Ashadaran updateउस दिन के बाद अनुराग को तो लता के मुम्मे टच करने की इजाजत सी मिल गई थी। वो मौका देखता और अगर वर्षा पास नहीं होती तो लता के मुम्मे दबा देता। मालिश के वक़्त लता उसका मुठ मार देती और पानी निकाल देती थी। वर्षा भी दिन में कई बार उन दोनों को अकेले रहने का मौका दे देती थी।
ऐसे ही रात में वर्षा अनुराग के ऊपर चढ़ कर मालिश करती। और उसका लैंड अपने चूत पर रगड़ कर उसका माल निकाल देती थी। अनुराग ने अभी तक वर्षा के मुम्मे नहीं टच किये थे। वो दोनों के साथ हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहता था। शुरु के दिनों में उसके मन में गिल्ट था पर वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो चूका था और अब वो लता और वर्षा दोनों के सानिध्य को एन्जॉय करने लगा था।
एक दिन ऐसे ही वर्षा को बाजार से कुछ लाना था तो नाश्ते के बाद अपने बेटे को लेकर बाजार चली गई। अनुराग और लता ने भी साथ चलने को कहा तो उसने मना कर दिया। उन दोनों को एक्सीडेंट के बाद घर में अकेले रहने का पहली आर मौका मिला था। सुलेखा के गुजरने के बाद लता अनुराग के साथ घंटों घर में अकेले रहती थी पैट तबमें और अब की भावनाओं में अंतर था। लता ने हमेशा की तरह उस दिन भी साडी पहनी हुई थी। वर्षा के जाने के कुछ देर बाद लता खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। उसके पीछे पीछे अनुराग भी पहुँच गया।
उसे देख लता ने कहा - क्या है ? यहाँ क्या कर रहा है ?
अनुराग ने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके कंधे पर गर्दन रखते हुए बोलै - सोच रहा हूँ थोड़ा मदद कर दू।
लता - चल हट , मुझे पता है तू क्या मदद करेगा।
अनुराग एक हाथ से लता के पेट सहलाने लगा और दुसरे को उसके दोनों मुम्मे के ऊपर रखते हुए उसे जकड लिया।
लता - जा यहाँ से काम करने दे। अभी मालिश के वक़्त तो इन्हे इतना दबाया थ। मन नहीं भरा ?
अनुराग - तुम्हारे दूध से मन नहीं भरता।
लता - चुप रह। वर्षा के दूध दबाया कर, पिलाती भी तो वही है । मेरे दबाने से कुछ न होने वाला।
अनुराग ने अब दोनों हाथों से उसके मुम्मे दबाने लगा। वो बीच बीच में उसके निप्पल भी उमेठ देता। लता ने ब्रा पहनी हुई थी तो निप्पल उमेठने पर ब्रा के कपडे की वजह से उसे दर्द होने लगा।
लता - आराम से कर। ब्रा से रगड़ कर निप्पल छील जायेंगे।
अनुराग - तो ब्रा उतार दो न।
लता - तेरा बस चले तो नंगा ही कर दे।
अनुराग - ये भी आईडिया सही है।
ये कहकर अनुराग ने उसके ब्रा के हुक खोल दिए।
लता - तू नहीं मानेगा।
अनुराग - दीदी , पहली बार तो ऐसा मौका मिला है।
अनुराग ने उसका ब्लाउज उतार दिया और फिर थोड़ा पीछे होकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब लता की साडी का आँचल जमीन पर था, ब्लाउज उतर के स्लैब पर और ब्रा को अनुराग ने उतार कर निचे गिराया तो फ्रिज के बगल में जा गिरा।
अब अनुराग लता के मुम्मे निचोड़ रहा था। कभी वो उन्हें आटे की तरह मथता तो कभी उसके निप्पल निचोड़ता।
लता बस अपने दोनों हाथो को स्लैब पर रख खड़ी सिसकारियां ले रही थी। अनुराग का लैंड अपने पुरे शेप में था और लुंगी से बाहर निकल लता के गांड पर दस्तक दे रहा था।
लता - आह अनु, बसकर न , कुछ गलत हो जायेगा।
अनुराग का खुद पर काबू नहीं था , बोला - होने दो न , अब मत रोको।
लता - तेरी बहन हूँ मैं।
अनुराग लंड को उसके गांड में धकेलता हुआ बोला - दीदी , प्लीज।
लता - नहीं , रुक जा, देख साडी खराब हो जाएगी।
अनुराग ने अपना एक हाथ लता के कमर पर लाकर सामने से उसके साडी की गांठे खोल दीं। लता की साडी भरभरा कर निचे गिर पड़ी। अब अनुराग उसके पेटीकोट के ऊपर से ही गांड पर धक्के लगाने लगा।
अनुराग - दीदी क्या मस्त गांड है तुम्हारी। मन कर रहा है मार लू।
लता - गांड तो तेरे जीजा भी आजतक नहीं मार पाए। जो कर रहा है जल्दी कर।
अनुराग ने उसके पेटीकोट को उठाते हुए कहा - गांड न सही , चूत तो दो न।
लता ने उसके हाथ को रोकते हुए कहा - नही , बस कर भाई। बाहर से ही कर ले। मेरी गांड के फांक में फंसा कर अपना माल निकाल ले।
अनुराग ने दोनों हठी से उसके चूतड़ों को फैला दिया और उनके बीच अपना लंड फंसा कर मारने लगा। लता को पता था ऐसे में अनुराग को देर लगेगी।
उसने कहा - गांड तो वर्षा की भी मस्त है। एकदम सुलेखा की तरह।
अनुराग - सुलेखा की गांड की बात ही अलग थी दीदी। उसे तो गांड मरवाने में बहुत मजा आता था। आह , आह
लता - सही कह रहा है। कई बार तो उसके गांड की चर्चा करके तेरे जीजा भी मेरे गांड पर ऐसे ही माल निकलते थे।
अनुराग - आह आह , लगता है तुम दोनों मियां बीवी ने हमारे नाम से बहुत मजे लिए है।
लता ने अब अपने एक हाथ को पेटीकोट के अंदर किया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। बोली - ओह्ह , इस्सस इस्सस , तुम दोनों की चर्चाएं तो पुरे मोहल्ले में थी। तेरे नाम से भी बहुत औरतें ऊँगली करती थी। औरतें क्या लड़कियां भी। तेरी बहु भी तेरी दीवानी है।
अनुराग तृप्ति का नाम सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगा।
अनुराग - आह आह दीदी ये सब तुम्हे कैसे पता।
लता - नैना और तृप्ति खूब बातें करती थी तेरी। मुझे सब पता है। मेरा तो हो गया भाई। तू जल्दी कर , वर्षा के आने का टाइम हो गया।
अनुराग - आह आह , अपनी चूत में डालने देती तो अब तक हो गया होता न। आह आह।
लता - वर्षा आये तो उसकी चूत मार लेना। बड़ी चुदक्कड़ बनी घूम रही है आजकल।
अनुराग ने स्पीड बढ़ा दी। उसने लता के मुम्मे तेजी से दबाते हुए कहा - मुझे पता नहीं था की घर की औरतें ही मेरी दीवानी बानी घूम रही है। ऐसा ही रहा तो सबको चोद कर उनकी मनोकामना पूरी करनी होगी।
लता - हाँ , चोद देना सबको। साली लड़कियां नहीं रंडी है। ऐसे ही वर्षा की गांड मारना। कुछ दिन में रूबी भी आ जाएगी तो उसकी भी ले लेना।
अनुराग से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसने लता का पेटीकोट उठा लिया और उसके नंगे गांड के बीच में लंड फंसा लिया। बोला - पहले तुम दो।
लता - आह , भाई ये क्या कर रहा है। ये भी कर लिया तो बचा ही क्या है। मेरी चूत तो कब से दीवानी है। इस्स्स्सस्स्स्स
लता के नरमगांड के एहसास से एक दो ही धक्के में अनुराग स्खलित हो गया। उसने जोर से आवाज लगाई - दीदीईईईई , मैं तो गया तुम्हारे मखमली मुलायम गांड पर।
अनुराग अपने आखिरी झटके लेते रहा और अपना माल उसके गांड पर उड़ेल दिया। उसने लता के मुम्मों को जोर से भींच रखा था। कुछ देर बाद जब पूरा पानी बाह गया तो उसका लंड थोड़ा निचे हुआ और उस चक्कर में लता के दोनों टांगो के बीच से चूत की तरफ हो गया। उसके लंड का एहसास होते ही पहले ही कई बार झाड़ चुकी लता एकबार फिर से झाड़ गई। लता के हाथ की ऊँगली चूत से निकल गई और उसने पैरों को जोर से इस तरह दबाया जिससे अनुराग का लंड फंस गया। कुछ देर में लता को लगा की अनुराग का लंड चूत में घुसने वाला ही है।
उसने तुरंत पेअर ढीले किए और धीरे से कहा - कर ली न अपनी वाली।
अनुराग हाँफते हुए बोलै - जब अंदर लोगी तो मेरी वाली वाली होगी।
लता - हम्ममम।
दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे। तभी दरवाजे की बेल बजी। दोनों को अब जाकर एहसास हुआ की कितनी देर से दोनों एक दुसरे में खोये हुए थे। लता ने तुरंत अपनी साडी, ब्लॉउस और पेटीकोट संभाला और कमरे में बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली - अपने लंड को संभाल और दरवाजा खोल। मेरे बारे में बोले तो कह देना कपडे धो रही है
अनुराग ने भी अपने लंड को शांत किए और लुंगी सही करते हुए दरवाजा खोलने चल पड़ा।
Story is going good.वर्षा जब नहाकर ड्राइंग रूम में पहुंची तो देखा अनुराग किसी से बात कर रहे थे। वर्षा को देख कर उन्होंने कहा - लो वर्षा से बात करो।
उसने इशारे से पुछा - कौन है ?
अनुराग - लता दी।
वर्षा ने फ़ोन लिया और म्यूट करके पुछा - मैंने मालिश किया है ये बता तो नहीं दिया ?
अनुराग - नहीं।
वर्षा - ठीक है।
वर्षा फ़ोन लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गई और फ़ोन स्पीकर पर लेकर बोली - हाँ बुआ , अब आपकी तबियत कैसी है ?
लता - ठीक है। खाना बना लिया ?
वर्षा - हाँ, बस रोटी सेकनी है।
लता - आज अनु की मालिश तो नहीं हुई होगी।
वर्षा ने कहा - नहीं।
लता - ये ठीक नहीं है। तू कर देती।
वर्षा - मैंने कहा था। पर पता नहीं आपने क्या जादू किया है , कह रहे थे दीदी आएंगी तभी करवाऊंगा।
लता - मालिश में क्या जादू ?
वर्षा - जादू आपके अंदाज में है लगता है। कह रहे थे मेरी सुलेखा के बाद लता दी से ही मालिश करवाने में मजा आता है।
अनुराग आश्चर्य से वर्षा की तरफ देख रहे थे की वो क्या मजे ले रही है।
लता - तू कहाँ ये ? अनु के सामने तो ये सब बकवास नहीं कर रही?
वर्षा - मैं अपने कमरे में हूँ। वो तो बेटू के साथ खेल रहे हैं ,
लता - ठीक है। सच में अनु ये कह रहा था या तू मजे ले रही है ?
वर्षा - कसम से। मैंने कहा तो कहे तुझसे नहीं होगा। दीदी के हाथों में जादू है। बदन का दर्द भाग जाता है। क्या करती हैं। हाथ से ही करती है न या मम्मी की तरह बदन से बदन लगा कर।
लता - चुप। बहुत बोलने लगी है। भाई है वो मेरा। सुलेखा बीवी थी , वो चाहे मालिश करे या मालिश करते करते चुद जाए, उसकी मर्जी।
न ही वर्षा को न ही अनुराग को ये उम्मीद थी की लता चुदाई वाली बात सीधे सीधे बोल देगी। पर वर्षा ने और मजे लेने को सोचा।
उसने कहा - बदन से मालिश भले न करें पर लगता है बदन दिखा जरूर देती हैं आप ?
लता - अब नीचे बैठ करुँगी तो कुछ तो दिखेगा ही।
वर्षा - कुछ या बहुत कुछ। मालिश करते करते क्या दिखाती थी आप ?
लता - क्या बोल रही है ?
वर्षा - भोली मत बनो। उन्होंने मालिश तो नहीं करवाई पर तुम्हे मिस बहुत कर रहे थे। पक्का तुम्हारे दर्शन को तरस रहे हैं।
लता - तू ही कर देती फिर अपना दिखा के ? दूध तो देती ही है , अपना थन भी दिखा देती।
अब वर्षा की चाल उलटी पड़ गई थी। पर लता की इस बात से वो चिढ सी गई। वो भूल गई की उसका बाप यहीं बैठा है। लता भी लड़ने के मूड में आ गई थी। या हो सकता है इतनी गरम बात से दोनों गरम हो गई हो। खैर इन दोनों की बात कंटिन्यू थी पर अनुराग की हालत ख़राब थी।
लता आगे बोली - दिखा देती तो बछड़े की तरह पीता। क्या पता अपनी प्यास बुझाते बुझाते तेरी प्यास भी बुझा देता।
वर्षा - आप बुझा लेती क्या ?
लता - मेरी प्यास बुझाने को तेरे फूफा हैं पर दे तो ले लुंगी।
वर्षा - वो तो पता है तभी मालिश के बाद बाथरूम में एक घंटे आप नहाती हैं। वो भी पक्का आपके नाम की मारते होंगे।
लता - वो तो तेरे नाम की भी मारता होगा।
वर्षा - एक ये हैं नाम की मारते हैं और एक मेरा भडुआ मर्द है , साला अपनी माँ के अंचल में छुपा रहता है।
लता ने वर्षा के दुखती राग पर हाथ रख दिया था। वर्षा दुखी हो गई। लता को फ़ोन पर समझ तो नहीं आया क्या हुआ पर इधर ना जाने वर्षा क्यों रोने लगी। उसे अपनी बेबसी पर रोना आ गया था। जिसे पहले प्यार करती थी वो उसकी तरफ देखता भी नहीं है। और अब अपने पिता से प्यार कर बैठी जिसका कोई अंजाम नहीं है। वो रोने लगी। उसके रोने की आवाज सुन लता समाजः नहीं पाई। वो वर्षा वर्षा की आवाज लगाती रही। अनुराग को भी समझ नहीं आया की अचानक से क्या हुआ है। वो उठकर वर्षा के पास आये और उसको बाहों में भर लिया। वर्षा पापा पापा कहके लिपट गई। लता को जब लगा की अनुराग भी वहां है तो उसने आवाज दिया - अनु , क्या हुआ वर्षा को ?
अनुराग - कुछ नहीं दीदी। आप फ़ोन रखो बाद में बात करते हैं।
अनुराग ने वर्षा को बाँहों में भर लिया। वर्षा उसके बाँहों में पिघलने लगी। दोनों के शरीर की गर्मी बढ़ती जा रही थी और अंदर प्यास। अनुराग ने वर्षा के माथे को किस करना चाहा पर दोनों के होठ मिल गए। दोनों ने एक दुसरे को किस करना शुरू कर दिया।
तभी वर्षा का बेटा वहां आ गया उसे लगा की उसकी माँ को कुछ हो गया है। वो भी दोनों के पास आकर रोने लगा। उसके रोने की आवाज सुन दोनों को होश आया। अनुराग को अहसास हुआ की उसके कदम बहक रहे थे। वो उठकर अपने कमरे में चले गए। वर्षा ने भी अपने बेटे को गोद में लिया और अपने कमरे में चली गई। दोनों अंदर ही अंदर जल रहे थे पर कुछ कर नहीं सकते थे।
Anurag is having a ball. Every female is ready to go under him.अनुराग को आज जाकर एहसास हुआ कि वर्षा कितनी प्यासी है। वो आश्चर्य कर रहे थे कि इतनी सुन्दर लड़की से कोई कैसे दूर रह सकता है। प्रेग्नेंसी के समय थोड़ी दूरी बनती है पर बच्चा होने के बाद जब औरत का शरीर भरता है तो सेक्स करने में और मजा आता है पर कैसे वर्षा का पति उसे इग्नोर कर रहा है। सच में भंडुआ ही होगा। हो सकता है किसी के साथ अफेयर भी हो। पर वर्षा ने अफेयर कि बात नहीं की।
अनुराग को अपना वक़्त याद आया , उसका प्यार सुलेखा के लिए कभी ख़त्म नहीं हुआ। दोनों पति पत्नी आपस में एक्सपेरिमेंट भी करते थे। दोनों सेक्स के लिए हमेशा भूखे रहते थे। बाहर भले ही डेसेन्ट कपल की तरह हों पर सेक्स के समय कोई पर्दा नहीं होता था। रोल प्ले से लेकर गाली गलौच सब चलता था। हर तरह के ऊट पटांग आसन तक ट्राई करते थे। पर सब आपस में। उनके बीच कभी शारीरिक रूप से कोई दूसरा शामिल नहीं हुआ बातों में भले ही पुरे मोहल्ले भर को चोद लिया हो। एक अपवाद थी वो थी नैना। नैना ही थी जो उनका हर राज जानती थी। वो उन दोनों के बीच किसी न किसी रूप में मौजूद रहती थी पर उन्होंने खुद उसके साथ कभी सम्बन्ध नहीं बनाया। पर वो सुलेखा की जान थी।
उधर लता को आज अफ़सोस हो रहा था की बातों बातों में क्या बोल गई। उसे पता था की वर्षा दुखी है पर इतनी दुखी होगी पता नहीं था। वो चाहती थी की जाकर खुद ही दोनों से माफ़ी मांगे पर तबियत से लाचार थी। डॉक्टर ने पांच दिन का आराम बोला था।
लता और वर्षा के फ़ोन बात चीत के बाद वर्षा अब अनुराग से थोड़ा संकोच करने लगी थी। उसे अंदाजा नहीं था मजाक इस हद तक आगे बढ़ जायेगा। अनुराग ने भी रात को वर्षा के दूध निकलते समय झांकना बंद कर दिया था। अगले दिन वर्षा जब मालिश के लिए आई तो अनुराग ने मना कर दिया । वर्षा ने भी ज्यादा जिद्द नहीं की।
पर जब आग बिलकुल जड़ तक लगी हो तो ऊपर से सिर्फ बुझा हुआ दीखता है। मौका पाकर लपटें फिर से निकल आती हैं। तो ये आग कितने दिनों तक दबती। दो दिन ऐसे ही चला, तीसरे दिन अनुराग नाश्ते के बाद जैसे ही उठे, लड़खड़ा गए। अनुराग ने अपने आपको संभाल लिया। कोई ख़ास बात नहीं थी। पर इस छोटी सी बात ने वर्षा को अपनी गलती का एहसास करा दिया। उसके मन में गिल्ट फीलिंग आने लगी।
उसने तुरंत अनुराग से कहा - आप कमरे में चलिए मैं मालिश करती हूँ। छोड़नी नहीं चाहिए थी। आई एम् सॉरी।
अनुराग - अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वो तो बस थोड़ा बैलेंस बिगड़ गया था।
वर्षा ने मूड हल्का करने के लिए कहा - अब देखिये आपकी सेक्सी बहन तो बीमार है। जब तक वो ठीक नहीं होती मुझे से काम चला लीजिये।
अनुराग भी वर्षा की मालिश को मिस कर रहे थे। दोनों ने एक दुसरे को व्यक्त करने से रोका था पर अंदर के विचार तो गए नहीं थे।
उन्होंने भी उसी रो में जवाब दिया - तू भी कम थोड़े ही है।
वर्षा - अच्छा। मुझे लगा नहीं। वार्ना आप मन क्यों करते।
अनुराग - हम्म।
उस दिन वर्षा ने उसी अदा से मालिश की और अनुराग ने भी पुआ मजा लिया। दोनों की जिंदगी फिर से वापस उसी अंदाज में चलने लगी।
इस बीच में वो लता से मिलने भी गए। लता वर्षा को नार्मल देख काफी खुश थी। दोनों ने लता और उसके परिवार के सामने एकदम बाप बेटी जैसा व्यवहार ही दिखाया। पर लता और नैना जानते थी कि दोनों के बीच में क्या चल रहा है। लता ने कहा दो तीन बाद वो फिर से वर्षा की मदद करने के लायक हो जाएगी।
पांच दिन बाद लता की तबियत जब ठीक हुई तो उसने सुबह ही वर्षा को फ़ोन कर दिया कि वो आज आएगी। वर्षा थोड़ी निराश हो गई। वैसे तो उसे खुश होना चाहिए था पर वो दुखी हो गई।
अनुराग ने फ़ोन काटने के बाद पुछा - किसका फ़ोन था ?
वर्षा - आपकी मालिश वाली आ रही है , वापस मजे देने को।
अनुराग समझ गए वर्षा खुश नहीं है। उन दोनों का खेल बिगड़ने वाला था। वर्षा लगभग रोज उसे उल्टा लिटा कर उसका पानी निकाल देती थी। लता तो शायद ना करे।
वर्षा को मनाने को वो बोल पड़े - अब तो तेरा हाथ न लगे तो लड़खड़ा जाता हूँ। सुलेखा की रात वाली मालिश के बाद नींद अच्छी आती थी।
वर्षा समझ गई। वो अनुराग के गले लग गई। उसने उनके कान में धीरे से कहा - चिंता ना करिया। मैं भी आपको और आपके नन्हे को अच्छी नींद दिलाऊंगी।
अनुराग - पर तेरी मालिश के बाद तो वो जग जाता है।
वर्षा - पर सुलाती भी तो हूँ अंत में।
अनुराग - तेरी बुआ तो न सुला पाएंगी।
वर्षा - बोल कर देखिएगा। भाई का पूरा ख्याल रखती हैं। सुना नहीं चुदने तक को तैयार हैं।
वर्षा चुदाई शब्द फिर से बोल गई थी। उसे जैसा ये रेयलिएज हुआ वो शर्मा गई। वो भाग कर कमरे में चली गई।
कुछ एक घंटे बाद लता आ गई। लता को देखते ही अनुराग को वर्षा की बात याद आ गई। उसने लता को देखा तो सोचने लगा - क्या सच में लता चुद जाएगी।
तीनो ने नाश्ता वगैरह किया। नाश्ते के बाद अनुराग अपने कमरे में चले गए। लता वर्षा से उस दिन के बारे में बात करने लगी।
लता - सॉरी वर्षा , उस दिन फ़ोन पर कुछ ज्यादा ही बोल गई।
वर्षा - अरे बुआ , कैसी बात करती हैं आप ? गलती मेरी है मैंने छेड़ दिया था आपको।
लता - हम्म पर ये बता तू सच में अलग कमरे में ही बात कर रही थी न ? मैंने बड़ा ही उटपटांग बोलै था उस दिन।
वर्षा - हीहीहीहीहीहीहीही। आप तो चुदने तक को तैयार हैं पापा से।
लता ने वर्षा के कंधे पर एक थप्पड़ सा मरते हुए कहा - चुप बहुत बोलती है। वो तो मैं उस दिन जोश जोश में बोल गई थी।
वर्षा - जोश जोश में दिल की बात बाहर आ गई।
लता - चुप। पर भाई भी अकेला है न। कितनी बार तो बोला शादी कर ले , उम्र ही क्या है पर मानता ही नहीं। और तो और कहीं बाहर जाकर मजे भी नही लेता ल वरना यहाँ तो शादी शुदा बाहर मुँह मारते हैं।
वर्षा - वो तो है।
लता - तू ही क्यों नहीं हेल्प कर देती। तू भी तो प्यासी है।
वर्षा - बूआआ
लता - सोच ले। वैसे भी उस दिन सब सुन लिया था अनु ने। उसे भी पता है तू कितनी प्यासी है।
वर्षा - उन्हें ये भी पता है तुम भी चुद जाओगी अगर वो चोदे तो।
लता - तू तो कह रही थी वि हमारी बातें नहीं सुन रहा था।
वर्षा - मैं अपने कमरे में बात कर रही थी। अब वो बाहर से सुन रहे हों तो क्या मालूम। सुना तो होगा ही तभी मेरे रोने पर तुरंत आ गए थे।
लता सोचने लगी। बोली - तूने फंसा दिया। अब क्या मुँह लेकर जाउंगी उसके सामने।
वर्षा - मुँह नहीं दूध लेकर जाना। अभी जो थोड़ा ढका थोड़ा खुला दिखाती हो वो खोल कर दिखा देना।
लता - चुप , अरे उस दिन तो मैंने तेरे दूध वाली बात भी बोल दी थी। वो भी पता चल गया होगा उसे तो।
वर्षा - हो सकता है।
लता - उसने कुछ कहा नहीं तुम्हे ?
वर्षा - कुछ कहा तो नहीं पर अब मेरे दूध की तरफ देखने लगे हैं कभी कभी।
वर्षा ने ये हिंट दे दिया था क्योंकि वो कुछ हो जाने पर लता को सरप्राइज नहीं देना चाहती थी। और उसे लता को भी तैयार करना था। एक बार लता जब अपने भाई के खुदसे और भतीजी से सम्बन्ध पर कोई ऑब्जेक्शन नहीं करती तो अनुराग और नैना के संबंधों पर भी ऑब्जेक्शन नहीं करेगी। पर नैना के लिए लता नहीं अनुराग ही समस्या थे। वो ही नहीं मान रहे थे। पर शायद इस सम्बन्ध के बाद वो मान जाए। इस लिए वर्षा ने डिसाइड किया जितनी जल्दी लता और वो अनुराग से चुद जाएगी उतनी ही जल्दी अनुराग नैना के प्यार को भी स्वीकार कर लेंगे। आखिर इतने सालों से नैना इंतजार जो कर रही है।
वर्षा यही सब सोच रही थी तो लता बोली - कहा खो गई ? कहीं सपने में बाप के गॉड में झूला तो नहीं झूलने लगी ?
वर्षा - मैं तो नहीं पर आप जाओ जल्दी से पापा की मालिश कर दो। वो आपके सपनो में जरूर खोये होंगे।
लता - हाँ करती हूँ। कई दिन हो गए
वर्षा - और सुनो थोड़ा सेक्सी पहन लो। बात तभी आगे बढ़ेगी। मैं कहूं तो अपनी साडी उतार देना सिर्फ ब्लॉउस और पेटीकोट में करो। और ब्लाउज के ऊपर के हुक खोल देना। एकदम मस्त रंडी लगोगी। पापा देख कर चढ़ जायेंगे।
लता – चुप, तेरे मन है तो बन जा बाप की रंडी।
कह कर लता चली गई। वर्षा मन ही मन सोचने लगी - अभी नहीं पर लगता है जल्दी ही पापा की रंडी बन जाउंगी। पर उससे पहले आपको चुदना होगा बुआ। ये सोचते सोचते वर्षा का हाथ खुद ही अपने चूत की तरफ बढ़ गया।
वर्षा से बात करने के बाद , लता अनुराग के कमरे में मालिश के लिए गई। अनुराग ने उसे तेल के सीसी के साथ देखा तो कहा - दीदी रहने दो। अब सब ठीक है। मालिश की जरूरत नहीं है।
लता - तुझे अगर अपनी जरूरतों का पता होता तो ख्याल रख लेता। पर तू खुद को ही इग्नोर करता है।
अनुराग लता की द्विअर्थी बात सुनकर बोलै - तुमलोग हो न ख्याल रखने को फिर किस बात की चिंता।
लता - कुछ ख्याल बीवियां ही रखती हैं। घर की बहन बेटी सब नहीं कर सकती।
अनुराग - हम्म
अनुराग कुर्सी पर लुंगी में बैठ गए। लता अपने पुराने अंदाज में साडी को घुटनो तक मोड़ कर और कमर में खोंस कर मालिश करने लगी। उसके गोरे गोरे पैर और ब्लाउज से झांकते मुम्मे देखते ही अनुराग को उसके फ़ोन वाली बात याद आ गई। उसका लंड अंगड़ाइयां लेने लगा। आज लता भी कुछ कदम आगे बढ़ने के मूड में थी। वर्षा से बात करने के बाद उसका मन पहले ही बहक चूका था। पैरों में तेल लगाते लगाते उसने जानबूझ कर थोड़ा सा तेल अपने साडी पर गिरा लिया।
साडी पर तेल गिरता देख अनुराग बोला - अरे देखो साडी खराब न हो जाये।
लता - ओह्ह , आज तो एक्स्ट्रा साडी लेकर भी नहीं आई।
लता जबकि अपने कुछ सेट कपडे हमेशा घर में रखती थी। हफ्ते में एक आध बार अपने यहाँ से बदल लेती थी। पर आज वो सफ़ेद झूठ बोल गई।
उसकी बात सुन अनुराग बोला - साडी उतार दो न , वार्ना खराब हो जाएगी।
लता - सही कहता है।
लता ने उसके सामने ही अपनी साडी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में आ गई। जैसे ही वो निचे दोबारा पैरों के पास बैठी , उसका ये रूप देख अनुराग की धड़कन तेज हो गई। उसका लंड लुंगी से बाहर आने को तैयार हो गया। अनुराग का मन कर रहा था बस अब अत को बिस्तर पर पटक कर पेल दे। पर वो ये सब कुछ नहीं कर सकता था। वो जानता था की ये सब होगा पर समय के साथ। लता चुदेगी जरूर और वो समय जल्दी ही आएगा।
लता के आधे से अधिक मुम्मे ब्लाउज से बाहर आ रहे थे। अनुराग लगातार उसके छाती की तरफ ही देख रहा था। उसकी नजरो की वजह से लता की धड़कन भी तेज थी। दो तीन बार लता की नजरों जब अनुराग की मजरों से मिली तो वो उसे अपनी छाती चुराती हुई पाई।
लता ने आखिरकार पूछ ही लिया - ऐसे क्या देख रहा है ?
अनुराग सकपका गया। उसने कहा - कुछ नहीं दीदी
लता - सब पता है।
अनुराग - हे हे हे हे , तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।
लता - इससे पहले सुन्दर नहीं लगती थी क्या ?
अनुराग - ऐसा नहीं है , पर इस तरह से पहली बार देखा है न।
लता - पर तेरी सुलेखा से सुन्दर कोई नहीं हो सकता।
अनुराग सोच में पड़ गया। उसे सुलेखा और वर्षा दोनों की याद आ गई।
लता - सुन एक बात बता।
अनुराग - पूछो न दीदी
लता - तुमने उस दिन मेरी और वर्षा की बात सुन ली थी क्या ?
अनुराग अनजान बनते हुए पुछा - किस दिन ?
लता - अरे उसी दिन जिस दिन वर्षा रो पड़ी थी।
अनुराग - ओह्ह्ह , उस दिन।
फिर कुछ सोच कर बोला - हाँ थोड़ी थोड़ी बात सुनी थी।
लता - वो भी सुना था क्या ?
अनुराग - क्या ? क्या सुना था ?
लता उठ खड़ी हुई और अनुराग की पीछे आकर बोली - वो चुदाई वाली बात।
उसने हाथों में तेल लिया और कंधे पर तेल लगाना शुरू कर दिया।
अनुराग - ओह्ह , हम्म सुना था। मुझे पता है आप दोनों गुस्से में ऐसे बात करने लगे थे। ऐसा हो थोड़े ही सकता है।
लता - क्या ?
अनुराग - वही की आप मुझे दे देंगी।
लता का हाथ काँप रहा था। उसने अनुराग के पीठ पर तेल लगाते हुए कहा - तू मांगेगा थोड़े ही।
अनुराग - हम्म्म
लता - तूने दूध वाली बात भी सुन ली थी ?
अनुराग - हाँ ,मुझे वैसे पहले ही पता चल गया था की वर्षा अपना दूध पीला रही है ।
चुदाई की बात फिर वर्षा के दूध की बात, ये सब सुन अनुराग का लंड एकदम तैयार था। अनुराग का हाथ बार बार वहीँ जा रहा था।
लता ये देख हँसते हुए बोली - देख तेरा हाथ काबू में नहीं है। शादी कर ले। बहन और बेटी को सोच कर मुठ नहीं मारना पड़ेगा।
लता ने अब मुठ मारने की बात भी कर ही दी थी।
अनुराग - तुम भी मुझे सोच तो ऊँगली करती हो। तुम्हारी तो शादी हो गई है।
लता अब शर्म से पानी पानी हो गई। उसने मालिश बंद कर दी और साडी पहनने लगी। अनुराग उठ गया। उसने लता का हाथ पकड़ लिया और कहा - मुझे माफ़ कर दो। प्लीज नाराज मत हो।
लता ने तुरंत उसे गले लगा लिया और कहा - अरे तुझसे नाराज नहीं हो सकती मैं। नाराज होती तो साडी उतार कर मालिश करती क्या ? बहुत प्यार करती हूँ। तुझे अकेला देख कर बहुत बुरा लगता है। तू शादी क्यों नहीं कर लेता ? कब तक तड़पेगा ?
अनुराग का लंड उसके चूतसे सटा हुआ था। उसके मुम्मे अनुराग की छाती पर दबाव बना रहे थे। धड़कने दोनों की तेज थी।
अनुराग - शादी कर लेता तो तुम मेरे पास आती ?क्या तुम मेरी मालिश करती ? वर्षा मेरे पास होती ? तुम सबका इतना प्यार मिलता ? मुझे ये प्यार नही बाटना है दीदी।
लता रोने लगी। बोली - तू पागल है।
अनुराग के आँखों में भी आंसू आ गए। बाहर वर्षा जो इस कमरे में कान लगाए बैठी थी , उसके आँखों में भी आंसू आ गए।
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद लता ने अपने चूत के आगे मडराते लंड को महसूस करके बोला - और तेरे छोटू का क्या ? देख कितना बेचैन है ?
अनुराग - जैसे मेरी मालिश करती हो उसकी भी कर दो।
वर्षा - धत्त।
अनुराग ने लता का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। लता ने भी लुंगी के अंदर हाथ डाल उसे पकड़ लिया। अनुराग ने लता को कंधे से पकड़ा और कमरे के दिवार से टिका दिया। उसने अपने होठ लता के होठ से सटा दिए। दोनों एक दुसरे को चूमने लगे। अनुराग ने अपने हाथ लता के मुम्मो पर रख दिया। लता का हाथ उसके लंड पर मुठी बांधे हुए था जिसमे अनुराग ने धक्के लगाने शुरू कर दिए। अनुराग लता की चूत में तो नहीं पर उसके हाथ में ही धक्के लगाए जा रहा था। बाहर से लग रहा था जैसे वो लता को खड़े खड़े चोद रहा हो पर वो उसके हाथ चोद रहा था।
लता - तुमने पहले क्यों नहीं बताया , इतना प्यार करता है।
अनुराग - डरता था , कहीं नाराज न हो जाये।
लता - तू पागल है। पहले बता देता तो इतना नहीं तड़पना पड़ता।
अनुराग ने धक्के तेज कर दिए। कहा - अब बता दिया न।
लता - हाँ अब तो तेरा ख्याल रखने को मैं भी हूँ और वर्षा भी। वो बेचारी तो खुद ही तड़प रही है। बहुत प्यासी है।
अनुराग वर्षा के नाम को सुन कर तेज धक्के लगाने लगा। बोला - पता है। उसकी भी तड़प दूर कर दूंगा।
लता - आह हां। पेल दो सुलेखा समझ उसे पेल दो।
अनुराग - दीदी दीदी , आह सुलेखा तुम्हारी बात माननी ही पड़ेगी अब मैं वर्षा, रूबी , नैना और तृप्ति सबको पेल दूंगा। आह आह आह। मैं गयाआआ।
अनुराग झटके लेने लगा और उसके के लंड ने कई पिचकारी की धार लता के पेटीकोट पर मार दी। लता कहाँ साडी बचाने चली थी उसका तो पेटीकोट ही ख़राब हो गया। उसके हाथ में भी ांरग का वीर्य लग गया। वर्षा ने अपने हाथ पर लगे वीर्य को देखा और फिर चाट लिया।
अनुराग - सॉरी।
लता - किस लिए ?
अनुराग - सबके नाम लेने के लिए।
दरअसल अनुराग को सुलेखा के आखिरी समय की बातें याद आ गई थी और उसी रो में वो सबको पेलने की बात कर गया। लता को ये सब पता नहीं था। उसने हँसते हुए कहा - होता है। तेरे जीजा तो मुझे चोदते समय ना जाने किसका किसका नाम लेते हैं।
अनुराग - इन सबका भी ?
लता - ये तो कॉमन नाम है। उनका बस चले तो काम वालियों से लेकर मोहल्ले की हर औरत को पेल दे।
लता फिर बोली - चल आज तो पुरे बदन की मालिश हो गई। तेरे छोटे की भी। जा नहा ले। और सुन अब मुठ मारने की जरूरत नहीं है न ?
अनुराग - नहीं , मुझे तो नहीं है। तुम तो ऊँगली करोगी ?
लता - पागल है क्या ? मेरी चूत तो कब का बाह चुकी है। कपडे बदलने पड़ेंगे बस।
अनुराग - तुम्हारे पास हैं ? नहीं तो सुलेखा की पहन लेना।
लता - तू बुद्धू है। मेरे कई जोड़ी कपडे यहाँ होते हैं। हाहाहाहाहा
अनुराग को अब समझ आया।
लता बाहर आई तो वर्षा वहीँ कोने में खड़ी थी। लता - देख लिया ? खुश ? यही चाहती थी न ?
वर्षा - आप बड़ी बड़ी रंडी हो।
लता - तुझसे कम । चल खाने की तैयारी कर। भाई को पौष्टिक खिलाना होगा।
वर्षा - देती तो हूँ रोज अपना पौष्टिक दूध। नीचे का माल भी देना होगा क्या ?
लता - दे दे तो हरा हो जायेगा मेरा भाई।
वर्षा - मेरा तो पता नहीं पर जल्दी ही आप हरा कर दोगी उन्हे।
लता बाथरूम में चली गई। वर्षा किचन में जाकर सोचने लगी। अब उसके लिए भी रास्ता खुल गया है। उसे ये सुन आश्चर्य हुआ की उसके पापा न सिर्फ उसे बल्कि परिवार की हर औरत को चोदने को तैयार थे। उसे ये खबर नैना को देनी थी। सबसे बड़ी ख़ुशी तो उसके लिए थी।
Woww very erotic update.उस दिन अनुराग और लता बहुत खुश थे। इस बात को वर्षा ने नोटिस किया। वो वैसे तो अपने पिता के लिए खुश थी पर पता नहीं बुआ से जलन सी हो रही थी। इसी जलन में थोड़ा दुखी भी थी। उसने आज दिन में अनुराग के साथ ज्यादा समय नहीं बिताया बल्कि ज्यादातर अपने कमरे में ही रही। अनुराग ने एक आध बार पुछा तो उसने तबियत नासाज होने की बात बोल दी। शाम को उसने दूध भी अकेले में पहले ही निकाल दिया और लता को बता दिया की दूध रखा हुआ है। लता रात के खाने से पहले ही अपने घर चली गई।
वर्षा ने भी शाम जल्दी खाना बनाकर अनुराग से खाने को कहा। अनुराग ने जब खाने की बात सुनी तो उसने कहा - इतनी जल्दी , तेरी तबियत ठीक नहीं हुई ?
वर्षा - नहीं आज थोड़ा बदन दर्द कर रहा है।
अनुराग ने निराश होते हुए कहा - ठीक है , कोई बात नहीं। तुम आराम करो मैं खाना खा लूंगा।
वर्षा ने अनुराग के लटके चेहरे को देख कर कहा - अरे आप क्यों परेशान हैं, मैं ठीक हो जाउंगी।
अनुराग - हां , पर मुझे लगा था आज रात मालिश करोगी तुम।
वर्षा को ये सुन आश्चर्य हुआ। पर अंदर से जली बैठी थी। उसने कहा - आज आपको क्या जरूरत है ? बुआ ने तो आपने हर अंग की मालिश कर ही दी है।
अनुराग को अब समझ आया की माजरा क्या है। वो समझ गया की वर्षा के अंदर लता के प्रति ईर्ष्या है।
उसने कहा - पर तेरी बात अलग है। तेरे हाथो में सुलेखा जैसा जादू है।
अपनी तारीफ सुन वर्षा खुश हो गई। उसने कहा - चलिए खाना खाते हैं। उसके बाद तबियत ठीक लगेगी तो मालिश कर दूंगी ।
अनुराग खुश हो गए। दोनों ने फटाफट खाना ख़त्म किया। वर्षा ने कहा - वो बेटु को सुलाकर उसके पास आएगी।
अनुराग अपने कमरे में चले गए। लगभग आधे घंटे बाद वर्षा कमरे में दूध का गिलास और कटोरी में तेल लेकर आई। उसने अपनी माँ की एक डिज़ाइनर नाइटी पहन रखी थी। नाइटी साटन कपडे की थी जो की घुटनो के ऊपर तक ही थी। कंधे पर वो एक धागे के सहारे से लटकी थी। नाइटी के ऊपर एक गाउन टाइप का कपडा था जो की उसने कमर से लटके धागे से बाँध रखा था। ये नाइटी अनुराग की वाइफ सुलेखा की थी। ज्यादातर ऐसी नाइटी इंटिमेट नाइट्स के लिए होते हैं जो की न्यूली वेड्स पहनती हैं। पर सुलेखा आखिर समय तक ऐसी नाइटी पहनती थी। उसने ऐसी नाइटी अपने बदलते शरीर के साथ साथ अपने साइज के हिसाब से खरीदना चालू रखा था। वर्षा को ये परफेक्ट आ रही थी। वर्षा ने ऊपर ब्रा तो नहीं पहना था पर निचे एक थोंग डाल रखा था।
उसके अनुराग को ग्लास में दूध दिया , जिसे अनुराग ने वर्षा के मुम्मे देखते देखते पीता रहा। अनुराग को अपने मुम्मे की तरफ देखते हुए वर्षा ने कहा - बुआ के देख कर मन नहीं भरा जो मेरे देखे जा रहे हो ?
अनुराग - मैं तो बस ताजे दूध के स्वाद की तारीफ करना चाह रहा था। आज तुमने डेयरी से दूध पहले ही मंगा लिया था।
वर्षा - रोज डेयरी से दूध निकलते हुए देखना ठीक नहीं है। वैसे भी गाय जब सामने हो तो क्या ही छुप कर देखना।
अनुराग - हम्म्म
वर्षा - अब दूध और दूधवाली की तारीफ की करेंगे या मालिश करवाएंगे ?
अनुराग ने फटाफट दूधखतम किया और कहा - अरे उसी का तो इंतजार कर रहा हूँ।
वर्षा - ठीक है लेट जाइये।
अनुराग - पर ये नाइटी का गाउन ख़राब हो जायेगा। माँ ने संभल कर राखी थी ये नाइटी तुम पर जाँच रही है। क्यों इसे खराब करना।
वर्षा - जैसे बुआ की साडी बचाई आपने आज ?
अनुराग - हीहीहीहीही। तेरी बुआ का क्या कहना।
वर्षा - हाँ , क्या ही कहना उनका।
उसने नाइटी के ऊपर का गाउन उतार दिया। बात चीत की गर्मी और माहौल की वजह से वर्षा के निप्पल एकदम एरेक्ट थे। गाउन हटने के बाद वो आधे से अधिक नुमाया थे। वर्षा ने अनुराग के पैरों की मालिश शुरु की। उसने अनुराग के लुंगी को जांघों तक समेट दिया था और पुरे पैरों की मालिश करने लगी थी। झुकने की वजह से उसके मुम्मे लगभग पुरे दिख रहे थे। कई बार तो हिलने से निप्पल तक की झलक मिल जा रही थी। नाइटी की डोरी कई बार तो कंधे से सरक जाए और उस समय उस साइड के बूब पूरी तरह दिख जाता। ये सब देख अनुराग का लैंड पूरी तरह से खड़ा था और आज अनुराग ने उसे शांत करने की कोशिश भी नहीं की। उसके दिमाग में था की हो सकता है लता की तरह वर्षा भी ब्लोजॉब दे दे। पर वर्षा कहतरनाक खेल खेल रही थी। कुछ देर पैरों और जांघों की मालिश करने के बाद वर्षा ने अनुराग से कहा। आप पेट के बल हो जाइये। पीठ और कमर की मालिश भी कर देती हूँ।
अनुराग जैसे ही पीठ के बल लेटे वर्षा ने ने तेल की धार पुरे पीठ पर डाल दिया। अनुराग इंतजार कर रहे थे की वर्षा अब मालिश शुरू करेगी। तभी उसे महसूस हुआ वर्षा उसके कमर पर बैठी है। उसने चेहरा मोड़ कर देखा तो वर्षा उसके कमर के ऊपर दोनों तरफ पेअर करके बैठी थी। उसकी नाइटी कमर पर सिमटी थी और उसकी चिकनी जांघ दिख रही थी।
वर्षा ने मुश्कुराते हुए कहा - मैं भारी तो नहीं लग रही न डैडी ?
अनुराग - अरे नहीं। बिलकुल नहीं। तेरी माँ भी ऐसे ही करती थी।
वर्षा - माँ की तरह शायद न कर पाऊ। पर मुझे लगा ऐसे ठीक से पुरे पीठ और कंधे की मालिश कर पाऊँगी। साइड भी नहीं बदलना पड़ेगा। हाथो का जोर भी पूरा पड़ेगा।
अनुराग हाँफते हुए - हाँ हाँ। एकदम सही रहेगा।
उसका लंड थोड़े अजीब डायरेक्शन में फंसा हुआ था तो उसने अंदर हाथ डालने को कोशिश की।
वर्षा ने अपना कमर थोड़ा ऊपर उठा लिया और कहा - सही ढंग से एडजस्ट कर लीजिये। बाबू की भी मालिश हो जाएगी।
अनुराग ने अपना लंड अपने पेट के सीध में कर दिया। अब वर्षा उसके कंधे से लेकर पीठ तक मालिश कर रही थी। उसकी नाइटी कमर से हटी हुई थी और उसकी छूट और गांड अनुराग के पिछवाड़े से एकदम सत्ता हुआ था। अनुराग ये अपने लुंगी के ऊपर से भी महसूस कर रहा था। अब मालिश करते करते वर्षा अपने कमर से अनुराग के कमर को रगड़ रही थी। लग रहा था वर्षा उसके ऊपर चढ़ कर चोद रही हो।
सुलेखा ऐसे समय में पूरी तरह से नंगी होती थी और अनुराग के पीठ से अपने पेट और मुम्मे से मेलश करती थी। पीठ पर करने के बाद पेट पर फिर आखिर में उसकी सवारी करते करते वो चुद जाया करती थी। अनुराग को पता नहीं था वर्षा क्या करेगी। पर वर्षा अपने सिर्फ हाथो से मालिश कर रही थी और कमर भी पीछे पैठ कर हिला रही थी। इतना भी अनुराग के लिए काफी था। वो आँख बंद करके वर्षा के नरम चूत और गांड को अपने ऊपर महसूस कर रहा था। लैंड आगे पीछे होने से जो घर्षण हो रहा था वो लगभग चुदाई जैसा ही था। बस अंतर था की डायरेक्ट गद्दे पर हो रहा था।
जब अनुराग को लगा की उसका लंड जवाब दे रहा है तो उसने कहा - वर्षा बेटी रोज रोज चादर क्यों ख़राब करना ?
वर्षा - तो फिर डैडी , क्या कारु ?
अनुराग - मुझे सीधा हो जाने दे न। वैसे भी चादर से घिस कर निचे दर्द सा हो रहा है।
वर्षा ये सुनते ही फुआरण बोली - अरे , पहले बोलना था न की दर्द हो रहा है। आप सीधे हो जाइये मैं उठ जाती हूँ। वैसे भी मालिश ख़त्म है।
अनुराग - नहीं तुम मतलब नहीं समझी , मैं सीधा हो जाता हूँ तुम मालिश करते रहना।
वर्षा - पर मालिश तो हो ही गई है।
अनुराग - थोड़ा मेरे सीने पर भी तेल लगा देना और छोटे की मालिश।
वर्षा - ओह्हो , हम्म। मैं बुआ जैसे तो नहीं कर पाऊँगी।
अनुराग - तुम जैसे कर रही हो वैसे ज्यादा सही है।
वर्षा यही तो चाहती थी . उसने कहा - पर चादर की जगह आप नाइटी न खराब कर दें।
अनुराग - तुझे नइ नाइटी और कपडे दिला दूंगा।
वर्षा घुटनो के बल वही कड़ी हो गई। अनुराग झट से पीठ के बल हो गया। पर पलटते ही उसका लंड एकदम सीधा हो गया। वर्षा ने नीचे इशारा करते हुए कहा - इसे तो सम्भालिये, अंदर न चला जाये कही। अनर्थ हो जायेगा।
अनुराग - अब तुम्ही सम्भालो।
वर्षा ने अपने हाथ से अनुराग का लंड पकड़ लिया और पेट के बल सीधा करके उसके ऊपर बैठ गई। उसने अनुराग के लंड को पैंटी के ऊपर से अपने चूत पर सेट कर दिया। ऐसा करते हो दोनों ने जोरदार सिसकी ली। अनुराग को लगा उसका लंड पानी छोड़ देगा। वर्षा की पैंटी पहले से गीली हो राखी थी। उसकी नाइटी वापस कमर तक आ गई थी। उसकी चिकनी जांघ सामने थी। अनुराग ने अपना हाथ बढ़ा उसे टच कर लिया। वर्षा ने कुछ नहीं कहा। उसके नाइटी की एक डोरी कंधे से सरक चुकी थी जिसे उसने हटाने की भी कोशिश नहीं की।
वर्षा ने थोड़ा तेल अनुराग के सीने पर लगा और अपने कमर को आगे पीछे करते हुए तेल लगाना शुरू कर दिया।
चूत पर लंड के रगड़ खाते ही वर्षा की आँखे बंद हो गई। वो वैसे भी इस स्थिति तक आ तो गई थी पर अपने पिता से नजरे नहीं मिलाना चाहती थी। अनुराग उसके चिकनी जांघ पर हाथ फेर रहा था और मस्त निगाहों से उसके छाती के नज़ारे देख रहा था।
वर्षा कमर हिलाते हुए - पापा मैं मालिश ठीक कर रही हूँ न ?
अनुराग - हां बेटी , बहुत बढ़िया। मजा आ रहा है।
वर्षा - आह आह , पापा अब आपके लंड में दर्द तो नहीं है न ?
अनुराग - ना , मेरा लंड तेरी चूत से मालिश करवा एकदम फिट हो गया है।
दोनों ने लंड और चूत की बात शुरू कर दी थी। दोनों पर खुमारी छा चुकी थी।
अनुराग - तेरी चूत को परेशानी नहीं है न ?
वर्षा - नहीं डैडी , वो तो अपने पापा से गले लग कर रो रही है। ऐसा प्यार पहले क्यों नहीं मिला।
अनुराग - तू कहे तो ऐसा प्यार रोज कारु
वर्षा - इस्सस , आह , हाँ पापा मुझे लगता है ऐसा अब रोज करवाना पड़ेगा।
वर्षा ने झटके तेज कर दिए थे। उसने अपने कमर को जोर से इस तरह दबाया हुआ था की अनुराग कुछ नहीं कर पा रहे थे। अनुराग की लुंगी हट चुकी थी और उसका लंड डायरेक्ट पैंटी के ऊपर से उसकी चूत से रगड़ खा रहा था। अनुराग को पूरा मजा मिल रहा था।
वर्षा - आह आह पापा , आपकी मालिश हो गई हो तो बताइयेगा।
अनुराग को बस कुछ ही क्षण चाहिए थे। उसने कहा - बस , थोड़ा औ। तेज कर न। खुश कर दे अपने पापा को
वर्षा - आह आह पापा , आपकी बेटी आपको खुश करने के लिए ही है। आह आह ।
कुछ ही झटको में अनुराग के लंड ने पानी छोड़ दिया। अनुराग के वीर्य के धार के स्पर्श से वर्षा की चूत भी बह निकली। वर्षा का पूरा शरीर आनंद से कांपने लगा। उसने अपने हाथो से अपने मुम्मे पकड़ लिए और पापा पापा कहते हुए झटके अनुराग के ऊपर कांपने लगी। मुम्मे दबाने की वजह से उसके मम्मो से दूध की धार बह निकली।
अनुराग - लगता है गाय बिना दुहे दूध देने को तैयार है।
वर्षा - सांड अगर ऐसे ही लंड हिलायेगा तो गाय थन से दूध ही नहीं चूत से पानी भी छोड़ेगी।
अनुराग - पिलाये तो दूध पानी सब पी जाएँ हम तो।
वर्षा शर्माते हुए अनुराग के ऊपर से उठ गई। और खड़ी होकर अपनी पैंटी निकाल देती है और अनुराग के तरफ फेंकते हुए कहती है - इसे आपने गन्दा किया है , आप ही धोइयेगा। और हाँ दोबारा गन्दा मत करियेगा। कह कर वो अपने कमर मटकाते हुए चल देती है।
दरवाजे पर रुक कर कहती है - पिलाने के लिए आपकी बहन है न। उसकी चूत भी बहुत बहती है। कहियेगा तो पीला देगी। प्यार से कहियेगा तो चटवा कर डायरेक्ट भी पीला देगी।
अनुराग - मुझे तो तुम्हारा पीना है।
वर्षा - एक चीज पी रहे हैं न।
वर्षा अपने कमरे में चली जाती है। अनुराग वर्षा के पैंटी को सूंघते हुए बाथरूम में जाते हैं और उसकी पेंटी को रगड़ कर साफ़ करने के बाद वहीँ बाथरूम के हेंगर पर टांग देते हैं।
Nice updateउस दिन के बाद अनुराग को तो लता के मुम्मे टच करने की इजाजत सी मिल गई थी। वो मौका देखता और अगर वर्षा पास नहीं होती तो लता के मुम्मे दबा देता। मालिश के वक़्त लता उसका मुठ मार देती और पानी निकाल देती थी। वर्षा भी दिन में कई बार उन दोनों को अकेले रहने का मौका दे देती थी।
ऐसे ही रात में वर्षा अनुराग के ऊपर चढ़ कर मालिश करती। और उसका लैंड अपने चूत पर रगड़ कर उसका माल निकाल देती थी। अनुराग ने अभी तक वर्षा के मुम्मे नहीं टच किये थे। वो दोनों के साथ हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहता था। शुरु के दिनों में उसके मन में गिल्ट था पर वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो चूका था और अब वो लता और वर्षा दोनों के सानिध्य को एन्जॉय करने लगा था।
एक दिन ऐसे ही वर्षा को बाजार से कुछ लाना था तो नाश्ते के बाद अपने बेटे को लेकर बाजार चली गई। अनुराग और लता ने भी साथ चलने को कहा तो उसने मना कर दिया। उन दोनों को एक्सीडेंट के बाद घर में अकेले रहने का पहली आर मौका मिला था। सुलेखा के गुजरने के बाद लता अनुराग के साथ घंटों घर में अकेले रहती थी पैट तबमें और अब की भावनाओं में अंतर था। लता ने हमेशा की तरह उस दिन भी साडी पहनी हुई थी। वर्षा के जाने के कुछ देर बाद लता खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। उसके पीछे पीछे अनुराग भी पहुँच गया।
उसे देख लता ने कहा - क्या है ? यहाँ क्या कर रहा है ?
अनुराग ने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके कंधे पर गर्दन रखते हुए बोलै - सोच रहा हूँ थोड़ा मदद कर दू।
लता - चल हट , मुझे पता है तू क्या मदद करेगा।
अनुराग एक हाथ से लता के पेट सहलाने लगा और दुसरे को उसके दोनों मुम्मे के ऊपर रखते हुए उसे जकड लिया।
लता - जा यहाँ से काम करने दे। अभी मालिश के वक़्त तो इन्हे इतना दबाया थ। मन नहीं भरा ?
अनुराग - तुम्हारे दूध से मन नहीं भरता।
लता - चुप रह। वर्षा के दूध दबाया कर, पिलाती भी तो वही है । मेरे दबाने से कुछ न होने वाला।
अनुराग ने अब दोनों हाथों से उसके मुम्मे दबाने लगा। वो बीच बीच में उसके निप्पल भी उमेठ देता। लता ने ब्रा पहनी हुई थी तो निप्पल उमेठने पर ब्रा के कपडे की वजह से उसे दर्द होने लगा।
लता - आराम से कर। ब्रा से रगड़ कर निप्पल छील जायेंगे।
अनुराग - तो ब्रा उतार दो न।
लता - तेरा बस चले तो नंगा ही कर दे।
अनुराग - ये भी आईडिया सही है।
ये कहकर अनुराग ने उसके ब्रा के हुक खोल दिए।
लता - तू नहीं मानेगा।
अनुराग - दीदी , पहली बार तो ऐसा मौका मिला है।
अनुराग ने उसका ब्लाउज उतार दिया और फिर थोड़ा पीछे होकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब लता की साडी का आँचल जमीन पर था, ब्लाउज उतर के स्लैब पर और ब्रा को अनुराग ने उतार कर निचे गिराया तो फ्रिज के बगल में जा गिरा।
अब अनुराग लता के मुम्मे निचोड़ रहा था। कभी वो उन्हें आटे की तरह मथता तो कभी उसके निप्पल निचोड़ता।
लता बस अपने दोनों हाथो को स्लैब पर रख खड़ी सिसकारियां ले रही थी। अनुराग का लैंड अपने पुरे शेप में था और लुंगी से बाहर निकल लता के गांड पर दस्तक दे रहा था।
लता - आह अनु, बसकर न , कुछ गलत हो जायेगा।
अनुराग का खुद पर काबू नहीं था , बोला - होने दो न , अब मत रोको।
लता - तेरी बहन हूँ मैं।
अनुराग लंड को उसके गांड में धकेलता हुआ बोला - दीदी , प्लीज।
लता - नहीं , रुक जा, देख साडी खराब हो जाएगी।
अनुराग ने अपना एक हाथ लता के कमर पर लाकर सामने से उसके साडी की गांठे खोल दीं। लता की साडी भरभरा कर निचे गिर पड़ी। अब अनुराग उसके पेटीकोट के ऊपर से ही गांड पर धक्के लगाने लगा।
अनुराग - दीदी क्या मस्त गांड है तुम्हारी। मन कर रहा है मार लू।
लता - गांड तो तेरे जीजा भी आजतक नहीं मार पाए। जो कर रहा है जल्दी कर।
अनुराग ने उसके पेटीकोट को उठाते हुए कहा - गांड न सही , चूत तो दो न।
लता ने उसके हाथ को रोकते हुए कहा - नही , बस कर भाई। बाहर से ही कर ले। मेरी गांड के फांक में फंसा कर अपना माल निकाल ले।
अनुराग ने दोनों हठी से उसके चूतड़ों को फैला दिया और उनके बीच अपना लंड फंसा कर मारने लगा। लता को पता था ऐसे में अनुराग को देर लगेगी।
उसने कहा - गांड तो वर्षा की भी मस्त है। एकदम सुलेखा की तरह।
अनुराग - सुलेखा की गांड की बात ही अलग थी दीदी। उसे तो गांड मरवाने में बहुत मजा आता था। आह , आह
लता - सही कह रहा है। कई बार तो उसके गांड की चर्चा करके तेरे जीजा भी मेरे गांड पर ऐसे ही माल निकलते थे।
अनुराग - आह आह , लगता है तुम दोनों मियां बीवी ने हमारे नाम से बहुत मजे लिए है।
लता ने अब अपने एक हाथ को पेटीकोट के अंदर किया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। बोली - ओह्ह , इस्सस इस्सस , तुम दोनों की चर्चाएं तो पुरे मोहल्ले में थी। तेरे नाम से भी बहुत औरतें ऊँगली करती थी। औरतें क्या लड़कियां भी। तेरी बहु भी तेरी दीवानी है।
अनुराग तृप्ति का नाम सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगा।
अनुराग - आह आह दीदी ये सब तुम्हे कैसे पता।
लता - नैना और तृप्ति खूब बातें करती थी तेरी। मुझे सब पता है। मेरा तो हो गया भाई। तू जल्दी कर , वर्षा के आने का टाइम हो गया।
अनुराग - आह आह , अपनी चूत में डालने देती तो अब तक हो गया होता न। आह आह।
लता - वर्षा आये तो उसकी चूत मार लेना। बड़ी चुदक्कड़ बनी घूम रही है आजकल।
अनुराग ने स्पीड बढ़ा दी। उसने लता के मुम्मे तेजी से दबाते हुए कहा - मुझे पता नहीं था की घर की औरतें ही मेरी दीवानी बानी घूम रही है। ऐसा ही रहा तो सबको चोद कर उनकी मनोकामना पूरी करनी होगी।
लता - हाँ , चोद देना सबको। साली लड़कियां नहीं रंडी है। ऐसे ही वर्षा की गांड मारना। कुछ दिन में रूबी भी आ जाएगी तो उसकी भी ले लेना।
अनुराग से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसने लता का पेटीकोट उठा लिया और उसके नंगे गांड के बीच में लंड फंसा लिया। बोला - पहले तुम दो।
लता - आह , भाई ये क्या कर रहा है। ये भी कर लिया तो बचा ही क्या है। मेरी चूत तो कब से दीवानी है। इस्स्स्सस्स्स्स
लता के नरमगांड के एहसास से एक दो ही धक्के में अनुराग स्खलित हो गया। उसने जोर से आवाज लगाई - दीदीईईईई , मैं तो गया तुम्हारे मखमली मुलायम गांड पर।
अनुराग अपने आखिरी झटके लेते रहा और अपना माल उसके गांड पर उड़ेल दिया। उसने लता के मुम्मों को जोर से भींच रखा था। कुछ देर बाद जब पूरा पानी बाह गया तो उसका लंड थोड़ा निचे हुआ और उस चक्कर में लता के दोनों टांगो के बीच से चूत की तरफ हो गया। उसके लंड का एहसास होते ही पहले ही कई बार झाड़ चुकी लता एकबार फिर से झाड़ गई। लता के हाथ की ऊँगली चूत से निकल गई और उसने पैरों को जोर से इस तरह दबाया जिससे अनुराग का लंड फंस गया। कुछ देर में लता को लगा की अनुराग का लंड चूत में घुसने वाला ही है।
उसने तुरंत पेअर ढीले किए और धीरे से कहा - कर ली न अपनी वाली।
अनुराग हाँफते हुए बोलै - जब अंदर लोगी तो मेरी वाली वाली होगी।
लता - हम्ममम।
दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे। तभी दरवाजे की बेल बजी। दोनों को अब जाकर एहसास हुआ की कितनी देर से दोनों एक दुसरे में खोये हुए थे। लता ने तुरंत अपनी साडी, ब्लॉउस और पेटीकोट संभाला और कमरे में बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली - अपने लंड को संभाल और दरवाजा खोल। मेरे बारे में बोले तो कह देना कपडे धो रही है
अनुराग ने भी अपने लंड को शांत किए और लुंगी सही करते हुए दरवाजा खोलने चल पड़ा।