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Incest पहाडी मौसम

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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सूरज के लिए अपने पिताजी का पता लगाना बेहद जरूरी हो चुका था क्योंकि महीनों गुजर गए थे और उसके पिताजी घर पर नहीं आए थे,,, वैसे तो सूरज के लिए उसके पिताजी का घर पर नहाना उसके लिए ही सुनहरा मौका की तरह था लेकिन फिर भी अपने पिता का पता लगाना भी बेहद जरूरी हो चुका था,,, वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं कहां रहते हैं किसके साथ रहते हैं और यह सब सो कर उसके मन में एक शंका और थी कि कहीं उसके पिताजी किसी और औरत के चक्कर में तो नहीं पड़ गए इस बात की जहां उसके मन में चिंता होती थी वहीं इस बात से उसके मन में प्रसन्नता के भाव भी उसके चेहरे पर नजर आने लगते थे क्योंकि वह यही तो चाहता था कि उसके पिताजी दूसरी औरत के चक्कर में पड़ जाए तो उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए,,,,।




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कुछ दिन पहले ही उसे उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव में देखा था,,, और इस खबर को सुनकर उसके चेहरे पर उदासी के भाव नजर आने लगे थे लेकिन इसके बावजूद भी उसके पिताजी अब तक घर पर नहीं आए थे इसीलिए वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी है कहां पर इसीलिए आज वह अपने पिताजी को ढूंढने के लिए दूसरे गांव की तरफ निकल चुका था,,, इस बारे में उसने किसी को भी नहीं बताया था ना ही इस बारे में वह अपनी मां से बताया था नहीं अपनी बहन से वह अकेला ही अपने पिताजी का पता लगाना चाहता था,,, आखिरकार था तो वह एक बेटा ही भले ही अपने पिताजी के घर पर नहाने पर उसके मन में खुशी महसूस होती हो लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में अपने पिता के लिए उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी,,,।





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शाम ढल चुकी थी और धीरे-धीरे रोशनी को अपनी आगोश में लेता हुआ अंधेरा आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, और अंधेरे में वह अपने पिताजी की तलाश में दूसरे गांव की तरफ बढ़ता चला जा रहा था वह जानता था कि दूसरे गांव के नौकर पर शराब की दुकान है वहां पर गांव के मर्द जिन्हें शराब की लत लग गई है वह अपनी थकान मिटाने के लिए शराब का सहारा लेते हैं और जिस तरह से उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव के कल्लु के साथ देखा था तो उसे पूरा यकीन हो चला था कि उसके पिताजी भी कल के साथ शराब पीने के आदी हो गए होंगे,, इसलिए तो वह ऐसी जगह पर अपने पिताजी को तलाश करने जा रहा था जहां पर शराबी लोग इकट्ठा होते हैं और वैसे भी रात के अंधेरे में शराबी का ठिकाना शराब खाना ही होता है घर नहीं,,,।






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अंधेरा बढ़ता जा रहा था और अंधेरे के साथ सूरज भी आगे बढ़ता चला जा रहा था सूरज अब अंदर ही अंदर मजबूत हो चुका था पहले जहां वह घर से बाहर निकलने से डरता था रात के अंधेरे से डरता था अब उसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता औरतों की संगत में जिस तरह का सुख उसे प्राप्त होता था उसके चलते वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और चालाकी भी उसके अंदर आ चुकी थी,,, और इसी चालाकी के बदौलत वह धीरे-धीरे सोनू की चाची के करीब बढ़ता चला जा रहा था दोपहर का किस्सा उसे पूरी तरह से याद था इसके बारे में सोच कर उसके तन बदन में हलचल सी मच जाती थी। उसे अच्छी तरह से समझ में आने लगा था कि सोनू की चाची उससे क्या चाहती है वैसे भी वह चोरी छुपे मैदान में जब उसकी मां के साथ-साथ सोनू की चाची और उसके पड़ोस की औरत सौच करने गए थे तब वह उन तीनों की बात अच्छी तरह से सुना था और समझ गया था कि सोनू की चाची क्या चाहती है,,,।




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और कानों सुनी आंखों देखी बात पर उसे पूरी तरह से विश्वास था कि एक न एक दिन सोनू की चाची के साथ विवाह चुदाई का सुख भोग पाएगा इसलिए तो दिन रात वह सोनू की चाची के करीब चक्कर लगाने लगा था और जिसका फायदा उसे आज प्राप्त हुआ था,,, मड़ई के अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सूरज को पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डुबकी लगाने पर मजबूर कर दिया था सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी छाती पूरी तरह से उसके होश उड़ा दी थी सोनू की चाची का अपने आप ही अपने ब्लाउज का बटन खोलने उसके लिए,, सादर आमंत्रण था जिसे वह सहर्ष स्वीकार कर चुका था सोनू की चाची की चूचियों को दबाकर उसे जिस तरह का आनंद प्राप्त हुआ था वह बेहद अद्भुत था,,, सूरज को सोनू की चाची का इरादा देख कर ऐसा ही लग रहा था कि आज ही वह सोनू की चाची की दोनों टांगों के बीच पहुंच जाएगा और ऐसा हो भी जाता अगर एन मौके पर सोनू के चाचा वहां ना आ जाते,,,,।




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सोनू के चाचा का वहां पर आना सूरज को तो खटका ही था लेकिन सूरज सोनू की चाची के चेहरे पर उदासी को पढ़ लिया था वह समझ गया था कि उन्हें भी अपने पति का वहां पर आना अच्छा नहीं लगा था खैर जितना भी उसे समय सोनू की चाची उसे मजा दे पाई थी उतना ही उसे पूरी तरह से मस्त कर गया था और उसे पूरा यकीन था कि एक ना एक दिन वह सोनू की चाची की चुदाई कर पाएगा,,, यही सब सोता हुआ वहां धीरे-धीरे दूसरे गांव के बेहद करीब आ चुका था जहां पर दूर-दूर तक उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था बस चारों तरफ अंधेरा अंधेरा था क्योंकि जिस रास्ते से वह जा रहा था उसके दोनों तरफ खेत ही खेत थे बस्ती दूर थी इसलिए चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था,,, पहले वाला सूरज होता तो शायद यहां तक आने की कभी हिम्मत ही नहीं जुटा पाता लेकिन सूरज बदल चुका था उसके हालात बदल चुके थे इसलिए उसके मन से डर एकदम निकल गया था,,,।


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गर्मी का महीना था लेकिन शीतल हवा का झोंका उसके बदन में सुरसुरी पैदा कर रहा था,,, मौसम बड़ा ही सुहावना लग रहा था दिन में तो गर्मी लगती ही थी लेकिन शाम ढलते ही मौसम में ठंडक महसूस होने लगती थी,,, सूरज चलते समय इधर-उधर भी नजर घुमा कर देख ले रहा था क्योंकि उसे पूरी तरह से विश्वास नहीं था कि उसके पिताजी शराब के ठेके पर ही मिलेंगे हो सकता है कि वहां पर ना भी मिले,,, इसलिए अपनी तसल्ली कर लेने के लिए वह चारों तरफ देखा हुआ वहां पर जा रहा था थोड़ी ही देर बाद उसे गांव के नुक्कड़ पर लालटेन जलते हुए नजर आ रही थी और कुछ लोगों की आवाज भी आ रही थी सूरज समझ गया था कि शराब का ठेका आ चुका है,,,।




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सूरज वहां पर चोरी छुपे जाना चाहता था,, क्योंकि अगर उसके पिताजी वहां पर मौजूद होंगे तो वह नहीं चाहता था कि उसके पिताजी को उसके बारे में जरा भी भनक लगे इसलिए यह जानकारी वह चोरी छुपे हासिल करना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं किसके साथ घूम रहे हैं रात को रुकते कहां है,,? काम क्या करते हैं ....?यही सब जानकारी उसे प्राप्त करना था,,, धीरे-धीरे वह शराब के ठेके के करीब पहुंच चुका था लेकिन अपने आप को वह झाड़ियां के पीछे छुप कर आगे बढ़ रहा था ताकि किसी की नजर उसे पर ना पड़े तकरीबन 8-10 मीटर की दूरी पर वह रुक गया और वहां से शराब के ठेके पर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा कि कौन-कौन वहां पर मौजूद है और उन्हें लोगों में उसके पिताजी हैं भी या नहीं,,,,,, कुछ देर खड़ा होकर झाड़ियां के पीछे छिपकर सूरज शराब के ठेके पर मौजूद लोगों को देखता रहा लोग अपने में ही मस्त थे कहीं दो लोग बैठे थे की कहानी तीन लोग बैठे थे तो कोई अकेला ही बैठकर सर आपका मजा लूट रहा था पास में ही समोसे और जलेबी का ठेला लगा हुआ था और लोग खरीद खरीद कर शराब के साथ समोसे का मजा लूट रहे थे,,,।




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कुछ देर तक वहां खड़े रहने के बाद सूरज को ना तो कहीं कल दिखाई दिया और ना ही उसके पिताजी दिखाई दिए वह निराश हो गया क्योंकि यही एक ऐसी जगह थी जहां पर वह अपने पिता जी के होने की आशंका मन में बने हुए इतनी दूर आया था लेकिन यहां भी उसे नाकामयाबी हाथ लगी थी वह निराश हो चुका था और वहां से वह जाने वाला था कि तभी शराब के ठेके की दुकान से अंदर से हाथ में शराब की सीसी लिए हुए कल्लू बाहर निकलता हुआ नजर आया,, उसे देखते ही सूरज के पर फिर से वही जम गए उसे यकीन था कि अगर कल्लु है तो उसके पिताजी वहीं पर होंगे,,, और उसका सोचना बिल्कुल सही निकला जब कल के पीछे-पीछे उसके पिताजी भी हाथ में दो शराब की सीसी लेकर बाहर निकलते हुए नजर आए,,, अपने पिताजी को देखकर सूरज एकदम से हैरान हो गया क्योंकि आज तक उसने अपने पिताजी को इस रूप में नहीं देखा था भले ही कुछ दिन के लिए वह घर से गायब रहते थे लेकिन काम के सिलसिले से गायब रहते थे लेकिन आज उसके पिताजी महीनो से घर से बाहर थे तो सिर्फ शराब की वजह से क्योंकि इससे पहले वह शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे,,,।





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अपने पिताजी की हालत देखकर सूरज को बड़ी हैरानी हो रही थी वह काफी परेशान नजर आ रहा था मन तो उसका कर रहा था किसी समय वहां अपने पिताजी के पास चला जाए और उनका हाथ पकड़ कर घर की और उन्हें लेकर जाए क्योंकि वह जानता था कि कल अच्छा आदमी नहीं था वह बदमाश आदमी था पूरे गांव में उसकी कोई भी इज्जत नहीं थी सब लोग उसे बदमाश के ही तौर पर जानते थे,, सूरज को समझते देर नहीं लगी थी कि कल्लू के ही सोहबत में उसके पिताजी का यह हाल हो रहा है,,, लेकिन जानता था कि ऐसे हालात में सीधे-सीधे अपने पिताजी के पास पहुंच जाना उसके लिए भी अच्छा नहीं था क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी इस समय घर परिवार सब कुछ शराब के नशे में भूल भी चुके हैं और छोड़ भी चुके हैं अगर ऐसा ना होता तो वह घर पर जरूर आते इसलिए सूरज जानता था कि जो भी कदम उठाना होगा सोच समझ कर उठाना होगा,,,।




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कुछ देर तक सूरज वहीं पर खड़ा हुआ देखना चाहता था उसके पिताजी और कल्लू क्या करते हैं,,,, तभी उसके पिताजी की आवाज सूरज के कानों में पड़ी,,,।


कललु यहीं बैठकर पी लेते हैं,,,(ऐसा बोलते हुए सूरज के पिताजी,,, वहीं पास में पड़े बड़े से पत्थर पर बैठ नहीं जा रहे थे कि उन्हें रोकते हुए कल्लु बोला,,,)

अरे नहीं यहां पर पीने से सारा मजा की गिरा हो जाएगा वहीं पर चलकर पीते हैं जहां रोज पीते हैं,,, शराब के शबाब होगी तो और भी ज्यादा मजा आएगा,,,,।


क्या बात कर रहा है यार कमला भी आएगी क्या,,,?(भोला एकदम उत्साहित होता हुआ बोला,,,, और अपने पिताजी के मुंह से कमला शब्द सुनकर सूरज की भी आंखें चौड़ी होने लगी उसे भी लगने लगा कि जैसा वह सोच रहा था वैसा ही चक्कर चल रहा है भोला की बात सुनकर कल्लु बोला,,,,)



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आएगी जरूर आएगी और आज तो वह मछली बनाकर लाएगी आज तो मजा ही आ जाएगा इसलिए कह रहा हूं यहां पर मत पी चलकर वहीं पीते हैं अपने अड्डे पर,,,,।

तो चल देर किस बात की है कमला का नाम सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,।(ऐसा कहते हुए भोला पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाने लगा यह देखकर सूरज को पूरा यकीन हो गया की औरत के चक्कर में और शराब की लत में है उसके पिताजी का यह हाल हुआ है,,,,,,, भोला की बात सुनकर कल्लु भी वहसी हंसी हंसते हुए बोला,,,)

तेरा तो खड़ा हो जाता है मेरा तो पहले से ही खड़ा है,,,, चलो जल्दी कर बिल्कुल भी देर मत कर यहां पर पहले से ही देर हो चुकी है,,,।

हां हां जल्दी चल मुझसे तो रहा नहीं जा रहा है,,,।



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सप्ताह में चार पांच बार लेता है फिर भी तेरा मन नहीं भरता,,।(हंसते हुए भोले के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,, कल्लू की बात सुनकर सूरज हैरान रह गया,, वह अपने मन में सोचने लगा कि पूरे गांव में उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं उससे ज्यादा खूबसूरत बदन किसी का भी नहीं है फिर भी अपनी औरत को छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़ा हुआ है कितना बेवकूफ है यह,,,,,, इसे ही कहते हैं घर की मुर्गी दाल बराबर रोज-रोज मिलता था इसलिए यह हाल है वरना ऐसा कौन सा मर्द नहीं होगा जो उसकी मां को चोदना नहीं चाहता होगा,,, ऐसा अपने मन में सोचकर वह अपने आप से ही बोला कितना बेवकूफ है बाबूजी न जाने किसके चक्कर में अप्सरा जैसी औरत की फिक्र नहीं करता,,,, सूरज के मन में अपने पिताजी के लिए अब थोड़ी नाराजगी महसूस होने लगी थी अभी तक वह अपने पिताजी की बहुत इज्जत करता था लेकिन आज अपनी कानों से जो कुछ सुना था उसे सुनकर उसके होश उड़े जा रहे थे,,,,।





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और वह भी इसलिए की,, अब तक वह अपनी पिताजी को सीधा-साधा इंसान ही समझता था जो मेहनत करके जीवन गुजर बसर कर रहे थे,,, उसे क्या मालूम था कि इस तरह से उसके कई औरतों के साथ जिस्मानी तालुका थे जिसमें मुखिया की बीवी मुख्य थी और उसे दिन भी वह अपने पिताजी को ढूंढते हुए खेतों में पहुंच गया था लेकिन नादानी की वजह से समझ नहीं पाया था कि खेत के अंदर उसके पिताजी और मुखिया की बीवी आपस में कौन सा गुल खिला रहे हैं,,, इसलिए तो आज अपने पिताजी का नया रूप देखकर वह हैरान था,,, घर से दूर रहने का कारण अभी तक सूरज को यही समझ में आता था कि वह शायद शराब की लत में ऐसा करते हैं,,, किसी और औरत के चक्कर की शंका तो केवल उसके मन में ऐसे ही थी लेकिन आज उसे पूरा विश्वास हो गया था कि शराब के साथ-साथ शबाब का भी चक्कर है,,,,।

कल्लु और उसके पिताजी दोनों एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर हाथ में शराब की शीशी लिए हुए हंसते हुए आगे की तरफ बढ़ते चले जा रहे थे,,, सूरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पिताजी की संगत ऐसे बदमाश इंसान से हो जाएगी,,, देखते ही देखते दोनों अंधेरे में आगे बढ़ते चले जा रहे थे और पीछे-पीछे सूरज वह देखना चाहता था कि यह कमला है कौन रहती कहां है आज वह इसका पता लगाना चाहता था और वह भी देखना चाहता था कि कमला ने आखिरकार ऐसी कौन सी बात है जो उसकी मां में नहीं है ऐसी कौन सी खूबसूरत बला धरती पर उतर आई है जिसके चलते उसके पिताजी रूपवती बीवी को छोड़ दिए हैं,,,।




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आगे आगे कल्लु और भोला बढ़ रहे थे और पीछे पीछे सूरज,,,, लेकिन सूरज इस पास से हैरान था कि वह दोनों बस्ती की तरफ नहीं बल्कि खेत से होकर किसी और ही जगह पर जा रहे थे सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें क्योंकि काफी अंधेरा था अभी तक तो उसे डर नहीं लग रहा था लेकिन अब थोड़ा-थोड़ा डर उसके मन में बैठने लगा था क्योंकि वह अपने गांव से काफी दूर आ गया था,,,,, वह अपने आगे पीछे चारों तरफ नजर घूमा ले रहा था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि उन दोनों को बिल्कुल भी शक ना हो कि कोई उनका पीछा कर रहा है,,, आखिरकार देखते ही देखते वह दोनों एक खंडहर जैसे गोदाम के पास आकर खड़े हो गए और सूरज की उनसे तकरीबन 10 15 मीटर की दूरी पर अपने आप को झाड़ियां में छुपाए हुए खड़ा होकर उन दोनों को देखने लगा इस जगह पर सूरज पहली बार आया था इसलिए उसे थोड़ा सा घबराहट हो रही थी और वह भी इसलिए की रात का समय था अगर दिन का समय होता तो वह बिल्कुल भी डरने वाला नहीं था,,,,
Shaandar jabardast Romanchak Hot Update 🔥 🔥
Suraj ab baap ki jasusi me laga hai dekhte kya pata chalega 😀😀
 

lovlesh2002

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Rohnny Bro,
अपने थ्रेड को बार बार लावारिश की तरह छोड़ कर चले जाते हो आप। कितनी गलत बात है, कोई प्रॉब्लम आ रही है तो बताना चाहिए।
 

Ajju Landwalia

Well-Known Member
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सूरज के लिए अपने पिताजी का पता लगाना बेहद जरूरी हो चुका था क्योंकि महीनों गुजर गए थे और उसके पिताजी घर पर नहीं आए थे,,, वैसे तो सूरज के लिए उसके पिताजी का घर पर नहाना उसके लिए ही सुनहरा मौका की तरह था लेकिन फिर भी अपने पिता का पता लगाना भी बेहद जरूरी हो चुका था,,, वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं कहां रहते हैं किसके साथ रहते हैं और यह सब सो कर उसके मन में एक शंका और थी कि कहीं उसके पिताजी किसी और औरत के चक्कर में तो नहीं पड़ गए इस बात की जहां उसके मन में चिंता होती थी वहीं इस बात से उसके मन में प्रसन्नता के भाव भी उसके चेहरे पर नजर आने लगते थे क्योंकि वह यही तो चाहता था कि उसके पिताजी दूसरी औरत के चक्कर में पड़ जाए तो उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए,,,,।




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कुछ दिन पहले ही उसे उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव में देखा था,,, और इस खबर को सुनकर उसके चेहरे पर उदासी के भाव नजर आने लगे थे लेकिन इसके बावजूद भी उसके पिताजी अब तक घर पर नहीं आए थे इसीलिए वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी है कहां पर इसीलिए आज वह अपने पिताजी को ढूंढने के लिए दूसरे गांव की तरफ निकल चुका था,,, इस बारे में उसने किसी को भी नहीं बताया था ना ही इस बारे में वह अपनी मां से बताया था नहीं अपनी बहन से वह अकेला ही अपने पिताजी का पता लगाना चाहता था,,, आखिरकार था तो वह एक बेटा ही भले ही अपने पिताजी के घर पर नहाने पर उसके मन में खुशी महसूस होती हो लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में अपने पिता के लिए उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी,,,।





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शाम ढल चुकी थी और धीरे-धीरे रोशनी को अपनी आगोश में लेता हुआ अंधेरा आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, और अंधेरे में वह अपने पिताजी की तलाश में दूसरे गांव की तरफ बढ़ता चला जा रहा था वह जानता था कि दूसरे गांव के नौकर पर शराब की दुकान है वहां पर गांव के मर्द जिन्हें शराब की लत लग गई है वह अपनी थकान मिटाने के लिए शराब का सहारा लेते हैं और जिस तरह से उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव के कल्लु के साथ देखा था तो उसे पूरा यकीन हो चला था कि उसके पिताजी भी कल के साथ शराब पीने के आदी हो गए होंगे,, इसलिए तो वह ऐसी जगह पर अपने पिताजी को तलाश करने जा रहा था जहां पर शराबी लोग इकट्ठा होते हैं और वैसे भी रात के अंधेरे में शराबी का ठिकाना शराब खाना ही होता है घर नहीं,,,।






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अंधेरा बढ़ता जा रहा था और अंधेरे के साथ सूरज भी आगे बढ़ता चला जा रहा था सूरज अब अंदर ही अंदर मजबूत हो चुका था पहले जहां वह घर से बाहर निकलने से डरता था रात के अंधेरे से डरता था अब उसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता औरतों की संगत में जिस तरह का सुख उसे प्राप्त होता था उसके चलते वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और चालाकी भी उसके अंदर आ चुकी थी,,, और इसी चालाकी के बदौलत वह धीरे-धीरे सोनू की चाची के करीब बढ़ता चला जा रहा था दोपहर का किस्सा उसे पूरी तरह से याद था इसके बारे में सोच कर उसके तन बदन में हलचल सी मच जाती थी। उसे अच्छी तरह से समझ में आने लगा था कि सोनू की चाची उससे क्या चाहती है वैसे भी वह चोरी छुपे मैदान में जब उसकी मां के साथ-साथ सोनू की चाची और उसके पड़ोस की औरत सौच करने गए थे तब वह उन तीनों की बात अच्छी तरह से सुना था और समझ गया था कि सोनू की चाची क्या चाहती है,,,।




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और कानों सुनी आंखों देखी बात पर उसे पूरी तरह से विश्वास था कि एक न एक दिन सोनू की चाची के साथ विवाह चुदाई का सुख भोग पाएगा इसलिए तो दिन रात वह सोनू की चाची के करीब चक्कर लगाने लगा था और जिसका फायदा उसे आज प्राप्त हुआ था,,, मड़ई के अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सूरज को पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डुबकी लगाने पर मजबूर कर दिया था सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी छाती पूरी तरह से उसके होश उड़ा दी थी सोनू की चाची का अपने आप ही अपने ब्लाउज का बटन खोलने उसके लिए,, सादर आमंत्रण था जिसे वह सहर्ष स्वीकार कर चुका था सोनू की चाची की चूचियों को दबाकर उसे जिस तरह का आनंद प्राप्त हुआ था वह बेहद अद्भुत था,,, सूरज को सोनू की चाची का इरादा देख कर ऐसा ही लग रहा था कि आज ही वह सोनू की चाची की दोनों टांगों के बीच पहुंच जाएगा और ऐसा हो भी जाता अगर एन मौके पर सोनू के चाचा वहां ना आ जाते,,,,।




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सोनू के चाचा का वहां पर आना सूरज को तो खटका ही था लेकिन सूरज सोनू की चाची के चेहरे पर उदासी को पढ़ लिया था वह समझ गया था कि उन्हें भी अपने पति का वहां पर आना अच्छा नहीं लगा था खैर जितना भी उसे समय सोनू की चाची उसे मजा दे पाई थी उतना ही उसे पूरी तरह से मस्त कर गया था और उसे पूरा यकीन था कि एक ना एक दिन वह सोनू की चाची की चुदाई कर पाएगा,,, यही सब सोता हुआ वहां धीरे-धीरे दूसरे गांव के बेहद करीब आ चुका था जहां पर दूर-दूर तक उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था बस चारों तरफ अंधेरा अंधेरा था क्योंकि जिस रास्ते से वह जा रहा था उसके दोनों तरफ खेत ही खेत थे बस्ती दूर थी इसलिए चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था,,, पहले वाला सूरज होता तो शायद यहां तक आने की कभी हिम्मत ही नहीं जुटा पाता लेकिन सूरज बदल चुका था उसके हालात बदल चुके थे इसलिए उसके मन से डर एकदम निकल गया था,,,।


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गर्मी का महीना था लेकिन शीतल हवा का झोंका उसके बदन में सुरसुरी पैदा कर रहा था,,, मौसम बड़ा ही सुहावना लग रहा था दिन में तो गर्मी लगती ही थी लेकिन शाम ढलते ही मौसम में ठंडक महसूस होने लगती थी,,, सूरज चलते समय इधर-उधर भी नजर घुमा कर देख ले रहा था क्योंकि उसे पूरी तरह से विश्वास नहीं था कि उसके पिताजी शराब के ठेके पर ही मिलेंगे हो सकता है कि वहां पर ना भी मिले,,, इसलिए अपनी तसल्ली कर लेने के लिए वह चारों तरफ देखा हुआ वहां पर जा रहा था थोड़ी ही देर बाद उसे गांव के नुक्कड़ पर लालटेन जलते हुए नजर आ रही थी और कुछ लोगों की आवाज भी आ रही थी सूरज समझ गया था कि शराब का ठेका आ चुका है,,,।




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सूरज वहां पर चोरी छुपे जाना चाहता था,, क्योंकि अगर उसके पिताजी वहां पर मौजूद होंगे तो वह नहीं चाहता था कि उसके पिताजी को उसके बारे में जरा भी भनक लगे इसलिए यह जानकारी वह चोरी छुपे हासिल करना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं किसके साथ घूम रहे हैं रात को रुकते कहां है,,? काम क्या करते हैं ....?यही सब जानकारी उसे प्राप्त करना था,,, धीरे-धीरे वह शराब के ठेके के करीब पहुंच चुका था लेकिन अपने आप को वह झाड़ियां के पीछे छुप कर आगे बढ़ रहा था ताकि किसी की नजर उसे पर ना पड़े तकरीबन 8-10 मीटर की दूरी पर वह रुक गया और वहां से शराब के ठेके पर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा कि कौन-कौन वहां पर मौजूद है और उन्हें लोगों में उसके पिताजी हैं भी या नहीं,,,,,, कुछ देर खड़ा होकर झाड़ियां के पीछे छिपकर सूरज शराब के ठेके पर मौजूद लोगों को देखता रहा लोग अपने में ही मस्त थे कहीं दो लोग बैठे थे की कहानी तीन लोग बैठे थे तो कोई अकेला ही बैठकर सर आपका मजा लूट रहा था पास में ही समोसे और जलेबी का ठेला लगा हुआ था और लोग खरीद खरीद कर शराब के साथ समोसे का मजा लूट रहे थे,,,।




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कुछ देर तक वहां खड़े रहने के बाद सूरज को ना तो कहीं कल दिखाई दिया और ना ही उसके पिताजी दिखाई दिए वह निराश हो गया क्योंकि यही एक ऐसी जगह थी जहां पर वह अपने पिता जी के होने की आशंका मन में बने हुए इतनी दूर आया था लेकिन यहां भी उसे नाकामयाबी हाथ लगी थी वह निराश हो चुका था और वहां से वह जाने वाला था कि तभी शराब के ठेके की दुकान से अंदर से हाथ में शराब की सीसी लिए हुए कल्लू बाहर निकलता हुआ नजर आया,, उसे देखते ही सूरज के पर फिर से वही जम गए उसे यकीन था कि अगर कल्लु है तो उसके पिताजी वहीं पर होंगे,,, और उसका सोचना बिल्कुल सही निकला जब कल के पीछे-पीछे उसके पिताजी भी हाथ में दो शराब की सीसी लेकर बाहर निकलते हुए नजर आए,,, अपने पिताजी को देखकर सूरज एकदम से हैरान हो गया क्योंकि आज तक उसने अपने पिताजी को इस रूप में नहीं देखा था भले ही कुछ दिन के लिए वह घर से गायब रहते थे लेकिन काम के सिलसिले से गायब रहते थे लेकिन आज उसके पिताजी महीनो से घर से बाहर थे तो सिर्फ शराब की वजह से क्योंकि इससे पहले वह शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे,,,।





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अपने पिताजी की हालत देखकर सूरज को बड़ी हैरानी हो रही थी वह काफी परेशान नजर आ रहा था मन तो उसका कर रहा था किसी समय वहां अपने पिताजी के पास चला जाए और उनका हाथ पकड़ कर घर की और उन्हें लेकर जाए क्योंकि वह जानता था कि कल अच्छा आदमी नहीं था वह बदमाश आदमी था पूरे गांव में उसकी कोई भी इज्जत नहीं थी सब लोग उसे बदमाश के ही तौर पर जानते थे,, सूरज को समझते देर नहीं लगी थी कि कल्लू के ही सोहबत में उसके पिताजी का यह हाल हो रहा है,,, लेकिन जानता था कि ऐसे हालात में सीधे-सीधे अपने पिताजी के पास पहुंच जाना उसके लिए भी अच्छा नहीं था क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी इस समय घर परिवार सब कुछ शराब के नशे में भूल भी चुके हैं और छोड़ भी चुके हैं अगर ऐसा ना होता तो वह घर पर जरूर आते इसलिए सूरज जानता था कि जो भी कदम उठाना होगा सोच समझ कर उठाना होगा,,,।




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कुछ देर तक सूरज वहीं पर खड़ा हुआ देखना चाहता था उसके पिताजी और कल्लू क्या करते हैं,,,, तभी उसके पिताजी की आवाज सूरज के कानों में पड़ी,,,।


कललु यहीं बैठकर पी लेते हैं,,,(ऐसा बोलते हुए सूरज के पिताजी,,, वहीं पास में पड़े बड़े से पत्थर पर बैठ नहीं जा रहे थे कि उन्हें रोकते हुए कल्लु बोला,,,)

अरे नहीं यहां पर पीने से सारा मजा की गिरा हो जाएगा वहीं पर चलकर पीते हैं जहां रोज पीते हैं,,, शराब के शबाब होगी तो और भी ज्यादा मजा आएगा,,,,।


क्या बात कर रहा है यार कमला भी आएगी क्या,,,?(भोला एकदम उत्साहित होता हुआ बोला,,,, और अपने पिताजी के मुंह से कमला शब्द सुनकर सूरज की भी आंखें चौड़ी होने लगी उसे भी लगने लगा कि जैसा वह सोच रहा था वैसा ही चक्कर चल रहा है भोला की बात सुनकर कल्लु बोला,,,,)



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आएगी जरूर आएगी और आज तो वह मछली बनाकर लाएगी आज तो मजा ही आ जाएगा इसलिए कह रहा हूं यहां पर मत पी चलकर वहीं पीते हैं अपने अड्डे पर,,,,।

तो चल देर किस बात की है कमला का नाम सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,।(ऐसा कहते हुए भोला पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाने लगा यह देखकर सूरज को पूरा यकीन हो गया की औरत के चक्कर में और शराब की लत में है उसके पिताजी का यह हाल हुआ है,,,,,,, भोला की बात सुनकर कल्लु भी वहसी हंसी हंसते हुए बोला,,,)

तेरा तो खड़ा हो जाता है मेरा तो पहले से ही खड़ा है,,,, चलो जल्दी कर बिल्कुल भी देर मत कर यहां पर पहले से ही देर हो चुकी है,,,।

हां हां जल्दी चल मुझसे तो रहा नहीं जा रहा है,,,।



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सप्ताह में चार पांच बार लेता है फिर भी तेरा मन नहीं भरता,,।(हंसते हुए भोले के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,, कल्लू की बात सुनकर सूरज हैरान रह गया,, वह अपने मन में सोचने लगा कि पूरे गांव में उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं उससे ज्यादा खूबसूरत बदन किसी का भी नहीं है फिर भी अपनी औरत को छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़ा हुआ है कितना बेवकूफ है यह,,,,,, इसे ही कहते हैं घर की मुर्गी दाल बराबर रोज-रोज मिलता था इसलिए यह हाल है वरना ऐसा कौन सा मर्द नहीं होगा जो उसकी मां को चोदना नहीं चाहता होगा,,, ऐसा अपने मन में सोचकर वह अपने आप से ही बोला कितना बेवकूफ है बाबूजी न जाने किसके चक्कर में अप्सरा जैसी औरत की फिक्र नहीं करता,,,, सूरज के मन में अपने पिताजी के लिए अब थोड़ी नाराजगी महसूस होने लगी थी अभी तक वह अपने पिताजी की बहुत इज्जत करता था लेकिन आज अपनी कानों से जो कुछ सुना था उसे सुनकर उसके होश उड़े जा रहे थे,,,,।





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और वह भी इसलिए की,, अब तक वह अपनी पिताजी को सीधा-साधा इंसान ही समझता था जो मेहनत करके जीवन गुजर बसर कर रहे थे,,, उसे क्या मालूम था कि इस तरह से उसके कई औरतों के साथ जिस्मानी तालुका थे जिसमें मुखिया की बीवी मुख्य थी और उसे दिन भी वह अपने पिताजी को ढूंढते हुए खेतों में पहुंच गया था लेकिन नादानी की वजह से समझ नहीं पाया था कि खेत के अंदर उसके पिताजी और मुखिया की बीवी आपस में कौन सा गुल खिला रहे हैं,,, इसलिए तो आज अपने पिताजी का नया रूप देखकर वह हैरान था,,, घर से दूर रहने का कारण अभी तक सूरज को यही समझ में आता था कि वह शायद शराब की लत में ऐसा करते हैं,,, किसी और औरत के चक्कर की शंका तो केवल उसके मन में ऐसे ही थी लेकिन आज उसे पूरा विश्वास हो गया था कि शराब के साथ-साथ शबाब का भी चक्कर है,,,,।

कल्लु और उसके पिताजी दोनों एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर हाथ में शराब की शीशी लिए हुए हंसते हुए आगे की तरफ बढ़ते चले जा रहे थे,,, सूरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पिताजी की संगत ऐसे बदमाश इंसान से हो जाएगी,,, देखते ही देखते दोनों अंधेरे में आगे बढ़ते चले जा रहे थे और पीछे-पीछे सूरज वह देखना चाहता था कि यह कमला है कौन रहती कहां है आज वह इसका पता लगाना चाहता था और वह भी देखना चाहता था कि कमला ने आखिरकार ऐसी कौन सी बात है जो उसकी मां में नहीं है ऐसी कौन सी खूबसूरत बला धरती पर उतर आई है जिसके चलते उसके पिताजी रूपवती बीवी को छोड़ दिए हैं,,,।




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आगे आगे कल्लु और भोला बढ़ रहे थे और पीछे पीछे सूरज,,,, लेकिन सूरज इस पास से हैरान था कि वह दोनों बस्ती की तरफ नहीं बल्कि खेत से होकर किसी और ही जगह पर जा रहे थे सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें क्योंकि काफी अंधेरा था अभी तक तो उसे डर नहीं लग रहा था लेकिन अब थोड़ा-थोड़ा डर उसके मन में बैठने लगा था क्योंकि वह अपने गांव से काफी दूर आ गया था,,,,, वह अपने आगे पीछे चारों तरफ नजर घूमा ले रहा था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि उन दोनों को बिल्कुल भी शक ना हो कि कोई उनका पीछा कर रहा है,,, आखिरकार देखते ही देखते वह दोनों एक खंडहर जैसे गोदाम के पास आकर खड़े हो गए और सूरज की उनसे तकरीबन 10 15 मीटर की दूरी पर अपने आप को झाड़ियां में छुपाए हुए खड़ा होकर उन दोनों को देखने लगा इस जगह पर सूरज पहली बार आया था इसलिए उसे थोड़ा सा घबराहट हो रही थी और वह भी इसलिए की रात का समय था अगर दिन का समय होता तो वह बिल्कुल भी डरने वाला नहीं था,,,,

Bahut hi shandar update he rohnny4545 Bhai,

Suraj ne aakhirkar pata laga hi liya apne baap ke ghar se gayab hone ka karan............

Ab dekhna he ye kamla kaisi aurat he........ jiske picche suraj ka baap diwana he

Keep rocking Bro
 

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सूरज के लिए अपने पिताजी का पता लगाना बेहद जरूरी हो चुका था क्योंकि महीनों गुजर गए थे और उसके पिताजी घर पर नहीं आए थे,,, वैसे तो सूरज के लिए उसके पिताजी का घर पर नहाना उसके लिए ही सुनहरा मौका की तरह था लेकिन फिर भी अपने पिता का पता लगाना भी बेहद जरूरी हो चुका था,,, वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं कहां रहते हैं किसके साथ रहते हैं और यह सब सो कर उसके मन में एक शंका और थी कि कहीं उसके पिताजी किसी और औरत के चक्कर में तो नहीं पड़ गए इस बात की जहां उसके मन में चिंता होती थी वहीं इस बात से उसके मन में प्रसन्नता के भाव भी उसके चेहरे पर नजर आने लगते थे क्योंकि वह यही तो चाहता था कि उसके पिताजी दूसरी औरत के चक्कर में पड़ जाए तो उसका भी रास्ता एकदम साफ हो जाए,,,,।




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कुछ दिन पहले ही उसे उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव में देखा था,,, और इस खबर को सुनकर उसके चेहरे पर उदासी के भाव नजर आने लगे थे लेकिन इसके बावजूद भी उसके पिताजी अब तक घर पर नहीं आए थे इसीलिए वह देखना चाहता था कि उसके पिताजी है कहां पर इसीलिए आज वह अपने पिताजी को ढूंढने के लिए दूसरे गांव की तरफ निकल चुका था,,, इस बारे में उसने किसी को भी नहीं बताया था ना ही इस बारे में वह अपनी मां से बताया था नहीं अपनी बहन से वह अकेला ही अपने पिताजी का पता लगाना चाहता था,,, आखिरकार था तो वह एक बेटा ही भले ही अपने पिताजी के घर पर नहाने पर उसके मन में खुशी महसूस होती हो लेकिन फिर भी मन के किसी कोने में अपने पिता के लिए उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी,,,।





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शाम ढल चुकी थी और धीरे-धीरे रोशनी को अपनी आगोश में लेता हुआ अंधेरा आगे बढ़ता चला जा रहा था,,, और अंधेरे में वह अपने पिताजी की तलाश में दूसरे गांव की तरफ बढ़ता चला जा रहा था वह जानता था कि दूसरे गांव के नौकर पर शराब की दुकान है वहां पर गांव के मर्द जिन्हें शराब की लत लग गई है वह अपनी थकान मिटाने के लिए शराब का सहारा लेते हैं और जिस तरह से उसके दोस्त ने बताया था कि उसने उसके पिताजी को गांव के कल्लु के साथ देखा था तो उसे पूरा यकीन हो चला था कि उसके पिताजी भी कल के साथ शराब पीने के आदी हो गए होंगे,, इसलिए तो वह ऐसी जगह पर अपने पिताजी को तलाश करने जा रहा था जहां पर शराबी लोग इकट्ठा होते हैं और वैसे भी रात के अंधेरे में शराबी का ठिकाना शराब खाना ही होता है घर नहीं,,,।






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अंधेरा बढ़ता जा रहा था और अंधेरे के साथ सूरज भी आगे बढ़ता चला जा रहा था सूरज अब अंदर ही अंदर मजबूत हो चुका था पहले जहां वह घर से बाहर निकलने से डरता था रात के अंधेरे से डरता था अब उसे बिल्कुल भी डर नहीं लगता औरतों की संगत में जिस तरह का सुख उसे प्राप्त होता था उसके चलते वह पूरी तरह से मर्द बन चुका था और चालाकी भी उसके अंदर आ चुकी थी,,, और इसी चालाकी के बदौलत वह धीरे-धीरे सोनू की चाची के करीब बढ़ता चला जा रहा था दोपहर का किस्सा उसे पूरी तरह से याद था इसके बारे में सोच कर उसके तन बदन में हलचल सी मच जाती थी। उसे अच्छी तरह से समझ में आने लगा था कि सोनू की चाची उससे क्या चाहती है वैसे भी वह चोरी छुपे मैदान में जब उसकी मां के साथ-साथ सोनू की चाची और उसके पड़ोस की औरत सौच करने गए थे तब वह उन तीनों की बात अच्छी तरह से सुना था और समझ गया था कि सोनू की चाची क्या चाहती है,,,।




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और कानों सुनी आंखों देखी बात पर उसे पूरी तरह से विश्वास था कि एक न एक दिन सोनू की चाची के साथ विवाह चुदाई का सुख भोग पाएगा इसलिए तो दिन रात वह सोनू की चाची के करीब चक्कर लगाने लगा था और जिसका फायदा उसे आज प्राप्त हुआ था,,, मड़ई के अंदर जो कुछ भी हुआ था वह सूरज को पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डुबकी लगाने पर मजबूर कर दिया था सोनू की चाची की बड़ी-बड़ी छाती पूरी तरह से उसके होश उड़ा दी थी सोनू की चाची का अपने आप ही अपने ब्लाउज का बटन खोलने उसके लिए,, सादर आमंत्रण था जिसे वह सहर्ष स्वीकार कर चुका था सोनू की चाची की चूचियों को दबाकर उसे जिस तरह का आनंद प्राप्त हुआ था वह बेहद अद्भुत था,,, सूरज को सोनू की चाची का इरादा देख कर ऐसा ही लग रहा था कि आज ही वह सोनू की चाची की दोनों टांगों के बीच पहुंच जाएगा और ऐसा हो भी जाता अगर एन मौके पर सोनू के चाचा वहां ना आ जाते,,,,।




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सोनू के चाचा का वहां पर आना सूरज को तो खटका ही था लेकिन सूरज सोनू की चाची के चेहरे पर उदासी को पढ़ लिया था वह समझ गया था कि उन्हें भी अपने पति का वहां पर आना अच्छा नहीं लगा था खैर जितना भी उसे समय सोनू की चाची उसे मजा दे पाई थी उतना ही उसे पूरी तरह से मस्त कर गया था और उसे पूरा यकीन था कि एक ना एक दिन वह सोनू की चाची की चुदाई कर पाएगा,,, यही सब सोता हुआ वहां धीरे-धीरे दूसरे गांव के बेहद करीब आ चुका था जहां पर दूर-दूर तक उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था बस चारों तरफ अंधेरा अंधेरा था क्योंकि जिस रास्ते से वह जा रहा था उसके दोनों तरफ खेत ही खेत थे बस्ती दूर थी इसलिए चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था,,, पहले वाला सूरज होता तो शायद यहां तक आने की कभी हिम्मत ही नहीं जुटा पाता लेकिन सूरज बदल चुका था उसके हालात बदल चुके थे इसलिए उसके मन से डर एकदम निकल गया था,,,।


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गर्मी का महीना था लेकिन शीतल हवा का झोंका उसके बदन में सुरसुरी पैदा कर रहा था,,, मौसम बड़ा ही सुहावना लग रहा था दिन में तो गर्मी लगती ही थी लेकिन शाम ढलते ही मौसम में ठंडक महसूस होने लगती थी,,, सूरज चलते समय इधर-उधर भी नजर घुमा कर देख ले रहा था क्योंकि उसे पूरी तरह से विश्वास नहीं था कि उसके पिताजी शराब के ठेके पर ही मिलेंगे हो सकता है कि वहां पर ना भी मिले,,, इसलिए अपनी तसल्ली कर लेने के लिए वह चारों तरफ देखा हुआ वहां पर जा रहा था थोड़ी ही देर बाद उसे गांव के नुक्कड़ पर लालटेन जलते हुए नजर आ रही थी और कुछ लोगों की आवाज भी आ रही थी सूरज समझ गया था कि शराब का ठेका आ चुका है,,,।




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सूरज वहां पर चोरी छुपे जाना चाहता था,, क्योंकि अगर उसके पिताजी वहां पर मौजूद होंगे तो वह नहीं चाहता था कि उसके पिताजी को उसके बारे में जरा भी भनक लगे इसलिए यह जानकारी वह चोरी छुपे हासिल करना चाहता था कि उसके पिताजी कर क्या रहे हैं किसके साथ घूम रहे हैं रात को रुकते कहां है,,? काम क्या करते हैं ....?यही सब जानकारी उसे प्राप्त करना था,,, धीरे-धीरे वह शराब के ठेके के करीब पहुंच चुका था लेकिन अपने आप को वह झाड़ियां के पीछे छुप कर आगे बढ़ रहा था ताकि किसी की नजर उसे पर ना पड़े तकरीबन 8-10 मीटर की दूरी पर वह रुक गया और वहां से शराब के ठेके पर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा कि कौन-कौन वहां पर मौजूद है और उन्हें लोगों में उसके पिताजी हैं भी या नहीं,,,,,, कुछ देर खड़ा होकर झाड़ियां के पीछे छिपकर सूरज शराब के ठेके पर मौजूद लोगों को देखता रहा लोग अपने में ही मस्त थे कहीं दो लोग बैठे थे की कहानी तीन लोग बैठे थे तो कोई अकेला ही बैठकर सर आपका मजा लूट रहा था पास में ही समोसे और जलेबी का ठेला लगा हुआ था और लोग खरीद खरीद कर शराब के साथ समोसे का मजा लूट रहे थे,,,।




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कुछ देर तक वहां खड़े रहने के बाद सूरज को ना तो कहीं कल दिखाई दिया और ना ही उसके पिताजी दिखाई दिए वह निराश हो गया क्योंकि यही एक ऐसी जगह थी जहां पर वह अपने पिता जी के होने की आशंका मन में बने हुए इतनी दूर आया था लेकिन यहां भी उसे नाकामयाबी हाथ लगी थी वह निराश हो चुका था और वहां से वह जाने वाला था कि तभी शराब के ठेके की दुकान से अंदर से हाथ में शराब की सीसी लिए हुए कल्लू बाहर निकलता हुआ नजर आया,, उसे देखते ही सूरज के पर फिर से वही जम गए उसे यकीन था कि अगर कल्लु है तो उसके पिताजी वहीं पर होंगे,,, और उसका सोचना बिल्कुल सही निकला जब कल के पीछे-पीछे उसके पिताजी भी हाथ में दो शराब की सीसी लेकर बाहर निकलते हुए नजर आए,,, अपने पिताजी को देखकर सूरज एकदम से हैरान हो गया क्योंकि आज तक उसने अपने पिताजी को इस रूप में नहीं देखा था भले ही कुछ दिन के लिए वह घर से गायब रहते थे लेकिन काम के सिलसिले से गायब रहते थे लेकिन आज उसके पिताजी महीनो से घर से बाहर थे तो सिर्फ शराब की वजह से क्योंकि इससे पहले वह शराब को हाथ भी नहीं लगाते थे,,,।





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अपने पिताजी की हालत देखकर सूरज को बड़ी हैरानी हो रही थी वह काफी परेशान नजर आ रहा था मन तो उसका कर रहा था किसी समय वहां अपने पिताजी के पास चला जाए और उनका हाथ पकड़ कर घर की और उन्हें लेकर जाए क्योंकि वह जानता था कि कल अच्छा आदमी नहीं था वह बदमाश आदमी था पूरे गांव में उसकी कोई भी इज्जत नहीं थी सब लोग उसे बदमाश के ही तौर पर जानते थे,, सूरज को समझते देर नहीं लगी थी कि कल्लू के ही सोहबत में उसके पिताजी का यह हाल हो रहा है,,, लेकिन जानता था कि ऐसे हालात में सीधे-सीधे अपने पिताजी के पास पहुंच जाना उसके लिए भी अच्छा नहीं था क्योंकि वह जानता था कि उसके पिताजी इस समय घर परिवार सब कुछ शराब के नशे में भूल भी चुके हैं और छोड़ भी चुके हैं अगर ऐसा ना होता तो वह घर पर जरूर आते इसलिए सूरज जानता था कि जो भी कदम उठाना होगा सोच समझ कर उठाना होगा,,,।




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कुछ देर तक सूरज वहीं पर खड़ा हुआ देखना चाहता था उसके पिताजी और कल्लू क्या करते हैं,,,, तभी उसके पिताजी की आवाज सूरज के कानों में पड़ी,,,।


कललु यहीं बैठकर पी लेते हैं,,,(ऐसा बोलते हुए सूरज के पिताजी,,, वहीं पास में पड़े बड़े से पत्थर पर बैठ नहीं जा रहे थे कि उन्हें रोकते हुए कल्लु बोला,,,)

अरे नहीं यहां पर पीने से सारा मजा की गिरा हो जाएगा वहीं पर चलकर पीते हैं जहां रोज पीते हैं,,, शराब के शबाब होगी तो और भी ज्यादा मजा आएगा,,,,।


क्या बात कर रहा है यार कमला भी आएगी क्या,,,?(भोला एकदम उत्साहित होता हुआ बोला,,,, और अपने पिताजी के मुंह से कमला शब्द सुनकर सूरज की भी आंखें चौड़ी होने लगी उसे भी लगने लगा कि जैसा वह सोच रहा था वैसा ही चक्कर चल रहा है भोला की बात सुनकर कल्लु बोला,,,,)



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आएगी जरूर आएगी और आज तो वह मछली बनाकर लाएगी आज तो मजा ही आ जाएगा इसलिए कह रहा हूं यहां पर मत पी चलकर वहीं पीते हैं अपने अड्डे पर,,,,।

तो चल देर किस बात की है कमला का नाम सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है,,,,।(ऐसा कहते हुए भोला पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबाने लगा यह देखकर सूरज को पूरा यकीन हो गया की औरत के चक्कर में और शराब की लत में है उसके पिताजी का यह हाल हुआ है,,,,,,, भोला की बात सुनकर कल्लु भी वहसी हंसी हंसते हुए बोला,,,)

तेरा तो खड़ा हो जाता है मेरा तो पहले से ही खड़ा है,,,, चलो जल्दी कर बिल्कुल भी देर मत कर यहां पर पहले से ही देर हो चुकी है,,,।

हां हां जल्दी चल मुझसे तो रहा नहीं जा रहा है,,,।



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सप्ताह में चार पांच बार लेता है फिर भी तेरा मन नहीं भरता,,।(हंसते हुए भोले के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला,,,, कल्लू की बात सुनकर सूरज हैरान रह गया,, वह अपने मन में सोचने लगा कि पूरे गांव में उसकी मां से ज्यादा खूबसूरत औरत कोई नहीं उससे ज्यादा खूबसूरत बदन किसी का भी नहीं है फिर भी अपनी औरत को छोड़कर दूसरी औरत के चक्कर में पड़ा हुआ है कितना बेवकूफ है यह,,,,,, इसे ही कहते हैं घर की मुर्गी दाल बराबर रोज-रोज मिलता था इसलिए यह हाल है वरना ऐसा कौन सा मर्द नहीं होगा जो उसकी मां को चोदना नहीं चाहता होगा,,, ऐसा अपने मन में सोचकर वह अपने आप से ही बोला कितना बेवकूफ है बाबूजी न जाने किसके चक्कर में अप्सरा जैसी औरत की फिक्र नहीं करता,,,, सूरज के मन में अपने पिताजी के लिए अब थोड़ी नाराजगी महसूस होने लगी थी अभी तक वह अपने पिताजी की बहुत इज्जत करता था लेकिन आज अपनी कानों से जो कुछ सुना था उसे सुनकर उसके होश उड़े जा रहे थे,,,,।





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और वह भी इसलिए की,, अब तक वह अपनी पिताजी को सीधा-साधा इंसान ही समझता था जो मेहनत करके जीवन गुजर बसर कर रहे थे,,, उसे क्या मालूम था कि इस तरह से उसके कई औरतों के साथ जिस्मानी तालुका थे जिसमें मुखिया की बीवी मुख्य थी और उसे दिन भी वह अपने पिताजी को ढूंढते हुए खेतों में पहुंच गया था लेकिन नादानी की वजह से समझ नहीं पाया था कि खेत के अंदर उसके पिताजी और मुखिया की बीवी आपस में कौन सा गुल खिला रहे हैं,,, इसलिए तो आज अपने पिताजी का नया रूप देखकर वह हैरान था,,, घर से दूर रहने का कारण अभी तक सूरज को यही समझ में आता था कि वह शायद शराब की लत में ऐसा करते हैं,,, किसी और औरत के चक्कर की शंका तो केवल उसके मन में ऐसे ही थी लेकिन आज उसे पूरा विश्वास हो गया था कि शराब के साथ-साथ शबाब का भी चक्कर है,,,,।

कल्लु और उसके पिताजी दोनों एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखकर हाथ में शराब की शीशी लिए हुए हंसते हुए आगे की तरफ बढ़ते चले जा रहे थे,,, सूरज कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसके पिताजी की संगत ऐसे बदमाश इंसान से हो जाएगी,,, देखते ही देखते दोनों अंधेरे में आगे बढ़ते चले जा रहे थे और पीछे-पीछे सूरज वह देखना चाहता था कि यह कमला है कौन रहती कहां है आज वह इसका पता लगाना चाहता था और वह भी देखना चाहता था कि कमला ने आखिरकार ऐसी कौन सी बात है जो उसकी मां में नहीं है ऐसी कौन सी खूबसूरत बला धरती पर उतर आई है जिसके चलते उसके पिताजी रूपवती बीवी को छोड़ दिए हैं,,,।




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आगे आगे कल्लु और भोला बढ़ रहे थे और पीछे पीछे सूरज,,,, लेकिन सूरज इस पास से हैरान था कि वह दोनों बस्ती की तरफ नहीं बल्कि खेत से होकर किसी और ही जगह पर जा रहे थे सूरज को समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें क्योंकि काफी अंधेरा था अभी तक तो उसे डर नहीं लग रहा था लेकिन अब थोड़ा-थोड़ा डर उसके मन में बैठने लगा था क्योंकि वह अपने गांव से काफी दूर आ गया था,,,,, वह अपने आगे पीछे चारों तरफ नजर घूमा ले रहा था और धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और इस बात का भी ख्याल रख रहा था कि उन दोनों को बिल्कुल भी शक ना हो कि कोई उनका पीछा कर रहा है,,, आखिरकार देखते ही देखते वह दोनों एक खंडहर जैसे गोदाम के पास आकर खड़े हो गए और सूरज की उनसे तकरीबन 10 15 मीटर की दूरी पर अपने आप को झाड़ियां में छुपाए हुए खड़ा होकर उन दोनों को देखने लगा इस जगह पर सूरज पहली बार आया था इसलिए उसे थोड़ा सा घबराहट हो रही थी और वह भी इसलिए की रात का समय था अगर दिन का समय होता तो वह बिल्कुल भी डरने वाला नहीं था,,,,
बहुत ही शानदार लाजवाब और मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर सुरज ने अपने पिता का पता लगा ही लिया और उसके घर ना आने का कारण कल्लु से दोस्ती के साथ शराब और शबाब का चस्का लग गया था वो भी कमला नाम की कोई औरत का
अब खंडहर जैसे गोदाम में क्या होता है
खैर देखते हैं आगे
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

sam_41

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Fantastic update ❤️
 
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