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Incest पहाडी मौसम

Napster

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अब बता तुझे कुछ दिखाई दे रहा है,,,,,(आम के पेड़ पर चढा सूरज नीचे खड़ी अपनी बहन की तरफ देखकर बोला,,,)

हां भैया वहां तुम्हारे थोड़ा सा ऊपर ही है बड़ा सा आम,,,

कहां है,,,?

अरे भैया तुम्हारे ऊपर ही तो है सीधा सर के ऊपर हाथ ऊपर करो तुम्हारे हाथ में आ जाएगा,,,,

(नीचे खड़ी अपनी बहन की बात मानते हुए सूरज बिना देखे ही अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले गया तो वाकई में उसके हाथ में बड़ा सा आम आ गया और मुस्कुराते हुए वह आम को एक झटके से तोड़ लिया और बोला,,,,,)

अरे वह रानी तेरी नजर तो बहुत तेज है मेरे सर के ऊपर इतना बड़ा आम है और मुझे दिखाई नहीं दे रहा है और नीचे खडी तु सब कुछ देख ले रही है,,,(इतना कहते हुए सूरज उसे बड़े से आम को नीचे की तरफ गिरा दिया और नीचे खड़ी रानी अपनी कुर्ती को फैला कर उस गिरते हुए आम को अपनी कुर्ती में ले ली,,,)

अच्छा अब इतने से तो काम चल जाएगा ना,,,,

नहीं भैया इतने से कुछ भी होने वाला नहीं है मा ३ ढेर सारा आम मंगाया है,,,, तुम तो जानते ही हो मुझे अचार कितना पसंद है साल भर भी नहीं चल पाता इसलिए मा ने इस बार ज्यादा आम मंगाए हैं,,,,, अब जल्दी-जल्दी आम नीचे गिरा वरना बगीचे का मालिक आ गया तो कुछ भी हाथ में नहीं लगेगा,,,,

तू सच कह रही है रानी मैं तो भूल ही गया,,,,
(और इतना कहने के साथ ही सूरज एक बड़ी सी डाली को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा और एक साथ सरे आम नीचे गिरना शुरू हो गए जिसे जल्दी-जल्दी से रानी बटोर कर उसे अपनी कुर्ती में रख रही थी कुर्ती भर जाने के बाद उसने एक थैला भी लेकर आई थी जिसमें वह जल्दी-जल्दी आम रख रही थी,,, देखते ही देखते सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था और आम के पेड़ पर चढ़कर वह दूर-दूर तक नजर दौड़ा कर यह अभी देख ले रहा था कि कहीं कोई यहां तो नहीं रहा है,,,, दोनों भाई बहन कच्चे आम तोड़ने के लिए चोरी-छिपी दीवाल कूद कर इस बगीचे में आए थे वह दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि तेज गर्मी होने की वजह से बगीचे का मालिक यहां पर नहीं होगा,,, और इसी मौके का फायदा उठाते हुए सूरज और रानी दोनों भाई बहन ढेर सारा आम तोड़कर बटोर लेना चाहते थे,,, और ऐसा हो भी रहा था ,,, सूरज ढेर सारा आम नीचे गिरा चुका था,,,, वह जानता था कि इतना सारा हम उसकी बहन ठेले में भर नहीं पाएगी इसलिए वह धीरे से नीचे उतरा और जल्दी-जल्दी वह भी ठेले में आम भरना शुरू कर दिया देखते-देखते पूरा तेरा आम से भर गया,,,, रानी के कुर्ते में भरे हुए आम को सूरज अपने साथ लाई हुई दूसरी थैली में भरने लगा ताकि यहां से जाने में आसानी रहे,,,,,।)

अरे भैया तुम दूसरा थैला कब उठा लाए,,,

मैं जानता था कि दूसरे ठेले की भी जरूरत पड़ेगी इसलिए मैं अपने साथ ले आया था,,,, अब जल्दी-जल्दी पर और यहां से चल वरना बगीचे का मालिक आ गया तो गजब हो जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही रानी जल्दी-जल्दी आम को थैली में भरने लगी और देखते-देखते दोनों तेरा आम से भर गया कि तभी दोनों को दूर से आ रही कदमों की आवाज सुनाई दी दोनों एकदम चौकन्ने हो गए,,,,)

रानी लगता है कोई आ रहा है,,,, जल्दी से थैला उठा,,,
(सूरज के इतना कहते ही रानी जल्दी से आम से भरा हुआ थैला उठाकर अपने कंधे पर ले ली और सूरज भी दूसरे थैली को उठाकर जल्दी-जल्दी जाने लगा तब तक बगीचे के मालिक की नजर उन दोनों पर पड़ गई थी और वह गाली देता हुआ चिल्लाया,,,,)

कौन है रे मादरचोद इसकी बहन का चोदु,,,, कौन है बगीचे में अपनी बहन चुदवा रहा है,,, भोसड़ी वाला,,,(इतना कहते हुए वह बगीचे का मालिक उन दोनों के पीछे भागते हुए बड़ा सा पत्थर उठाकर मारा जो कि उन दोनों के बगल में से चला गया वह दोनों एकदम से घबरा गए थे,,,)

भाग रानी जल्दी भाग अगर उसके हाथ लग गए तो खैर नहीं है,,,,
(इतना सुनते ही रानी और सूरज दोनों जान लगाकर भागने लगी और देखते ही देखते वह दोनों दीवार के पास पहुंच गए थे अभी भी बगीचे का मालिक उन्हें दोनों से लगभग 40-50 मीटर की दूरी पर था और वह भागता हुआ आ रहा था दोनों के पास समय बिल्कुल भी नहीं था सूरज बोला,,,)

बाप रे बिल्कुल भी समय नहीं है रानी तु जल्दी से दीवार पर चढ़ थैला यही छोड़ दे,,,,

नहीं भैया अगर आज आम नहीं ले गए तो फिर कभी आम मिलने वाला नहीं है,,,


अरे तू चढ तो सही,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज उसके हाथ से थैला लेकर वही रख दिया और उसे दीवार पर चढ़ने लगा रानी एक पर को आदि दीवार पर रखकर ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगी लेकिन वह चढ़ नहीं पा रही थी तो सूरज उसकी मदद करते हुए उसे दीवार पर चढ़ने लगा और ऐसे हालात में उसके दोनों हाथ उसकी गोल-गोल नितंबों पर आ गए थे जिसे वह पकड़कर उसे ऊपर की तरफ चढ़ा रहा था लेकिन इस अफरा तफरी के माहौल में उसे इस बात का एहसास भी नहीं हो रहा था कि वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते हुए उसकी गांड पर सहारा देकर उसे ऊपर उठाया हुआ है,,, इस जल्दबाजी में दीवार खोदने के चक्कर में सूरज जी जैसे जवान लड़के को इस बात का जरा भी एहसास नहीं हो रहा था कि वह एक खूबसूरत लड़की की गोल-गोल गांड को अपने हाथों से पकड़े हुए था अगर कोई और माहौल होता तो शायद उसके ही हरकत पर उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो जाता और रानी जो की एक खूबसूरत जवान की दहलीज पर कदम रख चुकी लड़की थी एक जवान लड़के की ईस हरकत पर अपनी बुर से पानी फेंक दी होती,,,, लेकिन दोनों जवानी से भरे हुए भाई बहन को इस बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं थी वह जल्द से जल्द दीवार को कुद जाना चाहते थे,,,, तभी फिर उसे बगीचे के मालिक की गाली सुनाई दी,,,)

तुम्हारी मां की भोसड़ी में लंड डालु मादरचोद,,,,(इतना कहने के साथ ही वह फिर से एक बड़े पत्थर को मारा और इस बार भी उसका निशाना चूक गया)

बाप रे भैया यह बगीचे का मालिक तो पागल हो गया इधर उसके हाथ लग गए तो हड्डी पसली एक कर देगा,,,,


इसीलिए तो कह रहा हूं तू जल्दी से चढ़ जा,,,(और इतना कहते हुए वह अपनी बहन को दीवार पर चढ़ा दिया था उसकी गोल गोल गांड को पकड़ कर उसे सहारा देकर वहां दीवार पर सही सलामत चढ़ा दिया था और इसके बाद वह जल्दी से आम के थैले को अपनी बहन को पकडाने लगा,,, उसकी बहन भी जल्दबाजी दिखाते हुए आम के दोनों तेरे को पकड़ कर उसे दूसरी तरफ नीचे गिरा दिए और खुद कूद गई वह जानती थी कि उसका भाई आराम से दीवार को जाएगा और ऐसा ही हुआ सूरज जल्दी से दीवार खुद के दूसरी तरफ कूद गया था और जल्दी से आम के ठेले को पड़कर उसे बगीचे से दूर निकल गया था,,,,।

दोनों भागते हुए बार-बार पीछे मुड़कर देख ले रहे थे कहीं वह बगीचे वाला मालिक ए तो नहीं रहा है लेकिन देखते ही देखते वह दोनों ऊंचे नीचे टेढ़े-मेढ़े रास्ते से काफी दूर निकल गए थे जब उन दोनों को इस बात का एहसास हुआ कि वह लोग बगीचे के मालिक की पकड़ से काफी दूर आ गए हैं तो एक जगह पर खड़े होकर गहरी गहरी सांस लेते हुए जोर-जोर से हंसने लगे,,,,


भैया आज तो बाल बाल बच गए,, अगर वह बगीचे वाला आदमी पकड़ लेता तो हम दोनों की खैर नहीं थी,,,

रानी सुखारकर की ईतने सारे आम हम दोनों के पास थे,,,, अगर कोई और समय होता तो आज मैं उसकी टांगे तोड़ देता इतनी गंदी गंदी गालियां मैं कभी सुनने वाला नहीं था वह तो मजबूरी थी,,,

तुम सच कह रहे हो भैया गुस्सा तो मुझे भी बहुत आ रहा था लेकिन क्या करें लेकिन एक बात है आज तुमने आम बहुत सारे तोड़ दीए हैं,,, इतने सारे आम का अचार तो कम से कम 2 साल तक चलेगा,,,,।

चल अच्छा बहुत देर हो गई है जल्द से जल्द हमें घर पहुंचना है शाम ढलने वाली है धीरे-धीरे अंधेरा हो रहा है मां चिंता कर रही होगी,,,

हां भैया,,, खाना भी तो बनाना है,,,,,

अच्छा बोल तो ऐसे रहि है की सारा खाना तू ही बनाती है,,,

अरे सर खाना नहीं बनाती लेकिन मां के काम में हाथ तो बंटाती हु ना,,,


हां तो ऐसा सही-सही बोल,,,,।

(ऐसा कहते हुए दोनों भाई-बहन आपस में बात करते हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे,,,,, चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे हुए छोटे से गांव में सूरज और उसका परिवार रहता था,,,,,,, गांव में गांव के चारों तरफ कुदरत का खजाना बिखरा हुआ था चारों तरफ खूबसूरत नजारे फैले हुए थे,, छोटी-छोटी पहाड़ियों के बीच से निकलती हुई नदी,,,, सूरज का उगना और सूरज का अस्त होना दोनों नजारे बहुत खूबसूरत लगते थे और चारों तरफ हरियाली हरियाली यहां के सभी लोग केवल खेती और पशुपालन पर ही आश्रित रहते थे इसी में अपना जीवन निर्वाह करते थे और बहुत खुश भी थे,,,,,, दोनों भाई बहन कंधों पर आम का तेरा लटकाए हुए गांव की तरफ चले जा रहे थे धीरे-धीरे अंधेरा छाने लगा था,,,, देखते ही देखते दोनों गांव के नुक्कड़ पर पहुंच गए जहां पर एक छोटी सी चाय की दुकान थी,,, और इस दुकान पर चाय के साथ-साथ पकोड़े जलेबियां और समोसे भी मिलती थी,,,,,,, रानी और सूरज दोनों जलेबी खाना चाहते थे लेकिन दोनों के पास पैसे नहीं थे इसलिए दोनों मां मर कर उसे दुकान से आगे निकल गए लेकिन दुकान पर बैठे हुए कुछ लोग रानी की गोल-गोल नितंबों को ताड़ रहे थे,,,, और गरम आंहे भर रहे थे,,,,।

वैसे भी रानी जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थी उसके अंगों पर उभार आना शुरू हो गया था उसका बदन भरना शुरू हो गया था,,, मर्दों को आकर्षित करने लायक उसके बदन में निखार आ चुका था,,, खास करके उसकी गोल-गोल नितंब चलते समय और भी ज्यादा जानलेवा नजर आते थे जिसे देखकर किसी के भी मुंह में पानी आ जाता था और कुछ देर पहले सूरज खुद अपनी बहन को दीवार पर चढ़ते समय उसकी गोल-गोल गांड को ही पकड़ कर सहारा देकर ऊपर उठा रहा था लेकिन सूरज के मन में अभी तक ऐसा कुछ भी ख्याल आता नहीं था और तो वह लड़कियों के प्रति वह हमेशा इज्जत की भावना रखता था इसीलिए तो अपनी बहन की मतवाली गांड को पकड़ने के बावजूद भी उसके बदन में जरा सी भी हरकत नहीं हुई थी,,, और यही हर रानी का भी था हालांकि वह चंचल थी लेकिन बदन में आए बदलाव को समझ नहीं पाती ना तो कभी किसी से नैन मट्टका का ही करती थी,,,,


देखते ही देखते दोनों भाई बहन घर पर पहुंच गए थे और घर पर पहुंचते पहुंचते पूरी तरह से अंधेरा छा चुका था शाम ढल चुकी थी रात पूरे गांव को अपनी आंखों में ले रही थीं हर घर में भोजन पकाने के लिए चूल्हा जल चुका था और झूला जलाने में अधिकतर पेड़ की सूखी लड़कियां और गाय के गोबर से बने हुए उपले का ही उपयोग करते थे जिसकी खुशबू से पूरा गांव महकने लगता था,,,,,, सूरज की मां भी रसोई बना रही थी और वह चूल्हे के आगे बैठकर आटे को गूंथ रही थी,,,, तभी उसकी नजर सूरज और रानी पर पड़ी तो वह दोनों को बिगडते हुए बोली,,,)

तुम दोनों अब आ रहे हो यह कोई समय है कितना समय हो गया तुम लोगों को जरा भी बहन है अंधेरा हो गया है और ऐसे में तुम दोनों बाहर घूम रहे हो,,,

क्या मैं तुम भी कहीं घूमने थोड़ी गए थे तुम्हारे कहने पर ही आम लेने गए थे,,,

हां तो कहां हैं आम,,,,

हम दोनों ने इतने सारे आम ले हैं कि तुम देखोगी तो तुम्हारी आंखें फटी की फटी रह जाएगी,,,,


हां तो दिखाओ ना कहां पर हैं आम,,,,

(इतना सुनकर सूरज मुस्कुराते हुए अपने कंधे पर लटकाया हुआ ठेला और रानी भी अपने कंधे पर लटकते हुए थे देखो अपनी मां के सामने नीचे जमीन पर रखते हुए बोली)

अब कहो,,,,।
(इतने सारे आम को देख कर सूरज की मां की आंखें फटी की फटी रह गई वहां अपने चेहरे के भाव आश्चर्य के भाव में बदलते हुए मुस्कुराते हुए बोली)


बाप रे तुम दोनों तो पूरा बगीचा ही लूट लाए हो,,, किसी ने देखा तो नहीं,,,


देखा तो नहीं,,,, अरे शुकर मनाओ की आज हम दोनों बार-बार बच गए वह तो बड़े-बड़े पत्थर फेंक कर मार रहा था,,,,


हाय दैया तुम दोनों को लगी तो नहीं,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं लगी,,,,, चलो सब बात छोड़ो मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी है जल्दी से खाना बना दो,,,

हां मां मुझे भी बड़े जोरों की भूख लगी है,,,

ठीक है थोड़ी देर रुक जाओ खाना बनाकर तैयार हो जाएगा और रानी तब तक तू सब्जी काट दे,,,,।
(इतना कहने के साथ ही सूरज की मां,,,, जिसका नाम सुनैना था वह जल्दी-जल्दी आंटा गुंथने लगी,,,,, गर्मी का महीना होने की वजह से वह अपने ब्लाउज का ऊपर का दो बटन खोल दीजिए और उसकी गोल-गोल चूचियां जो की बिल्कुल खरबूजे की तरह थी वह आधे से ज्यादा ब्लाउज में से बाहर झलक रही थी,,,, जो की लालटेन की पीली रोशनी में खरा सोने की तरह चमक रही थी,,,,,,, वह अपने ब्लाउज के दो बटन खोलने के बावजूद भी पूरी तरह से सहज रूप से अपना काम कर रही थी,,,,,,, क्योंकि वह हमेशा इसी तरह से खाना बनाती थी उसका पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था,,, और पसीने की वजह से उसका ब्लाउज उसकी मस्त-मस्त चूचियों से चिपक सी गई थी और गीला हो जाने की वजह से उसकी चूचियों की शोभा बढ़ा रही उसका छोटा सा छुहारा एकदम साफ नजर आ रहा था हालांकि इस पर सूरज की नजर बिल्कुल भी नहीं पड़ी थी,,,,।

सुनैना अपने नाम के मुताबिक ही बहुत खूबसूरत थी,,,,, दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसके बदन में उसके अंगों में जरा भी ढीलापन नहीं आया था उसका बदन पूरी तरह से एकदम कसा हुआ था और एकदम गठीला था जिसे देखकर अच्छे-अच्छे के मुंह में पानी आ जाता था और साथ ही लंड पानी फेंक देता था,,,।

रानी जल्दी-जल्दी सब्जी काट रही थी क्योंकि उसे भी बड़े जोरों की भूख लगी हुई थी क्योंकि वह दोनों सुबह से ही आम लेने के चक्कर में घर से बाहर निकल गए थे,,,,।
कहानी का प्रारंभ बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत हैं भाई मजा आ गया
 

Bittoo

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भोला अपने बेटे के बिल्कुल करीब होते हुए भी मुखिया की बीवी के साथ खेल खेल गया था जिसके बारे में उसके बेटे को कानो कान खबर तक नहीं पड़ी थी,,,, ऐसा नहीं था कि,,, सूरज एकदम नादान था औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को लेकर,,,, इतना तो वह अच्छी तरह से ही जानता था एक औरत और एक मर्द के बीच किस तरह का रिश्ता होता है,,,, और औरत और मर्द के बीच होने वाले उस रिश्ते को चुदाई कहते हैं,,, सूरज चुदाई के बारे में अच्छी तरह से जानता था लेकिन कभी अपनी आंखों से देखा नहीं था कि चुदाई होती कैसे हैं सूरज केएक और शानदार kahani प्रारम्भ
बधाई
पास पूरा मौका था अपनी अभिलाषा अपनी उत्कंठा को पूरी करने की वह अपने पिताजी और मुखिया की बीवी के बीच हो रही चुदाई को अपनी आंखों से देख सकता था लेकिन इन मौके पर उसके पिताजी को किसी के पास होने की भनक लग गई और आवाज देता हुआ उसे रोक दिया था और अपने पिताजी की बात मानते हुए सूरज जहां खड़ा था वहीं रुक भी गया था अगर थोड़ी और हिम्मत दिखाता आगे की तरफ आता तो शायद वह एक अद्भुत अविस्मरणीय क्रीडा को अपनी आंखों से देख सकता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था और इस बात का भी पता उसे नहीं चल पाया था कि उसके पिताजी और किसी गैर औरत के बीच अनैतिक संबंध है,,,, उसके पिताजी उसकी मां को धोखा दे रहे हैं,,,, खैर भोला की चालाकी से बात आई गई हो गई थी,,, खेत का काम खत्म करते ही भला सूरज के साथ अपने घर पर पहुंचकर और हाथ पैर धोकर खाना खाने लगा,,,।

रात को सूरज की मां अपने कमरे में,,,, सोने की तैयारी कर रही थी,,,, भोला खटिया पर लेटा हुआ,,, कुछ सोच रहा था,,,, और उसकी नजर सुनैना के ऊपर थी जो कि सोने की तैयारी में थोड़ी साफ सफाई कर रही थी हालांकि भोला की नजर भले ही सुनैना के ऊपर थी लेकिन वह सुनैना को देख नहीं रहा था बल्कि अपने ख्यालों में खोया हुआ था और वह मुखिया की बीवी शोभा के बारे में सोच रहा था और मन ही मन प्रसन्न हो रहा था लेकिन सुनैना भोला को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि भोला उसे देखकर मुस्कुरा रहा है,,, इसलिए वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि महीनो गुजर गए थे भोला ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाया था इसलिए भोला को मुस्कुराता हुआ देखकर सुनैना के मन में आज जगने लगी कि आज की रात उसका पति उसके साथ संबंध बनाएगा और उसे तृप्त करेगा,,, और यही सोच कर वहां कमरे की सफाई को आखिरी ओप दे रही थी,,,

घर की सफाई कर लेने के बाद सुनैना ठीक बोला की आंखों के सामने ही अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराकर अपनी मदमस्त कर देने वाली छातियो का प्रदर्शन करने लगी ,,,, उसे ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज में कैसे की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर उसके पति से रहा नहीं जाएगा और वहां अपनी जगह से उठकर बैठ जाएगा और लपक कर उसकी दोनों चुचियों का थम देगा क्योंकि अक्सर दोनों के बीच चुदाई की शुरुआत इसी तरह से होती थी लेकिन कुछ महीनो से सब कुछ बदल सा गया था लेकिन आज सुनैना के मन में,,,, आस की किरण नजर आ रही थी,,,, और यही सोच कर वह अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे से नीचे गिरा कर अपनी मदमस्त जवानी से भरी हुई अंगड़ाई लेती हुई,,, भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन करते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को हाथ से पकड़ कर उसे अपनी कमर से खोलना शुरू कर दी क्योंकि बर्तन धोते समय नीचे से उसकी साड़ी थोड़ी गिरी हो गई थी और इसलिए वह यही सोच रही थी कि वह साड़ी उतार कर सोई और ऐसे में वह अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित भी कर लेगी,,,

सुनैना दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी अपने बदन को खेतों के काम से उलझाए हुए इतना सुगठित बनाई हुई थी कि उसके आगे जवान लड़कियां भी पानी भर्ती नजर आती थी बदन में कहीं भी अत्यधिक चर्बी का नामोनिशान नहीं था चर्बी उतनी ही थी कि जितनी उतनी जवानी को शोभा दे रही थी,,, छतिया की शोभा बढ़ा रही दोनों चूचियां खरबूजे के आकार की गोल-गोल और एकदम तनी हुई थी उसमें जरा भी ढीलापन नहीं आया था इस उम्र में भी सुनैना की चूचियां दशहरी आम की तरह तनी हुई थी,,, गोल मुखड़ा एकदम चांद का टुकड़ा लगता था और ऊपर से गोल वाली थोड़ी सी बड़ी बिंदी लगाकर वह मर्दों को गर्म आह भरने पर मजबूर कर देती थी,,, पतली कमर और कमर के नीचे उभार लेते हुए उसके नितंबों की गोली कुछ अजब ही कहर ढाती थी,,, पतली कमर के नीचे का उभार कुछ ज्यादा ही था जोकि सुनैना की जवानी में चार चांद लगाते थे उसकी बड़ी-बड़ी गदराई गांड अक्सर मर्दों का लंड खड़ा कर देती थी,,,, मोती मोती चिकनी जाने केले के तने के समान मजबूती लिए हुए इतनी मादक लगती थी कि अगर वह अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर किसी मर्द के ऊपर बैठ जाए तो भी उसे मर्द का लंड उसकी मदमस्त जवान देखकर सलामी भरने लगे और बिना बुर में प्रवेश किए ही पानी छोड़ दे,,, कुल मिलाकर सुनैना की जवानी ऐसी थी कि दुश्मन बिना लड़े अपना हथियार डाल दे,,,,।

इतनी जबरदस्त नशीली जवानी से भरी हुई सुनैना के लिए जिंदगी इतनी आसान न थी खूबसूरत है जिस होते हुए भी किस्मत का रोना यही था कि उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था और किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाकर अपनी जरूरत को तो पूरी कर ले रहा था लेकिन अपनी बीवी को प्यास छोड़ दे रहा था और इस बात से सुनैना पूरी तरह से अनजान थी उसे नहीं मालूम था कि उसके पति का गैर औरत के साथ संबंध है उसे ऐसा ही लगता था कि शायद कामकाज में उलझ कर थककर उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा है लेकिन माजरा कुछ हो रही था जिसके बारे में सुनैना को भनक तक नहीं थी,,,,।

सुनैना बंद कमरे में कुछ और सोच रही थी और उसका पति मुस्कुराते हुए कुछ और सोच रहा था जिसे देखकर सुनैना को गलतफहमी हो गई थी और वह अपनी जवानी का जलवा अपने पति के सामने बिखेर रही थी जो की मुखिया की बीवी शोभा के ख्यालों में खोया हुआ था,,, शोभा को पकड़ भोला आसमान में उड़ने लगा था एक तो वह मुखिया की बीवी थी और वह भी जवानी से भरी हुई थी,,, लेकिन फिर भी खूबसूरती के मामले में सुनैना मुखिया की बीवी से एक कदम आगे थी लेकिन फिर भी नसीब का रोना यही था कि इस समय उसका पति सुनैना को छोड़कर दूसरी औरत में दिल लगा बैठा था,,,,।

सुनैना अपने पति की आंखों के सामने निर्वस्त्र होना चाहती थी ऐसा नहीं था कि आज पहली बार महीना का सुख न मिलने की वजह से वह इस तरह का कदम उठा रही थी अक्सर अपने पति के साथ संभोग रत होने से पहले वह इसी तरह से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाती थी और फिर अपने पति की बाहों में अंगड़ाई लेने लगती थी और ऐसा कुछ हुआ आज भी करना चाहती थी देखते ही देखते वह अपने पति की आंखों के सामने अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,, भोला जो कि अपनी बीवी की तरफ नजर करके दूसरे ही ख्यालों में खोया हुआ था सुनैना कुछ और समझ कर मुस्कुराते भी अपने पति की आंखों के सामने अपने ब्लाउज का बटन एक-एक करके खोलती चली गई हो उसकी मदद जवानी से भरे हुए दोनों कबूतर ब्लाउज के खेत से आजाद होते ही अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ने की फिराक में लहराने लगी,,,,,

सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि उसका पति उसकी चूचियों के पीछे बहुत ज्यादा ही पागल है क्योंकि वह घंटे तक उसकी चूची से बस खेलते ही रहता था उसी मुंह में लेकर पीता ही रहता था,,, और सुनैना अपने पति के इसी कमजोरी का पूरा फायदा उठा देना चाहती थी इसलिए ब्लाउज का बटन खोलते ही वह अपने ब्लाउस को अपनी बाहों में से उतर कर नीचे जमीन पर फेंक दे कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई बंद कमरे में अपने पति की आंखों के सामने वह केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,,।

सुनैना अब थोड़ा हैरान होने लगी क्योंकि वह कमर के ऊपर पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों को देखकर उसके पति में बिल्कुल भी बदलाव नहीं आया था वह केवल मुस्कुरा रहा था,,, वरना अभी तक तो वहां खटिया से नीचे उतर कर उसके पास पहुंच जाता और उसकी चूची को दोनों हाथों में लेकर जोर-जोर से दबाना शुरू कर देता ,,, लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,इसलिए वह धीरे से बोली,,,।

इसे भी,,,(अपने पेटिकोट की डोरी पर अपनी उंगली रखते हुए) उतार दूं क्या,,,,!
(भले ही सुनैना अपने पति से निर्वस्त्र होने की इजाजत मांग रही थी उससे पूछ रही थी लेकिन वह मन ही मन निर्वस्त्र होने के लिए ललाईत भी थी,,,। वह अपने पति से पूछ तो रही थी लेकिन उसका पति उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था क्योंकि वह सुनैना की तरफ देख जरूर रहा था लेकिन उसके ख्यालों में शोभा थी,,, अपने पति की तरफ से कोई जवाब ना पाकर सुनैना को थोड़ा आश्चर्य हुआ,,, लेकिन फिर भी उसके मन में चुदवाने की लालसा पूरी तरह से जाग चुकी थी,,, इसलिए भाभी ज्यादा देर ना करते हुए अपने पति की आंखों के सामने अपनी पेटिकोट की डोरी को अपनी नाजुक उंगलियों में फंसा कर हल्के से उसे खींची,,, और उसकी इस हरकत पर कमर पर कसी हुई पेटिकोट एकदम से ढीली हो गई और वह अपनी उंगली का सहारा देकर अपनी पेटीकोट को हल्के से आगे की तरफ खींची और इस स्थिति में अपनी पेटीकोट को छोड़ दी कमर से पेटिकोट एकदम ढीली होते ही भरभरा कर नीचे उसके कदमों में गिर पड़ी और वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई कमरे में लालटेन मध्धम जल रही थी जिसकी पीली रोशनी में सुनैना का खूबसूरत बदन खरा सोने की तरह चमक रहा था,,,।


कमरे में सुनैना खुद ही अपने सारे कपड़े उतार कर निर्वस्त्र हो चुकी थी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी अगर यह दृश्य कोई और मर्द देखता तो उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ जाता और फिर या तो वह सुनैना के साथ चुदाई का सुख भोगता या फिर अपने यहां से अपनी गर्मी शांत करके तृप्त होने की कोशिश करता,,,, इतना मनोरम में और मादकता से भरा हुआ दृश्य देखना भी है किस्मत की बात होती है,,, दुनिया के सारे मर्द औरत का यह रूप देखने के लिए तड़प जाते हैं और कोशिश करते रहते हैं कि उन्हें इस तरह का दृश्य दिख जाए लेकिन भोला अपनी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत को निर्वस्त्र होता हुआ देख रहा था लेकिन फिर भी उसके बदन में जरा भी हलचल नहीं थी क्योंकि उसके दिमाग में मुखिया की बीवी छाई हुई थी,,,,

सुनैना मारे शर्म के पानी पानी हो रही थी भले ही वह अपने पति के सामने निर्वस्त्र हुई थी लेकिन फिर भी वह एक इज्जतदार औरत थी शर्म और मर्यादा में बंधी हुई भले ही वह अपने पति के साथ किसी भी हद तक सुख प्राप्त करने के लिए चली जाती थी लेकिन फिर भी उसकी कुछ संस्कृति थी संस्कार जिसकी वजह से इस समय भी उसे शर्म महसूस हो रही थी वह धीरे से अपने पति की तरफ आगे पड़ी और लगन अवस्था में ही खटिया पर जाकर बैठ गई खटिया पर बैठते ही उसकी गोल-गोल गांड पके हुए खरबूजे की तरह फैल गई,,,,।

अपने पति के पास निर्वस्त्र अवस्था में बैठ कर सुनैना खुद अपने पति का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे बोली,,,।

देख रही हूं कुछ दिनों से तुम मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते,,,,।
(भोला जो कि अभी भी शोभा के ख्यालों में खोया हुआ था सुनैना की आवाज सुनते ही जैसे नींद से जागा हो और वह एकदम से हड़बड़ा गया,,, और आश्चर्य से सुनैना की तरफ देखने लगा वह सुनैना की तरफ देखा तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बीवी उसके पास एकदम नंगी बैठी हुई है,,,, अपने पति की आश्चर्य से फैली हुई आंखों को देखकर सुनैना बोली,,,)

क्या हुआ किसी और ख्यालों में खोए हुए थे क्या,,,!
(इतना सुनते ही भोला एकदम से चौंक गया उसे पल भर के लिए लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए वह एकदम से बात बदलते हुए बोला,,,)

तुम्हारे होते हुए में किसके ख्यालों में खो सकता हूं एक तुम ही तो हो मेरे सपनों की रानी,,,(ऐसा कहते हुए भोला अपने मन में यही सोच रहा था कि वह नंगी कब हुई वह क्या सोच रहा था उसकी बीवी उसकी आंखों के सामने कब अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर उसके बगल में बैठ गई थी उसे इस बात का एहसास तक नहीं हुआ था इसीलिए वह एकदम से हैरान था,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब खुद देते हुए वह अपने मन में बोला बाप रे मालकिन का ख्याल आते ही मैं सब कुछ भूल जाता हूं,,, वह अपने चेहरे के भाव को एकदम सामान्य कर लिया था वह नहीं चाहता था कि उसकी बीवी को जरा भी शक हो,,, इसलिए वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बीवी की नंगी चिकनी पीठ पर रख दिया और उसे सहलाने लगा,,, उसकी बीवी भी एकदम सामान्य हो गई,,,,।

भोला भले ही दूसरी औरत के ख्यालों में खोया हुआ था लेकिन इस समय उसकी ही खटिया पर उसकी बीवी पूरी तरह से निर्वस्त्र एकदम नंगी उसके बगल में बैठी हुई थी इसलिए ऐसी हालत में उसके बाद में उत्तेजना जागना लाजमी था और ऐसा ही हुआ उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, भोला अपनी बीवी की चिकनी पीठ को सहलाते सहलाते अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, और सुनैना अपने पति के इसी हरकत का तो इंतजार कर रही थी अपने पति की ईस हरकत पर वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी और धीरे से वह भी जवानी और उत्तेजना की आग में चलते हुए अपने हाथ को अपने पति के धोती में डाल दी और उसके लंड को पकड़कर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दी,,,, सुनैना की हरकत से भोला पूरी तरह से बावला हो गया,,, वह उत्तेजना के मारे मदहोश होने लगा वह भले ही अपनी बीवी के साथ था लेकिन इस समय उसे अपनी बीवी ने शोभा दिखाई दे रही थी अपनी मालकिन दिखाई दे रही थी इसलिए सब कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और अपनी बीवी की दोनों चूचियों को पड़कर उसे तुरंत खटिया पर लेटा दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया,,,,।

सुनैना अपने पति की इस हरकत को देखकर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका पति इतना जल्दबाजी क्यों दिख रहा है क्योंकि ऐसा कभी भी नहीं होता था और देखते ही देखते उसके पति ने अपनी धोती खोल कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और अपने खड़े लंड को उसके गुलाबी बुर पर लगाकर एक धक्का मारा और उसका पूरा का पुरा लंड एक बार में ही उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,, अपने पति के ऐसे हरकत पर सुनैना को दर्द महसूस होने लगा लेकिन वहां अपने दांतों को दबाकर अपने दर्द को पीने की कोशिश करने लगी,,, भोला पूरी तरह से बावला हो चुका था वह अपनी बीवी की दोनों टांगों के बीच पसरकर अपनी बीवी की तरफ झुका और अपने दोनों हाथों को उसके बदन के नीचे ले जाकर उसके अपनी बाहों में भर लिया हो अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया,,,।

दर्द ही सही महीनो के बाद अपने पति के लंड को अपनी बुर में महसूस करके वह पूरी तरह से पागल होने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अपने पति से चुदवाए उसे बरसो गुजर गए हैं,,, इसीलिए तो वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी अपनी पति का साथ देते हुए वह नीचे से भी अपनी कमर उछालते हुए बोल रही थी,,,।

ओहहहह मेरे राजा और जोर से और जोर से चोदो मुझे,,,आहहहहहह ऊमममममम बहुत लंबा और मोटा लंड है तुम्हारा मेरे राजा,,,,


ओहहहह मेरी रानी बहुत दम है तेरी बुर में बहुत मजा आ रहा है तेरी बुर कितनी गर्म है रे,,,,ऊममममम (भोला अपनी बीवी की बुर में धक्का पर धक्का लगाता हुआ बोल रहा था,,,)

ऊममममम तुम्हारा लंड भी तो बहुत जानदार है मेरे राजा,,,,सहहहहह आहहहहहह,,, ऐसा लग रहा है किसी से कोई लोहे का मोटा छड मेरी बुर में डाल रहा
हो,,, आहहहहहह ऊमममममममम ,,(दोनों पागल किया जा रहे थे खटिया चरर मरर बोल रही थी ऐसा लग रहा था कि दोनों की जवानी के जोश के चलते कहीं खटिया टूट न जाए भोला पागलों की तरह अपनी बीवी को अपनी मालकिन समझ कर चोद रहा था और सुनैना यही सोच रही थी कि मैं बाद उसका पति उसकी बुर पाया है इसलिए पागल हो गया है,,,, इसीलिए सुनैना अपने पति का जोश बढ़ाते हुए बोल रही थी,,,)

ओहहह ओहहह आहहहहवआहहहबह मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है जोर-जोर से मारो और जोर से मारो धक्का,,,,आहहहहह आहहहहह फाड़ दो मेरी बुर को राजा,,,,आहहहह आहहहहह,,,


आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी रानी आज तेरी बुर को फाड़ दूंगा मेरी शोभा रानी,,,,सससहहहहह आहहहहहह।,, ।

(अपने पति के मुंह से शोभा शब्द सुनते ही मदहोशी में बंद आंखें एकदम से खुल गई,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह सच में शोभा सुनी या सुनैना,,,,वह फिर से इंतजार करने लगी अपने पति के मुंह से वही शब्द सुनने के लिए और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था लेकिन अपनी मालकिन की जवानी में खोया हुआ भोले अपनी बीवी को अपनी मालकिन समझ कर चोद रहा था इसलिए अनजाने में ही उसके मुंह से उसकी मालकिन का नाम निकल गया था और इस गलती का एहसास उसे जल्द ही हो गया था इसलिए वह एकदम से खामोश हो गया लेकिन अपनी बीवी को शक ना हो इसलिए वह जोर-जोर से धोखे लगाते हुए वही शब्द दोहराते हुए बोला,,,)

ओहहह मेरी रानी,,, आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी रानी तेरी बुर को फाड़ दूंगा सुनैना रानी,,,,।
(भोला जानबूझकर इस शब्द को दोहराया था लेकिन पहले वाले शब्द में अपनी मालकिन की जगह अपनी बीवी का नाम ले लिया था और इस बार सुनैना अपने पति के मुंह से अपना नाम सुनकर संतुष्ट हुई उसे लगने लगा कि उसका पति उसी का ही नाम ले रहा था बस उसे सुनने में थोड़ा सा फर्क पड़ गया था,, भोला की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, देखते ही देखते दोनों के बदन में अकड़न सी बढ़ने लगी और फिर दोनों एक साथ भल भला कर झड़ने लगे,,,, और फिर दोनों इस तरह से एक दूसरे की बाहों में सो गए,,,,।

सुबह जब नींद खुली तो उसका पति खटिया पर नहीं था वह बड़े सबेरे ही उठकर जा चुका था सुनैना को अपने पति की ईस हरकत पर थोड़ा सा गुस्सा आने लगा क्योंकि उसने उसे जगाया नहीं था और बिना कुछ बोले घर से निकल गया था और इस समय वह पूरी तरह से निर्वस्त्र थी एकदम नंगी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि ऐसे हालात में अगर उसका बेटा किसी काम से कमरे में आ गया और उसे ऐसा हालत में देखेगा तो क्या सोचेगा इसलिए उसे थोड़ा गुस्सा आ रहा था इसलिए वह जल्दी से अपने खटिया पर से उठी और अपने कपड़े पहने लगी जो कि अभी भी जमीन पर बिखरे पड़े थे,,,,।

सुनैना जल्दी-जल्दी गंदे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी और फिर उन्हें गठरी बनाकर उसे माथे पर उठाकर नदी की तरफ निकल गई उन्हें धोने के लिए,,,।
 

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सूरज आज बहुत खुश था क्योंकि आम के बगीचे से आम चुरा कर लाने का मजा ही कुछ और होता है और उसने तो आज पूरा बगीचा ही लूट लिया था और वह भी अपनी बहन के साथ मिलकर,,,,,, घर के बाहर खटिया गिरा कर वह बैठा हुआ था,,,, वह अपनी बहन के साथ मत कर जिस तरह आम के बगीचे से आम लुट लाया था,,, वह अपनी इस शौर्य गाथा के बारे में सोच-सोच कर मन ही मन खुश हो रहा था,,, लेकिन तभी उसे बगीचे के मालिक की गंदी-गंदी गाली याद आने लगी ,, जो कि उसे बगीचे से भाग निकलने की अफरातफरी में भी वह उस गाली को साफ़-साफ़ सुन पा रहा था,,,, तेरी मां की भोसड़ी में लंड डाल दूंगा,,,,,, वैसे तो यह गली उसके लिए नई नहीं थी गांव में अक्सर वह एक दूसरे को इस तरह की गंदी-गंदी गालियां देते सुनता आ रहा था,,,,, इसलिए वह इसका मतलब तो अच्छी तरह से जानता था कि यह गाली किस किस्म की है,,, सूरज पूरी तरह से जवान हो चुका था इसलिए जानता था कि यह गाली सीधे तौर पर उसकी मां को चोदने के लिए ही थी,,, और यह ख्याल उसके मन में आते ही उसके चेहरे पर क्रोध के भाव साफ झलकने लगे अगर कोई और समय होता तो,,, वह जरूर उसे बगीचे के मालिक का मुंह तोड़ देता लेकिन उसे समय ऐसा करना उसके लिए बिल्कुल भी उचित नहीं था क्योंकि जरुरत से ज्यादा उसने आम तोड़ लिए थे और वहां से निकल जाना ही मुनासिब था,,,,।

बगीचे के मालिक के बारे में सोचते सोचते सूरज वहीं खटिया पर लेट गया और बगीचे के मालिक के द्वारा दी गई गाली के बारे में बड़े विस्तार से सोचने लगा,,,, वह अपने मन में एक-एक शब्द को स्पष्ट कर रहा था तेरी मां की भोंसड़ी में लंड डाल दूंगा और विचार करने लगा कि लंड तो उसके पास है जिसे वह रोज ही देखता है और अपने हाथ में लेकर पकड़ता भी है,,,, और इसलिए लंड से वह पूरी तरह से मुखातिब था,,, और भोसड़ी शब्द पर वह विचार करने लगा कि औरत की दोनों टांगों के बीच ही यह अंग होता है जिसे भोसड़ी और बुर कहा जाता है,,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि मर्द अपने लंड को औरत की बुर में डालता है जिसे साफ तौर पर चोदना भी कहते हैं,,, इन सब को जानने के बावजूद भी सूरज अभी तक औरत की बुर अपनी आंखों से देखा नहीं था वह अच्छी तरह से जानता था की औरतों ने लड़कियों के पास बुर होती है जिससे मर्द मजा लेते हैं लेकिन आज तक उसे अपनी आंखों से देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था इसलिए वह बुर के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था वह नहीं जानता था कि औरत की बुर दिखती कैसी है,,,, एक सुलझा हुआ लड़का होने के बावजूद भी,,, कभी-कभी उसके मन में बुर के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ जाती थी लेकिन उसे जानने का सौभाग्य उसे प्राप्त नहीं हो पा रहा था,,, और इसमें कोई सूरज को हर्ज भी नहीं था वह बड़ी मस्ती से अपने आप में ही मगन रहता था बस कभी-कभार ही उसके मन में इस तरह की उत्सुकता बढ़ जाती थी वह अपने ख्यालों में ही खाया था कि तभी उसके कानों में आवाज आई,,,,।

अरे सूरज,,,, खाना बन गया है जरा अपने पिताजी को तो बुला कर ले आ दिन भर न जाने कहां-कहां घूमते रहते हैं घर की तो जरा भी फिक्र ही नहीं है,,,,


ठीक है मां,,,,(इतना कहने के साथ ही सूरज खटिया पर से उठकर बैठ गया और इधर-उधर देखने लगा धीरे-धीरे अंधेरा गहराने लगा था,,, वह धीरे से खटिया पर से उठा और,,, पास में पड़ा बड़ा सा डंडा अपने हाथ में ले लिया,,, वैसे अंधेरा होते ही सूरज की आदत थी कि जब कभी भी कहीं भी जाता था तो उसके हाथ में एक बड़ा सा दंडा जरूर होता था क्योंकि खेतों में सियार आर और कुत्तों का डर बना रहता था,,,, सूरज अच्छी तरह जानता था कि उसके पिताजी कहां मिलेंगे इसलिए भाई सीधा चलता हुआ गांव के नुक्कड़ पर पहुंच गया जहां समोसे और जलेबियां मिलती थी और साथ में देसी शराब भी मिलती थी और वह जानता था कि उसके पिताजी भी शराब पीते थे,,,, थोड़ी देर में टहलता हुआ सूरज नुक्कड़ पर पहुंच गया जहां पर दो-चार आदमी अभी भी बैठे हुए थे और शराब पी रहे थे और साथ में समोसे और जलेबियों का लुफ्त भी उठा रहे थे,,,, उन लोगों में बैठे हुए दो लोग सूरज के गांव के ही थे इसलिए सूरज उनके पास जाकर बोला,,,)

अरे चाचा पिताजी को देखे हो क्या,,,,?

नहीं रे आज तो,,,,,,वह दिखाई नहीं दिया वरना हम लोगों के साथ ही बैठ कर पीता,,,,,,

क्या कह रहे हो चाचा आज सुबह से पिताजी नहीं दिखाई दीए,,,,

अरे सच कह रहा हूं,,,,

पता नहीं कहां गए होंगे,,,(उसकी बात सुनकर सूरज अपने आप से ही बड़बड़ाते हुए बोला,,,, और इतना कहकर वह चलने हीं वाला था कि तभी,,, उसे पीछे से आवाज आई,,,)

अरे सूरज,,,,,(इतना सुनते ही सूरज पीछे मुड़कर देखने लगा तो पास में ही उसके गांव के ही हैंडपंप चला कर अपना हाथ-पोड हो रहे थे उसकी बात सुनकर सूरज रुक गया और वह अपना हाथ पैर धोकर गमछे से अपना मुंह पोछते हुए बोला,,,)

अरे पन्ना भैया को तुम्हें मुखिया के खेत में काम करते हुए देखा था वही होंगे,,,,

मुखिया के खेत में इस समय,,,,,(उस आदमी की बात सुनकर सूरज धीरे से बोला,,,,)

हां सूरज वही तेरे पिताजी होंगे,,,


ठीक है चाचा जाकर देख लेता हूं,,,,।

(पन्ना सूरज के पिताजी का नाम था और वह मुखिया के खेतों में काम करके पालन पोषण में मदद किया करता था,,, मुखिया से खेतों में काम करने के आवाज में कुछ पैसे और अनाज भी मिल जाया करता था जिसमें बड़े आराम से उसके परिवार का गुजारा हो रहा था,,,, सूरज जानता था कि कभी कबार उसके पिताजी देर रात तक खेतों में काम किया करते थे इसलिए उसे बिल्कुल भी अजीब नहीं लगा लेकिन जब भी देर तक काम करना होता था तो घर पर बता देते थे लेकिन फिर भी निश्चिंत होकर सूरज हाथ में बड़ा सा डंडा लिए इधर-उधर फटकारता हुआ खेतों की तरफ निकल गया,,,,,,।

मौसम बड़ा की सुहावना था ठंडी ठंडी हवा चल रही थी,,, जैसे-जैसे रात बढ रही थी वैसे-वैसे आसमान में तारों का झुरमुट एकदम साफ दिखाई देने लगा था रास्ते में चलते समय गांव की औरतें सूरज को दिखाई दे रही थी जो कि कुछ औरतें मैदान की तरफ जा रही थी और कुछ औरतें मैदान से वापस आ रही थी शाम ढलने के बाद जैसे-जैसे अंधेरा होने लगता था वैसे-वैसे गांव की औरतें सौच करने के लिए मैदान की तरफ जाया करती थी,,,, औरतों के लिए यही समय ठीक भी रहता था क्योंकि दिन में किसी के द्वारा देखे जाने का डर बना रहता था इसलिए शर्म के मारे बहुत सी औरतें दिन के उजाले में नहीं जाती थी और अगर जाना पड़ जाता था तो जंगली झाड़ियां के बीच जाकर बैठना पड़ता था और ऐसे में सांप और बिच्छू का डर भी बना रहता था और जैसे ही अंधेरा होता था वैसे ही गांव की औरतें झुंड बनाकर मैदान की तरफ निकल जाया करती थी सौच करने,,, और ऐसे में गांव की कुछ मनचले लड़के चोरी छिपे गांव की औरतों को सौच करते हुए देखकर मस्त होते थे,,,।

मैदान के बीचों बीच छोटी-मोटी झाड़ियां के पास खड़ी होकर अपनी साड़ी को धीरे-धीरे कमर तक उठाना और फिर इधर-उधर देखना और फिर धीरे से बैठ जाना यह सब देखकर गांव के लड़के पूरी तरह से पागल हो जाते थे क्योंकि जब वह अपनी साड़ी को धीरे-धीरे उठाकर कमर तक लाती थी तब उनकी गोलाकार उभरी हुई गांड लड़कों के मुंह में पानी ला देती थी,,, गांव के लड़कों के लिए यह नजारा किसी स्वर्ग के नजारे से काम नहीं था औरतों की गोल-गोल गांड देखना हर मर्द का सपना होता है इसलिए दुनिया का हर मर्द किसी न किसी तरीके से औरतों के नंगेपन को देखने की कोशिश करता ही है,,,,, जिससे उन्हें काफी उत्तेजना का एहसास भी होता है और फिर अपनी जवानी को अपने हाथों से निकाल कर संतुष्ट हो जाते थे,,,,,,।

और यही कार्य गांव के लड़के भी करते रहते थे,,, औरतों की गोल गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर लड़कों का लंड खड़ा हो जाता था,,, कभी कभार लड़के उन औरतों के इतने करीब छुप जाते थे कि उन औरतों के पेशाब करते समय उनके बुरे से निकलने वाली सिटी की मधुर आवाज उनके कानों में पड़ जाती थी और उसे मधुर संगीत को सुनकर लड़के इतना मस्त हो जाते थे कि,,, इस समय औरतों की गांड देखते हुए अपना लंड बाहर निकाल लेते थे और हाथ से हिलाकर अपनी जवानी की गर्मी शांत कर लेते थे एक बार सूरज के दोस्त भी,,,
बहाने से उसे अपने साथ ले गए थे और उसे भी इस तरह का नजारा दिखा रहे थे लेकिन सूरज जल्द ही समझ गया था कि उसके दोस्त उसे इसलिए वह पर लेकर आए हैं इसलिए वह तुरंत वहां से चला गया,,,,।

थोड़ी देर में सूरज मुखिया के खेत पर पहुंच गया और इधर-उधर अपने पिताजी को ढूंढना शुरू कर दिया अंधेरा होने की वजह से उसे कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था,,,, लेकिन खेत के बाहर उसे एक जगह पर लोटा और पानी का बड़ा सा जग और उसके पिताजी का गमछा रखा हुआ दिखाई दिया तो वह समझ गया कि उसके पिताजी खेत में ही है,,,, वह धीरे-धीरे निश्चित होकर अपने पिताजी को आवाज़ लगाई भी नहीं खेत के अंदर प्रवेश करने लगा,,, गन्ने का खेत था इसलिए दूर-दूर तक कुछ भी देख पाना नामुमकिन सा लग रहा था,,,, जहां पर उसके पिताजी का गमछा और बर्तन रखे हुए थे उसी के सामने ही गन्ने के खेतों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हुई थी अंदर जाने के लिए और सूरज उसी में से अंदर की तरफ जाने लगा वह पूरी तरह से निश्चित तथा अपने ही धुन में था उसे लग रहा था कि उसके पिताजी गन्ने के खेत के बीचो-बीच खेत का काम कर रहे होंगे या पानी दे रहे होंगे क्योंकि जहां से सूरज अंदर जा रहा था वहां ढेर सारा कीचड़ था वैसे तो उसे जाना अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी वहां खेतों के बीच जाने लगा था,,,

लगभग खेत के अंदर दो-तीन मीटर प्रवेश किया ही था कि उसे उसके पिताजी की आवाज सुनाई दी,,,


मालकिन अपनी साड़ी ऊपर उठाओ,,,,
(सूरज को अपने पिताजी की यह बात एकदम साफ सुनाई दी थी लेकिन अपने पिताजी के कहने के मतलब को वह समझ नहीं पाया था,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अंदर कितने लोग हैं,,,, और उसे यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि उसके पिताजी साड़ी उठाने के लिए क्यों कह रहे थे तभी उसके कानों में किसी स्त्री की आवाज आई,,,)

भोला में तेरे लिए मालकिन सबके सामने हूं लेकिन इस तरह अकेले में मुझे मालकिन मत कहा कर मेरा नाम लेकर बुलाया कर शोभा,,,,।

ओहहह शोभा जल्दी से अपनी साड़ी कमर तक उठा दो मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,,,


मुझसे भी कहां रहा जा रहा है भोला,,,,, खेतों में पानी देने के बहाने तो मैं तेरे साथ आई हूं,,,,(इतना कहते हुए मुखिया की बीवी शोभा अपनी साड़ी कमर तक उठा दी और उसकी नंगी गांड बोला की आंखों के सामने एकदम से चमकने लगी हालांकि यह नजारा सूरज अपनी आंखों से देख नहीं पा रहा था क्योंकि वह अभी भी तीन-चार मीटर उन लोगों से दुर ही था और गन्ने का खेत होने की वजह से उससे 1 फीट की दूरी से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वहां क्या हो रहा है,,, तभी उसके कानों में उस स्त्री की आवाज फिर से सुनाई दी,,,।)

भोला जल्दी से अपना हथियार निकाल और जल्दी-जल्दी काम पूरा कर,,,,

बस शोभा मालकिन,,,

मालकिन नहीं रे सिर्फ शोभा बोल,,,,


शोभा अभी काम पूरा कर देता हूं,,,,(इतना कहते हुए भोला अपनी धोती में से अपने खड़े लंड को बाहर निकाला,,, और एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर जैसे हाथ से मुखिया की औरत की गोल-गोल गांड को थाम कर,,, अपने लंड को शोभा की बुर में डालने की कोशिश करने लगा लेकिन अंधेरा कुछ ज्यादा होने की वजह से वह नाकामयाब होते जा रहा था तो शोभा खुद अपना अपने दोनों टांगों के बीच से पीछे की तरफ लाते हुए भोला के लंड को पकड़ ली और उसके गरम सुपाडे को अपनी दहकती हुई बुर पर रख दी,,, और उसे धक्का मारने के लिए बोली मुखिया की बीवी भोला के लंड को मंजिल तक पहुंचाने का रास्ता दिखा दी थी,,, ।

ऐसा नहीं था कि भोला मुखिया की बीवी को पहली बार चोदने जा रहा था,,,, वह कई बार मुखिया की बीवी की जमकर चुदाई कर चुका था इसलिए जैसे ही मुखिया की बीवी ने उसके लंड को पकड़ कर अपनी बुर का रास्ता दिखाई भोला तुरंत उसकी कमर पकड़ कर अपने लंड को एक ही धक्के में उसके बच्चेदानी तक पहुंचा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया,,,, मुखिया की बीवी पूरी तरह से मत हो गई,,,, सूरज को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कुछ देर के लिए दोनों की बातचीत बंद हो चुकी थी केवल अजीब अजीब सी आवाज आ रही थी जो की मुखिया की बीवी की गरमा गरम सिसकारी की आवाज थी ,,, जो कि सूरज इस तरह की आवाज से अपरिचित था उसे नहीं मालूम था किस तरह की आवाज क्यों आती है इसीलिए वह और ज्यादा उत्सुक हो रहा था कि खेत के बीचो-बीच उसके पिताजी और वह स्त्री कर क्या रहे हैं कौन सा काम कर रहे हैं और उसे स्त्री ने कौन सा हथियार निकालने के लिए कहा था कहीं कुछ घटना तो नहीं हो गई यही सब सोचकर वह घबरा भी रहा था लेकिन वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था,,,।



भोले तेरे साथ ही मुझे बहुत मजा आता है,,,

ओहहह मालकिन सच में मुझे यकीन नहीं होता कि मेरे हाथों में इतने बड़े घर की औरत है,,,,

आहहहह आहहहहह ऊहहहहहह और जोर से मार भोला और जोर से मार,,,आहहहहह ,,,,,,

मुखिया की बीवी की बात सुनकर भोला और ज्यादा जोश में आ गया था वह अपना दोनों हाथ आगे बढ़कर उसके ब्लाउज का बटन खोलकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को हथेली में लेकर दबाते हुए धक्के पर धक्के लगा रहा था,,,, भोला और मुखिया की बीवी खेतों में पानी देने के बहाने रात तक रुके हुए थे और दोनों अपना उल्लू सीधा कर रहे थे इन सब से बेखबर मुखिया घर पर आराम से हुक्का गुडगुडा रहा था,,,,, वह दोनों पूरी तरह से संभोग क्रिया में मस्त हो चुके थे कि तभी,,, भोले के कानों में गनने के खेत में सुरसुराहट की आवाज सुनाई दी और वह एकदम से अपने धक्कों को रोक दिया,,,, अपनी बुर में लंड का आवागमन बंद होते ही शोभा बोली,,,।


रोक क्यों दिया भोला,,, जोर-जोर से धक्के लगा जोर-जोर से मार,,,।

सससहहहहह,,,(भोला धीरे से शोभा के कान में चुप रहने का इशारा किया और बोला) लगता है कोई है,,,
(शोभा एकदम से घबरा गई उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई उसे इस अवस्था में देख ना ले वरना बदनामी हो जाएगी वह एकदम से घबरा गई थी लेकिन इस बीच चला कि दिखाते हुए उत्तेजित अवस्था में भोला अपनी कमर को आगे पीछे धीरे-धीरे हिलता हुआ मुखिया की बीवी को चोद रहा था,,,, लेकिन उसका पूरा ध्यान गन्ने के खेत में से आने वाली आवाज पर था उसे रहने की और वह मुखिया की बीवी की बुर में धक्का लगाते हुए बोला,,,)

कौन है वहां,,,?

,(अपने पिताजी की आवाज सुनते ही सूरज जल्दी से बोल उठा,,,)

मैं हूं पिताजी सूरज,,,,

(अपने बेटे की आवाज सुनते ही भोला एकदम से चौंक गया,,,, और बोला,,,)

अरे तू यहां क्या कर रहा है,,,?
(भोला एकदम से चुदाई बंद कर दिया था शोभा भी घबरा गई थी वह धीरे से भोला के कान में बोली,,,)

ये यहां क्या कर रहा है अगर देख लिया तो,,,

कुछ नहीं होगा मालकिन तुम एकदम शांत रहो,,,,


मां ने बुलाने के लिए भेजा था तो तुम्हें ढूंढता हुआ यहां आ गया,,,,



अच्छा तू जा यहां से मैं अभी थोड़ी देर में आ जाता हूं,,,


वह तो ठीक है पिताजी लेकिन किसको जोर-जोर से मार रहे हो कौन है वहां पर तुम्हारे साथ वह औरत कौन है,,,? रुको मैं भी आता हूं,,,,(इतना कहकर सूरज धीरे से अपना कदम आगे बढ़ाया और भोला और मुखिया की औरत दोनों पूरी तरह से घबरा गए दोनों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आप क्या करें दोनों का आज पकड़े जाना निश्चित था शोभा जल्दी से अपने ब्लाउज का बटन बंद कर रही थी लेकिन अभी भी उसकी बुर में भोला का लंड घुसा हुआ था,,, मुखिया की बीवी धीरे से बोली,,)


अब क्या होगा भोला ,,,,


अरे सूरज यहां बिल्कुल भी मत आना यहां पर सियार है उसे ही हम लोग मर रहे हैं,,,।
(भोला की बात सुनते ही मुखिया की बीवी की जान में भी जान आ गई और वह अभी हड़बड़ाहट भरे स्वर में बोली ,,)

हां हां बेटा इधर बिल्कुल भी मत आना बहुत बड़ा सियार है,,,, तेरे पिताजी उसे मार रहे हैं और मैं उनकी मदद कर रही हूं तू इधर मत आना यहां खतरा है और कीचड़ भी बहुत है,,,।
(उन दोनों की बात सुनकर सूरज वही रुक गया था,,,)

सूरज बेटा तू खेत के बाहर खड़े रहे अभी काम निपटा कर आता हूं और इतनी रात को बाहर मत निकाल कर यहां पर सियार कुछ ज्यादा हो गए हैं,,,।

(सूरज अपने पिताजी के खाने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहा था वाकई में गांव में सियार की संख्या बढ़ती जा रही थी इसीलिए तो वह लाठी लेकर चलता था ताकि कभी उसे दिखाई दे तो वह अपने आप की सुरक्षा कर सके और अपने पिताजी की बात मानते हुए वह बोला)

ठीक है पिताजी में खेत के बाहर खड़ा रहता हूं लेकिन जल्दी से सियार का काम निपटाकर बाहर आ जाओ और अपना ख्याल रखना,,,,

ठीक है बेटा तू जा जल्दी,,,,।
(और इतना सुनते ही सूरज धीरे-धीरे खेत में से बाहर आने लगा और भोला को इस बात का अहसास होते हैं क्योंकि सूरज फिर से बाहर जा रहा है तो वह फिर से मुखिया की बीवी की कमर पकड़ कर उसकी बुर में लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया क्योंकि अभी दोनों का काम खत्म नहीं हुआ था,,, और देखते ही देखते कुछ देर बाद दोनों एकदम से झड़ गए,,, भोला अपने लंड को धोती में वापस डालकर खेत से बाहर आने लगा और मुखिया की बीवी अपने कपड़ों को दुरुस्त करके वह भी पीछे-पीछे खेत से बाहर आ गई खेत से बाहर आते ही उसकी नजर सूरज पर पड़ी जो की काफी हट्टा कट्टा था,,, सूरज को देखते ही वह बोली,,,)

भोला यह तेरा बड़ा बेटा है ना,,,

की मालकिन यही तो है एक इसका नाम सूरज है,,,

बिल्कुल तेरी तरह है,,,,

सूरज यह मालकिन है नमस्कार करो,,,

नमस्ते मालकिन,,,,

खुश रहो,,,(मुखिया की बीवी सूरज के सर पर हाथ रखते हुए बोली) और इस तरह से रात को मत निकाला करो सियार का खतरा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है तुम भी पूरी तरह से जवान हो लेकिन तुम्हारे पिताजी की तरह बहादुर अभी नहीं हो तुम्हारे पिताजी शिकार करने में बहुत माहिर हैं,,,,(शोभा कौन से शिकार की बात कर रही थी इस बारे में समझ पाना सूरज के लिए बहुत मुश्किल था,,,,)

अच्छा बोला कल फिर से समय पर खेत पर चले आना अभी बहुत काम बाकी है,,,,

ठीक है मालकिन,,,(इतना कहते हुए बोला अपना गमछा जो जमीन पर रखा हुआ था उसे उठाकर कंधे पर रख लिया और लोटा और जग मालकिन को थमा दिया,,, मालकिन मुस्कुराते हुए अपने घर की तरफ चली गई और दोनों बाप बेटे अपने घर की तरफ चल दिए,,,)
बहुत ही मस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
ये भोला का बेटा बेचारा सुरज सचमुच में भोला हैं साला ये नहीं समज पाया की उसका बाप अपनी मालकीन शोभा को पेल रहा हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
 

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भोला अपने बेटे के बिल्कुल करीब होते हुए भी मुखिया की बीवी के साथ खेल खेल गया था जिसके बारे में उसके बेटे को कानो कान खबर तक नहीं पड़ी थी,,,, ऐसा नहीं था कि,,, सूरज एकदम नादान था औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को लेकर,,,, इतना तो वह अच्छी तरह से ही जानता था एक औरत और एक मर्द के बीच किस तरह का रिश्ता होता है,,,, और औरत और मर्द के बीच होने वाले उस रिश्ते को चुदाई कहते हैं,,, सूरज चुदाई के बारे में अच्छी तरह से जानता था लेकिन कभी अपनी आंखों से देखा नहीं था कि चुदाई होती कैसे हैं सूरज के पास पूरा मौका था अपनी अभिलाषा अपनी उत्कंठा को पूरी करने की वह अपने पिताजी और मुखिया की बीवी के बीच हो रही चुदाई को अपनी आंखों से देख सकता था लेकिन इन मौके पर उसके पिताजी को किसी के पास होने की भनक लग गई और आवाज देता हुआ उसे रोक दिया था और अपने पिताजी की बात मानते हुए सूरज जहां खड़ा था वहीं रुक भी गया था अगर थोड़ी और हिम्मत दिखाता आगे की तरफ आता तो शायद वह एक अद्भुत अविस्मरणीय क्रीडा को अपनी आंखों से देख सकता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था और इस बात का भी पता उसे नहीं चल पाया था कि उसके पिताजी और किसी गैर औरत के बीच अनैतिक संबंध है,,,, उसके पिताजी उसकी मां को धोखा दे रहे हैं,,,, खैर भोला की चालाकी से बात आई गई हो गई थी,,, खेत का काम खत्म करते ही भला सूरज के साथ अपने घर पर पहुंचकर और हाथ पैर धोकर खाना खाने लगा,,,।

रात को सूरज की मां अपने कमरे में,,,, सोने की तैयारी कर रही थी,,,, भोला खटिया पर लेटा हुआ,,, कुछ सोच रहा था,,,, और उसकी नजर सुनैना के ऊपर थी जो कि सोने की तैयारी में थोड़ी साफ सफाई कर रही थी हालांकि भोला की नजर भले ही सुनैना के ऊपर थी लेकिन वह सुनैना को देख नहीं रहा था बल्कि अपने ख्यालों में खोया हुआ था और वह मुखिया की बीवी शोभा के बारे में सोच रहा था और मन ही मन प्रसन्न हो रहा था लेकिन सुनैना भोला को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि भोला उसे देखकर मुस्कुरा रहा है,,, इसलिए वह मन ही मन प्रसन्न होने लगी क्योंकि महीनो गुजर गए थे भोला ने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाया था इसलिए भोला को मुस्कुराता हुआ देखकर सुनैना के मन में आज जगने लगी कि आज की रात उसका पति उसके साथ संबंध बनाएगा और उसे तृप्त करेगा,,, और यही सोच कर वहां कमरे की सफाई को आखिरी ओप दे रही थी,,,

घर की सफाई कर लेने के बाद सुनैना ठीक बोला की आंखों के सामने ही अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिराकर अपनी मदमस्त कर देने वाली छातियो का प्रदर्शन करने लगी ,,,, उसे ऐसा लग रहा था कि ब्लाउज में कैसे की बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर उसके पति से रहा नहीं जाएगा और वहां अपनी जगह से उठकर बैठ जाएगा और लपक कर उसकी दोनों चुचियों का थम देगा क्योंकि अक्सर दोनों के बीच चुदाई की शुरुआत इसी तरह से होती थी लेकिन कुछ महीनो से सब कुछ बदल सा गया था लेकिन आज सुनैना के मन में,,,, आस की किरण नजर आ रही थी,,,, और यही सोच कर वह अपनी साड़ी के पल्लू को अपने कंधे से नीचे गिरा कर अपनी मदमस्त जवानी से भरी हुई अंगड़ाई लेती हुई,,, भारी भरकम चुचियों का प्रदर्शन करते हुए अपनी साड़ी के पल्लू को हाथ से पकड़ कर उसे अपनी कमर से खोलना शुरू कर दी क्योंकि बर्तन धोते समय नीचे से उसकी साड़ी थोड़ी गिरी हो गई थी और इसलिए वह यही सोच रही थी कि वह साड़ी उतार कर सोई और ऐसे में वह अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित भी कर लेगी,,,

सुनैना दो दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी अपने बदन को खेतों के काम से उलझाए हुए इतना सुगठित बनाई हुई थी कि उसके आगे जवान लड़कियां भी पानी भर्ती नजर आती थी बदन में कहीं भी अत्यधिक चर्बी का नामोनिशान नहीं था चर्बी उतनी ही थी कि जितनी उतनी जवानी को शोभा दे रही थी,,, छतिया की शोभा बढ़ा रही दोनों चूचियां खरबूजे के आकार की गोल-गोल और एकदम तनी हुई थी उसमें जरा भी ढीलापन नहीं आया था इस उम्र में भी सुनैना की चूचियां दशहरी आम की तरह तनी हुई थी,,, गोल मुखड़ा एकदम चांद का टुकड़ा लगता था और ऊपर से गोल वाली थोड़ी सी बड़ी बिंदी लगाकर वह मर्दों को गर्म आह भरने पर मजबूर कर देती थी,,, पतली कमर और कमर के नीचे उभार लेते हुए उसके नितंबों की गोली कुछ अजब ही कहर ढाती थी,,, पतली कमर के नीचे का उभार कुछ ज्यादा ही था जोकि सुनैना की जवानी में चार चांद लगाते थे उसकी बड़ी-बड़ी गदराई गांड अक्सर मर्दों का लंड खड़ा कर देती थी,,,, मोती मोती चिकनी जाने केले के तने के समान मजबूती लिए हुए इतनी मादक लगती थी कि अगर वह अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर किसी मर्द के ऊपर बैठ जाए तो भी उसे मर्द का लंड उसकी मदमस्त जवान देखकर सलामी भरने लगे और बिना बुर में प्रवेश किए ही पानी छोड़ दे,,, कुल मिलाकर सुनैना की जवानी ऐसी थी कि दुश्मन बिना लड़े अपना हथियार डाल दे,,,,।

इतनी जबरदस्त नशीली जवानी से भरी हुई सुनैना के लिए जिंदगी इतनी आसान न थी खूबसूरत है जिस होते हुए भी किस्मत का रोना यही था कि उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था और किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाकर अपनी जरूरत को तो पूरी कर ले रहा था लेकिन अपनी बीवी को प्यास छोड़ दे रहा था और इस बात से सुनैना पूरी तरह से अनजान थी उसे नहीं मालूम था कि उसके पति का गैर औरत के साथ संबंध है उसे ऐसा ही लगता था कि शायद कामकाज में उलझ कर थककर उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा है लेकिन माजरा कुछ हो रही था जिसके बारे में सुनैना को भनक तक नहीं थी,,,,।

सुनैना बंद कमरे में कुछ और सोच रही थी और उसका पति मुस्कुराते हुए कुछ और सोच रहा था जिसे देखकर सुनैना को गलतफहमी हो गई थी और वह अपनी जवानी का जलवा अपने पति के सामने बिखेर रही थी जो की मुखिया की बीवी शोभा के ख्यालों में खोया हुआ था,,, शोभा को पकड़ भोला आसमान में उड़ने लगा था एक तो वह मुखिया की बीवी थी और वह भी जवानी से भरी हुई थी,,, लेकिन फिर भी खूबसूरती के मामले में सुनैना मुखिया की बीवी से एक कदम आगे थी लेकिन फिर भी नसीब का रोना यही था कि इस समय उसका पति सुनैना को छोड़कर दूसरी औरत में दिल लगा बैठा था,,,,।

सुनैना अपने पति की आंखों के सामने निर्वस्त्र होना चाहती थी ऐसा नहीं था कि आज पहली बार महीना का सुख न मिलने की वजह से वह इस तरह का कदम उठा रही थी अक्सर अपने पति के साथ संभोग रत होने से पहले वह इसी तरह से अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाती थी और फिर अपने पति की बाहों में अंगड़ाई लेने लगती थी और ऐसा कुछ हुआ आज भी करना चाहती थी देखते ही देखते वह अपने पति की आंखों के सामने अपने ब्लाउज का बटन खोलने लगी,,,, भोला जो कि अपनी बीवी की तरफ नजर करके दूसरे ही ख्यालों में खोया हुआ था सुनैना कुछ और समझ कर मुस्कुराते भी अपने पति की आंखों के सामने अपने ब्लाउज का बटन एक-एक करके खोलती चली गई हो उसकी मदद जवानी से भरे हुए दोनों कबूतर ब्लाउज के खेत से आजाद होते ही अपना पंख फड़फड़ा कर उड़ने की फिराक में लहराने लगी,,,,,

सुनैना इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि उसका पति उसकी चूचियों के पीछे बहुत ज्यादा ही पागल है क्योंकि वह घंटे तक उसकी चूची से बस खेलते ही रहता था उसी मुंह में लेकर पीता ही रहता था,,, और सुनैना अपने पति के इसी कमजोरी का पूरा फायदा उठा देना चाहती थी इसलिए ब्लाउज का बटन खोलते ही वह अपने ब्लाउस को अपनी बाहों में से उतर कर नीचे जमीन पर फेंक दे कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी हो गई बंद कमरे में अपने पति की आंखों के सामने वह केवल पेटीकोट में खड़ी थी,,,।

सुनैना अब थोड़ा हैरान होने लगी क्योंकि वह कमर के ऊपर पूरी तरह से निर्वस्त्र हो चुकी थी और उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियों को देखकर उसके पति में बिल्कुल भी बदलाव नहीं आया था वह केवल मुस्कुरा रहा था,,, वरना अभी तक तो वहां खटिया से नीचे उतर कर उसके पास पहुंच जाता और उसकी चूची को दोनों हाथों में लेकर जोर-जोर से दबाना शुरू कर देता ,,, लेकिन आज ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था,इसलिए वह धीरे से बोली,,,।

इसे भी,,,(अपने पेटिकोट की डोरी पर अपनी उंगली रखते हुए) उतार दूं क्या,,,,!
(भले ही सुनैना अपने पति से निर्वस्त्र होने की इजाजत मांग रही थी उससे पूछ रही थी लेकिन वह मन ही मन निर्वस्त्र होने के लिए ललाईत भी थी,,,। वह अपने पति से पूछ तो रही थी लेकिन उसका पति उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा रहा था क्योंकि वह सुनैना की तरफ देख जरूर रहा था लेकिन उसके ख्यालों में शोभा थी,,, अपने पति की तरफ से कोई जवाब ना पाकर सुनैना को थोड़ा आश्चर्य हुआ,,, लेकिन फिर भी उसके मन में चुदवाने की लालसा पूरी तरह से जाग चुकी थी,,, इसलिए भाभी ज्यादा देर ना करते हुए अपने पति की आंखों के सामने अपनी पेटिकोट की डोरी को अपनी नाजुक उंगलियों में फंसा कर हल्के से उसे खींची,,, और उसकी इस हरकत पर कमर पर कसी हुई पेटिकोट एकदम से ढीली हो गई और वह अपनी उंगली का सहारा देकर अपनी पेटीकोट को हल्के से आगे की तरफ खींची और इस स्थिति में अपनी पेटीकोट को छोड़ दी कमर से पेटिकोट एकदम ढीली होते ही भरभरा कर नीचे उसके कदमों में गिर पड़ी और वह पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गई कमरे में लालटेन मध्धम जल रही थी जिसकी पीली रोशनी में सुनैना का खूबसूरत बदन खरा सोने की तरह चमक रहा था,,,।


कमरे में सुनैना खुद ही अपने सारे कपड़े उतार कर निर्वस्त्र हो चुकी थी पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी अगर यह दृश्य कोई और मर्द देखता तो उसका लंड पूरी तरह से अपनी औकात में आ जाता और फिर या तो वह सुनैना के साथ चुदाई का सुख भोगता या फिर अपने यहां से अपनी गर्मी शांत करके तृप्त होने की कोशिश करता,,,, इतना मनोरम में और मादकता से भरा हुआ दृश्य देखना भी है किस्मत की बात होती है,,, दुनिया के सारे मर्द औरत का यह रूप देखने के लिए तड़प जाते हैं और कोशिश करते रहते हैं कि उन्हें इस तरह का दृश्य दिख जाए लेकिन भोला अपनी आंखों के सामने जवानी से भरी हुई औरत को निर्वस्त्र होता हुआ देख रहा था लेकिन फिर भी उसके बदन में जरा भी हलचल नहीं थी क्योंकि उसके दिमाग में मुखिया की बीवी छाई हुई थी,,,,

सुनैना मारे शर्म के पानी पानी हो रही थी भले ही वह अपने पति के सामने निर्वस्त्र हुई थी लेकिन फिर भी वह एक इज्जतदार औरत थी शर्म और मर्यादा में बंधी हुई भले ही वह अपने पति के साथ किसी भी हद तक सुख प्राप्त करने के लिए चली जाती थी लेकिन फिर भी उसकी कुछ संस्कृति थी संस्कार जिसकी वजह से इस समय भी उसे शर्म महसूस हो रही थी वह धीरे से अपने पति की तरफ आगे पड़ी और लगन अवस्था में ही खटिया पर जाकर बैठ गई खटिया पर बैठते ही उसकी गोल-गोल गांड पके हुए खरबूजे की तरह फैल गई,,,,।

अपने पति के पास निर्वस्त्र अवस्था में बैठ कर सुनैना खुद अपने पति का हाथ अपने हाथ में लेकर उससे बोली,,,।

देख रही हूं कुछ दिनों से तुम मेरी तरफ ध्यान ही नहीं देते,,,,।
(भोला जो कि अभी भी शोभा के ख्यालों में खोया हुआ था सुनैना की आवाज सुनते ही जैसे नींद से जागा हो और वह एकदम से हड़बड़ा गया,,, और आश्चर्य से सुनैना की तरफ देखने लगा वह सुनैना की तरफ देखा तो उसे इस बात का एहसास हुआ कि उसकी बीवी उसके पास एकदम नंगी बैठी हुई है,,,, अपने पति की आश्चर्य से फैली हुई आंखों को देखकर सुनैना बोली,,,)

क्या हुआ किसी और ख्यालों में खोए हुए थे क्या,,,!
(इतना सुनते ही भोला एकदम से चौंक गया उसे पल भर के लिए लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई है लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए वह एकदम से बात बदलते हुए बोला,,,)

तुम्हारे होते हुए में किसके ख्यालों में खो सकता हूं एक तुम ही तो हो मेरे सपनों की रानी,,,(ऐसा कहते हुए भोला अपने मन में यही सोच रहा था कि वह नंगी कब हुई वह क्या सोच रहा था उसकी बीवी उसकी आंखों के सामने कब अपने कपड़े उतार कर नंगी होकर उसके बगल में बैठ गई थी उसे इस बात का एहसास तक नहीं हुआ था इसीलिए वह एकदम से हैरान था,,, फिर अपने ही सवाल का जवाब खुद देते हुए वह अपने मन में बोला बाप रे मालकिन का ख्याल आते ही मैं सब कुछ भूल जाता हूं,,, वह अपने चेहरे के भाव को एकदम सामान्य कर लिया था वह नहीं चाहता था कि उसकी बीवी को जरा भी शक हो,,, इसलिए वह अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी बीवी की नंगी चिकनी पीठ पर रख दिया और उसे सहलाने लगा,,, उसकी बीवी भी एकदम सामान्य हो गई,,,,।

भोला भले ही दूसरी औरत के ख्यालों में खोया हुआ था लेकिन इस समय उसकी ही खटिया पर उसकी बीवी पूरी तरह से निर्वस्त्र एकदम नंगी उसके बगल में बैठी हुई थी इसलिए ऐसी हालत में उसके बाद में उत्तेजना जागना लाजमी था और ऐसा ही हुआ उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा,,,, भोला अपनी बीवी की चिकनी पीठ को सहलाते सहलाते अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उसे जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया,,, और सुनैना अपने पति के इसी हरकत का तो इंतजार कर रही थी अपने पति की ईस हरकत पर वह पूरी तरह से मदहोश होने लगी और धीरे से वह भी जवानी और उत्तेजना की आग में चलते हुए अपने हाथ को अपने पति के धोती में डाल दी और उसके लंड को पकड़कर जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दी,,,, सुनैना की हरकत से भोला पूरी तरह से बावला हो गया,,, वह उत्तेजना के मारे मदहोश होने लगा वह भले ही अपनी बीवी के साथ था लेकिन इस समय उसे अपनी बीवी ने शोभा दिखाई दे रही थी अपनी मालकिन दिखाई दे रही थी इसलिए सब कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और अपनी बीवी की दोनों चूचियों को पड़कर उसे तुरंत खटिया पर लेटा दिया और उसकी दोनों टांगों के बीच आ गया,,,,।

सुनैना अपने पति की इस हरकत को देखकर हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका पति इतना जल्दबाजी क्यों दिख रहा है क्योंकि ऐसा कभी भी नहीं होता था और देखते ही देखते उसके पति ने अपनी धोती खोल कर नीचे जमीन पर फेंक दिया और अपने खड़े लंड को उसके गुलाबी बुर पर लगाकर एक धक्का मारा और उसका पूरा का पुरा लंड एक बार में ही उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,, अपने पति के ऐसे हरकत पर सुनैना को दर्द महसूस होने लगा लेकिन वहां अपने दांतों को दबाकर अपने दर्द को पीने की कोशिश करने लगी,,, भोला पूरी तरह से बावला हो चुका था वह अपनी बीवी की दोनों टांगों के बीच पसरकर अपनी बीवी की तरफ झुका और अपने दोनों हाथों को उसके बदन के नीचे ले जाकर उसके अपनी बाहों में भर लिया हो अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाना शुरू कर दिया,,,।

दर्द ही सही महीनो के बाद अपने पति के लंड को अपनी बुर में महसूस करके वह पूरी तरह से पागल होने लगी थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अपने पति से चुदवाए उसे बरसो गुजर गए हैं,,, इसीलिए तो वह पूरी तरह से मदहोश हो जा रही थी अपनी पति का साथ देते हुए वह नीचे से भी अपनी कमर उछालते हुए बोल रही थी,,,।

ओहहहह मेरे राजा और जोर से और जोर से चोदो मुझे,,,आहहहहहह ऊमममममम बहुत लंबा और मोटा लंड है तुम्हारा मेरे राजा,,,,


ओहहहह मेरी रानी बहुत दम है तेरी बुर में बहुत मजा आ रहा है तेरी बुर कितनी गर्म है रे,,,,ऊममममम (भोला अपनी बीवी की बुर में धक्का पर धक्का लगाता हुआ बोल रहा था,,,)

ऊममममम तुम्हारा लंड भी तो बहुत जानदार है मेरे राजा,,,,सहहहहह आहहहहहह,,, ऐसा लग रहा है किसी से कोई लोहे का मोटा छड मेरी बुर में डाल रहा
हो,,, आहहहहहह ऊमममममममम ,,(दोनों पागल किया जा रहे थे खटिया चरर मरर बोल रही थी ऐसा लग रहा था कि दोनों की जवानी के जोश के चलते कहीं खटिया टूट न जाए भोला पागलों की तरह अपनी बीवी को अपनी मालकिन समझ कर चोद रहा था और सुनैना यही सोच रही थी कि मैं बाद उसका पति उसकी बुर पाया है इसलिए पागल हो गया है,,,, इसीलिए सुनैना अपने पति का जोश बढ़ाते हुए बोल रही थी,,,)

ओहहह ओहहह आहहहहवआहहहबह मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है जोर-जोर से मारो और जोर से मारो धक्का,,,,आहहहहह आहहहहह फाड़ दो मेरी बुर को राजा,,,,आहहहह आहहहहह,,,


आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी रानी आज तेरी बुर को फाड़ दूंगा मेरी शोभा रानी,,,,सससहहहहह आहहहहहह।,, ।

(अपने पति के मुंह से शोभा शब्द सुनते ही मदहोशी में बंद आंखें एकदम से खुल गई,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह सच में शोभा सुनी या सुनैना,,,,वह फिर से इंतजार करने लगी अपने पति के मुंह से वही शब्द सुनने के लिए और जोर-जोर से धक्के लगा रहा था लेकिन अपनी मालकिन की जवानी में खोया हुआ भोले अपनी बीवी को अपनी मालकिन समझ कर चोद रहा था इसलिए अनजाने में ही उसके मुंह से उसकी मालकिन का नाम निकल गया था और इस गलती का एहसास उसे जल्द ही हो गया था इसलिए वह एकदम से खामोश हो गया लेकिन अपनी बीवी को शक ना हो इसलिए वह जोर-जोर से धोखे लगाते हुए वही शब्द दोहराते हुए बोला,,,)

ओहहह मेरी रानी,,, आज तुझे नहीं छोडूंगा मेरी रानी तेरी बुर को फाड़ दूंगा सुनैना रानी,,,,।
(भोला जानबूझकर इस शब्द को दोहराया था लेकिन पहले वाले शब्द में अपनी मालकिन की जगह अपनी बीवी का नाम ले लिया था और इस बार सुनैना अपने पति के मुंह से अपना नाम सुनकर संतुष्ट हुई उसे लगने लगा कि उसका पति उसी का ही नाम ले रहा था बस उसे सुनने में थोड़ा सा फर्क पड़ गया था,, भोला की कमर बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, देखते ही देखते दोनों के बदन में अकड़न सी बढ़ने लगी और फिर दोनों एक साथ भल भला कर झड़ने लगे,,,, और फिर दोनों इस तरह से एक दूसरे की बाहों में सो गए,,,,।

सुबह जब नींद खुली तो उसका पति खटिया पर नहीं था वह बड़े सबेरे ही उठकर जा चुका था सुनैना को अपने पति की ईस हरकत पर थोड़ा सा गुस्सा आने लगा क्योंकि उसने उसे जगाया नहीं था और बिना कुछ बोले घर से निकल गया था और इस समय वह पूरी तरह से निर्वस्त्र थी एकदम नंगी और वह अपने मन में यही सोच रही थी कि ऐसे हालात में अगर उसका बेटा किसी काम से कमरे में आ गया और उसे ऐसा हालत में देखेगा तो क्या सोचेगा इसलिए उसे थोड़ा गुस्सा आ रहा था इसलिए वह जल्दी से अपने खटिया पर से उठी और अपने कपड़े पहने लगी जो कि अभी भी जमीन पर बिखरे पड़े थे,,,,।

सुनैना जल्दी-जल्दी गंदे कपड़ों को इकट्ठा करने लगी और फिर उन्हें गठरी बनाकर उसे माथे पर उठाकर नदी की तरफ निकल गई उन्हें धोने के लिए,,,।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
कामाग्नी में जल रही सनैना नंगी हो कर अपने पती भोला की खटीया पर बैठ गयी लेकीन भोला तो मालकिन शोभा की याद में खोया था जब उसने सुनैना को नंगी देखा तो उसके लंड ने अंगडाई ले ही ली और चुदाई चालू हो गई ये चुतिया भोला भी उसे शोभा समझ के चोदने लगा उत्तेजना में उसने सुनैना की जगह शोभा का नाम ले लिया लेकीन जल्दी ही संभल कर सुनैना का नाम लेकर बात को संभाल लिया और बच गया खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 
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