सुबह जब रूबी , वर्षा , लता और महेश हॉस्पिटल आये तब तक नैना जाग चुकी थी और अनुराग की खातिर में लगी थी। सबने नैना से अनुराग की स्थिति के बारे में पुछा तो नैना ने कहा - अभी ठीक हैं , ध्यान रखना पड़ेगा। मैं आप लोगों को बताउंगी।
वर्षा - ऐसे क्यों कह रही है। सब ठीक है न।
नैना - हां। पर ध्यान नहीं दिया तो आगे खराबी हो सकती है। पापा , आप मामा के पास रुको मैं इन दोनों से से बात करके आती हूँ।
लता - मैं भी चलती हूँ।
नैना - चलो।
नैना तीनो महिलाओं को एक साथ लेकर एक शांत जगह पर ले गई।
वर्षा - बता क्यों नहीं रही है क्या हुआ है पापा को ?
नैना ने रूबी की तरफ देखते हुए कहा - इस मुंहफट की वजह से ये हाल है। इसने उन्हें कुछ कहा था जिसकी वजह से उन्हें सदमा पहुंचा।
रूबी - मैंने क्या कहा था ?
नैना - याद कर टहलते हुए क्या कहा था ?
रूबी को अब याद आया उसने पापा को उम्र को लेकर कहा था। उसे अब समझ आया की उस दिन के बाद से ही अनुराग गुमसुम हो गए थे।
साड़ी बात समझ में आते ही रूबी रोने लगी।
वर्षा - क्या कहा था इस कामिनी ? जब से आई है सबका जीना हराम कर रखा है।
नैना - जो हुआ कोई बात नहीं। इसकी बचपन से आदत है। कोई सुधार नहीं सकता। पर अब ख्याल रखना पड़ेगा।
रूबी रोते हुए - सच में मेरी आदत ख़राब है। मैं वापस चली जाती हूँ।
नैना - जब सबसे ज्यादा उन्हें जरूरत है तो चली जाओ। पर सुधरना नहीं।
रूबी सुबकते हुए - पापा का ख्याल तुम तीनो रख लेना। मेरी वजह से सबको दिक्कत भी है।
लता ने उसे सँभालते हुए कहा - पूरी बात तो सुन ले। बता अभी हालत कैसी है ? दौरा तो नहीं पड़ा था ? बाकि टेस्ट का का क्या रहा ? सब ठीक है ?
नैना ने लम्बी सांस ली और बोली - किस्मत की बात है। अटैक नहीं था। उनका हार्ट ठीक है। बस स्ट्रेस ज्यादा ले लिया था इस लिए बीपी बढ़ गया था। पर उनका कैल्सियम , विटामिन्स के लेवल फिर से वापस एक्सीडेंट वाले टाइम के हो गए हैं।
वर्षा चौंकाते हुए - क्या ?
रूबी - ये भी मेरी वजह से ही होगा।
नैना - शायद। हमें फिर से पुराण ट्रीटमेंट चालू करना पड़ेगा।
ये सुन कर लता और वर्षा के सीने में अजीब सी हलचल हुई। पर उन्होंने नैना की तरफ देखा और फिर रूबी की तरफ। रूबी अनजान बनते हुए नैना की तरफ देख रही थी।
रूबी - क्या मतलब ?
नैना - माँ , वर्षा आप लोग मामा के पास जाओ। मैं इसे समझाती हूँ।
दोनों वहां से चली गेन तो रूबी ने नैना से पूछा - सचमच में सब गड़बड़ है क्या ?
नैना - तुझे क्या लगता है मैं झूठ बोल रही हूँ। तूने अपना खेल खुश ज्यादा ही लम्बा कर दिया ? क्या वर्षा दी और मामा को एकदम मौका नहीं दे रही है क्या ?
रूबी - नहीं। बल्कि हम दोनों बहने एक दुसरे का ~~~
ये कह कर रूबी चुप हो है।
नैना ने सर पीट लिया और बोली - बड़ी कमीनी है तू। तुझे क्या लगा था वो दूध वूध मजाक था था क्या ? तुझे अंदाजा भी है कितना फायदा था उनको। दवाइयां सब बंद हो गईं थी। और इस चक्कर में रेगुलर मेडिसिन भी नहीं ले रहे थे। और ये मजाक मजाक में तूने उनको इतना क्या बोल दिया था ?
रूबी - यार , मजाक कर रही थी। मुझे क्या पता था इतना सीरियस ले लेंगे।
नैना - तुम्हे पता है कि वो इतना मजाक नहीं करते हैं। सबको कितना मानते हैं। बड़ी मुश्किल से वो मेरे करीब आये थे। बाकी सब भी मान गए थे। पर तुमने सब खेल समझ कर खराब कर दिया।
नैना का दुखी चेहरा देख कर रूबी फिर से रोने लगी। वो बोली - यार मुझे माफ़ कर दे। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मैं तो खुद ही चाहती हूँ तेरी शादी जल्दी से हो जाए। पापा भी खुश रहेंगे। एकदम अकेले हैं। हमारा क्या है , हम तो चले जायेंगे। पर तू ही संभाल सकती है।
नैना चुप रही।
रूबी - आई एम् सॉरी यार। मैं कल ही चली जाउंगी। तुम सब कि ख़ुशी में खलल डालने का मेरा कोई इरादा नहीं है।
नैना - अब जरूरत है तो वापस जाने का बोल रही है। जितना सताया है उसकी भारपाई कर।
रूबी - तुम जो कहुगी सब करुँगी। बस पापा जल्दी से ठीक हो जाएँ।
नैना मुश्कुराते हुए - चलो अब एक कि जगह उनको दो दो ताजी गायों का दूध मिलेगा।
रूबी के चेहरे में मुस्कान आ गई। बोली - और छूट और गांड भी।
नैना - अभी तो पतिव्रता बानी थी। अब सब चीज के लिए तैयार है।
रूबी - हाँ। बसा पापा खुश रहें। अब बुआ से बोलूंगी तुम्हारी शादी भी करवा दें।
नैना - उनकी भी शर्त है।
रूबी - अब मुझे सारी शर्ते मंजूर हैं।
नैना - देख जो भी करना सोच समझ कर करना। तुमने सताया है तो इतनी जल्दी भी नंगी मत हो जाना। आराम से। पर दूध मिलना चाहिए।
रूबी - जो हुकुम मालकिन। आ कर दुह लिया करना।
नैना - अब दूहना है या डाइरेक्ट पिलाना है ये सब तुम दोनों बहने जानों। मेरा जब समय आएगा तो दूध भी निकालुंगी और तुम्हारी गांड भी मरवाउंगी।
रूबी - चल कल करवा दें तेरी शादी।
नैना - पहले उन्हें ठीक होने दो। और सुनो जैसा कि मैंने कहा एकदम से माँ और वर्षा दी के सामने नंगी मत हो जाना। आराम से। धीरे धीरे। पर अब बहुत दिन तक सताना।
रूबी - मतलब चूत देनी है पर पहले दूध देकर स्वस्थ करना है।
नैना हँसते हुए - तू मानेगी थोड़े ही। माँ और दी के साथ संभल कर।
रूबी - जो हुकुम मालकिन।
दोनों फिर अंदर चली गईं। अनुराग ने सभी को कहा कि चिंता वाली कोई बात नहीं है। सब आराम करें। नैना ने सब पहले ही सेट कर रखा था। डॉक्टर्स ने भी उसी हिसाब से समझाया। दो दिन बाद अनुराग को घर लौटना था। अबकी सब बदल जाना था । अनुराग के फिर से मजे होने वाले थे। पर मजा तो शेखर को और लता को आने वाला था।
शेखर ने अलग से नैना से पुछा - क्या हुआ सब ठीक है न।
नैना - हाँ। पर कैल्सियम और विटामिन्स की डेफिसिएंसी वापस से हो गई है।
शेखर ने घूरते हुए नैना से कहा - सच में या अपने प्यार की खुशियों के लिए ?
नैना - मैं रिपोर्ट मैनिपुलेट नहीं कर सकती। सच में उनका ख्याल पहले जैसा रखना पड़ेगा। पर उनसे ज्यादा आपका फायदा है इसमें।
शेखर - मेरा क्या फायदा ?
नैना - इतने भोले मत बनो आप पापा। वैसे सलाह यही दूंगी की आप और माँ अपनी शर्त पर अड़े रहना।
शेखर - कौन सा जिद ?
नैना - मेरी शादी के लिए जो शर्त राखी है।
शेखर ये सुनकर एक्साइटेड होने के बजाय थोड़ा इमोशनल हो गया। उसने कहा - बेटा तेरी ख़ुशी की कोई शर्त नहीं है। तुम और अनुराग दोनों मेरे जिगर के टुकड़े हो। तुम्हारा उसके लिए प्यार मैं तब से जानता हूँ जब तुम्हे इस प्यार का एहसास पहली बार हुआ था। तेरी मामी से मेरी सारी बातें होती थी। वो बहुत अच्छी थी। मुझे पता है तुम भी अनुराग को उतना ही प्यार करती हो। तुम जिस दिन कहो उस डॉन तुम दोनों की शादी करवा दूँ। उसके लिए तेरी माँ से लड़ना पड़े तो भी लड़ लूंगा।
ये सुनकर नैना के आँखों में आंसू आ गए। वो शेखर के गले लग गई। तभी पीछे से लता आ गई।
लता - हमम। क्या हुआ ? बात बेटी इतने इमोशनल क्यों हो रहे हैं।
शेखर - सोच रहा हूँ, अब नैना की शादी जल्दी कर दूँ।
लता - हम्म्म। अब मुझसे भी अनुराग का अकेलापन देखा नहीं जाता।
नैना ये सुनकर चकित हो गई। उसने लता को अपने पास बुला लिया।
लता - मैं तेरी दुश्मन थोड़े ही हूँ। वो भी मेरा भाई है। उसको भी मैं जान से ज्यादा प्यार करती हूँ।
शेखर - ये देखो , मेरा क्या होगा अब ?
नैना - अब तो आपके लिए तीन तीन का जुगाड़ हो गया है।
लता - रहने दे। किसी के साथ कोई जबरजस्ती नहीं। हम ऐसे ही खुश हैं। बस तू खुश रहे।
नैना - अब जुगाड़ हुआ है तो आप और पापा दोनों शराफत दिखा रहे हैं। मैं कौन सा जबरजस्ती कर रही हूँ। वर्षा दी तैयार थी।
लता - रूबी ?
नैना - वो भी मान जाएगी।
लता - सच बता , अनुराग ठीक तो है न ? ये सब कहीं नाटक रूबी की वजह से तो नहीं है ?
नैना - माँ , वर्षा को छोड़ कर आप सब यही पूछ रहे हो। मैं ये जरूर चाहती थी की सब पहले जैसा हो जाए। पर उसके लिए मैं इनके हेल्थ का
रिस्क थोड़े ही लुंगी। आप सब रिपोर्ट देख लेना। और आप सबको उनका ख्याल रखना पड़ेगा।
लता - रूबी माने तो न ?
नैना - उसे मैंने समझा दिया है। थोड़ा सदमे में थी। पर मामा के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार है। अब घर की दोनों गाय तैयार हैं।
लता ने शेखर की तरफ देखा और कहा - आप अपने ऊपर कण्ट्रोल करना। सब नैना और वर्षा पर छोड़ दो और अपने लौड़े को आराम दो।
शेखर - क्या बकवास करती हो। इस बूढ़े को कुछ भी बोलती हो ?
लता - हम्म। ये बूढ़े हैं तो जवान तो बच्चे होंगे। साला मेरी रातों की नींद ख़राब किये रहते हैं।
शेखर - अच्छा जी। अपनी ठरक का कुछ नहीं।
नैना हँसते हुए - आप दोनों लड़ना बंद करो। चलो देख आऊं मामा को।
दोनों मुश्कुरा उठे। वास्तव में नैना अनुराग को बहुत प्यार करती थी। दोनों का मिलान कोई नहीं रोक सकता था। पर ये लड़की अजीब जिद्दी है। खुद को सबसे आखिरी में सौंपने का सोच रखी है और उससे पहले घर की सारी चुतें अनुराग के नाम करवा कर ही मानेगी।