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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

sunoanuj

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बहुत ही ग़ज़ब का अपडेट है ! 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

Premkumar65

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वर्षा सच कह रही थी , जब से शेखर ने रूबी को देखा था पागल सा हो गया था। रात घर पहुंचते ही शेखर लता को कमरे में सीधे लेकर जाने लगा। ये देख नैना मन ही मन मुश्कुरा उठी। उसने अपने माँ पापा को कुछ छेड़ने को सोचा। जब शेखर लता को लेकर अंदर जाने लगा तो नैना बोल पड़ी - पापा , मुझे माँ से कुछ बात करनी है।
शेखर - कल कर लेना बेटा। मुझे आज तेरी माँ से जरूरी बात करनी है।
नैना - आपको कौन सी जरूरी बात आन पड़ी अभी।
शेखर - तुझे क्या ऐसा डिसकस करना जरूरी है ?
नैना - मुझे रूबी के बारे में बात करनी थी।
शेखर के मुँह से निकल गया - मुझे भी इसी बारे में बात करनी थी।
नैना हँसते हुए - आइये फिर एक साथ ही बात करते हैं।
शेखर - मुझे कुछ अकेले में बात करनी है।

लता इस खेल से तंग आ गई। उसने कहा - साले बाप बेटी को एक ही बात करनी है वो है बड़े चुके वाली रूबी। अरे यहीं कर ले बात। हमारे बीच पर्दा है ही कितना। आपस में सब नंगे तो हो ही चुके हैं।
नैना उठ कर जाने लगी तो लता ने हाथ पकड़ लिया और कहा - बता तुझे रूबी के बारे में क्या कहना था ?
नैना - पहले पापा से पूछो उन्हें क्या कहना था ?
लता - मुझे पता है, इस हवसी को उसके चुके इतने पसंद आ गए हैं वो इसी बारे में डिसकस करेगा। और तो और मुझे रूबी बनाकर चोदेगा भी। तू बता तुझे क्या कहना था।
नैना हँसते हुए - मुझे भी यही कहना था। आज आप रूबी बनकर चुदोगी और ये आपकी गांड भी मारेंगे। इनकी नजर उसके चुके पर ही नहीं गांड पर भी थी।
लता - एक बार सील खुल गई है तो मार लें मुझे क्या।
नैना - हम्म पर एक साथ दोनों होल नहीं भर पाया। आपकी तमन्ना अधूरी रह गई। वैसे रितेश भी आपको खा जाने वाली नजरों से देख रहे थे।
अब शेखर बोल पड़ा - सही में। दामाद जी की नजर इसी पर थी। इतनी मस्त माल हाथ से निकल रही थी तो नजर अपने साली और सास पर गड़ाए था।
नैना - आपके दामाद अपनी सास पर ही नजर गड़ाए रहते हैं।
शेखर - एक तो साला नजर के अलावा लौड़ा भी गड़ा चूका है।
नैना हंसने लगी। उसने कहा - अब आप लोग अपना खेल खेलो मैं चली। और हाँ शोर काम करना मुझे कल क्लिनिक जाना है। गुड नाइट।
शेखर - गुड नाइट।

ये दोनों भी अपने कमरे की तरफ चल पड़े।
कमरे में घुसते ही शेखर ने लता की साडी सीने से हटा दिया और ब्लॉउज के ऊपर से ही उसके चूचे दबाते हुए बोला - मैंने तुम्हारे चुच्चे भी कम नहीं दबाये हैं पर रूबी के लगता है इतने बड़े कैसे हैं ?
लता ने अपनी साडी के तह को पेटीकोट से निकलते हुए कहा - उसके बचपन से बड़े हैं। बस तुमने पहले गौर नहीं किया।
शेखर - हम्म। दूध भर जाने के बाद तो और भीमस्त लग रहे थे। तुमने कहा था की दोनों गायों का दूध पिलाओगी यहाँ तो आज एक मिलने वाली थी पर उसमे भी खेल हो गया।
लता ने अपने कमर को उसके लौड़े के तरफ धकेलते हुए कहा - अरमान तो मेरे भी मारे गए हैं। आज तुम्हे ताजे दूध की चाय मिलती कहाँ वो भी गई। मेरे साथ तो काण्ड हो ही गया।
शेखर ने अपने पेंट के ज़िप को खोल कर लैंड बाहर निकाल लिया और पेटीकोट के ऊपर से ही गांड में धकेलता हुआ बोला - अगर रितेश भी शामिल हो जाए तो जान तुम्हारे तीनो छेद भर जाते।
लता - बाद अब बहती चूत के साथ काण्ड तो हो ही गया।
शेखर - हम्म तो दामाद से चुदने का मन हो ही गया है।
लता - भाई से चुद गई तो दामाद का क्या ?
शेखर ने पीछे से उसके गर्दन को चूमते हुए कहा - वैसे तुम्हारा भाई भी आज नहीं तो कल दामाद भी बनेगा।
लता - हम्म। बस करो। चलो सोने चलते हैं।
शेखर - अभी तो तुम्हारी गांड में खुजली हो रही थी और अब नींद आने लगी ?
लता - भोसड़ी के बेटीचोद , बोल तो ऐसे रहे हो बिस्तर पर चलते ही सो जाओगे। अब गांड तुम्हारे लौड़े से सटी हुई हो और तुम अपने बीवी को किसी और से चुदने का सपना देख रहे हो तो मैं क्या करूँ ?
शेखर ने लता को बिस्तर पर धकेलते हुए गिरा दिया और उसके पिछवाड़े पर जोरदार थप्पड़ मार कर बोला - चिंता क्यों करती हो रानी , गांड भी मरूंगा।
जोरदार थप्पड़ से लता चीख पड़ी और बोली - हरामजादे मारेगा क्या ? ये रूबी की गांड थोड़े ही है।
लता की आवाज सुन कर नैना उनके कमरे में भाग कर आई। हमेशा की तरह उनका कमरा खुला था। कमरे में लता बिस्तर पर औंधे मुँह गिरी हुई थी और शेखर उसके गांड पर थप्पड़ मार रहा था। लता चीख रही थी।
ये देख नैना ने कहा - आप लोगो से से कहा था न धीरे करिये। इतना चीख पुकार क्यों मचा रहे हैं ?
लता - अपने रंडीबाज बाप से बोल कण्ट्रोल रखे वर्ण इसका हाथ और लौड़ा दोनों तोड़ दूंगी।
नैना - रंडीबाजी आपको सूझ रही है। नाटक बंद करिये।
लता - भाग यहाँ से। जब सब पता है तो क्या लाइव ब्लू फिल्म देखने चली आई या फिर उस दिन की तरह रिकॉर्डिंग करके ब्रॉडकास्ट करेगी।
नैना - आप दोनों न भी।

नैना फिर अपने कमरे में चली गई। शेखर एक क्रीम की बोतल लेकर आया और लता के पेटीकोट को उठा के लाल हु चुके गांड पर लगाने लगा।
लता - उफ्फ्फ , पहले थप्पड़ से मार के लाल किया। अब क्रीम लगा रहे हो फिर क्रीम के बहाने गांड मार लोगे। बहुत जालिम हो तुम।
शेखर - माफ़ कर दो जानू। आज बर्दास्त नहीं हो रहा है।
लता - इस्सस अभी ये हालत है तो सच में अगर रूबी के पिछवाड़े पर हाथ फेरने का मौका मिला तो तुम तो उसकी गांड मारने से पहले लौड़ा कटवा लोगे।
शेखर हँसते हुए - जो मिली नहीं उसकी क्या सोचे। वैसे तुम्हारी छोटी भतीजी कड़क है।
लता - कितनी भी कड़क हो , एक दिन तुम्हारे निचे ला कर ही रहूंगी।
शेखर - एक आते आते तो रह गई।
लता - वो दोनों आएंगी। पर पहले जो निचे है उसकी तो ले लो।

ये सुनकर शेखर ने लता को कुतिया की तरह घुटनो और हाथो के सहारे खड़ा कर दिया और उसकी गांड में अपना लैंड डाल दिया। अब लता को गांड मरवाने की आदत हो चुकी थी तो उसे मजा आने लगा था। उस रात शेखर ने लता की गांड भी मारी और चूत भी।
इधर उन दोनों की चुदाई चल रही थी और उधर वर्षा अपने बाप के पास थी। रूबी ने वर्षा को मैसेज किया उसके बाद दोनों बात करने लगीं।
रूबी ने बतायाकि वर्षा अनुराग के पास है। नैना ने कहा - तू कब जाएगी ?
रूबी - देखते हैं। अभी तो पहले उन्हें सताने का इरादा है।

अनुराग और वर्षा के लिए रात थोड़ी अधूरी थी पर जो मिला दोनों उससे ही खुश थे। जब वर्षा वापस कमरे में आई तो रूबी वास्तव में सो चुकी थी।
Nice update.
 

Premkumar65

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अगले दिन रूबी की नींद जल्दी खुल गई। उसने देखा वर्षा घोड़े बेच कर सो रही है। वर्षा के संतुष्ट भोले चेहरे को देखकर रूबी को बहुत अच्छा लगा। उसका एक बार को मन किया की वो उसे उठा कर चूम ले पर फिर रात की याद आते ही उसने सोचा की वो उसे थोड़ी देर सो लेने दे। हाथ मुँह धोकर रूबी किचन की तरफ चल पड़ी। उसने सोचा की आज वही चाय बना लेती है। रूबी ने रात वाली लोअर और टी शर्ट पहनी हुई थी पर उसने उसके अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था। उसे इस समय कोई डर नहीं था क्योंकि अनुराग भी शायद सो ही रहा था। उसने सोचा पहले चाय बना लेगी फिर सबको उठाएगी।
किचेन में चाय चढ़ाकर जैसे ही उसने उसमे दूध डालने के लिए फ्रिज खोला उसके सीने में एक अजीब सी हलचल हुई। उसे रात का सीन याद आ गया कैसे वर्षा अपने पापा को एक बच्चे की तरह दूध पीला रही थी। रात का वाक्य याद करते ही उसके निप्पल एकदम से एरेक्ट हो गए। उसे लगा जैसे उनमे से दूध की धार बाह निकलेगी। उसे ना जाने क्या सुझा उसने फ्रिज बंद कर दिया और चाय के पतीले के पास पहुँच कर अपने टी शर्ट को गर्दन तक उठा दिया और एक स्तन को नाइटी से बाहर निकाल लिया। अब वो चाय में खुद के स्तन से निकला दूध डाइरेक्ट डालने लगी। उसे खुद अपने हाथों से दूध निकालने में तकलीफ हो रही थी। उसके ससुराल में उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं पड़ती थी। बच्चा होने के बाद जब से उसके स्तनो से दूध निकलना शुरू हुआ था , उसके वहां चाय में उसका दूध ही पड़ता था। उसे दुहने का काम उसकी सास या फिर उसके पति करते थे। खैर वहां की बातें फिर कभी। रूबी के स्तनों से काफी दूध निकलता था। पूरा दूध डालने के बाद उसने अपने टी शर्ट को वापस निचे कर लिया। चाय खौल ही रही थी की बहार उसे कदमों की आहट सुनाई दी। उसने पलट कर देखा तो अनुराग थे।
रूबी - गुड मॉर्निंग पापा
अनुराग - गुड मॉर्निंग। तुम जल्दी उठ गई। वर्षा कहाँ है ?
रूबी - दी तो घोड़े बेचकर ऐसे सो रही है जैसे रातभर की जगी हो। चाय बनाकर उसे जगाती हूँ।
अनुराग ने डाइनिंग टेबल पर बैठ कर रूबी की तरफ गौर से देखा। पैंटी न पहनने से उसकी गांड हर मूवमेंट पर मस्त तरीके से लहरा रही थी जैसे गुंथे हुए मायदे से भरी थैली को कोई हिला रहा हो। उसकी आँखें तो तब चुंधियाँ गईं जब रूबी चाय लेकर आने लगी। अंदर ब्रा नहीं पहनने से उसके स्तन भी हिल रहे थे। उसके निप्पल पूरी तरह से एरेक्ट थे। दूध निकालने की वजह से ना सिर्फ वो एरेक्ट थे बल्कि दूध की कुछ बूंदें लगने की वजह से उस जगह पर टी शर्ट गिला भी हो गया था। रूबी को ऐसे देखते ही अनुराग के लंड में हलचल होने लगी। उसकी नजरों और चेहरे का भाव देख कर रूबी को अनुराग की हालत का एहसास हो गया था। वो उसे थोड़ा तरसाना चाहती थी। टेबल पर चाय रखने के बाद भी वो कुछ देर तक टेबल के सहारे झुकी रही जिससे अनुराग न सिर्फ हिलते मुम्मे देखे बल्कि उसके घाटियों के भी दर्शन कर सके। कुछ देर वैसे रहने के बाद रूबी बोली - दीदी को उठाकर आती हूँ।
उसने कमरे में जाकर पहले तो अपने अंडर गारमेंट्स पहने फिर अपना टी शर्ट चेंज कर लिया।
उसके बाद उसने वर्षा को उठाया - दीदी उठो, कब तक सोयोगी। चाय भी रेडी है।
वर्षा - ओह्हो। काफी देर हो गई क्या ?
रूबी - हां। घोड़े बेच कर सो रही हो। और हाँ बाहर आने से पहले कपडे सही कर लेना।
वर्षा - कपड़ों में क्या कमी है ?
रूबी - अंदर कुछ भी नहीं पहना है और तुम्हारी नाइटी से सब दिख रहा है।
वर्षा- पागल है क्या ? घर में ही तो हैं ? और घर में मेरे तेरे अलावा सिर्फ पापा ही तो हैं।
रूबी - पापा हैं न और माँ नहीं।
वर्षा - तेरा दिमाग ख़राब है। माँ होती तो हम और फ्री रहते।
रूबी - वही तो, पर अब माँ नहीं हैं तो मैं नहीं चाहती की पापा हमें देख कर ~~
वर्षा - तुम पागल हो।
रूबी - मैं जा रही हूँ। तुम्हे जो भी समझना है समझो। पर घर में कायदे से रहो।
रूबी बाहर चली गई। उसके बदले कपड़ों को देख कर अनुराग थोड़ा डर सा गया कि कहीं रूबी अनुराग के अंदर कि हवस को पहचान तो नहीं गई। कुछ देर बाद वर्षा एक सलवार कुर्ते में आई। उसे देख कर अनुराग और भी सहम गया। वो समझ गया कि रूबी न जरूर कुछ कहा है। तीनो ने चुप चाप चाय पी। उसके बाद अनुराग अपने कमरे में चला गया।
तीनो के बीच दिन भर शांति रही। अनुराग तो अपने कमरे में ही कैद रहा। सिर्फ नाश्ते , चाय के वक़्त आया। कुछ देर बच्चों के साथ खेलने के लिए। वर्षा ने भी रूबी से कुछ ख़ास बात नहीं की।
शाम तक ऐसी ख़ामोशी देख कर रूबी को अकुताहट होने लगी। उसका पैसा उल्टा पड़ गया था। वो परेशान तो करना चाहती थी पर इतना नहीं। रात को अनुराग ने खाने से मना कर दिया और वर्षा ने भी भूख ना होने का बहाना कर दिया। रूबी को अब बुरा लगने लगा था। खैर उसने किसी तरह से रात का खाना खाया और कमरे में गई तो देखा वर्षा सो रही थी।
उसने धीरे से कहा - दी , सो गई क्या ?
वर्षा कुछ नहीं बोली। रूबी ने दोबारा पुछा - सो गई क्या ?
वर्षा खीज कर बोली - अब सोने के लिए भी तेरी परमिशन लेनी होगी क्या ?
रूबी - दी तुम तो नाराज हो गई। मैं तो बस इतना कह रही थी की पापा के सामने ठीक से रहना चाहिए।
वर्षा को अब गुस्सा आ गया - अच्छा , पापा जानवर हैं ? पापा हम पर हमला कर देंगे आगे हमारा थोड़ा बदन दिख गया तो ? भूल गई जवानी चढ़ते ही उनके लिए क्या सोचती थी ? तू तो सबसे ज्यादा बेताब थी उनसे डाइरेक्ट चुदने के लिए। तू और नैना कैसी कैसी बातें करते थे भूल गई ? उस समय कैसे कपड़ों में रहते थे ? शार्ट स्कर्ट में उनके गोद में बैठ जाती थी। जबरजस्ती गले लगती थी। सब भूल गई और अब दादी अम्मा बनी है।
रूबी - तब की बात और थी दीदी। अब हम शादी शुदा हैं ? और पापा के साथ माँ थी। उनमे कितना संयम था। अब वो अकेले हैं , बहक गए तो ?
वर्षा - तू तो अपनी शादी से खुश है। तेरा पति बहुत प्यार करता है। पर तब भी उसकी भूखी नजतेन मुझे और बुआ को देख रही थी। तुझे क्या लगता है मुझे समझ नहीं आता। और जहाँ तक रही पापा की , तो उनके कभी अकेलेपन का सोचा है ?
रूबी - नैना है न ?
वर्षा - कहाँ है नैना ? क्या बुआ नैना और पापा के लिए मान जाएँगी ? तुझे पता है उनको मनाने के लिए कैसे कैसे जतन करने पड़ रहे हैं ? पर तू नहीं समझेगी। बढ़िया जिंदगी है न तेरी। तुझे तो ये भी नहीं ध्यान होगा इतने दिनों तक कैसे पापा का ख्याल मैंने रखा है। आज आई है , तेरा पति बोलेगा फिर चली जाएगी उससे चुदने को।
इतना सब एक सांस में बोलते बोलते वर्षा सुबकने लगी। उसे लगा कितनी अकेली है वो।
उसने सुबकते हुए कहा - सोच रही हूँ अब वापस अपने ससुराल में ही चली जॉन। बहन की पाबंदियां और तानों से बढ़िया वहां के लोग हैं।
रूबी को नहीं लगा था की बात इतनी बढ़ जाएगी। उसने जाकर वर्षा को गले लगा लिया और बोली - आई एम् सॉरी। तुम्हारा दिल दुखाने का कोई इरादा नहीं था। मुझे माफ़ कर दो।
वर्षा - रहने दे। जब किस्मत खोटी हो तो कोई क्या ही कर सकता है।
रूबी - प्लीज चुप हो जाओ। वार्ना कल की तरह फिर पापा फिर आ जायेंगे। और परेशान होंगे। वैसे भी उन्होंने खाना नहीं खाया है। वो भी गुमसुम पड़े हैं।
वर्षा - तुझे किसी के दुखी होने से क्या फरक पड़ता है।
रूबी - अब मान भी जाओ दीदी। माफ़ कर दो। तुम्हारा जैसे मन करे वैसे रहो। जो चाहे वो करो। मैं नहीं रोकूंगी। प्लीज।
रूबी ने कान पकड़ लिए और उठक बैठक करने लगी। उसे वैसा करते देख वर्षा मुश्कुरा उठी।
उसे हँसता देख रूबी बोली - ये हुई ना बात। अब भूख लगी हो तो खाना खा लो। बचा रखा है मैंने।
वर्षा - जाने दे।
रूबी - ठीक है। अब काम से काम आराम के कपडे तो पहन लो। पूरा सूट पहन कर सोवोगी क्या ?
वर्षा कुछ नहीं बोली। रूबी - मैं तो चेंज करुँगी भाई। ऐसे नहीं सो सकती।
रूबी अपने वार्डरोब की तरफ गई। उसने एक हलकी सी नाइटी निकाल ली। फिर उसने पहले अपने टी- शर्ट को उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार फेंका। ऐसा करते समय उसकी पीठ वर्षा की तरफ थी। उसके बाद पेंट की एलास्टिक की तरफ हाथ लगा कर जैसे ही वो पेंट उतरने लगी वर्षा बोली - अरे बेशरम , बाथरूम में जाकर चेंज कर ले। अभी तो बुर्के जैसी हालात बना रही थी और अब सीधे नंगी हो रही है।
रूबी पलट कर बोली - अभी तो पुरानी बातें याद दिला रही थी। भूल गई हम एक दुसरे के सामने नंगे रह लिया करते थे।
वर्षा - मैं नहीं भूली। तू भूल गई है। वार्ना हम तो बहुत कुछ कर लिया करते थे।
रूबी वैसे ही टॉपलेस अवस्था में उसके पास चलते हुए आई और बोली - कहो तो फिर से करें। तुम्हारी प्यास बुझा दूँ क्या ?
वर्षा ने उसे चांटा दिखाते हुए कहा - भाग यहाँ से वरना मारूंगी।
रूबी - ने अपनी नाइटी उठाई और ऊपर से पहन लिया फिर पेंट उतरने लगी। बोली - अब ठीक है न।
वर्षा कुछ नहीं बोली। रूबी - तुम भी बदल लो। वैसे पापा ने कुछ नहीं खाया है। पूछ लो अगर कुछ खाएं तो । मुझसे तो पता नहीं क्यों खफा हैं। लगता है जैसे मैंने उनकी कोई प्यारी चीज छीन ली हो।
वर्षा - चीनी तो है। सबकी , आजादी और खुल के रहने की मर्जी।
रूबी - माफ़ कर दो बाबा। चाहो तो नंगे जाकर पूसजह लो , क्या पता खा लें।
वर्षा - चुप बेशरम।
वर्षा उठी। रूबी कुछ शांत तो हुई थी पर उसका भरोसा नहीं था। उसने सलवार कुर्ते में ही किचन से जाकर दूध लिया और अनुराग के पास जा पहुंची।
वर्षा - पापा , आप दूध ले लीजिये। खाना भी नहीं खाया है आपने।
वर्षा को देख कर अनुराग के आँखों में आंसू आ गए। अनुराग बोले - रूबी कहाँ है ?
वर्षा - कमरे में है। उसे मैंने बहुत सुनाया है।
अनुराग ने कहा - क्या मतलब ?
वर्षा - पहले आप दूध लो।
अनुराग ने उसके स्तनों की तरफ देखा तो वर्षा बोली - ग्लास से।
अनुराग ने उसके हाथ से दूध ले लिया। जब तक अनुराग दूध पीता रहा , वर्षा ने उसे सारी बात बता दी।
दूध ख़त्म हुआ तो अनुराग ने गिलास देते हुए कहा - अजीब जिद्दी लड़की है। डर लगता है उससे।
वर्षा - हम्म। पर आप पिता हो हमारे , बेफिक्र रहो। वैसे आपकी ये जूनियर सुलेखा सब ठीक कर देगी।
वर्षा फिर अपने कमरे में चली आई। वहां रूबी अपने बच्चे को गोद में लेकर दूध पीला रही थी। वर्षा का बीटा अब तक टीवी देख रहा था वो वहीँ सो गया था। वर्षा उसे भी लेकर आई थी और उसने उसे बिस्तर पर लिटा दिया। उसके बाद उसने अलमारी से एक नाइटी निकाली और बाथरूम की तरफ चल पड़ी।
रूबी - वह भाई , मेरा पूरा शो देख लिया और खुद चल पड़ी अंदर।
वर्षा कुछ नहीं बोली और अंदर चली गई। लौटी तो वो अपने पुराने रात वाले ड्रेस में थी। एक हलकी लगभग ट्रांसपेरेंट नाइटी।
उसे देख रूबी ने फिर कहा - अब इसे तो सुबह बाहर निकलने से पहले जरूर चेंज कर लेना।
वर्षा - तू फिर से शुरू हो गई
रूबी - यार , अब पापा के सामने एकदम नंगे तो नहीं जा सकते हैं ना। कुछ तो डेसेन्सी रखनी पड़ेगी।
वर्षा - सुबह की सुबह देखेंगे।
रूबी - तुम्हे भूख नहीं लगी है। तुम भी दूध पी लेती।
वर्षा - पीला दे।
रूबी - सच में ?
वर्षा - भूल गई जब तुम्हारे स्तन बड़े होने लगे तो खेलते खेलते हम एक दुसरे के स्तन चूसते थे । और तू कहती थी इनमे दूध आएगा तो मजा आएगा।
रूबी - हम्म।
वर्षा - वादा किया था तुमने - दूध आने पर पिलाओगी। मुझे ही नहीं नैना और तृप्ति को भी।
रूबी - वादा तो तुमने भी किया था। तुमने नैना को पिलाया है क्या ?
वर्षा - नहीं।
रूबी - तुम्हे सच में पीना है ?
वर्षा - नहीं मजाक कर रही थी।
रूबी - पीना हो तो बताओ। बाबू तो सो गया है। मेरे दूध भरे हुए हैं। और बेटू भी सो गया है। तुम्हारे घड़े भी तो भरे हुए होंगे।
वर्षा - तू पागल हो गई है सो जा। कहकर उसने रूबी की तरफ पीठ किया और सो गई।
रूबी ने अपने बच्चे को एक तरफ सुला दिया और वर्षा के बगल में लेट कर उसके कानों में धीरे से बोली - पीना है तो बोलो। रितेश कहते हैं बहुत मीठा है।
ये सुनकर वर्षा से रहा नहीं गया और पलट कर उसने रूबी को चूम लिया। दोनों बहने एक दुसरे से लिपट गईं। दोनों एक दुसरे के जीभ को कभी चाट रही थीं तो कभी चूस रही थी। बारी बारी से वो एक दुसरे के मुँह में अपने जीभ डालती।
कुछ देर बाद वर्षा को लगा की कुछ ज्यादा जल्दी हो रहा है । उसे रूबी पर भरोसा नहीं था। उसने रूबी से अलग होते हुए कहा - सो जाओ।
रूबी - क्या ? क्या हुआ ? अचानक ?
वर्षा - रहने दो। तुम भूल गई की हम शादी शुदा हैं।
रूबी - यार तुम फिर से वही बात लेकर बैठ गई। कितनी बार माफ़ी मांगू ?
वर्षा - ऐसा कुछ नहीं है। हमें सच में सीमायें नहीं तोड़नी चाहिए।
ऐसा कहकर वर्षा पलट कर सो गई। रूबी के अंदर जो आग लगी थी उस पर तो पानी फिर गया। खैर दोष भी उसका ही था। सब उसका किया धरा था।
दोनों बहने सो गईं। दोनों बहनो के बीच की सीमायें फिर थोड़ी कम हुई थी। पर अनुराग के तड़प का अंदाजा कोई नहीं लगा पा रहा था , सिवाय नैना के। नैना ने कल अनुराग से अकेले मिलने का सोचा। रात ने अनुराग को वर्षा से अलग कर दिया था पर अगली सुबह नैना और अनुराग को कुछ नजदीक ले आने वाली थी।
great going.
 

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अगले दिन रूबी उठी तो देखा वर्षा पहले ही उठ चुकी थी। किचन में वर्षा चाय बना रही थी। उसने कॉटन की नाइटी पहनी थी पर अंदर कुछ भी नहीं पहना था। रूबी ने खुद उठ कर घर में रेगुलर पहनने वाले पैंट और टी- शर्ट पहना लिया था पर अंदर ब्रा और पैंटी भी पहनी हुई थी। बाहर आकर देखा तो अनुराग भी डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे और वर्षा की तरफ प्यार भरी नजरों से देख रहे थे।

रूबी - गुड मॉर्निंग पापा
अनुराग - गुड मॉर्निंग।
रूबी - लगता है आज दीदी की नींद जल्दी खुल गई।
रूबी किचन में जा पहुंची। उसने वर्षा से कहा - लगता है अपने पुराने रूप में आ गई हो तुम।
वर्षा - तूने मुझे पुराने रूप में देखा ही कहाँ है।
रूबी - कल रात दिखाने को बोल रही थी तो सो गई।
वर्षा - भाई तेरा भरोसा नहीं। एक पल में सती सावित्री बन जाएगी और दुसरे पल में छिनाल जैसी बात करेगी।
वर्षा को खुल कर बात करते देख रूबी ने कहा - भाई बाप के साथ थोड़े ही छिनालगिरि करुँगी।
वर्षा - और बहन का दूध पी लेगी , उसकी चूत चाट लेगी।
रूबी ने मुश्कुराते हुए कहा - हम्म। दूध पर याद आया चाय में कौन सा दूध मिलाया है ?
वर्षा ने उसकी तरफ घूर कर देखा और बोली - चुप रहो। चलो बैठो मैं लेकर आती हूँ।

रूबी अनुराग के पास बैठ गई। अनुराग पिछले दिन वाली बात की वजह से उससे डाइरेक्ट आई कांटेक्ट करने से अवॉयड कर रहा था। थोड़ी ऑक्वर्ड सी स्थिति थी। कुछ देर में वर्षा भी आ गई। तीनो ने एक साथ बैठ कर चाय नाश्ता किया। अभी तीनो बैठ कर बातें कर ही रहे थे कि वर्षा के पास नैना का फ़ोन आया। उसने अनुराग को चेक-अप कराने कि बात कही और बोली की एक घंटे में आकर अनुराग को ले जाएगी।

वर्षा ने अनुराग से जब बताया तो अनुराग ने कहा - सब ठीक ही तो है। क्या दिखाना है।
वर्षा - काफी दिन हो गए है। एक बार दिखा लीजिये।
अनुराग - पर~~
वर्षा - चले जाइये। इसी बहाने घर से निकालेंगे तो।
ये सुनकर रूबी भी मुश्कुराते हुए बोली - हाँ भाई , कभी कभी डेट पर जाना चाहिए।
ये सुनकर अनुराग ने उसे डांटते हुए खा - क्या बकवास कर रही है ?

रूबी अनुराग की तेज आवाज सुनकर थोड़ा सहम गई। वो कुछ बोलती उससे पहले वर्षा बोल पड़ी - आप इस बेवक़ूफ़ की बातों पर ध्यान मत दीजिये। आप बस तैयार हो जाइये।
अनुराग उठकर अपने कमरे में चले गए।
उसके जाते ही रूबी बोल पड़ी - लगता है आज नैना कुछ गुल खिलाएगी।
वर्षा उठ कर कमरे में जाते हुए बोली - तेरा कुछ समझ नहीं आता। कभी भी कुछ भी बोल देती हो।

खैर एक घंटे बाद नैना आई और अनुराग को लेकर निकल गई। गाडी में बैठते ही अनुराग नैना से बोल पड़ा - कहा ये डाक्टर वाक्टर का चक्कर लगा दिया। सब ठीक तो है ही।
नैना ने कहा - कहाँ सब ठीक है। आप इतने स्ट्रेस में हैं।
अनुराग - कोई स्ट्रेस नहीं है।
नैना - अच्छा छोड़िये स्ट्रेस। क्या आपका मन मुझसे मिलने का नहीं था ? हमने कब अकेले में समय बिताया है आपको याद भी है ? या फिर आपको मुझसे प्यार नहीं है।
अनुराग से कोई जवाब देते नहीं बना। वो चुप चाप नैना के मासूम चेहरे को देखता रहा।
नैना - क्या हुआ ? नहीं चलना है तो चलिए घर छोड़ देती हूँ। एक मरखानी गाय घर में आई हुई है , झेलिएगा उसे।
अनुराग ये सुन हंस पड़ा। बोला - तेरी सहेली ही है। झक्की और सच में मरखानी है।
नैना - हाँ , वर्षा दी की तरह सीढ़ी साधी गाय नहीं है जो चुप चाप अपना दूध दे दे।
अनुराग कुछ नहीं बोला।
नैना - कहाँ चलें ?
अनुराग - अब तू लेकर आई है , जहाँ मन करे वहां ले चल।
नैना - चलिए आज लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।

नैना ने गाडी शहर से बाहर हाइवे की तरफ मोड़ लिया। हाइवे पर एक ढाबा था वहां उसने गाडी रोकी। वहां दोनों ने चाय और कुछ खाने का आर्डर किया। जब तक आर्डर आ रहा था नैना ने अनुराग से कहा - और बताइये , रूबी के आने के बाद कैसा लग रहा है। बड़े दिनों बाद तो आई है।
अनुराग - मरखइ गाय आई है। यही कहा था ना तूने। एकदम वैसी ही है। थोड़े बहुत मजे जो भी थे वर्षा और तेरी माँ के साथ वो भी ख़त्म हो गए।
नैना हँसते हुए - आपको शर्म नहीं आती , अपनी होने वाली पत्नी के सामने ये सब बोलते हुए।
अनुराग ने उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया और कहा - ये सब तुम्हारा ही तो किया है। सबको परोस रही हो पर खुद के लिए तरसा रही हो।
नैना ने अपने हाथ उसके हाथ पर रख दिया - सबको खुशियां दे रही हूँ।
अनुराग - और खुद को।
नैना - शादी के बाद सब लुंगी।

तब तक खाने का सामान आ गया। दोनों ने खाना खाया और चाय पी और फिर गाडी की तरफ चल पड़े। गाडी में बैठते ही नैना ने अनुराग के गालों पर किस कर लिया। किस ने एक चिंगारी की तरह काम किया। दोनों एक दुसरे से गुथम गुथा हो गए। गालों से शुरू हुआ किस कब होटों पर पहुंचा पता ही नहीं चला। अनुराग का हाथ नैना के सुडौल स्तनों पर पहुँच गया। वहां हाथ लगते ही नैना को होश आ गया। उसने खुद को रोक लिया। उसके रुकते ही अनुराग ने कहा - क्या हुआ ?
नैना -बहक जाउंगी मैं तो।
अनुराग - बहक जाने के लिए तो आज निकले थे।
नैना - हाँ। पर थोड़ा रुकते हैं। वैसे भी ये चलता फिरता रोड है।
अनुराग - कहीं होटल में चलें।
नैना - आप मुझे पूरा आज ही भोग लेंगे क्या ?
अनुराग - दिक्कत क्या है ?
नैना - सुहागरात को क्या करेंगे ?
अनुराग - चलो आज ही शादी कर लेते हैं।
नैना - आप अब पागल हो गए हैं। अभी तक मान नहीं रहे थे। अब आज ही शादी करनी है।
अनुराग - दिक्कत क्या है। अब तो लता दी भी मान गईं हैं।
नैना - अभी पूरी तरह कहाँ मानी हैं। वर्षा दी की शर्त भूल गए।
अनुराग - उससे पहले ये जिद्दी पागल आ गई।
नैना - शर्म करिये आपकी बेटी है। अपने मायके आई है। कहाँ तो खुश होना चाहिए आप चिढ़े बैठे हैं।
अनुराग - चलो घर ही चलते हैं। किसकी बात लेकर बैठ गई तुम।

अनुराग का मूड खराब हो गया था। उसके साथ धोखे पर धोखा हो रहा था। नैना को भी थोड़ा अफ़सोस हुआ। कहाँ तो वो अनुराग का मूड हल्का करने के लिए लेकर आई थी और कहाँ उसका मूड ख़राब हो गया। वो अनुराग को दुखी नहीं करना चाहती थी। पर वो उसे शादी के बाद ही खुद को सौंपना चाहती थी। वो बड़े कश्मकश में थी। ऐसा नहीं था की अनुराग के सामने वो नंगी नहीं हुई थी। उसने अपने पुरे शरीर के दर्शन करा चुकी थी। सुलेखा के रहने पर दोनों सेक्स करते देखते समय खुद भी नंगी हो चुकी थी और हाल में वर्षा और लता के सामने भी। पर वो जानती थी अब उससे साबरा नहीं होगा। एक बार अनुराग के सामने कपडे उतरे तो फिर कोई सीमा नहीं बचेगी। और अभी उसे घर के कुछ समस्याओं का इलाज भी करना था। उसने सोच रखा था अनुराग को वो पूरी तरह से तभी सौंपेंगी जब सब खुश होंगे।

पर अनुराग का लटका चेहरा देख उसे काफी दुःख हो रहा था। उसने कुछ निर्णय लिया और गाडी अपने घर की तरफ मोड़ ली। अनुराग ने उससे कहा - यहाँ क्यों लेकर आई है। मुझे घर छोड़ दे।
नैना - ये भी तो आपका ही घर है।

नैना ने अनुराग का हाथ पकड़ा और बेल दबा दिया। लता ने दरवाजा खोला। अनुराग और नैना को एक साथ देख कर वो चौंक गई। उसे कुछ समझ नहीं आया। नैना ने अनुराग का हाथ पकड़ा और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी। अपने कमरे में घुसते ही उसने अनुराग को बिस्तर पर बैठा दिया और उसका पैंट खोलने लगी। अपने ऊपर हुए अचानक से इस हमले से अनुराग घबरा गया।
अनुराग - क्या कर रही हो ?
नैना - चुप।

अनुराग बेबस होकर नैना के कहे पर चलने लगा। कुछ ही समय में अनुराग का लंड बाहर था और उसका पैंट घुटने से निचे। नैना उसके सामने कड़ी हो गई। हमेशा की तरह नैना पैंट और शर्ट में थी। उसने होने शर्ट का बटन खोला और उसे उतार फेंका। अब ऊपर सिर्फ ब्रा पहने हुए थी। नैना निचे बैठ जाती है। अनुराग का लंड नैना के इस रूप को देख कर पहले से खड़ा हो चूका था। नैना ने अपने दोनों हाथ अनुराग के घुटनो पर रख दिया और अपने जीभ से पहले अनुरागे जांघो के ऊपरी हिस्से से चाटने लगी। उसकी ये हरकत देख कर अनुराग को सुलेखा की याद आ गई। सुलेखा भी पहले मैं पॉइंट से पहले आस पास चूमती और चाटती थी। नैना ऐसा करती भी क्यों नहीं उसने सुलेखा को शुरू से देखा था। उसे पता था की अनुराग को मजे कैसे देने हैं। अनुराग की हर कमजोर नस उसे पता थी। दूध और भरे हुए स्तनों के अलावा अनुराग के बदन पर जीभ फेरते ही उसे हलचल होने लगती थी। वो दूसरी दुनिया में पहुँच जाता था।

वो दूसरी दुनिया में पहुँच जाता था। और इस समय नैना भी यही कर रही थी। दरवाजे पर कड़ी लता एकदम हक्की बक्की थी। उसने नैना का वाइल्ड रूप तो देखा था पर वो इतना बोल्ड स्टेप लेगी उसे इसका अंदाजा नहीं था। वो कमरे में जा पहुंची। अनुराग की आँखें तो बंद थी और नैना को उसके अंदर आने से फर्क ही नहीं पड़ा।

नैना को अनुराग के जांघो को चाटते और चूमते देख लता सकते में थी। उसके हिसाब से लंड चूसना , उसके टोपे को किस करना फोरप्ले था पर लंड चूसने से पहले भी इस तरह का फोरप्ले देख वो ताज्जुब में थी। अनुराग का लंड हवा में था और एकदम नाग की तरह फनफना रहा था। नैना की जगह लता होती तो अब तक वो उसके मुँह में होता पर नैना तो लंड छोड़ उसके आस पास के एरिया से खेल रही थी।

जांघो के बाद नैना ने अनुराग के शार्ट को ऊपर किया और उसके नाभि से खेलने लगी। लता ये देख हैरान थी। अधिकांशतः मर्द औरतों के नाभि से खेलते हैं यहाँ तो उल्टा हो रहा था।

नैना बिस्तर के और नजदीक आ गई थी और उसने आराम से पालथी मार ली थी। नैना ने अब अपने जीभ को लंड पर लगाया। उसने बिना हाथ लगाए लंड के जड़ से लेकर ऊपर टोपे तक जीभ फिराया।

अनुराग में मुँह से निकला - सुलेखाआआआ

लता समझ गई नैना ने इस सब कला सुलेखा से सीखा है। अब नैना अनुराग के लंड को बड़े मजे से लोल्लिपोप की तरह चूस रही थी। साथ ही वो उसके बॉल्स को सहला रही थी। अनुराग अब पूरी तरह से एक्साइटेड था। उसने नैना के मुँह में धक्के लगाने शुरू कर दिए। नैना भी एकदम रंडियों की तरह उसके लंड को एकदम गले तक ले रही थी। इतने में लता को उलटी हो जाती पर नैना ने बड़े कमाल तरीके से होल्ड किया हुआ था। तभी नैना ने अपने से उसका लंड निकाल लिया। अनुराग ने अब भी आँखें बंद कर राखी थी। जैसे उसे पता हो आगे क्या होने वाला हो। नैना अपने घुटनो पर आ गई। उसने अनुराग के लंड को अपने ब्रा के अंदर से ही अपने स्तनों के बीच में फंसा लिया। नैना के स्तन लता की तरह बड़े नहीं थे पर छोटे भी नहीं थे। अब नैना अपने स्तनों के बीच से अनुरागके लंड को रगड़ रही थी। कुछ देर में दोनों इस तरह सेट हो गए की अनुराग कमर हिलाता और उसका लंड ब्रा के अंदर से ही स्तनों के बीच ऊपर निचे होने लगता।

नैना ने लता से कहा - देखती रहेगी बेटीचोद या अपने दामाद की सेवा भी करेगी। चल अपने कपडे उतार।

लता ने नैना के आदेश को मानते हुए अपने सारे कपडे उतार दिया। नैना की आवाज सुनकर अनुराग ने आँखे खोली तो लता को अपने बगल में नंगा बैठे पाया। नैना ने आँखों से इशारा किया तो अनुराग वहीँ लेट गया और लता ने उसका सर अपने नंगी जांघों पर रख लिया और उसे दूध पिलाने लगी। अब नैना भी बिस्तर पर आ चुकी थी। वो अनुराग के लंड को हाथ में लेकर मुट्ठी मारने लगी। लता इस आश्चर्य में थी की अनुराग इतने देर से कैसे होल्ड किया हुए है। पर इसमें अनुराग के ताकत के अलावा नैना का भी कमाल था। उसे अनुराग के रोम रोम की हरकत का पता था। ज्यों ही उसे अंदाजा लगता अनुराग अब डिस्चार्ज होगा वो हरकतें रोक देती। इस समय वो अपने हाथों सेहरकत तो कर रही थी पर बहुत ही धीरे धीरे। अब अनुराग से बर्दास्त नहीं हो रहा था।

उसने नैना से मिन्नतें की - अब माल निकाल दे मेरी जान।
नैना - माल तो आपकी माल निकालेगी।
उसने लता से कहा - चल रंडी , कुतिया बन।
लता रोबोट की तरह उसकी बात मानते हुए वहीँ चौपाया बन गई। नैना ने अनुराग से कहा - गांड मारनी है तो मार लो।
लता बोली - नहीं। मेरी चूत बेताब है। पहले उसे मार बहनचोद।
अनुराग - हाँ बहन की लौड़ी पहले तेरी चूत ही मरूंगा। तेरी बेटी तो दे नहीं रही।
अनुराग ने पीछे से अपना लंड उसके चूत में घुसा दिया और उसे पेलने लगा। नैना का ब्रा तो अब तक खुल चूका था पर उसने पैंट नहीं उतारी थी। अनुराग के
अंदर वीर्य काफी ज्यादा जमा हो चूका था और वो जल्दी ही आने वाला था वो लगातार तेजी से लता को चोद रहा था।

लता भी पागल हो चुकी थी। वो बड़बड़ा रही थी - भोसड़ी वाले अभी तक बहन और बेटी चोद रहा है। आज तो भांजी के साथ भी इतना खेल लिया।
नैना - चुप रंडी , अभी तो ये कुछ भी नहीं था। हम दोनों की जान सुलेखा मामी थी तो ज्यादा मजा आता था।
लता - हाँ , मैं भी दूंगी।
नैना - अभी तो बस रंडी की तरह चुद। जल्दी से चुद जा वरना मेरा बाप आ गया तो तेरी खैर नहीं। ये दोनों फिर मिलकर तेरे हर छेद फाड़ देंगे।
लता - उफ़ , बोल अपने खसम से जल्दी मेरी चूत भर दे। मेरी चूत ने तो पहले ही नदियां बहा दी हैं।
नैना - चिंता न कर ये तेरी भी चूत भरेगा और वो नै मरखइ गाय आई है उसकी भी भरेगा।
रूबी की चर्चा नैना ने जान बूझ कर की थी।
लता - उस मरखइ की तो हाथ पाँव बाँध कर मरवाउंगी। उसकी तो पहले गांड ही मरवाउंगी।
नैना - क्यों बेटीचोद , मारेगा उसकी गांड ?
अनुराग - उसकी गांड भी मरूंगा , और चूत भी। पर पहले उसका दूध पियूँगा। साली बड़े बड़े थान लेकर घूम रही है। और मेरा दूध भी बंद करवा दिया है।
नैना - ये सही है। चिंता न करो तुम्हारी दोनों गायों को सही करने के लिए मुझे एक दिन आना पड़ेगा।

उसकी ये बात सुनते ही अनुराग के लैंड ने खूब सारा माल लता के चूत में उड़ेल दिया। अनुराग थक कर धड़ाम से बिस्तर पर गिर पड़ा। वही हाल लता का था। दोनों सीधे होकर बिस्तर पर लेट गए। नैना ने पहले तो अनुराग के लैंड को चाट कर साफ़ किया फिर लता की चूत पर भीड़ गई।

तीनो वहीँ नैना के बिस्तर पर लेट गए। कुछ देर बाद लता होश में आई।
उसने नैना से पुछा - ये क्या किया तूने ?
नैना - आपको आपके भाई से अपने सामने चुदवाया है और क्या किया है ?
लता - ये तो बहनचोद पहले से चोद रहा था। मैं तो तेरे बारे में कह रही थी।
नैना हँसते हुए - पहली बार नहीं किया है। जो भी तुमने सुना है सब सही सुना है। वो तो मामी के जाने के बाद से सब बंद था। जो सीखा है उनसे ही सीखा है।
लता - तू मुझसे भी बड़ी रंडी है।
नैना - हम्म। बेटी आपकी हूँ।
लता - मुझे तो लगता है मुझसे ज्यादा सुलेखा की है। कितनी बड़ी चुदैल रही होगी।
नैना - हाँ। बहुत मस्त माल थी। आई मिस हर।

लता ने नैना को अपने बाहों में ले लिया और बोली - चिंता मत कर अब मिस नहीं करेगी। तेरी अनुराग से शादी करा दूंगी फिर सब मस्ती करेंगे। वैसे तू बिना शादी के भी सब कर सकती है।
नैना - नही। सुहागरात को ही सील खुलवाउंगी। इतने दिनों तक बचा कर रखा है तो कुछ समय और सही।
तभी नैना का फ़ोन घनघना उठा। उसने अलसाये अंदाज से फ़ोन उठाया। उधर से रूबी का फ़ोन था।
रूबी - बहनचोद , सुबह से पापा को लेकर गई है। कौन सा चेकअप करा रही है।
नैना - चुप साली। एक तो पूरा माहौळ खराब कर रखा है और उस पर से मुझ पर बोल रही है। मेरी मर्जी जो भी करूँ। तेरे बाप हैं तो मेरे भी आशिक हैं।
रूबी - तो आशिकी हो रही है।
नैना - तुझे क्यों बताऊँ। तू अपनी चूत में ऊँगली कर और फ़ोन रख।
लता - रूबी थी या वर्षा ?
नैना - आप वो सब छोडो। चलो कपडे पहनो। शाम हो गई है। पापा के आने का भी समय हो चूका है।
अनुराग थक कर नींद के आगोश में जा चूका था।
लता ने उसकी तरफ देखा और कहा - कितना प्यारा है न ? तू बड़ी किस्मत वाली है।
नैना - तुम तो जैसे ख़राब किस्मत वाली हो। सब छेद के मजे ले रही हो और मुझे बोल रही हो।
लता - आज तुझे क्या हो गया है। इतनी बिंदास हो गई है।

नैना ये सुनकर चुप हो गई। सच में वो दोपहर वाली नैना नहीं थी । दोपहर में कहाँ ढाबे पर पीछे हट गई थी और अब इतनी बिंदास हो गई थी। पर उसने अपना व्रत तोडा नहीं था। उसके बदन से पेंट नहीं उतरा था। बड़े संयम के साथ उसने अपनी चूत पर काबू किया था। उसकी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। उसका मन था की काश चुद जाती। उसे सोच में देख लता बोली - चाट दूँ ?
नैना उठ गई और अपने अलमारी से एक टी शर्ट और शार्ट निकाल कर पहनते हुए बोली - रहने दो। आज नहीं।

कुछ देर बाद दोनों ने अनुराग को जगा दिया। गनीमत थी शेखर तब तक नहीं आया था। नैना ने अनुराग को उसके घर छोड़ दिया। अनुराग इतना थका हुआ था की उसने चुपचाप रात का खाना खाया और अपने कमरे में जाकर सो गया। वर्षा और रूबी दोनों कन्फ्यूज थे की नैना ने आखिर ऐसा क्या किया। कहीं वो चुद तो नहीं गई। थोड़ी सी जलन इन दोनों बहनो को होने लगी , रूबी को ज्यादा। उसे लगा अब उसे अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ेगी। दोनों ने नैना से कई बार दिन के बारे में पुछा पर उसने कुछ नहीं बताया। नैना ने लता को भी समझा दिया था। लता तो बिलकुल अनजान बानी रही।


दोनों बहने भी जलन के मारे सो नहीं पाई पर आज अनुराग और नैना दोनों गहरी नींद सोये। लता भी। लता ने आज अनुराग को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया था। अब वो उन दोनों को शादी की तैरारी के बारे में सोचने लगी थी।
Superb.
 
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अगले दिन रूबी उठी तो देखा वर्षा पहले ही उठ चुकी थी। किचन में वर्षा चाय बना रही थी। उसने कॉटन की नाइटी पहनी थी पर अंदर कुछ भी नहीं पहना था। रूबी ने खुद उठ कर घर में रेगुलर पहनने वाले पैंट और टी- शर्ट पहना लिया था पर अंदर ब्रा और पैंटी भी पहनी हुई थी। बाहर आकर देखा तो अनुराग भी डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे और वर्षा की तरफ प्यार भरी नजरों से देख रहे थे।

रूबी - गुड मॉर्निंग पापा
अनुराग - गुड मॉर्निंग।
रूबी - लगता है आज दीदी की नींद जल्दी खुल गई।
रूबी किचन में जा पहुंची। उसने वर्षा से कहा - लगता है अपने पुराने रूप में आ गई हो तुम।
वर्षा - तूने मुझे पुराने रूप में देखा ही कहाँ है।
रूबी - कल रात दिखाने को बोल रही थी तो सो गई।
वर्षा - भाई तेरा भरोसा नहीं। एक पल में सती सावित्री बन जाएगी और दुसरे पल में छिनाल जैसी बात करेगी।
वर्षा को खुल कर बात करते देख रूबी ने कहा - भाई बाप के साथ थोड़े ही छिनालगिरि करुँगी।
वर्षा - और बहन का दूध पी लेगी , उसकी चूत चाट लेगी।
रूबी ने मुश्कुराते हुए कहा - हम्म। दूध पर याद आया चाय में कौन सा दूध मिलाया है ?
वर्षा ने उसकी तरफ घूर कर देखा और बोली - चुप रहो। चलो बैठो मैं लेकर आती हूँ।

रूबी अनुराग के पास बैठ गई। अनुराग पिछले दिन वाली बात की वजह से उससे डाइरेक्ट आई कांटेक्ट करने से अवॉयड कर रहा था। थोड़ी ऑक्वर्ड सी स्थिति थी। कुछ देर में वर्षा भी आ गई। तीनो ने एक साथ बैठ कर चाय नाश्ता किया। अभी तीनो बैठ कर बातें कर ही रहे थे कि वर्षा के पास नैना का फ़ोन आया। उसने अनुराग को चेक-अप कराने कि बात कही और बोली की एक घंटे में आकर अनुराग को ले जाएगी।

वर्षा ने अनुराग से जब बताया तो अनुराग ने कहा - सब ठीक ही तो है। क्या दिखाना है।
वर्षा - काफी दिन हो गए है। एक बार दिखा लीजिये।
अनुराग - पर~~
वर्षा - चले जाइये। इसी बहाने घर से निकालेंगे तो।
ये सुनकर रूबी भी मुश्कुराते हुए बोली - हाँ भाई , कभी कभी डेट पर जाना चाहिए।
ये सुनकर अनुराग ने उसे डांटते हुए खा - क्या बकवास कर रही है ?

रूबी अनुराग की तेज आवाज सुनकर थोड़ा सहम गई। वो कुछ बोलती उससे पहले वर्षा बोल पड़ी - आप इस बेवक़ूफ़ की बातों पर ध्यान मत दीजिये। आप बस तैयार हो जाइये।
अनुराग उठकर अपने कमरे में चले गए।
उसके जाते ही रूबी बोल पड़ी - लगता है आज नैना कुछ गुल खिलाएगी।
वर्षा उठ कर कमरे में जाते हुए बोली - तेरा कुछ समझ नहीं आता। कभी भी कुछ भी बोल देती हो।

खैर एक घंटे बाद नैना आई और अनुराग को लेकर निकल गई। गाडी में बैठते ही अनुराग नैना से बोल पड़ा - कहा ये डाक्टर वाक्टर का चक्कर लगा दिया। सब ठीक तो है ही।
नैना ने कहा - कहाँ सब ठीक है। आप इतने स्ट्रेस में हैं।
अनुराग - कोई स्ट्रेस नहीं है।
नैना - अच्छा छोड़िये स्ट्रेस। क्या आपका मन मुझसे मिलने का नहीं था ? हमने कब अकेले में समय बिताया है आपको याद भी है ? या फिर आपको मुझसे प्यार नहीं है।
अनुराग से कोई जवाब देते नहीं बना। वो चुप चाप नैना के मासूम चेहरे को देखता रहा।
नैना - क्या हुआ ? नहीं चलना है तो चलिए घर छोड़ देती हूँ। एक मरखानी गाय घर में आई हुई है , झेलिएगा उसे।
अनुराग ये सुन हंस पड़ा। बोला - तेरी सहेली ही है। झक्की और सच में मरखानी है।
नैना - हाँ , वर्षा दी की तरह सीढ़ी साधी गाय नहीं है जो चुप चाप अपना दूध दे दे।
अनुराग कुछ नहीं बोला।
नैना - कहाँ चलें ?
अनुराग - अब तू लेकर आई है , जहाँ मन करे वहां ले चल।
नैना - चलिए आज लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।

नैना ने गाडी शहर से बाहर हाइवे की तरफ मोड़ लिया। हाइवे पर एक ढाबा था वहां उसने गाडी रोकी। वहां दोनों ने चाय और कुछ खाने का आर्डर किया। जब तक आर्डर आ रहा था नैना ने अनुराग से कहा - और बताइये , रूबी के आने के बाद कैसा लग रहा है। बड़े दिनों बाद तो आई है।
अनुराग - मरखइ गाय आई है। यही कहा था ना तूने। एकदम वैसी ही है। थोड़े बहुत मजे जो भी थे वर्षा और तेरी माँ के साथ वो भी ख़त्म हो गए।
नैना हँसते हुए - आपको शर्म नहीं आती , अपनी होने वाली पत्नी के सामने ये सब बोलते हुए।
अनुराग ने उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया और कहा - ये सब तुम्हारा ही तो किया है। सबको परोस रही हो पर खुद के लिए तरसा रही हो।
नैना ने अपने हाथ उसके हाथ पर रख दिया - सबको खुशियां दे रही हूँ।
अनुराग - और खुद को।
नैना - शादी के बाद सब लुंगी।

तब तक खाने का सामान आ गया। दोनों ने खाना खाया और चाय पी और फिर गाडी की तरफ चल पड़े। गाडी में बैठते ही नैना ने अनुराग के गालों पर किस कर लिया। किस ने एक चिंगारी की तरह काम किया। दोनों एक दुसरे से गुथम गुथा हो गए। गालों से शुरू हुआ किस कब होटों पर पहुंचा पता ही नहीं चला। अनुराग का हाथ नैना के सुडौल स्तनों पर पहुँच गया। वहां हाथ लगते ही नैना को होश आ गया। उसने खुद को रोक लिया। उसके रुकते ही अनुराग ने कहा - क्या हुआ ?
नैना -बहक जाउंगी मैं तो।
अनुराग - बहक जाने के लिए तो आज निकले थे।
नैना - हाँ। पर थोड़ा रुकते हैं। वैसे भी ये चलता फिरता रोड है।
अनुराग - कहीं होटल में चलें।
नैना - आप मुझे पूरा आज ही भोग लेंगे क्या ?
अनुराग - दिक्कत क्या है ?
नैना - सुहागरात को क्या करेंगे ?
अनुराग - चलो आज ही शादी कर लेते हैं।
नैना - आप अब पागल हो गए हैं। अभी तक मान नहीं रहे थे। अब आज ही शादी करनी है।
अनुराग - दिक्कत क्या है। अब तो लता दी भी मान गईं हैं।
नैना - अभी पूरी तरह कहाँ मानी हैं। वर्षा दी की शर्त भूल गए।
अनुराग - उससे पहले ये जिद्दी पागल आ गई।
नैना - शर्म करिये आपकी बेटी है। अपने मायके आई है। कहाँ तो खुश होना चाहिए आप चिढ़े बैठे हैं।
अनुराग - चलो घर ही चलते हैं। किसकी बात लेकर बैठ गई तुम।

अनुराग का मूड खराब हो गया था। उसके साथ धोखे पर धोखा हो रहा था। नैना को भी थोड़ा अफ़सोस हुआ। कहाँ तो वो अनुराग का मूड हल्का करने के लिए लेकर आई थी और कहाँ उसका मूड ख़राब हो गया। वो अनुराग को दुखी नहीं करना चाहती थी। पर वो उसे शादी के बाद ही खुद को सौंपना चाहती थी। वो बड़े कश्मकश में थी। ऐसा नहीं था की अनुराग के सामने वो नंगी नहीं हुई थी। उसने अपने पुरे शरीर के दर्शन करा चुकी थी। सुलेखा के रहने पर दोनों सेक्स करते देखते समय खुद भी नंगी हो चुकी थी और हाल में वर्षा और लता के सामने भी। पर वो जानती थी अब उससे साबरा नहीं होगा। एक बार अनुराग के सामने कपडे उतरे तो फिर कोई सीमा नहीं बचेगी। और अभी उसे घर के कुछ समस्याओं का इलाज भी करना था। उसने सोच रखा था अनुराग को वो पूरी तरह से तभी सौंपेंगी जब सब खुश होंगे।

पर अनुराग का लटका चेहरा देख उसे काफी दुःख हो रहा था। उसने कुछ निर्णय लिया और गाडी अपने घर की तरफ मोड़ ली। अनुराग ने उससे कहा - यहाँ क्यों लेकर आई है। मुझे घर छोड़ दे।
नैना - ये भी तो आपका ही घर है।

नैना ने अनुराग का हाथ पकड़ा और बेल दबा दिया। लता ने दरवाजा खोला। अनुराग और नैना को एक साथ देख कर वो चौंक गई। उसे कुछ समझ नहीं आया। नैना ने अनुराग का हाथ पकड़ा और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी। अपने कमरे में घुसते ही उसने अनुराग को बिस्तर पर बैठा दिया और उसका पैंट खोलने लगी। अपने ऊपर हुए अचानक से इस हमले से अनुराग घबरा गया।
अनुराग - क्या कर रही हो ?
नैना - चुप।

अनुराग बेबस होकर नैना के कहे पर चलने लगा। कुछ ही समय में अनुराग का लंड बाहर था और उसका पैंट घुटने से निचे। नैना उसके सामने कड़ी हो गई। हमेशा की तरह नैना पैंट और शर्ट में थी। उसने होने शर्ट का बटन खोला और उसे उतार फेंका। अब ऊपर सिर्फ ब्रा पहने हुए थी। नैना निचे बैठ जाती है। अनुराग का लंड नैना के इस रूप को देख कर पहले से खड़ा हो चूका था। नैना ने अपने दोनों हाथ अनुराग के घुटनो पर रख दिया और अपने जीभ से पहले अनुरागे जांघो के ऊपरी हिस्से से चाटने लगी। उसकी ये हरकत देख कर अनुराग को सुलेखा की याद आ गई। सुलेखा भी पहले मैं पॉइंट से पहले आस पास चूमती और चाटती थी। नैना ऐसा करती भी क्यों नहीं उसने सुलेखा को शुरू से देखा था। उसे पता था की अनुराग को मजे कैसे देने हैं। अनुराग की हर कमजोर नस उसे पता थी। दूध और भरे हुए स्तनों के अलावा अनुराग के बदन पर जीभ फेरते ही उसे हलचल होने लगती थी। वो दूसरी दुनिया में पहुँच जाता था।

वो दूसरी दुनिया में पहुँच जाता था। और इस समय नैना भी यही कर रही थी। दरवाजे पर कड़ी लता एकदम हक्की बक्की थी। उसने नैना का वाइल्ड रूप तो देखा था पर वो इतना बोल्ड स्टेप लेगी उसे इसका अंदाजा नहीं था। वो कमरे में जा पहुंची। अनुराग की आँखें तो बंद थी और नैना को उसके अंदर आने से फर्क ही नहीं पड़ा।

नैना को अनुराग के जांघो को चाटते और चूमते देख लता सकते में थी। उसके हिसाब से लंड चूसना , उसके टोपे को किस करना फोरप्ले था पर लंड चूसने से पहले भी इस तरह का फोरप्ले देख वो ताज्जुब में थी। अनुराग का लंड हवा में था और एकदम नाग की तरह फनफना रहा था। नैना की जगह लता होती तो अब तक वो उसके मुँह में होता पर नैना तो लंड छोड़ उसके आस पास के एरिया से खेल रही थी।

जांघो के बाद नैना ने अनुराग के शार्ट को ऊपर किया और उसके नाभि से खेलने लगी। लता ये देख हैरान थी। अधिकांशतः मर्द औरतों के नाभि से खेलते हैं यहाँ तो उल्टा हो रहा था।

नैना बिस्तर के और नजदीक आ गई थी और उसने आराम से पालथी मार ली थी। नैना ने अब अपने जीभ को लंड पर लगाया। उसने बिना हाथ लगाए लंड के जड़ से लेकर ऊपर टोपे तक जीभ फिराया।

अनुराग में मुँह से निकला - सुलेखाआआआ

लता समझ गई नैना ने इस सब कला सुलेखा से सीखा है। अब नैना अनुराग के लंड को बड़े मजे से लोल्लिपोप की तरह चूस रही थी। साथ ही वो उसके बॉल्स को सहला रही थी। अनुराग अब पूरी तरह से एक्साइटेड था। उसने नैना के मुँह में धक्के लगाने शुरू कर दिए। नैना भी एकदम रंडियों की तरह उसके लंड को एकदम गले तक ले रही थी। इतने में लता को उलटी हो जाती पर नैना ने बड़े कमाल तरीके से होल्ड किया हुआ था। तभी नैना ने अपने से उसका लंड निकाल लिया। अनुराग ने अब भी आँखें बंद कर राखी थी। जैसे उसे पता हो आगे क्या होने वाला हो। नैना अपने घुटनो पर आ गई। उसने अनुराग के लंड को अपने ब्रा के अंदर से ही अपने स्तनों के बीच में फंसा लिया। नैना के स्तन लता की तरह बड़े नहीं थे पर छोटे भी नहीं थे। अब नैना अपने स्तनों के बीच से अनुरागके लंड को रगड़ रही थी। कुछ देर में दोनों इस तरह सेट हो गए की अनुराग कमर हिलाता और उसका लंड ब्रा के अंदर से ही स्तनों के बीच ऊपर निचे होने लगता।

नैना ने लता से कहा - देखती रहेगी बेटीचोद या अपने दामाद की सेवा भी करेगी। चल अपने कपडे उतार।

लता ने नैना के आदेश को मानते हुए अपने सारे कपडे उतार दिया। नैना की आवाज सुनकर अनुराग ने आँखे खोली तो लता को अपने बगल में नंगा बैठे पाया। नैना ने आँखों से इशारा किया तो अनुराग वहीँ लेट गया और लता ने उसका सर अपने नंगी जांघों पर रख लिया और उसे दूध पिलाने लगी। अब नैना भी बिस्तर पर आ चुकी थी। वो अनुराग के लंड को हाथ में लेकर मुट्ठी मारने लगी। लता इस आश्चर्य में थी की अनुराग इतने देर से कैसे होल्ड किया हुए है। पर इसमें अनुराग के ताकत के अलावा नैना का भी कमाल था। उसे अनुराग के रोम रोम की हरकत का पता था। ज्यों ही उसे अंदाजा लगता अनुराग अब डिस्चार्ज होगा वो हरकतें रोक देती। इस समय वो अपने हाथों सेहरकत तो कर रही थी पर बहुत ही धीरे धीरे। अब अनुराग से बर्दास्त नहीं हो रहा था।

उसने नैना से मिन्नतें की - अब माल निकाल दे मेरी जान।
नैना - माल तो आपकी माल निकालेगी।
उसने लता से कहा - चल रंडी , कुतिया बन।
लता रोबोट की तरह उसकी बात मानते हुए वहीँ चौपाया बन गई। नैना ने अनुराग से कहा - गांड मारनी है तो मार लो।
लता बोली - नहीं। मेरी चूत बेताब है। पहले उसे मार बहनचोद।
अनुराग - हाँ बहन की लौड़ी पहले तेरी चूत ही मरूंगा। तेरी बेटी तो दे नहीं रही।
अनुराग ने पीछे से अपना लंड उसके चूत में घुसा दिया और उसे पेलने लगा। नैना का ब्रा तो अब तक खुल चूका था पर उसने पैंट नहीं उतारी थी। अनुराग के
अंदर वीर्य काफी ज्यादा जमा हो चूका था और वो जल्दी ही आने वाला था वो लगातार तेजी से लता को चोद रहा था।

लता भी पागल हो चुकी थी। वो बड़बड़ा रही थी - भोसड़ी वाले अभी तक बहन और बेटी चोद रहा है। आज तो भांजी के साथ भी इतना खेल लिया।
नैना - चुप रंडी , अभी तो ये कुछ भी नहीं था। हम दोनों की जान सुलेखा मामी थी तो ज्यादा मजा आता था।
लता - हाँ , मैं भी दूंगी।
नैना - अभी तो बस रंडी की तरह चुद। जल्दी से चुद जा वरना मेरा बाप आ गया तो तेरी खैर नहीं। ये दोनों फिर मिलकर तेरे हर छेद फाड़ देंगे।
लता - उफ़ , बोल अपने खसम से जल्दी मेरी चूत भर दे। मेरी चूत ने तो पहले ही नदियां बहा दी हैं।
नैना - चिंता न कर ये तेरी भी चूत भरेगा और वो नै मरखइ गाय आई है उसकी भी भरेगा।
रूबी की चर्चा नैना ने जान बूझ कर की थी।
लता - उस मरखइ की तो हाथ पाँव बाँध कर मरवाउंगी। उसकी तो पहले गांड ही मरवाउंगी।
नैना - क्यों बेटीचोद , मारेगा उसकी गांड ?
अनुराग - उसकी गांड भी मरूंगा , और चूत भी। पर पहले उसका दूध पियूँगा। साली बड़े बड़े थान लेकर घूम रही है। और मेरा दूध भी बंद करवा दिया है।
नैना - ये सही है। चिंता न करो तुम्हारी दोनों गायों को सही करने के लिए मुझे एक दिन आना पड़ेगा।

उसकी ये बात सुनते ही अनुराग के लैंड ने खूब सारा माल लता के चूत में उड़ेल दिया। अनुराग थक कर धड़ाम से बिस्तर पर गिर पड़ा। वही हाल लता का था। दोनों सीधे होकर बिस्तर पर लेट गए। नैना ने पहले तो अनुराग के लैंड को चाट कर साफ़ किया फिर लता की चूत पर भीड़ गई।

तीनो वहीँ नैना के बिस्तर पर लेट गए। कुछ देर बाद लता होश में आई।
उसने नैना से पुछा - ये क्या किया तूने ?
नैना - आपको आपके भाई से अपने सामने चुदवाया है और क्या किया है ?
लता - ये तो बहनचोद पहले से चोद रहा था। मैं तो तेरे बारे में कह रही थी।
नैना हँसते हुए - पहली बार नहीं किया है। जो भी तुमने सुना है सब सही सुना है। वो तो मामी के जाने के बाद से सब बंद था। जो सीखा है उनसे ही सीखा है।
लता - तू मुझसे भी बड़ी रंडी है।
नैना - हम्म। बेटी आपकी हूँ।
लता - मुझे तो लगता है मुझसे ज्यादा सुलेखा की है। कितनी बड़ी चुदैल रही होगी।
नैना - हाँ। बहुत मस्त माल थी। आई मिस हर।

लता ने नैना को अपने बाहों में ले लिया और बोली - चिंता मत कर अब मिस नहीं करेगी। तेरी अनुराग से शादी करा दूंगी फिर सब मस्ती करेंगे। वैसे तू बिना शादी के भी सब कर सकती है।
नैना - नही। सुहागरात को ही सील खुलवाउंगी। इतने दिनों तक बचा कर रखा है तो कुछ समय और सही।
तभी नैना का फ़ोन घनघना उठा। उसने अलसाये अंदाज से फ़ोन उठाया। उधर से रूबी का फ़ोन था।
रूबी - बहनचोद , सुबह से पापा को लेकर गई है। कौन सा चेकअप करा रही है।
नैना - चुप साली। एक तो पूरा माहौळ खराब कर रखा है और उस पर से मुझ पर बोल रही है। मेरी मर्जी जो भी करूँ। तेरे बाप हैं तो मेरे भी आशिक हैं।
रूबी - तो आशिकी हो रही है।
नैना - तुझे क्यों बताऊँ। तू अपनी चूत में ऊँगली कर और फ़ोन रख।
लता - रूबी थी या वर्षा ?
नैना - आप वो सब छोडो। चलो कपडे पहनो। शाम हो गई है। पापा के आने का भी समय हो चूका है।
अनुराग थक कर नींद के आगोश में जा चूका था।
लता ने उसकी तरफ देखा और कहा - कितना प्यारा है न ? तू बड़ी किस्मत वाली है।
नैना - तुम तो जैसे ख़राब किस्मत वाली हो। सब छेद के मजे ले रही हो और मुझे बोल रही हो।
लता - आज तुझे क्या हो गया है। इतनी बिंदास हो गई है।

नैना ये सुनकर चुप हो गई। सच में वो दोपहर वाली नैना नहीं थी । दोपहर में कहाँ ढाबे पर पीछे हट गई थी और अब इतनी बिंदास हो गई थी। पर उसने अपना व्रत तोडा नहीं था। उसके बदन से पेंट नहीं उतरा था। बड़े संयम के साथ उसने अपनी चूत पर काबू किया था। उसकी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। उसका मन था की काश चुद जाती। उसे सोच में देख लता बोली - चाट दूँ ?
नैना उठ गई और अपने अलमारी से एक टी शर्ट और शार्ट निकाल कर पहनते हुए बोली - रहने दो। आज नहीं।

कुछ देर बाद दोनों ने अनुराग को जगा दिया। गनीमत थी शेखर तब तक नहीं आया था। नैना ने अनुराग को उसके घर छोड़ दिया। अनुराग इतना थका हुआ था की उसने चुपचाप रात का खाना खाया और अपने कमरे में जाकर सो गया। वर्षा और रूबी दोनों कन्फ्यूज थे की नैना ने आखिर ऐसा क्या किया। कहीं वो चुद तो नहीं गई। थोड़ी सी जलन इन दोनों बहनो को होने लगी , रूबी को ज्यादा। उसे लगा अब उसे अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ेगी। दोनों ने नैना से कई बार दिन के बारे में पुछा पर उसने कुछ नहीं बताया। नैना ने लता को भी समझा दिया था। लता तो बिलकुल अनजान बानी रही।


दोनों बहने भी जलन के मारे सो नहीं पाई पर आज अनुराग और नैना दोनों गहरी नींद सोये। लता भी। लता ने आज अनुराग को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लिया था। अब वो उन दोनों को शादी की तैरारी के बारे में सोचने लगी थी।
Nice update
 
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