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कंचन के ऐसे करने से अनिल के मूह से उत्तेजना के मारे बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी और उसके लंड के छेद से प्रिकम की बूँदे निकलने लगी । कंचन ने अपने दादा के लंड से निकलते हुए प्रिकम को देखते ही अपनी जीभ को वहां ले जाकर अपने दादा के लंड से निकलता हुआ प्रिकम चाटने लगी।
"उईई आहहहह बेटी ज़ोर से चाटो अपने मुँह में लो इसे" अनिल ने मज़े के मारे बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कहा । कंचन अपनी जीभ को कड़ा करते हुए बुहत ज़ोर से अपने दादा के लंड के छेद में घुमा रही थी जिस वजह से अनिल का पूरा शरीर मज़े से कांप रहा था।
कंचन कुछ देर तक ऐसा ही करने के बाद अपना मुँह खोलते हुए अपने दादा के लंड के सुपाडे को अपने मुँह में भर लिया । अनिल के लंड का सुपाडा बुहत मोटा था जिस वजह से कंचन को उसे मुँह में लेने के लिए अपना मुँह पूरी तरह खोलना पड़ गया, कंचन ने अपने दादा के लंड का सुपाडा अपने मुँह में ले लिया था और वह अनिल के लंड के सुपाडे को अपने होंठो और जीभ से चाटते हुए ही अपने हाथ से भी उसके लंड के नीचे वाले हिस्से को सहलाने लगी।
"आहहहहह इसशहहहहह बेटी ओह्ह्ह्हह" अनिल तो मज़े के मारे जैसे जन्नत की सैर कर रहा था उसका पूरा शरीर मज़े के मारे कांप रहा था और वह बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कंचन को बालों से पकडते हुए अपने लंड पर दबा रहा था।
अनिल को लग रहा था की अब वह कभी भी झड सकता है इसीलिए वह बुहत ज़ोर से कंचन को सर से पकडकर अपने लंड पर दबा रहा था। अपना लंड अपनी पोती के मुँह में डाले हुए उसे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंड किसी गरम भट्टी में डाल दिया गया हो जिस वजह से वह अपना कण्ट्रोल खोता जा रहा था। कंचन भी अपने दादा की हरक़तों से समझ चुकी थी की अब वह झरने के बिलकुल क़रीब है इसीलिए वह भी अब अपने मुँह को बुहत तेज़ी के साथ अपने दादा के लंड पर आगे पीछे कर रही थी।
अचानक अनिल को जाने क्या हुआ उसने कंचन के बालों को अपने दोनों हाथों से पकडते हुए अपने लंड पर बुहत ज़ोर से दबा दिया और उसे बालों से पकडे हुए ही उसका मुँह बुहत तेज़ी के साथ अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगा । अनिल के इस अचानक किये हुए हमले से उसका लंड ४ इंच तक कंचन के मूह को चीरता हुआ अंदर घुस चूका था और अनिल जैसे ही अपने लंड को कंचन के मुँह में अंदर बाहर करता उसके मूह से गुं गुं की आवाज़ें निकलने लगती।
"आह्ह्ह्हह्ह ओहहहहहह बेटीई ओफ्फफ्फ्फ्फफ" अनिल के मुँह से अचानक बुहत ज़ोर की सिसकियाँ निकलने लगी और उसके लंड से वीर्य की गरम पिचकारियां निकलते हुए कंचन के मुँह में गिरने लगी ।अनिल के लंड से वीर्य की पिचकारियां इतनी तेज़ी से निकल रही थी की कुछ पिचकारी सीधे कंचन के गले से उतरकर उसके पेट में जाने लगी।
"उईई आहहहह बेटी ज़ोर से चाटो अपने मुँह में लो इसे" अनिल ने मज़े के मारे बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कहा । कंचन अपनी जीभ को कड़ा करते हुए बुहत ज़ोर से अपने दादा के लंड के छेद में घुमा रही थी जिस वजह से अनिल का पूरा शरीर मज़े से कांप रहा था।
कंचन कुछ देर तक ऐसा ही करने के बाद अपना मुँह खोलते हुए अपने दादा के लंड के सुपाडे को अपने मुँह में भर लिया । अनिल के लंड का सुपाडा बुहत मोटा था जिस वजह से कंचन को उसे मुँह में लेने के लिए अपना मुँह पूरी तरह खोलना पड़ गया, कंचन ने अपने दादा के लंड का सुपाडा अपने मुँह में ले लिया था और वह अनिल के लंड के सुपाडे को अपने होंठो और जीभ से चाटते हुए ही अपने हाथ से भी उसके लंड के नीचे वाले हिस्से को सहलाने लगी।
"आहहहहह इसशहहहहह बेटी ओह्ह्ह्हह" अनिल तो मज़े के मारे जैसे जन्नत की सैर कर रहा था उसका पूरा शरीर मज़े के मारे कांप रहा था और वह बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कंचन को बालों से पकडते हुए अपने लंड पर दबा रहा था।
अनिल को लग रहा था की अब वह कभी भी झड सकता है इसीलिए वह बुहत ज़ोर से कंचन को सर से पकडकर अपने लंड पर दबा रहा था। अपना लंड अपनी पोती के मुँह में डाले हुए उसे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंड किसी गरम भट्टी में डाल दिया गया हो जिस वजह से वह अपना कण्ट्रोल खोता जा रहा था। कंचन भी अपने दादा की हरक़तों से समझ चुकी थी की अब वह झरने के बिलकुल क़रीब है इसीलिए वह भी अब अपने मुँह को बुहत तेज़ी के साथ अपने दादा के लंड पर आगे पीछे कर रही थी।
अचानक अनिल को जाने क्या हुआ उसने कंचन के बालों को अपने दोनों हाथों से पकडते हुए अपने लंड पर बुहत ज़ोर से दबा दिया और उसे बालों से पकडे हुए ही उसका मुँह बुहत तेज़ी के साथ अपने लंड पर ऊपर नीचे करने लगा । अनिल के इस अचानक किये हुए हमले से उसका लंड ४ इंच तक कंचन के मूह को चीरता हुआ अंदर घुस चूका था और अनिल जैसे ही अपने लंड को कंचन के मुँह में अंदर बाहर करता उसके मूह से गुं गुं की आवाज़ें निकलने लगती।
"आह्ह्ह्हह्ह ओहहहहहह बेटीई ओफ्फफ्फ्फ्फफ" अनिल के मुँह से अचानक बुहत ज़ोर की सिसकियाँ निकलने लगी और उसके लंड से वीर्य की गरम पिचकारियां निकलते हुए कंचन के मुँह में गिरने लगी ।अनिल के लंड से वीर्य की पिचकारियां इतनी तेज़ी से निकल रही थी की कुछ पिचकारी सीधे कंचन के गले से उतरकर उसके पेट में जाने लगी।