Update 4
"अब सोनम अपने बिस्तर पर बैठ जाती है"
"एक तरफ एक बेटा अपनी मां की शरम के कारण अपने लन्ड को नहीं हिला पा रहा था तो दूसरी तरफ एक मां को अपनी बेटी की वजह से अपने आप को रुकना पड़ा "
आशा (मन में) - ये सोनम को भी अभी उठना था क्या ,थोड़ी देर और लेटी रहती मेरा होने ही वाला था बस
"अब सोनम एक नजर अपनी मां पर घुमाती है जो उसके बगल में लेटी हुई थी"
सोनम (अपने मन में ) - ये मां की छाती इतनी ऊपर नीचे क्यों हो रही है
"और सोनम अपने बिस्तर से खड़ी हो जाती है और एक नजर अपने भाई पर घुमाई"
सोनम (अपने मन में ) - ये क्या तना हुआ है भैया के पाजामे में , इतना बड़ा है भैया का , इतना बड़ा भी होता है क्या ये
"सोनम ने कभी किसी मर्द का लन्ड नहीं देखा था बस अपनी सहेलियों से सुना था बस लन्ड के बारे में "
"अब सोनम वही छत के एक कोने में चली जाती है जहां एक मोरी (नाली) बनी हुई थी , जिसमे से बरसात का पानी नीचे जाता था , और एक नजर हरि की तरफ घुमाती है , कहीं कोई देख तो नहीं रहा ,और अपना हाथ सलवार के नाडे पर ले जाती है"
" उसकी मुंह खेतों की तरफ था और पीठ हरि की तरफ "
" इधर हरि के लिए आज खुला आसमान जन्नत हो गया था , और तिरछी नजरों से अपनी बहन को देखने लगा "
"इधर आशा भी सोने का नाटक कर रही थी , और अपनी आंखे बंद करके बिस्तर पर पड़ी थी "
" अब सोनम सलवार के नाडे की गांठ खोलती है , और सलवार और चड्डी को एक साथ घुटनों तक ले जाती है और एक दम से उसकी गोरी गांड़ नंगी हो जाती है "
हरि (मन में) - सोनम की गांड़ कितनी चुस्त हैं और ये गांड़ के बीच में दरार कितनी गहरी है, कहां मैंने अपनी जिंदगी में एक भी गांड़ नही देखी और आज एक गांड़ और चूत एक ही रात में दिख गई ,
"अब हरि का लन्ड पाजामे के अंदर जोर से फनफनाने लगा "
"इधर सोनम ने अपनी सलवार और चड्डी को घुटनों तक सरका लिया था और मूतने के लिए बैठ जाती है , जिससे उसकी बलखाती हुई गांड़ थोड़ी सी बाहर को फैल गई "
"सोनम के मूतने की आवाज हरि के कानों तक पहुंच रही थी ,अपनी बहन मूतने की सीटी को बड़े गौर से सुन रहा था"
"सीटी की आवाज हरि के कानों से होती हुई सीधे लन्ड पर पहुंच रही थी , और अब लन्ड जोर जोर से झटके खाने लगा "
हरि (मन में) - छोटी कितने प्यार से मूत रही है , मन कर रहा है अभी उसके बगल में जाकर उसके साथ मैं भी मूत लूं , कितना मजा आयेगा दोनों यदि साथ में मूतेंगे तो
"हरि अपनी बहन को मूतते हुए देखे जा रहा था "
" इधर आशा अपनी आंख थोड़ी सी खोलती है और सोनम को देखती है, सोनम उनकी तरफ गांड़ करके मजे से मूत रही थी "
"आशा के लिए ये कोई बड़ी नहीं थी क्योंकि वो अपनी बेटी की चूत और गांड़ को रोजाना देखती थी शाम को जब वो दोनो टट्टी करने खेतों में जाती थी "
आशा (सोनम की ओर देखते हुए मन में) - हर रोज इसकी गांड़ का आकार बढ़ता जा रहा है , सोनम जवान होने लगी है
"सोनम मूतने के बाद अपने चड्डी और सलवार को ऊपर उठती है और उधर से आते वक्त अपने भैया के लन्ड को देखती हुई आ रही थी "
"अब रात को करीब 3 बजने को आए थे "
"जैसे ही कोई हरि की तरफ देखता था , झट से अपनी आंखो को मूंद कर सोने का नाटक करने लग जाता था "
"सोनम अपने बिस्तर पर लेट जाती है ,लेटने के बाद सोनम को अपने भैया का लन्ड नहीं दिख रहा था, क्योंकि उसकी मां बीच में लेटी हुई थी"
"लेटे लेटे सोनम के मन में अपनी सहेलियों की बातों को याद करने लग जाती है "
"सोनम थोड़ी यादों में चली जाती है"
कुछ इस प्रकार से
""""""सोनम - बहन तेरी तो एक महीने पहले शादी हुई है , कैसा है तेरा पति
सोनम की सहेली - अच्छा है बहना खूब , खूब चोदता है मुझे
सोनम - ये कैसी गंदी बातें कर रही है तू , शादी से पहले तो तू कतई नही बोलती थी ऐसे
सोनम की सहेली - तेरी शादी हो जायेगी ना या फिर कभी किसी से चुद लेगी ना एक दो बार तो तेरी जवान भी मेरी तरह बिगड़ जाएगी
सोनम - ऐसा थोड़ी ना सबकी जवान बिगड़ती है तेरी तरह
सोनम की सहेली - जब किसी बढ़िया से 8 इंच के लंबे लन्ड को अपनी चूत में डलवाएगी ना तब देखूंगी तुझे , बड़ी आई सती सावित्री बनने
सोनम - हा देख लेना बस """"""
#यादें जारी रहेंगी बाद में
"और ऐसा सोचते सोचते सोनम की आंख लग जाती है और चुपचाप सो जाती है"
"दूसरी तरफ आशा को लगा कि सोनम सो गई होगी शायद , और आशा ने धीरे से अपने हाथ को पेटीकोट.......