Dharmendra Kumar Patel
Nude av or dp not allowed. Edited
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयासूरज ने जो कुछ भी अपनी आंखों से देखा था वह बेहद अद्भुत और कलात्मक था सुनैना का पानी की टंकी में उतर कर नहाना कुछ ऐसा था जिसे स्वर्ग से उतरी हुई कोई अप्सरा तालाब में नहा रही हो उसके द्वारा अपने तन पर से एक-एक करके वस्त्र उतरना बेहद तत्व तथा उसके वस्त्र उसके बदन से अलग होते जा रहे थे वैसे वैसे उसकी जवानी नग्नता में प्रवेश करती जा रही थी,, और वाकई में नंगी होने के बाद सुनैना स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा की तरह ही नजर आती थी उसके बदन की बनावट ही कुछ इस तरह की थी कि जो देखे वह काम भावना से ग्रस्त हो जाए उसके बदन का उभार बदन का कटाव सब कुछ मंत्र मुग्ध कर देने वाला था,,, खास करके चूचियों की गोलाई तो बेहद अद्भुत थी,,, दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूचियों में बिल्कुल भी ढीलापन नहीं आया था ना तो लचक आई थी,, अभी भी उसकी कई हुई चूचियां उसकी छाती की शोभा बढ़ा रही थी,,,,।
और उसके नितंबों की तो पूछो मत जैसे एक स्त्री जवानी के दहलीज पर कदम रखती है और उसके नितंबों का उभर का आकार ले चुका होता है ठीक उसी तरह की इस उम्र में भी सुनैना की गांड उभार लिए हुए थी और उसकी नितंबो में भी एक खास बात थी कि उसके नेताओं में भी जरा भी लचक और ढीलापन नहीं आया था,,, उम्रकेश पड़ाव में भी उसकी गांड एकदम कसी हुई जवान औरत की तरह थी जिसे देखकर अच्छे अच्छे का पानी निकल जाता था,,, जैसा की सूरज का हाल बेहाल हो चुका था वह पूरी तरह से अपनी मां का दीवाना बन चुका था,,,,
Mukhiya ki beti or suraj
अब तक सूरज मुखिया की बीवी के साथ-साथ मुखिया की लड़की और पड़ोस की गांव की नव विवाहित बहू के साथ शारीरिक संबंध बन चुका था और लगभग लगभग तीनों के बदन के आकार को अपनी आंखों से देख चुका था जिसमें सबसे ज्यादा आकर्षक और मंत्र मुग्ध कर देने वाला बदन सिर्फ उसकी मां का ही था,,, और जिसे भोगने के लिए सूरज ललाईत हुआ जा रहा था,,, लेकिन उसके जीवन में यह मौका कब आएगा यह भी नहीं जानता था लेकिन इतना तो मालूम हो ही चुका था कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह एकदम प्यासी है वह भी पूरी तरह से जवानी की आग में शोला बन चुकी है,,, साथ ही सूरज को इस बात की फिक्र भी थी कि कहीं घर की मलाई को कोई बाहर का ना चाट जाए,,, क्योंकि दूसरी औरतों की हालत को वह देख ही चुका था की कैसे मर्द का साथ पाने के लिए ललाईत रहती है,,,।
Nilu or suraj jhopdi me
इसलिए सूरज को अपने पिताजी पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था कितनी खूबसूरत बीवी को छोड़कर ना जाने कहां मुंह मार रहा है और इस बात को सोचकर पर अपने मन में यह भी ख्याल रहता था कि अगर उसकी मां उसकी बीवी होती तो वह एक पल के लिए भी उससे बिल्कुल भी दूर नहीं होता दूर क्या वह एक पल के लिए भी अपने लंड को उसकी बुर में से बाहर नहीं निकालता,,,, अपनी मां को नंगी होकर नहाता हुआ देखकर वह जिस काम के लिए आया था वह काम एकदम से भुल चुका था,,,, और जिस तरह का नजारा पर अपनी आंखों से देखा था उसे नजारे को देखकर तो दुनिया अपने आप को भूल जाए फिर काम क्या चीज थी,,,,।
Nilu ki chudai
रात का भोजन तैयार हो चुका था और तीनों मिलकर भोजन कर रहे थे,,,, सामने बैठी सुनैना को देखकर बार-बार सूरज उसे बिना वस्त्र की कल्पना करता था और हर कल्पना में वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सराही लगती थी,,,, सूरज बार-बार अपनी मां की तरफ देख कर मुस्कुरा दे रहा था लेकिन उसकी मुस्कुराने का कारण सुनैना समझ नहीं पा रही थी इसलिए वह बोली,,,।
क्या है रे ऐसे क्यों मुस्कुरा रहा है,,,?
बस ऐसे ही,,,,।
बस ऐसे ही क्यों मुझे भी तो बता,,,(निवाला मुंह में डालते हुए सुनैना बोली)
ज्यादा कुछ नहीं बस में यह सोच रहा था कि पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से इतना सुनते ही सुनैना का दिल धक से करके रह गया उसकी सांसों की गति पल भर के लिए थम सी गई क्योंकि उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ कर रहा था और तुलनात्मक रूप से पूरे गांव की औरतों को भी उसमें शामिल कर रहा था जिसमें उसके मुकाबले और कोई नहीं थी इसलिए पल भर के लिए तो अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर सुनैना को थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर भी उसका बेटा कर तो रहा था उसकी खूबसूरती की तारीफ इसलिए मन ही मन मुस्कुराने लगी लेकिन फिर भी वह एक मां थी और अपने बेटे के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर उसे थोड़ा अजीब लगा था इसलिए बोला,,,)
Nilu ki chudai karta hua suraj
चल रहने दे बकवास करने को,,,।
अरे मैं बकवास नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं,,,,, मैं सच कह रहा हूं या बकवास कर रहा हूं,,,।
भैया ठीक ही कह रहा है मुझे भी ऐसा ही लगता है पूरे गांव में तुमसे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है,,,।
तुम दोनों भाई बहन मिलकर मेरा मजाक उड़ा रहे हो,,,।
अरे मां कैसी बातें कर रही हो भला हमअपनी मां का मजाक क्यों उड़ाएंगे,,,, तुम सच में बहुत खूबसूरत हो,,,, वरना अपने पड़ोस वाली चाची को देखो तुमसे उम्र में छोटी है लेकिन कैसी लगने लगी है और वह जो तालाब के पास रहती है उनकी एक ही बच्चा है लेकिन फिर भी अभी से उम्र वाली लगने लगी,,,।
Ek din suniana or suraj
और हां मां गांव के नौकर कर रही थी ना जो मौसी उनकी तो अभी-अभी बच्चा नहीं है फिर भी तुमसे बड़ी लगने लगी है,,,,(रानी भी अपने भाई के सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,, अपने दोनों बच्चों की बातें सुनकर सुनैना का दिल गदगद हुआ जा रहा था वह समझ सकती थी कि सूरज जो कुछ भी कह रहा है उसमें सच्चाई है और उसकी बात मानने का कारण यह भी था कि वह एक मर्द था,,,, और एक औरत की खूबसूरती मर्द से बेहतर भला और कौन समझ सकता है इसलिए सुनैना को पक्का यकीन हो गया था कि वाकई में पूरे गांव में उससे ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं है लेकिन फिर भी सुनैना इस बात को समझ नहीं पा रही थी कि अचानक उसका बेटा उसकी खूबसूरती की तारीफ क्यों करने लगा था,,,। यह प्रश्न उसके मन में उठ रहा था लेकिन इसका जवाब भी अपने आप से ही दे रही थी वह अपनी मन में सोच रही थी कि कहीं औरतों को देखने का नजरिया उसके बेटे का वजन तो नहीं किया कहीं वह सचमुच में जवान तो नहीं हो रहा है,,,, अगर ऐसा है तो सच में वह ऐसा जरूर कुछ उसके अंदर देखा होगा जो उसकी तारीफ कर रहा है,,,,।
Suraj or uski ma
जहां इस तरह का ख्याल उसे हैरान कर देने वाला था वहीं दूसरी तरफ ना जाने क्यों इस ख्याल से वह मन ही मन खुश हो रही थी,,,,,, और अपने मन को थोड़ा शांत करते हुए वह बोली,,,। )
चलो तुम दोनों यह सब छोड़ो और खाना खाओ,,,,।
(इतना सुनकर भाई बहन एक दूसरे को देखने लगे और खाना खाने लगे और फिर थोड़ी देर बाद सूरज अपनी मां से बोला,,,)
अरे एक बात तो भुल ही गया,,,,,,,!
क्यों अभी भी कुछ बाकी रह गया है,,,(अपनी आंखों को नचाते हुए सुनैना बोली,,,)
अरे मेरा मतलब आंवला से था,,,।
अरे हां,,, मैंने तुझसे आंवला लाने के लिए बोली थी और तु अभी तक आंवला नहीं ला पाया,,,,( आंवला की बात सुनते ही एकाएक जैसे कुछ ख्याल आया हो इस तरह से सुनैना बोली,,,)
Suraj or uski ma ek din
अरे मां उसी के बारे में तो पूछ रहा हूं,,,, जाना कब है,,,,।
सरसों का तेल मैं पिरा के रखी हूं,,, बस आंवला आने की देरी है,,,,,,,।
वह भी आ जाएगा लेकिन जाना कब है,,,,।
अब यह भी तू मुझसे पूछेगा सारा दिन इधर-उधर घूमता रहता है तुझे तो खुद ही लेकर आना चाहिए,,,,।
अरे अकेले में इतने सारे वाला कैसे लेकर आऊंगा तोडूंगा या उन्हें संभालुंगा,,,,।
तो रानी को लेकर जाना और बड़ा सा थैला ले लेना,,,, इस बार ज्यादा तेल बनाऊंगी,,,,।
ठीक है,,,, तू भी चलेगी ना रानी,,,(अपनी बहन की तरफ देखते हुए सूरज बोला,,,)
हा ,,, हा,,,, क्यों नहीं मैं भी चलूंगी,,,,,(मुस्कुराते हुए रानी बोली,,,,)
तो ऐसा करो तुम दोनों कल ही चले जाओ और अच्छे-अच्छे आंवला लाना बेकार मत लेकर आना,,,।
Suraj or uski ma ki chudai
इसीलिए तो इस बार में दूसरी जगह से लाने वाला हूं वहां के आंवले बहुत बड़े-बड़े और अच्छे हैं,,,।
कहां के,,,,?
अरे वही पहाड़ी के पास के,,,।
अरे वहां तो जंगल जैसा है वहां जाना ठीक रहेगा,,,(आश्चर्य जताते हुए सुनैना बोली,,,)
क्यों नहीं मां मैं तो बहुत बार जा चुका हूं ऐसा कुछ भी वहां नहीं है बस जंगली झाड़ियां बहुत है और सच कहूं तो वहां तो बड़े आराम से आंवला तोड़ सकते हैं वहां कोई बोलने वाला नहीं है,,,, और पास में ही झरना है एकदम ठंडा पानी नहाने का मजा ही कुछ और है,,,।
झरना,,,(एकदम आश्चर्य से रानी) तब तो मैं भी नहाऊंगी,,,,,।
चल रहने दे ठंड लग जाएगी तो बीमार पड़ जाएगी,,,।
(नहाने के लिए अपनी बहन रानी की उत्सुकता देखकर मन ही मन सूरज प्रसन्न होने लगा,,,, क्योंकि वह भी यही चाहता था कि उसकी बहन भी झरने के पानी में नहाए और वह भी उसके साथ,,,,,, वैसे तो सीधे-सीधे सूरज अपनी बहन को चोदने की फिराक नहीं था,, लेकिन वह अपनी बहन को धीरे-धीरे उत्तेजित करना चाहता था उसे लाइन पर लाना चाहता था जैसे वह नीलू के साथ किया था नीलू भी तुरंत उसके साथ चुदवाने के लिए तैयार नहीं हो गई थी लेकिन उसने जिस तरह से अपने लंड के दर्शन करा कर उसे उत्तेजित किया था उसके स्तन को रगड़ा था दबाया था तब धीरे-धीरे जाकर उसकी टांगों के बीच चुदास का रस टपकने लगा था और यही वह अपनी बहन के साथ करना चाहता था ताकि उसके साथ भी संभोग का सुख ले सके,,,, अपनी मां की बात सुनकर वह बोला,,,)
Suraj or uski ma
अरे कुछ नहीं होगा मां वहां नहाने में बहुत मजा आता है,,,,,।
चल कोई बात नहीं नहा लेना लेकिन आंवला अच्छा अच्छा लाना ,,,,,।
तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो ना इस बार का तेल बहुत अच्छा बनेगा,,,।(अपनी मां को दिलासा देते हुए सूरज बोला,,, और फिर थोड़ी ही देर में तीनो खाना खा लिए,,,,,ं,,,।
तीनों सोने की तैयारी करने लगे सुनैना अपने कमरे में चली गई और रानी अपने कमरे में चली गई लेकिन सूरज अपने कमरे में नहीं गया क्योंकि वह अपनी मां को देखना चाहता था कि वह अकेले में कमरे में क्या करती है क्योंकि दोपहर में तो वह अपनी मां को नहाते हुए और उसकी हरकत को देख चुका था,,, और वह यह देखना चाहता था कि उसकी मां रात को चुदवासी होती है या नहीं और इसीलिए कुछ देर इंतजार करता रहा और जैसे ही 10 15 मिनट गुजर गए वैसे ही वह तुरंत धीरे-धीरे दबे पांव अपनी मां के कमरे की तरफ जाने लगा ,,, तीनों का कमरा एक दूसरे से सटा हुआ था मिट्टी की बनी दीवार और दरवाजा लकड़ी का था जिसमें से आराम से अंदर का नजारा देखा जा सकता था और इसीलिए लकड़ी के दरवाजे से अंदर झांकने का सुख सूरज लेना चाहता था,,,।
Sunaina ki chuchiya
और वह धीरे-धीरे तभी पांव अपनी मां के कमरे के पास पहुंच गया,,, लकड़ी के बने दरवाजे के सुराख में से वह अंदर की तरफ देखने लगा,,, जल्द ही अंदर का दृश्य एकदम स्पष्ट होने लगा अंबर लालटेन चल रही थी और उसकी पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था जल्द ही उसे अपनी मां का बिस्तर नजर आने लगा,, और बिस्तर पर लेटी हुई उसकी मां एकदम साफ नजर आने लगी अपनी मां को बिस्तर पर लेटी हुई देखकर सूरज की दोनों टांगों के बीच हलचल होने लगी वह यह देखना चाहता था कि बिना मर्द के उसकी मां रात कैसे गुजरती है क्या रात को भी उसके मन में मर्द संसर्ग की इच्छा जागरुक होती है,,, और बहुत ही जल्दी स्पष्ट भी हो गया कि उसकी मां के मन में क्या चल रहा है,,,।
सूरज एकदम साफ तौर पर देख रहा था कि उसकी मां पीठ के बाल बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी साड़ी का पल्लू उसके ऊपर नहीं था ब्लाउज में कसी हुई उसकी छाती एकदम साफ नजर आ रही थी और उसकी सांसों की गति के साथ वह भी ऊपर नीचे हो रही थी जिसे देखकर सूरज का मन डोल रहा था कुछ देर तक गहरी सांस लेने के बाद सुनैना के दोनों हाथ ब्लाउज के ऊपर आ गए और बाहर के हल्के अपनी चूची को ब्लाउज के ऊपर से दबाना शुरू कर दी यह देखकर सूरज के लंड की अकड़ बढ़ने लगी और वह इस बात से खुश हो गया कि जो वह सोच रहा था वही हो रहा है,,,।
Sunaina or suraj
वैसे तो रोज बिस्तर पर सुनैना अपने पति के लिए तड़पती थी लेकिन आज उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, आज उसके मन में उसके बेटे की कही गई बात घूम रही थी कि वह बहुत खूबसूरत है पूरे गांव में सबसे ज्यादा खूबसूरत है और इस बात है सेवा अंदेशा लग रही थी कि उसका बेटा ऐसा क्यों कहा,,, और इसका जवाब भी उसके पास था वह अपने मन में सोच रही थी कि उसका बेटा बड़ा हो गया जवान हो गया है औरत को देखने का नजरिया उसका बदल गया है लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी कि उसके बदन में उसका बेटा ऐसा क्या देख लिया जो वह कुछ ही पल में गांव की सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत लगने लगी,,, और यही सोच कर वह ब्लाउज के ऊपर से अपनी चूची को जोर-जोर से दबा रही थी और यह देखकर बाहर खड़ा सूरज उत्तेजित हुआ जा रहा था,,।
देखते ही देखते सुनैना अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी और अगले ही पल अपना ब्लाउज उतार कर एक तरफ फेंक दी उसकी नंगी चूचियां पीली रोशनी में और ज्यादा चमक रही थी जिसे वह अपने हथेली में रेखा जोर-जोर से दबा रही थी और अपने मन में नहीं सोच रही थी कि कहीं उसका बेटा उसकी बड़ी-बड़ी गांड की तरफ देखकर तो नहीं बोल रहा है कि वह सबसे ज्यादा खूबसूरत है कहीं ऐसा तो नहीं कि उसकी चूची देख लिया हो,,,, अपने मन में उठ रहे सवाल का वह खुद ही जवाब देते हुए बोल रही थी नहीं ऐसा कैसे हो सकता है उसके सामने में कभी ऐसी स्थिति में आई नहीं कि वह कभी मेरे नंगे बदन को देख सके लेकिन फिर भी हो सकता है वह साड़ी के ऊपर से ही अंगों का जायजा ले लिया हो,,,, और यही सब देखकर वहां उसे सबसे ज्यादा खूबसूरत औरत समझ रहा है,,,,।
Sunaina or suraj ki masti
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यह सब बातें सोच कर सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी वह जोर-जोर से अपनी चूची को दबा रही थी,,,, और दूसरी तरफ दरवाजे के बाहर खड़ा सूरज अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी देखकर पागल हुआ जा रहा था,,, वह भी पजामे के ऊपर से अपने खड़े लंड को मसल रहा था,, वह समझ गया था कि उसकी मां को एक मर्द की जरूरत है जो उसकी जवानी को रगड़ रगड़ कर उसका रस निकाल सके और यह जिम्मेदारी उसे ही उठानी पड़ेगी कहीं ऐसा ना हो कि उसकी मां भी दूसरी औरतों की तरह घर के बाहर कदम निकाल दे और दूसरों को अपनी जवानी का रस पिलाए,,,, और ऐसा सोचता हुआ वह अपने आप से ही कह रहा था कि उसे जल्द ही कदम उठाना होगा,,,,।
अंदर मदहोशी बढ़ती जा रही थी सुनैना अपने बेटे के बारे में सोच रही थी,,, और अनायास उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसका बेटा उसके साथ संबंध बना ले तो कैसा होगा वैसे भी उसके बेटे के साथ सोनू की चाची संबंध बनाना चाहती है ऐसा उसकी हरकत देखकर लग रहा था,,,, ऐसा सोचते हुए सुनैना की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी और धीरे-धीरे अपनी साड़ी को खोलना शुरू कर दी और जैसे-जैसे वह साड़ी खोल रही थी वैसे-वैसे बाहर खड़े सूरज की हालत खराब होती जा रही थी,,,, और देखते-देखते सुनैना अपने बदन पर से साड़ी उतार कर खटिया के नीचे और इस समय वहां बिस्तर पर केवल पेटीकोट में थी और पेटीकोट भी उसकी जांघों तक चढ़ा हुआ था,,, और लालटेन के पीली रोशनी में उसकी मोती मोती जामुन को देखकर सूरज की आंखों में वासना का तूफान नजर आ रहा था,,,,।
Sonu ki chachi kapde utarti huyi
सुनैना के मन में आया ख्याल उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था वह अपने ही बेटे के साथ शारीरिक,, संबंध बनाने के बारे में सोच रही थी,,, और यह ख्याल उसके तन बदन में आग लग रहा था और वह अपने मन में कल्पना करने लगी कि अगर सच में ऐसा हो जाए तो क्या होगा और यही सोचते हुए वह अपने पेटिकोट की डोरी को खोलने लगी और यह देखकर सूरज की उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचने लगी क्योंकि कुछ ही इच्छा में उसकी मां पूरी तरह से नंगी होने वाली थी,,,, और देखते ही देखते सुनैना अपनी पेटिकोट की डोरी को ढीली करके अपनी पेटीकोट को नीचे की तरफ खींचने लगी लेकिन उसकी भारी भरकम गांड पेटीकोट के कपड़े को अपनी गांड के नीचे दबाए हुआ था इसलिए वह अपनी गांड को हल्के से ऊपर की तरफ उठाकर हुआ धीरे से अपनी पेटीकोट को अपने मोटी मोटी टांगों से बाहर निकाल कर एकदम नंगी हो गई यह देखकर सूरज से रहा नहीं गया और वह भी अपने पजामे में से अपने लंड को बाहर निकाल लिया,,,,।
Sonu ki chachi
दूसरी तरफ सुनैना की कल्पना बढ़ती जा रही थी सुन ना अपने मन में कल्पना कर रही थी कि उसकी दोनों टांगों के बीच उसका बेटा अपने लिए जगह बनाकर उसकी मोटी मोटी जांघों को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया है,,, और अपने मोटे तगडे लंड को उसकी बुर में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया है ऐसा सोचते हुए सुनैना अपनी दो उंगली को अपनी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगी थी और यह देखकर सूरज से रहने गया था और वह बाहर खडा होकर अपनी मां की हरकत को देखते हुए मुठ मारना शुरू कर दिया था,,, कमरे के अंदर से शिसकारी की आवाज बाहर खड़े सूरज को एकदम साफ सुनाई दे रही थी और अपनी मां की गरमा गरम सिसकियो की आवाज सुनकर सूरज का धैर्य जवाब दे रहा था उसके मन में हो रहा था किसी समय दरवाजा तोड़कर अंदर चला जाए और अपनी मां की प्यास बुझा दे लेकिन ऐसा वह सिर्फ सोच सकता था कर सकने की हिम्मत अभी उसमें नहीं थी,,,।
अंदर कमरे में सूरज की मां की सांस बड़ी तेजी से चलने लगी वह एकदम चरम शिखर पर पहुंचने वाली थी और बाहर खड़ा सूरज भी झड़ने वाला था और देखते-देखते दोनों एक साथ झड़ने लगे सूरज दरवाजे पर ही अपना गरम लावा गिरा दिया और फिर धीरे से अपने कमरे में चला गया,,,,।
सुबह सूरज जल्दी से चलने की तैयारी कर लिया क्योंकि काफी दूर जाना था,,,। इसलिए सुनैना दोनों के लिए रोटी और सब्जी के साथ अचार भी बांध दी,,,, और फिर दोनों निकल पड़े एक नए सफर की ओर,,,
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयादोनों भाई बहन एक बड़ा सा थैला और उसमें रोटी सब्जी और आचार लेकर निकल चुके थे आंवला तोड़ने के लिए,,, वैसे तो यह काम सूरज अकेले भी कर सकता था लेकिन वह जानबूझकर अपनी बहन रानी को अपने साथ लेकर आया था क्योंकि जब से उसने अपनी बहन को पेशाब करते हुए उसका सीमित आकार का पिछवाड़ा देखा था तब से वह अपनी बहन के प्रति आकर्षित हो गया था,,, बार-बार जब भी अपनी बहन की तरफ देखा था तब तब उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड ही नजर आती थी,,,, और जिस तरह से उसने मुखिया की बेटी के साथ चुदाई का सुख प्राप्त किया था इस तरह का सुख हुआ अपनी बहन के साथ प्राप्त करना चाहता था क्योंकि जिस तरह से वह मुखिया की बेटी को चुदाई के लिए तैयार कर लिया था और वह भी बड़े आराम से मान गई थी और इसीलिए उसे पूरा विश्वास था कि उसकी बहन भी मान जाएगी,,,।
Mukhiya ki bibi
और सब के पीछे उसकी सोच इसलिए ऐसी थी कि उसे औरतों की संगत में इतना तो पता चल गया था कि मर्दों की तरह औरतों को भी चुदाई की भूख होती है बस उस भूख को जगाने वाला चाहिए,,, और इसीलिए उसका विश्वास एकदम पक्का था कि वह भी अपनी बहन के अंदर चुदाई की भूख को जगा लेना और अगर ऐसा हो गया तो दिन-रात मजे ही मजे होंगे इस बात को सोचकर वह अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रहा था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,।
रानी बहुत खुशी ऐसा नहीं था कि वह पहली बार अपने भाई के साथ कहीं जा रही थी ऐसा वह पहले भी बहुत बार अपने भाई के साथ खेतों में तो आम के बगीचों में आम तोड़ने के लिए बेर तोड़ने के लिए और आंवला तोड़ने के लिए जा चुकी थी,,, लेकिन हर बार उसे एक नई खुशी मिलती थी घर के बाहर घूमने का और इसीलिए वह अपने भाई के साथ आज पहाड़ी के दूसरी तरफ जा रही थी उसे तरफ वह कभी गई नहीं थी उस जगह को देखने की इच्छा उसकी ज्यादा प्रबलित हो चुकी थी जब उसके भाई ने ये भी बताया कि वहां झरना भी है नहाने में मजा आता है,,, वह झरना देखना चाहती थी उसके ठंडे पानी में नहाना चाहती थी,,,,, दोनों बातचीत करते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे,,,, सूरज अपनी बहन से दूसरी तरह की बातें करना चाहता था लेकिन कर नहीं पा रहा था वह बातों के जरिए अपनी बहन के मन में उसके तन बदन में चुदास की लहर जगाना चाहता था,,, लेकिन दूसरी तरह की बात करने में उसे थोड़ी घबराहट हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह बात कैसे करें और सही बात का डर भी ताकि कहीं उसकी बहन नाराज हो गई तो गजब हो जाएगा,,,,। इसीलिए वह इधर-उधर की बात करते हुए बोला,,,।
Ghodi bank chudwati huyi mukhiya ki bibi
देखना रानी आज तो बहुत आंवला मिलेंगे,,, तुझे पता है वहां पर बहुत बड़ी-बड़ी वाला होते हैं एकदम संतरे के आकार के,,,(ऐसा वह अपनी बहन की चुचीयो की तरफ देखते हुए बिना छोटी कुर्ती में से बाहर तनी हुई नजर आ रही थी और इस बात का एहसास रानी को भी हुआ तो वहां शर्मा गई लेकिन वह सोची शायद अनजाने में ही उसके भाई की नजर उसकी छाती पर चली गई है इसलिए वह इस बात को नजर अंदाज करते हुएबोली,,,)
क्या बात कर रहे हो भैया क्या सच में इतने बड़े-बड़े आंवला होते हैं,,,।
अरे तो क्या तूने अभी देखी ही क्या है देखेगी तो दंग हो जाएगी,,,।
तब तो सच में मैं देखने के लिए उत्साहित हूं,,, खाने में बहुत मजा आता होगा नमक लगाकर,,,।
अरे चाहे जैसे खाओ नमक मिर्च लगाकर खाओ बहुत स्वादिष्ट होते हैं वहां के अांवले,,,,।
(बातचीत करते हुए दोनों गांव के बाहर निकल चुके थे मौसम भी बहुत सुहाना सुबह का समय था इसलिए ज्यादा धूप नहीं थी और दोनों में थकान भी नहीं थी चारों तरफ खेत ही खेत लहलहा रहे थे,,, कुछ दूरी तक तो गांव के इक्का दुक्कालोग दिखाई भी दे रहे थे लेकिन थोड़ी ही देर बाद कच्ची सड़क पर इंसान का नाम और निशान तक नहीं था क्योंकि इस और कोई आता ही नहीं था,,,, चारों तरफ सिर्फ सुनसान सड़क थी कच्ची सड़क ऊबड़ खाबड़ टूटी हुई,, जिस पर चलते हुए रानी की चाल बदल जा रही थी ऊपर नीचे पर रख कर चलने में उसके नितंबों में एक अजीब सी लचक हो रही थी उसकी गांड के दोनों भाग सलवार में आपस में रगड़ खाकर एक अद्भुत आकर बना रहे थे जिसे देखने में सूरज की हालत खराब हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे उसके सलवार में बड़े-बड़े खरबूजे डाल दिए गए हैं और वह दोनों आपस में रगड़ खा रहे हो,,,, अब तक के अनुभव से इस नजारे को देखकर सूरज के मन में यही हो रहा था की आंखें बढ़कर अपनी बहन की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर मसल डालें फिर जो होगा देखा जाएगा,,,,।
लेकिन इस तरह का ख्याल मन में आते ही वह अपने मन में से इस तरह के ख्याल को तुरंत निकाल देता था क्योंकि वह किसी भी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहता था वह धीरे-धीरे अपनी बहन को लाइन पर लाना चाहता था जिस तरह से उसने मुखिया की बेटी को चुदवाने के लिए तैयार किया था उसी तरह से वह अपनी बहन को भी तैयार करना चाहता था कोई जोर जबरदस्ती से नहीं,,,, दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था कोई सड़क एकदम सुनसान थी यह देखकर रानी को थोड़ी घबराहट होती थी और वह भी जंगली जानवरों से इसलिए वह बोली,,,।
भैया दूर-दूर तक कोई नहीं है ऐसे में अगर कोई जंगली जानवर आ गया तो गजब हो जाएगा,,,।
तू खामखा डर रही है रानी मैं हूं ना कोई भी जंगली जानवर आ जाए मेरे से बचकर जा नहीं सकता तो चिंता मत कर मैं यहां पहली बार नहीं आ रहा हूं बहुत बार आ चुका हूं वैसे तो यहां कोई जंगली जानवर नहीं है लेकिन सियार का डर रहता है लेकिन फिर भी उनसे निपटना में अच्छी तरह से जानता हूं,,,, इसलिए तो देखा रास्ते में मोटा सा डंडा ले लिया हूं,,,(अपने हाथ में लिया हुआ डंडा दिखाते हुए सूरज बोला)
तुम्हारे साथ मुझे डर नहीं लगता भैया लेकिन थोड़ी बहुत तो घबराहट होती है ना यहां तो कोई भी दिखाई नहीं दे रहा है,,,।
कैसे कोई दिखाई देगा ईस ओर कोई आता ही नहीं है,,,, इसीलिए तो यहां के आ्ंवले सुरक्षित है वरना सबको पता चल जाता तो कुछ मिलता ही नहीं और वैसे भी डर के मारे यहां कोई आता ही नहीं है जंगली जानवरों का डर सब में है,,,।
तो तुम क्यों चले आते हो,,,,?(अपने भाई की तरफ देखते हुए रानी बोली)
बस चलता हूं जहां बहुत अच्छा लगता है मुझे और वैसे भी बहुत बार आ चुका हूं लेकिन अकेले तो कुछ ही बार आया हूं बाकी अपने दोस्त लोग के साथ आया हूं,,,,,।
तुम इतनी बाहर आ जाओ भैया लेकिन कभी घर के लिए तो कुछ लेकर आए नहीं,,,।
अरे कौन सा सोना चांदी लेकर यहां से जाता हूं जो घर के लिए लेकर जाऊं,,,, खाया पिया पचाया बस हो गया,,,।
(आगे से ज्यादा का सफर दोनों ने तय कर चुका था अब धूप बढ़ने लगी थी और जंगल जैसा माहौल भी होने लगा था अभी तक तो कच्ची सड़क दिखाई देती थी लेकिन अब घास ही घास दिखाई देती थी,,, ऐसे में रानी का घबराना वाजिब था वह मन ही मन डर भी रही थी क्योंकि चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था,,,, और अपने मन की बात हो अपने भाई से बोल भी नहीं सकती थी कि उसे डर लग रहा है क्योंकि यहां आने का फैसला भी उसका ही था वह चाहती तो इंकार कर सकती थी लेकिन वह भी इस नई जगह को देखना चाहती थी और अगर अब वह अपने भाई से खागा की उसे डर लग रहा है तो हंसी का पात्र बन जाएगी और ऐसा वह नहीं चाहती थी,,,,।
सूरज जंगली झाड़ियां के बीच से होता हुआ अपनी बहन के लिए रास्ता बना रहा था वह यहां का रास्ता अच्छी तरह से जानता था,,, इसलिए उसे बिल्कुल भी ना तो फिकर थी ना ही डर था,,,, उसके मन में तो केवल एक ही बात चल रही थी कि वह कैसे अपनी बहन को नीलू की तरह लाइन पर ले आए और इसी गुत्थी को सुलझाने में वह लगा हुआ था,,,,, जंगली झाड़ियां के बीच से होता हुआ वह आगे आगे बढ़ रहा था और उसकी बहन पीछे पीछे उसके कदम से कदम मिलते हुए चल रही थी और चारों तरफ नजर घूमाते हुए भी चल रही थी यह जगह भले ही थोड़ी डरावनी जैसी थी लेकिन यहां पर फल फूल की कोई कमी नहीं थी,,, चारों तरफ फल ही फल के पेड़ लगे हुए थे और उन्हें तोड़ने वाला खाने वाला कोई नहीं था कहीं चीकू से तो कहीं अमरूद तो कहीं बैर लगे हुए थे,,, ऐसे ही एक जगह पर बड़े-बड़े चीकू देखकर रानी रुक गई और बोली,,,।
भैया यह देखो कितने बड़े-बड़े चीकू है,,,।
(इतना सुनते ही आगे चल रहा है सूरज एकदम से रुक गया और पीछे मुड़कर अपनी बहन की तरफ देखने लगा और पेड़ पर उगे हुए बड़े-बड़े चीकू की तरफ देखने लगा और बोला,,,)
खाना है,,,?
हां तो क्या कब से पैदल चल रही हूं थकान लगने लगी है,,,,।
रुक जा तोड़ कर देता हूं,,,,(इतना कहते हुए सूरज चीकू की पेड़ की तरफ आ गया और हाथ ऊपर करके चीकू तोड़ने लगा वैसे तो ज्यादातर पेड़ चीकू के पैसे होते हैं कि उनके फल नीचे नीचे ही लगे होते हैं लेकिन यहां पर थोड़ी ऊंचाई पर पेड़ था इसलिए रानी का हाथ वहां तक पहुंच नहीं पा रहा था इसलिए उसे ही तोड़ने के लिए बुलाई थी वरना वह खुद ही तोड़कर खा लेती,, फिर भी चीकू तोड़ते हुए सूरज अपने मन में सोच रहा था कि इससे भी अच्छे-अच्छे चीकू तो तेरे पास है,,, तू यह वाला चीकू लेले और अपने चीकू मुझे दे दे,,,, मन में इस तरह की बात अपने आप से ही बोलते हुए सूरज उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,,, वह अपने मन में सोच रहा था कि काश इस चीकू के बदले में उसे अपनी बहन की चिकु मिल जाते तो कितना मजा आता,,, और वह अपने मन में अपनी बहन के चीकू पानी का रास्ता ढूंढ रहा था लेकिन कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,।
तीन चार चीकू तोड़कर वह अपनी बहन को थमा दिया और एक चीकू लेकर खुद खाने लगा और आगे बढ़ गया उसकी बहन भी एक चीकू हाथ में ले ली और बाकी के चीकु को अपनी कुर्ती पकड़ कर उसे कुर्ती में रख ले और एक हाथ से कुर्ती पकड़े हुए वह आगे बढ़ती चली जा रही थी और चीकू का स्वाद लेते हुए आनंदित हो रही थी,,,,, थोड़ी देर चलने के बाद जंगली झाड़ी कम होने लगी और फिर से कच्ची सड़क नजर आने लगी तब जाकर रानी को राहत महसूस होने लगी लेकिन वह थक चुकी थी और एक बड़े से पत्थर से अपनी पीठ टिकाकर गहरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,,।
बस भैया रुक जा मैं तो थक गई अगर मुझे मालूम होता कि इतना दूर जाना है तो मैं कभी नहीं आती,,,,।
(सूरज भी अपनी बहन की बात सुनकर रुक गया था और वह भी दूसरे बड़े से पत्थर का सहारा लेकर खड़ा हो गया तो अपनी बहन की तरफ देख रहा था वह जिस तरह से कुर्ती को हाथ में लेकर थोड़ी उठा कर उसमें चीकू रखी हुई थी उसकी गहरी नाभि नजर आ रही थी और उसकी कमर के निचले त्रिकोण हिस्से की लकीर नजर आ रही थी जिसे देखते ही सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी और वह अपनी बहन की गहरी नाभि को प्यासी नजर से देखने लगा वाकई में उसकी बहन की नाभि कुछ ज्यादा ही गहरी थी और अपनी बहन की गहरी गड्ढे दार नाभि को देखकर सूरज अपने मन में सोचने लगा कि इसकी सुना भी भी एकदम बुर की तरह है जब इसकी नाभि इतनी खूबसूरत है तो इसकी बुर कितनी खूबसूरत होगी काश इसकी बुर देखने का मौका मिल जाता तो मजा आ जाता,,, रानी अपनी बात पूरी करते हुए अपने भाई की नजर को देखकर एकदम से झेंप गई थी क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि उसका भाई उसके खुले हुए कुर्ते से झांक रहे उसके नंगे बदन की तरफ देख रहे हैं और जब उसे एहसास हुआ कि उसका भाई और कुछ नहीं उसकी गहरी नाभि को देख रहा है तो एकदम शर्म से पानी पानी होने लगी और वह धीरे से इधर-उधर करके अपनी कुर्ती को नीचे करने लगी,,,, सूरज भी समझ गया कि उसकी बहन उसकी नजर को पहचान गई है इसलिए वह भी अपनी बहन की बात का जवाब देते हुए बोला,,,)
कहा तो था पहाड़ी के दूसरी तरफ जाना है,,,,और वैसे भी बस थोड़ी दूर रह गया है,,,, ज्यादा दूर नहीं है बस वहां पहुंचते ही आंवला तोड़कर उसे थेले में रख लेंगे,,,,,(वह एकदम सहज होते हुए बात करने लगा तो रानी को अपनी सोच पर ही गुस्सा आने लगा वह अपने मन में सोची कि उसका भाई लगता है उसकी कुर्ती में रखे हुए चीकू की तरफ देख रहा था और वह कुछ और ही समझ रही थी,,,, अपने भाई की बात सुनकर वह बोली,,,)
कोई बात नहीं,,,,(और इतना कहते हुए चीकू निकाल कर खाने लगी वहीं पर खड़े-खड़े वह सारे चीकू को खत्म कर दी तब सूरज बोली,,,)
अब चलें नहीं तो देर हो जाएगी,,,,।
हां हां चलो,,,,।
(और फिर दोनों आगे बढ़ गए यहां का रास्ता कुछ ज्यादा कठिन नहीं था ऊंची नीची पगडंडी से होते हुए दोनों आगे बढ़ते चले जा रहे थे लेकिन चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था बस रह रह कर झींगुर और पंछियों की आवाज आ रही थी,,,,,, दोनों इधर-उधर की बातें करते हुए आगे बढ़ते चले जा रहे थे सूरज अभी तक अपने मन की बात को किसी भी बहाने की शक्ल देकर उसे अपनी जुबान पर नहीं लाया था अगर रानी की जगह कोई और लड़की होती तो अब तक वह अपने मन की बात बता दिया होता और हो सकता था की दूसरी लड़की उसकी बात मान भी जाती लेकिन यहां पर कोई दूसरी लड़की नहीं बल्कि उसकी बहन थी और उसे इस बात का डर था कि कहीं अगर उसकी बहन बुरा मान गई और घर पर मां को बता दी तो गजब हो जाएगा इसलिए उसके मन में डर बना हुआ था,,,,।
थोड़ी दूर दोनों बातें करते हुए आगे बड़े ही थे कि सूरज को लगने लगा कि उसके पीछे रानी नहीं है और वह तुरंत पलट कर देखा तो वाकई में उसके पीछे रानी नहीं थी वही तो उधर देखने लगा एकदम से परेशान हो गया चारों तरफ नजर घुमा कर देखा तो उसे कहीं भी रानी नजर नहीं आ रही थी वह एकदम से घबरा गया और पल भर में ही उसके माथे से पसीना टपकने लगा क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर तो नहीं उठा ले गया वैसे तो उसकी बहन पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और किसी जानवर में इतनी ताकत नहीं थी कि वह एक पल में ही उसकी बहन को उड़ा कर लेकर चला जाए क्योंकि अगर कोई जानवर होता भी तो उसकी बहन कुछ तो आवाज करती चिल्लाती,,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था इसलिए तो सूरज एकदम से घबरा गया था कि आखिरकार पल भर में क्या हुआ उसकी बहन कहां गायब हो गई वह इधर-उधर ढूंढने लगा लेकिन कहीं भी उसका पता नहीं चल रहा था।
सूरज रानी रानी पुकारता हुआ पीछे की तरफ आ रहा था चारों तरफ जंगली झाड़ियां उसे समझ में नहीं आ रहा कि अपनी बहन को कहां ढूंढे तभी वही बड़े से पत्थर के पास पहुंच गया और उसे पत्थर के पीछे से कुछ सुरसुराहट की आवाज आ रही थी,,, उसका दील जोरों से धड़क रहा था,,उसे समझ में नहीं आ रहा था वह धड़कते दिल के साथ बड़े से पत्थर के पीछे देखने के लिए उसे तरफ अपनी नजर घुमा रहा था उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर उसकी बहन पर हमला तो नहीं बोल दिया है यही डर उसके मन को और भी ज्यादा डरा दिया था वह धीरे-धीरे पत्थर के पीछे देखने की कोशिश करने लगा और जैसे ही पत्थर के पीछे उसकी नजर गई तो पीछे का नजारा देखकर एकदम दंग रह गया,,,,।
वह जिस तरह का नजारा अपनी आंखों के सामने पत्थर के पीछे देखा उसके पसीने छूटने लगे उसकी आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि पत्थर के पीछे उसकी बहन बैठकर पेशाब कर रही थी और उसकी नंगी गांड उसकी आंखों के सामने थी पल भर में ही उसका डर एकदम से उत्तेजना में बदल गया और उसके पजामे में उसका लंड तंबू बना लिया,,,,,।
बहुत ही सुंदर लाजवाब और शानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयासूरज इस जगह की भयानकता को अच्छी तरह से जानता था वैसे तो यह जगह बिल्कुल शांत और सुरक्षित थी लेकिन जंगली जानवरों का कोई भरोसा नहीं था इसलिए तो उसे अपनी बहन की चिंता हो रही थी वह इधर-उधर देख रहा था लेकिन कहीं भी उसे रानी नजर नहीं आ रही थी इसलिए वह धीरे-धीरे पीछे की तरफ आने लगा था जहां से वह आगे बढ़ रहा था,,,,,,, तभी वह एक बड़े से पत्थर के पास पहुंचा तो उसे पत्थर के पीछे से कुछ आवाज आने लगी जैसे पानी गिरने की और उसे आवाज को सुनकर पहले तो एकदम से सूरज चौक गया क्योंकि उसे अंदेशा होने लगा कि कहीं कोई जंगली जानवर उसकी बहन को घसीट तो नहीं ले गया है,,,, और इसी डर की वजह से वहां बड़े से पत्थर के पीछे छुपते हुए पत्थर के पीछे की तरफ देखने की कोशिश करने लगा,,,,।
जैसे-जैसे सूरज बड़े से पत्थर के पीछे नजर ले जा रहा था वैसे-वैसे उसकी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था की बड़े से पत्थर के पीछे से आ रही आवाज किस तरह की है और जैसे ही पत्थर के पीछे का चित्र स्पष्ट हुआ उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई उसकी आंखें फटी के फटी रह गई आंखों के सामने दिखाई दे रहा था उसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था और पल भर में ही उसके पेजामे में तंबू बन गया,,,, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी दिल की धड़कन तेज होने लगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या देख रहा है,,,,। लेकिन फिर भी जोड़ने जा रहा उसकी आंखों के सामने था वह कोई कल्पना या सपना नहीं था बल्कि हकीकत था जिसे बिल्कुल भी झूठ लाया नहीं जा सकता था इस बात को सूरज भी अच्छी तरह से जानता था,,,।
क्योंकि नजारा ही कुछ ऐसा था कि अगर सूरज की जगह कोई और होता तो उसकी भी सूरज की तरह ही हालत होती,,,,,,, जिस आवाज को वह किसी जानवर की आवाज समझ रहा था वह आवाज दूसरे कोई नहीं बल्कि उसकी बहन के द्वारा पेशाब करने की आवाज थी बड़े से पत्थर के पीछे उसकी बहन बैठकर पेशाब कर रही थी उसकी सलवार घुटनों तक खींची हुई थी और वह बैठकर पेशाब कर रही थी उसके पीछे गाना जरा पूरी तरह से नंगा था,,,, और उसकी आंखों के सामने उसकी बहन की नंगी गांड थी,,, जोकि धूप की की रोशनी में और भी ज्यादा चमक रही थी,,,,। सूरज देखा तो देखा ही रह गया अपनी बहन की मदद कर देने वाली जवानी को इतने करीब से पहली बार देख रहा था,,,, अभी भी उसकी बहन की बुर से पेशाब की धार बाहर निकल रही थी जिसमें से अभी भी सिटी की तरह आवाज आ रही थी और अब जाकर उसके दिमाग की घंटी बजने लगी,,,,।
Suraj apni bahan k sath
क्योंकि वह बहुत पर औरतों को पेशाब करते हुए देख चुका था और उनकी बुर में से निकलती हुई सिटी की आवाज को भी सुन चुका था यह सिटी की आवाज जो पेशाब करने से निकलती है यह आवाज उसके लिए कोई अंजानी आवाज नहीं थी लेकिन इस समय इस जगह के डर की वजह से वह समझ नहीं पा रहा था कि यह आवाज किस तरह की है लेकिन अपनी ही गलती पर उसे हंसी आ गई थी लेकिन जो नजर उसकी आंखों के सामने था उसके तन बदन में रक्त का प्रभाव बड़ी तेजी से हो रहा था खास करके उसकी जांघों के ईर्द गिर्द ऐसा लग रहा था कि बाढ़ सा आ गया है उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया था,,,, उसकी बहन रानी को बिल्कुल भी एहसास तक नहीं हो रहा था कि ठीक उसके पीछे उसका भाई छुपकर उसे ,, पैसाब, करता हुआ देख रहा है उसकी नंगी गांड को देख रहा है,,,, वरना वह शर्म से पानी पानी हो जाती लेकिन यह कब तक अंजान रहती,,,, ठीक उसकी आंखों के सामने परछाई बढ़ती हुई नजर आ रही थी और वह चौक के पीछे नजर घुमा कर देखी तो पत्थर के पीछे उसका भाई खड़ा था और यह देखकर उसके होश उड़ गए,,,,।
वह डर के मारे एकदम से उठकर खड़ी हो गई और इस डर की वजह से वह अपनी स्थिति को भी भूल गई थी,,,, क्योंकि वह जिस तरह से खड़ी थी उसकी सलवार अभी भी घुटनो तक थी और उसकी कुर्ती उसके हाथों में थी और वह भी कमर के ऊपर जिसे कमर और घुटने के बीच का काम उत्तेजक अंग पूरी तरह से अभी भी उजागर था जिसे देखकर सूरज की हालत खराब हो रही थी सूरज की नजर अपनी बहन की नंगी गांड पर ही टिकी हुई थी,,, उस दिन तो वह अपनी बहन की नंगी गांड को ठीक तरह से देखा नहीं पाया था क्योंकि दोनों के बीच की दूरी कुछ ज्यादा ही थी बस उसे इतना पता चल रहा था कि उसकी बहन पेशाब करने के लिए बैठी है और उसका पिछवाड़ा एकदम साफ दिख रहा था लेकिन इतने करीब से उसने देखा नहीं था लेकिन उसकी इच्छा आज पूरी हो रही थी,,,, आज दोनों के बीच ज्यादा दूरी नहीं थी दोनों के बीच केवल एक बड़ा सा पत्थर था,,,,,, आज सूरज को अपनी बहन की नंगी गांड जी भर कर देखने को मिली थी और वह जिस स्थिति में खड़ी थी अभी भी उसकी नंगी गांड उजागर थी वह अपने कपड़े को डर के मारे नीचे नहीं कर पाई थी,,,,।
और क्या उसकी तरफ से कोई जानबूझकर हरकत नहीं थी सूरज जानता था कि वह डर के मारे कपड़े नीचे गिरना भूल गई थी क्योंकि वह अपनी बहन के चरित्र को अच्छी तरह से जानता था बस उसका ही चरित्र डामाडोल हो रहा था और इसी स्थिति में अपनी बहन के भी चरित्र को वह ढालना चाहता था,,,, रानी की तो हालत खराब हो रही थी उसके दिल की धड़कन एकदम से बढ़ गई थी वह कभी सोची नहीं थी कि उसका भाई इतनी करीब से पेशाब करता हुआ देखी उसकी नंगी गांड को अपनी आंखों से देखेगा उसके नंगे बदन को इस तरह से देखेगा इसलिए उसे डर का भी एहसास हो रहा था,,,, और वह उसी स्थिति में घबराते हुए बोली,,,।
भैया तुम,,,,, यहां क्या कर रहे हो,,,,?
पागल जैसी बात मत कर तुझे ढूंढता हुआ मैं पागल हो गया हूं पल भर में न जाने कैसे-कैसे ख्याल मेरे मन में आने लगे मुझे बोल कर तो जा सकती थी पता है मैं कितना घबरा गया था मुझे इस बात का डर था कि कहीं कोई जंगली जानवर घसीट के ते नहीं ले गया,,, और मैं रानी रानी आवाज भी दे रहा हूं तुझे बोलना तो चाहिए था और मैं अनजाने में यहां आ गया,,,,।
(अपनी बहन को ही स्थिति में देखने की हीचकचाहट सूरज के चेहरे पर बिल्कुल भी नहीं थी,, वह बड़े मजे लेकर अपनी बहन की स्थिति का जायजा ले रहा था लेकिन उसकी बहन की हालत खराब थी वह अपने मन में सोच रही थी कि इस स्थिति में देखने के बावजूद भी उसका भाई हट क्यों नहीं रहा है,,, और अपने भाई को हटने के लिए बोलने में भी उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,, सूरज अपनी तरफ से ही पूरी तरह से सफाई देते हुए एक ही सांस में बहुत कुछ बोल गया था जिससे रानी कोई एहसास होने लगा था कि इसमें उसकी ही गलती है उसके भाई को बता देना चाहिए था वाकई में इस जगह पर जंगली जानवरों का डर तो बना ही रहता है इसलिए वह अपने भाई की बात सुनकर बोली,,,,)
मैं शर्म के मारे कुछ भूल नहीं पाई भैया,,,,।
चल कोई बात नहीं सलवार ठीक से कर ले,,,, और अभी पेशाब करना बाकी रह गया हो तो कर ले मैं यही खड़ा हूं,,,,।
(सूरज जानबूझकर पेशाब करने वाली और सलवार ऊपर करने वाली बात कर रहा था क्योंकि वह जानबूझकर इस तरह की बातों का उपयोग कर रहा था जो कि आज तक उसने अपनी बहन के साथ इस तरह की बात नहीं किया था इसलिए तो उसकी बहन भी अपने भाई के मुंह से इस तरह की बात सुनकर सनसना गई उसके बदन में भी शर्म का एहसास एकदम से बढ़ने लगा क्योंकि उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी सलवार घुटनों में फंसी हुई थी और कुर्ती उसके हाथ में थी और ऐसे हालात में उसकी नंगी गाना भी भी पूरी तरह से नंगी होकर उसके भाई के सामने अपनी जवानी का प्रदर्शन कर रही थी अपने भाई की बात सुनते ही वह तुरंत कुर्ती को नीचे कर दीजिए जिससे उसकी नंगी गांड आधी ढंक गई लेकिन अभी भी आधी गांड नंगी ही थी,,,, सूरज समझ गया था कि अब उसका वहां खड़ा रहना ठीक नहीं है इसलिए वह धीरे से वहां से चलता बना और डर के मारा उसकी बुर में पेशाब अटक सी गई थी इसलिए वह एक बार फिर से नीचे बैठ गई और अधूरी पेशाब की क्रिया को पूर्ण करने लगी और थोड़ी देर में कपड़े को व्यवस्थित करके बड़ी से पत्थर के पीछे से कच्ची सड़क पर आ गई और अच्छी तो उसका भाई उस 5 मीटर की दूरी पर आगे खड़ा था तो वह खुद ही बोली,,,।
अब चलो,,,,।
देखना बचा कर चलना और ऐसी कोई हालात हो तो मुझे बता दिया कर खामखा डरा दी थी,,,।
(और इतना कहकर सूरज आगे आगे चलने लगा और शर्म के मारे रानी कुछ बोल ही नहीं पाई लेकिन उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि वाकई में उसकी गलती थी उसके भाई को उसकी कितनी फिक्र है,,,, और इस बात का अहसास होते ही रानी के चेहरे पर मुस्कान तैरने लगी क्योंकि पहली बार वह देख रही थी कि उसका भाई उसकी कितनी फिक्र करता है और वह मुस्कुराते हुए आगे बढ़ने लगी,,,,।
थोड़ी ही देर में दोनों अांवले के बगीचे में पहुंच चुके थे,,, चारों तरफ अांवले के पेड़ ही पेड़ थे जिनमे बड़े-बड़े अांवले लगे हुए थे,,, रानी देखी तो देखती ही रह गई और हैरान होते हुए बोली,,,।
यह किसका बगीचा है भैया यहां तो चारों तरफ आंवला ही आंवला है,,,।
अरे जिसका भी हो उससे हमें क्या हमें तो बस तोड़ने से मतलब है और जल्दी से शुरू हो जा,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों भाई बहन जल्दी-जल्दी आंवला तोड़ना शुरू कर दिए,,, थोड़ी ही देर में घर से लाया हुआ थैला पूरी तरह से भर गया,,, उम्मीद से भी ज्यादा आंवला मिला था,,,, यह देखकर रानी बोली,,,)
इससे तो 2 साल का तेल बन जाएगा,,,,।
इतना काफी है ना,,,।
बहुत है भैया इतना तो,,,,।
तो बस हो गया,,,, चल अब थोड़ा सा खाना खा लेते हैं,,,, मुझे बहुत भूख लगी है उसके बाद झरने पर चलते हैं,,,,।
झरना कहां है,,,,?(चारों तरफ देखते हुए) मुझे तो कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है,,,,।
अरे पगली,,,, आंवले के बगीचे के बाहर ही है आवाज नहीं सुनाई दे रही है तुझे पानी गिरने की,,,।
हां हां,,, आवाज तो आ रही है,,,।
तो बस अब जल्दी से खाना खाना शुरू कर दे,,,, नहाने के बाद हमें घर के लिए निकलना है और शाम से पहले पहुंचना है क्योंकि शाम ढलते ही यह जगह और भी डरावनी लगने लगती है,,,।
क्या भैया तुम तो मुझे डरा रहे हो,,,,,(भोजन की थैली को खोलते हुए रानी बोली तो उसकी बात सुनकर सूरज को शत सोचने लगी और वह खुले शब्दों में बोला,,,)
मैं डरा रहा हूं डरा तो तूने मुझे दिया था,,,, अगर तुझे पेशाब करने जाना था तो मुझे बोल दी होती मैं क्या तुझे मुतने से रोक देता,,,, लेकिन इस तरह से बिना बताए चली गई मेरे तो पसीने छूट गए थे और अगर सच में जंगली जानवर उठा ले गया होता तब क्याहोता,,,।
(अपने भाई के मुंह से पेशाब करने वाली बात और मुतने वाली बात सुनकर,,, रानी के चेहरे पर शर्म की लालिमा साफ दिखाई देने लगी,,, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाई शर्म तुम्हारे उसकी हालत खराब हो रही थी और खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच अजीब सी हलचल हो रही थी और इस हल चल को पहली बार महसूस कर रही थी,,,, वह जैसे तैसे करके अपने लिए और अपने भाई के लिए रोटी सब्जी और आचार निकाल कर अपने भाई की तरफ आगे बढ़ा दी और खुद भी लेकर खाने लगी,,,।
सूरज भी रोटी तोड़कर सब्जी और आचार से खाने लगा और अपनी बहन के बारे में सोचने लगा,,, वह जानबूझकर अश्लील शब्दों का प्रयोग कर रहा था लेकिन उसकी बात सुनकर भी उसकी बहन कुछ बोल नहीं रही थी बस शर्मा रही थी और यह देखकर सूरज की भी हालत खराब हो रही थी उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी,,, वह खाते-खाते आगे की जुगाड़ के बारे में सोचने लगा,,, रानी भी खा रही थी लेकिन अपने भाई की बातें उसके कानों में गूंज रही थी पेशाब करने वाली बात सलवार उठा लेने वाली बात मुतने वाली बात पेशाब करने वाली बात इन सब बातों को याद करके उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, और उसे अपनी बुर से कुछ गीला गीला सा निकलता हुआ महसूस हो रहा था ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था,,। दोनों थोड़ी ही देर में अपने साथ लाया हुआ खाना खा चुके थे और सूरज अपने मन में ही आगे क्या करना है ऐसी युक्ति बना रहा था और थैले को बांध रहा था,,,।
थेले को बांध लेने के बाद,, वह थेले को आंवले के पेड़ के नीचे रखते हुए बोला,,,।
अब हमें चलना चाहिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी लौटते समय,,,,।
लेकिन यह थैला तो ले लो,,,,।
अरे इस बोझे को लेकर कहां-कहां ढोएंगे,,,ईसे यही रहने दो,,,और वैसे भी हमे यही से वापस आना है तो ईसे ले जाकर के कोई फायदा नहीं है,,,,।
लेकिन अगर कोई उठाले गया तो,,,।
पागल हो गई है यहां कोई दिखाई दे रहा है जो ईसे उठा कर ले जाएगा,,,, अब चल यहां कोई नहीं आने वाला,,,,,।
(ऐसा कहते हुए सूरज आगे आगे चलने लगा और उसकी बहन रानी पीछे पीछे चलने लगी रानी का दिल जोरो से धड़क रहा था एक तरफ झरना देखने की खुशी थी तो दूसरी तरफ न जाने क्यों उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,, बार-बार उसकी आंखों के सामने वही दृश्य नजर आ रहा था जब वह सर में से पानी पानी हो गई थी जब उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा था वह पल उसके लिए बेहद शर्मिंदगी भरा था लेकिन न जाने क्यों उसे पाल को याद करके उसके बदन का हर एक अंग चिकोटि काटने लग जा रहा था और ईन सब का असर उसे अपनी दोनों टांगों के बीच होता हुआ महसूस हो रहा था जिससे उसके बदन की हलचल और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।
एक तरफ रानी का यह हाल था तो दूसरी तरफ उसका भाई अपने मन में यही सोच रहा था कि अब क्या किया जाए कैसे रानी को नीलू की तरह लाइन पर लाया जाए वह जानता था या काम करने में वक्त तो लगेगा ही लेकिन मजा बहुत आएगा लेकिन इस बात का डर भी था की कही नादानी दिखाते हुए उसकी बहन मां से कुछ ना बता दे,,,। लेकिन उसके मन में यह भी विश्वास था कि अगर एक बार उसकी बहन जवानी का मजा लेने लगेगी तो वहां किसी से कुछ भी नहीं रहेगी अगर उसे भी नीलू जैसा महसूस होने लगा तो वह भी तड़प उठेगी मजा लेने के लिए और यही तो वह चाहता था,,,,। इसलिए देखते ही देखते वह झरने के पास पहुंच गया और झरना को देखते ही रानी एकदम से खुश हो गई उसकी खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं था वह पहली बार झरना देख रही थी उसमें से गिरता हुआ तेज रफ्तार से कल कल करता पानी शोर मचा रहा था और झरने का पानी आगे तालाब के रूप में उसमें उसका ठंडा पानी इकट्ठा हो रहा था,,,।
कैसा लगा रानी,,,,।
मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा भी नजार होता है,,,,।
तूने अभी देखा ही क्या है बहुत कुछ ऐसा है जिसे देखेगी तो मस्त हो जाएगी,,,,,,।
(अपने भाई की बात में रानी को कुछ अजीब नहीं लगा था लेकिन सूरज के कहने का मतलब कुछ और था जिसे वह समझ नहीं पा रही थी रानी एक तरफ झरने को देखने में मस्त थी और तभी तालाब में कुछ गिरने की आवाज आई और वह नजर तालाब की तरफ घूम कर देखी तो तालाब के अंदर उसका भाई तैर रहा था और वह बोली)
भैया तू,,,, तू तो नहाने लगा,,,,।
तो क्या नहाने के लिए तो आया हूं इधर और तू भी तो नहाने के लिए आई है आजा तू भी नहाने,,,,।
लेकिन कपड़े,,,,,,(रानी देख रही थी कि उसका भाई बिना कपड़ों के तालाब में नहाने के लिए कूद गया था इसलिए थोड़ा अजीब लग रहा था वह हैरानी सेअपने भाई से पूछ रही थी और सूरज बोला,,,)
कपड़े पहन कर रहा होगा तो कपड़े भीग जाएंगे और सूखेंगे नहीं,,,।
तो,,,,,!
तो क्या कपड़े उतार कर कूद गया तालाब में मजा का मजा भी आ जाएगा और कपड़े भी नहीं गीले होंगे,,,(तालाब के ऊपरी सतह पर हल्के-हल्के तैरते हुए सूरज बोला,,, वह जानबूझकर इस तरह से तैर रहा था कि उसके नितंबों की झलक तालाब के ऊपरी सतह पर आराम से दिखाई दे रही थी और ना चाहते हुए भी रानी की नजर अपने भाई के नितंबों पर जा रही थी जो की धूप में और पानी के मिलावट में चमक रही थी,,,, यह देखकर एक तरफ रानी शर्मा रही थी तो दूसरी तरफ उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी थी,,,,)
लेकिन,,,,!
लेकिन वेकीन छोड़ तुझे भी तो नहाना था ना झरना में,,,,।
नहाना तो है लेकिन कपड़े नहीं है मेरे पास,,,।
तो मेरे पास ही कहां कपड़े हैं देख नहीं रही है मैं सारे कपड़े उतार कर नंगा होकर नहा रहा हूं,,,।
तू नहा सकता है भाई लेकिन मैं,,,, मैं तो लड़की हूं मैं अपने सारे कपड़े उतार कर थोड़ी नहा सकती हूं,,,।
अरे पगली,,,(तालाब में डुबकी लगाकर बाहर निकलते हुए) यहां पर मेरे और तेरे सिवा है कौन कोई और होता तो बात कुछ और होती लेकिन हम दोनों के सिवा यहां कोई नहीं है तो अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर ना आएगी भी तो कहां फर्क पड़ने वाला है कोई देखने वाला थोड़ी ना है,,,,.(सूरज जानबूझकर अपनी बहन के लिए नंगी शब्द का प्रयोग करके बोल रहा था और यह शब्द रानी के भी दिलों दिमाग पर बुरा असर कर रहा था इस शब्द को सुनकर उसकी टांगों के बीच बार-बार हलचल हो जा रही थी,,,, फिर भी अपने भाई की बात का जवाब देते हुए वह बोली,,,)
नहीं मुझे शर्म आती है मुझसे यह नहीं हो पाएगा,,,।
तू सच में पागल है ऐसा मौका फिर तुझे कभी नहीं मिलेगा झरना में नहाने का मौका बहुत कम लोगों को मिलता है मुझे तो लगता है पूरे गांव में एक तू ही लड़की मुझे यहां तक पहुंची है इसलिए यहां आने का मजा लेने शर्माने की जरूरत नहीं है मैं कहां मां से बताने वाला हूं कि तू नंगी होकर नहा रही थी,,,।
(सूरज का बार-बार नंगी शब्द का प्रयोग करना रानी के होश उड़ा रहा था पल भर के लिए रानी को भी लगने लगा कि वाकई में यहां पर देखने वाला कौन है वैसे भी झरने में नहाने का बहुत मन कर रहा था वह भी अपने कपड़े उतार कर अंदर को जाना चाहते थे लेकिन फिर भी अपने भाई के सामने उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,,)
लेकिन फिर भी भैया तुम्हारे सामने में कैसे कपड़े उतार कर नहा सकती हुं,,,,,।
जैसे अभी कुछ देर पहले मेरे सामने सलवार खोलकर पेशाब कर रही थी,,,,,।(ऐसा बोलते हुए खुद सूरज का लंड पानी के अंदर रहने के बावजूद भी अकड़ रहा था,, वह जानबूझकर अपनी बहन रानी से ईस तरह की बातें कर रहा था,,, और पेशाब वाली बात सुनकर रानी के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी और उसकी बुर से उसका मदन बुंद बनकर टपकने लगा ,,, एक तरफ जहां अपने भाई की बातें सुनकर उसे शर्मिंदगी महसूस हो रही थी वहीं दूसरी तरफ वह उत्तेजना के सागर में डूबती चली जा रही थी उसे अपने भाई की बात मस्त कर देने वाली लग रही थी आज पहली बार उसे अपने बदन में जवानी का एहसास हो रहा था अपने भाई की बात सुनकर वह अपनी तरफ से सफाई देते हुए बोली,,,)
वह तो अनजाने में मुझे क्या मालूम था कि तुम देख रहे हो,,,,।
तो अभी भी अनजाने में कपड़े उतार कर कूद जा नहाने का मजा ले ले कितना ठंडा पानी है मुझे तो बहुत मजा आ रहा है,,,,(ऐसा कहते हुए अपनी बहन को उकसाने के लिए वह फिर से नाक बंद करके पानी में डुबकी लगाकर फिर बाहर निकल गया अब तो रानी से भी रहा नहीं जा रहा था वह भी आप कपड़े उतार कर तालाब में कूद जाना चाहती थी झरने से गिर रहा पानी बहुत शोर मचा रहा था और उसे इस बात के एहसास भी हो रहा था कि वाकई में यहां पर कोई देखने वाला भी तो नहीं है,,, और उसका भाई तो किसी से भी यह बात कहेगा भी नहीं ,,,।,,,
सूरज की हालत खराब हो रही थी वह पानी के अंदर ही अपना हाथ डालकर अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था,,,, और अपनी बहन को पानी में बिना कपड़ों के उतरने के लिए उकसा रहा था,,,,, सूरज की बातें सुनकर रानी भी अपने मन में सोचने लगी कि वाकई में नहाने का मजा ले लेना चाहिए फिर ना जाने ऐसा मौका मिले या ना मिले,,,, अपने मन को मजबूत करके वह अपने मन में ठान ली की वह भी नहाएगी,,, और तुरंत एक बड़े से पत्थर के पीछे गई और अपने कपड़े उतारना शुरू कर दी सूरज इधर-उधर देखता रहा क्योंकि जब वह अपनी जगह से हटी थी तब वह नहीं देखा था कि वह कहां गई इसलिए वह थोड़ा हिरण हो गया और इधर-उधर देखने लगा उसे क्या मालूम था की बड़ी से पत्थर के पीछे उसकी बहन अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही है वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी और अपने कपड़ों को बड़े से पत्थर के पास सुरक्षित रख दी थी ताकि वापस उसे अच्छी तरह से पहन सके लेकिन फिर भी पत्थर से बाहर निकलने पर सूरज की नजर रानी पर पड़ ही जाने वाली थी इसलिए वह बड़े से पत्थर के पीछे से ही बोली,,,,)
भैया मैं भी नहाने के लिए तैयार हूं और अपने सारे कपड़े उतार दि हुं,,,,(बड़े से पत्थर के पीछे से ही वह बोली और उसकी बात सुनकर तो सूरज के तन बदन में आग लगने लगी और वह एक हाथ पानी में डालकर अपने लंड को हिलाते हुए बोला )
क्या सच में तू नंगी हो गई है,,,,।
हां भैया मैं अपने सारे कपड़े उतार चुकी हूं,,,,।
(रानी इस बात से और ज्यादा हैरान थी कि उसका भाई एकदम खुलकर उसके लिए नंगी शब्द का प्रयोग करता था और इसे पहली बार हो रहा था लेकिन ऐसा नहीं था की रानी को अच्छा नहीं लग रहा था अपने भाई की बात सुनकर उसे भी मदहोशी छाने लग जा रही थी उसे भी अपने भाई कि ईस तरह की बातें अच्छी लग रही थी,,, अपनी बहन की बात सुनकर सूरज की तन-बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मदहोश होने लगा,,,, और उत्तेजित स्वर में बोला,,,)
तो देर किस बात की है आज कूद जा तालाब में देख कितना मजा आ रहा है,,,,।
लेकिन भैया मुझे शर्म आ रही है,,,,।
अरे कपड़े उतार कर नंगी हो गई है तो शर्माने की जरूरत क्या है अाजा कुद जा,,,,।(सूरज एकदम उत्साहित होता हुआ बोल रहा था क्योंकि उसने कोशिश करके अपनी बहन को कपड़े उतारने के लिए मना लिया था और उसकी बहन कपड़े उतार कर नंगी भी हो चुकी थी बस उसका पानी में कूदने की देरी थी इसलिए सूरज बहुत खुश था अपने भाई की बात सुनकर रानी बोली)
लेकिन मुझे शर्म आती है भैया तुम अपना मुंह दूसरी तरफ घुमाओ तब मैं कूदती हूं ,,,।
अच्छा ठीक है मैं दूसरी तरफ मुंह घुमा लेता हूं तु पानी में कूद जा,,,(सूरज मैन ही मन मुस्कुराते हुए बोला)