Verma sahab
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Very hot updateUpdate 5
"आशा ने धीरे से अपने हाथ को पेटीकोट की तरफ ले जा रही थी , इस बीच वो हरि का लन्ड एक टक देखे जा रही थी "
आशा (मन में)- हे भगवान ये मेरे बेटे का लन्ड को फनफनाते हुए एक कितनी देर हो गई , ऐसा कैसा सपना देख रहा है ये , जो शांत होने का नाम ही नही ले रहा हरि का लन्ड, आज कौन सी अप्सरा सपने में अपना यौवन मेरे हरि को लुटा रही है
"अब बेचारी आशा को कौन समझाए कि उसके बेटे का लन्ड किसी सपने में आई हुई अप्सरा के कारण नहीं बल्कि उसकी गदराई जांघों , झांटों वाली चूत, और उसे चूतड़ों के बगल वाले हिस्से को देखकर फनफना रहा था, और अब इस लन्ड को फनफनाने में सोनम की गहरी दरार वाली गांड़ ने तो चार चांद लगा ही दिए थे "
"अब आशा ने अपने हाथ से पेटीकोट के नाडे को थोड़ा ढीला किया और दाहिना हाथ उसके अंदर डाल दिया , बायां हाथ से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से जोर जोर से दबाने लगी "
"रात के करीब साढ़े तीन बज गए थे , एक सुनसान चांदनी रात ,कभी हवा चलती तो ,कभी रुक जाती थी , एक बहुत ही प्यारा आसमान टिमटिमाते तारों से भरा हुआ था , इसका प्रभाव मानो धरती पर भी पड़ रहा हो , धरती पर भी कुछ तारे आज कई सालों बाद टिमटिमाने लगे थे "
"अब हरि ने अपनी मां को थोड़ा तिरछी नजरों से देखा , हरि ने झट से अपनी आंखों को मूंद लिया,उसकी मां उसके लन्ड को लगातार देखे जा रही थी"
"मैं आपको बता देता हु कि हरि पाजामे के अंदर कुछ नहीं पहनता था "
"इधर आशा ने इस बार अपने पेटीकोट नहीं उतारा,बल्कि अपने हाथ को उसके अंदर ले गई , और अपने हाथ को सी चूत के ऊपर रख दिया और पूरी हथेली से झांटों के ऊपर से अपनी मदमस्त चूत को रगड़ने लगी
"
" अभी भी आशा हरि के सपने के बारे में सोच कर के अपनी चूत को रगड़े जा रही थी"
आशा (मन में) - लगता है हरि अपने सपने में किसी को खूब पटक पटक के चोद रहा है , देखो तो लन्ड कैसे तेज तेज झटके खा रहा है, ऐसे ही चोद बेटा उस अप्सरा को , चोद चोद के उसकी चूत फाड़ दे बेटा
"अब आशा अपनी दाहिने हाथ की हथेली से चूत को दबा दबा कर रगड़ रही थी और बाएं हाथ से अपने मम्मों को कभी ऊपर तो कभी नीचे करके दबाने लगी "
"हरि बेचारा चुपचाप अपनी आंख बंद करके अपनी मां के नग्न शरीर और अपनी बहन की बलखाती हुई गांड़ के बारे में सोच सोच कर मरा जा रहा था "
हरि (मन में) - कितनी चुस्त गांड़ है मेरी बहन की , और चूतड़ों के बीच की दरार कितनी गहरी है , और पीछे से उसकी जांघें कितनी प्यारी लग रही थी ,और उसकी कमर पर बंधी हुई काले कलर की कोंदनी जिसमे मोती जड़ा हुआ था , हाय मेरी बहना तू कितनी प्यारी है "
"अपनी बहन के बारे में सोचकर हरि का लन्ड एक सांप की तरह लगातार फनफना रहा था "
"इधर आशा अपने बेटे के लन्ड को फनफनाता देख अपनी हथेली से चूत को पूरे जोर लगाकर दबाने लगी "
हरि (मन में) - हाय मेरी मां आपकी ये गुच्छेदार झांटें कितनी प्यारी लग रही थी आपकी चूत के ऊपर , मानों आपकी चूत की रखवाली कर रही हों , मन करता है इन झांटों के गुच्छे के ऊपर थूक - थूक कर इनको मेरे लसलसे थूक से लवालव भर दूं और फिर ये और बड़ी हो जायेंगी , फिर तुम्हारी इन झांटों की छाया में मेरे लन्ड को रख दूं ,और आपकी मोटी जांघें मां आहहहह क्या ही सितम ढा रही थी मन कर रहा है तुम्हारी जांघों को चाट चाट के पूरा गीला कर दू और आपको उल्टा लिटा कर आपके मोटे मोटे चूतड़ों को पूरा नंगा देख लूं"
" हरि अपनी बहन और मां के बारे में सोच कर , उसकी कामुकता अब सातवें आसमान पर थी ,और उसका लन्ड पाजामे के अंदर बेकाबू होने लगा था और उसके शरीर के अंग - अंग में आशा का गदराया बदन और सोनम का चुस्त यौवन समा गया था "
" हरि बेचारा शरम का मारा , चुपचाप से तड़पता रहा और उसका लन्ड पाजामे में बेकाबू होकर तड़फड़ा रहा था "
"अब आशा ने अपनी बीच वाली उंगली जिसमे उसने एक सोने की मोटे नग वाली अंगूठी पहनी हुई थी को चूत के अंदर धीरे - धीरे घुसाने लगी "
" आशा धीरे - धीरे अपनी उंगली की रफ्तार को बढ़ाने लगी , और मदहोशी से अपनी आंखें मूंद कर के "
आशा (मन में - हरि के सपने के बारे में सोचते हुए) - बेटा उस अप्सरा को और जोर से चोदो , बेटा उसकी चूचियों को दोनो हाथों से मसल मसल के एक रबड़ की तरह लटका दे , बेटा उस अप्सरा के भारी चूतड़ों को उठा उठा के चोदो ,
आआहह बेटा कितना अच्छा चोद रहा है तू उसे , ऐसे ही चोदता रह बेटा
"आशा ने अब अंगुली की रफ्तार बढ़ा दी थी"
"इधर हरि ने धीरे से अपनी आंखे खोली, देखा तो उसकी मां ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी ,और उत्तेज्जित होकर पेटीकोट के अंदर से अपनी अंगुली को चूत में तेजी से आगे पीछे कर रही थी "
" ये देखकर हरि का लन्ड कतई पागल हो गया था पजामे के अंदर , और हरि झट से अपने हाथ को पाजमे के अंदर ले गया और जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया"
"एक खुले आसमान के नीचे एक तरफ जहां सोनम सो रही थी वही दूसरी तरफ एक मां अपने बेटे के लन्ड को मन में सोच सोचकर अपनी चूत में अंगुली पेले जा रही थे , वही दूसरी तरफ एक बेटा को उसकी मां ने पागल कर दिया था "
"जैसे ही आशा अपनी चूत में अंगुली को अंदर बाहर कर रही थी , एक हल्की सी मादक गपच - गपच की आवाज उसमे से निकल कर सीधे हरी के कानों में पहुंच रही थी "
हरि (मन में) - कितनी मधुर आवाज निकल रही है मां की चूत से
"हरि ने लन्ड की रफ्तार और बढ़ा दी "
"इधर आशा का भी बुरा हाल था , लंबी लंबी सांसे ले रही थी , और लगातार अपनी चूत को अंगुली से चोदे जा रही थी"
"आशा ने धीरे से अपनी गांड़ को ऊपर उठाया ,एक हल्की सी अहहह मुंह से निकली और कांपती हुई अपने पेटीकोट के अंदर झड गई "
"हरि समझ गया था की उसकी मां का हो गया है और वो कभी भी अपनी आंखे खोल सकती थी"
"हरि ने लन्ड हिलाने की रफ्तार गोली से भी तेज कर दी थी , और अकड़ते हुए अपने पाजामे के अंदर झड गया"
Behad kamuk...agle bhag ki pratiksha me hUpdate 5
"आशा ने धीरे से अपने हाथ को पेटीकोट की तरफ ले जा रही थी , इस बीच वो हरि का लन्ड एक टक देखे जा रही थी "
आशा (मन में)- हे भगवान ये मेरे बेटे का लन्ड को फनफनाते हुए एक कितनी देर हो गई , ऐसा कैसा सपना देख रहा है ये , जो शांत होने का नाम ही नही ले रहा हरि का लन्ड, आज कौन सी अप्सरा सपने में अपना यौवन मेरे हरि को लुटा रही है
"अब बेचारी आशा को कौन समझाए कि उसके बेटे का लन्ड किसी सपने में आई हुई अप्सरा के कारण नहीं बल्कि उसकी गदराई जांघों , झांटों वाली चूत, और उसे चूतड़ों के बगल वाले हिस्से को देखकर फनफना रहा था, और अब इस लन्ड को फनफनाने में सोनम की गहरी दरार वाली गांड़ ने तो चार चांद लगा ही दिए थे "
"अब आशा ने अपने हाथ से पेटीकोट के नाडे को थोड़ा ढीला किया और दाहिना हाथ उसके अंदर डाल दिया , बायां हाथ से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से जोर जोर से दबाने लगी "
"रात के करीब साढ़े तीन बज गए थे , एक सुनसान चांदनी रात ,कभी हवा चलती तो ,कभी रुक जाती थी , एक बहुत ही प्यारा आसमान टिमटिमाते तारों से भरा हुआ था , इसका प्रभाव मानो धरती पर भी पड़ रहा हो , धरती पर भी कुछ तारे आज कई सालों बाद टिमटिमाने लगे थे "
"अब हरि ने अपनी मां को थोड़ा तिरछी नजरों से देखा , हरि ने झट से अपनी आंखों को मूंद लिया,उसकी मां उसके लन्ड को लगातार देखे जा रही थी"
"मैं आपको बता देता हु कि हरि पाजामे के अंदर कुछ नहीं पहनता था "
"इधर आशा ने इस बार अपने पेटीकोट नहीं उतारा,बल्कि अपने हाथ को उसके अंदर ले गई , और अपने हाथ को सी चूत के ऊपर रख दिया और पूरी हथेली से झांटों के ऊपर से अपनी मदमस्त चूत को रगड़ने लगी
"
" अभी भी आशा हरि के सपने के बारे में सोच कर के अपनी चूत को रगड़े जा रही थी"
आशा (मन में) - लगता है हरि अपने सपने में किसी को खूब पटक पटक के चोद रहा है , देखो तो लन्ड कैसे तेज तेज झटके खा रहा है, ऐसे ही चोद बेटा उस अप्सरा को , चोद चोद के उसकी चूत फाड़ दे बेटा
"अब आशा अपनी दाहिने हाथ की हथेली से चूत को दबा दबा कर रगड़ रही थी और बाएं हाथ से अपने मम्मों को कभी ऊपर तो कभी नीचे करके दबाने लगी "
"हरि बेचारा चुपचाप अपनी आंख बंद करके अपनी मां के नग्न शरीर और अपनी बहन की बलखाती हुई गांड़ के बारे में सोच सोच कर मरा जा रहा था "
हरि (मन में) - कितनी चुस्त गांड़ है मेरी बहन की , और चूतड़ों के बीच की दरार कितनी गहरी है , और पीछे से उसकी जांघें कितनी प्यारी लग रही थी ,और उसकी कमर पर बंधी हुई काले कलर की कोंदनी जिसमे मोती जड़ा हुआ था , हाय मेरी बहना तू कितनी प्यारी है "
"अपनी बहन के बारे में सोचकर हरि का लन्ड एक सांप की तरह लगातार फनफना रहा था "
"इधर आशा अपने बेटे के लन्ड को फनफनाता देख अपनी हथेली से चूत को पूरे जोर लगाकर दबाने लगी "
हरि (मन में) - हाय मेरी मां आपकी ये गुच्छेदार झांटें कितनी प्यारी लग रही थी आपकी चूत के ऊपर , मानों आपकी चूत की रखवाली कर रही हों , मन करता है इन झांटों के गुच्छे के ऊपर थूक - थूक कर इनको मेरे लसलसे थूक से लवालव भर दूं और फिर ये और बड़ी हो जायेंगी , फिर तुम्हारी इन झांटों की छाया में मेरे लन्ड को रख दूं ,और आपकी मोटी जांघें मां आहहहह क्या ही सितम ढा रही थी मन कर रहा है तुम्हारी जांघों को चाट चाट के पूरा गीला कर दू और आपको उल्टा लिटा कर आपके मोटे मोटे चूतड़ों को पूरा नंगा देख लूं"
" हरि अपनी बहन और मां के बारे में सोच कर , उसकी कामुकता अब सातवें आसमान पर थी ,और उसका लन्ड पाजामे के अंदर बेकाबू होने लगा था और उसके शरीर के अंग - अंग में आशा का गदराया बदन और सोनम का चुस्त यौवन समा गया था "
" हरि बेचारा शरम का मारा , चुपचाप से तड़पता रहा और उसका लन्ड पाजामे में बेकाबू होकर तड़फड़ा रहा था "
"अब आशा ने अपनी बीच वाली उंगली जिसमे उसने एक सोने की मोटे नग वाली अंगूठी पहनी हुई थी को चूत के अंदर धीरे - धीरे घुसाने लगी "
" आशा धीरे - धीरे अपनी उंगली की रफ्तार को बढ़ाने लगी , और मदहोशी से अपनी आंखें मूंद कर के "
आशा (मन में - हरि के सपने के बारे में सोचते हुए) - बेटा उस अप्सरा को और जोर से चोदो , बेटा उसकी चूचियों को दोनो हाथों से मसल मसल के एक रबड़ की तरह लटका दे , बेटा उस अप्सरा के भारी चूतड़ों को उठा उठा के चोदो ,
आआहह बेटा कितना अच्छा चोद रहा है तू उसे , ऐसे ही चोदता रह बेटा
"आशा ने अब अंगुली की रफ्तार बढ़ा दी थी"
"इधर हरि ने धीरे से अपनी आंखे खोली, देखा तो उसकी मां ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी ,और उत्तेज्जित होकर पेटीकोट के अंदर से अपनी अंगुली को चूत में तेजी से आगे पीछे कर रही थी "
" ये देखकर हरि का लन्ड कतई पागल हो गया था पजामे के अंदर , और हरि झट से अपने हाथ को पाजमे के अंदर ले गया और जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया"
"एक खुले आसमान के नीचे एक तरफ जहां सोनम सो रही थी वही दूसरी तरफ एक मां अपने बेटे के लन्ड को मन में सोच सोचकर अपनी चूत में अंगुली पेले जा रही थे , वही दूसरी तरफ एक बेटा को उसकी मां ने पागल कर दिया था "
"जैसे ही आशा अपनी चूत में अंगुली को अंदर बाहर कर रही थी , एक हल्की सी मादक गपच - गपच की आवाज उसमे से निकल कर सीधे हरी के कानों में पहुंच रही थी "
हरि (मन में) - कितनी मधुर आवाज निकल रही है मां की चूत से
"हरि ने लन्ड की रफ्तार और बढ़ा दी "
"इधर आशा का भी बुरा हाल था , लंबी लंबी सांसे ले रही थी , और लगातार अपनी चूत को अंगुली से चोदे जा रही थी"
"आशा ने धीरे से अपनी गांड़ को ऊपर उठाया ,एक हल्की सी अहहह मुंह से निकली और कांपती हुई अपने पेटीकोट के अंदर झड गई "
"हरि समझ गया था की उसकी मां का हो गया है और वो कभी भी अपनी आंखे खोल सकती थी"
"हरि ने लन्ड हिलाने की रफ्तार गोली से भी तेज कर दी थी , और अकड़ते हुए अपने पाजामे के अंदर झड गया"
आआआहUpdate 5
"आशा ने धीरे से अपने हाथ को पेटीकोट की तरफ ले जा रही थी , इस बीच वो हरि का लन्ड एक टक देखे जा रही थी "
आशा (मन में)- हे भगवान ये मेरे बेटे का लन्ड को फनफनाते हुए एक कितनी देर हो गई , ऐसा कैसा सपना देख रहा है ये , जो शांत होने का नाम ही नही ले रहा हरि का लन्ड, आज कौन सी अप्सरा सपने में अपना यौवन मेरे हरि को लुटा रही है
"अब बेचारी आशा को कौन समझाए कि उसके बेटे का लन्ड किसी सपने में आई हुई अप्सरा के कारण नहीं बल्कि उसकी गदराई जांघों , झांटों वाली चूत, और उसे चूतड़ों के बगल वाले हिस्से को देखकर फनफना रहा था, और अब इस लन्ड को फनफनाने में सोनम की गहरी दरार वाली गांड़ ने तो चार चांद लगा ही दिए थे "
"अब आशा ने अपने हाथ से पेटीकोट के नाडे को थोड़ा ढीला किया और दाहिना हाथ उसके अंदर डाल दिया , बायां हाथ से अपने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से जोर जोर से दबाने लगी "
"रात के करीब साढ़े तीन बज गए थे , एक सुनसान चांदनी रात ,कभी हवा चलती तो ,कभी रुक जाती थी , एक बहुत ही प्यारा आसमान टिमटिमाते तारों से भरा हुआ था , इसका प्रभाव मानो धरती पर भी पड़ रहा हो , धरती पर भी कुछ तारे आज कई सालों बाद टिमटिमाने लगे थे "
"अब हरि ने अपनी मां को थोड़ा तिरछी नजरों से देखा , हरि ने झट से अपनी आंखों को मूंद लिया,उसकी मां उसके लन्ड को लगातार देखे जा रही थी"
"मैं आपको बता देता हु कि हरि पाजामे के अंदर कुछ नहीं पहनता था "
"इधर आशा ने इस बार अपने पेटीकोट नहीं उतारा,बल्कि अपने हाथ को उसके अंदर ले गई , और अपने हाथ को सी चूत के ऊपर रख दिया और पूरी हथेली से झांटों के ऊपर से अपनी मदमस्त चूत को रगड़ने लगी
"
" अभी भी आशा हरि के सपने के बारे में सोच कर के अपनी चूत को रगड़े जा रही थी"
आशा (मन में) - लगता है हरि अपने सपने में किसी को खूब पटक पटक के चोद रहा है , देखो तो लन्ड कैसे तेज तेज झटके खा रहा है, ऐसे ही चोद बेटा उस अप्सरा को , चोद चोद के उसकी चूत फाड़ दे बेटा
"अब आशा अपनी दाहिने हाथ की हथेली से चूत को दबा दबा कर रगड़ रही थी और बाएं हाथ से अपने मम्मों को कभी ऊपर तो कभी नीचे करके दबाने लगी "
"हरि बेचारा चुपचाप अपनी आंख बंद करके अपनी मां के नग्न शरीर और अपनी बहन की बलखाती हुई गांड़ के बारे में सोच सोच कर मरा जा रहा था "
हरि (मन में) - कितनी चुस्त गांड़ है मेरी बहन की , और चूतड़ों के बीच की दरार कितनी गहरी है , और पीछे से उसकी जांघें कितनी प्यारी लग रही थी ,और उसकी कमर पर बंधी हुई काले कलर की कोंदनी जिसमे मोती जड़ा हुआ था , हाय मेरी बहना तू कितनी प्यारी है "
"अपनी बहन के बारे में सोचकर हरि का लन्ड एक सांप की तरह लगातार फनफना रहा था "
"इधर आशा अपने बेटे के लन्ड को फनफनाता देख अपनी हथेली से चूत को पूरे जोर लगाकर दबाने लगी "
हरि (मन में) - हाय मेरी मां आपकी ये गुच्छेदार झांटें कितनी प्यारी लग रही थी आपकी चूत के ऊपर , मानों आपकी चूत की रखवाली कर रही हों , मन करता है इन झांटों के गुच्छे के ऊपर थूक - थूक कर इनको मेरे लसलसे थूक से लवालव भर दूं और फिर ये और बड़ी हो जायेंगी , फिर तुम्हारी इन झांटों की छाया में मेरे लन्ड को रख दूं ,और आपकी मोटी जांघें मां आहहहह क्या ही सितम ढा रही थी मन कर रहा है तुम्हारी जांघों को चाट चाट के पूरा गीला कर दू और आपको उल्टा लिटा कर आपके मोटे मोटे चूतड़ों को पूरा नंगा देख लूं"
" हरि अपनी बहन और मां के बारे में सोच कर , उसकी कामुकता अब सातवें आसमान पर थी ,और उसका लन्ड पाजामे के अंदर बेकाबू होने लगा था और उसके शरीर के अंग - अंग में आशा का गदराया बदन और सोनम का चुस्त यौवन समा गया था "
" हरि बेचारा शरम का मारा , चुपचाप से तड़पता रहा और उसका लन्ड पाजामे में बेकाबू होकर तड़फड़ा रहा था "
"अब आशा ने अपनी बीच वाली उंगली जिसमे उसने एक सोने की मोटे नग वाली अंगूठी पहनी हुई थी को चूत के अंदर धीरे - धीरे घुसाने लगी "
" आशा धीरे - धीरे अपनी उंगली की रफ्तार को बढ़ाने लगी , और मदहोशी से अपनी आंखें मूंद कर के "
आशा (मन में - हरि के सपने के बारे में सोचते हुए) - बेटा उस अप्सरा को और जोर से चोदो , बेटा उसकी चूचियों को दोनो हाथों से मसल मसल के एक रबड़ की तरह लटका दे , बेटा उस अप्सरा के भारी चूतड़ों को उठा उठा के चोदो ,
आआहह बेटा कितना अच्छा चोद रहा है तू उसे , ऐसे ही चोदता रह बेटा
"आशा ने अब अंगुली की रफ्तार बढ़ा दी थी"
"इधर हरि ने धीरे से अपनी आंखे खोली, देखा तो उसकी मां ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी ,और उत्तेज्जित होकर पेटीकोट के अंदर से अपनी अंगुली को चूत में तेजी से आगे पीछे कर रही थी "
" ये देखकर हरि का लन्ड कतई पागल हो गया था पजामे के अंदर , और हरि झट से अपने हाथ को पाजमे के अंदर ले गया और जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया"
"एक खुले आसमान के नीचे एक तरफ जहां सोनम सो रही थी वही दूसरी तरफ एक मां अपने बेटे के लन्ड को मन में सोच सोचकर अपनी चूत में अंगुली पेले जा रही थे , वही दूसरी तरफ एक बेटा को उसकी मां ने पागल कर दिया था "
"जैसे ही आशा अपनी चूत में अंगुली को अंदर बाहर कर रही थी , एक हल्की सी मादक गपच - गपच की आवाज उसमे से निकल कर सीधे हरी के कानों में पहुंच रही थी "
हरि (मन में) - कितनी मधुर आवाज निकल रही है मां की चूत से
"हरि ने लन्ड की रफ्तार और बढ़ा दी "
"इधर आशा का भी बुरा हाल था , लंबी लंबी सांसे ले रही थी , और लगातार अपनी चूत को अंगुली से चोदे जा रही थी"
"आशा ने धीरे से अपनी गांड़ को ऊपर उठाया ,एक हल्की सी अहहह मुंह से निकली और कांपती हुई अपने पेटीकोट के अंदर झड गई "
"हरि समझ गया था की उसकी मां का हो गया है और वो कभी भी अपनी आंखे खोल सकती थी"
"हरि ने लन्ड हिलाने की रफ्तार गोली से भी तेज कर दी थी , और अकड़ते हुए अपने पाजामे के अंदर झड गया"