत याद कर परम, भाभी को दनादन चोदने लगा।
बहू जब मुनीमजी से चुदवा रही थी तो उसे मुनीम ही सबसे अच्छा लगा था लेकिन अब परम का लंड चूत में लेकर बहू को लगा की उसकी चूत बहुत टाइट हो गई है। बहू को भी मजा आने लगा। घडी में दो बजे थे और दरवाजे पर दस्तक हुई। परम फिर भी चोदता रहा और यह जानते हुआ कि ड्राइवर आ गया है चुदाई का मजा लेता रहा।
सुंदरी ने दरवाजा खोला। सुंदरी का मन किया ड्राइवर को थोड़ा लालच दिया। उसने आंचल नीचे गिरा दिया और ड्राइवर के सामने ब्लाउज का टॉप बटन खोल दिया।
“ओफ़्फ़्फ़्फ़…बहुत गर्मी है…!”
सुंदरी की दूधिया रंग की चुची का ऊपरी हिस्सा (उभार) ड्राइवर को दिखाया पड़ा। सुंदरी ने ड्राइवर से इंतजार करने को कहा। उसने धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर दिया। फिर अन्दर आये और देखा कि परम खूब जोर लगा कर चोद रहा है। उधर ड्राइवर की हालत खराब हो गई। उसने सिर्फ सुंदरी की मस्तानी चुची का थोड़ा सा ही माल देखा था लेकिन उसका लोडा थनथना गया। सीट पर बैठ कर लंड को बाहर निकला और मुठ मारने लगा। मुठ भी मार रहा था और साथ ही "सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची, सुंदरी का चूत, सुंदरी की चूची" का जाप भी कर रहा था....50-52 बार सुंदरी के चूची और चूत का जाप करते हुए लौड़े ने पिचकारी छोड़ दी....!
वो लोडा हिलाते हुए जोर से बोला: "भगवान मेरे लंड को सुंदरी के चूत में जाने दो। बदले मे चाहे मेरी गुलाबो को जिस से मन करे चुदवाओ।
भगवान ने उसकी आधी पुकार तुरंत सुन भी ली।
*******.
आज के लिए इतना ही कल फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए शुभरात्री।
।। जय भारत ।।