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Thriller पागल वैज्ञानिक

Mr.X796

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सार्जेन्ट दिलीप की फोर्ड कार षहर की चैंड़ी सड़कों पर दौड़ती हुई सिल्वर नाईट क्लब की तरफ जा रही थी। सार्जेंट का और सिल्वर नाईट क्लब का चैली दामन का सांथ पिछले पांच ष्षाल से चला आ रहा था। सिल्वर नाईट क्ल्ब के मेनेजर से लेकर हर बैरा तक उसको अच्छी तरह जानता था....जानते तो सिल्वर नाईट क्लब के हर मेम्मबर भी थे उसको कारण था मोन्टी जो अभी सार्जेंट के बगल में पेन्ट सर्ट पहन और फेल्ट हैट पहन कर सिगरेट पी रहा था।
- बैटे तू भी क्या याद करेगा आज तुझे मैं एरिना जेडसन का डान्स दिखा के लाऊँगा।
- ऊ.....ऊ.....ऊ....
- अबे साले गधे तू तो बन्दर का बन्दर ही रहा जानता नहीं है अमेरिका के विलियम साहब के बन्दर ने चार पोयम और पचास देषों के नाम याद कर लिये हैं...बैटे तू भी जल्दी से कर नहीं तो तेरे को फिर से जंगल छोड़ आऊगा।
लेकिन मोन्टी सार्जेंट की बकवास से परे प्रेम से सिगरेट के कस लगा रहा था।
दस मिनिट बाद सार्जेंट क्ल्ब के अहाते में बने कार पार्किंग में कार पार्क कर रहा था। आज जरूरत से ज्यादा भीड़ दिखाई दे रही थी सार्जेंट की लम्बी फोर्ड मुषकिल से एक कोने में खड़ी हो सकी।
सार्जेंट मोन्टी की अंगुलियों को पकड़े क्लब में दाखिल हो गया, क्लब के एक कोने में उसकी सीट रिजर्व थी । सार्जेंट अपनी सीट पर बैठ गया, मोन्टी एक छलांग में उसके सामने था....सार्जेंट को बैठा देख एक बैरा समीप आया।
- क्या लाऊँ सर।
- एरिना जेडसन
वो तो पन्द्रह मिनिट बाद मिलेंगी बैरे ने मुस्कुराते हुए कहा।
- अभी क्या मिलेगा।
- उनको छोड़कर सब कुछ
- तो बैटे वैटर दो पैग पीटर स्काच विद सोडा...
- यस सर
बैरा लम्बे डग भरते हुए बार की तरफ बड़ गया। सार्जेंट धीरे-धीरे टेबल बजा रहा था। क्लब के एक और बने स्टेज पर कलाकार गिटार पर कोई मधुर धुन बजा रहे थे साथ में एक एंगलो इंडियन लड़की इन्गलिष में कोई गाना गा रही थी लेकिन क्लब में सायद ही कोई ऐंसा हो जो उसका गाना सुन रहा हो...मोन्टी आर्केस्टरा की धुन पर बड़े मजे से सिर हिला रहा था....तभी एक सुरीला स्वर सार्जेंट के कानों से टकराया...मैं यहाँ बैठ सकती हूँं।
आफ कोर्स मेडम मेने केवल दो सीट रिजर्व करायीं हैं। सार्जेंट ने बिना सिर उठाये टेबल बजाते हुए जवाब दिया। तब तक बैरा दो पैग पीटर स्काच के ले आया था
- सर योर
सार्जेंट ने सिर उठाया, और देखा सामने एक अत्यधिक खूबसूरत नवयुवती बैठी थी।
हैलो सार्जेंट ने कहा, हैलो उसने जवाब में धीरे से कहा।
- मेंने आप को पहले यहाँ कभी नहीं देखा.....हेना मोन्टी
- मोन्टी ने सिर हिला दिया
- जी में पेहली बार आयी हूँ...आप यहाँ के...
मेडम में अकसर यहाँ आता रहता हूँ....बन्दे को सार्जेंट दिलीप कहते हैं , और ये हैं इन्सपेक्टर मोन्टी...उसने बन्दर की तरफ इषारा किया।
- क्या
- जी हाँ
- मतलब
- ये इन्सपेक्टर मोन्टी हैं।
- ये तो षायद बन्दर है।
मोन्टी ने घूर कर लड़की की तरफ देखा ,फिर सिगरेट के कष लेने लगा।
- देखो आज इसे बन्दर कह दिया चलेगा। आइन्दा नहीं कहना नहीं तो ये बुरा मान जायेगा।
उŸार में मोन्टी ने फिर सिर हिलाया..
- ठीक है बाई दि वे यू आर एन इन्टरेस्टिंग पर्सन..
- जर्रानवाजी के लिये षुक्रिया ,क्या बन्दा अपने सामने बैठी अनिन्ध सुन्दरी का इन्ट्रोडक्सन जान सकता है।
- ओह सार्जेंट में जूलिया हूँ। मेंने आपका बहुत नाम सुना है ,लेकिन मिल पहली बार रही हूँ, आप कर्नल नागपाल के असिस्टेंट हैं ना।
- आप तो अगता है मेरे बारे में सब कुछ जानती हैं ..
- और आपके मोन्टी के बारे में भी।
- क्या लेंगी
- कुछ नहीं
- जब आयी हैं तो कुछ तो लेना ही पड़ेगा विस्की..बियर
- जी में काफी लूंगी
Nice update bro
 

ULTRA

Life isn't a film, don't End it..,
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Mai ye post yha start kar rha hu...aur ise post bhi karunga...kyoki maine start kiya hai to post krna hi ich padega....waise bhi apun ko bakawas krne ki aadat hai to mudde pe aatae hai jo jo mujhe abhi congratulate krega new thread ke liye sun le ye khani apne ek dost ne send ki thi mere ko jo ki incomplete thi but apun ne ise start krne se pehle hi complete kar rakha hai on the basis of my thoughts ..le fir me bakwas krne lga point ye hai ki kewal congratulate hi nhi krna hai updates aakar padhne bhi padenge..aur pasand ho ya na ho like kar ke rebu bhi dena padega wrna apun ..kuch bhi nhi krega kyoki sala apun lucifer ke jaisa mod to hai nhi jo jakar ban kar du ...hmm itna jarur krunga daily man me galiya jarur dunga tum logo ko ha nahi to yad rakhna....sham tak update deta hu tab tak waiting waiting comment kro aur mujhe congartulate kro sumjhe

Aata hu thodi der mai update lekar khi jana nhi
gazab be, londe kya intro diye hai be.....:evillaugh:
 

ULTRA

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राजधानी नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, देश का एक मात्र रिसर्च इन्सटीट्यूट जहाँ बायोसाइंस के रिसर्च स्कालर, जूनियर तथा सीनियर वैज्ञानिकों को सरकार की और से भरपूर ग्रांट मिलती है। आज तक यहां के वैज्ञानिकों ने सेंकड़ों दवाइयां इजाद की, जिनकी मदद से असाधरण से असाधरण रोगों पर शीघ्र काबू पाया जा सका। नित नई खोजों में षामिल थीं महत्वपूर्ण दवाइयाँ जिनके लिये मानव पूर्ण रूप से वनस्पतियों पर निर्भर था लेकिन नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस के कुशल साइंटिस्टों ने पहले इनका केमिकल फार्मूला जाना, फिर उन्हें आर्टिफीसियल ढंग से प्रयोग षाला में तत्वों के निष्चित अनुपात को मिलाकर बनाया। आज भी जो औसधियाँ प्रचलन में हैं जैंसे सिफ्लोक्सीन, क्लोरोक्वीन, जैंसी दवाईयों एवं कैंसर जैसे असाध्य रोग की दवाइ्र्र तैयार करने में इस इन्स्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया है। हाल के प्रयोगों से पता चला है कि कल तक जिस सदाबहार के पौधे को गाय-बैल तक खाने को तैयार नहीं होते थे उस सदसबहार के पौधे में वैज्ञानिक कैंसर जैसे असाध्य रोगों का निदान खोज रहे हैं। आषा यही की जा सकती है कि एक दषक बाद कैंसर से किसी को भी समय से पहले मृत्यु का षिकार नहीं होना पड़ेगा, और इन सब का कारण है उस महान व्यक्ति की लगन, देषप्रेम, और विष्वबंधुत्व जिसे हम डाॅक्टर षिवाजी कृष्णन के नाम से जानते हैं।
लेबोराट्री नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, साड़े चार फिट ऊँची टेबलों पर रखे थे कांच के फ्लास्क, उनसे जुड़ी नलियाँ, जगह-जगह पर नलियों के स्टेण्ड रखे थे, टेबलों के दाएँ एवं बाएँ तरफ बोतलों में विभन्न्ा प्रकार के केमिकल्स वा पावडर रखे थे।
रात के 12ः30 बज रहे थे लेकिनि डाॅक्टर सत्यजीत राय अपने प्रयोंगों में बुरी तरह व्यस्त थे, जूलिया उनकी मदद कर रही थी। जूलिया बीस इक्कीस साल की खूबसूरत युवती थी। उसने एम.एस.सी. बायोसाइंस में पूरी युनीवर्सिटी को टाप किया था...फिर हुआ हुआ उसका सिलेक्सन ‘नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस’ में।
डाॅक्टर सत्यजीत राय सुगन्धों को लेबोराट्री में बनाने का प्रयोग कर रहे थे। उनका मत था फल, फूल, पेड़-पौधे, मांस-मटन में पायी जाने वाली खुषबुओं को विभिन्न्ा केमिकल की मदद से बनाया जा सकता है।
- डाॅक्टर 12ः30 बज गये आज का प्रयोग यहीं खतम कर देना चाहिये।
- नहीं जूलिया मुझे आज के प्रयोगों से बहुत आषा हे, तुम जाओ तुम्हारे घर में तुम्हारा इन्तजार हो रहा होगा।
- इन्तजार ......इन्तजार किसका डाॅक्टर मेरा अब इस दुनिया में कोई नहीं।
- ओह..आई. एम.स्वारी। फिर भी रात बहुत हो गई है अतः तुम्हें चले जाना चाहिये।
- डाॅक्टर अकेले काम करने में तुम्हें तकलीफ नहीं होगी और इतनी रात को जाना भी उचित नहीं, इसलिये आज रात मैं यहीं रुक जाती हूँ.....डाॅक्टर मैं चाय बना कर लाती हूँ।
- ओ.के. बेबी...जस्ट एज यू लाईक।
- ठीक है फिर अच्छे बच्चों की तरह इजी चेयर पर बैठ जाइ्र्रये...जब तक मैं चाय ना बना लाऊँ।
- जूलिया तुमने तो मुझे बच्चा ही बना डाला।
जूलिया ने डाॅक्टर की बातों को नजरन्दाज करते हुए कहा डाॅक्टर इतना काम करते आप थकते नहीं हो।
- तुम भी तो बैटी सुबह से मेरा साथ दे रही हो।
- डाॅक्टर मेरी उमर अभी बीस साल हे और आपकी छैयासठ साल.....मेरी बात और .....
- यानी हम बूढ़े हो गये.....
- मेरा मतलब.....
- अच्छा अब चाय बनाओ।
doctor aur yuvti doing some interesting research which is very interesting to know in upcoming update....

superb

:yourock:
 

ULTRA

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कर्नल नागपाल के पास आजकल कोई केस नहीं था। वो अपनी कोठी के लान में इजी चैयर पर बैठ कर सार्जेन्ट दिलीप की बकवास सुन रहे थे। कर्नल नागपाल केन्द्रीय गुप्तचर विभाग के खतरनाक एजेण्ट और सार्जेन्ट दिलीप उनका सहायक.....जिसका चुलबला, हँसमुख स्वभाव विख्यात है।
फादर, सार्जेण्ट दिलीप ने कहा..
- बोलो बेटे
- आज ष्याम का क्या प्रग्राम है।
- कुछ भी नहीं
- में सोच रहा हूँ आज सिल्वर नाईट क्लब जाना चाहिये।
- वो किस खुषी में।
- फादर आज सटर्डे है।
- तो
- आज वहाँ स्पेन की एरिया जेडसन का डान्स हैं
- मेंने तो सुना था से ये डान्स बगैरा पर सरकार ने बेन लगा दिया है...
- सब पर नहीं फादर स्टार क्ल्ब एवं हाॅटेल जिनमें फारेन टूरिस्ट आतें हैं....दे आर फ्री फ्राम दा बैन..
- ओह आई सी..नाओ गो आन तुम क्या कह रहे थे..
- ठीक है मेरी फोर्ड ले जाना मुझे कुछ काम है।
सार्जेंट दिलीप कई दिनों से देख रहा था कर्नल नागपाल के पास कोई केस नहीं था फिर भी वो चिन्तित नजर आते थे और अधिकान्स समय उनका लेबोराट्री में बीतता था। कर्नल ने अपनी कोठी के पीछे स्थित तीन कमरों को लेबोराट्री में बदल दिया था एवं खाली बक्त में ना जाने कौन-कौन सा प्रयोग किया करते थे, सार्जेंट दिलीप को इसकी कोई खबर नहीं रहती थी।
- फादर ये देखो, सार्जेंट दिलीप ने न्यूज पेपर की एक न्यूज पर अंगुली रख दी
- क्या है।
फादर नेषनल रिसर्च लेबोराट्री आफ बायोसाइंस के एक प्रोफेसर ने अपने एक प्रयोग के लिये दस करोड़ रुपये की सहायता मांगी है।
- तो क्या हुआ
- मतलब कुछ नहीं हुआ, गोया दस करोड़ रुपये नहीं दस हजार मांगे हों।
- भाई कोई महत्वपूर्ण प्रयोग कर रहा होगा....अमेरिका में तो अंतरिक्ष के विभन्न्ा प्रयोगों पर अरबों डालर का व्यय आता है।
- फादर यहाँ अंतरिक्ष के प्रयोगों जैसी कोई बात नहीं है।
- तो क्या है।
- वो सुगंधों पर प्रयोग कर रहा है।
- अरे ये तो अच्छी बात है।
- क्या खाक अच्छी बात है भरत में वैसे ही सुगंधों की कोन सी कमी है....साला प्रोफेसर की औलाद मेरा बस चले तो साले की गर्दन काट दूँ।
अच्छा गर्दन बाद में काटना मेंने सुना है आज तुम्हारा सिल्वर नाइ्र्रट क्लब जाने का प्रोग्राम है।
अरे मैं तो भूल ही गया, कह कर सार्जेंट दिलीप उठ खड़ा हुआ।
noice :good:
 

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सार्जेन्ट दिलीप की फोर्ड कार षहर की चैंड़ी सड़कों पर दौड़ती हुई सिल्वर नाईट क्लब की तरफ जा रही थी। सार्जेंट का और सिल्वर नाईट क्लब का चैली दामन का सांथ पिछले पांच ष्षाल से चला आ रहा था। सिल्वर नाईट क्ल्ब के मेनेजर से लेकर हर बैरा तक उसको अच्छी तरह जानता था....जानते तो सिल्वर नाईट क्लब के हर मेम्मबर भी थे उसको कारण था मोन्टी जो अभी सार्जेंट के बगल में पेन्ट सर्ट पहन और फेल्ट हैट पहन कर सिगरेट पी रहा था।
- बैटे तू भी क्या याद करेगा आज तुझे मैं एरिना जेडसन का डान्स दिखा के लाऊँगा।
- ऊ.....ऊ.....ऊ....
- अबे साले गधे तू तो बन्दर का बन्दर ही रहा जानता नहीं है अमेरिका के विलियम साहब के बन्दर ने चार पोयम और पचास देषों के नाम याद कर लिये हैं...बैटे तू भी जल्दी से कर नहीं तो तेरे को फिर से जंगल छोड़ आऊगा।
लेकिन मोन्टी सार्जेंट की बकवास से परे प्रेम से सिगरेट के कस लगा रहा था।
दस मिनिट बाद सार्जेंट क्ल्ब के अहाते में बने कार पार्किंग में कार पार्क कर रहा था। आज जरूरत से ज्यादा भीड़ दिखाई दे रही थी सार्जेंट की लम्बी फोर्ड मुषकिल से एक कोने में खड़ी हो सकी।
सार्जेंट मोन्टी की अंगुलियों को पकड़े क्लब में दाखिल हो गया, क्लब के एक कोने में उसकी सीट रिजर्व थी । सार्जेंट अपनी सीट पर बैठ गया, मोन्टी एक छलांग में उसके सामने था....सार्जेंट को बैठा देख एक बैरा समीप आया।
- क्या लाऊँ सर।
- एरिना जेडसन
वो तो पन्द्रह मिनिट बाद मिलेंगी बैरे ने मुस्कुराते हुए कहा।
- अभी क्या मिलेगा।
- उनको छोड़कर सब कुछ
- तो बैटे वैटर दो पैग पीटर स्काच विद सोडा...
- यस सर
बैरा लम्बे डग भरते हुए बार की तरफ बड़ गया। सार्जेंट धीरे-धीरे टेबल बजा रहा था। क्लब के एक और बने स्टेज पर कलाकार गिटार पर कोई मधुर धुन बजा रहे थे साथ में एक एंगलो इंडियन लड़की इन्गलिष में कोई गाना गा रही थी लेकिन क्लब में सायद ही कोई ऐंसा हो जो उसका गाना सुन रहा हो...मोन्टी आर्केस्टरा की धुन पर बड़े मजे से सिर हिला रहा था....तभी एक सुरीला स्वर सार्जेंट के कानों से टकराया...मैं यहाँ बैठ सकती हूँं।
आफ कोर्स मेडम मेने केवल दो सीट रिजर्व करायीं हैं। सार्जेंट ने बिना सिर उठाये टेबल बजाते हुए जवाब दिया। तब तक बैरा दो पैग पीटर स्काच के ले आया था
- सर योर
सार्जेंट ने सिर उठाया, और देखा सामने एक अत्यधिक खूबसूरत नवयुवती बैठी थी।
हैलो सार्जेंट ने कहा, हैलो उसने जवाब में धीरे से कहा।
- मेंने आप को पहले यहाँ कभी नहीं देखा.....हेना मोन्टी
- मोन्टी ने सिर हिला दिया
- जी में पेहली बार आयी हूँ...आप यहाँ के...
मेडम में अकसर यहाँ आता रहता हूँ....बन्दे को सार्जेंट दिलीप कहते हैं , और ये हैं इन्सपेक्टर मोन्टी...उसने बन्दर की तरफ इषारा किया।
- क्या
- जी हाँ
- मतलब
- ये इन्सपेक्टर मोन्टी हैं।
- ये तो षायद बन्दर है।
मोन्टी ने घूर कर लड़की की तरफ देखा ,फिर सिगरेट के कष लेने लगा।
- देखो आज इसे बन्दर कह दिया चलेगा। आइन्दा नहीं कहना नहीं तो ये बुरा मान जायेगा।
उŸार में मोन्टी ने फिर सिर हिलाया..
- ठीक है बाई दि वे यू आर एन इन्टरेस्टिंग पर्सन..
- जर्रानवाजी के लिये षुक्रिया ,क्या बन्दा अपने सामने बैठी अनिन्ध सुन्दरी का इन्ट्रोडक्सन जान सकता है।
- ओह सार्जेंट में जूलिया हूँ। मेंने आपका बहुत नाम सुना है ,लेकिन मिल पहली बार रही हूँ, आप कर्नल नागपाल के असिस्टेंट हैं ना।
- आप तो अगता है मेरे बारे में सब कुछ जानती हैं ..
- और आपके मोन्टी के बारे में भी।
- क्या लेंगी
- कुछ नहीं
- जब आयी हैं तो कुछ तो लेना ही पड़ेगा विस्की..बियर
- जी में काफी लूंगी
:hmm: moneky ki the field....

anyway noice update keep going

:superb:
 
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PARADOX

ଗପ ହେଲେ ବି ସତ
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राजधानी नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, देश का एक मात्र रिसर्च इन्सटीट्यूट जहाँ बायोसाइंस के रिसर्च स्कालर, जूनियर तथा सीनियर वैज्ञानिकों को सरकार की और से भरपूर ग्रांट मिलती है। आज तक यहां के वैज्ञानिकों ने सेंकड़ों दवाइयां इजाद की, जिनकी मदद से असाधरण से असाधरण रोगों पर शीघ्र काबू पाया जा सका। नित नई खोजों में षामिल थीं महत्वपूर्ण दवाइयाँ जिनके लिये मानव पूर्ण रूप से वनस्पतियों पर निर्भर था लेकिन नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस के कुशल साइंटिस्टों ने पहले इनका केमिकल फार्मूला जाना, फिर उन्हें आर्टिफीसियल ढंग से प्रयोग षाला में तत्वों के निष्चित अनुपात को मिलाकर बनाया। आज भी जो औसधियाँ प्रचलन में हैं जैंसे सिफ्लोक्सीन, क्लोरोक्वीन, जैंसी दवाईयों एवं कैंसर जैसे असाध्य रोग की दवाइ्र्र तैयार करने में इस इन्स्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण रोल अदा किया है। हाल के प्रयोगों से पता चला है कि कल तक जिस सदाबहार के पौधे को गाय-बैल तक खाने को तैयार नहीं होते थे उस सदसबहार के पौधे में वैज्ञानिक कैंसर जैसे असाध्य रोगों का निदान खोज रहे हैं। आषा यही की जा सकती है कि एक दषक बाद कैंसर से किसी को भी समय से पहले मृत्यु का षिकार नहीं होना पड़ेगा, और इन सब का कारण है उस महान व्यक्ति की लगन, देषप्रेम, और विष्वबंधुत्व जिसे हम डाॅक्टर षिवाजी कृष्णन के नाम से जानते हैं।
लेबोराट्री नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस, साड़े चार फिट ऊँची टेबलों पर रखे थे कांच के फ्लास्क, उनसे जुड़ी नलियाँ, जगह-जगह पर नलियों के स्टेण्ड रखे थे, टेबलों के दाएँ एवं बाएँ तरफ बोतलों में विभन्न्ा प्रकार के केमिकल्स वा पावडर रखे थे।
रात के 12ः30 बज रहे थे लेकिनि डाॅक्टर सत्यजीत राय अपने प्रयोंगों में बुरी तरह व्यस्त थे, जूलिया उनकी मदद कर रही थी। जूलिया बीस इक्कीस साल की खूबसूरत युवती थी। उसने एम.एस.सी. बायोसाइंस में पूरी युनीवर्सिटी को टाप किया था...फिर हुआ हुआ उसका सिलेक्सन ‘नेषनल रिसर्च इन्सटीट्यू आफ बायोसाइंस’ में।
डाॅक्टर सत्यजीत राय सुगन्धों को लेबोराट्री में बनाने का प्रयोग कर रहे थे। उनका मत था फल, फूल, पेड़-पौधे, मांस-मटन में पायी जाने वाली खुषबुओं को विभिन्न्ा केमिकल की मदद से बनाया जा सकता है।
- डाॅक्टर 12ः30 बज गये आज का प्रयोग यहीं खतम कर देना चाहिये।
- नहीं जूलिया मुझे आज के प्रयोगों से बहुत आषा हे, तुम जाओ तुम्हारे घर में तुम्हारा इन्तजार हो रहा होगा।
- इन्तजार ......इन्तजार किसका डाॅक्टर मेरा अब इस दुनिया में कोई नहीं।
- ओह..आई. एम.स्वारी। फिर भी रात बहुत हो गई है अतः तुम्हें चले जाना चाहिये।
- डाॅक्टर अकेले काम करने में तुम्हें तकलीफ नहीं होगी और इतनी रात को जाना भी उचित नहीं, इसलिये आज रात मैं यहीं रुक जाती हूँ.....डाॅक्टर मैं चाय बना कर लाती हूँ।
- ओ.के. बेबी...जस्ट एज यू लाईक।
- ठीक है फिर अच्छे बच्चों की तरह इजी चेयर पर बैठ जाइ्र्रये...जब तक मैं चाय ना बना लाऊँ।
- जूलिया तुमने तो मुझे बच्चा ही बना डाला।
जूलिया ने डाॅक्टर की बातों को नजरन्दाज करते हुए कहा डाॅक्टर इतना काम करते आप थकते नहीं हो।
- तुम भी तो बैटी सुबह से मेरा साथ दे रही हो।
- डाॅक्टर मेरी उमर अभी बीस साल हे और आपकी छैयासठ साल.....मेरी बात और .....
- यानी हम बूढ़े हो गये.....
- मेरा मतलब.....
- अच्छा अब चाय बनाओ।
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