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Incest परिवार (दि फैमिली) (Completed)

Rakesh1999

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विजय अपनी बहन की चूत से निकलता हुआ पानी बुहत तेज़ी के साथ अपनी जीभ से चाटने लगा उसे अपनी बहन का ताज़ा कुँवारा पानी बुहत स्वादिष्ट लग रहा था । कुछ देर तक झडने के बाद कोमल शांत हो गई और उसने अपने हाथों को भी अपने भाई के बालों से हटा लिया।
"आहह्ह्ह्ह्ह् कोमल क्या स्वादिष्ट पानी है तुम्हारी चूत का। तुमको कैसा लगा?" विजय अपनी बहन के पूरी तरह झडने के बाद अपना मूह थोड़ा ऊपर करके अपनी बहन को देखते हुए बोला, विजय का पूरा मूह उसकी बहन के पानी से भीगा हुआ था और वह अपनी जीभ से अपने होंठो को चाट रहा था।
"भइया आप भी ना" कोमल ने शर्म से सिर्फ इतना कहा और अपनी आँखों को दूसरी तरफ मोड़ दिया।

विजय ने बेड की चादर से अपना मूह साफ़ किया और एक तकिया उठाकर अपनी बहन की गांड के नीचे रख दिया । विजय ने तकिया रखने के बाद उसकी टांगों को घुटनों तक मोड़ दिया। विजय के ऐसा करने से कोमल की चूत ऊपर की तरफ उठ गयी, विजय ने अपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे अपनी बहन की गीली चूत पर घीसने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया क्या कर रहे हो मुझे डर लग रहा है?" कोमल जो इतनी देर से खामोश सब कुछ देख रही थी वह ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"पगली डर किस बात का तुम्हें अपने भाई पर भरोसा नहीं?" विजय ने अपने लंड को वैसे ही अपनी छोटी बहन की चूत पर ऊपर से नीचे तक घिसते हुए कहा।

"आहहह भैया आप पर भरोसा तो है" कोमल ने मज़े से अपनी गांड को उछालते हुए कहा।
"तो फिर मज़े लो बस थोड़ा सा दर्द होगा जिसे तुम्हें सहना होगा" विजय ने अपने पूरे लंड को पूरी तरह से अपनी बहन की चूत के रस से गीला करने के बाद उसकी चूत के छेद पर टिकाते हुए कहा।
"हाहहह मैं तैयार हूँ भाई बस अब बर्दाशत नहीं होता" कोमल ने फिर से अपनी गांड को उछालते हुए कहा।
"ठीक है कोमल मैं घुसा रहा हूँ तुम बर्दाशत कर लेना" विजय ने अपनी बहन को देखते हुए कहा और अपने लंड को ज़ोर का धक्का मार दिया।
"उईईए माँ मर गईई ओहहहहहह भैया निकालो" विजय के एक ही धक्के में उसका मोटा लंड कोमल की चूत के परदे को फारता हुआ 3 इंच अंदर घुस गया जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की चीख़ें निकलने लगीं और वह अपना भैया से छूटने की कोशिश करने लगी।
 

Rakesh1999

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विजय ने अपनी बहन को ज़ोर से पकड रखा था जिस वजह से वह अपने आप को छुड़ा न सकी । विजय अपने लंड को उतना ही अपनी बहन की चूत में डाले हुए उसके ऊपर झुक गया और वह अपनी बहन की चुचियों को सहलाते हुए उन्हें अपने मूह में लेकर चूसने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया" कुछ ही देर में कोमल की चूत का दर्द कम होने लगा और वह मज़े से फिर से अपने चूतडों को उछालने लगी।
"आह छोटी अब दर्द तो नहीं हो रहा है ना" विजय ने कोमल को देखते हुए कहा।
"हाहहह भैया अब दर्द कम है" कोमल ने अपने भाई को जवाब देते हुए कहा । विजय अपनी बहन की बात सुनकर सीधा हो गया और कोमल को टांगों से पकडकर अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।

विजय अपने लंड को ज्यादा अंदर ड़ालने की कोशिश न करते हुए उसे ऐसे ही अंदर बाहर कर रहा था।
"आजहहहह भैया ओहहः" कोमल के मूह से मज़े के मारे बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकल रही थी।उसे अब इतना ज्यादा मजा आ रहा था की वह अपने चूतडों को बुहत ज़ोर से अपने भाई के लंड पर दबा रही थी । विजय अपनी बहन को इतना गरम देखकर अपने लंड को थोडा दबाव देते हुए उसकी चूत में ज़ोर के धक्के मारने लगा।
"उईई ओह्ह्ह्हह्ह भैया" विजय के धक्कों की तरफ्तार तेज़ होने से कोमल को अपनी चूत में दर्द होने लगा
। मगर उसे अब दर्द के साथ मजा भी आ रहा था जिस वजह से वह ज़ोर से चिल्लाते हुए अपने भाई से चुदवा रही थी।

विजय का लंड उसकी बहन की कुँवारी चूत में 5 इंच तक घुस चूका था और विजय अब बुहत तेज़ी के साथ अपनी छोटी बहन को चोद रहा था।
"आय आहहह भैया तेज़ ओह्ह्ह्हह्ह्" कोमल का बदन अचानक अकडने लगा और वह ज़ोर से चीखते हुए अपने चूतडों को उछालने लगी । विजय समझ गया की उसकी बहन दूसरी बार झडने वाली है इसीलिए वह अपनी बहन की चूत में बुहत ज़ोर से धक्के मारने लगा ताकी उसका लंड ज्यादा से ज़्यादा उसकी बहन की चूत में घुस सके।
"ओहहहहहहह आहहह भैया उफ्फफ्फ्फ्फफ्फ्फ्" कोमल ने अचानक अपने नाखुनों को अपने भाई की गांड पर गडा दिया और वह बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए दूसरी बार झडने लगी । विजय भी अपनी बहन को झडता हुआ देखकर अपने लंड को पूरा बाहर निकालकर उसकी चूत में ज़ोर के धक्के मारते हुए घुसाने लगा जिस वजह से उसका पूरा लंड कुछ ही देर में कोमल की चूत में गायब हो गया।
 

Rakesh1999

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कोमल के उस वक्त झडने की वजह से उसे वह तकलीफ भी मजा दे रही थी । विजय अब अपने पूरे लंड को बुहत तेज़ी के साथ कोमल की चूत में अंदर बाहर कर रहा था, कोमल भी कुछ देर झडने के बाद शांत हो गई मगर विजय के झडने में अभी बुहत टाइम था इसीलिए वह कोमल को उसी रफ़्तार में चोद रहा था,
"हाहहह भैया दर्द हो रहा है" कोमल को अब अपनी चूत में दर्द महसूस हो रहा था क्योंकी वह उसकी पहली चुदाई थी। झडते वक्त जोश की वजह से उसे पता ही नहीं लगा की उसके भाई ने उसकी चूत फाड़कर अपना पूरा मुसल घुसा दिया है।
"कोमल जीतनी तकलीफ होनी थी हो चुकी है। अब तुम्हें सिर्फ मजा ही आएगा कुछ देर सबर करो मेरा पूरा लंड तुम्हारी चूत में पूरा घुस चूका है" विजय ने अपनी बहन के ऊपर झुककर उसकी चुचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए कहा और अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर करते हुए अपने होठो को कोमल के होंठो पर रख दिया।

कोमल को भी अपने भाई पर यकीन नहीं हो रहा था की उसको छोटी सी चूत में इतना बड़ा मुसल कैसे घुसा इसीलिए वह अपने हाथ को नीचे ले जाकर अपने भाई के लंड को टटोलने लगी । विजय ने अपना पूरा लंड कोमल की चूत में घुसा रखा था इसीलिए उसका हाथ सीधा अपने भाई की गोटियों पर आकर लगा।
"अब हुआ यकीन मेरी प्यारी बहन" विजय ने अपनी बहन के होंठो से अपने होंठो को जुदा करते हुए कहा और उसकी चूत में ज़ोर के धक्के मारने लगा।

"आहहह भैया सच में आपका पूरा लंड मेरी चूत में घुस चूका है" कोमल अपने भाई की बात सुनकर गरम होकर अपने चूतडों को उछालते हुए बोली। विजय भी अपनी बहन को बुहत ज़ोर से चोदने लगा वह अपनी बहन की टाइट चूत में अपने लंड को पूरा निकालकर फिर से घुसा रहा था और कोमल भी बुहत ज़ोर से सिसकते हुए अपने भाई से चुदवा रही थी।
"आह्ह्ह्ह भैया ज़ोर से आह" कुछ देर की ज़ोरदार चुदाई के बाद कोमल ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा और उसका जिस्म फिर से अकडने लगा था।
"आहहह कोमल बाद मैं भी झडने वाला हू" विजय ने भी अपनी बहन को ज़ोर से पेलते हुए कहा।

"ओहहहहहह आहहहह भैया ओफ्फफ्फ्फ्फ" कोमल का पूरा जिस्म झटके खाने लगा और वह अपनी आँखें बंद करते हुए झडने लगी।
"आह्ह्ह्ह हहहह छोटी ओह्ह्ह्हह्ह्" विजय भी अपनी बहन के झडने की वजह से उसकी चूत के सिकुड़ने से अपने आप को रोक न सका और बुहत ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी छोटी बहन की चूत में अपना वीर्य भरने लगा।
"उईई " अपने भाई के वीर्य को अपनी चूत में गिरने से कोमल ने सिसकते हुए अपने भाई को बुहत ज़ोर से अपनी बाहों में भर लिया । विजय भी पूरी तरह झड़ने के बाद अपना लंड अपनी बहन की चूत में डाले हुए ही उससे चिपक कर लेट गया।
 

Rakesh1999

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अपडेट 114





विजय कुछ देर तक यों ही अपनी छोटी बहन के ऊपर पडा रहा और फिर उसके ऊपर से उठते हुए साइड में लेट गया । विजय का लंड सिकुड़ चूका था और उसके लंड पर उसका वीर्य और उसकी बहन की चूत से निकला हुआ खून लगा हुआ था, कोमल की आँखें बंद थी और वह बुहत ज़ोर से हाँफते हुए अपनी साँसों को ठीक कर रही थी।

कुछ देर बाद कोमल ने अपनी आँखें खोली और उठकर बैठ गयी। वह अपनी फटी हुई चूत और खून को देखकर घबरा गयी उसकी चूत का छेद बुरी तरह से खुला हुआ था जिसमें से अभी तक उसके भाई का वीर्य और उसकी चूत के सील फ़टने से खून निकल रहा था।
"भइया आपने मेरी चूत को फाड़ दिया है" कोमल ने अपने नाज़ुक हाथों से अपनी चूत को चूत हुए अपने भाई से कहा।
"अरे पगली यह फटी नहीं है पहली बार में हर औरत की चूत से खून निकलता है अब फिर कभी नहीं निकलेगा" विजय ने अपनी बहन को घबराता हुआ देखकर उसे तसल्ली देते हुए कहा।

"पर भैया मुझे बुहत दर्द हो रहा है और मैं उठ भी नहीं पा रही हू" कोमल ने जैसे ही बेड से उठने की कोशिश की उसे अपनी जांघों के बीच बुहत ज़ोर का दर्द महसूस हुआ जिस वजह से वह वहीँ पर बैठे ही अपने भाई से कहने लगी।
कोमल तुम्हारी चूत बिलकुल कुँवारी थी इसीलिए पहली चुदाई से दर्द तो होगा पर जैसे ही मैं तुमको अगली बार चोदूँगा तो दर्द फिर कम हो जायेगा" विजय ने अपनी बहन को देखते हुए कहा।
"भइया इधर मेरी जान जा रही है और आप दूसरी बार करने को कह रहे है" कोमल ने अपना मुँह बनाते हुए कहा।
"अरे कोमल तुम तो नाराज़ हो गई अच्छा ठीक है जैसे तुम कहोगी मैं वेसे ही करूंगा" विजय ने अपनी बहन के क़रीब जाकर उसे मनाते हुए कहा।
"भइया अभी मुझे बाथरूम जाना है" कोमल ने अपने भाई को देखते हुए कहा।

"बस इतनी सी बात के लिए आप परेशान हो रही है" विजय ने बेड से उठते हुए कहा। इससे पहले की कोमल कुछ समझती विजय ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया ।और बाथरूम में ले जाकर नीचे फर्श पर बिठा दिया।
"और कोई हुक्म मेरे आका" विजय ने किसी गुलाम की तरह अपनी बहन के सामने अपना सर झुकाये हुए कहा।
"भइया आप यहाँ से जाओ" कोमल ने शरमाते हुए अपने भाई से कहा।
"मैं जाऊँ पर क्यों फिर तुमको यहाँ से कौन ले जाएगा" विजय ने शरारत से मुस्कराते हुए कहा।
"भइया मुझे पेशाब करनी है जाओ न प्लीज" कोमल ने अपने भाई को मिन्नत करते हुए कहा।
 

Rakesh1999

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"पेशाब करनी है तो करो मैं आपको क्या कर रहा हूँ वैसे भी मैं तुमको पूरा नंगा देख चूका हू" विजय ने मुस्कराते हुए कहा।
"भइया आप नहीं मानोगे अच्छा अपना मूह दूसरी तरफ कर लो प्लीज मुझे बुहत शर्म आ रही है" कोमल ने अपने भाई को समझाते हुए कहा।
"ठीक है यार जैसे तुम्हारी मर्जी" विजय ने यह कहते हुए अपना मूह दूसरी तरफ कर लिया । विजय का मूह दूसरी तरफ होते ही कोमल ने पेशाब करना शुरू कर दिया सीईई की आवाज़ के साथ उसकी चूत से पेशाब की धार निकलने लगी।
"कोमल क्या हुआ यह इतनी तेज़ आवाज़ कहाँ से आ रही है" विजय ने जानबूझकर अपनी बहन के पेशाब की आवाज़ सुनकर उसे छेडते हुए कहा।
"कुछ नहीं है आप अपना मुँह उसी तरफ रखो" कोमल ने अपने भाई को जवाब दिया।

"कोमल मुझे चिंता हो रही है यह आवाज़ कहाँ से आ रही है" विजय ने फिर से कहा और अपना मुँह कोमल की तरफ कर दिया।
"भइया" कोमल ने शर्म से अपनी नज़रों को झुकाये हुए इतना ही कहा उसकी चूत से अब भी पेशाब की तेज़ धार निकल रही थी।
"ओहहहह तो यह मधुर आवाज़ तुम्हारी चूत से पेशाब की वजह से आ रही है कितनी प्यारी आवाज़ है" विजय ने गौर से अपनी छोटी बहन को पेशाब करता हुआ देखकर कहा।
"भइया आप बड़े बेशरम हो" कोमल ने पेशाब करने के बाद अपनी चूत को पानी से साफ़ करते हुए कहा।
"वो तो मैं हूँ ज्यादा तकलीफ हो तो मैं साफ़ कर दूँ" विजय ने आगे बढ़्ते हुए कहा इससे पहले की कोमल कुछ कहती उसने शावर को ऑन कर दिया और अपनी बहन को बाज़ू से पकडते हुए सीधा खड़ा कर दिया।

"भइया आप भी" कोमल सीधे होते ही गुस्से से विजय को देखते हुए कहा। शावर के पानी से वह पूरी गीली हो चुकी थी । विजय ने अपनी बहन की चूत को अपने हाथों से साफ़ कर दिया और शावर को बंद करते हुए उसे फिर से अपनी बाहों में उठाकर बाथरूम से निकलकर बेड पर लिटा दिया, विजय ने एक टॉवल उठाया और उससे अपने जिस्म को पोंछने के बाद अपनी बहन के जिस्म को भी साफ़ करने लगा। अपनी बहन के कमसीन जिस्म को साफ़ करते हुए विजय का लंड फिर से उठकर झटके खाने लगा।

विजय अपनी बहन के जिस्म को साफ़ करने के बाद उसे अपनी बाहों में लेते हुए चूमने लगा। कुछ ही देर में कोमल का जिस्म भी फिर से गरम होने लगा और वह भी अपना भाई का साथ देने लगी । विजय ने इस बार 30 मिनट तक अपनी बहन को चोदने के बाद अपना वीर्य उसकी छूट में भरने लगा। इस बीच कोमल 3 बार झडी, अब विजय और कोमल दोनों बुरी तरह से थक चुके थे और वह दोनों एक दुसरे से अलग होकर ज़ोर से अपनी साँसों को ठीक कर रहे थे।
 

Rakesh1999

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विजय कुछ देर तक अपनी साँसों को ठीक करने के बाद बेड से उठते हुए बाथरूम में चला गया और बाथरूम से निकलकर अलमारी से एक गोली निकालकर अपनी बहन को दे दिया।
"ये गोली किसलिए है?" कोमल ने अपने भाई को हैंरत से देखते हुए कहा।
"इससे तुम्हारा दर्द ख़तम हो जायेगा और तुम्हें सुकून की नींद आ जाएगी" विजय ने गोली को अपनी बहन के हाथ में देते हुए कहा । कोमल ने जल्दी से वह गोली खाली और उठकर बाथरूम में जाने की कोशिश करने लगी, इस बार कोमल को दर्द ज़रूर हुआ मगर उतना नहीं जितना पहले हुआ था।

कोमल उठकर धीरे धीरे चलते हुए बाथरूम में चलि गयी और कुछ देर बाद वह वापस आकर अपने कपड़ों को पहनने लगी । कोमल कपडे पहनने के बाद वहां से जाने ही वाली थी की विजय ने उसे पकड लिया और उसे अपने बाहों में भरते हुए चूमने लगा।
"अरे छोडो न भाई अभी पेट नहीं भरा क्या तुम्हारा" कोमल ने गुस्से से अपने भाई को अपने आप से दूर करते हुए कहा।
"नही भरा है तुम यहीं सो जाओ ना" विजय ने मुस्कराते हुए कहा।
"ना बाबा न तुम सारी रात में तो जाने कितनी बार" कोमल ने सिर्फ इतना कहा और शरमाकर अपना सर नीचे कर दिया।
"क्या छोटी मैं सारी रात तुम्हारी सेवा ही तो करूंगा" विजय ने फिर से अपनी बहन को घूरते हुए कहा।
"नही आजके लिए काफी है अभी मैं जा रही हुँ" कोमल ने अपने भाई की बात सुनकर शरमाते हुए कहा और वहां से जाने लगी।

"कोमल एक दो किस तो देती जाओ न अपनी तरफ से" विजय ने अपनी बहन को कलाई से पकडते हुए अपनी तरफ खींचते हुए कहा।
"भइया आप भी" कोमल ने अपने भाई को देखते हुए कहा और एक किस उसके लबों पर दे दी । विजय अपनी बहन के लबों को अपने होंठो पर महसूस करते ही उसे ज़ोर से अपनी बाहों में भर लिया और बुहत ज़ोर से उसके होंठो को चूसने लगा। वह तब तक अपनी बहन के होंठो को चूसते रहा जब तक उसकी साँसें नहीं फूली, विजय ने जैसे ही अपनी बहन को छोडा वह उससे दूर होकर बुहत ज़ोर से हाँफने लगी।

विजय भी कुछ देर तक अपनी साँसों को ठीक करता रहा।
"भइया आप भी भला ऐसे भी कोई करता है अगर मेरी साँसें बंद हो जाती तो" कोमल ने अपनी साँसों को ठीक करने के बाद अपने भाई को गुस्से से देखते हुए कहा।
"ऐसे कैसे साँसें बंद हो जाती मैं अपनी साँसें तुम्हारे जिस्म में डाल देता" विजय ने हँसते हुए कहा । कोमल अपने भाई की बात सुनकर अपने आपको मुस्कुराने से रोक नहीं पायी और वहां से निकलकर अपने कमरे में आ गयी।
 

Rakesh1999

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कंचन भी अपने कमरे में बिलकुल नंगी होकर अपनी ऊँगली से एक बार झडकर गहरी नींद में चलि गयी थी ।कोमल भी अपने कमरे में आकर सो गयी उसे भी कुछ देर में ही नींद आ गयी । रेखा की जैसे ही आँख खुली उसने टाइम देखा सुबह के 9 हो गये थे । आज संडे था इसीलिए उसने कोई अलारम सेट नहीं किया था वह उठकर नहाने चलि गई। फ्रेश होने के बाद वह कपडे पहनकर सबके लिए नाश्ते का बंदोबस्त करने चलि गई।

रेखा ने अपने पति को उठा दिया ताकी वह फ्रेश हो जायें और किचन में जाने से पहले वह अपनी बेटी कंचन के कमरे में जाने लगी । रेखा ने जैसे ही दरवाज़े तक पुहंचकर दरवाज़े को धक्का दिया वह नहीं खुला क्योंकी वह अंदर से बंद था। रेखा बड़ी हैंरानी से दरवाज़े को खटकाने लगी, कंचन दरवाज़े के खटकाने से चौकते हुए उठ गयी । वह अपने आप को नंगा देखकर जल्दी से नाइटी को ढूँढ़ते हुए पहन लिया और दरवाज़े के पास जाकर दरवाज़ा खोल दिया।

"क्या बात है आज दरवाज़ा क्यों बंद किया था कौन है अंदर" रेखा ने शक की नज़रों से कंचन को घूरते हुए कहा और अंदर दाखिल हो गयी।
"कोइ नहीं है माँ वह मैंने गलती से दरवाज़ा बंद कर दिया था" कंचन ने एक अँगड़ाई लेते हुए कहा।
"ठीक है फ्रेश होकर किचन में आ जाओ।मैं नाश्ता बना रही हूँ और हाँ अपने भाई बहन और दादा को उठा देना" रेखा ने कंचन से कहा और वहां से बाहर चली गयी । कंचन ने फ्रेश होने के बाद कपडे पहने और अपने भाई को उठाने के बाद अपनी बहन के कमरे में चलि गई।
"छोटी उठो फ्रेश हो जाओ सुबह हो गई है" कंचना ने कोमल के बेड पर जाकर उसे झंझोरते हुए कहा।
"हम्म्म्म दीदी आज संडे है सोने दो ना" कोमल ने अपना मुँह दूसरी तरफ करते हुए कहा।

"अरे ९ बज गए हैं उठो अभी नाश्ता करने के बाद सो जाना" कंचन ने फिर से कोमल को उठाते हुए कहा।
"ओहहहह दीदी आप भी" कोमल यह कहते हुए एक अंगडाई लेते हुए उठकर बैठ गयी।


"छोटी क्या हुआ रात को भाई ने ज्यादा तो तंग नहीं किया न?" कंचन ने कोमल की आँखें खुलते ही उसके गाल की एक चिकोटी लेते हुए कहा।
"दीदी" कोमल ने शर्म से अपनी नज़रों को नीचे करते हुए कहा।
"छोटी मजा आया की नहीं?" कंचन ने कोमल से दूसरा सवाल किया।
"दीदी जाओ न मुझे शर्म आ रही है" कोमल ने फिर से शरमाते हुए कहा।
"अरे अब शर्माने से क्या होगा। तुम तो अब एक औरत बन चुकी हो बताओ ना" कंचन ने अपनी छोटी बहन के सर को पकड़कर ऊपर करते हुए कहा।
"दीदी बुहत मजा आया" कोमल ने सिर्फ इतना कहा और शरमाते हुए अपनी नज़रों को फिर से झुका दिया।
"ओहहहह मेरी छोटी रानी" कंचन ने खुश होते हुए अपनी बहन के माथे को चूमते हुए कहा और वहां से निकलकर अपने दादा के कमरे में जाने लगी।
 

Rakesh1999

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कंचन को अपने दादा के कमरे में जाते हुए एक अन्जान सी एक्साईटमेंट हो रही थी । वह मन ही मन में सोच रही थी की क्या इस वक्त उसके दादा सिर्फ धोती में होंगे। क्या उसे फिर से अपने दादा के गठीले बदन और उसके तगडे लंड का दीदार हो सकेगा। यही सोचते सोचते उसकी चूत से उतेजना के मारे पानी टपकने लगा । कंचन अब अपने दादा के कमरे तक पुहंच गयी थी । आज कंचन ने संडे होने के कारण साड़ी नहीं पहनी थी वह सलवार कमीज में थी। जिसके नीचे भी उसने कुछ नहीं पहना था और वह बिलकुल पुरानी और ढीली थी, कंचन ने अपने धडकते हुए दिल के साथ दरवाज़े को खोला और खुद अंदर कमरे में दाखिल हो गई।

कंचन जैसे ही कमरे में दाखिल हुई उसकी साँसें तेज़ चलने लगी। उसने देखा की उसके दादा बेड पर लेटे हुए थे। वह आज भी सिर्फ धोती में ही था और वह गहरी नींद में था क्योंकी अनिल के मुँह से खराटों की आवाज़ निकल रही थी । कंचन आगे चलते हुए अपने दादा के बेड के पास पुहंच गयी और बड़े गौर से अपने दादा को ऊपर से नीचे तक घूरने लगी, आज अनिल की धोती आगे से खुली हुयी नहीं थी मगर फिर भी सीधा लेटे होने के कारण उसका खड़ा लंड अनिल की धोती में एक बडा तम्बू बनाये हुए था।

कंचन ने अपने दादा को उठाने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया लेकिन अगले ही पल उसे जाने क्या सूझा उसने अपना हाथ वहां से हटा दिया और अपने दादा के बेड पर उसकी टांगों के पास बैठ गई । कंचन का मन एक बार अपने दादा के तगडे लंड को देखने का हो रहा था। उसका दिमाग कह रहा था की छोड़ो यह सब और अपने दादा को उठाओ मगर उसका दिल कुछ और कह रहा था और अखिरकार कंचन ने अपने दिल की बात ही मानते हुए अपना हाथ आगे करते हुए अपने दादा की धोती को उसके लंड से हटा दिया।धोती के हटते ही अनिल का मोटा और लम्बा लंड बुहत ज़ोर से उछलता हुआ सीधा खड़ा हो गया।

कंचन बड़े गौर से अपने दादा के लंड को देखने लगी। अपने दादा के लंड को देखते हुए उसकी साँसें बुहत ज़ोर से चल रही थी। वह मन ही मन में सोच रही थी की उसके दादा का लंड इस उम्र में भी कितना टाइट होकर खड़ा होता है जब यह टाइट लंड उसकी चूत में जाएगा तो उसे कितना मजा आएगा। कंचन के इतना सोचने से ही उसकी चूत गरम होकर पानी बहाने लगी और वह अपनी सोच पर खुद ही हंसने लगी की वह अपने दादा की इतनी दीवानी कैसे हो गई है जो उसके लंड को अपनी चूत में लेने की सोच रही है। कंचन के दिमाग में एक आईडिया आया और वह हँसते हुए उठकर अपने दादा के मुँह के पास खड़ी हो गयी।
 

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"दादा जी उठिये सुबह हो गई है" कंचन पूरी तरह झुकते हुए अपने दादा को उठाने लगी वह इस तरह झुकी हुयी थी की उसकी आधि से ज्यादा चुचियां उसके गले से बाहर निकलकर उसके दादा की आँखों के सामने आ गयी थी।
"दादा जी उठिये" कंचन ने एक बार फिर से अपने दादा को झंझोरते हुए कहा।
"कोंन है" अचानक अनिल ने अपनी आँखों को मलते हुए कहा । अनिल ने जैसे ही अपनी आँखें खोली उसका मुँह फटा का फटा रह गया क्योंकी उसकी आँखों के सामने आधी नंगी गोरी गोरी चुचियां थी जो बिलकुल गोल और भरी हुयी थी । अनिल की आँखें वहीँ के वहीँ ठहर गयी और वह सब कुछ भूलकर चुचियों को घूरने लगा।
"दादा जी आप फ्रेश होकर बाहर आ जाओ। नाश्ता तैयार है मैं आपके दूध का बंदोबस्त नाश्ता के बाद कर दूंगी" कंचन ने हँसते हुए अपने दादा से कहा।

"हम्म्म्म बेटी तुम" अनिल ने होश में आते हुए कहा।
"क्यों दादा जी आपको तो ताज़ा दूध पसंद है ना" कंचन अभी तक वैसे ही झुकी हुई थी।
"हाँ बेटी अगर दूध बिलकुल ताज़ा हो तो पीने का सही मजा आता है" अनिल ने भी फिर से अपनी पोती की आधी नंगी चुचियों को घूरते हुए कहा।
"दादा जी आज मैं आपको ताज़ा दूध पिलाकर रहूँगी आप बस नाश्ता कर लेना" कंचन ने इस बार सीधे होते हुए अपनी चुचियों को थोडा और आगे करते हुए अपने दादा के मुँह के बिलकुल पास से ऊपर करते हुए कहा और सीधी होकर मुस्कराते हुए बाहर चलि गयी।

कंचन के जाते ही अनिल बाथरूम में घुसकर फ्रेश होने लगा। अपनी पोती की आधी नंगी चुचियों को देखकर उसकी हालत बुहत ख़राब हो चुकी थी। इसीलिए वह अपने लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा क्योंकी वह जानता था की जब तक वह अपने लंड को शांत नहीं करेगा वह ऐसे ही बार बार उसे तंग करता रहेगा। कुछ ही देर की मेंहनत के बाद अनिल के लंड से वीर्य की बूँदे निकलने लगी और वह फ्रेश होकर बाहर आ गया, कंचन भी बाहर निकलकर किचन में अपनी माँ के पास पुहंच गयी और उसके साथ नाशते को टेबल पर लगाने लगी।

सभी लोग नाशते की टेबल पर आ चुके थे और सभी साथ में नाश्ता करने लगे।
"बेटी मैं तुम्हारे पिता के साथ बाहर जा रही हूँ कुछ काम है और कुछ सामान भी खरीद करना है जब तक मैं आऊँ घर का ख़याल रखना" रेखा ने नाश्ता ख़तम करने के बाद अपनी बेटी से कहा।
"ठीक है माँ आप जाओ मैं बर्तन किचन में रख लूँगी" कंचन ने अपनी माँ से कहा।
"ठीक है बेटी मैं जाती हू" रेखा इतना कहकर अपने पति के साथ घर से बाहर निकल गयी । रेखा के जाते ही विजय और कोमल उठते हुए अपने कमरों में सोने के लिए चले गए क्योंकी वह बुहत थके हुए थे, अब वहां पर सिर्फ कंचन और उसके दादा थे। कंचन धीरे धीरे बर्तनों को वहां से उठाकर किचन में रखने लगी।
 

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कंचन ने सारे बर्तनों को किचन में रख दिया और खुद बाहर आकर अपने दादा के साथ बैठकर बाते करने लगी।
"ओहहहह बेटी तुम तो बुहत थक चुकी हो देखो कितना पसीना आ रहा है" कंचन के बैठते ही अनिल ने अपनी पोती को गौर से देखते हुए कहा। जिसकी पूरी कमीज पसीने से भीग चुकी थी। जिस वजह से उसकी चुचियाँ बिलकुल नंगी होकर अनिल को दिख रही थी।
"दादा जी आज बुहत ज्यादा गर्मी है" कंचन ने भी अपने आप को देखा तो उसके रोंगटे खड़े हो गये । वह उस वक्त जिस हालत में अनिल के सामने बैठी थी ऐसा लग रहा था जैसे उसने कमीज पहनी ही नहीं है मगर वह खुद भी अपने दादा को अपने ख़ूबसूरत जिस्म का जलवा दिखाना चाहती थी इसीलिए कंचन ने वहीँ पर बैठे हुए अपने दादा से कहा।

"बेटी कमरे में चलकर बाते करते हैं यहाँ पर तो बुहत ज्यादा गर्मी है" अनिल ने अपनी पोती की गोल चुचियों के तने हुए गुलाबी निप्पल्स को देखते हुए कहा जो पसीने से भीगी हुयी उसकी समीज से चिपककर साफ़ दिखाई दे रही थी।
"हाँ सही कहा दादा जी" कंचन ने कुर्सी से उठते हुए कहा । अनिल भी अपनी पोती के पीछे पीछे कमरे में जाने लगा उसका लंड अपनी पोती की चुचियों को देखकर फिर से तन चूका था, कंचन कमरे में दाखिल होकर बेड पर जा बैठी। अनिल भी अंदर दाखिल होते हुए सोफ़े की तरफ जाने लगा।
"अरे कहाँ जा रहे हैं दादा जी यहीं बैठो न साथ में" कंचन ने अपने दादा के हाथ को पकडते हुए कहा।

ऐसे नहीं था की अनिल वहां बैठना नहीं चाहता था वह सिर्फ वहां पर बैठने से लिए इसीलिए कतरा रहा था की कहीं उसका तम्बू कंचन को न दिख जाए। लेकिन अब वह कर भी क्या सकता था इसीलिए वह अपनी पोती के साथ ही वहीँ बैठ गया।
"बेटी तुम तो बुहत थक चुकी हो अब मेरे ताज़े दूध का क्या होगा" अनिल ने कुछ देर की ख़ामोशी के बाद अपनी पोती की चुचियों को देखते हुए कहा । अंदर आने के बाद कंचन की कमीज हवा की वजह से सुख चुकी थी जिस वजह से अब उसकी चुचियां साफ़ नहीं दिख रही थी।
"अरे दादा मेरे होते हुए आपको ताज़े दूध की चिंता करने की कोई ज़रुरत नही" कंचन ने थोडा नीचे झुककर अपने हाथ से अपने एक पाँव को खुजाते हुए कहा।

"बेटी तुम बुहत ही अच्छी हो मुझे तो अभी से ताज़े दूध की महक आने लगी है" अनिल ने कंचन के झुकने से उसकी चुचियों को घूरते हुए कहा।
"दादा जी आप को तो ताज़ा दूध मिल जाएगा मगर मेरी आइसक्रीम का क्या होगा?" कंचन ने इस बार अपने दादा की गोद की तरफ देखते हुए कहा।
"ओहहहह बेटी मेरा वादा है ताज़ा दूध पीते ही मैं तुम्हें आईस्क्रीम खिलाऊँगा" अनिल ने वैसे ही कंचन की चुचियों को घूरते हुए कहा।
"दादा जी क्या मैं आपका बाथरूम यूज कर सकती हूँ बुहत गर्मी हो रही है ज़रा फ्रेश हो जाऊँ। फिर आपको ताज़ा ढूध बनाकर देती हूँ" कंचन ने सीधे होते हुए कहा।
 
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