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Incest परिवार में चूदाई का सुख (एडल्टरी, थ्रिलर, क्राइम, सस्पेंस)

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Rudransh120

The Destroyer
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कुछ देर के बाद मैं खाने के लिए कमरे से बाहर आकर चटाई पर बैठ गया और खाने के बाद मैं कमरे में वापस चला गया क्योंकि आज बापू खेत में सोने के लिए जाने वाले थे तो मैं कमरे में जाकर आराम से बिस्तर पर लेट गया और मुझे पता तक नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गई।

अगले दिन सुबह मेरी नींद 6 बजे खुली तो मैं कसरत करने के लिए घर के पिछवाड़े में चला गया, आज शरीर में अलग तरह की ऊर्जा को महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था जैसे शरीर में कितनी जान आ गई हो, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत जाने के लिए तैयार हो गया।

मां रसोई में खाना बना रही थी मैंने नोटिस किया कि आज मां बहुत खुश लग रही हैं।

"मां, अब आपकी तबियत कैसी है?"
"कल से काफी ठीक है बेटा, तू चटाई पर बैठ मैं तेरे लिए खाना लेकर आती हूं"
"मां, मुझे भूख नहीं है पता नहीं मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा है"
"कोई बात नहीं रे, मैं तेरे लिए टिफिन में खाना रख देती हूं जब भूख लगे तो खा लेना"
"हां ये ठीक रहेगा"

फिर मां ने मुझे टिफिन दिया और उसके बाद मैं सुबह 7 बजे ही खेत पर चला गया, आज खेत में बहुत काम था इसलिए मैं शाम तक मैं खेत में ही था , शाम को 7 बजे मुझे खेत के काम से फुर्सत मिली तो मैं घर आ गया, आज मैं बहुत थक गया था तो मैं खाने के लिए रसोई में चला गया, मां रसोई में रोटियां बना रही थी और बहुत परेशान भी लग रही थी।

"मां, मुझे बहुत भूख लग रही है"
"बस रोटियां बना लूं, तू बैठ मैं खाना लेकर आती हूं"

मैं कमरे में चला गया , कुछ देर बाद मां मुझे खाना देने के लिए कमरे में आई।

"ले बेटा"
मैं खाने की थाली लेते हुए मां से पूछा "मां, तू बहुत परेशान लग रही है"
"हां रे फिर से तबियत थोड़ी बिगड़ गई है , तू चिंता मत कर सुबह तक मैं ठीक हो जाऊंगी" कहकर मां कमरे से बाहर चली गई, खाने के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं सो गया।

अगले दिन सुबह मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत पर जाने के लिए तैयार हो गया, आज सुबह फिर से मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा था, मां कल सुबह की तरह आज बिलकुल खुश लग रही थी। मैं टिफिन लेकर खेत पर आ गया और आज का दिन भी खेत में काम करते हुए बीत गया, शाम को मैं घर चला गया तो देखा कि कल शाम की तरह मां बहुत परेशान लग रही थी, मैंने मां से पूछा तो उन्होंने कल के जैसे ही उत्तर दिया और मुझे कमरे में खाना देकर चली गई, खाने के बाद मैं फिर से मुझे नींद आने लगी।

फिर मेरी आंखें अगले दिन खुली, आज फिर से मुझे मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लगा रहा था, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है सुबह तो मां की तबियत बिलकुल ठीक रहती है और अचानक शाम को मां की तबियत बिगड़ जाती है।

कुछ दिन ऐसे ही गुजरते चले गए, धीरे धीरे मां की तबियत ठीक होने लगी थी लेकिन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कुछ तो ऐसा था जो मुझे पता नहीं था, रात में बापू खेत में ही सोते थे और मुझे तो बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती थी।

एक दिन शाम को मैं घर पर था, उस दिन मैं खेत पर नहीं गया था, मैं आंगन में टीवी देख रहा था।

"बलवान, तेरे लिए खाना लगा दूं"
"हां मां लगा दे" कहकर मैं हाथ मुंह धोने के लिए जब रसोई के पास से गुजर रहा था तो मेरी नजर रसोई में चली गई, मैंने देखा कि मां मेरे दूध में ग्लास में नींद की गोली डाल रही थी, नींद की गोली मुझे ऐसे पता चली कि बापू को माइग्रेन की प्रोब्लम है तो वह कभी–कभी नींद की गोली लेते हैं यह गोली वही थी गुलाबी रंग की।

मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मां ऐसा क्यों कर रही हैं, मेरे दूध के ग्लास में नींद की गोली क्यों डाल रही हैं????

कुछ देर के बाद मां ने मुझे खाना दिया और मैं खाने के बाद दूध भी पीता था तो मां ने दूध का ग्लास साथ में ही रख दिया था, खाने के बाद मैंने मौका देखकर दूध को बाहर गमले में उड़ेलकर दूध के ग्लास को रसोई में रख दिया और फिर मैं कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया।

मेरे मन में बहुत से सवाल चल रहे थे जिनका उत्तर मेरे पास नहीं था इतने दिन से मां मुझे नींद की गोलियां दे रही हैं लेकिन किसलिए? कोई बात नहीं आज तो पता चल ही जाएगा।
Bhai aap story to badhiya likhte he par update bade late dete he is vajah he hum aage ki puri story hi bhul jate he...

Ho sake to thode jaldi update de diya kare...
 

Rudransh120

The Destroyer
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कुछ देर के बाद मैं खाने के लिए कमरे से बाहर आकर चटाई पर बैठ गया और खाने के बाद मैं कमरे में वापस चला गया क्योंकि आज बापू खेत में सोने के लिए जाने वाले थे तो मैं कमरे में जाकर आराम से बिस्तर पर लेट गया और मुझे पता तक नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गई।

अगले दिन सुबह मेरी नींद 6 बजे खुली तो मैं कसरत करने के लिए घर के पिछवाड़े में चला गया, आज शरीर में अलग तरह की ऊर्जा को महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था जैसे शरीर में कितनी जान आ गई हो, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत जाने के लिए तैयार हो गया।

मां रसोई में खाना बना रही थी मैंने नोटिस किया कि आज मां बहुत खुश लग रही हैं।

"मां, अब आपकी तबियत कैसी है?"
"कल से काफी ठीक है बेटा, तू चटाई पर बैठ मैं तेरे लिए खाना लेकर आती हूं"
"मां, मुझे भूख नहीं है पता नहीं मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा है"
"कोई बात नहीं रे, मैं तेरे लिए टिफिन में खाना रख देती हूं जब भूख लगे तो खा लेना"
"हां ये ठीक रहेगा"

फिर मां ने मुझे टिफिन दिया और उसके बाद मैं सुबह 7 बजे ही खेत पर चला गया, आज खेत में बहुत काम था इसलिए मैं शाम तक मैं खेत में ही था , शाम को 7 बजे मुझे खेत के काम से फुर्सत मिली तो मैं घर आ गया, आज मैं बहुत थक गया था तो मैं खाने के लिए रसोई में चला गया, मां रसोई में रोटियां बना रही थी और बहुत परेशान भी लग रही थी।

"मां, मुझे बहुत भूख लग रही है"
"बस रोटियां बना लूं, तू बैठ मैं खाना लेकर आती हूं"

मैं कमरे में चला गया , कुछ देर बाद मां मुझे खाना देने के लिए कमरे में आई।

"ले बेटा"
मैं खाने की थाली लेते हुए मां से पूछा "मां, तू बहुत परेशान लग रही है"
"हां रे फिर से तबियत थोड़ी बिगड़ गई है , तू चिंता मत कर सुबह तक मैं ठीक हो जाऊंगी" कहकर मां कमरे से बाहर चली गई, खाने के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं सो गया।

अगले दिन सुबह मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत पर जाने के लिए तैयार हो गया, आज सुबह फिर से मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा था, मां कल सुबह की तरह आज बिलकुल खुश लग रही थी। मैं टिफिन लेकर खेत पर आ गया और आज का दिन भी खेत में काम करते हुए बीत गया, शाम को मैं घर चला गया तो देखा कि कल शाम की तरह मां बहुत परेशान लग रही थी, मैंने मां से पूछा तो उन्होंने कल के जैसे ही उत्तर दिया और मुझे कमरे में खाना देकर चली गई, खाने के बाद मैं फिर से मुझे नींद आने लगी।

फिर मेरी आंखें अगले दिन खुली, आज फिर से मुझे मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लगा रहा था, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है सुबह तो मां की तबियत बिलकुल ठीक रहती है और अचानक शाम को मां की तबियत बिगड़ जाती है।

कुछ दिन ऐसे ही गुजरते चले गए, धीरे धीरे मां की तबियत ठीक होने लगी थी लेकिन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कुछ तो ऐसा था जो मुझे पता नहीं था, रात में बापू खेत में ही सोते थे और मुझे तो बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती थी।

एक दिन शाम को मैं घर पर था, उस दिन मैं खेत पर नहीं गया था, मैं आंगन में टीवी देख रहा था।

"बलवान, तेरे लिए खाना लगा दूं"
"हां मां लगा दे" कहकर मैं हाथ मुंह धोने के लिए जब रसोई के पास से गुजर रहा था तो मेरी नजर रसोई में चली गई, मैंने देखा कि मां मेरे दूध में ग्लास में नींद की गोली डाल रही थी, नींद की गोली मुझे ऐसे पता चली कि बापू को माइग्रेन की प्रोब्लम है तो वह कभी–कभी नींद की गोली लेते हैं यह गोली वही थी गुलाबी रंग की।

मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मां ऐसा क्यों कर रही हैं, मेरे दूध के ग्लास में नींद की गोली क्यों डाल रही हैं????

कुछ देर के बाद मां ने मुझे खाना दिया और मैं खाने के बाद दूध भी पीता था तो मां ने दूध का ग्लास साथ में ही रख दिया था, खाने के बाद मैंने मौका देखकर दूध को बाहर गमले में उड़ेलकर दूध के ग्लास को रसोई में रख दिया और फिर मैं कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया।

मेरे मन में बहुत से सवाल चल रहे थे जिनका उत्तर मेरे पास नहीं था इतने दिन से मां मुझे नींद की गोलियां दे रही हैं लेकिन किसलिए? कोई बात नहीं आज तो पता चल ही जाएगा।
Aur bhai story ko incest hi likhne wale ho ya Maa ko kisi aur ganv vale ya kisi ristedar se chudti he ye dikhane wale ho...
 

आवारा

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अपडेट 13

अब मुझे मां के कमरे में आने का इंतजार था, रात के १० बज चुके थे, मैं आंख बंद करके बिस्तर पर लेटा हुआ था, तभी मुझे मां के पायल और चूड़ियों की आवाज सुनाई दी, मैं समझ गया कि मां आ रही हैं, उन्होंने कमरे के अंदर घुसते ही किवाड़ बंद कर दिया और फिर दवाई खाने के बाद ऐसे ही बिस्तर पर आकर लेट गई और मेरे गाल सहला कर बालों में उंगलियां फेरने लगीं।

तभी अचानक से मां ने साड़ी का पल्लू अपनी छाती पर से सरका दिया और अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी जिसे देखकर मैं बिलकुल स्तब्ध रह गया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मां ऐसा क्यों कर रही हैं? मां ने अपनी ब्लाउज खोलकर अपनी चुचियों को आजाद कर दिया, मां के स्तन बिलकुल किसी गाय के थन के जैसे लग रहे थे बड़े–बड़े, उसके बाद मां खुद से अपने स्तन को हल्के–हल्के दबाने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे एक–एक करके अपने दोनों चूचे को अपने दोनों हथेलियों से दबाकर मालिश कर रही थीं।

कुछ देर बाद मां करवट लेकर मेरे पास आ गई और अपने स्तन को मेरे चहरे से भिड़ाने लगीं जैसे ही मां की बड़ी बड़ी थन जैसे चूचियां मेरे गालों और होंठों से लगी तो पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने हवा में ही मां की चूचे को अपने होंठों में पकड़ कर मुंह में भर लिया और अपनी जीभ से निप्पल पर कोड़े मारते हुए उसे चूसने लगा, ऐसा मैंने जानबूझ कर नहीं किया था बस मुझसे खुद हो गया, मैं निप्पल के साथ–साथ पूरे घेरे को मुंह के अंदर तक लेकर चूस रहा था तभी मैंने अपनी जीभ पर कुछ मीठा सा महसूस किया।

मैं समझ गया की यह मिठास मां के दूध की है मेरे मुंह में दूध आना शुरू हो गया था और ऐसे ही मैं मां का दूध चूस–चूसकर पीता रहा, 10 से 12 मिनट में मैंने मां के स्तन का दूध पीकर खाली कर दिया था लेकिन फिर भी चूसे जा रहा था, तभी मां को महसूस हुआ कि एक चूचे में से दूध बिलकुल खत्म हो गया है तो उन्होंने दूसरे चूचे को मेरे होंठों से भिड़ा दिया और मैंने उसे मुंह में लेकर अपनी जीभ से कोड़े मारते हुए चूसने लगा और तबतक चूसता रहा जबतक उसमें का पूरा दूध खत्म नहीं हो गया, फिर मां ने अपने चूचे को मेरे मुंह से बाहर किया और अपनी ब्लाउज पहनकर उठने लगी।

मेरे दिल में मां को लेकर बहुत सवाल उठ रहे थे और मुझे पता था कि आज हिम्मत करके नहीं पूछूंगा तो शायद मुझे अपने सवालों के उत्तर कभी नहीं मिलेंगे, जैसे ही मां बिस्तर से उठने लगी तो मैं अपनी आंखें खोलकर मां को देखने लगा, मां ने मुझे देखा और बोली "बलवान तू उठ गया?"

"मां, मैं जाग रहा था आज मैंने रसोई में तुम्हें अपने दूध में नींद की गोली डालते हुए देख लिया था"

"क्या?" और फिर मां रोने लगी।

"मां चुप हो जाओ, मैं समझ सकता हूं तुम्हारी कोई मजबूरी है, तुम मुझे सब कुछ बताओगी तो मैं तुम्हारी मदद करूंगा"
"बेटा!"
"मां, अब मुझसे कुछ छुपाने का कोई फायदा नहीं है, प्लीज बताओ ताकि मैं तुम्हारी मदद कर सकूं"
"बलवान, तुझे याद है कि उस दिन मैं तेरे साथ गांव के सरकारी अस्पताल गई थी, मेरी तबियत कुछ दिन से बहुत खराब थी तो डॉक्टर सविता ने मुझे कुछ टेस्ट करवाने के लिए कहा था, उस दिन जब रिपोर्ट आई तो उन्होंने बताया कि मेरी छाती में दूध आने लगा है जिसकी वजह से मेरी छाती में दर्द रहता है और अगर दूध को छाती से बाहर नहीं निकाला गया तो मुझे कैंसर तक हो सकता है"

"क्या ???? लेकिन मां तुम्हारी छाती में दूध कैसे बनने लगा, तुम गर्भवती तो हो नहीं तो ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि औरत की छाती में दूध तो बच्चा पैदा होने के बाद आता है"

"हां बेटा लेकिन मेरे साथ कुछ अजीब हुआ है जिसकी वजह से मेरी छाती में दूध आने लगा"

"क्या हुआ है मां?"

"बेटा, मैं तुम्हारी मां हूं मुझे शर्म आ रही है"

"मां, तुम मुझे कुछ बताओगी नहीं तो मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा"

"ठीक है तो सुन बेटा, मैं कुछ दिन से संभोग के बाद गर्भनिरोधक गोलियो का सेवन लगातार कर रही थी क्योंकि तुम्हारे बापू मेरे साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाते थे और उन्होंने ही मुझे इन गर्भनिरोधक गोलिया का सेवन करने के लिए कहा था लेकिन मुझे क्या पता था कि ये गोलियां मेरे लिए हानिकारक साबित होंगी, इन गर्भनिरोधक गोलियों का लगातार सेवन करने से ही मेरी छाती में दर्द रहने लगा और उसके बाद डॉक्टर सविता ने टेस्ट करवाए तो पता चला कि मेरी छाती में दूध आने लगा है" कहकर मां रोने लगी।
 
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