उधर वर्षा अनुराग के कमरे में चिंतित थी। हॉस्पिटल बेड पर अपने पिता को देख कर परेशान थी। अबकी उसने ठान लिया था कि रूबी चाहे कुछ भी सोचे वो अपने पिता को हर तरह से खुश रखेगी। उसे अपने पिता के अलावा कोई नहीं चाहिए था। वो सिर्फ और सिर्फ उनको खुश देखना चाहती थी। उसने ये भी निर्णय ले लिया कि अब वो खुल कर अपने घर वालों से अपनी पति से तलाक लेने कि बात करेगी। अब उसे दुनिया कि परवाह नहीं थी। उसने ये भी निर्णय ले लिया कि पिता को खुश करने के लिए नैना कि गुलामी भी करनी पड़े तो वो करेगी।
उसको चिंता में देख अनुराग भी परेशान था। वो भी सुलेखा और नैना के बाडी किसी से प्यार करता था तो वर्षा से ही। वर्षा ने ही तो उसका ख्याल भी रखा था।
उसने वर्षा से कहा - इतना परेशान मत हो। मैं ठीक हूँ। नैना ने ज्यादा ही हवा बना दी है। चिंता कि कोई बात नहीं है।
वर्षा - नहीं पापा , मैं थोड़ा लापरवाह हो गई थी। रूबी के डर से आपके ऊपर से ध्यान हट गया था। अब मैं आपसे आपका ध्यान रखूंगी। अब आपको सब टॉनिक मिलेगा।
तभी कमरे में रूबी एंटर करती है और कहती है - पापा , मुझे माफ़ कर दीजिये। मुझे नहीं पता था आपको मेरी बात का बुरा लगा। अब वर्षा दी ही नहीं , मैं भी ख्याल रखूंगी । जैसा जैसा डॉक्टर और नैना कहेंगे मैं सब करुँगी। आपका स्वस्थ रहना और खुश रहना हम सब के लिए जरूरी है।
उसकी बात सुनकर अनुराग थोड़ा इमोशनल हो गया। अनुराग ने कहा - अरे ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं ठीक हूँ। और तुम लोग तो मेरा ख्याल रखते ही हो। ये तो बस थोड़ा बहुत इधर उधर चलता रहता है। अब उम्र भी तो हो ही रही है।
कमरे में नैना भी पहुँच जाती है और कहती है - खबरदार जो अब आपने अपने उम्र की बात की तो। आपकी उम्र कुछ भी नहीं है। अभी तो हमें बहुत कुछ करना है।
उसकी बात सुनकर रूबी बोल पड़ी - हाँ पापा अभी तो हमें छोटा भाई चाहिए आपसे और नैना से। बस बुआ को भी मनाना है।
वर्षा - हाँ बुआ और फूफा को मन लेंगे। बस जल्दी से आप स्वस्थ हो जाइये।
रूबी - हाँ उन्हें मनाने के लिए मुझे भी कुछ करना पड़े तो मैं तैयार हूँ।
नैना - उन्हें बाद में मना लेना। पहले पापा के लिए जो कहा है वो करना पड़ेगा। इनके जो डेफिशियेंसी है उसे रिकवर करना है और उसमे तुम दोनों की ही मदद चाहिए।
नैना की बात सुनकर अनुराग थोड़ा संकोच में आ गया। उसने कहा - डॉक्टर जो सुप्प्लिमेंट लिखेगा , ले लूंगा।
नैना - आपको नेचुरल सप्लीमेंट लेना ह। पिछली बार उसी ने फायदा दिया था। और अब तो सप्लीमेंट वाले दो दो हैं। दोनों तैयार हैं।
वर्षा से अपनी नजरे झुका ली। पर इस बार रूबी ने बेबाकी से कहा - हाँ पापा। आप चिंता मत करो। नैना ने बता दिया है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ।
अनुराग को समझ नहीं आया की नैना ने रूबी को कैसे मना लिया है। वो उसकी तरफ देखने लगा।
नैना बोली - आपके लिए हम सब ख़ुशी ख़ुशी कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। आप सब टेंशन से दूर रहो और खुश रहो।
सब बातें कर ही रहे थे की महेश और लता भी आ गए।
लता बोली - जल्दी से घर आ। तेरा खाना और पीना मुझे सब सही करना है। अब तू हॉस्पिटल नहीं आएगा।
महेश - हाँ भाई। तुम हमारे लिए साले से बढ़कर हो। मस्त रहो। हम सब हैं। किसी बात की टेंशन मत लो।
अनुराग - आप सब का प्यार है। मुझे कुछ नहीं होगा। मुझे कोई टेंशन नहीं है।
महेश - ये हुई ना बात।
लता - अब तो रूबी को भी पता है उसे क्या करना है। तू बिंदास रह। तू खुश रहेगा तो हम सब खुश रहेंगे।
नैना - अब आप सब जाओ। मैं हूँ यहाँ।
वर्षा ने कहा - नहीं। आज मैं रुकूंगी। तुम भी घर जाओ। दो दिन से सोइ नहीं हो।
नैना - रहने दो दी। मैं देख लुंगी।
वर्षा - माना मालकिन हो पर उम्र में बड़ी हूँ। मेरी बात मानो। आज मैं रुकूंगी।
नैना समझ गई की आज वर्षा नहीं मानेगी। वो भी वर्षा को कुछ समय अनुराग के साथ बिताने देना चाहती थी ।
उसने कहा - ठीक है। आप रुको।
लता - रूबी, तू भी हमारे घर चल वहीँ सब बच्चे रह लेंगे।
रूबी - ठीक है।
कुछ देर बाद रूबी और बच्चों सहित नैना, लता और महेश अपने घर चले गए। हॉस्पिटल में वर्षा रुक गई। रात तक डॉक्टर ने भी सारा चेकअप वगैरह कर लिया। कमरे में सिर्फ वर्षा और अनुराग रह गए। अनुराग को अगले दिन डिस्चार्ज हो ही जाना था। नर्स ने साड़ी दवा दे दी थी। रात को वर्षा ने कमरा बंद कर लिया। अनुराग के ऊपर दवा का असर तो था पर वर्षा के पास होने वो भी अकेले होने का भी एहसास था। वर्षा ने उसकी तरफ मुश्कुरा कर देखा और कहा - आप आराम करिये, मैं कपडे बदल लेती हूँ।
अनुराग - हम्म।
वर्षा ने उसके सामने ही अपने साडी उतार दी और सिर्फ ब्लॉउज , पेटीकोट में आ गई। उसने बिना और कपडे पहने पहले अपनी साडी तह की और बैग में रख लिया। उसे ब्लॉउज और पेटीकोट में देख अनुराग ने एक लम्बी सांस ली। उसकी धड़कन तेज हो गई थी। धरड़कन तो वर्षा की भी तेज थी।
उसने प्यार से अनुराग की तरफ देखा और कहा - सप्लीमेंट चाहिए ?
अनुराग - अब डॉक्टर्स कह रहे हैं तो लेना ही पड़ेगा।
वर्षा उठ कर उसके पास पहुंची और हॉस्पिटल का बेड हैंडल घुमा कर उठा दिया। अब अनुराग का सर वर्षा के सीने तक पहुँच गया था ।
वर्षा ने बेड के साइड का सपोर्ट भी हटा दिया और उसके पास जाकर कड़ी हो गई। पास जाकर उसने अपने ब्लॉउज का बटन खोला और अपना एक स्तन निकल दिया। फिर उसने अनुराग के सर को अपने हाथ के सहारे से नजदीक किया। इतना ही काफी था। अनुराग ने लपक कर उसके स्तन को चूसना शुरू कर दिया। वर्षा के स्तन से दूध की धार बाह निकली जिसे अनुराग पीने लगा। वर्षा प्यार से अनुराग के बाल सहलाने लगी। अनुराग उसके सामने एक बच्चा बन गया।
वर्षा - पी जाओ पापा। बहुत दिनों से आपने दूध नहीं पिया है। ये मेरे स्तन भी आपके प्यार को तरस गए थे। उफ़ , आह चूस लो।
अनुराग ने करवट ले लिया था और अपने दुसरे हाथ से वर्षा के पेट और नाभि को सहलाने लगा था।
वर्षा ने अपने दुसरे स्तन को भी बाहर कर लिया और बोली - अब दूसरा भी पीयो। दोनों तुम्हारे हैं।
वर्षा का ब्लॉउज बस कंधे पर किसी तरह से टिका हुआ था। उसने हाथ पीछे करके ब्रा के हुक भी खोल दिए थे।
कुछ देर में खड़े खड़े उसके पैर में दर्द होने लगा तो उसने कहा - अब बस करो। कितना पियोगे। पेट भर गया होगा।
अनुराग ने उसे छोड़ दिया। वर्षा ने अपने ब्रा के हुक को लगा लिया और ब्लॉउज उतार दिया। वो साथ में एक लोअर और टी शर्ट लाइ थी । ऊपर से टी शर्ट डाल लिया। उसने फिर अनुराग के सामने ही अपने पेटीकोट को उतार दिया। अनुराग ने सिर्फ निचे से सिर्फ पैंटी में देखा तो उसने कहा - जरा निचे का भी रस पीला ना।
वर्षा - क्या पापा। अभी रहने दीजिये। तबियत ठीक होने दीजिये।
अनुराग ने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा - इसकी तबियत तो बिगड़ गई है।
वर्षा - इसे तो मैं अभी शांत कर दूंगी।
अनुराग - एक बार दर्शन तो करा दे।
वर्षा - आपकी ही है। घर चल कर जितना दर्शन करना होगाकारा दूंगी।
अनुराग मान गया। वो हॉस्पिटल में कुछ ज्यादा करना नहीं चाहता था।
वर्षा ने निचे लोअर पहन लिया और अनुराग के कमर पर पहुँच कर उसके लंड को निकाल देती है। उसके लौड़े को जोश में देख कर वो बोली - कौन कहता है आप बूढ़े हुए हैं। अभी बाहर ड्यूटी पर मौजूद नर्सों को बोल दूँ तो नंगी होकर चढ़ जाएँगी।
अनुराग - अभी तू तो चढ़।
वर्षा - आज आपको ऐसे ही शांत कर देती हूँ। वैसे कितने दिन हुए इसका माल निकाले।
अनुराग - याद नहीं। बहुत दिन हो गए।
वर्षा ने उसके लंड को सहलाते हुए कहा - नैना के साथ जब घूमने जाते थे तो कुछ नहीं करते थे ?
अनुराग - हम्म। उसने कभी कभी ही हाथ से निकाला होगा। वार्ना हम तो बस बातों में रह जाते थे।
वर्षा मुश्कुराते हुए - मतलब सिर्फ ऊपर से रोमांस।
अनुराग - हाँ।
वर्षा - बड़ी जालिम है वो। बुआ के पास भी कभी लेकर नहीं गई ?
अनुराग - आह , थोड़ा तेज कर न। मुँह में ले।
वर्षा ने मुँह में लेने से कहा - बुआ के नाम पर एकदम से जोश में आ गया।
अनुराग - उनसे भी मिलने का कहाँ मौका मिलता था। एक दो बार ही बस गया था। उफ़ आह। हाँ थोड़ा अंदर तक ले। आह।
वर्षा ने अब अनुराग के लौड़े को तेजी से मुँह के अंदर बाहर करना शुर कर दिया था। वो उसे ज्यादा अंदर नहीं ले रही थी क्योंकि उससे उसे खांसी आ जाती और वो हॉस्पिटल में थी। पर उसने हाथ और मुँह से कमाल करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर की पम्पिंग में उसके लंड ने अपना पूरा लोड छोड़ दिया जो सीधे वर्षा के मुँह में था। वर्षा उसे पूरा घोंट गई। उसने अनुराग के वीर्य का एक भी बूँद नहीं छोड़ा ।
स्खलन होते ही अनुराग ने राहत की सांस ली। उसे लगा जैसे बहुत बड़ा बोझ निकल गया हो। वो पूरी तरह से रिलैक्स हो गया। उसकी साँसे जो थोड़ी देर पहले तेजी से चल रही थी वो स्थिर होने लगी। वर्षा ने उसका पैजामा ऊपर किया और उसके बगल में लेट गई। अनुराग ने उसे अपने बाँहों में ले लिया। वर्षा के चूत ने भी अपने आप पानी छोड़ दिया था। दोनों रिलैक्स्ड थे और जल्दी ही गहरी नींद में आ गए थे।