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विजय अपनी बहन की चूत से निकलता हुआ पानी बुहत तेज़ी के साथ अपनी जीभ से चाटने लगा उसे अपनी बहन का ताज़ा कुँवारा पानी बुहत स्वादिष्ट लग रहा था । कुछ देर तक झडने के बाद कोमल शांत हो गई और उसने अपने हाथों को भी अपने भाई के बालों से हटा लिया।
"आहह्ह्ह्ह्ह् कोमल क्या स्वादिष्ट पानी है तुम्हारी चूत का। तुमको कैसा लगा?" विजय अपनी बहन के पूरी तरह झडने के बाद अपना मूह थोड़ा ऊपर करके अपनी बहन को देखते हुए बोला, विजय का पूरा मूह उसकी बहन के पानी से भीगा हुआ था और वह अपनी जीभ से अपने होंठो को चाट रहा था।
"भइया आप भी ना" कोमल ने शर्म से सिर्फ इतना कहा और अपनी आँखों को दूसरी तरफ मोड़ दिया।
विजय ने बेड की चादर से अपना मूह साफ़ किया और एक तकिया उठाकर अपनी बहन की गांड के नीचे रख दिया । विजय ने तकिया रखने के बाद उसकी टांगों को घुटनों तक मोड़ दिया। विजय के ऐसा करने से कोमल की चूत ऊपर की तरफ उठ गयी, विजय ने अपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे अपनी बहन की गीली चूत पर घीसने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया क्या कर रहे हो मुझे डर लग रहा है?" कोमल जो इतनी देर से खामोश सब कुछ देख रही थी वह ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"पगली डर किस बात का तुम्हें अपने भाई पर भरोसा नहीं?" विजय ने अपने लंड को वैसे ही अपनी छोटी बहन की चूत पर ऊपर से नीचे तक घिसते हुए कहा।
"आहहह भैया आप पर भरोसा तो है" कोमल ने मज़े से अपनी गांड को उछालते हुए कहा।
"तो फिर मज़े लो बस थोड़ा सा दर्द होगा जिसे तुम्हें सहना होगा" विजय ने अपने पूरे लंड को पूरी तरह से अपनी बहन की चूत के रस से गीला करने के बाद उसकी चूत के छेद पर टिकाते हुए कहा।
"हाहहह मैं तैयार हूँ भाई बस अब बर्दाशत नहीं होता" कोमल ने फिर से अपनी गांड को उछालते हुए कहा।
"ठीक है कोमल मैं घुसा रहा हूँ तुम बर्दाशत कर लेना" विजय ने अपनी बहन को देखते हुए कहा और अपने लंड को ज़ोर का धक्का मार दिया।
"उईईए माँ मर गईई ओहहहहहह भैया निकालो" विजय के एक ही धक्के में उसका मोटा लंड कोमल की चूत के परदे को फारता हुआ 3 इंच अंदर घुस गया जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की चीख़ें निकलने लगीं और वह अपना भैया से छूटने की कोशिश करने लगी।
"आहह्ह्ह्ह्ह् कोमल क्या स्वादिष्ट पानी है तुम्हारी चूत का। तुमको कैसा लगा?" विजय अपनी बहन के पूरी तरह झडने के बाद अपना मूह थोड़ा ऊपर करके अपनी बहन को देखते हुए बोला, विजय का पूरा मूह उसकी बहन के पानी से भीगा हुआ था और वह अपनी जीभ से अपने होंठो को चाट रहा था।
"भइया आप भी ना" कोमल ने शर्म से सिर्फ इतना कहा और अपनी आँखों को दूसरी तरफ मोड़ दिया।
विजय ने बेड की चादर से अपना मूह साफ़ किया और एक तकिया उठाकर अपनी बहन की गांड के नीचे रख दिया । विजय ने तकिया रखने के बाद उसकी टांगों को घुटनों तक मोड़ दिया। विजय के ऐसा करने से कोमल की चूत ऊपर की तरफ उठ गयी, विजय ने अपने खड़े लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे अपनी बहन की गीली चूत पर घीसने लगा।
"आह्ह्ह्ह भैया क्या कर रहे हो मुझे डर लग रहा है?" कोमल जो इतनी देर से खामोश सब कुछ देख रही थी वह ज़ोर से सिसकते हुए बोली।
"पगली डर किस बात का तुम्हें अपने भाई पर भरोसा नहीं?" विजय ने अपने लंड को वैसे ही अपनी छोटी बहन की चूत पर ऊपर से नीचे तक घिसते हुए कहा।
"आहहह भैया आप पर भरोसा तो है" कोमल ने मज़े से अपनी गांड को उछालते हुए कहा।
"तो फिर मज़े लो बस थोड़ा सा दर्द होगा जिसे तुम्हें सहना होगा" विजय ने अपने पूरे लंड को पूरी तरह से अपनी बहन की चूत के रस से गीला करने के बाद उसकी चूत के छेद पर टिकाते हुए कहा।
"हाहहह मैं तैयार हूँ भाई बस अब बर्दाशत नहीं होता" कोमल ने फिर से अपनी गांड को उछालते हुए कहा।
"ठीक है कोमल मैं घुसा रहा हूँ तुम बर्दाशत कर लेना" विजय ने अपनी बहन को देखते हुए कहा और अपने लंड को ज़ोर का धक्का मार दिया।
"उईईए माँ मर गईई ओहहहहहह भैया निकालो" विजय के एक ही धक्के में उसका मोटा लंड कोमल की चूत के परदे को फारता हुआ 3 इंच अंदर घुस गया जिस वजह से उसके मुँह से ज़ोर की चीख़ें निकलने लगीं और वह अपना भैया से छूटने की कोशिश करने लगी।