उस दिन के बाद से रूबी अनुराग और वर्षा के बीच में नहीं आती थी। पर रूबी के घर में होने की वजह से दोनों कोई पहल भी नहीं करते थे। पर नैना और अनुराग का प्रेम सबको पता था और अब नैना अनुराग के साथ समय बिताने लगी थी। वो अक्सर शाम को चली आती और अनुराग और वो कहीं बाहर चले जाते। इधर रूबी ने वर्षा को अपने वश में कर लिया था। रात को दोनों बहने आपस में लिपट कर , चूस चाट कर एक दुसरे को खुश कर लिया करती थी। अनुराग और वर्षा का सेक्स तो लगभग बंद ही था। और अनुराग को दूध मिलना कम हो गया था। वर्षा कभी कभार मौका मिलने पर ही उसे पीला पाती। अनुराग की दवायें काफी पहले ही बंद हो गई थी।
घर का माहौल अब खुला था पर उसके कोई फायदा नहीं था। अनुराग के सामने दोनों बेटियां अब खुल कर काम कपड़ो में रहती थी। वर्षा के साथ साथ रूबी भी अब उसके सामने अपने बेटे को दूध पीला देती थी। कभी कभी अनुराग वहां रहता पर अक्सर उठ कर अपने कमरे में चला जाता था। नैना ने उसे सुबह सुबह बाहर टहलने के लिए कहा था। इससे उसका मन भी बहाल जाता और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता। रूबी के आने से पहले भी वो टहलने जाता था। अक्सर वर्षा , अनुराग और उसका बीटा पार्क में जाते थे। वर्षा अपने बेटे को पार्क में खेलने में लगी रहती तो अनुराग पार्क के चक्कर लगा लेता था।
एक दिन रूबी ने उसे पार्क जाते देखा तो उसने कहा - मैं भी चलूंगी। इसी बहाने मेरा शरीर कुछ तो हल्का होगा।
अनुराग ने कहा - चलो।
रूबी ने ट्रैक सूट पहना और चल दी। उसका ट्रैक सूट बहुत टाइट था। ट्रैक सूट में उसका पिछवाड़ा एकदम से बाहर पुरे शेप में आ गया था। ऊपर के टी शर्ट से उसके बड़े बड़े मुम्मे भी फुटबॉल की तरह बाहर उभर आये थे। कुछ देर पार्क में टहलने के बाद रूबी हलकी जॉगिंग वाले मूड में आ गई।
उसने अनुराग से कहा - आप टहलिए मैं दौड़ती हूँ।
जैसे ही रूबी ने दौड़ना शुरू किया , अनुराग के दिल में हलचल होने लगी। दौड़ने की वजह से उसके मुम्मे एकदम उछलने लगे थे। मुम्मे ही क्या उसकी गांड भी एक लय में उछाल मार रही थी। ऐसा नहीं था कि सिर्फ अनुराग कि ये हालत थी। पार्क के बहुत से लोग इस नए उड़ते हुए पंछी को देखने लगे। अनुराग के उम्र के कुछ साथी भी रूबी को ही देख रहे थे। अनुराग के कुछ दोस्त तो नजरें गड़ा कर बैठे थे। अनुराग सब समझ रहा था। उसने रूबी से रुकने को कहा - भाई , साथ आई हो तो साथ में टहलो।
रूबी को लगा कि शायद वो अकेलापन फील कर रहा है। वो रुक गई और साथ में टहलने लगी। अनुराग जल्दी से एक राउंड ख़त्म करके वपस लौटने को सोचने लगा क्योंकि उसके साथ वाले सब आजु बाजू हो गए। कई तो अपना परिचय देने लगे। सभी रूबी के बारे में उससे पूछ रहे थे। ये अनुराग को अच्छा नहीं लग रहा था। क्योंकि बात से ज्यादा सब रूबी के बदन निहार रहे थे। रूबी को भी समझ आ रहा था परोसे मजा भी आ रहा था। उसने कई बुड्ढों को अपना आशिक होते देखा तो खुश हो गई।
अनुराग ने चक्कर ख़त्म होते ही कहा - चलो घर चलते हैं।
रूबी - ठीक है।
घर के पास पहुँच कर अनुराग ने रूबी से कहा - तू थोड़े ढंग के कपड़ो में निकला कर।
रूबी खड़ी हो गई और अपने को आगे पीछे से देखते हुए बोली - क्या कमी है। बढ़िया तो दिख रही हूँ।
अनुराग - हाँ, इतना बढ़िया कि वो बुड्ढे साले जो मुझे सिर्फ हाय हेलो करते थे साथ में वाक करने लगे।
रूबी समझ गई अनुराग क्या कहना चाह रहे हैं। वो हँसते हुए बोली - अरे पापा , बुड्ढों का भी तो दिल होता है। अब आप खुद ही देखो नैना के साथ मजे ले रहे हो। अगर सब मान गए तो शादी भी कर लोगे।
रूबी कि ये बात सुनते ही अनुराग झेंप गया। बल्कि उसे बुरा लगा। रूबी तो मुहफट्ट थी सीधे बोल गई। पर अनुराग को ये बात चुभ गई। वो चुप हो गया। घर पहुँच कर वो सीधे अपने कमरे में पहुँच गया। उसने रूबी और वर्षा से कम बात की। उसे आज अपनी पत्नी सुलेखा की याद फिर से आने लगी। कितना खुश था वो सुलेखा के साथ। लगता था पत्नी नहीं दोस्त हो वो। वो अनुराग के दिल की हर बात समझती थी। नैना भी वैसी ही थी। और वर्षा भी। पर आज रूबी की बात सुनकर उसे एहसास हुआ की वो खुद बूढ़ा हो गया है। नैना और वर्षा के साथ अपने संबंधों पर ग्लानि होने लगी। शाम को जब नैना मिलने आई तो उसने नैना के साथ बाहर जाने से मना कर दिया। बल्कि उसने उसे टाइम भी कम ही दिया और अपने कमरे में ही लेटा रहा। नैना समझ गई जरूर कोई बात हुई है।
उसने वर्षा और रूबी से पूछा तो दोनों ने मना कर दिया। रूबी को तो याद भी नहीं था क्या कहा था उसने। उसने तो बस झोंक में कहा था और भूल गई थी। नैना को लगा शायद कोई और बात होगी। वो वापस चली गई।
अगले दिन अनुराग टहलने नहीं गया। रूबी ने पुछा तो उसने मना कर दिया। वर्षा को लगा शायद तबियत नासाज होगी। दिन भर अनुराग अपने कमरे में ही सुस्त पड़ा रहा। उसने खाना भी कमरे में ही खाया।
रात करीब दो बजे अचानक अनुराग के सीने में दर्द उठा। कुछ देर तो उसने अवॉयड किया पर दर्द जब रुकने का नाम नहीं लिया तो उसने वर्षा को आवाज दिया। वर्षा और रूबी गहरी नींद में थी। अनुराग ने बिस्तर से उठने की कोशिश की तो उठा नहीं गया। उसने सोचा की मोबाईल कॉल करके वर्षा और रूबी को उठा दे। पर पता नहीं क्या हुआ की उसने लास्ट डायल्ड नंबर नैना का देखा तो उसे ही कॉल कर दिया।
नैना ने जब अनुराग का फ़ोन देखा तो तुरंत उठा लिया
अनुराग - नैना , जल्दी आओ। मेरे सीने में दर्द हो रहा है।
नैना - अरे , क्या हुआ ? दर्द कहा हो रहा है ? कोई दवा ली ?
अनुराग - दवाइयां तो मैं अब कोई भी नहीं लेता।
नैना - क्या ? ये कबसे ? दी लोगों को उठाया ?
अनुराग - तुम आ जाओ। उन्हें आवाज दी थी पर लगता है गहरी नींद में हैं।
नैना ने ये सुना तो तुरंत आनन फानन में उठ कर नैट सूट में ही घर से गाडी लेकर निकल पड़ी। उसने लता और शेखर को भी नहीं जगाया वार्ना वो घबरा जाते। रास्ते से उसने वर्षा को फ़ोन मिलाया। पर सच में दोनों गहरी नींद में थी।
जल्दी से वो अनुराग के घर पहुंची और बेल बजाया। दो तीन बार बेल बजने पर वर्षा उठी। रात को दरवाजे पर बजती घंटी सुनकर फटाफट वो पहुंची। सामने नैना को देख वो घबरा गई। वो कुछ पूछ पाती उससे पहले ही नैना बरस पड़ी - घोड़ की तरह तुम दोनों सो रही हो। मामा का कुछ ख्याल भी है ?
वर्षा - क्या हुआ ?
नैना जवाब देने से पहले अनुराग के कमरे में पहुँच गई। उसने अनुराग को पानी दिया और फिर उसका बीपी चेक किया। बीपी काफी बढ़ा हुआ था। नैना ने सोचा कहीं अटैक न हो। उसने कुछ इमरजेंसी मेडिसिन दी। पर दर्द कम होने का नाम ही न ले। अब तक रूबी भी जग गई थी। वर्षा अनुराग की हालत देख रोने लगी थी। नैना ने तुरंत हॉस्पिटल फ़ोन किया और एम्बुलेंस बुला लिया। होसितल पहुँच कर अनुराग को आईसीयु में एडमिट किया गया और उसका चेकअप शुरू हो गया। अनुराग को जिस डॉक्टर ने पहले देखा था उन्होंने वहां के डॉक्टर्स को फ़ोन करके सब बता दिया। नैना खुद भी वहां मौजूद थी। वर्षा और रूबी दोनों घर पर ही थी। शेखर और लता भी वहां आ गए थे। सुबह जब रिजल्ट्स आये तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं थी। कोई अटैक नहीं आया था। बस स्ट्रेस की वजह से पेन था और शायद गैस भी एक कारण था। सुबह तक अनुराग को रूम में शिफ्ट कर दिया। उसे एक दो दिन ऑब्जरवेशन और बाकी टेस्ट के लिए रोक लिया था। सुबह सुबह अनुराग को रूम में शिफ्ट कर दिया गया। मुलाकात के वक़्त रूबी ने तो हिम्मत राखी थी पर वर्षा रोये जा रही थी। रूबी को अब तक अपनी गलती का एहसास नहीं हुआ था। पर वो ये महसूस कर रही थी की शायद उसके द्वारा की जा रही ज्यादतियां भी अनुराग के तबियत खराब होने की वजह हो सकती है।
रात को रुकने के लिए वर्षा , रूबी और लता तीनो बेचैन थे पर नैना ने सबको मना कर दिया और खुद रुक। वो अनुराग के स्ट्रेस की वजह जानना चाह रही थी। अनुराग वो बात या तो वर्षा को बता सकता था या फिर उसे। पर वर्षा तो खुद बुरे हाल में थी।
अनुराग ने नैना से कहा - तूम क्यों रुकी हो ? जीजा जी रुक जाते।
नैना को ये सुनकर थोड़ा अजीब लगा। उसने कहा - ये आपको अचानक से क्या हो गया है ? माँ ने कुछ कहा तो नहीं है ?
उसका शक पहले लता पर ही गया था। अनुराग - नहीं। दीदी से तो इधर बात नहीं हो पा रही है।
नैना ने मुश्कुराते हुए कहा - कहीं ये तो आपके स्ट्रेस की वजह नहीं है ? वर्षा के साथ मिलान हो रहा है ?
अनुराग ने सीरियस होकर कहा - वो सब जो हुआ , गलत हुआ। अब ये सब बातें नहीं होनी चाहिए। तुम भी मेरी चिंता छोड़ दो। अपने लिए कोई बढ़िया लड़का ढूंढ लो।
नैना समझ गई किसी ने तो कुछ कहा है। उसने कहा - अब आप को पसंद किया है तो आप ही मेरे हैं। किसी और के बारे में सोच ही नहीं सकती।
अनुराग - तुम ये केस जिद्द लगा कर बैठी हो ? मैं बूढ़ा हो चूका हूँ। देखो थोड़े से स्ट्रेस पर तबियत ख़राब हो गई। सब परेशान भी हुए। मेरी जिंदगी का क्या भरोसा।
नैना - आपको कुछ नहीं हुआ है। सिर्फ गैस था आप घबरा गए थे। ऐसी स्थिति में किसी का भी बीपी बढ़ सकता है। और देखिये मशीन पर बिना दवाई के भी आपका बीपी अब नार्मल है। बस ऑब्जरवेशन के लिए रखा है। और जहाँ तक रही जिंदगी की बात तो क्या ही भरोसा , मैं ही कल ना रहूं।
अनुराग - बकवास ना करो। तुम्हे कुछ नहीं होगा। तुम सबसे छोटी हो , अपने लिए कोई बढ़िया डॉक्टर पति ढूंढ लो। हमारा रिश्ता वैसे भी गलत है।
नैना - ये क्या गलत सही का रट लगा रखा है ? किसी ने कुछ कहा है आपको। अआप्को मेरी कसम है , सच सच बताइये बात क्या है ?
अनुराग - ये कसम वसम मत दो।
नैना - अब तो है। सच सच बताइये बात क्या है ?
अब अनुराग को रूबी की बात बतानी पड़ी। उसने उस दिन सुबह का वाक्या और रूबी के स्टेटमेंट को भी बताया।
अनुराग - देख कोई भी इन रिश्तों को सही नहीं मानेगा।
नैना - हम्म , ये सब उस चोट्टी रूबी का किया है। मुहफट्ट लड़की को समझ नहीं आता कि क्या सही है और क्या गलत। कुछ भी कहीं भी बोलती है। उसने सबका जीना हराम कर रखा है। उसे सही करना पड़ेगा।
अनुराग - उसकी क्या गलती है।
नैना - आप अभी उसे जानते नहीं। बड़ी कुत्ती चीज है वो। सही कर दूंगी उसे।
अनुराग उसके मुँह से गलियां सुनकर हंसने लगा। बोला - जाने दे।
नैना - आप टेंशन मत लो। एक हफ्ते के अंदर वो आपके निचे नहीं आई तो मेरा भी नाम नैना नहीं।
अनुराग - तुम तो सबको मेरे निचे ले आने पर तुली हो। खुद तो कुछ करती नहीं।
ये सुनकर नैना शर्मा गई। बोली - आप कहिये तो आज रात ही सुहागरात मना लेते हैं।
अनुराग ने उसके हाथ पर किस किया और बोला - अब सुहागरात तो शादी के बाद ही मनेगी।
नैना चहकते हुए - ये हुई न बात। बस इस रूबी कि चूत चुदाई करवा कर माँ से बात करती हूँ।
अनुराग - दीदी तो जीजा को दिलवाये बिना नहीं मानेंगी।
नैना - चिंता ना करो आप। आपके जीजा को भी दूध पिलवाउंगी और रूबी की चूत भी दिलवाऊंगी। बस आप तैयार हो तो।
अनुराग - अब परिवार में किससे किसका पर्दा। जीजा ने इतना किया है तो उनका भी हक़ है। बस किसी के साथ कोई जबरजस्ती न हो।
नैना - किसी के सतह कोई जबरजस्ती नहीं होगी। कल सुबह जिसको भी मैं जो कहूं आप सुनते रहना। चुप रहना बस। अब सब सही कर दूंगी।
अनुराग - तुम मालकिन हो। जो चाहो सो करो।
रात नैना अनुराग के साथ ही सोइ। बस प्यार से एक दुसरे के बाँहों में। शरीर मिला था पर कपड़ों के आवरण के साथ।