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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 22 43.1%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 19 37.3%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 10 19.6%

  • Total voters
    51

sunoanuj

Well-Known Member
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बहुत ही शानदार अपडेट है ! बहुत ग़ज़ब कहानी है

अगले भाग की प्रतीक्षा में !
 

tharkiman

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उधर वर्षा अनुराग के कमरे में चिंतित थी। हॉस्पिटल बेड पर अपने पिता को देख कर परेशान थी। अबकी उसने ठान लिया था कि रूबी चाहे कुछ भी सोचे वो अपने पिता को हर तरह से खुश रखेगी। उसे अपने पिता के अलावा कोई नहीं चाहिए था। वो सिर्फ और सिर्फ उनको खुश देखना चाहती थी। उसने ये भी निर्णय ले लिया कि अब वो खुल कर अपने घर वालों से अपनी पति से तलाक लेने कि बात करेगी। अब उसे दुनिया कि परवाह नहीं थी। उसने ये भी निर्णय ले लिया कि पिता को खुश करने के लिए नैना कि गुलामी भी करनी पड़े तो वो करेगी।

उसको चिंता में देख अनुराग भी परेशान था। वो भी सुलेखा और नैना के बाडी किसी से प्यार करता था तो वर्षा से ही। वर्षा ने ही तो उसका ख्याल भी रखा था।
उसने वर्षा से कहा - इतना परेशान मत हो। मैं ठीक हूँ। नैना ने ज्यादा ही हवा बना दी है। चिंता कि कोई बात नहीं है।
वर्षा - नहीं पापा , मैं थोड़ा लापरवाह हो गई थी। रूबी के डर से आपके ऊपर से ध्यान हट गया था। अब मैं आपसे आपका ध्यान रखूंगी। अब आपको सब टॉनिक मिलेगा।
तभी कमरे में रूबी एंटर करती है और कहती है - पापा , मुझे माफ़ कर दीजिये। मुझे नहीं पता था आपको मेरी बात का बुरा लगा। अब वर्षा दी ही नहीं , मैं भी ख्याल रखूंगी । जैसा जैसा डॉक्टर और नैना कहेंगे मैं सब करुँगी। आपका स्वस्थ रहना और खुश रहना हम सब के लिए जरूरी है।
उसकी बात सुनकर अनुराग थोड़ा इमोशनल हो गया। अनुराग ने कहा - अरे ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं ठीक हूँ। और तुम लोग तो मेरा ख्याल रखते ही हो। ये तो बस थोड़ा बहुत इधर उधर चलता रहता है। अब उम्र भी तो हो ही रही है।
कमरे में नैना भी पहुँच जाती है और कहती है - खबरदार जो अब आपने अपने उम्र की बात की तो। आपकी उम्र कुछ भी नहीं है। अभी तो हमें बहुत कुछ करना है।
उसकी बात सुनकर रूबी बोल पड़ी - हाँ पापा अभी तो हमें छोटा भाई चाहिए आपसे और नैना से। बस बुआ को भी मनाना है।
वर्षा - हाँ बुआ और फूफा को मन लेंगे। बस जल्दी से आप स्वस्थ हो जाइये।
रूबी - हाँ उन्हें मनाने के लिए मुझे भी कुछ करना पड़े तो मैं तैयार हूँ।
नैना - उन्हें बाद में मना लेना। पहले पापा के लिए जो कहा है वो करना पड़ेगा। इनके जो डेफिशियेंसी है उसे रिकवर करना है और उसमे तुम दोनों की ही मदद चाहिए।
नैना की बात सुनकर अनुराग थोड़ा संकोच में आ गया। उसने कहा - डॉक्टर जो सुप्प्लिमेंट लिखेगा , ले लूंगा।
नैना - आपको नेचुरल सप्लीमेंट लेना ह। पिछली बार उसी ने फायदा दिया था। और अब तो सप्लीमेंट वाले दो दो हैं। दोनों तैयार हैं।
वर्षा से अपनी नजरे झुका ली। पर इस बार रूबी ने बेबाकी से कहा - हाँ पापा। आप चिंता मत करो। नैना ने बता दिया है। मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ।
अनुराग को समझ नहीं आया की नैना ने रूबी को कैसे मना लिया है। वो उसकी तरफ देखने लगा।
नैना बोली - आपके लिए हम सब ख़ुशी ख़ुशी कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। आप सब टेंशन से दूर रहो और खुश रहो।

सब बातें कर ही रहे थे की महेश और लता भी आ गए।
लता बोली - जल्दी से घर आ। तेरा खाना और पीना मुझे सब सही करना है। अब तू हॉस्पिटल नहीं आएगा।
शेखर - हाँ भाई। तुम हमारे लिए साले से बढ़कर हो। मस्त रहो। हम सब हैं। किसी बात की टेंशन मत लो।
अनुराग - आप सब का प्यार है। मुझे कुछ नहीं होगा। मुझे कोई टेंशन नहीं है।
शेखर - ये हुई ना बात।
लता - अब तो रूबी को भी पता है उसे क्या करना है। तू बिंदास रह। तू खुश रहेगा तो हम सब खुश रहेंगे।
नैना - अब आप सब जाओ। मैं हूँ यहाँ।
वर्षा ने कहा - नहीं। आज मैं रुकूंगी। तुम भी घर जाओ। दो दिन से सोइ नहीं हो।
नैना - रहने दो दी। मैं देख लुंगी।
वर्षा - माना मालकिन हो पर उम्र में बड़ी हूँ। मेरी बात मानो। आज मैं रुकूंगी।
नैना समझ गई की आज वर्षा नहीं मानेगी। वो भी वर्षा को कुछ समय अनुराग के साथ बिताने देना चाहती थी ।
उसने कहा - ठीक है। आप रुको।
लता - रूबी, तू भी हमारे घर चल वहीँ सब बच्चे रह लेंगे।
रूबी - ठीक है।

कुछ देर बाद रूबी और बच्चों सहित नैना, लता और शेखर अपने घर चले गए। हॉस्पिटल में वर्षा रुक गई। रात तक डॉक्टर ने भी सारा चेकअप वगैरह कर लिया। कमरे में सिर्फ वर्षा और अनुराग रह गए। अनुराग को अगले दिन डिस्चार्ज हो ही जाना था। नर्स ने साड़ी दवा दे दी थी। रात को वर्षा ने कमरा बंद कर लिया। अनुराग के ऊपर दवा का असर तो था पर वर्षा के पास होने वो भी अकेले होने का भी एहसास था। वर्षा ने उसकी तरफ मुश्कुरा कर देखा और कहा - आप आराम करिये, मैं कपडे बदल लेती हूँ।
अनुराग - हम्म।
वर्षा ने उसके सामने ही अपने साडी उतार दी और सिर्फ ब्लॉउज , पेटीकोट में आ गई। उसने बिना और कपडे पहने पहले अपनी साडी तह की और बैग में रख लिया। उसे ब्लॉउज और पेटीकोट में देख अनुराग ने एक लम्बी सांस ली। उसकी धड़कन तेज हो गई थी। धरड़कन तो वर्षा की भी तेज थी।
उसने प्यार से अनुराग की तरफ देखा और कहा - सप्लीमेंट चाहिए ?
अनुराग - अब डॉक्टर्स कह रहे हैं तो लेना ही पड़ेगा।
वर्षा उठ कर उसके पास पहुंची और हॉस्पिटल का बेड हैंडल घुमा कर उठा दिया। अब अनुराग का सर वर्षा के सीने तक पहुँच गया था ।
वर्षा ने बेड के साइड का सपोर्ट भी हटा दिया और उसके पास जाकर कड़ी हो गई। पास जाकर उसने अपने ब्लॉउज का बटन खोला और अपना एक स्तन निकल दिया। फिर उसने अनुराग के सर को अपने हाथ के सहारे से नजदीक किया। इतना ही काफी था। अनुराग ने लपक कर उसके स्तन को चूसना शुरू कर दिया। वर्षा के स्तन से दूध की धार बाह निकली जिसे अनुराग पीने लगा। वर्षा प्यार से अनुराग के बाल सहलाने लगी। अनुराग उसके सामने एक बच्चा बन गया।
वर्षा - पी जाओ पापा। बहुत दिनों से आपने दूध नहीं पिया है। ये मेरे स्तन भी आपके प्यार को तरस गए थे। उफ़ , आह चूस लो।
अनुराग ने करवट ले लिया था और अपने दुसरे हाथ से वर्षा के पेट और नाभि को सहलाने लगा था।
वर्षा ने अपने दुसरे स्तन को भी बाहर कर लिया और बोली - अब दूसरा भी पीयो। दोनों तुम्हारे हैं।
वर्षा का ब्लॉउज बस कंधे पर किसी तरह से टिका हुआ था। उसने हाथ पीछे करके ब्रा के हुक भी खोल दिए थे।
कुछ देर में खड़े खड़े उसके पैर में दर्द होने लगा तो उसने कहा - अब बस करो। कितना पियोगे। पेट भर गया होगा।
अनुराग ने उसे छोड़ दिया। वर्षा ने अपने ब्रा के हुक को लगा लिया और ब्लॉउज उतार दिया। वो साथ में एक लोअर और टी शर्ट लाइ थी । ऊपर से टी शर्ट डाल लिया। उसने फिर अनुराग के सामने ही अपने पेटीकोट को उतार दिया। अनुराग ने सिर्फ निचे से सिर्फ पैंटी में देखा तो उसने कहा - जरा निचे का भी रस पीला ना।
वर्षा - क्या पापा। अभी रहने दीजिये। तबियत ठीक होने दीजिये।
अनुराग ने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा - इसकी तबियत तो बिगड़ गई है।
वर्षा - इसे तो मैं अभी शांत कर दूंगी।
अनुराग - एक बार दर्शन तो करा दे।
वर्षा - आपकी ही है। घर चल कर जितना दर्शन करना होगाकारा दूंगी।
अनुराग मान गया। वो हॉस्पिटल में कुछ ज्यादा करना नहीं चाहता था।
वर्षा ने निचे लोअर पहन लिया और अनुराग के कमर पर पहुँच कर उसके लंड को निकाल देती है। उसके लौड़े को जोश में देख कर वो बोली - कौन कहता है आप बूढ़े हुए हैं। अभी बाहर ड्यूटी पर मौजूद नर्सों को बोल दूँ तो नंगी होकर चढ़ जाएँगी।
अनुराग - अभी तू तो चढ़।
वर्षा - आज आपको ऐसे ही शांत कर देती हूँ। वैसे कितने दिन हुए इसका माल निकाले।
अनुराग - याद नहीं। बहुत दिन हो गए।
वर्षा ने उसके लंड को सहलाते हुए कहा - नैना के साथ जब घूमने जाते थे तो कुछ नहीं करते थे ?
अनुराग - हम्म। उसने कभी कभी ही हाथ से निकाला होगा। वार्ना हम तो बस बातों में रह जाते थे।
वर्षा मुश्कुराते हुए - मतलब सिर्फ ऊपर से रोमांस।
अनुराग - हाँ।
वर्षा - बड़ी जालिम है वो। बुआ के पास भी कभी लेकर नहीं गई ?
अनुराग - आह , थोड़ा तेज कर न। मुँह में ले।
वर्षा ने मुँह में लेने से कहा - बुआ के नाम पर एकदम से जोश में आ गया।
अनुराग - उनसे भी मिलने का कहाँ मौका मिलता था। एक दो बार ही बस गया था। उफ़ आह। हाँ थोड़ा अंदर तक ले। आह।
वर्षा ने अब अनुराग के लौड़े को तेजी से मुँह के अंदर बाहर करना शुर कर दिया था। वो उसे ज्यादा अंदर नहीं ले रही थी क्योंकि उससे उसे खांसी आ जाती और वो हॉस्पिटल में थी। पर उसने हाथ और मुँह से कमाल करना शुरू कर दिया। कुछ ही देर की पम्पिंग में उसके लंड ने अपना पूरा लोड छोड़ दिया जो सीधे वर्षा के मुँह में था। वर्षा उसे पूरा घोंट गई। उसने अनुराग के वीर्य का एक भी बूँद नहीं छोड़ा ।
स्खलन होते ही अनुराग ने राहत की सांस ली। उसे लगा जैसे बहुत बड़ा बोझ निकल गया हो। वो पूरी तरह से रिलैक्स हो गया। उसकी साँसे जो थोड़ी देर पहले तेजी से चल रही थी वो स्थिर होने लगी। वर्षा ने उसका पैजामा ऊपर किया और उसके बगल में लेट गई। अनुराग ने उसे अपने बाँहों में ले लिया। वर्षा के चूत ने भी अपने आप पानी छोड़ दिया था। दोनों रिलैक्स्ड थे और जल्दी ही गहरी नींद में आ गए थे।
 
Last edited:

Rinkp219

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Awesome update Bhai..... waiting more... anurag shekhar Barsha... double penetrated
 

Premkumar65

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उस दिन के बाद से रूबी अनुराग और वर्षा के बीच में नहीं आती थी। पर रूबी के घर में होने की वजह से दोनों कोई पहल भी नहीं करते थे। पर नैना और अनुराग का प्रेम सबको पता था और अब नैना अनुराग के साथ समय बिताने लगी थी। वो अक्सर शाम को चली आती और अनुराग और वो कहीं बाहर चले जाते। इधर रूबी ने वर्षा को अपने वश में कर लिया था। रात को दोनों बहने आपस में लिपट कर , चूस चाट कर एक दुसरे को खुश कर लिया करती थी। अनुराग और वर्षा का सेक्स तो लगभग बंद ही था। और अनुराग को दूध मिलना कम हो गया था। वर्षा कभी कभार मौका मिलने पर ही उसे पीला पाती। अनुराग की दवायें काफी पहले ही बंद हो गई थी।

घर का माहौल अब खुला था पर उसके कोई फायदा नहीं था। अनुराग के सामने दोनों बेटियां अब खुल कर काम कपड़ो में रहती थी। वर्षा के साथ साथ रूबी भी अब उसके सामने अपने बेटे को दूध पीला देती थी। कभी कभी अनुराग वहां रहता पर अक्सर उठ कर अपने कमरे में चला जाता था। नैना ने उसे सुबह सुबह बाहर टहलने के लिए कहा था। इससे उसका मन भी बहाल जाता और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता। रूबी के आने से पहले भी वो टहलने जाता था। अक्सर वर्षा , अनुराग और उसका बीटा पार्क में जाते थे। वर्षा अपने बेटे को पार्क में खेलने में लगी रहती तो अनुराग पार्क के चक्कर लगा लेता था।
एक दिन रूबी ने उसे पार्क जाते देखा तो उसने कहा - मैं भी चलूंगी। इसी बहाने मेरा शरीर कुछ तो हल्का होगा।
अनुराग ने कहा - चलो।
रूबी ने ट्रैक सूट पहना और चल दी। उसका ट्रैक सूट बहुत टाइट था। ट्रैक सूट में उसका पिछवाड़ा एकदम से बाहर पुरे शेप में आ गया था। ऊपर के टी शर्ट से उसके बड़े बड़े मुम्मे भी फुटबॉल की तरह बाहर उभर आये थे। कुछ देर पार्क में टहलने के बाद रूबी हलकी जॉगिंग वाले मूड में आ गई।
उसने अनुराग से कहा - आप टहलिए मैं दौड़ती हूँ।
जैसे ही रूबी ने दौड़ना शुरू किया , अनुराग के दिल में हलचल होने लगी। दौड़ने की वजह से उसके मुम्मे एकदम उछलने लगे थे। मुम्मे ही क्या उसकी गांड भी एक लय में उछाल मार रही थी। ऐसा नहीं था कि सिर्फ अनुराग कि ये हालत थी। पार्क के बहुत से लोग इस नए उड़ते हुए पंछी को देखने लगे। अनुराग के उम्र के कुछ साथी भी रूबी को ही देख रहे थे। अनुराग के कुछ दोस्त तो नजरें गड़ा कर बैठे थे। अनुराग सब समझ रहा था। उसने रूबी से रुकने को कहा - भाई , साथ आई हो तो साथ में टहलो।
रूबी को लगा कि शायद वो अकेलापन फील कर रहा है। वो रुक गई और साथ में टहलने लगी। अनुराग जल्दी से एक राउंड ख़त्म करके वपस लौटने को सोचने लगा क्योंकि उसके साथ वाले सब आजु बाजू हो गए। कई तो अपना परिचय देने लगे। सभी रूबी के बारे में उससे पूछ रहे थे। ये अनुराग को अच्छा नहीं लग रहा था। क्योंकि बात से ज्यादा सब रूबी के बदन निहार रहे थे। रूबी को भी समझ आ रहा था परोसे मजा भी आ रहा था। उसने कई बुड्ढों को अपना आशिक होते देखा तो खुश हो गई।
अनुराग ने चक्कर ख़त्म होते ही कहा - चलो घर चलते हैं।
रूबी - ठीक है।
घर के पास पहुँच कर अनुराग ने रूबी से कहा - तू थोड़े ढंग के कपड़ो में निकला कर।
रूबी खड़ी हो गई और अपने को आगे पीछे से देखते हुए बोली - क्या कमी है। बढ़िया तो दिख रही हूँ।
अनुराग - हाँ, इतना बढ़िया कि वो बुड्ढे साले जो मुझे सिर्फ हाय हेलो करते थे साथ में वाक करने लगे।
रूबी समझ गई अनुराग क्या कहना चाह रहे हैं। वो हँसते हुए बोली - अरे पापा , बुड्ढों का भी तो दिल होता है। अब आप खुद ही देखो नैना के साथ मजे ले रहे हो। अगर सब मान गए तो शादी भी कर लोगे।

रूबी कि ये बात सुनते ही अनुराग झेंप गया। बल्कि उसे बुरा लगा। रूबी तो मुहफट्ट थी सीधे बोल गई। पर अनुराग को ये बात चुभ गई। वो चुप हो गया। घर पहुँच कर वो सीधे अपने कमरे में पहुँच गया। उसने रूबी और वर्षा से कम बात की। उसे आज अपनी पत्नी सुलेखा की याद फिर से आने लगी। कितना खुश था वो सुलेखा के साथ। लगता था पत्नी नहीं दोस्त हो वो। वो अनुराग के दिल की हर बात समझती थी। नैना भी वैसी ही थी। और वर्षा भी। पर आज रूबी की बात सुनकर उसे एहसास हुआ की वो खुद बूढ़ा हो गया है। नैना और वर्षा के साथ अपने संबंधों पर ग्लानि होने लगी। शाम को जब नैना मिलने आई तो उसने नैना के साथ बाहर जाने से मना कर दिया। बल्कि उसने उसे टाइम भी कम ही दिया और अपने कमरे में ही लेटा रहा। नैना समझ गई जरूर कोई बात हुई है।
उसने वर्षा और रूबी से पूछा तो दोनों ने मना कर दिया। रूबी को तो याद भी नहीं था क्या कहा था उसने। उसने तो बस झोंक में कहा था और भूल गई थी। नैना को लगा शायद कोई और बात होगी। वो वापस चली गई।

अगले दिन अनुराग टहलने नहीं गया। रूबी ने पुछा तो उसने मना कर दिया। वर्षा को लगा शायद तबियत नासाज होगी। दिन भर अनुराग अपने कमरे में ही सुस्त पड़ा रहा। उसने खाना भी कमरे में ही खाया।

रात करीब दो बजे अचानक अनुराग के सीने में दर्द उठा। कुछ देर तो उसने अवॉयड किया पर दर्द जब रुकने का नाम नहीं लिया तो उसने वर्षा को आवाज दिया। वर्षा और रूबी गहरी नींद में थी। अनुराग ने बिस्तर से उठने की कोशिश की तो उठा नहीं गया। उसने सोचा की मोबाईल कॉल करके वर्षा और रूबी को उठा दे। पर पता नहीं क्या हुआ की उसने लास्ट डायल्ड नंबर नैना का देखा तो उसे ही कॉल कर दिया।
नैना ने जब अनुराग का फ़ोन देखा तो तुरंत उठा लिया
अनुराग - नैना , जल्दी आओ। मेरे सीने में दर्द हो रहा है।
नैना - अरे , क्या हुआ ? दर्द कहा हो रहा है ? कोई दवा ली ?
अनुराग - दवाइयां तो मैं अब कोई भी नहीं लेता।
नैना - क्या ? ये कबसे ? दी लोगों को उठाया ?
अनुराग - तुम आ जाओ। उन्हें आवाज दी थी पर लगता है गहरी नींद में हैं।

नैना ने ये सुना तो तुरंत आनन फानन में उठ कर नैट सूट में ही घर से गाडी लेकर निकल पड़ी। उसने लता और शेखर को भी नहीं जगाया वार्ना वो घबरा जाते। रास्ते से उसने वर्षा को फ़ोन मिलाया। पर सच में दोनों गहरी नींद में थी।
जल्दी से वो अनुराग के घर पहुंची और बेल बजाया। दो तीन बार बेल बजने पर वर्षा उठी। रात को दरवाजे पर बजती घंटी सुनकर फटाफट वो पहुंची। सामने नैना को देख वो घबरा गई। वो कुछ पूछ पाती उससे पहले ही नैना बरस पड़ी - घोड़ की तरह तुम दोनों सो रही हो। मामा का कुछ ख्याल भी है ?
वर्षा - क्या हुआ ?
नैना जवाब देने से पहले अनुराग के कमरे में पहुँच गई। उसने अनुराग को पानी दिया और फिर उसका बीपी चेक किया। बीपी काफी बढ़ा हुआ था। नैना ने सोचा कहीं अटैक न हो। उसने कुछ इमरजेंसी मेडिसिन दी। पर दर्द कम होने का नाम ही न ले। अब तक रूबी भी जग गई थी। वर्षा अनुराग की हालत देख रोने लगी थी। नैना ने तुरंत हॉस्पिटल फ़ोन किया और एम्बुलेंस बुला लिया। होसितल पहुँच कर अनुराग को आईसीयु में एडमिट किया गया और उसका चेकअप शुरू हो गया। अनुराग को जिस डॉक्टर ने पहले देखा था उन्होंने वहां के डॉक्टर्स को फ़ोन करके सब बता दिया। नैना खुद भी वहां मौजूद थी। वर्षा और रूबी दोनों घर पर ही थी। शेखर और लता भी वहां आ गए थे। सुबह जब रिजल्ट्स आये तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं थी। कोई अटैक नहीं आया था। बस स्ट्रेस की वजह से पेन था और शायद गैस भी एक कारण था। सुबह तक अनुराग को रूम में शिफ्ट कर दिया। उसे एक दो दिन ऑब्जरवेशन और बाकी टेस्ट के लिए रोक लिया था। सुबह सुबह अनुराग को रूम में शिफ्ट कर दिया गया। मुलाकात के वक़्त रूबी ने तो हिम्मत राखी थी पर वर्षा रोये जा रही थी। रूबी को अब तक अपनी गलती का एहसास नहीं हुआ था। पर वो ये महसूस कर रही थी की शायद उसके द्वारा की जा रही ज्यादतियां भी अनुराग के तबियत खराब होने की वजह हो सकती है।

रात को रुकने के लिए वर्षा , रूबी और लता तीनो बेचैन थे पर नैना ने सबको मना कर दिया और खुद रुक। वो अनुराग के स्ट्रेस की वजह जानना चाह रही थी। अनुराग वो बात या तो वर्षा को बता सकता था या फिर उसे। पर वर्षा तो खुद बुरे हाल में थी।
अनुराग ने नैना से कहा - तूम क्यों रुकी हो ? जीजा जी रुक जाते।
नैना को ये सुनकर थोड़ा अजीब लगा। उसने कहा - ये आपको अचानक से क्या हो गया है ? माँ ने कुछ कहा तो नहीं है ?
उसका शक पहले लता पर ही गया था। अनुराग - नहीं। दीदी से तो इधर बात नहीं हो पा रही है।
नैना ने मुश्कुराते हुए कहा - कहीं ये तो आपके स्ट्रेस की वजह नहीं है ? वर्षा के साथ मिलान हो रहा है ?
अनुराग ने सीरियस होकर कहा - वो सब जो हुआ , गलत हुआ। अब ये सब बातें नहीं होनी चाहिए। तुम भी मेरी चिंता छोड़ दो। अपने लिए कोई बढ़िया लड़का ढूंढ लो।
नैना समझ गई किसी ने तो कुछ कहा है। उसने कहा - अब आप को पसंद किया है तो आप ही मेरे हैं। किसी और के बारे में सोच ही नहीं सकती।
अनुराग - तुम ये केस जिद्द लगा कर बैठी हो ? मैं बूढ़ा हो चूका हूँ। देखो थोड़े से स्ट्रेस पर तबियत ख़राब हो गई। सब परेशान भी हुए। मेरी जिंदगी का क्या भरोसा।
नैना - आपको कुछ नहीं हुआ है। सिर्फ गैस था आप घबरा गए थे। ऐसी स्थिति में किसी का भी बीपी बढ़ सकता है। और देखिये मशीन पर बिना दवाई के भी आपका बीपी अब नार्मल है। बस ऑब्जरवेशन के लिए रखा है। और जहाँ तक रही जिंदगी की बात तो क्या ही भरोसा , मैं ही कल ना रहूं।
अनुराग - बकवास ना करो। तुम्हे कुछ नहीं होगा। तुम सबसे छोटी हो , अपने लिए कोई बढ़िया डॉक्टर पति ढूंढ लो। हमारा रिश्ता वैसे भी गलत है।
नैना - ये क्या गलत सही का रट लगा रखा है ? किसी ने कुछ कहा है आपको। अआप्को मेरी कसम है , सच सच बताइये बात क्या है ?
अनुराग - ये कसम वसम मत दो।
नैना - अब तो है। सच सच बताइये बात क्या है ?
अब अनुराग को रूबी की बात बतानी पड़ी। उसने उस दिन सुबह का वाक्या और रूबी के स्टेटमेंट को भी बताया।
अनुराग - देख कोई भी इन रिश्तों को सही नहीं मानेगा।
नैना - हम्म , ये सब उस चोट्टी रूबी का किया है। मुहफट्ट लड़की को समझ नहीं आता कि क्या सही है और क्या गलत। कुछ भी कहीं भी बोलती है। उसने सबका जीना हराम कर रखा है। उसे सही करना पड़ेगा।
अनुराग - उसकी क्या गलती है।
नैना - आप अभी उसे जानते नहीं। बड़ी कुत्ती चीज है वो। सही कर दूंगी उसे।
अनुराग उसके मुँह से गलियां सुनकर हंसने लगा। बोला - जाने दे।
नैना - आप टेंशन मत लो। एक हफ्ते के अंदर वो आपके निचे नहीं आई तो मेरा भी नाम नैना नहीं।
अनुराग - तुम तो सबको मेरे निचे ले आने पर तुली हो। खुद तो कुछ करती नहीं।
ये सुनकर नैना शर्मा गई। बोली - आप कहिये तो आज रात ही सुहागरात मना लेते हैं।
अनुराग ने उसके हाथ पर किस किया और बोला - अब सुहागरात तो शादी के बाद ही मनेगी।
नैना चहकते हुए - ये हुई न बात। बस इस रूबी कि चूत चुदाई करवा कर माँ से बात करती हूँ।
अनुराग - दीदी तो जीजा को दिलवाये बिना नहीं मानेंगी।
नैना - चिंता ना करो आप। आपके जीजा को भी दूध पिलवाउंगी और रूबी की चूत भी दिलवाऊंगी। बस आप तैयार हो तो।
अनुराग - अब परिवार में किससे किसका पर्दा। जीजा ने इतना किया है तो उनका भी हक़ है। बस किसी के साथ कोई जबरजस्ती न हो।
नैना - किसी के सतह कोई जबरजस्ती नहीं होगी। कल सुबह जिसको भी मैं जो कहूं आप सुनते रहना। चुप रहना बस। अब सब सही कर दूंगी।
अनुराग - तुम मालकिन हो। जो चाहो सो करो।
रात नैना अनुराग के साथ ही सोइ। बस प्यार से एक दुसरे के बाँहों में। शरीर मिला था पर कपड़ों के आवरण के साथ।
Naina Anurag se sab ko chudwana chahti hai par khud nani chudna chahti.
 

Premkumar65

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सुबह जब रूबी , वर्षा , लता और महेश हॉस्पिटल आये तब तक नैना जाग चुकी थी और अनुराग की खातिर में लगी थी। सबने नैना से अनुराग की स्थिति के बारे में पुछा तो नैना ने कहा - अभी ठीक हैं , ध्यान रखना पड़ेगा। मैं आप लोगों को बताउंगी।
वर्षा - ऐसे क्यों कह रही है। सब ठीक है न।
नैना - हां। पर ध्यान नहीं दिया तो आगे खराबी हो सकती है। पापा , आप मामा के पास रुको मैं इन दोनों से से बात करके आती हूँ।
लता - मैं भी चलती हूँ।
नैना - चलो।
नैना तीनो महिलाओं को एक साथ लेकर एक शांत जगह पर ले गई।
वर्षा - बता क्यों नहीं रही है क्या हुआ है पापा को ?
नैना ने रूबी की तरफ देखते हुए कहा - इस मुंहफट की वजह से ये हाल है। इसने उन्हें कुछ कहा था जिसकी वजह से उन्हें सदमा पहुंचा।
रूबी - मैंने क्या कहा था ?
नैना - याद कर टहलते हुए क्या कहा था ?
रूबी को अब याद आया उसने पापा को उम्र को लेकर कहा था। उसे अब समझ आया की उस दिन के बाद से ही अनुराग गुमसुम हो गए थे।
साड़ी बात समझ में आते ही रूबी रोने लगी।
वर्षा - क्या कहा था इस कामिनी ? जब से आई है सबका जीना हराम कर रखा है।
नैना - जो हुआ कोई बात नहीं। इसकी बचपन से आदत है। कोई सुधार नहीं सकता। पर अब ख्याल रखना पड़ेगा।
रूबी रोते हुए - सच में मेरी आदत ख़राब है। मैं वापस चली जाती हूँ।
नैना - जब सबसे ज्यादा उन्हें जरूरत है तो चली जाओ। पर सुधरना नहीं।
रूबी सुबकते हुए - पापा का ख्याल तुम तीनो रख लेना। मेरी वजह से सबको दिक्कत भी है।
लता ने उसे सँभालते हुए कहा - पूरी बात तो सुन ले। बता अभी हालत कैसी है ? दौरा तो नहीं पड़ा था ? बाकि टेस्ट का का क्या रहा ? सब ठीक है ?
नैना ने लम्बी सांस ली और बोली - किस्मत की बात है। अटैक नहीं था। उनका हार्ट ठीक है। बस स्ट्रेस ज्यादा ले लिया था इस लिए बीपी बढ़ गया था। पर उनका कैल्सियम , विटामिन्स के लेवल फिर से वापस एक्सीडेंट वाले टाइम के हो गए हैं।
वर्षा चौंकाते हुए - क्या ?
रूबी - ये भी मेरी वजह से ही होगा।
नैना - शायद। हमें फिर से पुराण ट्रीटमेंट चालू करना पड़ेगा।
ये सुन कर लता और वर्षा के सीने में अजीब सी हलचल हुई। पर उन्होंने नैना की तरफ देखा और फिर रूबी की तरफ। रूबी अनजान बनते हुए नैना की तरफ देख रही थी।
रूबी - क्या मतलब ?
नैना - माँ , वर्षा आप लोग मामा के पास जाओ। मैं इसे समझाती हूँ।
दोनों वहां से चली गेन तो रूबी ने नैना से पूछा - सचमच में सब गड़बड़ है क्या ?
नैना - तुझे क्या लगता है मैं झूठ बोल रही हूँ। तूने अपना खेल खुश ज्यादा ही लम्बा कर दिया ? क्या वर्षा दी और मामा को एकदम मौका नहीं दे रही है क्या ?
रूबी - नहीं। बल्कि हम दोनों बहने एक दुसरे का ~~~
ये कह कर रूबी चुप हो है।
नैना ने सर पीट लिया और बोली - बड़ी कमीनी है तू। तुझे क्या लगा था वो दूध वूध मजाक था था क्या ? तुझे अंदाजा भी है कितना फायदा था उनको। दवाइयां सब बंद हो गईं थी। और इस चक्कर में रेगुलर मेडिसिन भी नहीं ले रहे थे। और ये मजाक मजाक में तूने उनको इतना क्या बोल दिया था ?
रूबी - यार , मजाक कर रही थी। मुझे क्या पता था इतना सीरियस ले लेंगे।
नैना - तुम्हे पता है कि वो इतना मजाक नहीं करते हैं। सबको कितना मानते हैं। बड़ी मुश्किल से वो मेरे करीब आये थे। बाकी सब भी मान गए थे। पर तुमने सब खेल समझ कर खराब कर दिया।
नैना का दुखी चेहरा देख कर रूबी फिर से रोने लगी। वो बोली - यार मुझे माफ़ कर दे। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। मैं तो खुद ही चाहती हूँ तेरी शादी जल्दी से हो जाए। पापा भी खुश रहेंगे। एकदम अकेले हैं। हमारा क्या है , हम तो चले जायेंगे। पर तू ही संभाल सकती है।
नैना चुप रही।
रूबी - आई एम् सॉरी यार। मैं कल ही चली जाउंगी। तुम सब कि ख़ुशी में खलल डालने का मेरा कोई इरादा नहीं है।
नैना - अब जरूरत है तो वापस जाने का बोल रही है। जितना सताया है उसकी भारपाई कर।
रूबी - तुम जो कहुगी सब करुँगी। बस पापा जल्दी से ठीक हो जाएँ।
नैना मुश्कुराते हुए - चलो अब एक कि जगह उनको दो दो ताजी गायों का दूध मिलेगा।
रूबी के चेहरे में मुस्कान आ गई। बोली - और छूट और गांड भी।
नैना - अभी तो पतिव्रता बानी थी। अब सब चीज के लिए तैयार है।
रूबी - हाँ। बसा पापा खुश रहें। अब बुआ से बोलूंगी तुम्हारी शादी भी करवा दें।
नैना - उनकी भी शर्त है।
रूबी - अब मुझे सारी शर्ते मंजूर हैं।
नैना - देख जो भी करना सोच समझ कर करना। तुमने सताया है तो इतनी जल्दी भी नंगी मत हो जाना। आराम से। पर दूध मिलना चाहिए।
रूबी - जो हुकुम मालकिन। आ कर दुह लिया करना।
नैना - अब दूहना है या डाइरेक्ट पिलाना है ये सब तुम दोनों बहने जानों। मेरा जब समय आएगा तो दूध भी निकालुंगी और तुम्हारी गांड भी मरवाउंगी।
रूबी - चल कल करवा दें तेरी शादी।
नैना - पहले उन्हें ठीक होने दो। और सुनो जैसा कि मैंने कहा एकदम से माँ और वर्षा दी के सामने नंगी मत हो जाना। आराम से। धीरे धीरे। पर अब बहुत दिन तक सताना।
रूबी - मतलब चूत देनी है पर पहले दूध देकर स्वस्थ करना है।
नैना हँसते हुए - तू मानेगी थोड़े ही। माँ और दी के साथ संभल कर।
रूबी - जो हुकुम मालकिन।

दोनों फिर अंदर चली गईं। अनुराग ने सभी को कहा कि चिंता वाली कोई बात नहीं है। सब आराम करें। नैना ने सब पहले ही सेट कर रखा था। डॉक्टर्स ने भी उसी हिसाब से समझाया। दो दिन बाद अनुराग को घर लौटना था। अबकी सब बदल जाना था । अनुराग के फिर से मजे होने वाले थे। पर मजा तो शेखर को और लता को आने वाला था।

शेखर ने अलग से नैना से पुछा - क्या हुआ सब ठीक है न।
नैना - हाँ। पर कैल्सियम और विटामिन्स की डेफिसिएंसी वापस से हो गई है।
शेखर ने घूरते हुए नैना से कहा - सच में या अपने प्यार की खुशियों के लिए ?
नैना - मैं रिपोर्ट मैनिपुलेट नहीं कर सकती। सच में उनका ख्याल पहले जैसा रखना पड़ेगा। पर उनसे ज्यादा आपका फायदा है इसमें।
शेखर - मेरा क्या फायदा ?
नैना - इतने भोले मत बनो आप पापा। वैसे सलाह यही दूंगी की आप और माँ अपनी शर्त पर अड़े रहना।
शेखर - कौन सा जिद ?
नैना - मेरी शादी के लिए जो शर्त राखी है।
शेखर ये सुनकर एक्साइटेड होने के बजाय थोड़ा इमोशनल हो गया। उसने कहा - बेटा तेरी ख़ुशी की कोई शर्त नहीं है। तुम और अनुराग दोनों मेरे जिगर के टुकड़े हो। तुम्हारा उसके लिए प्यार मैं तब से जानता हूँ जब तुम्हे इस प्यार का एहसास पहली बार हुआ था। तेरी मामी से मेरी सारी बातें होती थी। वो बहुत अच्छी थी। मुझे पता है तुम भी अनुराग को उतना ही प्यार करती हो। तुम जिस दिन कहो उस डॉन तुम दोनों की शादी करवा दूँ। उसके लिए तेरी माँ से लड़ना पड़े तो भी लड़ लूंगा।
ये सुनकर नैना के आँखों में आंसू आ गए। वो शेखर के गले लग गई। तभी पीछे से लता आ गई।
लता - हमम। क्या हुआ ? बात बेटी इतने इमोशनल क्यों हो रहे हैं।
शेखर - सोच रहा हूँ, अब नैना की शादी जल्दी कर दूँ।
लता - हम्म्म। अब मुझसे भी अनुराग का अकेलापन देखा नहीं जाता।
नैना ये सुनकर चकित हो गई। उसने लता को अपने पास बुला लिया।
लता - मैं तेरी दुश्मन थोड़े ही हूँ। वो भी मेरा भाई है। उसको भी मैं जान से ज्यादा प्यार करती हूँ।
शेखर - ये देखो , मेरा क्या होगा अब ?
नैना - अब तो आपके लिए तीन तीन का जुगाड़ हो गया है।
लता - रहने दे। किसी के साथ कोई जबरजस्ती नहीं। हम ऐसे ही खुश हैं। बस तू खुश रहे।
नैना - अब जुगाड़ हुआ है तो आप और पापा दोनों शराफत दिखा रहे हैं। मैं कौन सा जबरजस्ती कर रही हूँ। वर्षा दी तैयार थी।
लता - रूबी ?
नैना - वो भी मान जाएगी।
लता - सच बता , अनुराग ठीक तो है न ? ये सब कहीं नाटक रूबी की वजह से तो नहीं है ?
नैना - माँ , वर्षा को छोड़ कर आप सब यही पूछ रहे हो। मैं ये जरूर चाहती थी की सब पहले जैसा हो जाए। पर उसके लिए मैं इनके हेल्थ का
रिस्क थोड़े ही लुंगी। आप सब रिपोर्ट देख लेना। और आप सबको उनका ख्याल रखना पड़ेगा।
लता - रूबी माने तो न ?
नैना - उसे मैंने समझा दिया है। थोड़ा सदमे में थी। पर मामा के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार है। अब घर की दोनों गाय तैयार हैं।
लता ने शेखर की तरफ देखा और कहा - आप अपने ऊपर कण्ट्रोल करना। सब नैना और वर्षा पर छोड़ दो और अपने लौड़े को आराम दो।
शेखर - क्या बकवास करती हो। इस बूढ़े को कुछ भी बोलती हो ?
लता - हम्म। ये बूढ़े हैं तो जवान तो बच्चे होंगे। साला मेरी रातों की नींद ख़राब किये रहते हैं।
शेखर - अच्छा जी। अपनी ठरक का कुछ नहीं।
नैना हँसते हुए - आप दोनों लड़ना बंद करो। चलो देख आऊं मामा को।

दोनों मुश्कुरा उठे। वास्तव में नैना अनुराग को बहुत प्यार करती थी। दोनों का मिलान कोई नहीं रोक सकता था। पर ये लड़की अजीब जिद्दी है। खुद को सबसे आखिरी में सौंपने का सोच रखी है और उससे पहले घर की सारी चुतें अनुराग के नाम करवा कर ही मानेगी।
Naina is playing very smart.
 
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