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Incest परिवार में कुछ होने लगा

Nevil singh

Well-Known Member
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Update 13


"ऐसा कहते ही आशा अपनी चारों उंगलियां अपनी बेटी की चड्डी के अंदर डाल देती है और अपनी चारों उंगलियों को सोनम की चिकनी चूत पर रख देती है , और धीरे - धीरे सोनम चूत की फांकों को रगड़ने लग जाती है"

"आशा अपने हाथ से , सोनम की चिकनी चूत की फूली हुई फांकों को कभी दबा रही थी तो कभी सहला रही थी "

"सोनम की कामुकता बढ़ती जा रही थी"

सोनम - मां उधर देखो भईया का लन्ड कितने जोर से फड़फड़ा रहा है

आशा - हां बेटी ,मेरा हरि बेटा बहुत तड़प रहा है हमको ऐसे देखकर ,मुझे बहुत दया आ रही है हरि के ऊपर ,बेचारा चुपचाप लेटा हुआ है

सोनम - मां भैया पर इतनी दया आ रही है तो उन्हें भी यहीं बुला लो और जैसे आप मेरी चूत के लावा को निकलवाने में मेरी मदद कर रही हो वैसे ही भैया के लन्ड से निकलने वाले ज्वालामुखी में उनकी भी थोड़ी मदद कर दो

आशा - बेटी तू बात तो सही कह रही है , आखिर एक मां अपनी संतान को इस तरह से तड़पते हुए नहीं देख सकती बेटी

सोनम - तो फिर मां बुला लो इधर हरि भईया को

आशा - लेकिन बेटी मैं हरि को बुलाऊं कैसे हमारे पास ??

सोनम - मैं बताऊं मां

आशा - नहीं मैं बुला लूंगी मेरे हरि को अपने हिसाब से

""ऐसा कहते ही आशा जोर सोनम की चूत की फांकों को अपनी हथेली से मसल देती है"

सोनम - आआह्ह...मां थोड़ा आराम से दबाओ ना

आशा - बेटी मजा नहीं आ रहा क्या

सोनम - मां मजा तो आ रहा है , आज तक मेरी चूत को किसी ने मसला नहीं अभी तक इसलिए थोड़ा खलबली सी मच जाती है मां , आप हरि भैया को बुला लीजिए वो वहां तड़प तड़प के मार जायेंगे

"आशा हरि की तरफ देखते हुए "

आशा - बेटा हरि , जरा इधर आना मेरे पास

हरि (थोड़ा सकपकाते हुए) - क्या हुआ मां

आशा - इधर तो आ पहले वहीं से ही जान लेगा क्या सारी बातें

"हरि जमीन से खड़ा होता है और अपने पजामे में खड़े हुए लन्ड को लेकर अपनी मां और बहन के पास पहुंच जाता है , जहां सोनम आशा की जांघो पर बैठी हुई थी और आशा का एक हाथ सोनम की चड्डी में घुसा हुआ था और दूसरा हाथ सोनम की नंगी जांघ पर घूम रहा था "

" मां और बहन को ऐसे देखकर , हरि का लन्ड बेकाबू हो जाता है और जोर जोर से फड़फड़ाने लगता है"

हरि - बताइए मां क्या काम है

आशा - देख बेटा सोनम मेरी जांघों पर कब से बैठी है और मेरी जांघें दुखने लगी है , तू ऐसा कर

हरि - जी मां बोलिए

आशा - बेटा तू सोनम को अपनी जांघो पर बिठा ले और मैं नीचे बैठ जाती हूं

"सोनम को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसकी मां उसके लिए इतना सोच सकती है , सोनम आशा की बात को सुनकर खुश हो जाती है "

सोनम -हां मां आपने मेरे मन की बात छीन ली , मैं भी यही कहना चाह रही थी

हरि - ठीक है मां ,लेकिन सोनम ने अपनी सलवार क्यों उतार रखी है

आशा - अरे बेटा , जब में सोनम को आम चटा रही थी उस वक्त मेरे हाथ से पूरा आमरस सोनम की सलवार पर फैल गया था इसलिए बेटा सोनम की सलवार को धोने के लिए उतार दिया था

हरि - और अपने सोनम की चड्डी में अपना हाथ क्यों डाल रखा है

आशा - बेटा वो आमरस बहता हुआ इसकी चड्डी के अंदर तक पहुंच गया था इसलिए आमरस को साफ कर रही हूं इसकी चड्डी के अंदर से

हरि - ठीक है मां आप सोनम को नीचे उतार दीजिए

"आशा अपनी उंगलियों को सोनम की चड्डी से निकाल लेती है "

"इधर बगल में हरि लेट जाता है जिससे उसका मूसल जैसा 9 इंच लंबा लन्ड साफ एक सरिया की तरह खड़ा था "

हरि - आजा छोटी बैठ जा मेरी जांघों पर

"सोनम शर्माते हुए अपनी गांड़ को हरि के लन्ड से थोड़ा नीचे हरि की जांघों पर टिका कर अपने मुंह को हरि के मुंह की तरफ करके बैठ जाती है , "

"दूसरी तरफ आशा अभी खड़ी हुई थी हरि की तरफ मुंह करके "

हरि (आशा की तरफ देखते हुए) - मां एक बात बोलूं

"सोनम चुपचाप हरि की जांघों पर बैठी हुई थी और हरि के लोहे जैसे लन्ड को पाजमे के भीतर से देखकर कामुक हुए जा रही थी

आशा - हां बेटा बोल

हरि (अपनी मां के पेटीकोट की तरफ देखते हुए ) - मां लगता है थोड़ा बहुत आमरस आपके पेटीकोट को भी लग गया है

आशा (अपनी नजरों को पेटीकोट की तरफ झुकाते हुए ) - हां बेटा थोड़ा बहुत आमरस मेरे पेटीकोट पर भी फैल गया था उस वक्त

हरि - मां आप भी अपने पेटीकोट के अंदर हाथ डाल के देख लो कहीं आमरस अंदर तक तो नहीं पहुंच गया

"तभी सोनम बोल पड़ती है "

सोनम (मुस्कराते हुए ) - भईया आप खुद ही देख लो ना

हरि (शरमाता हुआ ) - इसमें कोनसी बड़ी बात है छोटी मैं देख लेता हूं

हरि - मां ऐसा करिए आप

आशा (शरमाते हुए ) - हां बेटा बोलो

हरि (मां की तरफ देखते हुए ) - मां आपका ये पेटीकोट आमरस से गंदा हो गया है , आप भी इसे उतार के नीचे रख दो

"सोनम ये बात सुनकर मन ही मन मुस्कुराने लगी"

सोनम (मन में ) - लगता है हरि भईया , मां को नंगी करके ही मानेंगे

आशा (थोड़ा मुस्कुराते हुए )- लेकिन बेटा मैं नीचे सोनम की तरह चड्डी नहीं पहनती

"तभी सोनम बोल पड़ती है "

सोनम - तो क्या हुआ मां

आशा - अच्छा खुद लाडली ने तो चड्डी पहन रखी है और मुझे नंगी करवाना चाहती है

सोनम - मां उतार दो, पता लग जायेगा कहीं आपके पेटीकोट के अंदर आमरस तो नहीं पहुंच गया

हरि - हां मां आप अपना पेटीकोट उतार दीजिए सोनम ठीक कह रही है

आशा - लेकिन बेटा मुझे थोड़ी शर्म आ रही है

हरि - शर्म किस बात की मां , हम दोनो तुम्हारे बच्चे ही तो है , और तुम हमारी प्यारी मां

आशा - लेकिन बेटा तूने तो पाजामा पहन रखा है और सोनम ने अपनी चड्डी पहन रखी है, मैं अकेली नीचे से नंगी हो जाऊंगी

सोनम - ठीक है मां मैं समझ गई आप क्या कहना चाहती हो

आशा - क्या समझ गई तू बेटी

सोनम - यही कि आप चाहती हो कि मैं भी अपनी चड्डी उतार दूं और हरि भईया अपने पजामे को उतार दें ,तब आपको इतनी शर्म नहीं लगेगी

आशा - बेटी तू कितनी होशियार हो गई है मेरी लाडली

हरि - हां तो मां हम इतना भी नहीं कर सकते क्या दोनो भाई -बहन अपनी प्यारी सी मां के लिए

आशा - बेटा तुम दोनो कितने अच्छे हो

हरि - सोनम मेरे ऊपर से खड़ी होजा

"अब सोनम हरि के ऊपर से खड़ा हो जाती है और हरि भी अपने खड़े लन्ड को लेकर खड़ा हो जाता है "

"अब तीनों मां बेटे एक त्रिभुज की आकृति बनाकर खड़े हो जाते हैं "

सोनम - भईया पहले आप अपना पजामा उतार दीजिए फिर मैं अपनी चड्डी और और मां अपना पेटीकोट उतार देगी

"हरि सेहमते हुए अपने पजामे के नाडे को खोल देता है और अपने एक हाथ से लन्ड को ढकने की कोशिश करता है और दूसरे हाथ से पजामे से नीचे सरका देता है "

सोनम (हरि के लन्ड की तरफ देखते हुए ) - भईया हाथ हटाओ वहां से , अपनी बहन और मां से इतना क्यों शरमा रहे हो

आशा - हां बेटा इसमें शरमाने की क्या बात है मैं भी तो अपने पेटीकोट को उतारूंगी

"सोनम और आशा के कहने से हरी अपने हाथ को लन्ड से हटाकर उसे हवा में खुला छोड़ देता है"

"आशा और सोनम हरि को लन्ड को हवा में झूलता देखकर , थूक को गले के अंदर गटकने लग जाती है"

"हरि का तगड़े लन्ड को लहराते देख ,आशा और सोनम की गीली हो जाती है "

हरि - छोटी अब तू उतार तेरी चड्डी

सोनम - भईया तुम ही उतार तो अपने हाथों से

हरि - ठीक है छोटी मैं उतार देता हूं

"हरि अपनी जगह से चलकर सोनम के पास चला गया , चलते वक्त हरी का लंबा तगड़ा तना हुआ लन्ड एक गधे के लन्ड की तरह झटके खा रहा था ,जिसे देखकर आशा और सोनम की चूत और ज्यादा गीली हो जाती है और सोनम के पैरों में जमीन पर घुटने गड़ा कर बैठ जाता है और और सोनम की गोरी गोरी जांघ और चड्डी को देखने लग गया "


सोनम - भईया उतारो मेरी कच्छी को ,मुझे बाद में देख लेना

"हरि अपने हाथ को सोनम की कमर से होता हुआ उसकी चड्डी की रबड़ पर रख देता है "

"और धीरे - धीरे सोनम की गुलाबी रंग की चड्डी को उतारने लगता है "

"जैसे जैसे हरि सोनम की चड्डी को नीचे सरका रहा था वैसे वैसे ही उसके लन्ड के झटके खाने की रफ्तार बढ़ती जाती है "

"सोनम एक तरफ शर्मा रही थी तो दूसरे तरफ अपने भाई के हाथों से अपनी चड्डी को उतारते देख वासना में डूबे जा रही थी "

"अब हरि सोनम की चड्डी को उतारकर उसके पैरों तक ले जाता है और सोनम अपने पैरों को एक छोटे बच्चे की तरह ऊपर उठाकर अपनी चड्डी को अपने शरीर से अलग करवा देती है "

"हरि के चेहरे के सामने सोनम की छोटी सी चूत पूरी नग्न अवस्था में थी "

हरि (सोनम की चूत की तरफ देखकर ) - छोटी तेरी ये... तो बहुत गीली हो गई है

सोनम (मन में ) - सब आपके मोटे लन्ड का कमाल है भईया

सोनम - वो भईया लगता है आमरस की वजह से मेरी ये.. गीली हो गई है शायद

आशा (प्यार से डाटते हुए) - क्या ये... वो कर रहे हो दोनो , तुमको पता नहीं है इसे क्या बोलते है जो गीली हो गई है

"आशा अपनी जगह से चलकर सोनम और हरि के पास चली जाती है "

आशा (सोनम की चूत पर हाथ रखते हुए ) - इसे चूत बोलते हैं मेरे प्यारे बच्चो ,अब आगे से इसे चूत ही बोलना दोनो, ये ... वो...मत करना

"मां के मुंह से चूत सुनकर हरि की वासना और बढ़ जाती है "

"सोनम की फूली हुई छोटी सी चूत देखकर हरि का बुरा हाल हो गया था , हरि का चेहरा उसकी चूत के बिलकुल सामने था "

हरि (मन में ) - मन कर रहा है , सोनम की छोटी सी चूत को अपने मुंह में भर के इसे चबा जाऊं

"अब सोनम की चूत हल्का हल्का रस छोड़ रही थी "

हरि (आशा की तरफ नजर घुमाते हुए) - मां अब तुम्हारा भी पेटीकोट खोल दो

आशा - बेटा तू ही खोल दे मेरा भी

हरि - ठीक है मां

"हरि आशा की कमर पर एक हाथ रख देता है और धीरे से अपने हाथ को आशा के पेटीकोट के नाडे के पास ले जाता है और नाडे की गांठ को खोल देता है और पेटीकोट को अपने हाथों से छोड़ देता है और आशा का पेटीकोट एक छड़ में जमीन पर गिर जाता है "

"अब आशा नीचे से पूरी नंगी हो गई थी और उसकी बड़ी झांटों वाली चूत हरि के सामने पूरी नंगी थी "

"हरि उसी अवस्था में जमीन में घुटने गड़ा कर बैठा था "

"मां की झांटों वाली चूत को देखकर हरि पागल सा हो जाता है अब दोनो मां बेटी और हरि कमर के नीचे से नग्न अवस्था में थे "

"आशा और सोनम की चूत हरि के लन्ड की वजह से बूंद बूंद करके रस छोड़ रही थी , वही हाल हरि का हो गया था हरि का लन्ड भी सोनम की फूली हुई गुलाबी चूत और आशा की झांटों वाली परिपक्व चूत को देखते ही टप टप के वीर्य छोड़ रहा था "
Kadak update bhai
 

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"ऐसा कहते ही आशा अपनी चारों उंगलियां अपनी बेटी की चड्डी के अंदर डाल देती है और अपनी चारों उंगलियों को सोनम की चिकनी चूत पर रख देती है , और धीरे - धीरे सोनम चूत की फांकों को रगड़ने लग जाती है"

"आशा अपने हाथ से , सोनम की चिकनी चूत की फूली हुई फांकों को कभी दबा रही थी तो कभी सहला रही थी "

"सोनम की कामुकता बढ़ती जा रही थी"

सोनम - मां उधर देखो भईया का लन्ड कितने जोर से फड़फड़ा रहा है

आशा - हां बेटी ,मेरा हरि बेटा बहुत तड़प रहा है हमको ऐसे देखकर ,मुझे बहुत दया आ रही है हरि के ऊपर ,बेचारा चुपचाप लेटा हुआ है

सोनम - मां भैया पर इतनी दया आ रही है तो उन्हें भी यहीं बुला लो और जैसे आप मेरी चूत के लावा को निकलवाने में मेरी मदद कर रही हो वैसे ही भैया के लन्ड से निकलने वाले ज्वालामुखी में उनकी भी थोड़ी मदद कर दो

आशा - बेटी तू बात तो सही कह रही है , आखिर एक मां अपनी संतान को इस तरह से तड़पते हुए नहीं देख सकती बेटी

सोनम - तो फिर मां बुला लो इधर हरि भईया को

आशा - लेकिन बेटी मैं हरि को बुलाऊं कैसे हमारे पास ??

सोनम - मैं बताऊं मां

आशा - नहीं मैं बुला लूंगी मेरे हरि को अपने हिसाब से

""ऐसा कहते ही आशा जोर सोनम की चूत की फांकों को अपनी हथेली से मसल देती है"

सोनम - आआह्ह...मां थोड़ा आराम से दबाओ ना

आशा - बेटी मजा नहीं आ रहा क्या

सोनम - मां मजा तो आ रहा है , आज तक मेरी चूत को किसी ने मसला नहीं अभी तक इसलिए थोड़ा खलबली सी मच जाती है मां , आप हरि भैया को बुला लीजिए वो वहां तड़प तड़प के मार जायेंगे

"आशा हरि की तरफ देखते हुए "

आशा - बेटा हरि , जरा इधर आना मेरे पास

हरि (थोड़ा सकपकाते हुए) - क्या हुआ मां

आशा - इधर तो आ पहले वहीं से ही जान लेगा क्या सारी बातें

"हरि जमीन से खड़ा होता है और अपने पजामे में खड़े हुए लन्ड को लेकर अपनी मां और बहन के पास पहुंच जाता है , जहां सोनम आशा की जांघो पर बैठी हुई थी और आशा का एक हाथ सोनम की चड्डी में घुसा हुआ था और दूसरा हाथ सोनम की नंगी जांघ पर घूम रहा था "

" मां और बहन को ऐसे देखकर , हरि का लन्ड बेकाबू हो जाता है और जोर जोर से फड़फड़ाने लगता है"

हरि - बताइए मां क्या काम है

आशा - देख बेटा सोनम मेरी जांघों पर कब से बैठी है और मेरी जांघें दुखने लगी है , तू ऐसा कर

हरि - जी मां बोलिए

आशा - बेटा तू सोनम को अपनी जांघो पर बिठा ले और मैं नीचे बैठ जाती हूं

"सोनम को इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि उसकी मां उसके लिए इतना सोच सकती है , सोनम आशा की बात को सुनकर खुश हो जाती है "

सोनम -हां मां आपने मेरे मन की बात छीन ली , मैं भी यही कहना चाह रही थी

हरि - ठीक है मां ,लेकिन सोनम ने अपनी सलवार क्यों उतार रखी है

आशा - अरे बेटा , जब में सोनम को आम चटा रही थी उस वक्त मेरे हाथ से पूरा आमरस सोनम की सलवार पर फैल गया था इसलिए बेटा सोनम की सलवार को धोने के लिए उतार दिया था

हरि - और अपने सोनम की चड्डी में अपना हाथ क्यों डाल रखा है

आशा - बेटा वो आमरस बहता हुआ इसकी चड्डी के अंदर तक पहुंच गया था इसलिए आमरस को साफ कर रही हूं इसकी चड्डी के अंदर से

हरि - ठीक है मां आप सोनम को नीचे उतार दीजिए

"आशा अपनी उंगलियों को सोनम की चड्डी से निकाल लेती है "

"इधर बगल में हरि लेट जाता है जिससे उसका मूसल जैसा 9 इंच लंबा लन्ड साफ एक सरिया की तरह खड़ा था "

हरि - आजा छोटी बैठ जा मेरी जांघों पर

"सोनम शर्माते हुए अपनी गांड़ को हरि के लन्ड से थोड़ा नीचे हरि की जांघों पर टिका कर अपने मुंह को हरि के मुंह की तरफ करके बैठ जाती है , "

"दूसरी तरफ आशा अभी खड़ी हुई थी हरि की तरफ मुंह करके "

हरि (आशा की तरफ देखते हुए) - मां एक बात बोलूं

"सोनम चुपचाप हरि की जांघों पर बैठी हुई थी और हरि के लोहे जैसे लन्ड को पाजमे के भीतर से देखकर कामुक हुए जा रही थी

आशा - हां बेटा बोल

हरि (अपनी मां के पेटीकोट की तरफ देखते हुए ) - मां लगता है थोड़ा बहुत आमरस आपके पेटीकोट को भी लग गया है

आशा (अपनी नजरों को पेटीकोट की तरफ झुकाते हुए ) - हां बेटा थोड़ा बहुत आमरस मेरे पेटीकोट पर भी फैल गया था उस वक्त

हरि - मां आप भी अपने पेटीकोट के अंदर हाथ डाल के देख लो कहीं आमरस अंदर तक तो नहीं पहुंच गया

"तभी सोनम बोल पड़ती है "

सोनम (मुस्कराते हुए ) - भईया आप खुद ही देख लो ना

हरि (शरमाता हुआ ) - इसमें कोनसी बड़ी बात है छोटी मैं देख लेता हूं

हरि - मां ऐसा करिए आप

आशा (शरमाते हुए ) - हां बेटा बोलो

हरि (मां की तरफ देखते हुए ) - मां आपका ये पेटीकोट आमरस से गंदा हो गया है , आप भी इसे उतार के नीचे रख दो

"सोनम ये बात सुनकर मन ही मन मुस्कुराने लगी"

सोनम (मन में ) - लगता है हरि भईया , मां को नंगी करके ही मानेंगे

आशा (थोड़ा मुस्कुराते हुए )- लेकिन बेटा मैं नीचे सोनम की तरह चड्डी नहीं पहनती

"तभी सोनम बोल पड़ती है "

सोनम - तो क्या हुआ मां

आशा - अच्छा खुद लाडली ने तो चड्डी पहन रखी है और मुझे नंगी करवाना चाहती है

सोनम - मां उतार दो, पता लग जायेगा कहीं आपके पेटीकोट के अंदर आमरस तो नहीं पहुंच गया

हरि - हां मां आप अपना पेटीकोट उतार दीजिए सोनम ठीक कह रही है

आशा - लेकिन बेटा मुझे थोड़ी शर्म आ रही है

हरि - शर्म किस बात की मां , हम दोनो तुम्हारे बच्चे ही तो है , और तुम हमारी प्यारी मां

आशा - लेकिन बेटा तूने तो पाजामा पहन रखा है और सोनम ने अपनी चड्डी पहन रखी है, मैं अकेली नीचे से नंगी हो जाऊंगी

सोनम - ठीक है मां मैं समझ गई आप क्या कहना चाहती हो

आशा - क्या समझ गई तू बेटी

सोनम - यही कि आप चाहती हो कि मैं भी अपनी चड्डी उतार दूं और हरि भईया अपने पजामे को उतार दें ,तब आपको इतनी शर्म नहीं लगेगी

आशा - बेटी तू कितनी होशियार हो गई है मेरी लाडली

हरि - हां तो मां हम इतना भी नहीं कर सकते क्या दोनो भाई -बहन अपनी प्यारी सी मां के लिए

आशा - बेटा तुम दोनो कितने अच्छे हो

हरि - सोनम मेरे ऊपर से खड़ी होजा

"अब सोनम हरि के ऊपर से खड़ा हो जाती है और हरि भी अपने खड़े लन्ड को लेकर खड़ा हो जाता है "

"अब तीनों मां बेटे एक त्रिभुज की आकृति बनाकर खड़े हो जाते हैं "

सोनम - भईया पहले आप अपना पजामा उतार दीजिए फिर मैं अपनी चड्डी और और मां अपना पेटीकोट उतार देगी

"हरि सेहमते हुए अपने पजामे के नाडे को खोल देता है और अपने एक हाथ से लन्ड को ढकने की कोशिश करता है और दूसरे हाथ से पजामे से नीचे सरका देता है "

सोनम (हरि के लन्ड की तरफ देखते हुए ) - भईया हाथ हटाओ वहां से , अपनी बहन और मां से इतना क्यों शरमा रहे हो

आशा - हां बेटा इसमें शरमाने की क्या बात है मैं भी तो अपने पेटीकोट को उतारूंगी

"सोनम और आशा के कहने से हरी अपने हाथ को लन्ड से हटाकर उसे हवा में खुला छोड़ देता है"

"आशा और सोनम हरि को लन्ड को हवा में झूलता देखकर , थूक को गले के अंदर गटकने लग जाती है"

"हरि का तगड़े लन्ड को लहराते देख ,आशा और सोनम की गीली हो जाती है "

हरि - छोटी अब तू उतार तेरी चड्डी

सोनम - भईया तुम ही उतार तो अपने हाथों से

हरि - ठीक है छोटी मैं उतार देता हूं

"हरि अपनी जगह से चलकर सोनम के पास चला गया , चलते वक्त हरी का लंबा तगड़ा तना हुआ लन्ड एक गधे के लन्ड की तरह झटके खा रहा था ,जिसे देखकर आशा और सोनम की चूत और ज्यादा गीली हो जाती है और सोनम के पैरों में जमीन पर घुटने गड़ा कर बैठ जाता है और और सोनम की गोरी गोरी जांघ और चड्डी को देखने लग गया "


सोनम - भईया उतारो मेरी कच्छी को ,मुझे बाद में देख लेना

"हरि अपने हाथ को सोनम की कमर से होता हुआ उसकी चड्डी की रबड़ पर रख देता है "

"और धीरे - धीरे सोनम की गुलाबी रंग की चड्डी को उतारने लगता है "

"जैसे जैसे हरि सोनम की चड्डी को नीचे सरका रहा था वैसे वैसे ही उसके लन्ड के झटके खाने की रफ्तार बढ़ती जाती है "

"सोनम एक तरफ शर्मा रही थी तो दूसरे तरफ अपने भाई के हाथों से अपनी चड्डी को उतारते देख वासना में डूबे जा रही थी "

"अब हरि सोनम की चड्डी को उतारकर उसके पैरों तक ले जाता है और सोनम अपने पैरों को एक छोटे बच्चे की तरह ऊपर उठाकर अपनी चड्डी को अपने शरीर से अलग करवा देती है "

"हरि के चेहरे के सामने सोनम की छोटी सी चूत पूरी नग्न अवस्था में थी "

हरि (सोनम की चूत की तरफ देखकर ) - छोटी तेरी ये... तो बहुत गीली हो गई है

सोनम (मन में ) - सब आपके मोटे लन्ड का कमाल है भईया

सोनम - वो भईया लगता है आमरस की वजह से मेरी ये.. गीली हो गई है शायद

आशा (प्यार से डाटते हुए) - क्या ये... वो कर रहे हो दोनो , तुमको पता नहीं है इसे क्या बोलते है जो गीली हो गई है

"आशा अपनी जगह से चलकर सोनम और हरि के पास चली जाती है "

आशा (सोनम की चूत पर हाथ रखते हुए ) - इसे चूत बोलते हैं मेरे प्यारे बच्चो ,अब आगे से इसे चूत ही बोलना दोनो, ये ... वो...मत करना

"मां के मुंह से चूत सुनकर हरि की वासना और बढ़ जाती है "

"सोनम की फूली हुई छोटी सी चूत देखकर हरि का बुरा हाल हो गया था , हरि का चेहरा उसकी चूत के बिलकुल सामने था "

हरि (मन में ) - मन कर रहा है , सोनम की छोटी सी चूत को अपने मुंह में भर के इसे चबा जाऊं

"अब सोनम की चूत हल्का हल्का रस छोड़ रही थी "

हरि (आशा की तरफ नजर घुमाते हुए) - मां अब तुम्हारा भी पेटीकोट खोल दो

आशा - बेटा तू ही खोल दे मेरा भी

हरि - ठीक है मां

"हरि आशा की कमर पर एक हाथ रख देता है और धीरे से अपने हाथ को आशा के पेटीकोट के नाडे के पास ले जाता है और नाडे की गांठ को खोल देता है और पेटीकोट को अपने हाथों से छोड़ देता है और आशा का पेटीकोट एक छड़ में जमीन पर गिर जाता है "

"अब आशा नीचे से पूरी नंगी हो गई थी और उसकी बड़ी झांटों वाली चूत हरि के सामने पूरी नंगी थी "

"हरि उसी अवस्था में जमीन में घुटने गड़ा कर बैठा था "

"मां की झांटों वाली चूत को देखकर हरि पागल सा हो जाता है अब दोनो मां बेटी और हरि कमर के नीचे से नग्न अवस्था में थे "

"आशा और सोनम की चूत हरि के लन्ड की वजह से बूंद बूंद करके रस छोड़ रही थी , वही हाल हरि का हो गया था हरि का लन्ड भी सोनम की फूली हुई गुलाबी चूत और आशा की झांटों वाली परिपक्व चूत को देखते ही टप टप के वीर्य छोड़ रहा था "
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