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Incest परिवार बिना कुछ नहीं।

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एक औरत: अभी से आंसू मत निकाल इन्हे सुहाग रात के लिए बचा कर रख।
दूसरी औरत: कमाल करती हैं तू भी । सुहाग रात को इसके आंसू नीचे से निकलेंगे ।
और वो दोनो जोर जोर से हंसने लगती हैं।
माही और जोर जोर से रोने लगती हैं , उसे समर की बहुत याद आ रही थी।उसे पूरा यकीन था कि वो उसे जरूर बचा लेगा ।इसलिए वो सब डर छोड़कर स्माइल करती हैं और बोलती हैं: देखना तुम दोनो, समर आएगा और मुझे इस दलदल से निकाल कर ले जाएगा।
ये सब सुनकर वो दोनो हंसने लगती है , उनकी हंसी देख कर माही भी जोर जोर से हंसने लगती हैं।
तभी एक बूढ़ी औरत अंदर आती हैं और वो साथ में खाना लाई थी ।माही को समर का इंतजार करना था इसलिए वो खाना खा लेती हैं और और सो जाती हैं।
अगली सुबह उसे चंदन और गुलाब के फूलों के जल से नहलाया गया , हल्दी का लेप उसके सारे शरीर पर लगाया गया , एक से बढ़कर एक जंगली पत्ते इस्तेमाल किए गए । उसके बदन को मल मल कर साफ़ किया गया , उसे ऐसे सजाया गया मानो उसकी सुहागरात हो।
माही का रोम रोम खिल रहा था मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा उतार अाई हो।
उधर करण, काम्या और राम्या का घर पर बुरा हाल था । काम्या जानती थी कि ये सब उसकी वजह से हुआ है इसलिए वो सदमे में चली जाती हैं। और किसी से कुछ भी बोलने या सुनने की हालत में नहीं होती । करण तो ऐसी पागल सा हो गया था , और ऐसे में पूरे घर का सहारा बनी राम्या । उसने ना केवल अपनी मा का ध्यान रखा बल्कि अपन बाप को भी बिखरने से बचा रही थी। और धीरे धीरे राम्या और करण नजदीक आते जा रहे थे । दोनो एक दूसरे का पूरा ख्याल रखते , और पूरे दिन घर में ही रहते , करण ने ऑफिस जाना बंद कर दिया था ।
उधर रोज माही को उसकी सार्वजनिक सुहागरात के लिए रोज दुल्हन की तरह सजाया जाता हैं जिससे उसका रूप निखरता जा रहा था और जंगली खान पान का असर उस पर आता जा रहा था जिस कारण उसका जिस्म अपने पहले से और ज्यादा आकर्षक लगने लगा था।
उधर समर भी कुश्ती के नए दांव पेंच सीख रहा था । और जल्दी ही वो एक। तगड़ा पहलवान बन चुका था उसका जिस्म किसी लोहे की तरह से ठोस हो चुका था , पहले से ही चोड़ी छाती अब और ज्यादा चोड़ी हो गई थी ।और लगातार योग और कसरत के कारण उसके जिस्म पर कट पड़ गए थे और माथे पर सुन्दर रेखाएं।
 

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अब बस दो दिन का टाइम और बचा था उसके पास ।
बाबा उसे अंदर अपने पास बुलाते है और कहते की आज शाम को तुम्हे जाना होगा ताकि कल तक पहुंच जाओ। मैं आज तुम्हे वो विद्या बताऊंगा जो मेरे अलावा और की नहीं जानता यहीं तक की भीमा भी नहीं । लेकिन तुम इसका इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार कर पाओगे ध्यान रखना उसके बाद तुम भूल जाओगे।
और फिर बाबा उसे वो विद्या सिखाते हैं और बोलते हैं कि जाओ तुम्हे ट्रेनिंग खत्म हुई। अब तुम्हे कोई नहीं हरा सकता , ।
समर पैर छू कर उनका आशीर्वाद लेता हैं ।
बाबा: विजयी भव ।
मेरा आशिर्वाद तुम्हारे साथ हैं।
समर वहां से निकल जाता हैं और कबीले की तरफ चल देता हैं और अगले दिन वहां पहुंच जाता हैं। कुश्ती का मैदान लग चुका था ।करण , काम्या और राम्या सब आ चुके थे। भीमा मैदान में किसी पागल सांड की तरह घूम रहा था मानो वो समर को आज जान से मार देगा
माही उपर की तरफ बैठी हुई थी । पिछले दो महीने से हुई मालिश, मेक अप , के कारण उसका चेहरा किसी गुलाब की तरह चमक रहा था, गाल बिल्कुल सुर्ख हो चुके थे, और होंठ इतने नाजुक और प्यारे लग रहे थे मानो दो गुलाब की पत्तियां जोड़ दी गई हो ।उसका चेहरा चांद की तरह चमक रहा था , हर कोई उसे देख कर तड़प रहा था, मचल रहा था। माही के हाथ में जहर की एक शीशी थी , और जो जानती थी कि अगर समर हार गया तो वो अपनी जान दे देगी ।

मैदान में समर भी आ चुका था । वो एक बार माही की तरफ देखता है तो देखता ही रह गया। वो उसे इतनी खूबसूरत कभी नहीं लगी थीं । उसका मन कर रहा था कि अब जाकर बांहों में भर ले ।
माही उसकी तरफ स्माइल करती हैं मानो उसे बेस्ट ऑफ लक बोल रही हो।
कुश्ती अब बस शुरू होने वाली थी। समर अपने कपड़े निकाल कर सिर्फ अंडर वियर में आ गया था और सब लोग इसे जैसे देख रहे थे मानो कोई अजूबा देख लिया हो।
 

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अब बस दो दिन का टाइम और बचा था उसके पास ।
बाबा उसे अंदर अपने पास बुलाते है और कहते की आज शाम को तुम्हे जाना होगा ताकि कल तक पहुंच जाओ। मैं आज तुम्हे वो विद्या बताऊंगा जो मेरे अलावा और की नहीं जानता यहीं तक की भीमा भी नहीं । लेकिन तुम इसका इस्तेमाल सिर्फ एक ही बार कर पाओगे ध्यान रखना उसके बाद तुम भूल जाओगे।
और फिर बाबा उसे वो विद्या सिखाते हैं और बोलते हैं कि जाओ तुम्हे ट्रेनिंग खत्म हुई। अब तुम्हे कोई नहीं हरा सकता , ।
समर पैर छू कर उनका आशीर्वाद लेता हैं ।
बाबा: विजयी भव ।
मेरा आशिर्वाद तुम्हारे साथ हैं।
समर वहां से निकल जाता हैं और कबीले के तरफ चल देता हैं और अगले दिन वहां पहुंच जाता हैं। कुश्ती का मैदान लग चुका था ।करण , काम्या और राम्या सब सा चुके थे। भीमा मैदान में किसी पागल सांड की तरह घूम रहा था मानो वो समर को आज जान से मार देगा
माही उपर की तरफ बैठी हुई थी । पिछले दो महीने से हुई मालिश, मेक अप , के कारण उसका चेहरा किसी गुलाब कि तरह चमक रहा था, गाल बिल्कुल सुख हो चुके थे, और होंठ इतने नाजुक और प्यारे लग रहे थे मानो दो गुलाब के पत्तियां जोड़ दी गई हो ।उसका चेहरा चांद की तरह चमक रहा था , हर कोई इस देख कर तड़प रहा था, मचल रहा था। माही के हाथ में जहर की एक शीशी थी , और जो जानती थी कि अगर समर हार गया तो वो अपनी जान दे देगी ।

मैदान में समर भी आ चुका था । वो एक बार माही की तरफ देखता है तो देखता ही रह गया। वो उसे इतनी खूबसूरत कभी नहीं लगी थीं । उसका मन कर रहा था कि अब जाकर बांहों में भर ले ।
माही उसकी तरफ स्माइल करती हैं मानो उसे बेस्ट ऑफ लक बोल रही हो।
कुश्ती अब बस शुरू होने वाली थी।
भीमा आज बहुत जोश में था । माही की सुंदरता देख कर वो पगलाया हुआ था।
भीमा जोर जोर से चिल्ला रहा था कि आज मैं जब माही के साथ खुले आम सेक्स करूंगा और ये दर्द से तड़पेगी तो मेरे भाई और बाप की आत्मा को बहुत सुकून मिलेगा।
समर अब अपने कपड़े निकाल कर अखाड़े में उतर चुका था। उसका चोड़ी और ठोस छाती सब के सामने आ गई थी । एक दम किसी मॉडर्न पहलवान के जैसा लग रहा था । लड़कियां उसे देखकर तड़प रही थी। वो एक दम फिल्मों के हीरो की तरह से चिकना था। ट्रेनिंग के कारण उसका जिस्म सुडौल बन गया था और बहुत ही आकर्षक लग रहा था जिसे देख कर माही सबसे ज्यादा खुश हुई।
भीमा के सांड जैसे शरीर के आगे समर का जिस्म हल्का ही लग रहा था ।
कुश्ती शुरू हो चुकी थीं ।भीमा पहला दांव चलता हैं और अपने दोनो हाथ से समर के दोनो हाथ पकड़ लेंता हैं और किसी जंगली सांड की तरह समर की सिर्फ हाथो से पकड़कर उपर उठा लेता हैं और फिर जोर से जमीन पर दे मारता हैं जिस कारण समर के मुंह से दर्द भारी चींखं निकाल पड़ती हैं । ये सब देखकर माही का दिल रों उठा।
भीमा फिर से आगे बढ़ता है और जैसे ही समर को उठाने के लिए झुकता हैं समर फुर्ती से उठते हुए उसकी टांग पकड़ लेता है और जोर से खींच देता हैं जिस कारण भीमा जमीन पर गिर पड़ता है और समर उसके उपर चढ जाता हैं और उसे चित करने की कोशिश करता है तो भीमा पूरी ताकत लगाकर पलटा खाता है और समर नीचे आ जाता है और भीमा उसका कंधा पकड़कर जमीन से मिलाने की कोशिश करता हैं। समर अपने दोनो पैरो को पीछे उसकी कमर पर लाता है और जोर लगाते हुए उसे अपने सिर के उपर से पीछे फेंक देता हैं और फुर्ती के साथ खड़ा हो जाता हैं। लोगो को बहुत जबर्दश्त मुकाबला देखने को मिल रहा था। जब जब समर भारी पड़ता तो माही की आंखो में चमक आ जाती है जिसे है भीमा भारी पड़ता तो चारो तरफ शोर गुजं उठता ।
सिर्फ करण के परिवार को छोड़ कर वहां आए दोनो कबीले के लोग भीमा को सपोर्ट कर रहे थे।
समर जानता था कि उसे बस भीमा को थका देना हैं और उसके बाद वो उसे आराम से हरा देगा। अब समर भीमा के सामने जाता और जैसे ही वो हमला करता समर फुर्ती से बच जाता और भीमा और गुस्से में आकर जंगली सांड की तरफ पूरी ताकत से अगली बार हमला करता।
जहां एक तरफ समर माही को बचाने के लिए लड़ रहा था वहीं दूसरी तरफ भीमा उसका बलात्कार करने और उसे लोगो की रखैल बनाने के लिए लड़ रहा था।
एक घंटे से ज्यादा हो चुका था , दोनो के शरीर पसीने पसीने जो चुके थे। अब तक भीमा भी समर का प्लान समझ चुका था । अगली बार जैसे ही वो हमला करता है आखिरी टाइम पर अपने आपको रोक लेता है और जैसे ही समर बाई तरफ फुर्ती से बचता है तो भीमा उसके उपर कूदते हुए उसे दबोच लेता है ।
और पूरे मैदान में भीमा भीमा के नारे लोग लगाने लगे थे। अब भीमा उसके कंधे को पकड़ता हैं और और पूरी ताकत के साथ उसे जमीन से मिलाने लगता हैं और समर पूरी ताकत लगा रहा था लेकिन उसका कंधा लगातार झुकता जा रहा था । ये सब देखकर माही की आंखो में आंसू आ गए और वो जहर की शीशी को खोलने लगती हैं।
जब समर का कंधा जमीन से बिल्कुल मिलने वाला था तो उस अखंडा बाबा का गुरु मंत्र याद आ जाता है और समर उन्हें याद करते हुए अपना दांव चल देता है । उधर माही जहर की शीशी खोल चुकी थी और वो मरने से पहले आखिरी बार समर को देखने के लिए जैसे ही नजरे उठाती हैं तो देखती है कि सब कुछ उल्टा हो चुका था अब समर उपर था और वो भीमा के कंधे को जमीन से मिलाने की कोशिश कर रहा था।
फिर आखिर कार वहीं हुआ को हमेशा से होता आया हैं । आज फिर से अच्छाई बुराई पर हावी हुई और समर ने भीमा को चित कर दिया।
जैसे ही समर खड़ा हुआ करण , काम्या ,राम्या सब के चेहरे खुशी से खिल उठे और माही तो जैसे खुशी से झूम उठी थी । वो पागलों की तरह से भागती हुई अखाड़े में घुस जाती हैं और समर के गले लग जाती हैं ।
भीमा अभी तक यकीन नहीं कर पा रहा था कि वो सच मुच हार चुका है।
और अब लोग जोर जोर से समर के नाम के नारे लगा रहे थे। किसी ने सच ही कहा है कि लोग उगते सूरज को सलाम करते हैं।
भीमा शर्म से मुंह झुकाए मैदान में ही पड़ा हुआ था जबकि माही और समर दोनो बाहर जा चुके थे।
 

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माही जैसे ही काम्या के पास पहुंचती हैं वो उससे बुरी तरह से लिपट जाती हैं और साथ में खड़ी हुई राम्या भी उनसे लिपट जाती हैं। फिर समर करण के सामने पहुंचकर उसके पैर छूता हैं तो करण उसे अपने गले लगा लेता हैं।
करण: शाबाश बेटा । आज तुमने सीवाना कबीले का नाम फिर से रोशन कर दिया। मुझे तुम पर गर्व है और ऐसा बोलते हुए उसका माथा चूम लेता है।
समर आप बहुत खुश था क्योंकि उसके बाप ने आज पहली बार उसे इतनी खुशी से गले लगाया था और उसके माथा चूमा था।
अब सीवाना कबीले के लोग समर के साथ हो चुके थे क्योंकि समर ने उनके कबीले की इज्जत बचाई थी और उसे अपना नया सरदार घोषित कर देते हैं । हान करण से वो अभी भी नाराज थे लेकिन काल उत्सव खत्म होने तक वो उसे कबीले से नहीं निकाल सकते थे।
समर: पापा मैं माही से बहुत प्यार करता हूं और उसके बिना नहीं जी पाऊंगा।
माही भी वहां आ चुकी थी और वो भी बोलती की भाई प्लीज़ मुझे मेरा प्यार दे दो
समर जानता था कि कबीले के नियमो के हिसाब से माही उसकी हो चुकी है लेकिन फिर भी वो अपने बाप की खुशी से शादी करना चाहता था।
दूसरी तरफ करण भी समझ गया था कि अब उसके मना करने से भी कुछ फर्क पड़ने वाला नहीं है और वो साथ ही साथ उनका इतना गहरा अटूट प्यार देखकर पिघल चुका था।
करण कबीले वालो से बोलता हैं: जाओ उत्सव की तैयारी करो , आज ही माही और समर की शादी होगी जैसे की कबीले का नियम है।
समर और माही ये बात सुनते ही खुशी से खिल उठे। और एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा दिए।
सारा कबीला जश्न में डूबा हुआ था और माही को दुल्हन बना दिया गया । उफ्फ लाल रंग के जोड़े में वो कितनी खूबसूरत लग रही थी ।
उसके बालो में चमेली के फूलों का जूडा,उसकी बड़ी बड़ी खूबसूरत आंखो में लगा गहरा काला काजल उसकी आंखो को और भी खूबसूरत बना रहा था , उसके गाल आज बिल्कुल सेब की तरह से लाल सुर्ख हो चुके थे और उसके होंठ आज गहरे लाल रंग की लिपस्टिक में कहर ढा रहे थे। उसके होठ आज बिल्कुल ताजे गुलाब की पंखुड़ियों की तरह से लग रहे थे । उसकी शर्म के मारे झुकी हुई नजरे उसके चेहरे को और खूबसूरत बना रही थी। उसका जिस्म एक मादक खुशबू से महक रहा था, ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से साक्षात कोई सेक्स की देवी उतार अाई हो।
उधर समर भी कम खूबसूरत नहीं लग रहा था , उसके गोरे चिट्टे रंग पर हल्का गुलाबी रंग का सूट गजब लग रहा था । माही की ख्वाहिश थी कि जब समर उसका दूल्हा बने तो गुलाबी रंग का सूट पहने।
माही और समर दोनो शादी के मंडप में आ चुके थे और जैसे ही समर माही को देखता है उसे देखता ही रह जाता हैं। उफ्फ कितनी प्यारी है उसकी दुल्हन ।
उधर माही भी एक बार हिम्मत करके अपनी नजरे उपर उठाती है और जैसे ही समर को देखती है उसका दिल खुशी से छलांगे मारने लगा था। गुलाबी रंग के सूट में वो सचमुच बहुत खूबसूरत लग रहा था । जैसे ही उसकी नजरे समर की नजरो से मिली दोनो के दिल जोर से धड़क उठे और दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए।
दोनो मंडप में बैठ चुके थे और रीति रिवाज के अनुसार उनकी शादी का कार्यक्रम शुरू हो चुका था । माही तो शर्म से सिमटी जा रही थी , उसकी धड़कन बहुत तेज हो रही थी।
करण ने माही का कन्यादान खुद किया और जैसे जी उसने माही का हाथ समर के हाथो में दिया तो समर के उसका हाथ चूमते हुए थाम लिया जिस कारण सभी वहां मौजूद सभी लोगो की हंसी गूंज उठी । इसी हंसी खुशी के माहौल में उनकी शादी की सारी रस्में पूर्ण हुई । अब वो दोनो एक दूसरे के पति पत्नी बन चुके थे।
अब नियमो के हिसाब से पहले इन दोनों को आशीर्वाद लेने अपने कुल गुरु कोबी बाबा के मंदिर जाना था।
अब दूल्हा और दुल्हन दोनों को एक अच्छे से सजी हुई पालकी मैं बिठा दिया गया और लोग पालकी उठाकर मंदिर की तरफ चल दिए ।
पालकी में अंदर माही और समर बैठे हुए थे । दोनो एक दूसरे की आंखों में देख रहे है मानो पूरी तरह से खो जाना चाहते हो। फिर समर उसकी आंखो में देखते हुए अपने लिप्स पर जीभ घुमाता हैं तो शर्म के मारे माही का चेहरा पूरा लाल पड़ गया और उसके नजरे झुक गई।
समर: मेरी जान अब इतना क्यों शरमा रही हो ? अपने दूल्हे की तरफ देखो।
माही नजरे नीची किए हुए ही जवाब देती है: जाओ बेशर्म कहीं के और मुस्कुरा देती हैं
समर: ओए होए मेरी शर्म की गुड़िया , अगर इतना शरमाओगी तो सुहागरात कैसे मनाओगी।
सुहागरात सुनते ही माही की आंखे लाल हो जाती हैं और होठ लरजते हुए अपने आप रस से गीले हो जाते हैं और चूचियां उपर नीचे होने लगती हैं जिससे उसकी चूत में नमी आ गई थी।
अब जैसे ही वो सब भीमा के कबीले के गुजरते है तो नियमो के हिसाब से अब इसके कबीले के लोगो को पालकी उठाकर मंदिर तक ले जाना था और सबसे पहले सरदार यानी भीमा आगे आया और उसने पालकी को उठा लिया और फिर सब मंदिर की तरफ चल दिए ।
पालकी के अंदर समर की शरारतें चालू थी । कभी वो माही के होंठो को देखकर अपने होठों पर जीभ घुआंता तो कभी माही की उपर नीचे हो रही चूचियों को देख कर जीभ निकालता और माही को छेड़ता । माही भी उसकी प्यार भरी छेड़ छाड़ का मजा ले रही थी और बीच बीच में नजरे उठा कर समर की तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी मानो उसे बता रही हो कि उसे भी ये सब अच्छा लग रहा है।
भीमा को ऐसा लग रहा था मानो सारी दुनिया का बोझ उसके कंधो पर डाल दिया गया था। लेकिन नियमो के चलते मजबूर था और ना चाहते हुए भी आगे बढ़ रहा था।
 

brego4

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wow great thrilling turns in story now
 

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कोबी बाबा का आश्रम आ चुका था।
वो पालकी को अंदर रख देते हैं और समर और माही पूरे परिवार के साथ विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं और कोबी बाबा का आशीर्वाद लेते हैं । आज बाहर बहुत तेज हवाएं चल रही थी जो आमतौर पर नहीं चलती थी
ऐसा लग रहा था मानो कोई तूफान आने वाला हो।
फिर वो सब माही और समर को लेकर आश्रम के अंदर बनी उस गुफा में जाते हैं जहां हिमबा आज भी चांद और वीर की प्रतीक्षा कर रही है कि कब वो आएंगे और उसे अपने पापा से मुक्ति मिलेगी।
( जब भी कोई शादी होती थी तो उन्हें गुफा के सामने से जाना पड़ता था कि कहीं अगर वो वीर और चांद हुए तो गुफा खुल जाएगी और अंदर इनकी प्रतीक्षा कर रही हिमबा को मुक्ति मिलेगी। लेकिन इनकी सबसे बड़ी विशेषता ये होगी कि वो दोनो अभी तक कुंवारे होंगे क्योंकि वो कुंवारे ही मरे थे)
जैसे ही समर और माही गुफा के सामने पहुंचते हैं एक जोरदार आवाज के साथ तेज प्रकाश होता है और गुफा का मुंह खुल जाता हैं और इससे पहले कि कोई ज्यादा कुछ समझ पाता एक अजीब सी ताकत समर और माही को गुफा के अंदर खींच लेती है और गुफा का मुंह बंद हो जाता है ।
बाहर खड़े लोग जैसे होश में आते है और हर किसी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ जाती हैं क्योंकि हिमबा को मुक्ति मिल जाएगी और कुश्ती वाली ये परम्परा हमेशा के लिए बंद हो
जाएगी।
खास तौर से लडकीयां सबसे ज्यादा खुश थी क्योंकि दांव पर उन्हें है लगाया जाता था।
उधर जैसे ही गुफा का मुंह बंद होता है तो माही डर के मारे समर से चिपक जाती हैं और तभी उन्हें एक बहुत कमजोर और धीमी सी आवाज सुनाई देती हैं कि आ जाओ डरो मत चांद और वीर में हींबा यहां सदियों से तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रही हूं ।
दोनो डरते हुए अन्दर जाते हैं पूरी गुफा एक तेज प्रकाश से चमक रही थी जो ना जाने कहां से आ रहा था।
फिर इनकी नजर सामने बैठी हुई एक औरत पर पड़ी जो पूरी तरह से कमजोर हो गई थी । शरीर पर मांस जैसे नाम मात्र थी और उसकी हड्डियां साफ दिखाई पड़ रही थी । माही बहुत डर गई थी।
औरत: डरने की कोई जरूरत नहीं है चांद । गौर से मुझे देखो में हिबां हूं ।
माही और समर ध्यान से उसकी तरफ देखते हैं लेकिन उन्हें कुछ याद नहीं आता।
समर: मैं आपको नहीं जानता । बताओ कौन हूं आप।
औरत: अरे गलती मेरी ही हैं तुम्हे अब कहां याद रहा होगा क्योंकि आदमी नए जन्म में सब पुरानी बाते भूल जाता है रुको में याद दिलाती हूं।
ऐसा कहकर वो औरत एक मंत्र बुदबुदाती हैं और वहां एक तेज प्रकाश होता है जिससे माही और समर दोनो की आंखे मूंद जाती हैं और उनका सिर घूमने लगता हैं।
फिर जैसे ही वो नॉर्मल होते हैं तो दोनो एक दूसरे के तरफ देखते हुए खुशी से आपस में चिपक जाते हैं जैसे उन्हें सबकुछ याद आ गया हो।
चांद: वीर में आपसे बहुत प्यार करती हूं ।अब कभी मुझे छोड़ कर मत जाना
वीर: मैं भी चांद। अभी कभी कहीं नहीं जाऊंगा तुम्हे छोड़कर
तभी उन्हें हिंबा की आवाज सुनाई देती हैं : अच्छा हुआ तुम्हे सब कुछ याद आ गया।
चांद: वीर भागो यहां से ये हमे जला देगी।
औरत: मैं ऐसा कुछ नहीं कर पाऊंगी। एक बार मैंने अपने अंधे प्यार के लालच में तुम दोनो को जलाकर जो पाप किया था उसकी सजा अब तक काट रही हूं और सदीयो से तुम दोनो की प्रतीक्षा कर रही हूं। मैं वीर से प्यार करती थी और जब मैंने तुम्हे प्यार करते देखा तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपनी सहेलियों के साथ मिलकर तुम दोनो का जला दिया था । और उस हादसे कि वजह से कोबी बाबा ने सब लड़कियों को श्राप दे दिया था।
लेकिन अब तुम दोनो आ गए हो तो मुझे भी मुक्ति मिलेगी और साथ ही साथ दोनो कबीले इस श्राप से मुक्त हों जाएंगे।
चांद और वीर को सब कुछ याद आता जा रहा था ।
हिम्बा: मेरे कारण तुम दोनो की दर्दनाक चींखें यहां गूंजी थी जिस करण ये गुफा शापित हो गई थी ।

हिंबा आगे बोलती हैं कि मैं जानती हूं कि तुम दोनो ने जब भी एक होना चाहा बीच में कोई ना कोई अड़चन आती रही वो सब मेरी वजह से ही रहा था क्योंकि अगर ऐसा हो जाता तो गुफा का द्वार कभी नहीं खुलता ( वीर को सब बाते याद आने लगती की उसके लंड कि गांठ की वजह से लंड सुपाड़े से आगे नहीं घुसा, तो कभी बिना टाइम माही को पीरियड हो गए। )
हिंबा उसे अपने पास बुलाती हैं तो
वीर आगे बढ़ता है तो वो एक मंत्रित पानी की बॉटल उसे देती हैं और बोलती हैं कि ये मेरी बरसों की तपस्या का फल हैं, इसे पीने के बाद तुम्हारे शरीर में एक अद्भुत ताकत आ जाएगी और अब जब तुम दोनो की प्यार भरी सिसकियां यहां गूंजेगी तो ये जगह भी श्राप से मुक्त हो जाएगी।
मुझे जाना होगा मेरी मुक्ति का टाइम आ गया है और ऐसा बोलकर वो आसमान की तरफ उड़ती हुई चली जाती हैं। वीर एक बार उस बॉटल की तरफ देखता हैं और उसे एक ही सांस में पूरी पी जाता है
जैसे ही वो गई चांद और वीर को सब कुछ याद आ गया था लेकिन उसके जाते ही वो सब सब भूल गए थे।
फिर समर माही को साथ में लेकर गुफा में अंदर गया तो एक दरवाजा लगा हुआ था जी की बंद था।
समर ने जैसे ही दरवाजे को हाथ लगाया वो अपने आप ही खुलता चला गया।
 

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जैसे ही दरवाजा खुला दोनो की आंखे खुशी और हैरानी से खुलती चली गई। बाहर एक शानदार खूबसूरत मैदान था जिसके बीच से एक सुंदर सी नदी बह रही थी और उसकी कल कल करती हुई पानी की आवाज उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी। मैदान चारो तरफ से खुशबूदार पेड़ो से घिरा हुआ था जिस कारण वहां पेड़ो की एक दीवार सी बन गई थी और मैदान के बीचों बीच एक गोल डबल बेड पड़ा हुआ था जो कि गुलाब और केशु के फूलों से सजाया हुआ था बेड पर एक सफेद रंग की साफ सुथरी चादर बिछी हुई थी और 4 सफेद रंग के खूबसूरती तकिए पड़े हुए थे जिनके बीच में एक सफेद रंग का टॉवेल पड़ा हुआ था। मैदान के बीचों बीच उपर आसमान में तारे चमक रहे थे और चांद तो आज अपने पूरे शवाब पर था जिसकी हल्की हल्की चांदनी पूरे मैदान को रोशन कर रही थी मानो चांद भी उनके इस मधुर मिलन का साक्षी बनना चाहता हो।
 

brego4

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Great story writing dear, asal mein ab tak ye story samar-mahi ke amar prem par adharit rahi hai

Marvelous work by writer
 
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Sunil Ek Musafir

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जैसे ही दरवाजा खुला दोनो की आंखे खुशी और हैरानी से खुलती चली गई। बाहर एक शानदार खूबसूरत मैदान था जिसके बीच से एक सुंदर सी नदी बह रही थी और उसकी कल कल करती हुई पानी की आवाज उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी। मैदान चारो तरफ से खुशबूदार पेड़ो से घिरा हुआ था जिस कारण वहां पेड़ो की एक दीवार सी बन गई थी और मैदान के बीचों बीच एक गोल डबल बेड पड़ा हुआ था जो कि गुलाब और केशु के फूलों से सजाया हुआ था बेड पर एक सफेद रंग की साफ सुथरी चादर बिछी हुई थी और 4 सफेद रंग के खूबसूरती तकिए पड़े हुए थे जिनके बीच में एक सफेद रंग का टॉवेल पड़ा हुआ था। मैदान के बीचों बीच उपर आसमान में तारे चमक रहे थे और चांद तो आज अपने पूरे शवाब पर था जिसकी हल्की हल्की चांदनी पूरे मैदान को रोशन कर रही थी मानो चांद भी उनके इस मधुर मिलन का साक्षी बनना चाहता हो।
Gr888 update bhai....
 
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