Hussainsalman
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चोर कदमों से सूरज घर के बाहर आ चुका था लेकिन अपने अंदर एक तूफान लेकर आया था जो रिश्तो के बीच मर्यादा की दीवार को अपने थपेड़ों से गिरा देने वालीथी,,,, सूरज कभी सपने भी यह नहीं सोचा था कि उसकी आंखों के सामने यह सब नजर आएगा उसे नहीं मालूम था कि उसे यह सब देखना पड़ेगा,,,, लेकिन उसने जो कुछ भी देखा था उसे देखने के बाद उसका जवान दिल पूरी तरह से गर्म हो चुका था उसे एहसास होने लगा था कि वह पूरी तरह से जवान हो चुका है,,,।
और ऐसा होना लाजिमी ही था क्योंकि आज तक उसने अपनी मां के खूबसूरत बदन का दर्शन नहीं किया था और ना ही उसकी खूबसूरत बदन के किसी भी अंग को नग्नावस्था में देखा था,,, और ऐसे हालात में अगर वही औरत उसकी आंखों के सामने एकदम नंगी नजर आ जाए तो क्या होगा उसका हल भी सूरज जैसा ही होगा सूरज ने कभी भी अपनी मां को गलत नजरिया से देखा भी नहीं था लेकिन जिस दिन से उसने मुखिया की बीवी को नहाते हुए देखा था उसके अंगों को देखा था और फिर बगीचे में मुखिया की दोनों लड़कियों के खूबसूरत अंगों का जिस तरह से दर्शन किया था उसे देखने के बाद उसका भी नजरिया हर एक औरत के प्रति बदलता जा रहा था यहां तक कि वह अपनी मां में भी एक औरत ढूंढ रहा था लेकिन अनजाने में ही उसे अपनी मां की खूबसूरत बदन को नग्न अवस्था में देखने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ था नग्न अवस्था में ही क्या वह अपनी मां को चुदवाते हुए देख लिया था और अपने ही पिता से,,,,।
उस दृश्य को याद करके सूरज के तन बदन में आग लग जा रहा था उसके बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी वह बड़े आराम से अपनी मां की गोल-गोल बड़ी-बड़ी कहां को एकदम साफ तौर पर देख पा रहा था और उसकी दोनों टांगों के बीच उसके पिताजी का लंड अंदर बाहर होता हुआ नजर आ रहा था या हालांकि जिस तरह से उसकी मां दीवार का सहारा लेकर खड़ी थी उधर से सिर्फ उसकी गांड का एक तरफ भाग ही नजर आ रहा था उसकी बुर उसे नजर नहीं आ रही थी लेकिन जिस तरह से उसके पिताजी का लड दोनों टांगों के बीच अंदर बाहर हो रहा था उसे देखकर वह समझ गया था कि उसके पिताजी का लंड उसकी मां की किस अंग के अंदर घुस रहा है और बाहर निकल रहा हैं,,, इस बात का अहसास होते ही उसकी आंखों के सामने नीलू की खूबसूरत उभरी हुई बुर नजर आने लगती थी इतना तो वह जानता ही था कि हर औरत के पास एक जैसा ही अंग होता है इसलिए नीलू की बुर को देखने के बाद अपनी मां की बुर की कल्पना करना उसके लिए कोई कठिन कार्य नहीं था लेकिन बुर के अंदर लंड अंदर बाहर होता हुआ उसने अभी तक नहीं देखा था सिर्फ उसकी एक हल्की सी झलक पर देखा था इतना ही जवान हो चुके सूरज के लिए काफी था,,,,,।
जहां एक तरफ अपनी मां को चुदवाते हुए देखकर सूरज के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी वहीं दूसरी तरफ अपनी मां के प्रति और अपने बाबूजी के प्रति उसे थोड़ा बहुत गुस्सा भी था उसे नहीं मालूम था कि उसकी मां यह काम भी करवाती है होगी चुदवाती होगी जो कि सूरज इस बात को नहीं समझ पा रहा था कि उसकी मां ही नहीं बल्कि दुनिया की हर एक औरत इस उम्र में बढ़ती उम्र में या चाहे जिस उम्र में जब भी उनका मन करता है तो वह चुदवाती हीं है,,,। सूरज अपनी मां को हमेशा एक संस्कारी औरत के रूप में ही देखता रहा था जिसके मुंह से कभी अप शब्द भी नहीं निकलता था वह अपनी मां को एक सीधी साधी संस्कारी औरत ही समझता था लेकिन पल भर में ही उसका यह भ्रम दूर हो चुका था,,,, अब वह जहां भी जाता वहां उसकी आंखों के सामने उसकी मां की हिलती हुई गांड और गांड के बीच उसके पिताजी का अंदर बाहर होता हुआ लंड नजर आता था,,, और उस दृश्य को याद करते ही उसका खुद का लंड खड़ा हो जाता था,,,।
इसके बाद वहां देर रात को घर लौटा जब खाना बन चुका था क्योंकि ना जाने क्यों वहां अपनी मां से नजर मिलाने में कतरा रहा था,,, जबकि उसकी मां ने कोई बड़ा काम नहीं किया था वह शारीरिक संबंध बनाई भी थी तो अपने पति के साथ ना कि किसी गैर मर्द के साथ लेकिन फिर भी सूरज के मन पर उसका भारी असर पड़ रहा था वह अपनी मां के साथ-साथ अपने पिताजी से भी नजर नहीं मिला पा रहा था,,,, उसके देर से आने पर उसकी मां बोली,,,।
क्यों रे सूरज कहां रह गया था कितनी देर लगा दी आने में खाना बनाकर तैयार हो चुका है जा जल्दी से हाथ मुंह धो कर और खाना खा ले,,,,
(सुनैना की बात सुनकर भोला भी उसके सुर में सुर मिलाते हुए बोला,,,)
यह अब हरामी हो गया है गांव के आवारा लड़कों के साथ घूमता रहता है,,,,,, इसे संभालो नहीं तो बिगड़ जाएगा,,,,
अरे नहीं बिगड़ेगा मैं अपने लड़के को अच्छी तरह से जानती हूं,,,, इसे मैं अच्छे संस्कार दि हुं ,
हुं ,, दोनों कितने सीधे बन रहे हैं संस्कार की बात कर रहे हैं और दिन में तो कैसे एकदम नंगे होकर चुदाई का खेल खेल रहे थे,,,(सूरज अपने मन में ही हाथ पैर धोते हुए बोला,,,,, दोपहर के बाद से उसका मन थोड़ा उखाड़ सा गया था अपनी मां और अपने बाबु जी के प्रति क्योंकि वह दोनों को चुदाई का खेल खेलता हुआ देख लिया था जबकि उसके मन में ऐसा ही था कि वह तूने ऐसा नहीं करते होंगे,,,, थोड़ी देर में वह भी खाना खाने बैठ गया लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहा था और ना ही अपने मां और अपने बाबु जी की तरफ देख रहा था,,, थोड़ी ही देर में सुनैना घर का सारा काम निपटा कर अपने कमरे में चली गई और थोड़ी देर बाद उसके पिताजी भी कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर लिए दोपहर में जिस तरह का दृश्य सूरज ने अपनी आंखों से देखा था उसके बाद उसे विश्वास हो गया था कि इस समय भी दरवाजा बंद करके दोनों चुदाई का खेल खेल रहे होंगे लेकिन इस बार सूरज की हिम्मत नहीं हुई कि दरवाजे पर जाकर कमरे के अंदर का दृश्य को देख सके वह अपने कमरे में आ गया और बिस्तर पर लेट गया दोपहर का दृश्य उसकी आंखों से दूर नहीं हो रहा था,,,,। बार-बार वही चुदाई वाला तेरी उसकी आंखों के सामने नाचने लग जा रहा था जिसके चलते उसके पजामे में तम्बू बन जा रहा था,,,।
वह बार-बार बिस्तर पर करवट बदल रहा था,,,, जब उसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह पेट के बाल बिस्तर पर लेट गया जिससे उसका खड़ा लंड बिस्तर में पूरी तरह से धसने लगा,,,, लेकिन उसकी हरकत से उसे आनंद मिलने लगा उसे मजा आने लगा हुआ धीरे-धीरे अपनी कमर को ऊपर नीचे करके अपने लंड को बिस्तर पर ही रगड़ना शुरू कर दिया उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी उसने आज तक इस तरह की गंदी हरकत कभी किया नहीं था लेकिन आज वह अपने ही हाथों मजबूर हो चुका था,,,।
देखते ही देखते वहां पीठ के बल लेट गया और फिर अपने पजामे में हाथ डालकर अपने खड़े लंड को पकड़ लिया,,, मादकता भरे एहसास से सूरज पहली बार अपने लंड को पकड़ रहा था हालांकि वह अपने लंड को पकड़ता जरूर था लेकिन सिर्फ पेशाब करने के लिए लेकिन आज मदहोशी के आलम में वह अपने लंड को अपनी मुट्ठी में भर लिया था जो की लंड की मोटाई की वजह से पूरी तरह से उसकी मुट्ठी में उसका लंड समा भी नहीं रहा था,,, देखते ही देखते वह अपने पजामी को घुटनों तक नीचे खींच दिया और फिर अपने खड़े लंड की तरफ लालटेन की पीली रोशनी में देखने लगा जो की पूरी तरह से अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था नीचे जड़ से पकड़ कर वह अपने लंड को हिला रहा था ऐसा करने से उसका लंड और भी ज्यादा जालिम नजर आ रहा था,,,, देखते ही देखते वह अपने लंड को पूरी तरह से अपनी मुट्ठी में पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलना शुरू कर दिया और फिर अनजाने में उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका लंड तो उसके पिताजी के लंड से भी ज्यादा मोटा और लंबा है इस बात का अहसास होते हैं उसके तन बदन में अजीब सा हलचल होने लगा,,,, और फिर अचानक ही उसके दिमाग में यह ख्याल आया कि उसका लंड उसके पिताजी से जब ज्यादा लंबा और मोटा है तो क्या वह अपनी मां को अधिक सुख दे पाएगा,,,,,, क्योंकि यह ख्याल उसके मन में इसलिए आया था कि जब वह अपनी मां की दोनों टांगों के बीच अपने पिताजी के लंज को अंदर बाहर होता हुआ देख रहा था तो उसके मन के मुंह से एक अद्भुत आवाज भी निकल रही थी जो की बेहद सुख और मदहोशी से भरी हुई थी इसलिए वहां सिर्फ अंदाजा लगाया था कि वह अपनी मां को उसके पिताजी से भी ज्यादा सुख दे पाएगा कि नहीं लेकिन यह ख्याल मन में आते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी उत्तेजना के मारे वह अपने लंड को और ज्यादा कस के दबा दिया था क्योंकि उसके जेहन में वह अपने आप को अपने पिताजी की जगह रखकर अपनी मां की चुदाई करने की कल्पना कर रहा था जो कि उसकी नजरिए से भी पाप था लेकिन इस समय उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी इसलिए वह कुछ देर तक अपने लंड को बार-बार जोर-जोर से दबाता रहा दूसरे लड़कों की तरह उसे मुठ मारने नहीं आता था,,,, लेकिन वह अपने दोस्त को झाड़ियां के पीछे बैठकर यह क्रिया करते हुए देखा था जब वह दोनों मिलकर उसकी चाची को पेशाब करते हुए देख रहे थे और इस समय उसका दोस्त मुठ मारते हुए अपना पानी बाहर निकाल दिया था लेकिन उसे क्रिया के बारे में सूरज को कुछ ज्यादा ज्ञान नहीं था इसलिए वह सिर्फ अपने लंड को जोर-जोर से दबा रहा था और ऐसा करने पर भी उसे अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी हालांकि संतुष्टि के चक्कर में उसकी काम भावना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी उसे ऐसा एहसास होने लगा कि उसे बड़े चोरों की पेशाब लगी हुई है और वह तुरंत बिस्तर सेउठकर बैठ गया और मटके से एक गिलास ठंडा पानी निकाल कर पीने के बाद वह धीरे सपना दरवाजा खोलकर घर से बाहर चला गया और थोड़ी देर में पेशाब करके घर में आ गया,,, अपने कमरे में प्रवेश करने से पहले वह एक बार,,, उत्सुकता वश अपनी मां के कमरे के पास गया दरवाजा बंद था कुछ देर तक किसी भी प्रकार की हलचल की आवाज वहां से नहीं आ रही थी और अंदर लालटेन भी बुझ चुकी थी कमरे के अंदर पूरी तरह से दे रहा था किसी भी प्रकार की हलचल आवाज ना आता देखकर सूरज वापस अपने कमरे में आ चुका था ,,,, उसे नहीं मालूम था कि जब अपने कमरे में बिस्तर पर लेट कर अपने लंड को सहला रहा था तभी उसके मा और बाबूजी चुदाई का खेल खेल चुके थे,,,।
दूसरे दिन भोला को किसी रिश्तेदार के घर जाना था तीन-चार दिनों के लिए और वह काफी जल्दबाजी में था,,,, इसलिए वह अपने बेटे से बोला,,,।
सूरज बेटा मैं तीन-चार दिनों के लिए रिश्तेदारी में जा रहा हूं वहां पर शादी है वहां पर सबको लेकर जा नहीं सकता इसलिए मुझे अकेले ही जाना है और तो यह बात मालकिन को बता देना कि मैं तीन-चार दिन तक नहीं आ पाऊंगा और कोई छोटा-मोटा काम हो तो तू कर देना,,,,,
ठीक है पिताजी मैं यह बात मुखिया जी को बता दूंगा और उनकी बीवी को भी,,,,, लेकिन शादी किसकी है,,,?
अरे हे एक रिश्तेदार उसी के वहां जा रहा हूं ठीक है बता देना,,,,(इतना कहकर भोला चलता बना,,,, कुछ देर खड़े होकर सूरज अपने पिताजी को देखता रहा जब तक कि वह दूर उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गए और अपने पिताजी को देखते हुए वह कमरे के दृश्य के बारे में सोचने लगा और अपने मन में ही बोलने लगा कि देखने पर उसके मन और बाबुजी इसे बिल्कुल भी नहीं दिखते जैसा कि उसने कमरे में देखा था और फिर वह भी मुखिया की बीवी के घर की तरफ निकल गया खबर पहुंचाने के लिए,,,,।
थोड़ी ही देर में वह उसे जगह पर पहुंच गया जहां पर खेतों में काम हो रहा था मजदूर लगे हुए थे उसे पूरा यकीन था कि यही मुखिया और मुखिया की बीवी भी मिल जाएंगे और ऐसा ही हुआ दूर बड़े से पेड़ के नीचे मुखिया और उसकी बीवी बैठे हुए थे सूरज जल्दी-जल्दी उन दोनों के पास किया और नमस्कार किया मुखिया की बीवी तो सूरज को देखते ही मन ही मन मुस्कुराने लगी और बोली,,,)
क्या हुआ रे सुरज,,,, तेरे पिताजी नहीं आए आज काम पर,,,,
की मालकिन यही तो बताने आया हूं कि पिताजी जरूरी काम से दो-तीन दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के वहां गए हैं और यही खबर में देने आया हूं,,,,
ओहहहह ,, इसके बारे में तो कभी जिक्र भी नहीं किया भोला ने,,,, चलो कोई बात नहीं,,,,(मुखिया की बीवी गहरी सांस लेते हुए बोली और गहरी सांस लेने की वजह से उसकी उन्नत चुचीया एकदम से बाहर की तरफ निकल गई क्योंकि वह जानबूझकर की थी सूरज को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए और सूरज की भी नजर एकदम से उसकी चूचियों पर चली गई थी यह देखकर मुखिया की बीवी मन ही मन प्रसन्न होने लगी थी और मुस्कुराते हुए बोली,,,)
तेरे पिताजी का काम तू कर देना,,,
वह तो ठीक है मालकिन लेकिन मुझे तो कुछ आता ही नहीं है,,,,,(सूरज एकदम मासूमियत भरे श्वर में बोला,,,)
हां शोभा ठीक तो कह रहा है यह इस कहां कुछ आता है,,,,
हां यह तो ठीक है लेकिन मैं सोच रही हूं कि कुछ दिनों से अपने आम के बगीचे में से आम की चोरी हो रही है रात को वहां रख वाली के लिए मुझे जाना होगा मैं सोच रही थी कि साथ में सूरज को ले जाती तो अच्छा होता,,,।
हां हां क्यों नहीं,,,, यह तो बहुत अच्छा है तुम्हें साथ भी मिल जाएगा और आम के बगीचे की रखवाली भी हो जाएगी,,,, ।
(मुखिया की बीवी के साथ रात को रख कर आम की रखवाली करने के बारे में सुनकर ही सूरज के बदन में रोमांच बढ़ गया उसके बदन में अच्छी सी हलचल होने लगी मुखिया की बीवी अपने फैसले पर मुस्कुरा रही थी उसके मन में बहुत कुछ चल रहा था,,,, वह सूरज की तरफ देखकर बोली,,,)
तुझे कोई एतराज तो नहीं है ना बदले में तुझे पैसे भी मिलेंगे और पके हुए आम भी,,,(आम बोलते हुए वह अपनी छाती को थोड़ा सा और उभार दी थी,,, हालांकि उसके इस मतलब को सूरज समझ नहीं पाया था लेकिन उसे इनकार भी नहीं था उसे पैसे और पके हुए आम का लालच नहीं था बल्कि उसे मुखिया की बीवी के साथ रहना अच्छा लगता था इसलिए वह इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था,,,)
जी मुझे कोई एतराज नहीं है वैसे कब से रखवाली करने जाना है,,,(सूरज मुखीया और मुखिया की बीवी की तरफ देखते हुए बोला,,,,,)
आज से ही,,,, शाम ढलते ही आ जाना मेरे घर पर वहीं से मैं तुम्हें ले चलूंगी आम के बगीचे पर,,,
हां यह तुम ठीक कह रही हो शोभा ,, घर से ही इसे ले जाना तब सही रहेगा,,,,,
ठीक है सूरज अभी तो कोई काम नहीं है जाकर घर पर आराम कर सकते हो लेकिन समय पर आ जाना,,,
ठीक है मालकिन में समय पर आ जाऊंगा,,, नमस्ते,,,
(इतना कहकर दोनों का अभिवादन करके वह अपने घर की तरफ निकल गया लेकिन वह बहुत खुश था मुखिया की बीवी के साथ समय बिताने के नाम से ही उसके बदन में हलचल हो रही थी और मुखिया की बीवी उसे जाते हुए कुटिल मुस्कान बिखेर रही थी,,, आम के बगीचे की रखवाली करना तो उसके लिए केवल बहाना रहता था वह जब कभी मन होता था तो आम की रखवाली के बहाने अपनी जवानी की प्यास जवान लड़कों से बुझाती थी,,, इस बात को भोला भी नहीं जानता था मुखिया की बीवी को भी रात होने का इंतजार बड़ी बेसब्री से होने लगा,,,,।)
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है सोनू सूरज का गुरु बन कर उसे चूदाई का ज्ञान दे रहा है लेकिन सूरज अभी भी इस ज्ञान से अज्ञान हैसुनैना नदी पर कपड़े धोकर और अच्छी तरह से नहा कर घर पर वापस लौट चुकी थी लेकिन नदी पर जो कुछ भी हुआ था उसके बारे में उसने घर में किसी को कुछ नहीं कही थी,,, क्योंकि उसे अपनी इज्जत बहुत प्यारी थी और घर में बताती भी तो क्या बताती कि वह नदी पर बहुत ही सवेरे पहुंच गई थी जब वहां कोई नहीं होता और ऐसे में वहां कपड़े धोकर अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी होकर नदी में नहाने के लिए उतर गई थी यह सब सुनकर वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसका पति उसे बहुत ज्यादा गुस्सा करता,,,, क्योंकि नदी में औरतों का नंगी उतरकर नहाना ही मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने का न्योता देता है और वह गलती सुनैना कर चुकी थी इसीलिए सुनैना भी इस बात को,,, दबा ले गई थी,,, वैसे तो घर पर पहुंचने के बाद कुछ ही देर में नदी वाली घटना को सुनैना भूल चुकी थी,,,, वह अपने दिनचर्या में बिल्कुल सामान्य हो चुकी थी लेकिन सुनैना की एक हल्की सी हरकत कल के दिलों दिमाग पर बिजली से गिरा गई थी,,,।
कल के दिलों दिमाग पर सुनैना की गदरारी जवानी पूरी तरह से छा चुकी थी,,, वैसे तो वह अपने जीवन में कई औरतों के साथ जबरदस्ती और प्यार से शारीरिक संबंध बनाया था लेकिन कोई औरत इतनी भी खूबसूरत हो सकती है इस बात पर उसे यकीन नहीं हो रहा था लेकिन जो कुछ भी उसने देखा था अपने होशो हवास में अपनी आंखों से देखा था अगर किसी के मुंह से सुना होता तो शायद वह यकीन नहीं कर पाता लेकिन यहां तो सब कुछ वह अपने अंदर एहसास कर चुका था नदी में उतरी हुई सुनैना को छाती तक पानी में डूबे हुए देखकर ही वह अंदाजा लगा दिया था कि वहां पानी के अंदर पूरी तरह से नंगी है इसीलिए तो उसके मुंह में पानी आ गया था और वह वही किनारे पर खड़ा रह गया था,,,,, वह कुछ देर तक वहीं खड़ा होकर सुनैना की अठखेलियों को देखकर उत्तेजित हो रहा था और उसके मन को पढ़ने की कोशिश कर रहा था वह अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर वह डर जाएगी तो वह उसके साथ मनमानी पर आराम से कर सकता है,,, लेकिन उसकी बातों को सुनकर और उसका जोर से गुस्से में बोलना यह देखकर कल्लु समझ गया था कि यहां पर दाल गलने वाली नहीं है इसीलिए वह सुनैना के साथ मनमानी करने के लिए नदी में उतारने का अपने मन में इरादा बना चुका था लेकिन यही ना मौके पर ही गांव की औरतों का झुंड आता देखकर वह अपना इरादा बदल दिया था,,,,, लेकिन फिर भी वह अपने मन में तसल्ली कर लेना चाहता था कि वाकई में वह अपने सारे वस्त्र उतार कर नदी में नंगी ही उतरी है या फिर कुछ पहनी है इसीलिए वह सुनैना की आंखों के सामने से कुछ दूरी पर जाकर झाड़ियां के पीछे छुप गया था और देखना चाह रहा था कि सुनैना क्या पहनी है और सुनैना भी उसे जाता हुआ देखकर,,, जल्दी-जल्दी नदी में से बाहर निकलने लगी उसे इस बात का अहसास तक नहीं था कि दूर झाड़ियों में छुपकर कल्लू उसे ही देख रहा है,,, सुनैना लगभग तैरते हुए बड़े से पत्थर के पीछे की तरफ जाने लगी और जब पानी कम हो गया तब वह,,, जल्दी से खड़ी होकर बड़े से पत्थर के पीछे जाने लगी कैसे हालात में कल को ज्यादा कुछ तो नहीं लेकिन उसकी गदराई ऊभरी हुई जवानी से भरी हुई गांड नजर आ गई बस इतने से ही कल पूरी तरह से सुनैना का दीवाना हो गया था उसकी जवानी को भोगने का प्यासा हो गया था,,,, कल जब से सुनैना की नंगी गांड को देखा था तब से उसके बारे में ही सोच सोच कर पागल हुआ जा रहा था और अब तक वह दो-तीन बार अपने हाथ से ही हिला कर काम चला लिया था,,,,।
दूसरी तरफ औरतों की मदमस्त जवानी से अपनी खबर सूरज पूरे गांव में इधर-उधर घूम कर अपना समय व्यतीत कर रहा था,,, वैसे तो गांव में सूरज सबसे हंसना बोलता था लेकिन उसका खास दोस्त था,,,,सोनु ,,,, सोनू उसका हम उम्र था और सोनू से उसकी अच्छी खासी बनती थी जिसके साथ वह दिन भर गांव में इधर-उधर घूमता रहता था जहां सूरज औरतों के मामले में नादान था वही सोनू,,, औरतों के मामले मे थोड़ा चालाक था,,, जवान लड़की और औरतों में काफी दिलचस्पी रखता था हरदम उन्हें अस्त-व्यस्त हालत में देखने की कोशिश करता था और बहुत बार- कामयाब भी हो चुका था लेकिन अभी तक,,, किसी औरत को चोदने का सौभाग्य उसे प्राप्त नहीं हुआ था,,,,,।
ऐसे ही दोनों बड़े से आम के पेड़ के नीचे बैठकर आराम कर रहे थे जो कि बड़े से तालाब के पास में ही था चारों तरफ तालाब जंगली झाड़ियो से घिरा हुआ था,,, सोनू अच्छी तरह से जानता था कि उसका दोस्त सूरज औरतों के मामले में बहुत कच्चा है इसलिए वह बार-बार उसकी खिल्ली भी उड़ाया करता था और इस समय भी वह लगभग लगभग उसका मजाक उड़ाने के अंदाज में बोल रहा था,,,।
यार सूरज तेरे बारे में सोच कर मुझे बहुत चिंता होती है कि तू कैसे जिंदगी में आगे बढ़ेगा,,,
क्यों क्या हुआ तुझे ऐसा क्यों लगने लगा,,,!(हाथ में कंकर उठाकर उसे तालाब में फेंकते हुए सूरज बोला)
अरे क्यों नहीं मैं देखता हूं कि तुझे औरतों में जरा भी दिलचस्पी नहीं होती वह भी इस उम्र में जबकि तुम मुझसे भी ज्यादा मजबूत और तंदुरुस्त लड़का है फिर भी,,,
मजबूत और तंदुरुस्त होने से क्या होता है,,,(सूरज सवालिया भरी नजरों से सोनू की तरफ देखते हुए बोला)
अरे बुद्धू जवान लड़कियां और औरतें मजबूत और तंदुरुस्त बदन वाले मर्दों की तरफ आकर्षित होती है,,, अगर सच कह रहा हूं मैं तेरी जगह होता तो अब तक न जाने कितनी औरतें की चुदाई कर दिया होता,,,।
(सोनू के मुंह से चुदाई शब्द सुनकर सूरज के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी वह आश्चर्य से सोनू की तरफ देखने लगा उसे इस तरह से देखता हुआ पाकर सोनू बोला,,,)
ऐसे क्या देख रहा है मैं सच कह रहा हूं तू तो पागल है औरतों के बारे में जरा भी नहीं सोचता क्या तेरा कभी खड़ा नहीं होता,,,,।
(भले ही सोनू औरतें के मामले में थोड़ा कच्चा था लेकिन संजू के खड़ा होने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था वह शर्मा कर अपनी नजर को दूसरी तरफ घूम लिया यह देखकर सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
यह लो शर्मा गया इसीलिए तो कह रहा हूं कि तेरा क्या होगा कुछ समझ में नहीं आ रहा है अगर तेरी शादी हो गई तो मुझे लगता नहीं है कि तू अपनी औरत को खुश कर पाएगा मुझे ही जाना होगा तेरी औरत के पास,,,
चल बकवास मत कर,,,(सोनू किस बात पर थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए सूरज बोला)
तुझे गुस्सा आ रहा है और मैं सच कह रहा हूं जब तू औरतों के बारे में कुछ जानता ही नहीं है तो अपनी औरत की चुदाई कैसे करेगा और अगर तू चुदाई नहीं करेगा तो तेरी औरत उसे खुश नहीं रहेगी और ऐसे हालात में वह किसी दूसरे मर्द की तरफ अपनी दोनों टांगें खोल देगी और फिर तू देखता ही रह जाएगा,,,,
तू कुछ ज्यादा नहीं बोल रहा है,,,(इस बार फिर से सूरज नाराजगी दर्शाते हुए बोला)
मुझे मालूम है कुछ भी भले ना आता हो लेकिन गुस्सा दिखाने जरूर आता है तुझे मालूम नहीं है की औरतों की जान के बीच कितनी खूबसूरत जगह होती है,,, तुझे तो यह भी नहीं मालूम होगा कि उसे अंग को कहते क्या है,,,?
(सोनू की बातों को सुनकर सूरज के बदन में हलचल सी हो रही थी वह जानता था की औरतों की दोनों टांगों के बीच खूबसूरत जगह होती है और उसे क्या कहते हैं लेकिन कभी उसे अपनी आंखों से देखा नहीं था यहां तक कि वह औरतों की नंगी गांड के भी दर्शन नहीं कर पाया था क्योंकि दूसरे लड़कों की तरह बाहर शाम को या सुबह औरतों को नदी किनारे या झाड़ियों में सोच करते हुए देखने नहीं जाता था,,, वह औरतों की गांड के बारे में इतना सोचता था कि जैसे मर्दों की गांड होती है वैसे ही तो औरतों की भी होती है उसमें अलग क्या है इसीलिए वह इस मामले में बिल्कुल सहज बना रहता था,,,,। और सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
जानता है उसे क्या कहते हैं,,,बुर,,,,,आहहहह इस शब्द को खाने में ही बदन में कितनी उत्तेजना बढ़ जाती है,,,(ऐसा कहते हुए सोनू मदहोशी से अंगड़ाई लेने लगा) कसम से औरतों की बुर में तो स्वर्ग का मजा छुपा हुआ है,,, देख बुर शब्द कह कर ही कितनी गर्मी आ गई शरीर में,,, मेरा तो लंड खड़ा होने लगा,,,,(पजामे के ऊपर से अपने लंड को दबाते हुए बोला) तेरा भी तो (सूरज की पेट में बनते हुए उभार को देखते हुए ) खड़ा हो रहा है,,,।
धत्,,,, देख मुझे यह सब पसंद नहीं है,,,,(सूरज को सोनू की बातें सुनकर उत्तेजना महसूस हो रही थी लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था कि उसके बदन में यह हलचल कैसी हो रही है इस बात का एहसास उसे भी था कि उसका भी लंड खड़ा हो रहा था लेकिन वह सोनू के सामने शर्मा रहा था,,,)
चल अच्छा जाने दे,,,, लेकिन सच कह रहा हूं सूरज तू भी औरतों के मामले में थोड़ी दिलचस्पी लेना शुरू कर दे वरना इन मौके पर ही तेरा लंड खड़ा नहीं होगा और फिर तेरी बदनामी हो जाएगी,,,
बदनामी कैसी,,,,!(सूरज आश्चर्य जताते हुए बोला,,)
देख कहां था ना कि तू सच में बुद्धू है अच्छा जरा सोच,,,, तु औरतों में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहा है और ऐसे में कोई औरत तेरे से मजा लेना चाहती हो मतलब तेरे से चुदवाना चाहती हो,,,(सोनू के मुंह से अपने लिए चुदवाना शब्द सुनकर सूरज की हालत एकदम से खराब हो गई यहां तक की उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा जिसे वह अपने ही थूक से गिला करने की कोशिश करने लगा और सोनू अपनी बात को आगे बढ़ते हुए बोला,,,) मैं तुझे पकड़ कर रख ले घर ले गई या फिर झाड़ियो में खेतों में या कहीं भी जहां पर तुम दोनों के लिए पूरा मौका है,,, बरा धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार रही है पहले अपने ब्लाउज का बटन एक-एक करके खोल रही है तू आंख फाडे उसे देख रहा है,,, वह तेरी तरह मुस्कुरा कर मादक मुस्कान बिखरे हुए अपने लाल लाल होठों को डांट से काटते हुए अपने ब्लाउज का एक-एक बटन खोल रही है और देखते-देखते वह अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर ब्लाउज के दोनों पट को अलग कर दी और तेरी आंखों के सामने अपनी बदमाश्त बड़ी-बड़ी चूचियां छाती उभार कर दिखाने लगी तू पागलों की तरह बस उसकी चूचियों को देखे जा रहा है लेकिन तेरी हिम्मत नहीं हो रही है कि अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी चूची को हाथ से पकड़ ले और इसी इंतजार में वहां औरत तुझे देख रही है लेकिन तु कुछ नहीं कर रहा है,,, जब वह समझ जाएगी कि तू अपने आप से कुछ नहीं करने वाला है तो वह अपना हाथ आगे बढ़कर तेरे हाथ को पकड़ कर तेरी दोनों हथेलियां को अपनी दोनों चूचियों पर रखकर खुद ही तेरे हथेली पर अपनी हथेली रखकर दबाना शुरू कर देती हैं तू पागल हो जाता है यहां एक तरफ तो उसकी चूची दबा रहा है और वहां दूसरी तरफ अपना हाथ नीचे ले जाकर पजामे के ऊपर से ही तेरा लंड पकड़ कर दबाना शुरू कर देती है तो मदहोश हो जाता है लेकिन वह चाहती है कि तू उसकी चूची को अपने मुंह में लेकर जोर-जोर से पिए कसकस के उसका रस निकालकर पिए,,,, लेकिन इसमें भी तू नाकाम रहता है और इसलिए वह खुद ही तेरे सर पर हाथ रखकर तेरे बालों को कस के पकड़ कर तेरा मुंह अपनी चूचियों के बीच दबा देता है और तेरे होठों को अपनी चूची के छुहारे पर लगाकर खुद ही तुझे पीने के लिए बोलती है,,,,, तू औरतों के बारे में कुछ जानता ही नहीं इसलिए तुझे नहीं मालूम है कि क्या करना है लेकिन उसके कहने पर तू उसके छुहारे को मुंह में लेकर पीना शुरू कर देता है लेकिन कैसे पीना है यह भी तो नहीं जानता वह उत्तेजना से मेरी जा रही होती है और तू अपनी हरकत से उसे गुस्सा दिलाता है क्योंकि जब एक मर्द को औरत को कैसे खुश किया जाता है मैं मालूम होता है तो ऐसे ही हालात पैदा होते हैं वह अपनी मर्जी से तुझे अपनी चूची चुसवाती है,,,।
(सोनू किस तरह की बातें सुनकर सूरज के बदन में आग लग जाती हो पागलों की तरह गहरी गहरी सांस लेने लगता है सोनू के कहे अनुसार वह भी अपने मन में कल्पना करने लगता है कि कैसे-कैसे सब कुछ हो रहा है,,,)
वह औरत अभी भी पजामे के ऊपर से ही तेरा लंड पकड़ कर दबा रही है वह इस बात से खुश है कि तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा तगड़ा और लंबा है बहुत जल्दी से जल्दी उसे अपनी बुर में लेकर चुदवाना चाहती है,,, और देखते ही देखते वहां अपनी साड़ी और अपनी पेटिकोट पकड़कर उसे कमर तक उठाना शुरू कर देती है,,,, तू पागलों की तरह उसकी हरकत को देखता रह जाता है उसकी जवानी देखकर तेरी आंखें फटी की फटी रह जाती है वह खूबसूरत जवानी से भरी हुई औरत देखते ही देखे अपनी साड़ी को कमर तक उठा देती है उसकी दोनों टांगों के बीच उसकी खुली हुई बुर देखकर तेरी आंख और ज्यादा फट जाती है तो पागल हो जाता है क्योंकि तू औरत के उसे अंग को जिसे बुर कहा जाता है वह पहली बार देख रहा होता है,,,, तुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम है कि औरत की बुर के साथ क्या किया जाता है तु बस उसे देखता रह जाता है,,,, और फिर वह तुझे पजामा उतारने के लिए बोलती है,,, और तुझे इसमें भी बहुत शर्म आती है और तू आंख फाड़े बस खड़ा रह जाता है वह औरत तेरी हरकत से अंदर ही अंदर गुस्सा करती है लेकिन इस बात का संतोष उसके मन में होता है कि तू अपने मोटे लंड से उसकी जमकर चुदाई करेगा और फिर वह यह काम भी अपने हाथों से करती है तेरे पजामे को अपने हाथों से खींचकर घुटनों तक कर देती है,,,,।
तेरे मोटे तगड़े लंड को देखकर उसकी आंखों में चमक आ जाती है वह पागल हो जाती है और वह अपने मन में सोचती है कि आज उसकी बुर की खैर नहीं है लेकिन तेरी हरकत देखकर इतना तो समझ जाती है कि तुझे कुछ नहीं आता इसलिए वह अपनी साड़ी को कमर तक उठाए हुए तेरी तरफ अपनी गांड करके खड़ी हो जाती है और थोड़ा सा छूकर अपनी बड़ी-बड़ी गांड को तेरी आंखों के सामने तेरे आगे परोस कर बोलता है कि तुझे उसकी बुर के गुलाबी छेद में अपना लंड डालना है,,,, और फिर वह इस तरह से झुकी हुई पीछे की तरफ नजर करके तुझे अपनी तरफ आने के लिए बोलता है तू पागलों की तरह उसे देखता ही रह जाता है,,,,।
तेरी हरकत उसे और ज्यादा गुस्सा दिलाती है लेकिन वह मजबूर होती है क्योंकि वह पूरी तरह से प्यासी हो जाती है तुझसे चुदवाने के लिए,,, और फिर वह खुद अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर तेरे कुर्ते को पकड़ कर अपनी तरफ खींचती है और तुझे अपनी गांड के पीछे खड़ा रहने के लिए बोलती है तू पागलों की तरह जाकर बस उसके पीछे खड़ा हो जाता है,,,, क्योंकि तुझे नहीं मालूम है कि तुझे क्या करना है तंग आकर वह अपनी दोनों टांगों के बीच से अपना हाथ पीछे की तरफ ले जाकर तेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है उसकी नजर नरम उंगलियों का स्पर्श पाते ही जैसे कि तेरा लंड बहुत ज्यादा मोटा और तगड़ा महसूस होने लगता है उसके हाथ में तेरा लंड और ज्यादा फूलने लगता है,,, वह इस उम्मीद में पागल हुई जाती है कि तू उसकी बुर में अपना लंड डालकर उसकी प्यास अच्छे से बुझा पाएगा,,,।
(पहली बार सूरज इस तरह की बातों में दिलचस्पी ले रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था सोनू की हर एक बात में उसे उत्तेजना महसूस हो रही थी वह पागल हुए जा रहा था ऐसा लग रहा था कि सब कुछ उसकी आंखों के सामने हो रहा है और वह कल्पना करने लगता था कि वह जिस औरत के बारे में बात कर रहा है वह उसे खेतों में ले जाकर के उसके साथ इस तरह का संबंध बनाने की कोशिश कर रही है और सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
तेरा दिल जोरो से धड़क रहा है उससे भी कहीं ज्यादा जोरों से दिल उसे औरत का धड़क रहा था जो तेरे लंड को अपने हाथ में लेकर अपनी बुर में डालने की कोशिश करने जा रही थी इससे पहले तूने औरतों के साथ कभी संबंध नहीं बनाया था इसलिए तुझे कुछ भी अनुभव नहीं है की औरत की चुदाई कैसे की जाती है इसलिए तो पागलों की तरह बस खड़ा रहता है और वह औरत तेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर अपनी गुलाबी छेद में सटाकर तुझे रास्ता दिखाने की कोशिश करती है,,, और जैसे ही तेरे लंड का सुपाडा उस औरत की गुलाबी छेद से टकराता है ,, स्पर्श होता है उससे थोड़ा सा रगड़ खाता है तू अपना काबू एकदम से खो बैठता है तू पागल हो जाता है पहली बार तेरे लंड का स्पर्श औरत की बुर से होता है और यहीएहसास तुझे पागल कर देता है और फिर तू अपने आप पर बिल्कुल भी काबू नहीं कर पाता और तेरे लिए जैसे पिचकारी निकल जाती है और तू पागलों की तरह झड़ते हुए उसकी बड़ी-बड़ी गांड पर दोनों हाथ रखकर पड़कर खड़ा हो जाता है,,,,,तेरी इस हरकत पर उसे औरत के तो अरमान पर पानी फिर जाता है वह तेरे लंड को अपनी बुर में लेना चाहती थी लेकिन तू तो बुर के मुख्य द्वार पर ही ढेर हो जाता है,,, वह औरत पागल हो जाती है और गुस्से में तुझे भला बुरा कह कर वहां से चली जाती है क्योंकि तू उसकी जवानी की प्यास बुझा नहीं पाता और तू खड़ा होकर उसे जाते हुए देखता रह जाता है और पता यह सब क्यों होता है,,,,।
(सोनू की बातें सुनकर सूरज एकदम मदहोश हो चुका था वह उसके सवाल का जवाब देने में असमर्थ था इसलिए सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखने लगा तो सोनू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,)
क्योंकि तू औरतों को खुश करना नहीं जानता औरतों के साथ चुदाई नहीं किया है औरतों की बुर अपनी आंखों से भी देखा है ना तो उनकी गांड देखा है तब भला तो कैसे एक औरत को खुश कर सकता है और जो मैंने बताया तेरा हाल भी वही होने वाला है,,,।
(सोनू की बातें सुनकर वह कुछ देर खामोश रहता है लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि सोनू बात ही बात में उसका मजाक उड़ा रहा है भले ही उसकी बातें सुनकर सूरज के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी लेकिन वह जानता था कि सोनू उसके भोलेपन का मजाक उड़ा रहा है इसलिए वह गुस्सा दिखाते हुए बोला,,,)
तू हमेशा इसी तरह की बात करता है तू बैठ यहां मैं जा रहा हूं,,,,(इतना कहकर सूरज अपनी जगह से खड़ा हुआ ही था कि सोनू तुरंत उसका हाथ पकड़ कर बैठाते हुए बोला,,,)
क्या यार तू भी नाराज हो जाता है,,,, दोस्तों में इस तरह की बातें तो होती ही रहती है,,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर तालाब के दूसरे छोर पर गई तो वहां पर उसे एक औरत आती हुई नजर आई और उसे देखकर उसके चेहरे पर खुशी के भाव नजर आने लगे और वह प्रसन्न होते हुए सूरज से बोला,,,)
अच्छा चल तुझे कुछ दिखाता हूं,,,
अब क्या दिखाएगा,,,!(सूरज आश्चर्य जताते हुए बोला)
अरे तू चल तो सही,,,(इतना कहते हुए सोनू अपनी जगह से खड़ा हुआ और सूरज का हाथ पकड़ कर उसे भी खड़ा कर दिया और उसे लेकर सोनू तालाब के दूसरे छोर पर दबे कदमों से जाने लगा,,,)
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट हैसोनू सूरज को अच्छी तरह से जानता था उसके व्यक्तित्व से भी अच्छी तरह से वाकिफ था,,, इसीलिए तो औरतों के प्रति उसकी शर्म को देखकर वह आने वाले समय के बारे में उसे आगाह कर रहा था,,,, लेकिन सोनू किस तरह की बातों को सुनकर सूरज के तन-बदन में बहुत ही उम्मादक हलचल होने लगी थी जिसके चलते उसका लंड खड़ा हो चुका था,,, और जिस तरह से उसने बयान किया था कि अगर किसी भी औरत ने उसे चोदने के लिए अपने साथ ले गई तो आखिर में क्या होगा,,, सोनू के मुंह से अपने लिए औरत के साथ की निष्फलता के बारे में सुनकर सूरज को गुस्सा तो आया था लेकिन उसके मुंह से सुनी हुई बात उसे बेहद उत्तेजित कर गई थी हालांकि वह इस तरह की बातों में बिल्कुल भी रुचि नहीं रखता था लेकिन सोनू उसका खास मित्र था,,, इसीलिए वह सोनू की बात को ध्यान से सुन भी रहा था और उसकी बातों का आनंद भी ले रहा था,,,,।
आखिरकार सूरज जब गुस्सा होकर वहां से जाने लगा तो सोनू तालाब के दूसरे छोर पर एक खूबसूरत औरत को घनी झाड़ियां की तरफ जाते हुए देख लिया था वह लपक कर सूरज का हाथ पकड़ लिया और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा अब तक सूरज को नहीं मालूम था कि वह कहां ले चलने के लिए बोल रहा है लेकिन दोस्त होने के नाते वह उसके साथ चलने लगा,,, सोनू का यह नित्य कर्म था वह हमेशा औरतों की ताक झांक में लगा रहता था,,, कब कैसे औरत का कौन सा अंग उसे नजर आ जाए इसी में वह रुचि लिया करता था और इसीलिए घंटे कहीं भी बैठकर औरतों का इंतजार करता था खास करके इसी जगह पर जहां से औरतों का गुजरना होता था सोच के लिए,,, क्योंकि यही एक ऐसा पल होता है जब सोनू चोरी छुपे औरत के अंगों को अपनी आंखों से देख कर अपने हाथ से ही अपना लंड हिला कर अपनी गर्मी शांत करने की कोशिश करता था,,,, सही मायने में देखा जाए तो सोनू का चरित्र कुछ ठीक नहीं था और वह यह काम गांव के और भी दूसरे हमारा लड़कों के साथ मिलकर किया करता था लेकिन ज्यादातर उसे अकेले में ही मजा आता था लेकिन आज वह सूरज को भी इस काम में शामिल करने की सोच लिया था इसीलिए तो वह उसका हाथ पकड़ कर आगे आगे चलने लगा,,,।
देख आराम से चल बिल्कुल भी शोर मत करना और बात तो मुझे बिल्कुल भी मत करना जैसा मैं कह रहा हूं वैसा ही करना फिर देखना तुझे कैसा नजारा दिखाता हूं,,,,(सोनू इस तरह से सूरज का हाथ पकड़े आगे आगे धीरे-धीरे कदम रखते हुए बढ़ रहा था)
बता तो सही कहां लेकर चल रहा है,,,?
जहन्नुम में नहीं लेकर जा रहा हूं मैं तुझे स्वर्ग का आनंद लेने के लिए लिए जा रहा हूं देखना तुझे इतना मजा आएगा कि रोज मेरे साथ इस तरह से चला आएगा,,,।
तेरी बातें मुझे कुछ समझ में नहीं आती हमेशा उल्टा-सुलता काम करते रहता है,,,
उल्टा-सुलता काम करते रहता हूं तभी तो मजा लूट रहा हूं तेरी तरह होता तो पागल हो जाता,,,,
चल रहने दे मुझे इस तरह का काम नहीं करना है मैं अपने आप में ही खुश हूं,,,
तभी तो कहता हूं समय रहते कुछ सीख ले वरना शादी के बाद जो मैंने कहा हूं ना वैसा ही होगा लात मार के औरत चली जाएगी किसी दूसरे के पास फिर बजाते रहना गुनगुना,,,, अब कुछ बोलना नहीं,,,,।
(इतना कहने के साथ ही सोनू सूरज का हाथ पकड़ कर धीरे-धीरे कदम रखने लगा क्योंकि वह दोनों जहां से गुजर रहे थे वहां पर पेड़ की सूखी पत्तियां ढेर सारी बिजी हुई थी जिसकी वजह से उसे पर पैर रखने से उसमें आवाज उत्पन्न हो रही थी और ऐसा होने से दूसरी तरफ की औरत का ध्यान उन दोनों की तरफ जा सकता था और ऐसा होने नहीं देना चाहता था सोनू इसलिए बहुत ही संभलकर कदम रखने के लिए इशारे में ही सोनू ने सूरज को बोल दिया था,,,, अब तक सूरज को सोनू उसे कहां ले जा रहा है इस बारे में कोई खास खबर नहीं थी बस वह उसका हाथ पकड़े पीछे-पीछे चला जा रहा था,,,,और दूसरी तरफ वह औरत इस बात से बेखबर की उसके पीछे दो जवान लड़के चले आ रहे हैं वह अपनी ही धुन में झाड़ियों में चली जा रही थी,,,।
थोड़ी देर बाद वह औरत घनी झाड़ियों के बीच पहुंचकर वहां रुक गई,,,, और उसे इस तरह से रुकते देखकर सोनू भी खुद को और सूरज को घनी झाड़ियां के पीछे छुपा लिया था और उसे रोकने के लिए बोला था वह औरत गांव की ही थी लेकिन सूरज उसे पहचान नहीं पा रहा था लेकिन सोनू उसे अच्छी तरह से जानता था और वह जानता था कि इस समय वह औरत यहां पर जरूर आती है इसलिए वह यहीं पर हमेशा रुक कर उसका इंतजार किया करता था,,,,
यहां पर करना क्या है,,,?(सूरज आश्चर्य जताते हुए बोला)
सईईईईई,,,(उंगली को अपने होंठ पर रखकर उसे शांत रहने का इशारा करते हुए सोनू धीरे से बोला,,,) तुझे करना कुछ नहीं है बस देखना है इसलिए कुछ बोल मत ,,,,(सोनू का इशारा पाकर सूरज की एकदम खामोश हो गया वह भी उसे औरत की तरफ देखने लगा लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यहां होने क्या वाला है इसलिए धीरे से बोला)
अरे इतना तो बता उस औरत के पीछे क्यों मुझे लेकर आया है,,,,
तू सवाल बहुत पुछता है तुझे कह रहा हूं सिर्फ देखने के लिए थोड़ी देर में तुझे सब पता चल जाएगा कि मैं तुझे यहां किस लिए लेकर आया हूं,,,,।
(सोनू कि ईस तरह की बात सुनकर सूरज फिर से खामोश हो गया और वह भी झाड़ियों के पीछे छुपकर उसे औरत की तरफ देखने लगा क्योंकि उन दोनों की तरफ पीठ करके खड़ी थी,,,, उसका चेहरा नहीं दिख रहा है था इसलिए सूरज उसे पहचान नहीं पा रहा था,,,,,, सोनू के साथ-साथ सूरज का दील भी जोरों से धड़क रहा था सोनू का दिल तो उत्तेजना के मारे धड़क रहा था क्योंकि वह जानता था कि कुछ भी देर में क्या होने वाला है लेकिन सूरज का दिल थोड़ी घबराहट की वजह से धड़क रहा था क्योंकि उसे नहीं मालूम था कि यहां वह क्या कर रहा है और वह भी एक औरत को चोरी चुपके देख कर होने क्या वाला है,,,,।
सोनू और सूरज दोनों झाड़ियों के पीछे छुप कर उसे औरत की क्रियाकलाप को देख रहे थे,,, और वह औरत घनी झाड़ियां के बीच खड़ी होकर इधर-उधर देख रही थी अब तक सूरज ने उसे औरत का चेहरा नहीं देख पाया था इसलिए वह नहीं जानता था कि वह औरत कौन है लेकिन इतना तो जानता ही था कि जो कोई भी है उसके गांव की ही है,,,, कुछ देर तक वह औरत इधर-उधर चारों तरफ नजर घुमा कर पूरी तसल्ली कर लेने के बाद अपने दोनों हाथों को अपनी जांघों तक की साड़ी को हल्के से पकड़ ली,,, और यह देखकर सोनू का दिल जोरो से धड़कने लगा और जिस तरह से वह औरत ने अपने दोनों हाथ को दोनों तरफ करके साड़ी को पकड़ कर रखी थी थोड़ा-थोड़ा सूरज को भी अंदाजा होने लगा कि वह औरत क्या करने वाली है इसलिए उसका भी दिल बड़े जोरों से धड़कने लगा,,,, और उन दोनों की आंखों के सामने वह औरत धीरे-धीरे अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठने लगी और इस बीच वह चारों तरफ नजर घुमा कर देख भी ले रही थी कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है लेकिन वह कहां जानती थी कि ठीक उसके पीछे घनी झाड़ियों में दो जवान लड़के उसकी हर एक हरकत पर कड़ी निगरानी रखे हुए हैं,,,, उस औरत को धीरे-धीरे साड़ी को ऊपर की तरफ उठता देख कर सोनू एकदम से खुश होता हुआ बोला,,,।
अब आएगा असली मजा अब देखना सूरज तू पागल हो जाएगा इस नजारे को देखकर,,,,
तेरी बातें मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही है,,,
सब कुछ समझ में आ जाएगा ,,, बस तू देखता जा,,,।
(अब सूरज का भी दिल बड़े जोरों से धड़कने लगा था क्योंकि उसकी आंखों के सामने वह औरत अपनी साड़ी को घुटनों तक उठा दी थी इतना तो वह समझ ही गया था कि वह औरत क्या करने वाली है आज तक सूरज में औरत के इस क्रियाकलाप को अपनी आंखों से कभी नहीं देखा था,,,, और ना ही इस तरह के नजारे को देखने की कभी उसने कोशिश भी किया था और ना ही कभी उत्सुक था लेकिन आज जो कुछ भी हो रहा था उसके साथ पहली बार हो रहा था इसलिए उसके मन में अजीब सी बेचैनी हो रही थी देखते ही देखते वह औरत अपनी साड़ी को मोटी मोटी जांघों तक उठा दी थी,,, घुटनों तक तो ठीक था उसे औरत की मोटी मोटी चिकनी गोरी जांघों को देखकर सूरज के बदले में उत्तेजना का असर होने लगा उसकी दोनों टांगों के बीच लटक रहे हथियार में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि आज तक उसने औरत का यह रूप नहीं देखा था आज उसकी मोती मोती जांघों को देखकर उसकी आंखें चमक रही थी सोनू के लिए तो यह रोज का था ,, ।)
यार सूरज यह औरत क्या करने जा रही है,,,(सूरज उत्सुकता दिखाते हुए बोला)
अबे साले अगर मैं सब कुछ बता दूंगा तो देखने में मजा नहीं आएगा इसलिए तो सिर्फ अपनी आंखों से देखता रहे,,,,।
(सोनू का जवाब सुनकर सूरज फिर खामोश हो गया और अपनी नजरों को उसे औरत की क्रियाकलाप पर एकदम से गड़ा दिया हालांकि सूरज को इस तरह का नजारा देखने की रुचि तो बिल्कुल भी नहीं थी लेकिन बढ़ती उम्र के साथ-साथ उसके बदन में इस तरह के नजारे को देखकर अजीब सी हरकत हो रही थी क्योंकि वह भी पूरी तरह से जवान हो चुका था औरत का हल्का सा नंगा बदन देखकर भी कोई भी जवान लड़के का लंड खड़ा हो जाता है,,, और इस प्राकृतिक असर से सूरज भी बाकात नहीं था,,,, झाड़ियां के बीज खड़ी उसे औरत को तो अंदाजा भी नहीं था कि उसके क्रियाकलाप को दो जवान लड़के अपनी आंखों से देख कर उत्तेजित हो रहे हैं वह तो अपने ही धुन में थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी लेकिन वह चारों तरफ नजर घूमा कर पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद ही बैठना चाहती थी क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि कोई उसे इस हालत में देखें वैसे भी गांव की औरतों में शर्म हया कुछ ज्यादा ही कूट-कूट कर भरी होती है,,,,।
अभी तक उसे औरत की साड़ी केवल मोंटी मोटी जांघों तक पहुंची थी और वह चारों तरफ नजर घूमा कर आखिरी बार तसल्ली कर लेना चाहती थी,,, और जब उसे इस बात की तसल्ली हो गई की कोई उसे देख नहीं रहा है तो वह धीरे से अपनी साड़ी का आखिरी पर्दा उठाते हुए उसे कमर तक ले गई और कमर तक साड़ी ले जाने के बाद जो नजर सूरज की आंखों के सामने नजर आया उसे देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई वह कभी सोच नहीं सकता था कि वह इस तरह के नजारे को कभी अपनी खुली आंखों से देख पाएगा,,,,।
आश्चर्य से सूरज का मुंह खुला का खुला रह गया था और आंखें फटी की फटी रह गई थी आज पहली बार सूरज अपनी आंखों के सामने किसी औरत की नंगी गांड को देख रहा था और वह भी बहुत खूबसूरत गोरी गोरी गोल गोल तरबूज की तरह अब तक भले ही साड़ी के ऊपर से सूरज ने इस बात का एहसास किया था औरतों के नितंबों के बारे में लेकिन आज पहली बार अपनी आंखों से एक नंगी गांड के दर्शन कर रहा था और पहली बार उसके भूगोल के बारे में अवगत हुआ था इसीलिए वह पूरी तरह से मदहोश हो चुका था उसे औरत की नंगी गांड देखकर उसकी आंखों में चमक नजर आ रही थी गांड की दोनों आंखों के बीच की पतली दरार उसे किसी पहाड़ों के बीच गिरने वाले झरने से काम नहीं लग रही थी,,,, सूरज से कुछ बोला नहीं जा रहा था वह बस फटी आंखों से अपनी आंखों के सामने के नजारे को देख रहा था,,, पहली बार वह किसी औरत के अंग से रूबरू हो रहा था और वह भी औरत की खूबसूरती में चार चांद लगाते उसके गोल-गोल नितंबों से,,,,, सूरज कुछ बोलना नहीं चाह रहा था लेकिन अनजाने में ही उसके मुंह से निकला,,,
बाप रे,,,,,(इतना कह कर वह खामोश हो गया लेकिन उसकी यह बात सुनकर सोनू उसकी तरफ देखता हुआ बोला,,,)
हो गया ना पागल मैं कह रहा था ना तुझे स्वर्ग का नजारा दिखाऊंगा,,,, पहली बार देख रहा है ना यह सब,,,,
सच में पहली बार देख रहा हूं,,,,।
(सूरज के तो पलक नहीं झक रही थी वह एक तक उसे नजारे को देख रहा था सामने खड़ी औरत अपनी नंगी गांड पर दोनों हथेली रखकर हल्के से खुजलाने लगी यह देखकर सूरज के तन बदन में अजीब सी लहर उठने लगी उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका है जिसे वह पजामे के ऊपर से टटोल कर कर देख रहा था,,, और पहली बार उसे अपने लंड को पजामे के ऊपर से पकड़ने में भी अच्छा लगा,,,, उसे औरत का अपनी नंगी गांड दिखाने का प्रदर्शन केवल कुछ क्षण का ही था लेकिन इतने में ही सूरज पूरी तरह से दीवाना हो गया था वह पागल हो गया था औरत की पहली बार नंगी कहां देख कर उसे इस बात का एहसास हुआ था कि औरत वाकई में अंदर से कितनी खूबसूरत होती है और वह औरत जल्दी से बैठ गई थी पेशाब करने के लिए,,,, हालांकि बैठने के बाद उसकी नंगी गोरी की कहां कुछ खास नजर नहीं आ रही थी लेकिन तभी सूरज ने एक मधुर कहानी पर गौर किया जो उसके कानों तक बड़े आराम से पहुंच रही थी उसे आवाज को सुनकर धीरे से सूरज ने सोनू से बोला,,,)
यार यह आवाज कैसी है,,,!(सूरज के सवाल में भोलापन था सोनू इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि सूरज को इस आवाज के बारे में भी ज्यादा कुछ खबर नहीं होगी इसलिए वह मुस्कुराता हुआ बोला,,,)
तुझे नहीं पता वह औरत पेशाब कर रही है और उसकी बुर से पेशाब की धार बाहर निकल रही है जिसकी वजह से उसकी बुर से सिटी की आवाज आ रही है,,,,।
(औरत के इस सहज क्रिया के बारे में सुनना और देखना सूरज के लिए बिल्कुल नया था इसलिए उसके बदन में एक अजीब सी लहर उठ रही थी पहली बार उसे इस बात का ज्ञान हो रहा था कि औरत जब पेशाब करती है थी उसकी बुर से इस तरह की सिटी की आवाज आती है हालांकि अभी तक सूरज ने औरत की बुर के दर्शन नहीं किए थे वैसे तो गांड के दर्शन भी नहीं किए थे लेकिन आज सोनू की मेहरबानी सेवा औरत की नंगी गांड के दर्शन कर चुका था और इसे देखकर वह पागल हो चुका था तो बुर देखने के बाद उसकी क्या हालत होती इस बारे में सोच कर ही उसका पसीना छूट रहा था,,,)
बाप रे मैं तो यह सब जानता ही नहीं था,,,,
इसीलिए तो कहता हूं कुछ सीख ले इसलिए तुझे जबरदस्ती यहां लेकर आया हूं ताकि मेरा नाम मिट्टी में ना मिला दे कि सोनू का दोस्त होने पर भी उसे कुछ नहीं मालूम था,,,,।
(उसे औरत की बुर से निकल रही सिटी की आवाज अभी तक दोनों के कानों में गूंज रही थी,,,,,, तभी सूरज के कानों में कुछ और आवाज आने लगी वह सोनू की तरफ देखा तो हक्का-बक्का रह गया उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सोनू इस तरह की हरकत करेगा वहां सोनू की दोनों टांगों के बीच देखा तो उसकी हालत खराब हो गई सोनू बैठे-बैठे ही अपने लंड को पजामे से बाहर निकाल कर उसे हिलाना शुरू कर दिया था,,,, सोनू की यह हरकत उसकी है क्रियाकलाप सूरज के तन बदन में अजीब सी हलचल पैदा कर गई वह पागलों की तरह कभी झाड़ियां की तरफ देखा तो कभी सोनू की तरफ देखा सोनू अपने खड़े लंड को जोर-जोर से हिला रहा था और ऐसा लग रहा था कि जैसे बुरे से निकलने वाली सिटी की आवाज में पूरी तरह से मदहोश हो चुका है,,,, सूरज से रहा नहीं गया और वह बोला,,,/)
यह क्या कर रहा है सूरज,,,,
मजा ले रहा हूं मेरे दोस्त,,,,(इतना कहते हुए सोनू जोर-जोर से अपने लंड को मुठिया रहा था और तभी वह औरत पेशाब करने के बाद तुरंत खड़ी हो गई और खड़ी होने के बाद भी सूरज उसकी नंगी को देखकर पागल हो गया और वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,,, पेशाब करने के बाद वह औरत हल्के से अपनी दोनों टांगों को खोलकर अपनी पेटीकोट से ही अपनी बुर वाली दरार को साफ करने लगी हालांकि इतनी दूर से सूरज को उसे औरत की बुरे तो नजर नहीं आ रही थी बस हल्की-हल्की गुलाबी रंग का हल्का सा हुआ हिस्सा नजर आ रहा था जो की गांड के गोरे रंग से हल्का दबा हुआ था,,,,, सूरज इस नजारे का और ज्यादा आनंद ले पाता इससे पहले ही उसे औरत ने अपनी साड़ी को कमर से नीचे गिरा दी और एक खूबसूरत उन मादक दृश्य पर पर्दा गिर गयाऔर तभी वह देखा कि सोनू के लंड से तेज पिचकारी निकाली और वह जोर-जोर से अपने लगा हालांकि एक जवान लड़का होने के बावजूद भी सूरज को इस बात का ज्ञान नहीं था कि और दो के लंड से यह क्या निकलता है,,,,, और वह औरत पेशाब करने के बाद वापस होने लगी तो उसका चेहरा देखकर सूरज को एकदम झटका सा लगा और वह बोला,,,)
बाप रे यह तो तेरी चाची है,,,,
जानता हूं,,,,(गहरी सांस लेते हुए सोनू अपने लंड को वापस पजामे में डाल दिया,,, सोनू की बात सुनकर सूरज एकदम आश्चर्यचकित हो गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि अपनी ही चाची को किस तरह से चोरी छिपे देखकर इस तरह की गंदी हरकत सोनू करता है,,, )
यह तो मेरे रोज का है कोई अनजाने में मैं उसे औरत के पीछे-पीछे थोड़ी आया था मैं जानता था कि वह मेरी चाची है लेकिन देखा नहीं कितनी खूबसूरत गांड है मेरी चाची की एक बार चोदने को मिल जाए तो मजा आ जाए,,,,।
(सोनू किस तरह की बातों को सुनकर सूरज एकदम हैरान था वह नजर उठा कर उस औरत की तरफ देखा तो वह दूसरी तरफ से जा चुकी थी और वह एकदम हैरान होते हुए बोला,,,)
सोनू तुझे शर्म नहीं आती अपनी चाची के बारे में इस तरह की बात करते हुए,,,,
तभी तो मैं कहता हूं सूरज तू एकदम पागल है,,,, इसमें क्या हो गया अगर अपनी चाची को देखता हूं तो तू नहीं जानता मैं अपनी चाची को चुदवाते हुए भी देख चुका हूं तभी से मेरा मन चाची को चोदने को करता है,,,,
लेकिन सोनू वह तेरे घर की है,,,
अरे पागल घर की औरतों को इस तरह से देखने में जो सुख मिलता है वह सुख कहीं नहीं मिलता कसम से मैं तो दिन रात चाची को चोदने की फिराक में रहता हूं लेकिन मेरे हाथ नहीं लगती इतना जबरदस्ती दोनों टांगें खोलकर चुदवाती है कि पूछो मत,,,, मैं चाहता हूं तुझे यह सब सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा है लेकिन मेरी तरह अगर तू भी अपने घर पर ध्यान देने लगेगा ना तुझे भी सब कुछ अच्छा लगने लगेगा,,,
अपनी मां को भी इसी तरह से देखता है,,,,
एक बार अनजाने में देख लिया था ,,, रात को पेशाब करने के लिए उठा तो मां के कमरे से कुछ अजीब सी आवाज आ रही थी मैं खिड़की से अंदर देखा तो देख कर दंग रह गया,,,
क्या देखा,,,?
मैंने देखा कि पिताजी खटिया पर एकदम नंगे लेते हैं और अपने लंड को हिला रहे हैं और मां धीरे-धीरे अपने कपड़े उतार कर नंगी हो रही है और थोड़ी देर में मेरी मां पूरी तरह से नंगी भी हो गई लेकिन वह खटिया पर मेरे पिताजी के पास जाती उससे पहले भी लालटेन बुझा दी,,,,,(इतना कहकर सोनू हंसने लगा और उसे आश्चर्य से देखकर सूरज बोला,,,)
पक्का मादरचोद है तू,,,,
मेरे साथ रहेगा तो तू भी बन जाएगा,,,, चल अब यहां रुकने से कोई फायदा नहीं है,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है, सोनू ने जो कुछ भी सूरज को दिखाया था उसे देखकर सूरज के मन में हलचल सी मचने लगी थी सूरज ने आज तक इस तरह के दृश्य को कभी अपनी आंखों से देखा नहीं था और ना ही कभी देखने की कोशिश किया था क्योंकि उसे इन सब से कोई वास्ता नहीं था वह अपने आप को ही सब चीजों से दूर ही रखना चाहता था लेकिन सोनु उसका बहुत ही खास मित्र था जिसके कहने पर वह उसके पीछे-पीछे चल दिया था,,,,,, और जब वह झाड़ियों के पीछे लेकर गया और वहां से जो नजर उसने दिखाया उसे देखकर तो सूरज के होश उड़ गए थे सोनू ने उसे एक खूबसूरत औरत की बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन कराए थे और वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी चाची ही थी यह जानकर तो सूरज और ज्यादा हैरान हो गया,,,।
सूरज कभी सोचा नहीं था कि वह इस तरह से किसी औरत को नंगी देखेगा और वह भी चोरी छुपे जहां एक तरफ उसके बदन में इस तरह के नजारे को देखकर सिरहन से दौड़ रही थी वहीं दूसरी तरफ,,, उसे इस बात का डर भी था कि कहीं कोई उसे देख ना ले,,,,, कुछ देर के लिए एक औरत की नंगी गांड को देखकर और खास करके उसे पेशाब करती हुई देखकर सूरज का भी लंड खड़ा हो गया था,,, लेकिन आज तक उसने अपने लंड को मुठिया कर अपनी गर्म जवानी का रस बाहर नहीं निकला था लेकिन इसके विपरीत सोनू उसकी आंखों के सामने ही अपनी चाची की नंगी गांड देखकर अपना लंड हिला कर अपना पानी निकाल दिया था यह सब सूरज के लिए बिल्कुल नया था,,, और तो और सूरज के लिए यह भी हैरान कर देने वाला था कि वह खुद अपनी मां की चुदाई देख चुका था अपने पिताजी के साथ जो कि इस बारे में कभी सूरज सपने भी सोच नहीं सकता था लेकिन सोनू बेझिझक बेशर्मी की सारी हद पार करते हुए उसे सब कुछ बता दिया था,,,।
वहां से तो सूरज अपने घर पर आ चुका था लेकिन सोनू ने जो कुछ दिखाया था जो कुछ बताया था वह उसके दिमाग में एकदम घर कर गया था और से इस बात का भी एहसास हो गया था कि औरत को नंगी अवस्था देखने में कितना मजा आता है यह उसका पहला अनुभव था और पहला अनुभव में वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, इसके बाद से वह कभी कभार अपनी मां को देखने की कोशिश करता था लेकिन कभी उसे ऐसा मौका नहीं मिला जब वह अपनी मां को नग्न अवस्था में या अर्ध नग्न अवस्था में देख सके,,, हालांकि अब उसे अपनी मां की खूबसूरत बदन के अंगों का उभार समझ में आने लगा था अपनी मां की कमर पर कई हुई साड़ी के अंदर नितंबों की गोलाई का आभास उसे होने लगा था लेकिन जल्द ही वह अपने मां पर काबू कर लिया था क्योंकि वह जानता था जो कुछ भी वह कर रहा है वह गलत है इसलिए अपना मन वहां किसी और चीज में लगाकर अपने मन से इन सब बातों को निकालने की कोशिश करता था और लगभग लगभग वह इन सब बातों से आजाद भी हो चुका था,,,,।
ऐसे ही एक दिन वहां खेतों की तरफ जा रहा था तो एक तरफ मुखिया के खेतों में काम चल रहा था वही बड़े से पेड़ के नीचे मुखिया की बीवी बैठी हुई थी,,, वैसे तो सूरज मुखिया की बीवी को ठीक से जानता नहीं था बस एक दो बार ही मुलाकात हुई थी और इतना ही जानता था कि वह मुखिया की बीवी है और एक दिन रात को भी उसकी मुलाकात खेतों पर हुई थी जब वह अपने पिताजी को ढूंढते हुए खेत पर चला गया था और गन्ने के खेत में उसके पिताजी और मुखिया की बीवी कम कर रहे थे लेकिन सूरज को इस बात का जरा भी भनक तक नहीं लगा था कि गन्ने के खेत में रात के समय उसके पिताजी एक खूबसूरत औरत के साथ क्या कर रहे हैं बात आई गई हो गई थी लेकिन यहां पर अपने रास्ते से गुजरते हुए वह मुखिया की बीवी को देखकर आदर पूर्वक नमस्कार किया उसके इस व्यवहार से मुखिया की बीवी भी खुश हुई,,, और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,।
खुश रहो यहां कहां जा रहे हो,,,
कहीं नहीं बस ऐसे ही घूमने के लिए निकल गया था,,,
तुम तो भोले के लड़के हो ना उस दिन रात को जो खेत पर मिले थे,,,,( रात को खेत पर मिलने का जिक्र करते हुए मुखिया की बीवी इधर-उधर देखकर बोल रही थी कि कहीं कोई सुन तो नहीं रहा है लेकिन उसकी इस सतर्कता को सूरज समझ नहीं पाया था और मुस्कुराते हुए बोला,,,)
हां वह मेरे पिताजी है,,,,
बहुत मेहनती है तुम्हारे पिताजी,,,, तभी तो खेतों की जिम्मेदारी मैं तुम्हारे पिताजी को शौप दी हूं,,,।
(जवाब में सूरज कुछ बोला नहीं बस खामोश खड़ा रहा सूरज के चेहरे पर बहुत ज्यादा ही भोलापन था जो की पहली मुलाकात में ही मुखिया की बीवी उससे काफी आकर्षित हुई थी क्योंकि का बदन काफी गठीला और हट्टा कट्टा था,,,, मुखिया की बीवी की नजर में सूरज को देखकर वासना साफ नजर आ रही थी लेकिन औरतों की नियत और नजरियों को पहचानने की क्षमता सूरज में बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए मुखिया की बीवी के नजर को पहचान नहीं पा रहा था,,,, कुछ देर खामोश रहने के बाद सूरज बोला,,)
ठीक है मालकिन में अब चलता हूं,,,,
अरे कहां जा रहे हो,,,(मुखिया की बीवी इतना कहते हुए एक बार फिर से चारों तरफ नजर घूमर देखने लगी लेकिन कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा था सारे मजदूर खेतों का काम कर रहे थे वह केवल अकेले ही सूरज के साथ बड़े से पेड़ के नीचे बैठी हुई थी)
कहीं नहीं बस ऐसे ही घूमते रहूंगा,,,,
कोई काम नहीं है तो यह बाल्टी और लोटा लेकर मेरे साथ चलो,,,, मै ईसे उठा नहीं पा रही हुं क्योंकि मेरी कलाई मैं थोड़ा दर्द है,,,।
(सूरज को भला इसमें क्या दिक्कत हो सकती थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोला)
ठीक है मालकिन,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज बाल्टी को उठा लिया जिसमें थोड़ा पानी भरा हुआ था और लोटा भी उसमें था जिसे मुखिया की बीवी पास में रखी हुई थी पानी पीने के लिए लेकिन अब उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) लेकिन चलना कहां है,,?
चल मैं बताती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही मुखिया की बीवी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और एक बार फिर से अपने चारों तरफ देखकर पास की ही छोटी सी पगडंडी के ऊपर चलने लगी जिसके दोनों तरफ खेत थे,,,, और उसके पीछे-पीछे सूरज चलने लगा,,,, मुखिया की बीवी खेली खाई थी उसे मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने का हुनर अच्छी तरह से मालूम था और इस समय वह इस अपने अनोखे हुनर को सूरज के ऊपर आजमाना चाहती थी इसलिए चलते समय उसकी चाल में एक मादकता भरने लगी थी उसकी चाल में एक लक थी वह इस तरह से अपने पैर को ऊंचे नीचे पगडंडियों पर रखती की उसके नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकल जाता था और ना चाहते हुए भी सूरज का ध्यान उसकी कमर के नीचे मटके जैसे नितंबों पर पड़ ही जाती थी जिस पर से वह अपना ध्यान बड़ी मुश्किल से हटाया था लेकिन आज मुखिया की बीवी एक बार फिर से उसके ध्यान को उसकी तपस्या को भंग करने में लगी हुई थी,,, मुखिया की बीवी अच्छी तरह से जानती थी कि वह जिस तरह से चल रही है पीछे चल रहे किसी भी मर्द का ध्यान उसकी गांड पर जरुर पड़ेगा और दुनिया में कोई ऐसा मर्द नहीं है जब औरत की मदमस्त कर देने वाली चाल और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देखकर आकर्षित न हो और जिसमें सूरज भी अछूता नहीं था सूरज भी बार-बार अपनी नजर को इधर-उधर घूमाकर अपना ध्यान हटाने की कोशिश करने के बावजूद भी उसकी नजर बार-बार मुखिया की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड पर चली ही जा रही थी और वैसे भी वह अपनी कमर पर साड़ी को कुछ ज्यादा ही कस के बाद ही हुई थी जिसकी वजह से नितंबों का उभार एकदम साफ झलक रहा था,,,, जो कि साड़ी के अंदर होने के बावजूद भी नितंबों का कटाव एकदम साफ झलक रहा था जो की सूरज की आंखों में आकर्षण के साथ-साथ मादकता भी भर रहा था,,,,।
कुछ देर तक दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी कुछ दूरी पर जाने के बाद खेतों के बीच बड़ी-बड़ी झाड़ियां और लहराने खेत की वजह से पगडंडी ढकने लगी थी,,,, और जिस जगह से दोनों गुजर रहे थे दूर-दूर तक किसी को दिखाई भी नहीं दे रहा था और ऐसे में मुखिया की बीवी अपनी चाल को आजमाने की कोशिश करने लगी और मौका देखकर फिसलने का नाटक की और पीछे की तरफ गिरने को हुई ठीक उसके पीछे चल रहा सूरज मुखिया की बीवी के पैर फिसलते हुए देखकर उसे गिरता हुआ देखकर एकदम से बाल्टी को वहीं पर छोड़ दिया और पीछे से उसे लपक लिया लेकिन लपकने की वजह से उसके दोनों हाथ उसे संभालने की कोशिश करते-करते उसके दोनों चूचियों पर आकर जम गए और वह मुखिया की बीवी को संभालने में अनजाने में ही अपनी हथेलियां का दबाव मुखिया की बीवी की चूचियों पर बढ़ा दिया और ऐसे में अनजाने में ही उसके हाथ बटेर लग गए थे,,,, अनजाने में ही वहां मुखिया की बीवी की चूची को दबा दिया था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब वहां मुखिया की बीवी के साथ-साथ खुद नीचे जमीन पर बैठ गया था और मुखिया की बीवी उसकी गोद में आ गई थी और ऐसे हालात में जब उसने अपने हाथों की स्थिति पर गौर किया तो एकदम से हैरान रह गया,,,,। उसकी दोनों हथेली ब्लाउज के ऊपर से ही मुखिया की बीवी की चूची पर एकदम दबाव बनाए हुए थे और तब जाकर सूरज किस बात का एहसास हुआ की कठोर दिखने वाली चूंचियां अंदर से वाकई में कितनी रुई की तरह नरम-नरम होती है,,,,। पल भर में ही सूरज उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था उसका लंड एकदम से खड़ा हो चुका था जो की खड़ा होने के साथ ही वह मुखिया की बीवी की पीठ पर गड़ने भी लगा था,,, और जिसकी चुभन मुखिया की बीवी को अपनी पीठ पर बराबर हो रही थी,,,, खेली खाई मुखिया की बीवी को समझते देर नहीं लगी कि उसकी पीठ पर कौन सी चीज चुभ रही है वह एकदम से उत्साहित हो गई,,,,, वह पीठ पर चुभन से ही अंदाजा लगा ली थी कि सूरज का लंड कितना दमदार है,,,, उसका मन उसे पकड़ने को हो रहा था,,, जिसके लिए वह जुगाड़ बना रही थी और वह अपना हाथ पीछे लाने की जैसे ही सोची सूरज अपने आप को संभालते हुए मुखिया की बीवी को सहारा देकर उठाने लगा लेकिन सहारा देने से पहले,,, मुखिया की बीवी की चूची को दबाने की लालच को हो वह अपने अंदर दबा नहीं पाया और उसे संभाल कर उठाते हुए वहां उसकी बड़ी-बड़ी चूची पर अपनी हथेली का दबाव बढ़ाकर उसकी चूची दबाने का सुख प्राप्त कर लिया,,, और उसकी इस हरकत का एहसास मुखिया की बीवी को अच्छी तरह से हो गया और वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,, सूरज मुखिया की बीवी को सहारा देकर खड़ी करते हुए बोला,,,।
अच्छा हुआ मालकिन मैं तुम्हारे पीछे था वरना तुम गिर जाती और चोट लग जाती,,, थोड़ा आराम से चला करो,,,
संभाल कर ही चल रही थी अचानक पैर फिसल गया और सच में अच्छा हुआ कि तू मेरे पीछे था वरना वाकई में मुझे चोट लग जाती,,,,,(इतना कहने के साथ ही मुखिया की बीवी चलने लगी और पीछे सूरज वापस बाल्टी को हाथ में लेकर पीछे-पीछे चलने लगा,,, लेकिन अचानक जो कुछ भी हुआ था वह सब उसके बदन में जवानी की गर्मी पैदा कर दिया था मुखिया की बीवी की चुचियों की नरमाहट उसके नरम अंग को कड़क कर दिया था,,,,,,, और ऐसा भी पहली बार हुआ था कि जब वह किसी खूबसूरत औरत को अपनी बाहों में लिया था भले ही उसे गिरने से बचाने के लिए और उसे सहारा देकर उठाने के लिए लेकिन फिर भी इससे वह मुंह नहीं मोड सकता था कि एक खूबसूरत जवान औरत उसकी बाहों में थी,,,, नितंबों का घेराव वह अपने लंड पर बड़े अच्छे से महसूस कर पाया था,,,,।
वह ज्यादा कुछ सोच पाता इससे पहले ही वहां घने खेतों के बीच हेड पंप के करीब पहुंच चुका था और उसके पास में ही एक घास की बनी हुई झोपड़ी भी थी,,,,,, हेड पंप के पास पहुंचकर सूरज को इतना तो अंदाजा लग गया था की मुखिया की बीवी यहां क्या करने आई है लेकिन फिर भी वह पूछ बैठा,,,।
यहां क्या करने के लिए आई हो मालकिन,,,,
अरे बेवकूफ इतना भी नहीं समझता नहाने के लिए आई हूं और क्या,,,,!
लेकिन नहाने के लिए तो मुझे क्यों लेकर आई,,,,
नल चलाने के लिए तुझे बोली तो थी कि मेरी कलाई में थोड़ा दर्द है ना तुम्हें बाल्टी उठा सकती हूं ना ही हैंडपंप चला सकती हूं,,,,(मुखिया की बीवी सूरज की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
ठीक है मालकिन कोई बात नहीं,,,,
(सूरज की बात सुनकर मुखिया की बीवी मुस्कुराते हुए एक तक सूरज के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखे जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि इसकी जगह गांव का कोई दूसरा जवान लड़का होता तो शायद उसके यहां लाने के मतलब को और उसके रास्ते में गिर जाने के मतलब को अच्छी तरह से समझ जाता और उसे पल का वह भरपूर फायदा उठा लेता,,,, वैसे तो सूरज ने भी हल्का सा फायदा उठाने की कोशिश किया था लेकिन इतना तो उसे समझ में आ ही गया था कि सूरज अभी इस खेल में पूरी तरह से नादान है उसे इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर सूरज बोला,,,,)
ऐसे क्यों मुस्कुरा रही हो मालकिन,,,
मैं इसलिए मुस्कुरा रही हूं कि तू बहुत भोला है,,,, जहां एक तरफ तेरा बाप इतना चालाक और इस मामले में इतना ज्यादा अनुभव वाला है वही तो एकदम नादान है,,,
किस मामले में मालकिन,,,(सूरज आश्चर्य जताते हुए बोला)
कुछ नहीं धीरे-धीरे तुझे सब मालूम पड़ जाएगा,,, अब जल्दी से नल चला,,,,, मुझे नहाना है,,,,,।
(इतना सुनते ही,,, सूरज बाल्टी को हेड पंप के नीचे रखकर चलाना शुरु कर दिया और मुखिया की बीवी इधर-उधर नजर घूमर कुछ देख रही थी या तो फिर कुछ ढूंढ रही थी इसलिए सूरज बोला,,,)
क्या हुआ,,,?
अरे मैं तो अपने कपड़े लाना ही भूल गई,,,
ओहहहह अब क्या करोगी मालकिन रहने दो बाद में नहा लेना,,,,
नहीं नहीं मुझे बहुत गर्मी लग रही है और इतनी दूर आई हुं तो नहा कर ही जाऊंगी,,,,, मैं अपने कपड़े उतार कर रख देती हुं बाद में उसे पहन लूंगी,,,,
(इतना सुनते ही सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके कहने का मतलब साफ था और सूरज की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारना चाहती थी और इसीलिए सूरज के बदन में अजीब सी सुरसुराहट होने लगी थी वह भी अपने मन में यही सब सो रहा था की मुखिया की बीवी तुरंत अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी यह देखकर सूरज एकदम से शक पका गया और बोला,,,,)
ममममम, मालकिन मेरे सामने,,,,
तो क्या हुआ तू तो मेरे बेटे जैसा है लेकिन मेरी तरफ देखना नहीं,,,,,(मुखिया की बीवी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि दुनिया में ऐसा भला कौन सा मर्द होगा जो आंखों के सामने इतना खूबसूरत दृश्य दिखाई दे रहा हो और वह अपनी नजरों को घूमा कर कहीं और देख रहा हो,,,, मुखिया की बीवी की बात सुनते ही वह अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा दिया,,,, उसकी हरकत को देखकर मुखिया की बीवी मन ही मन में मुस्कुराने लगी और अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी वह अपनी जवानी को सूरज को दिखाना चाहती थी और देखते ही देखते वह अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपने ब्लाउज के दोनों पल्लू को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे उतारने की स्थिति में सूरज से बोली,,,,)
अब नल तो चला,,,,(और इतना सुनते ही सूरज नजर घुमा कर हेंड पंप की तरफ देखने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी नजर सीधे मुखिया की बीवी की छतिया पर चली गई और वह कमर के ऊपर पूरी तरह से निर्वस्त्र थी ब्लाउज के दोनों पट खुले हुए थे और उसकी दोनों चूचियां एकदम खरबूजे का आकार ली हुई एकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पडते ही सूरज की नजर एकदम से गड़ गई और वह पागलों की तरह मुखिया की बीवी की चूची को देखने लगा,,,,, सूरज की प्यासी नजरों को देखकर मुखिया की बीवी मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि यही सब तो वह दिखाना चाहती थी मुखिया की बीवी उसे बिल्कुल भी मन नहीं की बल्कि उसकी आंखों के सामने ही अपना ब्लाउज उतार कर उसे एक तरफ रख दिया और अपनी साड़ी को खोलने लगी बस उसका ध्यान थोड़ा हटाने के लिए वह बोली,,,)
Mukhiya ki bibi blouse ka button kholti huyi
अरे नल तो चला,,,(इतना सुनते ही जैसे वह होश में आया होगा तुरंत हेड पंप चलाना शुरु कर दिया और मुखिया की बीवी अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी वह अपनी जवानी का जलवा सूरज पर गिर रही थी और सूरज चारों खाने चित हुआ जा रहा था पहली बार वह किसी औरत की चूचियों के दर्शन किया था,,,, और पहली बार चूचियों को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था उसके दोस्त सोनू ने तो औरत की नंगी गांड दिखाकर उसके होश उड़ा ही दिया था लेकिन आज मुखिया की बीवी ने,,, अपनी मदद मस्त चूचियों के दर्शन करा कर उसे इस बात का एहसास कर रहे थे कि वह पूरी तरह से जवान हो चुका है लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था,,,,,।
वैसे तो खुली नजरों से मुखिया की बीवी की तरफ देखने में सूरज की हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन चोर नजरों से वह लगातार मुखिया की बीवी की तरफ देख रहा था मुखिया की बीवी अब तक खड़ी होकर अपने कपड़े उतार रही थी लेकिन वहां सूरज को कुछ और दिखाना चाहती थी इसलिए हैंडपंप के करीब घुटनों के बल बैठकर वह अपने पेटिकोट की डोरी को खोलना शुरू कर दी और यह देखकर सूरज की हालत और ज्यादा पतली होने लगी उसे ऐसा लग रहा था की मुखिया की बीवी अपना पेटीकोट भी उतार कर पूरी तरह से नंगी होकर उसकी आंखों के सामने ना आएगी लेकिन पहली बार में ही वह इतना बड़ा धमाका नहीं करना चाहती थी इसलिए वहां पेटिकोट की डोरी को खोलकर कमर पर उसके कसाव को कम करने लगी और उसे आगे की तरफ से पकड़कर,,, उसे और ढीली करने के लिए आगे की तरफ खींची ऐसा हुआ जानबूझकर कर रही थी क्योंकि वह उसे अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी,,,, लेकिन सूरज को मुखिया की बीवी की बुरे नहीं बल्कि बुर के ऊपर के घने बाल नजर आए जिसे देखकर वह एकदम से दंग रह गया,,,, टांगों के बीच उगे हुए वह बोल सूरज के लिए किसी आश्चर्य से कब नहीं थे क्योंकि वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि औरत के उसे अंग पर इतने सारे बाल उगते हैं उसने तो केवल कल्पना भर किया था की दोनों टांगों के बीच की वह स्थिति कैसी होगी और वह भी उसके कल्पना के पार था उसने औरतों की दोनों टांगों के बीच के अंग के बारे में सही कल्पना नहीं किया था और ना ही उसे पर कभी बाल के बारे में कल्पना किया था इसलिए वह दंग रह गया था,,,, जिस तरह से सूरज उसकी तरफ देख रहा था मुखिया की बीवी को ऐसा ही लगा कि जैसे वह उसे अपनी बुर दिखने में कामयाब हो गई है और वह पेटीकोट को अपनी छाती तक लाकर अपनी दोनों चूचियों को देखते हुए पेटिकोट की डोरी को बीच में बांध दी लेकिन फिर भी उसकी आधी चुचीया एकदम साफ नजर आ रही थी,,,।
Mukhiya ki bibi
मुखिया की बीवी के द्वारा अंग प्रदर्शन और उसे देखकर आकर्षित होने की प्रक्रिया के दौरान पानी की बाल्टी पूरी तरह से भर चुकी थी और नीचे पानी छलक रहा था जिसे देखकर सूरज बोला,,,
नहाईए मालकिन पानी बह रहा है,,,
हममम,,,(और इतना कहने के साथ ही बाल्टी में से लोटा भर कर पानी को अपने ऊपर डालने लगी और देखते ही देखे उसका खूबसूरत बदन पानी से तरबतर हो गया वह पूरी तरह से भीग गई और भीगने की वजह से उसकी पेटीकोट भी उसके बदन से एकदम से चिपक गई जिसमें से चुचीया एकदम साफ नजर आने लगी और उत्तेजना के मारे चूचियों की शोभा बढ़ा रहे छुहारे के दाने एकदम कड़क होकर पेटिकोट के ऊपर नजर आने लगे जिसे देखकर सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, मुखिया की बीवी खेली खाई औरत थी वह सूरज की मनो स्थिति को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,,, वह जानती थी कि सूरज इस खेल में पूरी तरह से नादान है,,, अगर वह पहली बार में उसके साथ संबंध बनाती है तो वह सफल नहीं हो पाएगा और उसकी प्यास भी अधूरी रह जाएगी इसलिए वह सूरज को अपनी जवानी के जाल में पूरी तरह से फांस लेना चाहती थी,,, ताकि उसे तैयार करके उससे खुलकर मजा ले सके,,,।
Mukhiya ki bibi
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सूरज के सामने वह खुलकर नहा रही थी वह जानती थी कि भीगने की वजह से उसकी पेटिकोट पूरी तरह से उसके बदन से चिपक गई थी जिससे उसका अंग अंग एकदम साफ झलक रहा था और वह अपने अंगों को इसी तरह से दिखाना भी चाहती थी,,, सूरज की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी उसके पजामे में तंबू बना हुआ था जिसे तिरछी नजरों से देखकर खुद मुखिया की बीवी मस्त हुई जा रही थी,,,, वह अपनी अनुभवी आंखों से इतना तो भांप ली थी कि सूरज के पैजामे में टॉप का गोल है लेकिन उसे आजमाना था कि वह कैसे और किस तरह से दुश्मन पर हमला करने के लिए तैयार है कहीं ऐसा ना हो कि युद्ध के बीच में ही उसका तोप गोला फोड़ने से पहले ही दग जाए और जहां दुश्मन को अपने हमले से ढेर करना हो वही खुद ढेर हो जाए,,,,।
मुखिया की बीवी नहा चुकी थी और वहां नहा कर एकदम से खड़ी हो गई थी और एक बार फिर से वह अपने नितंबो का आकार दिखाने के लिए सूरज की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई और नीचे झुक कर अपना ब्लाउज उठने लगी और ऐसा करने पर उसकी भारी भरकम गोल-गोल गांड एकदम से भीगे हुए पेटीकोट में एकदम साफ नजर आने लगी जो कि एकदम चमक रही थी,,,, सूरज से रहा नहीं गया और वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,,,, तभी मुखिया की बीवी को जैसे कुछ याद आया हो और वह तुरंत सूरज से बोली,,,,।
सूरज मुझे लगता है की झोपड़ी में मैं अपना पेटिकोट रखी हुई हूं जाकर देख तो है कि नहीं,,,,
(इतना सुनते ही सूरज झोपड़ी की तरफ गया और झोपड़ी में प्रवेश करके इधर-उधर देखने लगा वहां पर वाकई में मुखिया की बीवी के कपड़े रखे हुए थे लेकिन पेटिकोट के साथ-साथ उसकी साड़ी भी रखी हुई थी वह पेटीकोट को हाथ में लेकर बाहर आया और मुखिया की बीवी से बोला)
मालकिन वहां तो तुम्हारी साड़ी भी रखी हुई है,,,,
हां लेकिन वह गंदी है,,,,(बहुत चालाकी से मुखिया की बीवी बात को घुमा दी थी और सूरज के हाथ से पेटीकोट को ले ली थी,,,, सूरज जानबूझकर ठीक उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया था ताकि वह ठीक से मुखिया की बीवी को देख सके मुखिया की बीवी भी जानबूझकर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी,,, वह पेटिकोट को अपने गले में डालकर भीगी हुई पेटिकोट की डोरी को खोलने लगी और डोरी को खोलकर उसे धीरे से नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,, हालांकि अभी भी उसकी पेटिकोट गले में ही थी वह गली पेटीकोट को धीरे-धीरे अपने बदन से नीचे की तरफ ले जा रही थी और देखते-देखते वह अपनी पेटीकोट को कमर तक लेकर आ गई थी सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था,,,, उसकी आंखों के सामने एकदम मादकता भरा दृश्य नजर आ रहा था,,,,, और देखते ही देखते मुखिया की बीवी जानबूझकर अपनी गीली पेटीकोट को एकदम से खींचकर उसे अपनी गोरी गोरी गांड के नीचे से करते हुए उसे अपने पैरों में गिरा दी और सूरज को मुखिया की बीवी की खूबसूरत गोरी गोरी गांड एकदम नंगी देखने का मौका मिल गया और वहां मुखिया की बीवी की नशीली गांड देखकर पूरी तरह से पागल हो गया,,,, इस बात की तसल्ली करने के लिए की सूरज उसकी तरफ देख रहा है कि नहीं मुखिया की बीवी नजर को तिरछी करके सूरज की तरफ देखी तो सूरज को अपनी गांड की तरफ ही देखा हुआ पाकर वह मन ही मन एकदम से प्रसन्न हो गई और गले में अटकी हुई पेटीकोट को नीचे करके वह अपने नंगे बदन को ढंक ली और पेटिकोट की डोरी को बांध ली,,,, वही नीचे पड़े ब्लाउज को उठाकर वह पहनने लगी और थोड़ी ही देर में वह अपने कपड़े पहन कर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी,,,, तभी एक मजदूर दौड़ता हुआ आया और बोला,,,,।
मालकिन,,, आपको मालिक ढूंढ रहे हैं,,,,
ठीक है चलो मैं आ रही हूं,,,,(इतना सुनकर वह खेत में काम करने वाला मजदूर चला गया और मुखिया की बीवी अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि वहां सूरज के साथ संबंध नहीं बनाई वरना उसका मजदूर उसे देख लेता तो गजब हो जाता,,,,, तभी सूरज को खुश करने के लिए मुखिया की बीवी बोली,,,,,।
सूरज उसे तरफ देखो कद्दू के खेत है उसमें से दो चार कद्दू तोड़कर अपने घर ले जाना और सब्जी बनाकर खाना,,,,।
(इतना सुनते ही सूरज एकदम से खुश हो गया और तुरंत बगल वाले खेत की तरफ गया और दो-चार कद्दू तोड़कर ले आया लेकिन कद्दू को तोड़ते समय वह अपने मन में यही सोच रहा था कि कद्दू से भी बेहतरीन तो मालकिन के खरबूजे हैं और उसके बड़े-बड़े तरबूज,,, और अपने मन में ही इस तरह की बात करते हुए वह मुखिया की बीवी के पास आ गया और मुखिया की बीवी मुस्कुराते हुए आगे आगे चलने लगी और सूरज पीछे-पीछे,,,, चलते चलते मुखिया की बीवी बोली,,,)
जब भी बुलाऊं चले आना,,,, और इसी तरह से घर के लिए सब्जी फल लेते जाना,,,,
ठीक है मालकिन,,,,,।
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट है, सोनू ने जो कुछ भी सूरज को दिखाया था उसे देखकर सूरज के मन में हलचल सी मचने लगी थी सूरज ने आज तक इस तरह के दृश्य को कभी अपनी आंखों से देखा नहीं था और ना ही कभी देखने की कोशिश किया था क्योंकि उसे इन सब से कोई वास्ता नहीं था वह अपने आप को ही सब चीजों से दूर ही रखना चाहता था लेकिन सोनु उसका बहुत ही खास मित्र था जिसके कहने पर वह उसके पीछे-पीछे चल दिया था,,,,,, और जब वह झाड़ियों के पीछे लेकर गया और वहां से जो नजर उसने दिखाया उसे देखकर तो सूरज के होश उड़ गए थे सोनू ने उसे एक खूबसूरत औरत की बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन कराए थे और वह औरत कोई और नहीं बल्कि उसकी चाची ही थी यह जानकर तो सूरज और ज्यादा हैरान हो गया,,,।
सूरज कभी सोचा नहीं था कि वह इस तरह से किसी औरत को नंगी देखेगा और वह भी चोरी छुपे जहां एक तरफ उसके बदन में इस तरह के नजारे को देखकर सिरहन से दौड़ रही थी वहीं दूसरी तरफ,,, उसे इस बात का डर भी था कि कहीं कोई उसे देख ना ले,,,,, कुछ देर के लिए एक औरत की नंगी गांड को देखकर और खास करके उसे पेशाब करती हुई देखकर सूरज का भी लंड खड़ा हो गया था,,, लेकिन आज तक उसने अपने लंड को मुठिया कर अपनी गर्म जवानी का रस बाहर नहीं निकला था लेकिन इसके विपरीत सोनू उसकी आंखों के सामने ही अपनी चाची की नंगी गांड देखकर अपना लंड हिला कर अपना पानी निकाल दिया था यह सब सूरज के लिए बिल्कुल नया था,,, और तो और सूरज के लिए यह भी हैरान कर देने वाला था कि वह खुद अपनी मां की चुदाई देख चुका था अपने पिताजी के साथ जो कि इस बारे में कभी सूरज सपने भी सोच नहीं सकता था लेकिन सोनू बेझिझक बेशर्मी की सारी हद पार करते हुए उसे सब कुछ बता दिया था,,,।
वहां से तो सूरज अपने घर पर आ चुका था लेकिन सोनू ने जो कुछ दिखाया था जो कुछ बताया था वह उसके दिमाग में एकदम घर कर गया था और से इस बात का भी एहसास हो गया था कि औरत को नंगी अवस्था देखने में कितना मजा आता है यह उसका पहला अनुभव था और पहला अनुभव में वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, इसके बाद से वह कभी कभार अपनी मां को देखने की कोशिश करता था लेकिन कभी उसे ऐसा मौका नहीं मिला जब वह अपनी मां को नग्न अवस्था में या अर्ध नग्न अवस्था में देख सके,,, हालांकि अब उसे अपनी मां की खूबसूरत बदन के अंगों का उभार समझ में आने लगा था अपनी मां की कमर पर कई हुई साड़ी के अंदर नितंबों की गोलाई का आभास उसे होने लगा था लेकिन जल्द ही वह अपने मां पर काबू कर लिया था क्योंकि वह जानता था जो कुछ भी वह कर रहा है वह गलत है इसलिए अपना मन वहां किसी और चीज में लगाकर अपने मन से इन सब बातों को निकालने की कोशिश करता था और लगभग लगभग वह इन सब बातों से आजाद भी हो चुका था,,,,।
ऐसे ही एक दिन वहां खेतों की तरफ जा रहा था तो एक तरफ मुखिया के खेतों में काम चल रहा था वही बड़े से पेड़ के नीचे मुखिया की बीवी बैठी हुई थी,,, वैसे तो सूरज मुखिया की बीवी को ठीक से जानता नहीं था बस एक दो बार ही मुलाकात हुई थी और इतना ही जानता था कि वह मुखिया की बीवी है और एक दिन रात को भी उसकी मुलाकात खेतों पर हुई थी जब वह अपने पिताजी को ढूंढते हुए खेत पर चला गया था और गन्ने के खेत में उसके पिताजी और मुखिया की बीवी कम कर रहे थे लेकिन सूरज को इस बात का जरा भी भनक तक नहीं लगा था कि गन्ने के खेत में रात के समय उसके पिताजी एक खूबसूरत औरत के साथ क्या कर रहे हैं बात आई गई हो गई थी लेकिन यहां पर अपने रास्ते से गुजरते हुए वह मुखिया की बीवी को देखकर आदर पूर्वक नमस्कार किया उसके इस व्यवहार से मुखिया की बीवी भी खुश हुई,,, और वह मुस्कुराते हुए बोली,,,।
खुश रहो यहां कहां जा रहे हो,,,
कहीं नहीं बस ऐसे ही घूमने के लिए निकल गया था,,,
तुम तो भोले के लड़के हो ना उस दिन रात को जो खेत पर मिले थे,,,,( रात को खेत पर मिलने का जिक्र करते हुए मुखिया की बीवी इधर-उधर देखकर बोल रही थी कि कहीं कोई सुन तो नहीं रहा है लेकिन उसकी इस सतर्कता को सूरज समझ नहीं पाया था और मुस्कुराते हुए बोला,,,)
हां वह मेरे पिताजी है,,,,
बहुत मेहनती है तुम्हारे पिताजी,,,, तभी तो खेतों की जिम्मेदारी मैं तुम्हारे पिताजी को शौप दी हूं,,,।
(जवाब में सूरज कुछ बोला नहीं बस खामोश खड़ा रहा सूरज के चेहरे पर बहुत ज्यादा ही भोलापन था जो की पहली मुलाकात में ही मुखिया की बीवी उससे काफी आकर्षित हुई थी क्योंकि का बदन काफी गठीला और हट्टा कट्टा था,,,, मुखिया की बीवी की नजर में सूरज को देखकर वासना साफ नजर आ रही थी लेकिन औरतों की नियत और नजरियों को पहचानने की क्षमता सूरज में बिल्कुल भी नहीं थी इसलिए मुखिया की बीवी के नजर को पहचान नहीं पा रहा था,,,, कुछ देर खामोश रहने के बाद सूरज बोला,,)
ठीक है मालकिन में अब चलता हूं,,,,
अरे कहां जा रहे हो,,,(मुखिया की बीवी इतना कहते हुए एक बार फिर से चारों तरफ नजर घूमर देखने लगी लेकिन कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा था सारे मजदूर खेतों का काम कर रहे थे वह केवल अकेले ही सूरज के साथ बड़े से पेड़ के नीचे बैठी हुई थी)
कहीं नहीं बस ऐसे ही घूमते रहूंगा,,,,
कोई काम नहीं है तो यह बाल्टी और लोटा लेकर मेरे साथ चलो,,,, मै ईसे उठा नहीं पा रही हुं क्योंकि मेरी कलाई मैं थोड़ा दर्द है,,,।
(सूरज को भला इसमें क्या दिक्कत हो सकती थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोला)
ठीक है मालकिन,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज बाल्टी को उठा लिया जिसमें थोड़ा पानी भरा हुआ था और लोटा भी उसमें था जिसे मुखिया की बीवी पास में रखी हुई थी पानी पीने के लिए लेकिन अब उसके मन में कुछ और चल रहा था,,, और सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,) लेकिन चलना कहां है,,?
चल मैं बताती हूं,,,(इतना कहने के साथ ही मुखिया की बीवी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और एक बार फिर से अपने चारों तरफ देखकर पास की ही छोटी सी पगडंडी के ऊपर चलने लगी जिसके दोनों तरफ खेत थे,,,, और उसके पीछे-पीछे सूरज चलने लगा,,,, मुखिया की बीवी खेली खाई थी उसे मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने का हुनर अच्छी तरह से मालूम था और इस समय वह इस अपने अनोखे हुनर को सूरज के ऊपर आजमाना चाहती थी इसलिए चलते समय उसकी चाल में एक मादकता भरने लगी थी उसकी चाल में एक लक थी वह इस तरह से अपने पैर को ऊंचे नीचे पगडंडियों पर रखती की उसके नितंबों का उभार कुछ ज्यादा ही बाहर की तरफ निकल जाता था और ना चाहते हुए भी सूरज का ध्यान उसकी कमर के नीचे मटके जैसे नितंबों पर पड़ ही जाती थी जिस पर से वह अपना ध्यान बड़ी मुश्किल से हटाया था लेकिन आज मुखिया की बीवी एक बार फिर से उसके ध्यान को उसकी तपस्या को भंग करने में लगी हुई थी,,, मुखिया की बीवी अच्छी तरह से जानती थी कि वह जिस तरह से चल रही है पीछे चल रहे किसी भी मर्द का ध्यान उसकी गांड पर जरुर पड़ेगा और दुनिया में कोई ऐसा मर्द नहीं है जब औरत की मदमस्त कर देने वाली चाल और उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देखकर आकर्षित न हो और जिसमें सूरज भी अछूता नहीं था सूरज भी बार-बार अपनी नजर को इधर-उधर घूमाकर अपना ध्यान हटाने की कोशिश करने के बावजूद भी उसकी नजर बार-बार मुखिया की बीवी की बड़ी-बड़ी गांड पर चली ही जा रही थी और वैसे भी वह अपनी कमर पर साड़ी को कुछ ज्यादा ही कस के बाद ही हुई थी जिसकी वजह से नितंबों का उभार एकदम साफ झलक रहा था,,,, जो कि साड़ी के अंदर होने के बावजूद भी नितंबों का कटाव एकदम साफ झलक रहा था जो की सूरज की आंखों में आकर्षण के साथ-साथ मादकता भी भर रहा था,,,,।
कुछ देर तक दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी कुछ दूरी पर जाने के बाद खेतों के बीच बड़ी-बड़ी झाड़ियां और लहराने खेत की वजह से पगडंडी ढकने लगी थी,,,, और जिस जगह से दोनों गुजर रहे थे दूर-दूर तक किसी को दिखाई भी नहीं दे रहा था और ऐसे में मुखिया की बीवी अपनी चाल को आजमाने की कोशिश करने लगी और मौका देखकर फिसलने का नाटक की और पीछे की तरफ गिरने को हुई ठीक उसके पीछे चल रहा सूरज मुखिया की बीवी के पैर फिसलते हुए देखकर उसे गिरता हुआ देखकर एकदम से बाल्टी को वहीं पर छोड़ दिया और पीछे से उसे लपक लिया लेकिन लपकने की वजह से उसके दोनों हाथ उसे संभालने की कोशिश करते-करते उसके दोनों चूचियों पर आकर जम गए और वह मुखिया की बीवी को संभालने में अनजाने में ही अपनी हथेलियां का दबाव मुखिया की बीवी की चूचियों पर बढ़ा दिया और ऐसे में अनजाने में ही उसके हाथ बटेर लग गए थे,,,, अनजाने में ही वहां मुखिया की बीवी की चूची को दबा दिया था जिसका एहसास उसे तब हुआ जब वहां मुखिया की बीवी के साथ-साथ खुद नीचे जमीन पर बैठ गया था और मुखिया की बीवी उसकी गोद में आ गई थी और ऐसे हालात में जब उसने अपने हाथों की स्थिति पर गौर किया तो एकदम से हैरान रह गया,,,,। उसकी दोनों हथेली ब्लाउज के ऊपर से ही मुखिया की बीवी की चूची पर एकदम दबाव बनाए हुए थे और तब जाकर सूरज किस बात का एहसास हुआ की कठोर दिखने वाली चूंचियां अंदर से वाकई में कितनी रुई की तरह नरम-नरम होती है,,,,। पल भर में ही सूरज उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुका था उसका लंड एकदम से खड़ा हो चुका था जो की खड़ा होने के साथ ही वह मुखिया की बीवी की पीठ पर गड़ने भी लगा था,,, और जिसकी चुभन मुखिया की बीवी को अपनी पीठ पर बराबर हो रही थी,,,, खेली खाई मुखिया की बीवी को समझते देर नहीं लगी कि उसकी पीठ पर कौन सी चीज चुभ रही है वह एकदम से उत्साहित हो गई,,,,, वह पीठ पर चुभन से ही अंदाजा लगा ली थी कि सूरज का लंड कितना दमदार है,,,, उसका मन उसे पकड़ने को हो रहा था,,, जिसके लिए वह जुगाड़ बना रही थी और वह अपना हाथ पीछे लाने की जैसे ही सोची सूरज अपने आप को संभालते हुए मुखिया की बीवी को सहारा देकर उठाने लगा लेकिन सहारा देने से पहले,,, मुखिया की बीवी की चूची को दबाने की लालच को हो वह अपने अंदर दबा नहीं पाया और उसे संभाल कर उठाते हुए वहां उसकी बड़ी-बड़ी चूची पर अपनी हथेली का दबाव बढ़ाकर उसकी चूची दबाने का सुख प्राप्त कर लिया,,, और उसकी इस हरकत का एहसास मुखिया की बीवी को अच्छी तरह से हो गया और वह मन ही मन मुस्कुराने लगी,,,, सूरज मुखिया की बीवी को सहारा देकर खड़ी करते हुए बोला,,,।
अच्छा हुआ मालकिन मैं तुम्हारे पीछे था वरना तुम गिर जाती और चोट लग जाती,,, थोड़ा आराम से चला करो,,,
संभाल कर ही चल रही थी अचानक पैर फिसल गया और सच में अच्छा हुआ कि तू मेरे पीछे था वरना वाकई में मुझे चोट लग जाती,,,,,(इतना कहने के साथ ही मुखिया की बीवी चलने लगी और पीछे सूरज वापस बाल्टी को हाथ में लेकर पीछे-पीछे चलने लगा,,, लेकिन अचानक जो कुछ भी हुआ था वह सब उसके बदन में जवानी की गर्मी पैदा कर दिया था मुखिया की बीवी की चुचियों की नरमाहट उसके नरम अंग को कड़क कर दिया था,,,,,,, और ऐसा भी पहली बार हुआ था कि जब वह किसी खूबसूरत औरत को अपनी बाहों में लिया था भले ही उसे गिरने से बचाने के लिए और उसे सहारा देकर उठाने के लिए लेकिन फिर भी इससे वह मुंह नहीं मोड सकता था कि एक खूबसूरत जवान औरत उसकी बाहों में थी,,,, नितंबों का घेराव वह अपने लंड पर बड़े अच्छे से महसूस कर पाया था,,,,।
वह ज्यादा कुछ सोच पाता इससे पहले ही वहां घने खेतों के बीच हेड पंप के करीब पहुंच चुका था और उसके पास में ही एक घास की बनी हुई झोपड़ी भी थी,,,,,, हेड पंप के पास पहुंचकर सूरज को इतना तो अंदाजा लग गया था की मुखिया की बीवी यहां क्या करने आई है लेकिन फिर भी वह पूछ बैठा,,,।
यहां क्या करने के लिए आई हो मालकिन,,,,
अरे बेवकूफ इतना भी नहीं समझता नहाने के लिए आई हूं और क्या,,,,!
लेकिन नहाने के लिए तो मुझे क्यों लेकर आई,,,,
नल चलाने के लिए तुझे बोली तो थी कि मेरी कलाई में थोड़ा दर्द है ना तुम्हें बाल्टी उठा सकती हूं ना ही हैंडपंप चला सकती हूं,,,,(मुखिया की बीवी सूरज की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,,,)
ठीक है मालकिन कोई बात नहीं,,,,
(सूरज की बात सुनकर मुखिया की बीवी मुस्कुराते हुए एक तक सूरज के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखे जा रही थी और अपने मन में सोच रही थी कि इसकी जगह गांव का कोई दूसरा जवान लड़का होता तो शायद उसके यहां लाने के मतलब को और उसके रास्ते में गिर जाने के मतलब को अच्छी तरह से समझ जाता और उसे पल का वह भरपूर फायदा उठा लेता,,,, वैसे तो सूरज ने भी हल्का सा फायदा उठाने की कोशिश किया था लेकिन इतना तो उसे समझ में आ ही गया था कि सूरज अभी इस खेल में पूरी तरह से नादान है उसे इस तरह से मुस्कुराता हुआ देखकर सूरज बोला,,,,)
ऐसे क्यों मुस्कुरा रही हो मालकिन,,,
मैं इसलिए मुस्कुरा रही हूं कि तू बहुत भोला है,,,, जहां एक तरफ तेरा बाप इतना चालाक और इस मामले में इतना ज्यादा अनुभव वाला है वही तो एकदम नादान है,,,
किस मामले में मालकिन,,,(सूरज आश्चर्य जताते हुए बोला)
कुछ नहीं धीरे-धीरे तुझे सब मालूम पड़ जाएगा,,, अब जल्दी से नल चला,,,,, मुझे नहाना है,,,,,।
(इतना सुनते ही,,, सूरज बाल्टी को हेड पंप के नीचे रखकर चलाना शुरु कर दिया और मुखिया की बीवी इधर-उधर नजर घूमर कुछ देख रही थी या तो फिर कुछ ढूंढ रही थी इसलिए सूरज बोला,,,)
क्या हुआ,,,?
अरे मैं तो अपने कपड़े लाना ही भूल गई,,,
ओहहहह अब क्या करोगी मालकिन रहने दो बाद में नहा लेना,,,,
नहीं नहीं मुझे बहुत गर्मी लग रही है और इतनी दूर आई हुं तो नहा कर ही जाऊंगी,,,,, मैं अपने कपड़े उतार कर रख देती हुं बाद में उसे पहन लूंगी,,,,
(इतना सुनते ही सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा उसके कहने का मतलब साफ था और सूरज की आंखों के सामने अपने कपड़े उतारना चाहती थी और इसीलिए सूरज के बदन में अजीब सी सुरसुराहट होने लगी थी वह भी अपने मन में यही सब सो रहा था की मुखिया की बीवी तुरंत अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी यह देखकर सूरज एकदम से शक पका गया और बोला,,,,)
ममममम, मालकिन मेरे सामने,,,,
तो क्या हुआ तू तो मेरे बेटे जैसा है लेकिन मेरी तरफ देखना नहीं,,,,,(मुखिया की बीवी इस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि दुनिया में ऐसा भला कौन सा मर्द होगा जो आंखों के सामने इतना खूबसूरत दृश्य दिखाई दे रहा हो और वह अपनी नजरों को घूमा कर कहीं और देख रहा हो,,,, मुखिया की बीवी की बात सुनते ही वह अपनी नजर को दूसरी तरफ घुमा दिया,,,, उसकी हरकत को देखकर मुखिया की बीवी मन ही मन में मुस्कुराने लगी और अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी वह अपनी जवानी को सूरज को दिखाना चाहती थी और देखते ही देखते वह अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपने ब्लाउज के दोनों पल्लू को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे उतारने की स्थिति में सूरज से बोली,,,,)
अब नल तो चला,,,,(और इतना सुनते ही सूरज नजर घुमा कर हेंड पंप की तरफ देखने की कोशिश करने लगा लेकिन उसकी नजर सीधे मुखिया की बीवी की छतिया पर चली गई और वह कमर के ऊपर पूरी तरह से निर्वस्त्र थी ब्लाउज के दोनों पट खुले हुए थे और उसकी दोनों चूचियां एकदम खरबूजे का आकार ली हुई एकदम साफ नजर आ रही थी जिस पर नजर पडते ही सूरज की नजर एकदम से गड़ गई और वह पागलों की तरह मुखिया की बीवी की चूची को देखने लगा,,,,, सूरज की प्यासी नजरों को देखकर मुखिया की बीवी मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि यही सब तो वह दिखाना चाहती थी मुखिया की बीवी उसे बिल्कुल भी मन नहीं की बल्कि उसकी आंखों के सामने ही अपना ब्लाउज उतार कर उसे एक तरफ रख दिया और अपनी साड़ी को खोलने लगी बस उसका ध्यान थोड़ा हटाने के लिए वह बोली,,,)
Mukhiya ki bibi blouse ka button kholti huyi
अरे नल तो चला,,,(इतना सुनते ही जैसे वह होश में आया होगा तुरंत हेड पंप चलाना शुरु कर दिया और मुखिया की बीवी अपनी साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी वह अपनी जवानी का जलवा सूरज पर गिर रही थी और सूरज चारों खाने चित हुआ जा रहा था पहली बार वह किसी औरत की चूचियों के दर्शन किया था,,,, और पहली बार चूचियों को देखकर वह पूरी तरह से मस्त हो चुका था उसके दोस्त सोनू ने तो औरत की नंगी गांड दिखाकर उसके होश उड़ा ही दिया था लेकिन आज मुखिया की बीवी ने,,, अपनी मदद मस्त चूचियों के दर्शन करा कर उसे इस बात का एहसास कर रहे थे कि वह पूरी तरह से जवान हो चुका है लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था,,,,,।
वैसे तो खुली नजरों से मुखिया की बीवी की तरफ देखने में सूरज की हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन चोर नजरों से वह लगातार मुखिया की बीवी की तरफ देख रहा था मुखिया की बीवी अब तक खड़ी होकर अपने कपड़े उतार रही थी लेकिन वहां सूरज को कुछ और दिखाना चाहती थी इसलिए हैंडपंप के करीब घुटनों के बल बैठकर वह अपने पेटिकोट की डोरी को खोलना शुरू कर दी और यह देखकर सूरज की हालत और ज्यादा पतली होने लगी उसे ऐसा लग रहा था की मुखिया की बीवी अपना पेटीकोट भी उतार कर पूरी तरह से नंगी होकर उसकी आंखों के सामने ना आएगी लेकिन पहली बार में ही वह इतना बड़ा धमाका नहीं करना चाहती थी इसलिए वहां पेटिकोट की डोरी को खोलकर कमर पर उसके कसाव को कम करने लगी और उसे आगे की तरफ से पकड़कर,,, उसे और ढीली करने के लिए आगे की तरफ खींची ऐसा हुआ जानबूझकर कर रही थी क्योंकि वह उसे अपनी बुर के दर्शन कराना चाहती थी,,,, लेकिन सूरज को मुखिया की बीवी की बुरे नहीं बल्कि बुर के ऊपर के घने बाल नजर आए जिसे देखकर वह एकदम से दंग रह गया,,,, टांगों के बीच उगे हुए वह बोल सूरज के लिए किसी आश्चर्य से कब नहीं थे क्योंकि वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि औरत के उसे अंग पर इतने सारे बाल उगते हैं उसने तो केवल कल्पना भर किया था की दोनों टांगों के बीच की वह स्थिति कैसी होगी और वह भी उसके कल्पना के पार था उसने औरतों की दोनों टांगों के बीच के अंग के बारे में सही कल्पना नहीं किया था और ना ही उसे पर कभी बाल के बारे में कल्पना किया था इसलिए वह दंग रह गया था,,,, जिस तरह से सूरज उसकी तरफ देख रहा था मुखिया की बीवी को ऐसा ही लगा कि जैसे वह उसे अपनी बुर दिखने में कामयाब हो गई है और वह पेटीकोट को अपनी छाती तक लाकर अपनी दोनों चूचियों को देखते हुए पेटिकोट की डोरी को बीच में बांध दी लेकिन फिर भी उसकी आधी चुचीया एकदम साफ नजर आ रही थी,,,।
Mukhiya ki bibi
मुखिया की बीवी के द्वारा अंग प्रदर्शन और उसे देखकर आकर्षित होने की प्रक्रिया के दौरान पानी की बाल्टी पूरी तरह से भर चुकी थी और नीचे पानी छलक रहा था जिसे देखकर सूरज बोला,,,
नहाईए मालकिन पानी बह रहा है,,,
हममम,,,(और इतना कहने के साथ ही बाल्टी में से लोटा भर कर पानी को अपने ऊपर डालने लगी और देखते ही देखे उसका खूबसूरत बदन पानी से तरबतर हो गया वह पूरी तरह से भीग गई और भीगने की वजह से उसकी पेटीकोट भी उसके बदन से एकदम से चिपक गई जिसमें से चुचीया एकदम साफ नजर आने लगी और उत्तेजना के मारे चूचियों की शोभा बढ़ा रहे छुहारे के दाने एकदम कड़क होकर पेटिकोट के ऊपर नजर आने लगे जिसे देखकर सूरज का दिल जोरो से धड़कने लगा,,,, मुखिया की बीवी खेली खाई औरत थी वह सूरज की मनो स्थिति को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,,, वह जानती थी कि सूरज इस खेल में पूरी तरह से नादान है,,, अगर वह पहली बार में उसके साथ संबंध बनाती है तो वह सफल नहीं हो पाएगा और उसकी प्यास भी अधूरी रह जाएगी इसलिए वह सूरज को अपनी जवानी के जाल में पूरी तरह से फांस लेना चाहती थी,,, ताकि उसे तैयार करके उससे खुलकर मजा ले सके,,,।
Mukhiya ki bibi
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सूरज के सामने वह खुलकर नहा रही थी वह जानती थी कि भीगने की वजह से उसकी पेटिकोट पूरी तरह से उसके बदन से चिपक गई थी जिससे उसका अंग अंग एकदम साफ झलक रहा था और वह अपने अंगों को इसी तरह से दिखाना भी चाहती थी,,, सूरज की हालात पूरी तरह से खराब हो चुकी थी उसके पजामे में तंबू बना हुआ था जिसे तिरछी नजरों से देखकर खुद मुखिया की बीवी मस्त हुई जा रही थी,,,, वह अपनी अनुभवी आंखों से इतना तो भांप ली थी कि सूरज के पैजामे में टॉप का गोल है लेकिन उसे आजमाना था कि वह कैसे और किस तरह से दुश्मन पर हमला करने के लिए तैयार है कहीं ऐसा ना हो कि युद्ध के बीच में ही उसका तोप गोला फोड़ने से पहले ही दग जाए और जहां दुश्मन को अपने हमले से ढेर करना हो वही खुद ढेर हो जाए,,,,।
मुखिया की बीवी नहा चुकी थी और वहां नहा कर एकदम से खड़ी हो गई थी और एक बार फिर से वह अपने नितंबो का आकार दिखाने के लिए सूरज की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई और नीचे झुक कर अपना ब्लाउज उठने लगी और ऐसा करने पर उसकी भारी भरकम गोल-गोल गांड एकदम से भीगे हुए पेटीकोट में एकदम साफ नजर आने लगी जो कि एकदम चमक रही थी,,,, सूरज से रहा नहीं गया और वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को दबा दिया,,,,, तभी मुखिया की बीवी को जैसे कुछ याद आया हो और वह तुरंत सूरज से बोली,,,,।
सूरज मुझे लगता है की झोपड़ी में मैं अपना पेटिकोट रखी हुई हूं जाकर देख तो है कि नहीं,,,,
(इतना सुनते ही सूरज झोपड़ी की तरफ गया और झोपड़ी में प्रवेश करके इधर-उधर देखने लगा वहां पर वाकई में मुखिया की बीवी के कपड़े रखे हुए थे लेकिन पेटिकोट के साथ-साथ उसकी साड़ी भी रखी हुई थी वह पेटीकोट को हाथ में लेकर बाहर आया और मुखिया की बीवी से बोला)
मालकिन वहां तो तुम्हारी साड़ी भी रखी हुई है,,,,
हां लेकिन वह गंदी है,,,,(बहुत चालाकी से मुखिया की बीवी बात को घुमा दी थी और सूरज के हाथ से पेटीकोट को ले ली थी,,,, सूरज जानबूझकर ठीक उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया था ताकि वह ठीक से मुखिया की बीवी को देख सके मुखिया की बीवी भी जानबूझकर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी थी,,, वह पेटिकोट को अपने गले में डालकर भीगी हुई पेटिकोट की डोरी को खोलने लगी और डोरी को खोलकर उसे धीरे से नीचे की तरफ सरकाने लगी,,,, हालांकि अभी भी उसकी पेटिकोट गले में ही थी वह गली पेटीकोट को धीरे-धीरे अपने बदन से नीचे की तरफ ले जा रही थी और देखते-देखते वह अपनी पेटीकोट को कमर तक लेकर आ गई थी सूरज का दिल जोरो से धड़क रहा था,,,, उसकी आंखों के सामने एकदम मादकता भरा दृश्य नजर आ रहा था,,,,, और देखते ही देखते मुखिया की बीवी जानबूझकर अपनी गीली पेटीकोट को एकदम से खींचकर उसे अपनी गोरी गोरी गांड के नीचे से करते हुए उसे अपने पैरों में गिरा दी और सूरज को मुखिया की बीवी की खूबसूरत गोरी गोरी गांड एकदम नंगी देखने का मौका मिल गया और वहां मुखिया की बीवी की नशीली गांड देखकर पूरी तरह से पागल हो गया,,,, इस बात की तसल्ली करने के लिए की सूरज उसकी तरफ देख रहा है कि नहीं मुखिया की बीवी नजर को तिरछी करके सूरज की तरफ देखी तो सूरज को अपनी गांड की तरफ ही देखा हुआ पाकर वह मन ही मन एकदम से प्रसन्न हो गई और गले में अटकी हुई पेटीकोट को नीचे करके वह अपने नंगे बदन को ढंक ली और पेटिकोट की डोरी को बांध ली,,,, वही नीचे पड़े ब्लाउज को उठाकर वह पहनने लगी और थोड़ी ही देर में वह अपने कपड़े पहन कर पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी,,,, तभी एक मजदूर दौड़ता हुआ आया और बोला,,,,।
मालकिन,,, आपको मालिक ढूंढ रहे हैं,,,,
ठीक है चलो मैं आ रही हूं,,,,(इतना सुनकर वह खेत में काम करने वाला मजदूर चला गया और मुखिया की बीवी अपने मन में सोचने लगी कि अच्छा हुआ कि वहां सूरज के साथ संबंध नहीं बनाई वरना उसका मजदूर उसे देख लेता तो गजब हो जाता,,,,, तभी सूरज को खुश करने के लिए मुखिया की बीवी बोली,,,,,।
सूरज उसे तरफ देखो कद्दू के खेत है उसमें से दो चार कद्दू तोड़कर अपने घर ले जाना और सब्जी बनाकर खाना,,,,।
(इतना सुनते ही सूरज एकदम से खुश हो गया और तुरंत बगल वाले खेत की तरफ गया और दो-चार कद्दू तोड़कर ले आया लेकिन कद्दू को तोड़ते समय वह अपने मन में यही सोच रहा था कि कद्दू से भी बेहतरीन तो मालकिन के खरबूजे हैं और उसके बड़े-बड़े तरबूज,,, और अपने मन में ही इस तरह की बात करते हुए वह मुखिया की बीवी के पास आ गया और मुखिया की बीवी मुस्कुराते हुए आगे आगे चलने लगी और सूरज पीछे-पीछे,,,, चलते चलते मुखिया की बीवी बोली,,,)
जब भी बुलाऊं चले आना,,,, और इसी तरह से घर के लिए सब्जी फल लेते जाना,,,,
ठीक है मालकिन,,,,,।