अपडेट 13
अब मुझे मां के कमरे में आने का इंतजार था, रात के १० बज चुके थे, मैं आंख बंद करके बिस्तर पर लेटा हुआ था, तभी मुझे मां के पायल और चूड़ियों की आवाज सुनाई दी, मैं समझ गया कि मां आ रही हैं, उन्होंने कमरे के अंदर घुसते ही किवाड़ बंद कर दिया और फिर दवाई खाने के बाद ऐसे ही बिस्तर पर आकर लेट गई और मेरे गाल सहला कर बालों में उंगलियां फेरने लगीं।
तभी अचानक से मां ने साड़ी का पल्लू अपनी छाती पर से सरका दिया और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी जिसे देखकर मैं बिलकुल स्तब्ध रह गया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मां ऐसा क्यों कर रही हैं? मां ने अपनी ब्लाउज खोलकर अपनी चुचियों को आजाद कर दिया, मां के स्तन बिलकुल किसी गाय के थन के जैसे लग रहे थे बड़े–बड़े, उसके बाद मां खुद से अपने स्तन को हल्के–हल्के दबाने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे एक–एक करके अपने दोनों चूचे को अपने दोनों हथेलियों से दबाकर मालिश कर रही थीं।
कुछ देर बाद मां करवट लेकर मेरे पास आ गई और अपने स्तन को मेरे चहरे से भिड़ाने लगीं जैसे ही मां की बड़ी बड़ी थन जैसे चूचियां मेरे गालों और होंठों से लगी तो पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने हवा में ही मां की चूचे को अपने होंठों में पकड़ कर मुंह में भर लिया और अपनी जीभ से निप्पल पर कोड़े मारते हुए उसे चूसने लगा, ऐसा मैंने जानबूझ कर नहीं किया था बस मुझसे खुद हो गया, मैं निप्पल के साथ–साथ पूरे घेरे को मुंह के अंदर तक लेकर चूस रहा था तभी मैंने अपनी जीभ पर कुछ मीठा सा महसूस किया।
मैं समझ गया की यह मिठास मां के दूध की है मेरे मुंह में दूध आना शुरू हो गया था और ऐसे ही मैं मां का दूध चूस–चूसकर पीता रहा, 10 से 12 मिनट में मैंने मां के स्तन का दूध पीकर खाली कर दिया था लेकिन फिर भी चूसे जा रहा था, तभी मां को महसूस हुआ कि एक चूचे में से दूध बिलकुल खत्म हो गया है तो उन्होंने दूसरे चूचे को मेरे होंठों से भिड़ा दिया और मैंने उसे मुंह में लेकर अपनी जीभ से कोड़े मारते हुए चूसने लगा और तबतक चूसता रहा जबतक उसमें का पूरा दूध खत्म नहीं हो गया, फिर मां ने अपने चूचे को मेरे मुंह से बाहर किया और अपनी ब्लाउज पहनकर उठने लगी।
मेरे दिल में मां को लेकर बहुत सवाल उठ रहे थे और मुझे पता था कि आज हिम्मत करके नहीं पूछूंगा तो शायद मुझे अपने सवालों के उत्तर कभी नहीं मिलेंगे, जैसे ही मां बिस्तर से उठने लगी तो मैं अपनी आंखें खोलकर मां को देखने लगा, मां ने मुझे देखा और बोली "बलवान तू उठ गया?"
"मां, मैं जाग रहा था आज मैंने रसोई में तुम्हें अपने दूध में नींद की गोली डालते हुए देख लिया था"
"क्या?" और फिर मां रोने लगी।
"मां चुप हो जाओ, मैं समझ सकता हूं तुम्हारी कोई मजबूरी है, तुम मुझे सब कुछ बताओगी तो मैं तुम्हारी मदद करूंगा"
"बेटा, मैं कहां से शुरू करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है"
"मां, अब मुझे कुछ छुपाने का कोई फायदा नहीं है, प्लीज बताओ ताकि मैं तुम्हारी मदद कर सकूं"
"बलवान, तुझे याद है कि उस दिन मैं तेरे साथ गांव के सरकारी अस्पताल गई थी, मेरी तबियत कुछ दिन से बहुत खराब थी तो सविता जी ने मुझे कुछ टेस्ट करवाने के लिए कहा था, उस दिन जब रिपोर्ट आई तो सविता जी ने बताया कि मेरी छाती में दूध आने लगा है जिसकी वजह से मेरी छाती में दर्द रहता है और अगर दूध को छाती से बाहर नहीं निकाला गया तो मुझे कैंसर तक हो सकता है"
"क्या ???? लेकिन मां तुम्हारी छाती में दूध कैसे बनने लगा, तुम गर्भवती तो हो नहीं और न ही तुम्हारा कोई बच्चा हुआ है तो ऐसे कैसे हो सकता है क्योंकि औरत की छाती में दूध तो बच्चे पैदा करने के बाद आता है"
"हां बेटा लेकिन मेरे साथ कुछ अजीब हुआ है जिसकी वजह से मेरी छाती में दूध बनने लगा"
"क्या हुआ है?"
"बेटा, मैं तुम्हारी मां हूं यह सब मुझे तुम्हें बताने में शर्म आ रही है"
"मां, तुम मुझे कुछ बताओगी नहीं तो मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा"
"ठीक है तो सुन बेटा, मैं संभोग के बाद गर्भनिरोधक गोलियो का सेवन लगातार कर रही थी क्योंकि तेरे बापू हमेशा मेरे साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाते थे और उन्होंने ही मुझे इन गर्भनिरोधक गोलिया का सेवन करने के लिए कहा था लेकिन मुझे क्या पता था कि ये गोलियां मेरे लिए हानिकारक साबित होंगी, इन गर्भनिरोधक गोलियों के एलर्जी की वजह से ही मेरी छाती में दूध बनने लगा" कहकर मां रोने लगी
मुझे मेरे सवालों के जवाब अब पता चल गए थे कि क्यों मेरा पेट सुबह भरा–भरा सा रहता है और क्यों मां की तबियत सुबह ठीक रहती है और क्यों शाम को उनकी तबियत बिगड़ जाती है, सुबह मां के छाती में दूध नही रहता है इसलिए उनकी छाती में दर्द नहीं होता और वह खुश रहती हैं जबकि शाम को मां की छाती दूध की वजह से भारी हो जाती है इसलिए छाती में दर्द रहता है और वह उदास रहती हैं।