अपडेट 7
रात के 8 बज चुके थे, मैं कमरे में बिस्तर पर लेटा हुआ था और आज की घटनाओं के बारे में सोच रहा था कि दोपहर को तबेले में कैसे पप्पू भईया अपनी ही मां को चोद रहे थे और ताईजी अपने ही बेटे से चुदवा रही थीं और उसके बाद शाम को स्कूल में कैसे बेला दीदी और लल्लू चूदाई कर रहे थे ऐसा मैंने मस्तराम की कहानियों में पढ़ा था कि लोग पारिवारिक रिश्तों में सेक्स करते हैं जैसे देवर–भाभी, बुआ–भतीजा, मामा–भांजी, मुझे लगता था कि ये झूठ होता है लेकिन आज मां–बेटे और भाई–बहन की चूदाई देखकर मुझे यकीन हो गया कि लन्ड और चूत का कोई रिश्ता नहीं होता है और अगर कोई रिश्ता होता है तो बस चूदाई का।
तभी रसोईघर में मां की आवाज आई "बलवान, खाना बन गया है"
मैंने रसोईघर से खाना लिया और आंगन में चटाई पर बैठकर खाने लगा,
खाने के बाद मैं खेत में सोने के लिए चला गया क्योंकि आज मां की तबियत ठीक नहीं थी तो बापू ने कहा कि आज वह घर पर सोएंगे,,,,
मैं झोपड़ी के बाहर चारपाई बिछा रहा था, तभी मैंने देखा कि रामू काका और जीतू आ रहे हैं, रामू काका के हाथ में शराब का खंबा था और जीतू ने लालटेन पकड़ रखा था।
रामू काका और जीतू खटिए के पास संडास स्टाइल में बैठ गए।
मैंने कहा कि "आओ खटिए पर बैठ जाओ"
रामू काका बोले "बिटवा हमें तो ऐसे ही पीने में मजा आता है क्यों जीतू"
जीतू बोला "हां भईया जी ऐसे नीचे बैठकर पीने में बहुत मजा आता है"
फिर हमनें व्हिस्की के एक–एक पैग चढ़ाए।
रामू काका: अरे हां बिटवा, तू बता रहा था कि तुझे रात में नींद नहीं आती है अगर तू मदिरा नहीं पीता है तो,,,,
मैं: हां काका,,,,
रामू काका: बिटवा, मदिरा पीना कोई बुरी बात नहीं है मर्द मदिरा नहीं पिएंगे तो कौन पिएगा, तू जवान हो गया है बिटवा और अब तक तो तुम्हें मस्त चूत मिल जानी चाहिए ताकि तुम्हारी थकान मदिरा के बिना ही दूर हो सके।
मैं: काका, मेरी शादी तक नहीं हुई है तो औरत कहां से आएगी?
जीतू: भईया जी, चूत मारने के लिए बस औरत होनी चाहिए, इसके लिए शादी करने की कोई जरूरत नहीं है।
मैं: हां मुझे पता है जीतू लेकिन मुझे कौन औरत अपनी चूत देगी?
जीतू: क्या बात कर रहे हो भईया जी, गांव में आस–पास बहुत सारी औरतें हैं आपको कौन पसंद है बताओ?
मैं: तुम्हारी नज़र में कोई औरत है जिसको मैं चोद सकता हूं?
तभी रामू काका मुझे दूसरा पैग देते हुए बोले "बिटवा तुम्हारे पड़ोस में ही तीन–तीन औरतें हैं फिर भी पूछ रहे हो"
मैं: कौन–कौन?
रामू काका: तुम्हारी ताई रति , उसकी बेटी बेला और पप्पू की बहुरिया ममता,,,,
मैं: अरे काका, लगता है तुम्हें चढ़ गई है,
जीतू: भईया जी, तीनों साली रंडियां हैं,,,,
मैं: जीतू, तुम्हे भी चढ़ गई क्या,
रामू काका: बिटवा, तुम्हें नहीं पता कि तुम्हारी ताई रति कितनी बड़ी चुदक्कड़ है वह अपने देवर और भाई तक से चुदवा चुकी है,,,,
जीतू: और भईया जी, बेला तो बहुत चुदासी लड़की है मैंने खुद उसे स्कूल के लड़कों के साथ चुदवाते हुए देखा है,,,,
मैं: और ममता भाभी ?
रामू काका और जीतू मुस्कुराने लगे,,,
रामू काका: बिटवा, ममता को तुम्हारे बड़के दादा खुद काफी बार चोद चुके हैं,,,
मैं: क्या ?
तभी जीतू ने मुझे तीसरा पैग दिया और बोला "भईया जी, ममता तो धंधा तक कर चुकी है"
रामू काका को बहुत ज्यादा चढ़ चुकी थी, जीतू की भी जुबान लड़खड़ा रही थी, मैंने सोचा कि ये दोनों शराब पीने के बाद हल्ला न करें इसलिए मैंने दोनो को कहा कि मुझे नींद आ रही है तो दोनों ने और एक–दो पैग चढ़ाए और कुछ देर बाद अपने–अपने घर चले गए।
फिर मैने झोपड़ी से सिगरेट निकाल कर जलाई और सोचने लगा कि तीन–तीन रंडियां मेरे पड़ोस में रहती हैं और मैं चूत के लिए परेशान हो रहा था, सिगरेट खत्म होने के बाद मुझे नींद आ गई।