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Incest पहाडी मौसम

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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rohnny4545

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लाडो की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि सूरज उसकी परेशानी किस तरह से दूर करने वाला है और उसकी परेशानी क्या है यह भी वह ठीक तरह से नहीं समझ पा रही थी बस एक मन में असमंजसता सी थी,,,जिसे वह खुद नहीं समझ पा रही थी इसीलिए वह बड़ी बेसब्री से सूरज का इंतजार कर रही थी सूरज एक बार आलू की बोरी लेने के लिए उसके कमरे में भी आया था लेकिनविवाह होने से पहले वह उसकी परेशानी दूर कर देगा ऐसा दिलासा देकर वह कमरे से चला गया था,,, और उसके जाने के बाद लाडो निराश होकर बिस्तर पर बैठ गई थी और शाम होने का इंतजार कर रही थी।





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दूसरी तरफ रानी आज बहुत खुश थी क्योंकि जिसके बारे में वह दिन रात सोचा करती थी जिससे मिलने के लिए वह तड़प रही थी वह खुद चलकर आज उसके पास आया थाऔर उसके साथ खाना भी खाया था जहां रानी के लिए बेहद खुशी की बात थी,,, उस दिन तो वह बेहोशी की हालत में थी लेकिन आज वह पूरे होशो हवास में थी और उसे घुड़सवार को इतने करीब से देख कर वह उसके प्रति आकर्षित हुई जा रही थी,,, और कुंवर भी रानी के प्रति आकर्षित हो चुका था इसीलिए तो उसे ढूंढता फिर रहा था लेकिन उसकी भी मेहनत रंग लाई थी और दोनों की मुलाकात अच्छे तरीके से हो गई थी और वह भी रानी की मां की आंखों के सामने,,, रानी की मां भी उसके अच्छे व्यवहार से काफी प्रभावित हुई थी बड़े घर का होने के बावजूद भी उसमें जरा भी अभिमान नहीं था और यही बात सुनैना को भी काफी प्रभावित कर रही थी,,, और इशारों ही इशारों में नदी के किनारे मिलने के लिए रानी को बोल भी दिया था,,,। कुंवर के जाने के बाद मां बेटी कुछ देर तक वहां बैठी रही और फिर घर वापस आ गई क्योंकि आज उन्हें शादी में जाना था जिसके लिए उन्हें तैयारी करना था।





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शाम हो चुकी थी और धीरे-धीरे शाम ढल रही थी गांव में मेहमानों का आना-जाना शुरू हो चुका था और वैसे भी गांव में जब शादीहोती है तो पूरा गांव और शादी में शामिल भी होता है और मदद भी करता है इसलिए आज पूरे गांव में त्यौहार जैसा माहौल नजर आ रहा था सभी बहुत खुश थे क्योंकिशादी की खुशी में इस बात की भी खुशी थी कि शाम को पूरी सब्जी मिठाई खाने को मिलने वाली थी और अधिकतर गांवों के लोग शादी विवाह का इंतजार भी इसीलिए करते हैं कि कुछ अच्छा खाने को मिल जाएगा,,, जैसे-जैसे शाम डर रही थी वैसे-वैसे माहौल निखरता चला जा रहा था,,, चारों तरफ लालटेन या मसाल जलाकर रोशनी की जा रही थी,,, और उसकी रोशनी में पूरा गांव जगमगा रहा था।जिसे देखकर गांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी खुश नजर आ रहे थे और सभी अपने तरीके से शादी में शामिल होने के लिए तैयार हो रहे थे। और यही उत्साह सुनैना के साथ-साथ रानी में भी दिखाई दे रहा था सूरज तो खैर लगा हुआ था शादी में और अपनी जुगाड़ में और उसे पूरा यकीन था कि वह अपनी जुगाड़ में जरुर सफल हो जाएगा। इसीलिए तो वह चारों तरफ नजर बनाए हुए थाऔर उसे परिवार में ऐसा घुल मिल गया था कि मानो जैसे उसी परिवार का कोई सदस्य हो।लेकिन अब उसे भी घर जाना था तैयार होकर वापस शादी में आना था इसलिए वह लाडो के पिताजी से इजाजत लेकर घर जाने लगा लेकिन लाडो के पिताजी उससे बोले।

बेटा जल्दी आनाक्योंकि रसोई का काम तुम्हारे हाथ में है अगर वह बिगड़ गया तो समझ लो शादी में कुछ भी अच्छा नहीं होगा।

आप बिल्कुल भी फिक्र मत करिए मैं यूं गया और युं आया,,,,, मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा,,,बस हलवाई पर थोड़ा ध्यान देना बाकी मैं सब कुछ उसे बता दिया हूं,,,,,।

ठीक है बेटा,,,,।

(और मुस्कुराता हुआ सूरज अपने घर की तरफ चल दिया,,,,रास्ते में जो भी मिल रहा था पूछे जाने पर वह यही बोल रहा था कि लाडो के घर जा रहे हैं शादी में,,, पूरे गांव का न्योता जो था उसके घर पर,,,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसके पास भी समय काम है जो कुछ भी करना है वह सोच समझ कर करना है,,, लाडो की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा था। लाडो की परेशानी का हाल सूरज अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि लाडो किस लिए परेशान हो रही है,,,इसलिए तो वह समझ रहा था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है बस हथोड़ा करने की देरी है और इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। लाडो के बारे में सोचता हुआ वह अपने घर पर पहुंच चुका था,,, घर पर पहुंच कर देखा तो कपड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे,,,,,, और पानी की धार घर के अंदर की तरफ जा रही थी जो कि अंधेरा होने के बावजूद भी लालटेन की रोशनी में साफ दिखाई दे रहा था और उस पानी की धार को देखकर उसके निशान को देखकरसूरज को समझते देर नहीं लगा था कि अभी-अभी कोई नहा कर अंदर की तरफ गया है,,, और उसकी आंखों के सामने रानी का चेहरा नजर आने लगा उसके बारे में सोच कर सूरज की आंखों की चमक बढ़ने लगी क्योंकि शादी में शामिल होकर लाडो के बारे में जिस तरह का ख्याल उसके मन में आ रहा था वहख्याल की बदौलत इस समय सूरज अपने बदले में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और वह तुरंत रानी के कमरे में घुस जाना चाहता थाऔर अपनी जवानी की प्यास बुझा लेना चाहता था इसलिए वह प्रसन्न होता हुआ उसे धार के सहारे अंदर की तरफ जाने लगा,,,,लेकिन वह पानी कि धार रानी के कमरे की तरफ नहीं उसकी मां के कमरे की तरफ जा रही थी। और यह देखकर सूरज वहीं पर रुक गया,,,।


उसे समझ में नहीं आ रहा था कि समय उसे अपनी मां के कमरे की तरफ जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए,,,, कुछ देर वहीं खड़े रहने के बाद उसका मन नहीं माना और वह अपनी मां के कमरे की तरफ कदम आगे बढ़ा दिया,,,वह धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ाना आशा ताकि उसके कदमों की आहट उसकी मां के कानों तक ना पहुंच सके क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसके होने की मौजूदगी उसकी मां को पता चले,,, और देखते ही-देखते वह अपनी मां के कमरे के करीब पहुंच गया।कमरे का दरवाजा बंद जरूर था लेकिन हल्का सा खुला हुआ था उसे पर सिटकनी नहीं लगी हुई थी और और उसमें से कमरे का सारा दृश्य दिखाई दे रहा था। दीवार की ओट में अपने आप को छुपा कर सूरजहल्के से नजर को दरवाजे के अंदर टीकाकर कमरे के अंदर का दृश्य देखने लगा,,,पहले तो उसे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन धीरे-धीरे अंदर का दृश्य एकदम साफ दिखाई देने लगा,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ स्पष्ट होने लगा और जैसे ही उसकी नजर उसकी मां पर पड़ी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।

वहआश्चर्यचकित होकर अपनी मां के रूप सौंदर्य को देखता ही रह गया,,,,, अपनी मां के रूप को देखकर और उसके गीले बालों को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मां अभी-अभी नहा कर अपने कमरे में गई है,,,, लेकिन जिस अवस्था में अपने कमरे में थी उसे अवस्था को देखकर सूरज का लंड अपनी औकात में आ गया था,,,सूरज क्या उसकी जगह कोई और भी होता तो उसकी भी यही हालत होती क्योंकि उसकी मां अपने कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था इसलिए तो सूरज अपनी मां को देखता ही रह गया,,,लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां कमरे में पहुंचकर अपने कपड़े उतार लिया नहाने के बाद वह नंगी ही अपने कमरे के अंदर तक गई है,,, अपने मन में आए इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वह कमरे के अंदर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा कि कहीं कोई गिला वस्त्र दिखाई दे दे लेकिन ऐसा कुछ भी कमरे में दिखाई नहीं दिया जिसे लपेटकर उसकी मां कमरे तक आई हो और उसे पूरा यकीन हो गया कि उसकी मनाने के बाद बिना कपड़ों के ही नंगी अपने कमरे के अंदर दाखिल हुई है और इस बारे में सोचकर तो एकदम से उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,,।

धड़कते दिल के साथ सूरज कमरे के अंदर के किसी को देख रहा था और उसकी मां छोटे से आईने में अपनी खूबसूरत चेहरे को देख रही थी और उसके बाकी के खूबसूरत अंगों को सूरज चोर नजरों से देख रहा था,,,सुनैना की पीठ दरवाजे की तरफ थी जिसे सूरज को उसकी मां की नंगी चिकनी पीठ और उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी गांड की लचक एकदम खूबसूरत मटके की तरह थी एकदम गोलाई लिए हुए उसमें बिल्कुल भी भारीपन नहीं था,,, जिससे गांड लटक जाए बल्कि वह एकदम कसाव लिए हुए था,,,जिसे देख कर सूरज का मन विचलित हो रहा था उत्तेजित हो रहा थाऔर उसका मन कर रहा था कि इसी समय कमरे में दाखिल हो जाए और अपनी मां को पीछे से पकड़कर अपनी बाहों में दबोच ले,,, लेकिन वह ऐसा कर नहीं सकता था खेत में जिस तरह से उसनेअपनी मां के नींद में होने का पूरा फायदा उठाकर अपने लंड को उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड से रगड़ कर अपना पानी निकाला था,,, इस समय वही गांड भीगी होने पर और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई दे रही थी लालटेन की पीली रोशनी में तो ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान में कोई चांद चमक रहा हो,,, सूरज इस खूबसूरत नजारे को अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दबा कर देख रहा था,,, और उसे इस समय किसी के भी द्वारा उसे देखे जाने का डर नहीं था,,,क्योंकि वह जानता था कि घर में उन तीनों के सिवा और कोई तो था नहीं रानी को पहले ही वह अपनी मां के बारे में चिकनी चुपड़ी बात बात कर उसे मना लिया था कि भविष्य में अगर उन दोनों का राज खुला तो वह इस खेल में वह अपनी मां को भी शामिल कर लेगा ताकि तीनों का राज राज ही बनकर रह जाए,,,, इसलिए वह खूबसूरत नजारे को निश्चिंत होकर देख रहा था।

कुछ देर आईने में अपने आप को देखने के बाद सुनैना नए वस्त्र को पहनने लगी वह नई पेटिकोट निकालकर उसे दोनों हाथों में पकड़ करऊपर से नहीं बल्कि नीचे से अपनी एक-एक पैर उठाकर उसे अंदर की तरफ डाली और एकदम से कमर तक ले आई जिससे एक खूबसूरत दृश्य पर पर्दा से पड़ गया थालेकिन फिर भी पेटिकोट इतनी कसी हुई थी की डोरी बांधने के बाद भी उसकी बड़ी-बड़ी कर पेटीकोट में अपना जलवा बिखेर रही थी,,,सूरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि यह खूबसूरत है तेरे से धीरे-धीरे पहन के पीछे छुप जाने वाला हैलेकिन फिर भी इस नजाकत को देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था वह लगातार अपनी मां की तरफ देख रहा था और उसकी मां धीरे-धीरे एक-एक करके अपने वस्त्र पहन रही थी पेटिकोट पहने के बाद वह एक खूबसूरत सा ब्लाउज निकाली और उसे पहनने लगीऔर मजे वाली बात यह थी कि वह अपनी दोनों चूचियों को अपने हाथ से पकड़ कर ब्लाउज की गोलाई में डालकर उसे व्यवस्थित कर रही थी,,, अपनी मां की इस हरकत को देखकर उसकी नजाकत को देखकर सूरज को यही समझ में आया था कि उसकी मां की चूची ब्लाउज के नाप सेबड़ी थी जिसे वह अपने हाथ से पकड़ कर उसे व्यवस्थित कर रही थी और यह एहसास होते ही सूरज जोर से अपने लंड को दबोच लिया,,,,।

सुनैना बारी-बारी से अपनी दोनों चूचियों को ब्लाउज के दोनों गोली में डाल चुकी थी लेकिन वह ब्लाउज बटन वाली नहीं बल्कि डोरी वाली थी,,, जिसे पीछे से कस के बांधा जाता थाऔर सुनैना उस डोरी को बांधने की नाकाम कोशिश करने लगी।लेकिन उसका हाथ ठीक से पीछे की तरफ जा नहीं रहा था जिसकी वजह से वह अपने ब्लाउज की डोरी को बांध नहीं पा रही थी काफी देर से वह परेशान हो रही थी,,,,सुनैना को भी लगने लगा कि वह अकेले इस काम को अंजाम नहीं दे पाएगी वह परेशान हो गई थी और इस समय घर पर रानी भी नहीं थी क्योंकि वह पहले ही तैयार होकर चली गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह इसलिए उधेड़बुन में थी कि तभी उसके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।

लाओ में डोरी बांध देता हूं,,,,,,,।
(यह शब्द जैसे ही उसके कान में पड़े उसका पूरा बदन एकदम से ठंड पड़ने लगा क्योंकि वह इस आवाज को पहचानती थी समझ गई कि दरवाजे पर उसका बेटा खड़ा है,,,,, सुनैनाकी हालत ऐसी थी कि ना तो वह कुछ कर सकती थी और ना ही पीछे पलट कर अपने बेटे की तरफ देख सकती थी वह शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, अपने बेटे केइस बात पर वह बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन अपनी मां का जवाब सुने बिना हीसूरज अपनी मां के कमरे में जाकर भर चुका था उसके आने की आहट उसे पूरी तरह से मदहोश कर रही थी सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,, पीछे पलट कर देखे बिना ही वह इस बात को जान गई थी कि कमरे में उसका बेटा है उसकी आवाज उसकी अाहट वह अच्छी तरह से पहचानती थी,,, सुनैना की सांसें बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, सूरज मन ही मन में मुस्कुराता हुआ धीरे-धीरे अपनी मां के करीब पहुंच चुका था,,,,सुनैना के दोनों हाथ अभी पीछे की तरफ थे और उसके दोनों हाथों की नाजुकों ऊंगलियों में ब्लाउज की डोरी थी,,, और उस डोरी को सूरज जल्दी से जल्द अपने हाथ में ले लेना चाहता था,,,और वह ठीक अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया था जहां से उसका खुद का भी चेहरा आईने में साफ दिखाई दे रहा था वह आईने की तरफ देखा तो उसकी मां कुछ पल के लिए आईने में देख रही थी लेकिन जैसे ही आईने में दोनों की नजरे टकराई सुनैना शर्म के मारे अपनी नज़रें नीचे झुका ली,,,,।

सूरज अपनी मां की स्थिति को अच्छी तरह से समझ रहा था औरवह समझ गया था कि उसकी मां उसे रोकने वाली नहीं है क्योंकि अगर उसे रोकना होता तो वह तुरंत उसकी तरफ देखती और इस दरवाजे पर ही रोक देती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ थाऔर सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी मां के हाथों में से उसके ब्लाउज की रेशमी डोरी को अपने हाथ में ले लिया लेकिन डोरी को अपने हाथ में लेते हुएमां बेटे दोनों की उंगलियां आपस में स्पर्श हुई जिससे दोनों के बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा,,,,आईने में सूरज बराबर देख रहा था आइना कुछ खास बड़ा नहीं था लेकिन उसमें सिर्फ चेहरा ही दिखाई दे रहा था और हल्के से उसकी मां की चूचियों के ऊपरी गहरी लकीर दिखाई दे रही थी अगर आईना बड़ा होता तो उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचीया एकदम से नंगी आईने में उजागर हो जाती। बस यही बात का मलाल सूरज के मन में इस समय हो रहा था,,,,लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था वैसे तो करने को वह इस समय बहुत कुछ कर सकता था मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय दोनों डोरी को पकड़ कर वह पीछे सेअपनी मां को अपनी बाहों में भर ले या फिर अपने हाथों से उसका ब्लाउज उतार कर उसका पेटिकोट उतार कर एक बार फिर से उसे पूरी तरह से नंगी कर दे लेकिन ऐसा वह कर नहीं सकता था,,,, और हाथों में लिया हुआ रेशमी डोरी को कहा बांधने लगा और डोरी को कस के पीछे की तरफ खींच कर उसका गिठान बांधने से पहले वह बोला,,,)

इतना ठीक है ना नहीं तो कस के बंध जाएगी तो दुखेगी,,,,।

ठठठ,,,, ठीक है,,,,(उत्तेजना के मारे सुनैना के मुंह में से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,,उसकी गहरी गहरी चलती सांसों के चलते उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,,, अपनी मां का जवाब सुनकर आईने में अपनी मां की खूबसूरत शर्म से भरे हुए चेहरे को देखकर मुस्कुराते हुए सूरज बोला)

हां इतना सही रहेगा इसमें तुम्हें आराम भी रहेगा और दुखेगा की नहीं,,,(इतना कहते हुए वहां डोरी की गिंठान बांधने लगा,,,,,उसकी मां को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले लेकिन फिर भी बड़ी हिम्मत करके उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला,,,)

तू कब आया,,,

मैं तो कब से खड़ा हूं और देख रहा हूं कि तुम अपने हाथ से अपने ब्लाउज की डोरी नहीं बांध पा रही हो,,,,,।

(अपने बेटे का जवाब सुनते ही सुनैना की तो हालत खराब होने लगी,,,,क्योंकि वह जानती थी कि कुछ क्षण पहले वह कमरे में पूरी तरह से नंगी करी थी और उसका बेटा कह रहा था कि वह कब से तुम्हें देख रहा है इसका मतलब था कि वह जब नंगी थी तभी उसका बेटा उसे देख रहा था उसके नंगे बदन को उसका बेटा देख लिया यह सोचकर उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, और वह हैरान होते हुए बोली,,,)

क्या तू कब से खड़ा था,,,!(सुनैना के शब्दों में थोड़ा गुस्साथोड़ी मदहोशी थोड़ी हैरानी सबकुछ साफ दिखाई दे रही थी सूरज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां इस समय क्या समझ रही है क्या सोच रही है,,,,,, इसलिए वह अपनी मां की शंका को दूर करने के लिए बोला,,,)

मतलब कि जब तुम अपना हाथ पीछे की तरफ करकेब्लाउज की डोरी बांधने की कोशिश कर रही थी तभी मैं आया था क्योंकि शादी में जाने के लिए देर हो रही है वहां जाओगी तो गाना बजाना होगागांव की सभी औरतें शामिल है और तुम्हारे बारे में सब पूछ रहे थे इसलिए मैं जल्दी-जल्दी आया हूं,,,,(ब्लाउज की डोरी को बांधते हुए सूरज बोला,,,और उसकी बातें सुनकर सुनैना को राहत हुई कि उसका बेटा इससे पहले नहीं आया वरना वह उसके नंगे बदन को देख लेता,,,,सुनैना ईस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसके साथ खेत में किस तरह की हरकत कर चुका है उसे पेशाब करते हुए देख चुका है उसकी नंगी गांड पर अपना लंड रगडकर अपना पानी निकाल चुका है,,,, इसलिए उसकी गांड उसके बेटे के लिए कुछ नई नहीं थी लेकिन फिर भी बहुत खुश थीलेकिन उसे इस बात की तसल्ली हुई कि उसका बेटा जब वह कमरे में नंगी थी तब नहीं आया था जब वह कपड़े पहन रही थी तब आया था,,,,सूरज की बात सुनकर सुनैना जल्द से जल्द कमरे से बाहर निकल जाना चाहती थी क्योंकि उसे दिन की हरकत को देखकर उसे इस बात का डर था कि कहीं एकांत पाकर उसका बेटा उसके साथ कोई हरकत ना कर देऔर वह अपने बेटे को रोक नहीं पाएगी क्योंकि उसकी हरकत से वह भी मदहोश हो जाती थी इसलिए वह डोरी बंध जाने के बाद बोली,,,)

चल अब तू उठ जा जल्दी से नहा कर तैयार हो जा मे तैयार हो गई हूं मैं जा रही हूं और तू आते समय दरवाजा बंद करके आना ,,,,।




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ठीक है,,,,,, मैं भी जाकर नहा लेता हूं,,,,(इतना कह कर वह दरवाजे की तरफ घूमने को हुआ किसुनैना तुरंत अपनी नजर पीछे घूमकर अपने बेटे की तरफ अच्छी और उसकी नजर सीधे उसके पजामे में बने तंबू पर पड़ गई उसके तंबू को देखकर सुनैना एकदम से सिहर उठी और कमरे से उसके बाहर जाते हुए जल्दी से साड़ी पहनकरशादी के लिए निकल गई और थोड़ी देर बाद सूरज भी ना हाथ होकर तैयार होकर दरवाजे को अच्छी तरह से बंद करके शादी के लिए निकल गया।)
 
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sunoanuj

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लाडो की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि सूरज उसकी परेशानी किस तरह से दूर करने वाला है और उसकी परेशानी क्या है यह भी वह ठीक तरह से नहीं समझ पा रही थी बस एक मन में असमंजसता सी थी,,,जिसे वह खुद नहीं समझ पा रही थी इसीलिए वह बड़ी बेसब्री से सूरज का इंतजार कर रही थी सूरज एक बार आलू की बोरी लेने के लिए उसके कमरे में भी आया था लेकिनविवाह होने से पहले वह उसकी परेशानी दूर कर देगा ऐसा दिलासा देकर वह कमरे से चला गया था,,, और उसके जाने के बाद लाडो निराश होकर बिस्तर पर बैठ गई थी और शाम होने का इंतजार कर रही थी।

दूसरी तरफ रानी आज बहुत खुश थी क्योंकि जिसके बारे में वह दिन रात सोचा करती थी जिससे मिलने के लिए वह तड़प रही थी वह खुद चलकर आज उसके पास आया थाऔर उसके साथ खाना भी खाया था जहां रानी के लिए बेहद खुशी की बात थी,,, उस दिन तो वह बेहोशी की हालत में थी लेकिन आज वह पूरे होशो हवास में थी और उसे घुड़सवार को इतने करीब से देख कर वह उसके प्रति आकर्षित हुई जा रही थी,,, और कुंवर भी रानी के प्रति आकर्षित हो चुका था इसीलिए तो उसे ढूंढता फिर रहा था लेकिन उसकी भी मेहनत रंग लाई थी और दोनों की मुलाकात अच्छे तरीके से हो गई थी और वह भी रानी की मां की आंखों के सामने,,, रानी की मां भी उसके अच्छे व्यवहार से काफी प्रभावित हुई थी बड़े घर का होने के बावजूद भी उसमें जरा भी अभिमान नहीं था और यही बात सुनैना को भी काफी प्रभावित कर रही थी,,, और इशारों ही इशारों में नदी के किनारे मिलने के लिए रानी को बोल भी दिया था,,,। कुंवर के जाने के बाद मां बेटी कुछ देर तक वहां बैठी रही और फिर घर वापस आ गई क्योंकि आज उन्हें शादी में जाना था जिसके लिए उन्हें तैयारी करना था।

शाम हो चुकी थी और धीरे-धीरे शाम ढल रही थी गांव में मेहमानों का आना-जाना शुरू हो चुका था और वैसे भी गांव में जब शादीहोती है तो पूरा गांव और शादी में शामिल भी होता है और मदद भी करता है इसलिए आज पूरे गांव में त्यौहार जैसा माहौल नजर आ रहा था सभी बहुत खुश थे क्योंकिशादी की खुशी में इस बात की भी खुशी थी कि शाम को पूरी सब्जी मिठाई खाने को मिलने वाली थी और अधिकतर गांवों के लोग शादी विवाह का इंतजार भी इसीलिए करते हैं कि कुछ अच्छा खाने को मिल जाएगा,,, जैसे-जैसे शाम डर रही थी वैसे-वैसे माहौल निखरता चला जा रहा था,,, चारों तरफ लालटेन या मसाल जलाकर रोशनी की जा रही थी,,, और उसकी रोशनी में पूरा गांव जगमगा रहा था।जिसे देखकर गांव के बूढ़े बच्चे औरतें सभी खुश नजर आ रहे थे और सभी अपने तरीके से शादी में शामिल होने के लिए तैयार हो रहे थे। और यही उत्साह सुनैना के साथ-साथ रानी में भी दिखाई दे रहा था सूरज तो खैर लगा हुआ था शादी में और अपनी जुगाड़ में और उसे पूरा यकीन था कि वह अपनी जुगाड़ में जरुर सफल हो जाएगा। इसीलिए तो वह चारों तरफ नजर बनाए हुए थाऔर उसे परिवार में ऐसा घुल मिल गया था कि मानो जैसे उसी परिवार का कोई सदस्य हो।लेकिन अब उसे भी घर जाना था तैयार होकर वापस शादी में आना था इसलिए वह लाडो के पिताजी से इजाजत लेकर घर जाने लगा लेकिन लाडो के पिताजी उससे बोले।

बेटा जल्दी आनाक्योंकि रसोई का काम तुम्हारे हाथ में है अगर वह बिगड़ गया तो समझ लो शादी में कुछ भी अच्छा नहीं होगा।

आप बिल्कुल भी फिक्र मत करिए मैं यूं गया और युं आया,,,,, मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा,,,बस हलवाई पर थोड़ा ध्यान देना बाकी मैं सब कुछ उसे बता दिया हूं,,,,,।

ठीक है बेटा,,,,।

(और मुस्कुराता हुआ सूरज अपने घर की तरफ चल दिया,,,,रास्ते में जो भी मिल रहा था पूछे जाने पर वह यही बोल रहा था कि लाडो के घर जा रहे हैं शादी में,,, पूरे गांव का न्योता जो था उसके घर पर,,,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि उसके पास भी समय काम है जो कुछ भी करना है वह सोच समझ कर करना है,,, लाडो की हालत को वह अच्छी तरह से समझ रहा था। लाडो की परेशानी का हाल सूरज अच्छी तरह से जानता था वह जानता था कि लाडो किस लिए परेशान हो रही है,,,इसलिए तो वह समझ रहा था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है बस हथोड़ा करने की देरी है और इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। लाडो के बारे में सोचता हुआ वह अपने घर पर पहुंच चुका था,,, घर पर पहुंच कर देखा तो कपड़े इधर-उधर बिखरे पड़े थे,,,,,, और पानी की धार घर के अंदर की तरफ जा रही थी जो कि अंधेरा होने के बावजूद भी लालटेन की रोशनी में साफ दिखाई दे रहा था और उस पानी की धार को देखकर उसके निशान को देखकरसूरज को समझते देर नहीं लगा था कि अभी-अभी कोई नहा कर अंदर की तरफ गया है,,, और उसकी आंखों के सामने रानी का चेहरा नजर आने लगा उसके बारे में सोच कर सूरज की आंखों की चमक बढ़ने लगी क्योंकि शादी में शामिल होकर लाडो के बारे में जिस तरह का ख्याल उसके मन में आ रहा था वहख्याल की बदौलत इस समय सूरज अपने बदले में उत्तेजना का अनुभव कर रहा था और वह तुरंत रानी के कमरे में घुस जाना चाहता थाऔर अपनी जवानी की प्यास बुझा लेना चाहता था इसलिए वह प्रसन्न होता हुआ उसे धार के सहारे अंदर की तरफ जाने लगा,,,,लेकिन वह पानी कि धार रानी के कमरे की तरफ नहीं उसकी मां के कमरे की तरफ जा रही थी। और यह देखकर सूरज वहीं पर रुक गया,,,।


उसे समझ में नहीं आ रहा था कि समय उसे अपनी मां के कमरे की तरफ जाना चाहिए कि नहीं जाना चाहिए,,,, कुछ देर वहीं खड़े रहने के बाद उसका मन नहीं माना और वह अपनी मां के कमरे की तरफ कदम आगे बढ़ा दिया,,,वह धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ाना आशा ताकि उसके कदमों की आहट उसकी मां के कानों तक ना पहुंच सके क्योंकि वह नहीं चाहता था कि उसके होने की मौजूदगी उसकी मां को पता चले,,, और देखते ही-देखते वह अपनी मां के कमरे के करीब पहुंच गया।कमरे का दरवाजा बंद जरूर था लेकिन हल्का सा खुला हुआ था उसे पर सिटकनी नहीं लगी हुई थी और और उसमें से कमरे का सारा दृश्य दिखाई दे रहा था। दीवार की ओट में अपने आप को छुपा कर सूरजहल्के से नजर को दरवाजे के अंदर टीकाकर कमरे के अंदर का दृश्य देखने लगा,,,पहले तो उसे कुछ समझ में नहीं आया लेकिन धीरे-धीरे अंदर का दृश्य एकदम साफ दिखाई देने लगा,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ स्पष्ट होने लगा और जैसे ही उसकी नजर उसकी मां पर पड़ी उसकी आंखें फटी की फटी रह गई।

वहआश्चर्यचकित होकर अपनी मां के रूप सौंदर्य को देखता ही रह गया,,,,, अपनी मां के रूप को देखकर और उसके गीले बालों को देखकर वह समझ गया था कि उसकी मां अभी-अभी नहा कर अपने कमरे में गई है,,,, लेकिन जिस अवस्था में अपने कमरे में थी उसे अवस्था को देखकर सूरज का लंड अपनी औकात में आ गया था,,,सूरज क्या उसकी जगह कोई और भी होता तो उसकी भी यही हालत होती क्योंकि उसकी मां अपने कमरे में पूरी तरह से नंगी खड़ी थी उसके बदन पर कपड़े का रेशा तक नहीं था इसलिए तो सूरज अपनी मां को देखता ही रह गया,,,लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसकी मां कमरे में पहुंचकर अपने कपड़े उतार लिया नहाने के बाद वह नंगी ही अपने कमरे के अंदर तक गई है,,, अपने मन में आए इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए वह कमरे के अंदर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगा कि कहीं कोई गिला वस्त्र दिखाई दे दे लेकिन ऐसा कुछ भी कमरे में दिखाई नहीं दिया जिसे लपेटकर उसकी मां कमरे तक आई हो और उसे पूरा यकीन हो गया कि उसकी मनाने के बाद बिना कपड़ों के ही नंगी अपने कमरे के अंदर दाखिल हुई है और इस बारे में सोचकर तो एकदम से उसके लंड की अकड़ बढ़ने लगी,,,।

धड़कते दिल के साथ सूरज कमरे के अंदर के किसी को देख रहा था और उसकी मां छोटे से आईने में अपनी खूबसूरत चेहरे को देख रही थी और उसके बाकी के खूबसूरत अंगों को सूरज चोर नजरों से देख रहा था,,,सुनैना की पीठ दरवाजे की तरफ थी जिसे सूरज को उसकी मां की नंगी चिकनी पीठ और उसकी बड़ी-बड़ी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी गांड की लचक एकदम खूबसूरत मटके की तरह थी एकदम गोलाई लिए हुए उसमें बिल्कुल भी भारीपन नहीं था,,, जिससे गांड लटक जाए बल्कि वह एकदम कसाव लिए हुए था,,,जिसे देख कर सूरज का मन विचलित हो रहा था उत्तेजित हो रहा थाऔर उसका मन कर रहा था कि इसी समय कमरे में दाखिल हो जाए और अपनी मां को पीछे से पकड़कर अपनी बाहों में दबोच ले,,, लेकिन वह ऐसा कर नहीं सकता था खेत में जिस तरह से उसनेअपनी मां के नींद में होने का पूरा फायदा उठाकर अपने लंड को उसकी मदमस्त कर देने वाली गांड से रगड़ कर अपना पानी निकाला था,,, इस समय वही गांड भीगी होने पर और भी ज्यादा खूबसूरत दिखाई दे रही थी लालटेन की पीली रोशनी में तो ऐसा लग रहा था कि जैसे आसमान में कोई चांद चमक रहा हो,,, सूरज इस खूबसूरत नजारे को अपने लंड को अपनी मुट्ठी में दबा दबा कर देख रहा था,,, और उसे इस समय किसी के भी द्वारा उसे देखे जाने का डर नहीं था,,,क्योंकि वह जानता था कि घर में उन तीनों के सिवा और कोई तो था नहीं रानी को पहले ही वह अपनी मां के बारे में चिकनी चुपड़ी बात बात कर उसे मना लिया था कि भविष्य में अगर उन दोनों का राज खुला तो वह इस खेल में वह अपनी मां को भी शामिल कर लेगा ताकि तीनों का राज राज ही बनकर रह जाए,,,, इसलिए वह खूबसूरत नजारे को निश्चिंत होकर देख रहा था।

कुछ देर आईने में अपने आप को देखने के बाद सुनैना नए वस्त्र को पहनने लगी वह नई पेटिकोट निकालकर उसे दोनों हाथों में पकड़ करऊपर से नहीं बल्कि नीचे से अपनी एक-एक पैर उठाकर उसे अंदर की तरफ डाली और एकदम से कमर तक ले आई जिससे एक खूबसूरत दृश्य पर पर्दा से पड़ गया थालेकिन फिर भी पेटिकोट इतनी कसी हुई थी की डोरी बांधने के बाद भी उसकी बड़ी-बड़ी कर पेटीकोट में अपना जलवा बिखेर रही थी,,,सूरज इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि यह खूबसूरत है तेरे से धीरे-धीरे पहन के पीछे छुप जाने वाला हैलेकिन फिर भी इस नजाकत को देखने के लिए उसका मन तड़प रहा था वह लगातार अपनी मां की तरफ देख रहा था और उसकी मां धीरे-धीरे एक-एक करके अपने वस्त्र पहन रही थी पेटिकोट पहने के बाद वह एक खूबसूरत सा ब्लाउज निकाली और उसे पहनने लगीऔर मजे वाली बात यह थी कि वह अपनी दोनों चूचियों को अपने हाथ से पकड़ कर ब्लाउज की गोलाई में डालकर उसे व्यवस्थित कर रही थी,,, अपनी मां की इस हरकत को देखकर उसकी नजाकत को देखकर सूरज को यही समझ में आया था कि उसकी मां की चूची ब्लाउज के नाप सेबड़ी थी जिसे वह अपने हाथ से पकड़ कर उसे व्यवस्थित कर रही थी और यह एहसास होते ही सूरज जोर से अपने लंड को दबोच लिया,,,,।

सुनैना बारी-बारी से अपनी दोनों चूचियों को ब्लाउज के दोनों गोली में डाल चुकी थी लेकिन वह ब्लाउज बटन वाली नहीं बल्कि डोरी वाली थी,,, जिसे पीछे से कस के बांधा जाता थाऔर सुनैना उस डोरी को बांधने की नाकाम कोशिश करने लगी।लेकिन उसका हाथ ठीक से पीछे की तरफ जा नहीं रहा था जिसकी वजह से वह अपने ब्लाउज की डोरी को बांध नहीं पा रही थी काफी देर से वह परेशान हो रही थी,,,,सुनैना को भी लगने लगा कि वह अकेले इस काम को अंजाम नहीं दे पाएगी वह परेशान हो गई थी और इस समय घर पर रानी भी नहीं थी क्योंकि वह पहले ही तैयार होकर चली गई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें वह इसलिए उधेड़बुन में थी कि तभी उसके कानों में आवाज सुनाई दी,,,।

लाओ में डोरी बांध देता हूं,,,,,,,।
(यह शब्द जैसे ही उसके कान में पड़े उसका पूरा बदन एकदम से ठंड पड़ने लगा क्योंकि वह इस आवाज को पहचानती थी समझ गई कि दरवाजे पर उसका बेटा खड़ा है,,,,, सुनैनाकी हालत ऐसी थी कि ना तो वह कुछ कर सकती थी और ना ही पीछे पलट कर अपने बेटे की तरफ देख सकती थी वह शर्म से गड़ी जा रही थी,,,, अपने बेटे केइस बात पर वह बिल्कुल भी किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं दी लेकिन अपनी मां का जवाब सुने बिना हीसूरज अपनी मां के कमरे में जाकर भर चुका था उसके आने की आहट उसे पूरी तरह से मदहोश कर रही थी सुनैना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,, पीछे पलट कर देखे बिना ही वह इस बात को जान गई थी कि कमरे में उसका बेटा है उसकी आवाज उसकी अाहट वह अच्छी तरह से पहचानती थी,,, सुनैना की सांसें बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, सूरज मन ही मन में मुस्कुराता हुआ धीरे-धीरे अपनी मां के करीब पहुंच चुका था,,,,सुनैना के दोनों हाथ अभी पीछे की तरफ थे और उसके दोनों हाथों की नाजुकों ऊंगलियों में ब्लाउज की डोरी थी,,, और उस डोरी को सूरज जल्दी से जल्द अपने हाथ में ले लेना चाहता था,,,और वह ठीक अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया था जहां से उसका खुद का भी चेहरा आईने में साफ दिखाई दे रहा था वह आईने की तरफ देखा तो उसकी मां कुछ पल के लिए आईने में देख रही थी लेकिन जैसे ही आईने में दोनों की नजरे टकराई सुनैना शर्म के मारे अपनी नज़रें नीचे झुका ली,,,,।

सूरज अपनी मां की स्थिति को अच्छी तरह से समझ रहा था औरवह समझ गया था कि उसकी मां उसे रोकने वाली नहीं है क्योंकि अगर उसे रोकना होता तो वह तुरंत उसकी तरफ देखती और इस दरवाजे पर ही रोक देती लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ थाऔर सूरज अपना हाथ आगे बढ़कर अपनी मां के हाथों में से उसके ब्लाउज की रेशमी डोरी को अपने हाथ में ले लिया लेकिन डोरी को अपने हाथ में लेते हुएमां बेटे दोनों की उंगलियां आपस में स्पर्श हुई जिससे दोनों के बदन में उत्तेजना का तूफान उठने लगा,,,,आईने में सूरज बराबर देख रहा था आइना कुछ खास बड़ा नहीं था लेकिन उसमें सिर्फ चेहरा ही दिखाई दे रहा था और हल्के से उसकी मां की चूचियों के ऊपरी गहरी लकीर दिखाई दे रही थी अगर आईना बड़ा होता तो उसकी मदमस्त कर देने वाली चुचीया एकदम से नंगी आईने में उजागर हो जाती। बस यही बात का मलाल सूरज के मन में इस समय हो रहा था,,,,लेकिन वह कुछ कर नहीं सकता था वैसे तो करने को वह इस समय बहुत कुछ कर सकता था मन तो उसका कर रहा था कि इसी समय दोनों डोरी को पकड़ कर वह पीछे सेअपनी मां को अपनी बाहों में भर ले या फिर अपने हाथों से उसका ब्लाउज उतार कर उसका पेटिकोट उतार कर एक बार फिर से उसे पूरी तरह से नंगी कर दे लेकिन ऐसा वह कर नहीं सकता था,,,, और हाथों में लिया हुआ रेशमी डोरी को कहा बांधने लगा और डोरी को कस के पीछे की तरफ खींच कर उसका गिठान बांधने से पहले वह बोला,,,)

इतना ठीक है ना नहीं तो कस के बंध जाएगी तो दुखेगी,,,,।

ठठठ,,,, ठीक है,,,,(उत्तेजना के मारे सुनैना के मुंह में से शब्द नहीं फूट रहे थे,,,,उसकी गहरी गहरी चलती सांसों के चलते उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,,, अपनी मां का जवाब सुनकर आईने में अपनी मां की खूबसूरत शर्म से भरे हुए चेहरे को देखकर मुस्कुराते हुए सूरज बोला)

हां इतना सही रहेगा इसमें तुम्हें आराम भी रहेगा और दुखेगा की नहीं,,,(इतना कहते हुए वहां डोरी की गिंठान बांधने लगा,,,,,उसकी मां को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले लेकिन फिर भी बड़ी हिम्मत करके उसके मुंह से सिर्फ इतना ही निकला,,,)

तू कब आया,,,

मैं तो कब से खड़ा हूं और देख रहा हूं कि तुम अपने हाथ से अपने ब्लाउज की डोरी नहीं बांध पा रही हो,,,,,।

(अपने बेटे का जवाब सुनते ही सुनैना की तो हालत खराब होने लगी,,,,क्योंकि वह जानती थी कि कुछ क्षण पहले वह कमरे में पूरी तरह से नंगी करी थी और उसका बेटा कह रहा था कि वह कब से तुम्हें देख रहा है इसका मतलब था कि वह जब नंगी थी तभी उसका बेटा उसे देख रहा था उसके नंगे बदन को उसका बेटा देख लिया यह सोचकर उसके बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,, और वह हैरान होते हुए बोली,,,)

क्या तू कब से खड़ा था,,,!(सुनैना के शब्दों में थोड़ा गुस्साथोड़ी मदहोशी थोड़ी हैरानी सबकुछ साफ दिखाई दे रही थी सूरज को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां इस समय क्या समझ रही है क्या सोच रही है,,,,,, इसलिए वह अपनी मां की शंका को दूर करने के लिए बोला,,,)

मतलब कि जब तुम अपना हाथ पीछे की तरफ करकेब्लाउज की डोरी बांधने की कोशिश कर रही थी तभी मैं आया था क्योंकि शादी में जाने के लिए देर हो रही है वहां जाओगी तो गाना बजाना होगागांव की सभी औरतें शामिल है और तुम्हारे बारे में सब पूछ रहे थे इसलिए मैं जल्दी-जल्दी आया हूं,,,,(ब्लाउज की डोरी को बांधते हुए सूरज बोला,,,और उसकी बातें सुनकर सुनैना को राहत हुई कि उसका बेटा इससे पहले नहीं आया वरना वह उसके नंगे बदन को देख लेता,,,,सुनैना ईस बात को अच्छी तरह से जानती थी कि उसका बेटा उसके साथ खेत में किस तरह की हरकत कर चुका है उसे पेशाब करते हुए देख चुका है उसकी नंगी गांड पर अपना लंड रगडकर अपना पानी निकाल चुका है,,,, इसलिए उसकी गांड उसके बेटे के लिए कुछ नई नहीं थी लेकिन फिर भी बहुत खुश थीलेकिन उसे इस बात की तसल्ली हुई कि उसका बेटा जब वह कमरे में नंगी थी तब नहीं आया था जब वह कपड़े पहन रही थी तब आया था,,,,सूरज की बात सुनकर सुनैना जल्द से जल्द कमरे से बाहर निकल जाना चाहती थी क्योंकि उसे दिन की हरकत को देखकर उसे इस बात का डर था कि कहीं एकांत पाकर उसका बेटा उसके साथ कोई हरकत ना कर देऔर वह अपने बेटे को रोक नहीं पाएगी क्योंकि उसकी हरकत से वह भी मदहोश हो जाती थी इसलिए वह डोरी बंध जाने के बाद बोली,,,)

चल अब तू उठ जा जल्दी से नहा कर तैयार हो जा मे तैयार हो गई हूं मैं जा रही हूं और तू आते समय दरवाजा बंद करके आना ,,,,।



ठीक है,,,,,, मैं भी जाकर नहा लेता हूं,,,,(इतना कह कर वह दरवाजे की तरफ घूमने को हुआ किसुनैना तुरंत अपनी नजर पीछे घूमकर अपने बेटे की तरफ अच्छी और उसकी नजर सीधे उसके पजामे में बने तंबू पर पड़ गई उसके तंबू को देखकर सुनैना एकदम से सिहर उठी और कमरे से उसके बाहर जाते हुए जल्दी से साड़ी पहनकरशादी के लिए निकल गई और थोड़ी देर बाद सूरज भी ना हाथ होकर तैयार होकर दरवाजे को अच्छी तरह से बंद करके शादी के लिए निकल गया।)
बहुत ही खूबसूरत और सुंदर अपडेट दिया है ! 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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