Dar
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Bhai aap story to badhiya likhte he par update bade late dete he is vajah he hum aage ki puri story hi bhul jate he...अपडेट 12
कुछ देर के बाद मैं खाने के लिए कमरे से बाहर आकर चटाई पर बैठ गया और खाने के बाद मैं कमरे में वापस चला गया क्योंकि आज बापू खेत में सोने के लिए जाने वाले थे तो मैं कमरे में जाकर आराम से बिस्तर पर लेट गया और मुझे पता तक नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गई।
अगले दिन सुबह मेरी नींद 6 बजे खुली तो मैं कसरत करने के लिए घर के पिछवाड़े में चला गया, आज शरीर में अलग तरह की ऊर्जा को महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था जैसे शरीर में कितनी जान आ गई हो, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत जाने के लिए तैयार हो गया।
मां रसोई में खाना बना रही थी मैंने नोटिस किया कि आज मां बहुत खुश लग रही हैं।
"मां, अब आपकी तबियत कैसी है?"
"कल से काफी ठीक है बेटा, तू चटाई पर बैठ मैं तेरे लिए खाना लेकर आती हूं"
"मां, मुझे भूख नहीं है पता नहीं मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा है"
"कोई बात नहीं रे, मैं तेरे लिए टिफिन में खाना रख देती हूं जब भूख लगे तो खा लेना"
"हां ये ठीक रहेगा"
फिर मां ने मुझे टिफिन दिया और उसके बाद मैं सुबह 7 बजे ही खेत पर चला गया, आज खेत में बहुत काम था इसलिए मैं शाम तक मैं खेत में ही था , शाम को 7 बजे मुझे खेत के काम से फुर्सत मिली तो मैं घर आ गया, आज मैं बहुत थक गया था तो मैं खाने के लिए रसोई में चला गया, मां रसोई में रोटियां बना रही थी और बहुत परेशान भी लग रही थी।
"मां, मुझे बहुत भूख लग रही है"
"बस रोटियां बना लूं, तू बैठ मैं खाना लेकर आती हूं"
मैं कमरे में चला गया , कुछ देर बाद मां मुझे खाना देने के लिए कमरे में आई।
"ले बेटा"
मैं खाने की थाली लेते हुए मां से पूछा "मां, तू बहुत परेशान लग रही है"
"हां रे फिर से तबियत थोड़ी बिगड़ गई है , तू चिंता मत कर सुबह तक मैं ठीक हो जाऊंगी" कहकर मां कमरे से बाहर चली गई, खाने के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं सो गया।
अगले दिन सुबह मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत पर जाने के लिए तैयार हो गया, आज सुबह फिर से मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा था, मां कल सुबह की तरह आज बिलकुल खुश लग रही थी। मैं टिफिन लेकर खेत पर आ गया और आज का दिन भी खेत में काम करते हुए बीत गया, शाम को मैं घर चला गया तो देखा कि कल शाम की तरह मां बहुत परेशान लग रही थी, मैंने मां से पूछा तो उन्होंने कल के जैसे ही उत्तर दिया और मुझे कमरे में खाना देकर चली गई, खाने के बाद मैं फिर से मुझे नींद आने लगी।
फिर मेरी आंखें अगले दिन खुली, आज फिर से मुझे मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लगा रहा था, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है सुबह तो मां की तबियत बिलकुल ठीक रहती है और अचानक शाम को मां की तबियत बिगड़ जाती है।
कुछ दिन ऐसे ही गुजरते चले गए, धीरे धीरे मां की तबियत ठीक होने लगी थी लेकिन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कुछ तो ऐसा था जो मुझे पता नहीं था, रात में बापू खेत में ही सोते थे और मुझे तो बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती थी।
एक दिन शाम को मैं घर पर था, उस दिन मैं खेत पर नहीं गया था, मैं आंगन में टीवी देख रहा था।
"बलवान, तेरे लिए खाना लगा दूं"
"हां मां लगा दे" कहकर मैं हाथ मुंह धोने के लिए जब रसोई के पास से गुजर रहा था तो मेरी नजर रसोई में चली गई, मैंने देखा कि मां मेरे दूध में ग्लास में नींद की गोली डाल रही थी, नींद की गोली मुझे ऐसे पता चली कि बापू को माइग्रेन की प्रोब्लम है तो वह कभी–कभी नींद की गोली लेते हैं यह गोली वही थी गुलाबी रंग की।
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मां ऐसा क्यों कर रही हैं, मेरे दूध के ग्लास में नींद की गोली क्यों डाल रही हैं????
कुछ देर के बाद मां ने मुझे खाना दिया और मैं खाने के बाद दूध भी पीता था तो मां ने दूध का ग्लास साथ में ही रख दिया था, खाने के बाद मैंने मौका देखकर दूध को बाहर गमले में उड़ेलकर दूध के ग्लास को रसोई में रख दिया और फिर मैं कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया।
मेरे मन में बहुत से सवाल चल रहे थे जिनका उत्तर मेरे पास नहीं था इतने दिन से मां मुझे नींद की गोलियां दे रही हैं लेकिन किसलिए? कोई बात नहीं आज तो पता चल ही जाएगा।
Aur bhai story ko incest hi likhne wale ho ya Maa ko kisi aur ganv vale ya kisi ristedar se chudti he ye dikhane wale ho...अपडेट 12
कुछ देर के बाद मैं खाने के लिए कमरे से बाहर आकर चटाई पर बैठ गया और खाने के बाद मैं कमरे में वापस चला गया क्योंकि आज बापू खेत में सोने के लिए जाने वाले थे तो मैं कमरे में जाकर आराम से बिस्तर पर लेट गया और मुझे पता तक नहीं चला कि कब मुझे नींद आ गई।
अगले दिन सुबह मेरी नींद 6 बजे खुली तो मैं कसरत करने के लिए घर के पिछवाड़े में चला गया, आज शरीर में अलग तरह की ऊर्जा को महसूस कर रहा था ऐसा लग रहा था जैसे शरीर में कितनी जान आ गई हो, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत जाने के लिए तैयार हो गया।
मां रसोई में खाना बना रही थी मैंने नोटिस किया कि आज मां बहुत खुश लग रही हैं।
"मां, अब आपकी तबियत कैसी है?"
"कल से काफी ठीक है बेटा, तू चटाई पर बैठ मैं तेरे लिए खाना लेकर आती हूं"
"मां, मुझे भूख नहीं है पता नहीं मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा है"
"कोई बात नहीं रे, मैं तेरे लिए टिफिन में खाना रख देती हूं जब भूख लगे तो खा लेना"
"हां ये ठीक रहेगा"
फिर मां ने मुझे टिफिन दिया और उसके बाद मैं सुबह 7 बजे ही खेत पर चला गया, आज खेत में बहुत काम था इसलिए मैं शाम तक मैं खेत में ही था , शाम को 7 बजे मुझे खेत के काम से फुर्सत मिली तो मैं घर आ गया, आज मैं बहुत थक गया था तो मैं खाने के लिए रसोई में चला गया, मां रसोई में रोटियां बना रही थी और बहुत परेशान भी लग रही थी।
"मां, मुझे बहुत भूख लग रही है"
"बस रोटियां बना लूं, तू बैठ मैं खाना लेकर आती हूं"
मैं कमरे में चला गया , कुछ देर बाद मां मुझे खाना देने के लिए कमरे में आई।
"ले बेटा"
मैं खाने की थाली लेते हुए मां से पूछा "मां, तू बहुत परेशान लग रही है"
"हां रे फिर से तबियत थोड़ी बिगड़ गई है , तू चिंता मत कर सुबह तक मैं ठीक हो जाऊंगी" कहकर मां कमरे से बाहर चली गई, खाने के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं सो गया।
अगले दिन सुबह मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था, कसरत करने के बाद मैं नहाकर खेत पर जाने के लिए तैयार हो गया, आज सुबह फिर से मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लग रहा था, मां कल सुबह की तरह आज बिलकुल खुश लग रही थी। मैं टिफिन लेकर खेत पर आ गया और आज का दिन भी खेत में काम करते हुए बीत गया, शाम को मैं घर चला गया तो देखा कि कल शाम की तरह मां बहुत परेशान लग रही थी, मैंने मां से पूछा तो उन्होंने कल के जैसे ही उत्तर दिया और मुझे कमरे में खाना देकर चली गई, खाने के बाद मैं फिर से मुझे नींद आने लगी।
फिर मेरी आंखें अगले दिन खुली, आज फिर से मुझे मेरा पेट बहुत भरा हुआ सा लगा रहा था, मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है सुबह तो मां की तबियत बिलकुल ठीक रहती है और अचानक शाम को मां की तबियत बिगड़ जाती है।
कुछ दिन ऐसे ही गुजरते चले गए, धीरे धीरे मां की तबियत ठीक होने लगी थी लेकिन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था कुछ तो ऐसा था जो मुझे पता नहीं था, रात में बापू खेत में ही सोते थे और मुझे तो बिस्तर पर लेटते ही नींद आ जाती थी।
एक दिन शाम को मैं घर पर था, उस दिन मैं खेत पर नहीं गया था, मैं आंगन में टीवी देख रहा था।
"बलवान, तेरे लिए खाना लगा दूं"
"हां मां लगा दे" कहकर मैं हाथ मुंह धोने के लिए जब रसोई के पास से गुजर रहा था तो मेरी नजर रसोई में चली गई, मैंने देखा कि मां मेरे दूध में ग्लास में नींद की गोली डाल रही थी, नींद की गोली मुझे ऐसे पता चली कि बापू को माइग्रेन की प्रोब्लम है तो वह कभी–कभी नींद की गोली लेते हैं यह गोली वही थी गुलाबी रंग की।
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मां ऐसा क्यों कर रही हैं, मेरे दूध के ग्लास में नींद की गोली क्यों डाल रही हैं????
कुछ देर के बाद मां ने मुझे खाना दिया और मैं खाने के बाद दूध भी पीता था तो मां ने दूध का ग्लास साथ में ही रख दिया था, खाने के बाद मैंने मौका देखकर दूध को बाहर गमले में उड़ेलकर दूध के ग्लास को रसोई में रख दिया और फिर मैं कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया।
मेरे मन में बहुत से सवाल चल रहे थे जिनका उत्तर मेरे पास नहीं था इतने दिन से मां मुझे नींद की गोलियां दे रही हैं लेकिन किसलिए? कोई बात नहीं आज तो पता चल ही जाएगा।