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Incest पहाडी मौसम

Icu

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सूरज इस जगह की भयानकता को अच्छी तरह से जानता था वैसे तो यह जगह बिल्कुल शांत और सुरक्षित थी लेकिन जंगली जानवरों का कोई भरोसा नहीं था इसलिए तो उसे अपनी बहन की चिंता हो रही थी वह इधर-उधर देख रहा था लेकिन कहीं भी उसे रानी नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह धीरे-धीरे पीछे की तरफ आने लगा था जहां से वह आगे बढ़ रहा था,,,,,,, तभी वह एक बड़े से पत्थर के पास पहुंचा तो उसे पत्थर के पीछे से कुछ आवाज आने लगी जैसे पानी गिरने की और उसे आवाज को सुनकर पहले तो एकदम से सूरज चौक गया क्योंकि उसे अंदेशा होने लगा कि कहीं कोई जंगली जानवर उसकी बहन को घसीट तो नहीं ले गया है,,,, और इसी डर की वजह से वहां बड़े से पत्थर के पीछे छुपते हुए पत्थर के पीछे की तरफ देखने की कोशिश करने लगा,,,,।

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जैसे-जैसे सूरज बड़े से पत्थर के पीछे नजर ले जा रहा था वैसे-वैसे उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था की बड़े से पत्थर के पीछे से आ रही आवाज किस तरह की है और जैसे ही पत्थर के पीछे का चित्र स्पष्ट हुआ उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई उसकी आंखें फटी के फटी रह गई आंखों के सामने दिखाई दे रहा था उसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था और पल भर में ही उसके पेजामे में तंबू बन गया,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी दिल की धड़कन तेज होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या देख रहा है,,,,। लेकिन फिर भी जोड़ने जा रहा उसकी आंखों के सामने था वह कोई कल्पना या सपना नहीं था बल्कि हकीकत था जिसे बिल्कुल भी झूठ लाया नहीं जा सकता था इस बात को सूरज भी अच्छी तरह से जानता था,,,।






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क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था कि अगर सूरज की जगह कोई और होता तो उसकी भी सूरज की तरह ही हालत होती,,,,,,, जिस आवाज को वह किसी जानवर की आवाज समझ रहा था वह आवाज दूसरे कोई नहीं बल्कि उसकी बहन के द्वारा पेशाब करने की आवाज थी बड़े से पत्थर के पीछे उसकी बहन बैठकर पेशाब कर रही थी उसकी सलवार घुटनों तक खींची हुई थी और वह बैठकर पेशाब कर रही थी उसके पीछे गाना जरा पूरी तरह से नंगा था,,,, और उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड थी,,, जोकि धूप की की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रही थी,,,,। सूरज देखा तो देखा ही रह गया अपनी बहन की मदद कर देने वाली जवानी को इतने करीब से पहली बार देख रहा था,,,, अभी भी उसकी बहन की बुर से पेशाब की धार बाहर निकल रही थी जिसमें से अभी भी सिटी की तरह आवाज आ रही थी और अब जाकर उसके दिमाग की घंटी बजने लगी,,,,।



Suraj apni bahan k sath

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क्योंकि वह बहुत पर औरतों को पेशाब करते हुए देख चुका था और उनकी बुर में से निकलती हुई सिटी की आवाज को भी सुन चुका था यह सिटी की आवाज जो पेशाब करने से निकलती है यह आवाज उसके लिए कोई अंजानी आवाज नहीं थी लेकिन इस समय इस जगह के डर की वजह से वह समझ नहीं पा रहा था कि यह आवाज किस तरह की है लेकिन अपनी ही गलती पर उसे हंसी आ गई थी लेकिन जो नजर उसकी आंखों के सामने था उसके तन बदन में रक्त का प्रभाव बड़ी तेजी से हो रहा था खास करके उसकी जांघों के ईर्द गिर्द ऐसा लग रहा था कि बाढ़ सा आ गया है उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,, उसकी बहन रानी को बिल्कुल भी एहसास तक नहीं हो रहा था कि ठीक उसके पीछे उसका भाई छुपकर उसे ,, पैसाब, करता हुआ देख रहा है उसकी नंगी गांड को देख रहा है,,,, वरना वह शर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन यह कब तक अंजान रहती,,,, ठीक उसकी आंखों के सामने परछाई बढ़ती हुई नजर आ रही थी और वह चौक के पीछे नजर घुमा कर देखी तो पत्थर के पीछे उसका भाई खड़ा था और यह देखकर उसके होश उड़ गए,,,,।





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वह डर के मारे एकदम से उठकर खड़ी हो गई और इस डर की वजह से वह अपनी स्थिति को भी भूल गई थी,,,, क्योंकि वह जिस तरह से खड़ी थी उसकी सलवार अभी भी घुटनो तक थी और उसकी कुर्ती उसके हाथों में थी और वह भी कमर के ऊपर जिसे कमर और घुटने के बीच का काम उत्तेजक अंग पूरी तरह से अभी भी उजागर था जिसे देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज की नजर अपनी बहन की नंगी गांड पर ही टिकी हुई थी,,, उस दिन तो वह अपनी बहन की नंगी गांड को ठीक तरह से देखा नहीं पाया था क्योंकि दोनों के बीच की दूरी कुछ ज्यादा ही थी बस उसे इतना पता चल रहा था कि उसकी बहन पेशाब करने के लिए बैठी है और उसका पिछवाड़ा एकदम साफ दिख रहा था लेकिन इतने करीब से उसने देखा नहीं था लेकिन उसकी इच्छा आज पूरी हो रही थी,,,, आज दोनों के बीच ज्यादा दूरी नहीं थी दोनों के बीच केवल एक बड़ा सा पत्थर था,,,,,, आज सूरज को अपनी बहन की नंगी गांड जी भर कर देखने को मिली थी और वह जिस स्थिति में खड़ी थी अभी भी उसकी नंगी गांड उजागर थी वह अपने कपड़े को डर के मारे नीचे नहीं कर पाई थी,,,,।





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और क्या उसकी तरफ से कोई जानबूझकर हरकत नहीं थी सूरज जानता था कि वह डर के मारे कपड़े नीचे गिरना भूल गई थी क्योंकि वह अपनी बहन के चरित्र को अच्छी तरह से जानता था बस उसका ही चरित्र डामाडोल हो रहा था और इसी स्थिति में अपनी बहन के भी चरित्र को वह ढालना चाहता था,,,, रानी की तो हालत खराब हो रही थी उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी वह कभी सोची नहीं थी कि उसका भाई इतनी करीब से पेशाब करता हुआ देखी उसकी नंगी गांड को अपनी आंखों से देखेगा उसके नंगे बदन को इस तरह से देखेगा इसलिए उसे डर का भी एहसास हो रहा था,,,, और वह उसी स्थिति में घबराते हुए बोली,,,।


भैया तुम,,,,, यहां क्या कर रहे हो,,,,?





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पागल जैसी बात मत कर तुझे ढूंढता हुआ मैं पागल हो गया हूं पल भर में न जाने कैसे-कैसे ख्याल मेरे मन में आने लगे मुझे बोल कर तो जा सकती थी पता है मैं कितना घबरा गया था मुझे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर घसीट के ते नहीं ले गया,,, और मैं रानी रानी आवाज भी दे रहा हूं तुझे बोलना तो चाहिए था और मैं अनजाने में यहां आ गया,,,,।
(अपनी बहन को ही स्थिति में देखने की हीचकचाहट सूरज के चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं थी,, वह बड़े मजे लेकर अपनी बहन की स्थिति का जायजा ले रहा था लेकिन उसकी बहन की हालत खराब थी वह अपने मन में सोच रही थी कि इस स्थिति में देखने के बावजूद भी उसका भाई हट क्यों नहीं रहा है,,, और अपने भाई को हटने के लिए बोलने में भी उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, सूरज अपनी तरफ से ही पूरी तरह से सफाई देते हुए एक ही सांस में बहुत कुछ बोल गया था जिससे रानी कोई एहसास होने लगा था कि इसमें उसकी ही गलती है उसके भाई को बता देना चाहिए था वाकई में इस जगह पर जंगली जानवरों का डर तो बना ही रहता है इसलिए वह अपने भाई की बात सुनकर बोली,,,,)

मैं शर्म के मारे कुछ भूल नहीं पाई भैया,,,,।





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चल कोई बात नहीं सलवार ठीक से कर ले,,,, और अभी पेशाब करना बाकी रह गया हो तो कर ले मैं यही खड़ा हूं,,,,।
(सूरज जानबूझकर पेशाब करने वाली और सलवार ऊपर करने वाली बात कर रहा था क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह की बातों का उपयोग कर रहा था जो कि आज तक उसने अपनी बहन के साथ इस तरह की बात नहीं किया था इसलिए तो उसकी बहन भी अपने भाई के मुंह से इस तरह की बात सुनकर सनसना गई उसके बदन में भी शर्म का एहसास एकदम से बढ़ने लगा क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी सलवार घुटनों में फंसी हुई थी और कुर्ती उसके हाथ में थी और ऐसे हालात में उसकी नंगी गाना भी भी पूरी तरह से नंगी होकर उसके भाई के सामने अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी अपने भाई की बात सुनते ही वह तुरंत कुर्ती को नीचे कर दीजिए जिससे उसकी नंगी गांड आधी ढंक गई लेकिन अभी भी आधी गांड नंगी ही थी,,,, सूरज समझ गया था कि अब उसका वहां खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह धीरे से वहां से चलता बना और डर के मारा उसकी बुर में पेशाब अटक सी गई थी इसलिए वह एक बार फिर से नीचे बैठ गई और अधूरी पेशाब की क्रिया को पूर्ण करने लगी और थोड़ी देर में कपड़े को व्यवस्थित करके बड़ी से पत्थर के पीछे से कच्ची सड़क पर आ गई और अच्छी तो उसका भाई उस 5 मीटर की दूरी पर आगे खड़ा था तो वह खुद ही बोली,,,।




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अब चलो,,,,।

देखना बचा कर चलना और ऐसी कोई हालात हो तो मुझे बता दिया कर खामखा डरा दी थी,,,‌।
(और इतना कहकर सूरज आगे आगे चलने लगा और शर्म के मारे रानी कुछ बोल ही नहीं पाई लेकिन उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी गलती थी उसके भाई को उसकी कितनी फिक्र है,,,, और इस बात का अहसास होते ही रानी के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि पहली बार वह देख रही थी कि उसका भाई उसकी कितनी फिक्र करता है और वह मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने लगी,,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों अांवले के बगीचे में पहुंच चुके थे,,, चारों तरफ अांवले के पेड़ ही पेड़ थे जिनमे बड़े-बड़े अांवले लगे हुए थे,,, रानी देखी तो देखती ही रह गई और हैरान होते हुए बोली,,,।




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यह किसका बगीचा है भैया यहां तो चारों तरफ आंवला ही आंवला है,,,।


अरे जिसका भी हो उससे हमें क्या हमें तो बस तोड़ने से मतलब है और जल्दी से शुरू हो जा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों भाई बहन जल्दी-जल्दी आंवला तोड़ना शुरू कर दिए,,, थोड़ी ही देर में घर से लाया हुआ थैला पूरी तरह से भर गया,,, उम्मीद से भी ज्यादा आंवला मिला था,,,, यह देखकर रानी बोली,,,)

इससे तो 2 साल का तेल बन जाएगा,,,,।

इतना काफी है ना,,,।


बहुत है भैया इतना तो,,,,।

तो बस हो गया,,,, चल अब थोड़ा सा खाना खा लेते हैं,,,, मुझे बहुत भूख लगी है उसके बाद झरने पर चलते हैं,,,,।





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झरना कहां है,,,,?(चारों तरफ देखते हुए) मुझे तो कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है,,,,।

अरे पगली,,,, आंवले के बगीचे के बाहर ही है आवाज नहीं सुनाई दे रही है तुझे पानी गिरने की,,,।

हां हां,,, आवाज तो आ रही है,,,।

तो बस अब जल्दी से खाना खाना शुरू कर दे,,,, नहाने के बाद हमें घर के लिए निकलना है और शाम से पहले पहुंचना है क्योंकि शाम ढलते ही यह जगह और भी डरावनी लगने लगती है,,,।

क्या भैया तुम तो मुझे डरा रहे हो,,,,,(भोजन की थैली को खोलते हुए रानी बोली तो उसकी बात सुनकर सूरज को शत सोचने लगी और वह खुले शब्दों में बोला,,,)


मैं डरा रहा हूं डरा तो तूने मुझे दिया था,,,, अगर तुझे पेशाब करने जाना था तो मुझे बोल दी होती मैं क्या तुझे मुतने से रोक देता,,,, लेकिन इस तरह से बिना बताए चली गई मेरे तो पसीने छूट गए थे और अगर सच में जंगली जानवर उठा ले गया होता तब क्याहोता,,,।



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(अपने भाई के मुंह से पेशाब करने वाली बात और मुतने वाली बात सुनकर,,, रानी के चेहरे पर शर्म की लालिमा साफ दिखाई देने लगी,,, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाई शर्म तुम्हारे उसकी हालत खराब हो रही थी और खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी और इस हल चल को पहली बार महसूस कर रही थी,,,, वह जैसे तैसे करके अपने लिए और अपने भाई के लिए रोटी सब्जी और आचार निकाल कर अपने भाई की तरफ आगे बढ़ा दी और खुद भी लेकर खाने लगी,,,।

सूरज भी रोटी तोड़कर सब्जी और आचार से खाने लगा और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा,,, वह जानबूझकर अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा था लेकिन उसकी बात सुनकर भी उसकी बहन कुछ बोल नहीं रही थी बस शर्मा रही थी और यह देखकर सूरज की भी हालत खराब हो रही थी उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी,,, वह खाते-खाते आगे की जुगाड़ के बारे में सोचने लगा,,, रानी भी खा रही थी लेकिन अपने भाई की बातें उसके कानों में गूंज रही थी पेशाब करने वाली बात सलवार उठा लेने वाली बात मुतने वाली बात पेशाब करने वाली बात इन सब बातों को याद करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, और उसे अपनी बुर से कुछ गीला गीला सा निकलता हुआ महसूस हो रहा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था,,। दोनों थोड़ी ही देर में अपने साथ लाया हुआ खाना खा चुके थे और सूरज अपने मन में ही आगे क्या करना है ऐसी युक्ति बना रहा था और थैले को बांध रहा था,,,।

थेले को बांध लेने के बाद,, वह थेले को आंवले के पेड़ के नीचे रखते हुए बोला,,,।

अब हमें चलना चाहिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी लौटते समय,,,,।

लेकिन यह थैला तो ले लो,,,,।

अरे इस बोझे को लेकर कहां-कहां ढोएंगे,,,ईसे यही रहने दो,,,और वैसे भी हमे यही से वापस आना है तो ईसे ले जाकर के कोई फायदा नहीं है,,,,।


लेकिन अगर कोई उठाले गया तो,,,।

पागल हो गई है यहां कोई दिखाई दे रहा है जो ईसे उठा कर ले जाएगा,,,, अब चल यहां कोई नहीं आने वाला,,,,,।

(ऐसा कहते हुए सूरज आगे आगे चलने लगा और उसकी बहन रानी पीछे पीछे चलने लगी रानी का दिल जोरो से धड़क रहा था एक तरफ झरना देखने की खुशी थी तो दूसरी तरफ न जाने क्यों उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य नजर आ रहा था जब वह सर में से पानी पानी हो गई थी जब उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा था वह पल उसके लिए बेहद शर्मिंदगी भरा था लेकिन न जाने क्यों उसे पाल को याद करके उसके बदन का हर एक अंग चिकोटि काटने लग जा रहा था और ईन सब का असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था जिससे उसके बदन की हलचल और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।

एक तरफ रानी का यह हाल था तो दूसरी तरफ उसका भाई अपने मन में यही सोच रहा था कि अब क्या किया जाए कैसे रानी को नीलू की तरह लाइन पर लाया जाए वह जानता था या काम करने में वक्त तो लगेगा ही लेकिन मजा बहुत आएगा लेकिन इस बात का डर भी था की कही नादानी दिखाते हुए उसकी बहन मां से कुछ ना बता दे,,,। लेकिन उसके मन में यह भी विश्वास था कि अगर एक बार उसकी बहन जवानी का मजा लेने लगेगी तो वहां किसी से कुछ भी नहीं रहेगी अगर उसे भी नीलू जैसा महसूस होने लगा तो वह भी तड़प उठेगी मजा लेने के लिए और यही तो वह चाहता था,,,,। इसलिए देखते ही देखते वह झरने के पास पहुंच गया और झरना को देखते ही रानी एकदम से खुश हो गई उसकी खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था वह पहली बार झरना देख रही थी उसमें से गिरता हुआ तेज रफ्तार से कल कल करता पानी शोर मचा रहा था और झरने का पानी आगे तालाब के रूप में उसमें उसका ठंडा पानी इकट्ठा हो रहा था,,,।


कैसा लगा रानी,,,,।

मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा भी नजार होता है,,,,।


तूने अभी देखा ही क्या है बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखेगी तो मस्त हो जाएगी,,,,,,।
(अपने भाई की बात में रानी को कुछ अजीब नहीं लगा था लेकिन सूरज के कहने का मतलब कुछ और था जिसे वह समझ नहीं पा रही थी रानी एक तरफ झरने को देखने में मस्त थी और तभी तालाब में कुछ गिरने की आवाज आई और वह नजर तालाब की तरफ घूम कर देखी तो तालाब के अंदर उसका भाई तैर रहा था और वह बोली)

भैया तू,,,, तू तो नहाने लगा,,,,।


तो क्या नहाने के लिए तो आया हूं इधर और तू भी तो नहाने के लिए आई है आजा तू भी नहाने,,,,।


लेकिन कपड़े,,,,,,(रानी देख रही थी कि उसका भाई बिना कपड़ों के तालाब में नहाने के लिए कूद गया था इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा था वह हैरानी सेअपने भाई से पूछ रही थी और सूरज बोला,,,)


कपड़े पहन कर रहा होगा तो कपड़े भीग जाएंगे और सूखेंगे नहीं,,,।

तो,,,,,!


तो क्या कपड़े उतार कर कूद गया तालाब में मजा का मजा भी आ जाएगा और कपड़े भी नहीं गीले होंगे,,,(तालाब के ऊपरी सतह पर हल्के-हल्के तैरते हुए सूरज बोला,,, वह जानबूझकर इस तरह से तैर रहा था कि उसके नितंबों की झलक तालाब के ऊपरी सतह पर आराम से दिखाई दे रही थी और ना चाहते हुए भी रानी की नजर अपने भाई के नितंबों पर जा रही थी जो की धूप में और पानी के मिलावट में चमक रही थी,,,, यह देखकर एक तरफ रानी शर्मा रही थी तो दूसरी तरफ उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,,)


लेकिन,,,,!


लेकिन वेकीन छोड़ तुझे भी तो नहाना था ना झरना में,,,,।


नहाना तो है लेकिन कपड़े नहीं है मेरे पास,,,।


तो मेरे पास ही कहां कपड़े हैं देख नहीं रही है मैं सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर नहा रहा हूं,,,।

तू नहा सकता है भाई लेकिन मैं,,,, मैं तो लड़की हूं मैं अपने सारे कपड़े उतार कर थोड़ी नहा सकती हूं,,,।

अरे पगली,,,(तालाब में डुबकी लगाकर बाहर निकलते हुए) यहां पर मेरे और तेरे सिवा है कौन कोई और होता तो बात कुछ और होती लेकिन हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर ना आएगी भी तो कहां फर्क पड़ने वाला है कोई देखने वाला थोड़ी ना है,,,,.(सूरज जानबूझकर अपनी बहन के लिए नंगी शब्द का प्रयोग करके बोल रहा था और यह शब्द रानी के भी दिलों दिमाग पर बुरा असर कर रहा था इस शब्द को सुनकर उसकी टांगों के बीच बार-बार हलचल हो जा रही थी,,,, फिर भी अपने भाई की बात का जवाब देते हुए वह बोली,,,)

नहीं मुझे शर्म आती है मुझसे यह नहीं हो पाएगा,,,।

तू सच में पागल है ऐसा मौका फिर तुझे कभी नहीं मिलेगा झरना में नहाने का मौका बहुत कम लोगों को मिलता है मुझे तो लगता है पूरे गांव में एक तू ही लड़की मुझे यहां तक पहुंची है इसलिए यहां आने का मजा लेने शर्माने की जरूरत नहीं है मैं कहां मां से बताने वाला हूं कि तू नंगी होकर नहा रही थी,,,।

(सूरज का बार-बार नंगी शब्द का प्रयोग करना रानी के होश उड़ा रहा था पल भर के लिए रानी को भी लगने लगा कि वाकई में यहां पर देखने वाला कौन है वैसे भी झरने में नहाने का बहुत मन कर रहा था वह भी अपने कपड़े उतार कर अंदर को जाना चाहते थे लेकिन फिर भी अपने भाई के सामने उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,,)

लेकिन फिर भी भैया तुम्हारे सामने में कैसे कपड़े उतार कर नहा सकती हुं,,,,,।


जैसे अभी कुछ देर पहले मेरे सामने सलवार खोलकर पेशाब कर रही थी,,,,,।(ऐसा बोलते हुए खुद सूरज का लंड पानी के अंदर रहने के बावजूद भी अकड़ रहा था,, वह जानबूझकर अपनी बहन रानी से ईस तरह की बातें कर रहा था,,, और पेशाब वाली बात सुनकर रानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसकी बुर से उसका मदन बुंद बनकर टपकने लगा ,,, एक तरफ जहां अपने भाई की बातें सुनकर उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसे अपने भाई की बात मस्त कर देने वाली लग रही थी आज पहली बार उसे अपने बदन में जवानी का एहसास हो रहा था अपने भाई की बात सुनकर वह अपनी तरफ से सफाई देते हुए बोली,,,)


वह तो अनजाने में मुझे क्या मालूम था कि तुम देख रहे हो,,,,।

तो अभी भी अनजाने में कपड़े उतार कर कूद जा नहाने का मजा ले ले कितना ठंडा पानी है मुझे तो बहुत मजा आ रहा है,,,,(ऐसा कहते हुए अपनी बहन को उकसाने के लिए वह फिर से नाक बंद करके पानी में डुबकी लगाकर फिर बाहर निकल गया अब तो रानी से भी रहा नहीं जा रहा था वह भी आप कपड़े उतार कर तालाब में कूद जाना चाहती थी झरने से गिर रहा पानी बहुत शोर मचा रहा था और उसे इस बात के एहसास भी हो रहा था कि वाकई में यहां पर कोई देखने वाला भी तो नहीं है,,, और उसका भाई तो किसी से भी यह बात कहेगा भी नहीं ,,,।,,,

सूरज की हालत खराब हो रही थी वह पानी के अंदर ही अपना हाथ डालकर अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, और अपनी बहन को पानी में बिना कपड़ों के उतरने के लिए उकसा रहा था,,,,, सूरज की बातें सुनकर रानी भी अपने मन में सोचने लगी कि वाकई में नहाने का मजा ले लेना चाहिए फिर ना जाने ऐसा मौका मिले या ना मिले,,,, अपने मन को मजबूत करके वह अपने मन में ठान ली की वह भी नहाएगी,,, और तुरंत एक बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े उतारना शुरू कर दी सूरज इधर-उधर देखता रहा क्योंकि जब वह अपनी जगह से हटी थी तब वह नहीं देखा था कि वह कहां गई इसलिए वह थोड़ा हिरण हो गया और इधर-उधर देखने लगा उसे क्या मालूम था की बड़ी से पत्थर के पीछे उसकी बहन अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही है वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी और अपने कपड़ों को बड़े से पत्थर के पास सुरक्षित रख दी थी ताकि वापस उसे अच्छी तरह से पहन सके लेकिन फिर भी पत्थर से बाहर निकलने पर सूरज की नजर रानी पर पड़ ही जाने वाली थी इसलिए वह बड़े से पत्थर के पीछे से ही बोली,,,,)


भैया मैं भी नहाने के लिए तैयार हूं और अपने सारे कपड़े उतार दि हुं,,,,(बड़े से पत्थर के पीछे से ही वह बोली और उसकी बात सुनकर तो सूरज के तन बदन में आग लगने लगी और वह एक हाथ पानी में डालकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला )

क्या सच में तू नंगी हो गई है,,,,।

हां भैया मैं अपने सारे कपड़े उतार चुकी हूं,,,,।
(रानी इस बात से और ज्यादा हैरान थी कि उसका भाई एकदम खुलकर उसके लिए नंगी शब्द का प्रयोग करता था और इसे पहली बार हो रहा था लेकिन ऐसा नहीं था की रानी को अच्छा नहीं लग रहा था अपने भाई की बात सुनकर उसे भी मदहोशी छाने लग जा रही थी उसे भी अपने भाई कि ईस तरह की बातें अच्छी लग रही थी,,, अपनी बहन की बात सुनकर सूरज की तन-बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगा,,,, और उत्तेजित स्वर में बोला,,,)

तो देर किस बात की है आज कूद जा तालाब में देख कितना मजा आ रहा है,,,,।


लेकिन भैया मुझे शर्म आ रही है,,,,।


अरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है तो शर्माने की जरूरत क्या है अाजा कुद जा,,,,।(सूरज एकदम उत्साहित होता हुआ बोल रहा था क्योंकि उसने कोशिश करके अपनी बहन को कपड़े उतारने के लिए मना लिया था और उसकी बहन कपड़े उतार कर नंगी भी हो चुकी थी बस उसका पानी में कूदने की देरी थी इसलिए सूरज बहुत खुश था अपने भाई की बात सुनकर रानी बोली)


लेकिन मुझे शर्म आती है भैया तुम अपना मुंह दूसरी तरफ घुमाओ तब मैं कूदती हूं ,,,।


अच्छा ठीक है मैं दूसरी तरफ मुंह घुमा लेता हूं तु पानी में कूद जा,,,(सूरज मैन ही मन मुस्कुराते हुए बोला)
Great update.
 
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sunoanuj

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बहुत ही शानदार लिख रहे हो आप! एक दम जबरदस्त तरीके से कहानी को आगे बढ़ा रहे हो !

👏🏻👏🏻👏🏻👌👌👌
 

sunoanuj

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बहुत ही ग़ज़ब का कामुक अपडेट दिया है !
 

Bittoo

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kya ग़ज़ब लिखते हो भई
अद्भुत 👌👌
सूरज इस जगह की भयानकता को अच्छी तरह से जानता था वैसे तो यह जगह बिल्कुल शांत और सुरक्षित थी लेकिन जंगली जानवरों का कोई भरोसा नहीं था इसलिए तो उसे अपनी बहन की चिंता हो रही थी वह इधर-उधर देख रहा था लेकिन कहीं भी उसे रानी नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह धीरे-धीरे पीछे की तरफ आने लगा था जहां से वह आगे बढ़ रहा था,,,,,,, तभी वह एक बड़े से पत्थर के पास पहुंचा तो उसे पत्थर के पीछे से कुछ आवाज आने लगी जैसे पानी गिरने की और उसे आवाज को सुनकर पहले तो एकदम से सूरज चौक गया क्योंकि उसे अंदेशा होने लगा कि कहीं कोई जंगली जानवर उसकी बहन को घसीट तो नहीं ले गया है,,,, और इसी डर की वजह से वहां बड़े से पत्थर के पीछे छुपते हुए पत्थर के पीछे की तरफ देखने की कोशिश करने लगा,,,,।

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जैसे-जैसे सूरज बड़े से पत्थर के पीछे नजर ले जा रहा था वैसे-वैसे उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था की बड़े से पत्थर के पीछे से आ रही आवाज किस तरह की है और जैसे ही पत्थर के पीछे का चित्र स्पष्ट हुआ उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई उसकी आंखें फटी के फटी रह गई आंखों के सामने दिखाई दे रहा था उसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था और पल भर में ही उसके पेजामे में तंबू बन गया,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी दिल की धड़कन तेज होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या देख रहा है,,,,। लेकिन फिर भी जोड़ने जा रहा उसकी आंखों के सामने था वह कोई कल्पना या सपना नहीं था बल्कि हकीकत था जिसे बिल्कुल भी झूठ लाया नहीं जा सकता था इस बात को सूरज भी अच्छी तरह से जानता था,,,।






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क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था कि अगर सूरज की जगह कोई और होता तो उसकी भी सूरज की तरह ही हालत होती,,,,,,, जिस आवाज को वह किसी जानवर की आवाज समझ रहा था वह आवाज दूसरे कोई नहीं बल्कि उसकी बहन के द्वारा पेशाब करने की आवाज थी बड़े से पत्थर के पीछे उसकी बहन बैठकर पेशाब कर रही थी उसकी सलवार घुटनों तक खींची हुई थी और वह बैठकर पेशाब कर रही थी उसके पीछे गाना जरा पूरी तरह से नंगा था,,,, और उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड थी,,, जोकि धूप की की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रही थी,,,,। सूरज देखा तो देखा ही रह गया अपनी बहन की मदद कर देने वाली जवानी को इतने करीब से पहली बार देख रहा था,,,, अभी भी उसकी बहन की बुर से पेशाब की धार बाहर निकल रही थी जिसमें से अभी भी सिटी की तरह आवाज आ रही थी और अब जाकर उसके दिमाग की घंटी बजने लगी,,,,।



Suraj apni bahan k sath

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क्योंकि वह बहुत पर औरतों को पेशाब करते हुए देख चुका था और उनकी बुर में से निकलती हुई सिटी की आवाज को भी सुन चुका था यह सिटी की आवाज जो पेशाब करने से निकलती है यह आवाज उसके लिए कोई अंजानी आवाज नहीं थी लेकिन इस समय इस जगह के डर की वजह से वह समझ नहीं पा रहा था कि यह आवाज किस तरह की है लेकिन अपनी ही गलती पर उसे हंसी आ गई थी लेकिन जो नजर उसकी आंखों के सामने था उसके तन बदन में रक्त का प्रभाव बड़ी तेजी से हो रहा था खास करके उसकी जांघों के ईर्द गिर्द ऐसा लग रहा था कि बाढ़ सा आ गया है उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,, उसकी बहन रानी को बिल्कुल भी एहसास तक नहीं हो रहा था कि ठीक उसके पीछे उसका भाई छुपकर उसे ,, पैसाब, करता हुआ देख रहा है उसकी नंगी गांड को देख रहा है,,,, वरना वह शर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन यह कब तक अंजान रहती,,,, ठीक उसकी आंखों के सामने परछाई बढ़ती हुई नजर आ रही थी और वह चौक के पीछे नजर घुमा कर देखी तो पत्थर के पीछे उसका भाई खड़ा था और यह देखकर उसके होश उड़ गए,,,,।





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वह डर के मारे एकदम से उठकर खड़ी हो गई और इस डर की वजह से वह अपनी स्थिति को भी भूल गई थी,,,, क्योंकि वह जिस तरह से खड़ी थी उसकी सलवार अभी भी घुटनो तक थी और उसकी कुर्ती उसके हाथों में थी और वह भी कमर के ऊपर जिसे कमर और घुटने के बीच का काम उत्तेजक अंग पूरी तरह से अभी भी उजागर था जिसे देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज की नजर अपनी बहन की नंगी गांड पर ही टिकी हुई थी,,, उस दिन तो वह अपनी बहन की नंगी गांड को ठीक तरह से देखा नहीं पाया था क्योंकि दोनों के बीच की दूरी कुछ ज्यादा ही थी बस उसे इतना पता चल रहा था कि उसकी बहन पेशाब करने के लिए बैठी है और उसका पिछवाड़ा एकदम साफ दिख रहा था लेकिन इतने करीब से उसने देखा नहीं था लेकिन उसकी इच्छा आज पूरी हो रही थी,,,, आज दोनों के बीच ज्यादा दूरी नहीं थी दोनों के बीच केवल एक बड़ा सा पत्थर था,,,,,, आज सूरज को अपनी बहन की नंगी गांड जी भर कर देखने को मिली थी और वह जिस स्थिति में खड़ी थी अभी भी उसकी नंगी गांड उजागर थी वह अपने कपड़े को डर के मारे नीचे नहीं कर पाई थी,,,,।





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और क्या उसकी तरफ से कोई जानबूझकर हरकत नहीं थी सूरज जानता था कि वह डर के मारे कपड़े नीचे गिरना भूल गई थी क्योंकि वह अपनी बहन के चरित्र को अच्छी तरह से जानता था बस उसका ही चरित्र डामाडोल हो रहा था और इसी स्थिति में अपनी बहन के भी चरित्र को वह ढालना चाहता था,,,, रानी की तो हालत खराब हो रही थी उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी वह कभी सोची नहीं थी कि उसका भाई इतनी करीब से पेशाब करता हुआ देखी उसकी नंगी गांड को अपनी आंखों से देखेगा उसके नंगे बदन को इस तरह से देखेगा इसलिए उसे डर का भी एहसास हो रहा था,,,, और वह उसी स्थिति में घबराते हुए बोली,,,।


भैया तुम,,,,, यहां क्या कर रहे हो,,,,?





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पागल जैसी बात मत कर तुझे ढूंढता हुआ मैं पागल हो गया हूं पल भर में न जाने कैसे-कैसे ख्याल मेरे मन में आने लगे मुझे बोल कर तो जा सकती थी पता है मैं कितना घबरा गया था मुझे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर घसीट के ते नहीं ले गया,,, और मैं रानी रानी आवाज भी दे रहा हूं तुझे बोलना तो चाहिए था और मैं अनजाने में यहां आ गया,,,,।
(अपनी बहन को ही स्थिति में देखने की हीचकचाहट सूरज के चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं थी,, वह बड़े मजे लेकर अपनी बहन की स्थिति का जायजा ले रहा था लेकिन उसकी बहन की हालत खराब थी वह अपने मन में सोच रही थी कि इस स्थिति में देखने के बावजूद भी उसका भाई हट क्यों नहीं रहा है,,, और अपने भाई को हटने के लिए बोलने में भी उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, सूरज अपनी तरफ से ही पूरी तरह से सफाई देते हुए एक ही सांस में बहुत कुछ बोल गया था जिससे रानी कोई एहसास होने लगा था कि इसमें उसकी ही गलती है उसके भाई को बता देना चाहिए था वाकई में इस जगह पर जंगली जानवरों का डर तो बना ही रहता है इसलिए वह अपने भाई की बात सुनकर बोली,,,,)

मैं शर्म के मारे कुछ भूल नहीं पाई भैया,,,,।





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चल कोई बात नहीं सलवार ठीक से कर ले,,,, और अभी पेशाब करना बाकी रह गया हो तो कर ले मैं यही खड़ा हूं,,,,।
(सूरज जानबूझकर पेशाब करने वाली और सलवार ऊपर करने वाली बात कर रहा था क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह की बातों का उपयोग कर रहा था जो कि आज तक उसने अपनी बहन के साथ इस तरह की बात नहीं किया था इसलिए तो उसकी बहन भी अपने भाई के मुंह से इस तरह की बात सुनकर सनसना गई उसके बदन में भी शर्म का एहसास एकदम से बढ़ने लगा क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी सलवार घुटनों में फंसी हुई थी और कुर्ती उसके हाथ में थी और ऐसे हालात में उसकी नंगी गाना भी भी पूरी तरह से नंगी होकर उसके भाई के सामने अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी अपने भाई की बात सुनते ही वह तुरंत कुर्ती को नीचे कर दीजिए जिससे उसकी नंगी गांड आधी ढंक गई लेकिन अभी भी आधी गांड नंगी ही थी,,,, सूरज समझ गया था कि अब उसका वहां खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह धीरे से वहां से चलता बना और डर के मारा उसकी बुर में पेशाब अटक सी गई थी इसलिए वह एक बार फिर से नीचे बैठ गई और अधूरी पेशाब की क्रिया को पूर्ण करने लगी और थोड़ी देर में कपड़े को व्यवस्थित करके बड़ी से पत्थर के पीछे से कच्ची सड़क पर आ गई और अच्छी तो उसका भाई उस 5 मीटर की दूरी पर आगे खड़ा था तो वह खुद ही बोली,,,।




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अब चलो,,,,।

देखना बचा कर चलना और ऐसी कोई हालात हो तो मुझे बता दिया कर खामखा डरा दी थी,,,‌।
(और इतना कहकर सूरज आगे आगे चलने लगा और शर्म के मारे रानी कुछ बोल ही नहीं पाई लेकिन उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी गलती थी उसके भाई को उसकी कितनी फिक्र है,,,, और इस बात का अहसास होते ही रानी के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि पहली बार वह देख रही थी कि उसका भाई उसकी कितनी फिक्र करता है और वह मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने लगी,,,,।

थोड़ी ही देर में दोनों अांवले के बगीचे में पहुंच चुके थे,,, चारों तरफ अांवले के पेड़ ही पेड़ थे जिनमे बड़े-बड़े अांवले लगे हुए थे,,, रानी देखी तो देखती ही रह गई और हैरान होते हुए बोली,,,।




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यह किसका बगीचा है भैया यहां तो चारों तरफ आंवला ही आंवला है,,,।


अरे जिसका भी हो उससे हमें क्या हमें तो बस तोड़ने से मतलब है और जल्दी से शुरू हो जा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों भाई बहन जल्दी-जल्दी आंवला तोड़ना शुरू कर दिए,,, थोड़ी ही देर में घर से लाया हुआ थैला पूरी तरह से भर गया,,, उम्मीद से भी ज्यादा आंवला मिला था,,,, यह देखकर रानी बोली,,,)

इससे तो 2 साल का तेल बन जाएगा,,,,।

इतना काफी है ना,,,।


बहुत है भैया इतना तो,,,,।

तो बस हो गया,,,, चल अब थोड़ा सा खाना खा लेते हैं,,,, मुझे बहुत भूख लगी है उसके बाद झरने पर चलते हैं,,,,।





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झरना कहां है,,,,?(चारों तरफ देखते हुए) मुझे तो कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है,,,,।

अरे पगली,,,, आंवले के बगीचे के बाहर ही है आवाज नहीं सुनाई दे रही है तुझे पानी गिरने की,,,।

हां हां,,, आवाज तो आ रही है,,,।

तो बस अब जल्दी से खाना खाना शुरू कर दे,,,, नहाने के बाद हमें घर के लिए निकलना है और शाम से पहले पहुंचना है क्योंकि शाम ढलते ही यह जगह और भी डरावनी लगने लगती है,,,।

क्या भैया तुम तो मुझे डरा रहे हो,,,,,(भोजन की थैली को खोलते हुए रानी बोली तो उसकी बात सुनकर सूरज को शत सोचने लगी और वह खुले शब्दों में बोला,,,)


मैं डरा रहा हूं डरा तो तूने मुझे दिया था,,,, अगर तुझे पेशाब करने जाना था तो मुझे बोल दी होती मैं क्या तुझे मुतने से रोक देता,,,, लेकिन इस तरह से बिना बताए चली गई मेरे तो पसीने छूट गए थे और अगर सच में जंगली जानवर उठा ले गया होता तब क्याहोता,,,।



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(अपने भाई के मुंह से पेशाब करने वाली बात और मुतने वाली बात सुनकर,,, रानी के चेहरे पर शर्म की लालिमा साफ दिखाई देने लगी,,, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाई शर्म तुम्हारे उसकी हालत खराब हो रही थी और खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी और इस हल चल को पहली बार महसूस कर रही थी,,,, वह जैसे तैसे करके अपने लिए और अपने भाई के लिए रोटी सब्जी और आचार निकाल कर अपने भाई की तरफ आगे बढ़ा दी और खुद भी लेकर खाने लगी,,,।

सूरज भी रोटी तोड़कर सब्जी और आचार से खाने लगा और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा,,, वह जानबूझकर अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा था लेकिन उसकी बात सुनकर भी उसकी बहन कुछ बोल नहीं रही थी बस शर्मा रही थी और यह देखकर सूरज की भी हालत खराब हो रही थी उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी,,, वह खाते-खाते आगे की जुगाड़ के बारे में सोचने लगा,,, रानी भी खा रही थी लेकिन अपने भाई की बातें उसके कानों में गूंज रही थी पेशाब करने वाली बात सलवार उठा लेने वाली बात मुतने वाली बात पेशाब करने वाली बात इन सब बातों को याद करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, और उसे अपनी बुर से कुछ गीला गीला सा निकलता हुआ महसूस हो रहा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था,,। दोनों थोड़ी ही देर में अपने साथ लाया हुआ खाना खा चुके थे और सूरज अपने मन में ही आगे क्या करना है ऐसी युक्ति बना रहा था और थैले को बांध रहा था,,,।

थेले को बांध लेने के बाद,, वह थेले को आंवले के पेड़ के नीचे रखते हुए बोला,,,।

अब हमें चलना चाहिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी लौटते समय,,,,।

लेकिन यह थैला तो ले लो,,,,।

अरे इस बोझे को लेकर कहां-कहां ढोएंगे,,,ईसे यही रहने दो,,,और वैसे भी हमे यही से वापस आना है तो ईसे ले जाकर के कोई फायदा नहीं है,,,,।


लेकिन अगर कोई उठाले गया तो,,,।

पागल हो गई है यहां कोई दिखाई दे रहा है जो ईसे उठा कर ले जाएगा,,,, अब चल यहां कोई नहीं आने वाला,,,,,।

(ऐसा कहते हुए सूरज आगे आगे चलने लगा और उसकी बहन रानी पीछे पीछे चलने लगी रानी का दिल जोरो से धड़क रहा था एक तरफ झरना देखने की खुशी थी तो दूसरी तरफ न जाने क्यों उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य नजर आ रहा था जब वह सर में से पानी पानी हो गई थी जब उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा था वह पल उसके लिए बेहद शर्मिंदगी भरा था लेकिन न जाने क्यों उसे पाल को याद करके उसके बदन का हर एक अंग चिकोटि काटने लग जा रहा था और ईन सब का असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था जिससे उसके बदन की हलचल और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।

एक तरफ रानी का यह हाल था तो दूसरी तरफ उसका भाई अपने मन में यही सोच रहा था कि अब क्या किया जाए कैसे रानी को नीलू की तरह लाइन पर लाया जाए वह जानता था या काम करने में वक्त तो लगेगा ही लेकिन मजा बहुत आएगा लेकिन इस बात का डर भी था की कही नादानी दिखाते हुए उसकी बहन मां से कुछ ना बता दे,,,। लेकिन उसके मन में यह भी विश्वास था कि अगर एक बार उसकी बहन जवानी का मजा लेने लगेगी तो वहां किसी से कुछ भी नहीं रहेगी अगर उसे भी नीलू जैसा महसूस होने लगा तो वह भी तड़प उठेगी मजा लेने के लिए और यही तो वह चाहता था,,,,। इसलिए देखते ही देखते वह झरने के पास पहुंच गया और झरना को देखते ही रानी एकदम से खुश हो गई उसकी खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था वह पहली बार झरना देख रही थी उसमें से गिरता हुआ तेज रफ्तार से कल कल करता पानी शोर मचा रहा था और झरने का पानी आगे तालाब के रूप में उसमें उसका ठंडा पानी इकट्ठा हो रहा था,,,।


कैसा लगा रानी,,,,।

मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा भी नजार होता है,,,,।


तूने अभी देखा ही क्या है बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखेगी तो मस्त हो जाएगी,,,,,,।
(अपने भाई की बात में रानी को कुछ अजीब नहीं लगा था लेकिन सूरज के कहने का मतलब कुछ और था जिसे वह समझ नहीं पा रही थी रानी एक तरफ झरने को देखने में मस्त थी और तभी तालाब में कुछ गिरने की आवाज आई और वह नजर तालाब की तरफ घूम कर देखी तो तालाब के अंदर उसका भाई तैर रहा था और वह बोली)

भैया तू,,,, तू तो नहाने लगा,,,,।


तो क्या नहाने के लिए तो आया हूं इधर और तू भी तो नहाने के लिए आई है आजा तू भी नहाने,,,,।


लेकिन कपड़े,,,,,,(रानी देख रही थी कि उसका भाई बिना कपड़ों के तालाब में नहाने के लिए कूद गया था इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा था वह हैरानी सेअपने भाई से पूछ रही थी और सूरज बोला,,,)


कपड़े पहन कर रहा होगा तो कपड़े भीग जाएंगे और सूखेंगे नहीं,,,।

तो,,,,,!


तो क्या कपड़े उतार कर कूद गया तालाब में मजा का मजा भी आ जाएगा और कपड़े भी नहीं गीले होंगे,,,(तालाब के ऊपरी सतह पर हल्के-हल्के तैरते हुए सूरज बोला,,, वह जानबूझकर इस तरह से तैर रहा था कि उसके नितंबों की झलक तालाब के ऊपरी सतह पर आराम से दिखाई दे रही थी और ना चाहते हुए भी रानी की नजर अपने भाई के नितंबों पर जा रही थी जो की धूप में और पानी के मिलावट में चमक रही थी,,,, यह देखकर एक तरफ रानी शर्मा रही थी तो दूसरी तरफ उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,,)


लेकिन,,,,!


लेकिन वेकीन छोड़ तुझे भी तो नहाना था ना झरना में,,,,।


नहाना तो है लेकिन कपड़े नहीं है मेरे पास,,,।


तो मेरे पास ही कहां कपड़े हैं देख नहीं रही है मैं सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर नहा रहा हूं,,,।

तू नहा सकता है भाई लेकिन मैं,,,, मैं तो लड़की हूं मैं अपने सारे कपड़े उतार कर थोड़ी नहा सकती हूं,,,।

अरे पगली,,,(तालाब में डुबकी लगाकर बाहर निकलते हुए) यहां पर मेरे और तेरे सिवा है कौन कोई और होता तो बात कुछ और होती लेकिन हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर ना आएगी भी तो कहां फर्क पड़ने वाला है कोई देखने वाला थोड़ी ना है,,,,.(सूरज जानबूझकर अपनी बहन के लिए नंगी शब्द का प्रयोग करके बोल रहा था और यह शब्द रानी के भी दिलों दिमाग पर बुरा असर कर रहा था इस शब्द को सुनकर उसकी टांगों के बीच बार-बार हलचल हो जा रही थी,,,, फिर भी अपने भाई की बात का जवाब देते हुए वह बोली,,,)

नहीं मुझे शर्म आती है मुझसे यह नहीं हो पाएगा,,,।

तू सच में पागल है ऐसा मौका फिर तुझे कभी नहीं मिलेगा झरना में नहाने का मौका बहुत कम लोगों को मिलता है मुझे तो लगता है पूरे गांव में एक तू ही लड़की मुझे यहां तक पहुंची है इसलिए यहां आने का मजा लेने शर्माने की जरूरत नहीं है मैं कहां मां से बताने वाला हूं कि तू नंगी होकर नहा रही थी,,,।

(सूरज का बार-बार नंगी शब्द का प्रयोग करना रानी के होश उड़ा रहा था पल भर के लिए रानी को भी लगने लगा कि वाकई में यहां पर देखने वाला कौन है वैसे भी झरने में नहाने का बहुत मन कर रहा था वह भी अपने कपड़े उतार कर अंदर को जाना चाहते थे लेकिन फिर भी अपने भाई के सामने उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,,)

लेकिन फिर भी भैया तुम्हारे सामने में कैसे कपड़े उतार कर नहा सकती हुं,,,,,।


जैसे अभी कुछ देर पहले मेरे सामने सलवार खोलकर पेशाब कर रही थी,,,,,।(ऐसा बोलते हुए खुद सूरज का लंड पानी के अंदर रहने के बावजूद भी अकड़ रहा था,, वह जानबूझकर अपनी बहन रानी से ईस तरह की बातें कर रहा था,,, और पेशाब वाली बात सुनकर रानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसकी बुर से उसका मदन बुंद बनकर टपकने लगा ,,, एक तरफ जहां अपने भाई की बातें सुनकर उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसे अपने भाई की बात मस्त कर देने वाली लग रही थी आज पहली बार उसे अपने बदन में जवानी का एहसास हो रहा था अपने भाई की बात सुनकर वह अपनी तरफ से सफाई देते हुए बोली,,,)


वह तो अनजाने में मुझे क्या मालूम था कि तुम देख रहे हो,,,,।

तो अभी भी अनजाने में कपड़े उतार कर कूद जा नहाने का मजा ले ले कितना ठंडा पानी है मुझे तो बहुत मजा आ रहा है,,,,(ऐसा कहते हुए अपनी बहन को उकसाने के लिए वह फिर से नाक बंद करके पानी में डुबकी लगाकर फिर बाहर निकल गया अब तो रानी से भी रहा नहीं जा रहा था वह भी आप कपड़े उतार कर तालाब में कूद जाना चाहती थी झरने से गिर रहा पानी बहुत शोर मचा रहा था और उसे इस बात के एहसास भी हो रहा था कि वाकई में यहां पर कोई देखने वाला भी तो नहीं है,,, और उसका भाई तो किसी से भी यह बात कहेगा भी नहीं ,,,।,,,

सूरज की हालत खराब हो रही थी वह पानी के अंदर ही अपना हाथ डालकर अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, और अपनी बहन को पानी में बिना कपड़ों के उतरने के लिए उकसा रहा था,,,,, सूरज की बातें सुनकर रानी भी अपने मन में सोचने लगी कि वाकई में नहाने का मजा ले लेना चाहिए फिर ना जाने ऐसा मौका मिले या ना मिले,,,, अपने मन को मजबूत करके वह अपने मन में ठान ली की वह भी नहाएगी,,, और तुरंत एक बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े उतारना शुरू कर दी सूरज इधर-उधर देखता रहा क्योंकि जब वह अपनी जगह से हटी थी तब वह नहीं देखा था कि वह कहां गई इसलिए वह थोड़ा हिरण हो गया और इधर-उधर देखने लगा उसे क्या मालूम था की बड़ी से पत्थर के पीछे उसकी बहन अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही है वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी और अपने कपड़ों को बड़े से पत्थर के पास सुरक्षित रख दी थी ताकि वापस उसे अच्छी तरह से पहन सके लेकिन फिर भी पत्थर से बाहर निकलने पर सूरज की नजर रानी पर पड़ ही जाने वाली थी इसलिए वह बड़े से पत्थर के पीछे से ही बोली,,,,)


भैया मैं भी नहाने के लिए तैयार हूं और अपने सारे कपड़े उतार दि हुं,,,,(बड़े से पत्थर के पीछे से ही वह बोली और उसकी बात सुनकर तो सूरज के तन बदन में आग लगने लगी और वह एक हाथ पानी में डालकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला )

क्या सच में तू नंगी हो गई है,,,,।

हां भैया मैं अपने सारे कपड़े उतार चुकी हूं,,,,।
(रानी इस बात से और ज्यादा हैरान थी कि उसका भाई एकदम खुलकर उसके लिए नंगी शब्द का प्रयोग करता था और इसे पहली बार हो रहा था लेकिन ऐसा नहीं था की रानी को अच्छा नहीं लग रहा था अपने भाई की बात सुनकर उसे भी मदहोशी छाने लग जा रही थी उसे भी अपने भाई कि ईस तरह की बातें अच्छी लग रही थी,,, अपनी बहन की बात सुनकर सूरज की तन-बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगा,,,, और उत्तेजित स्वर में बोला,,,)

तो देर किस बात की है आज कूद जा तालाब में देख कितना मजा आ रहा है,,,,।


लेकिन भैया मुझे शर्म आ रही है,,,,।


अरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है तो शर्माने की जरूरत क्या है अाजा कुद जा,,,,।(सूरज एकदम उत्साहित होता हुआ बोल रहा था क्योंकि उसने कोशिश करके अपनी बहन को कपड़े उतारने के लिए मना लिया था और उसकी बहन कपड़े उतार कर नंगी भी हो चुकी थी बस उसका पानी में कूदने की देरी थी इसलिए सूरज बहुत खुश था अपने भाई की बात सुनकर रानी बोली)


लेकिन मुझे शर्म आती है भैया तुम अपना मुंह दूसरी तरफ घुमाओ तब मैं कूदती हूं ,,,।


अच्छा ठीक है मैं दूसरी तरफ मुंह घुमा लेता हूं तु पानी में कूद जा,,,(सूरज मैन ही मन मुस्कुराते हुए बोला)
 
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