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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 40 44.4%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 25 27.8%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 25 27.8%

  • Total voters
    90

RK5022

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उस दिन के बाद अनुराग को तो लता के मुम्मे टच करने की इजाजत सी मिल गई थी। वो मौका देखता और अगर वर्षा पास नहीं होती तो लता के मुम्मे दबा देता। मालिश के वक़्त लता उसका मुठ मार देती और पानी निकाल देती थी। वर्षा भी दिन में कई बार उन दोनों को अकेले रहने का मौका दे देती थी।

ऐसे ही रात में वर्षा अनुराग के ऊपर चढ़ कर मालिश करती। और उसका लैंड अपने चूत पर रगड़ कर उसका माल निकाल देती थी। अनुराग ने अभी तक वर्षा के मुम्मे नहीं टच किये थे। वो दोनों के साथ हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहता था। शुरु के दिनों में उसके मन में गिल्ट था पर वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो चूका था और अब वो लता और वर्षा दोनों के सानिध्य को एन्जॉय करने लगा था।

एक दिन ऐसे ही वर्षा को बाजार से कुछ लाना था तो नाश्ते के बाद अपने बेटे को लेकर बाजार चली गई। अनुराग और लता ने भी साथ चलने को कहा तो उसने मना कर दिया। उन दोनों को एक्सीडेंट के बाद घर में अकेले रहने का पहली आर मौका मिला था। सुलेखा के गुजरने के बाद लता अनुराग के साथ घंटों घर में अकेले रहती थी पैट तबमें और अब की भावनाओं में अंतर था। लता ने हमेशा की तरह उस दिन भी साडी पहनी हुई थी। वर्षा के जाने के कुछ देर बाद लता खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। उसके पीछे पीछे अनुराग भी पहुँच गया।

उसे देख लता ने कहा - क्या है ? यहाँ क्या कर रहा है ?
अनुराग ने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके कंधे पर गर्दन रखते हुए बोलै - सोच रहा हूँ थोड़ा मदद कर दू।
लता - चल हट , मुझे पता है तू क्या मदद करेगा।
अनुराग एक हाथ से लता के पेट सहलाने लगा और दुसरे को उसके दोनों मुम्मे के ऊपर रखते हुए उसे जकड लिया।
लता - जा यहाँ से काम करने दे। अभी मालिश के वक़्त तो इन्हे इतना दबाया थ। मन नहीं भरा ?
अनुराग - तुम्हारे दूध से मन नहीं भरता।
लता - चुप रह। वर्षा के दूध दबाया कर, पिलाती भी तो वही है । मेरे दबाने से कुछ न होने वाला।
अनुराग ने अब दोनों हाथों से उसके मुम्मे दबाने लगा। वो बीच बीच में उसके निप्पल भी उमेठ देता। लता ने ब्रा पहनी हुई थी तो निप्पल उमेठने पर ब्रा के कपडे की वजह से उसे दर्द होने लगा।
लता - आराम से कर। ब्रा से रगड़ कर निप्पल छील जायेंगे।
अनुराग - तो ब्रा उतार दो न।
लता - तेरा बस चले तो नंगा ही कर दे।
अनुराग - ये भी आईडिया सही है।
ये कहकर अनुराग ने उसके ब्रा के हुक खोल दिए।
लता - तू नहीं मानेगा।
अनुराग - दीदी , पहली बार तो ऐसा मौका मिला है।

अनुराग ने उसका ब्लाउज उतार दिया और फिर थोड़ा पीछे होकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब लता की साडी का आँचल जमीन पर था, ब्लाउज उतर के स्लैब पर और ब्रा को अनुराग ने उतार कर निचे गिराया तो फ्रिज के बगल में जा गिरा।
अब अनुराग लता के मुम्मे निचोड़ रहा था। कभी वो उन्हें आटे की तरह मथता तो कभी उसके निप्पल निचोड़ता।
लता बस अपने दोनों हाथो को स्लैब पर रख खड़ी सिसकारियां ले रही थी। अनुराग का लैंड अपने पुरे शेप में था और लुंगी से बाहर निकल लता के गांड पर दस्तक दे रहा था।

लता - आह अनु, बसकर न , कुछ गलत हो जायेगा।
अनुराग का खुद पर काबू नहीं था , बोला - होने दो न , अब मत रोको।
लता - तेरी बहन हूँ मैं।
अनुराग लंड को उसके गांड में धकेलता हुआ बोला - दीदी , प्लीज।
लता - नहीं , रुक जा, देख साडी खराब हो जाएगी।

अनुराग ने अपना एक हाथ लता के कमर पर लाकर सामने से उसके साडी की गांठे खोल दीं। लता की साडी भरभरा कर निचे गिर पड़ी। अब अनुराग उसके पेटीकोट के ऊपर से ही गांड पर धक्के लगाने लगा।
अनुराग - दीदी क्या मस्त गांड है तुम्हारी। मन कर रहा है मार लू।
लता - गांड तो तेरे जीजा भी आजतक नहीं मार पाए। जो कर रहा है जल्दी कर।
अनुराग ने उसके पेटीकोट को उठाते हुए कहा - गांड न सही , चूत तो दो न।
लता ने उसके हाथ को रोकते हुए कहा - नही , बस कर भाई। बाहर से ही कर ले। मेरी गांड के फांक में फंसा कर अपना माल निकाल ले।

अनुराग ने दोनों हठी से उसके चूतड़ों को फैला दिया और उनके बीच अपना लंड फंसा कर मारने लगा। लता को पता था ऐसे में अनुराग को देर लगेगी।
उसने कहा - गांड तो वर्षा की भी मस्त है। एकदम सुलेखा की तरह।
अनुराग - सुलेखा की गांड की बात ही अलग थी दीदी। उसे तो गांड मरवाने में बहुत मजा आता था। आह , आह
लता - सही कह रहा है। कई बार तो उसके गांड की चर्चा करके तेरे जीजा भी मेरे गांड पर ऐसे ही माल निकलते थे।
अनुराग - आह आह , लगता है तुम दोनों मियां बीवी ने हमारे नाम से बहुत मजे लिए है।

लता ने अब अपने एक हाथ को पेटीकोट के अंदर किया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। बोली - ओह्ह , इस्सस इस्सस , तुम दोनों की चर्चाएं तो पुरे मोहल्ले में थी। तेरे नाम से भी बहुत औरतें ऊँगली करती थी। औरतें क्या लड़कियां भी। तेरी बहु भी तेरी दीवानी है।
अनुराग तृप्ति का नाम सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगा।
अनुराग - आह आह दीदी ये सब तुम्हे कैसे पता।
लता - नैना और तृप्ति खूब बातें करती थी तेरी। मुझे सब पता है। मेरा तो हो गया भाई। तू जल्दी कर , वर्षा के आने का टाइम हो गया।
अनुराग - आह आह , अपनी चूत में डालने देती तो अब तक हो गया होता न। आह आह।
लता - वर्षा आये तो उसकी चूत मार लेना। बड़ी चुदक्कड़ बनी घूम रही है आजकल।
अनुराग ने स्पीड बढ़ा दी। उसने लता के मुम्मे तेजी से दबाते हुए कहा - मुझे पता नहीं था की घर की औरतें ही मेरी दीवानी बानी घूम रही है। ऐसा ही रहा तो सबको चोद कर उनकी मनोकामना पूरी करनी होगी।
लता - हाँ , चोद देना सबको। साली लड़कियां नहीं रंडी है। ऐसे ही वर्षा की गांड मारना। कुछ दिन में रूबी भी आ जाएगी तो उसकी भी ले लेना।
अनुराग से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसने लता का पेटीकोट उठा लिया और उसके नंगे गांड के बीच में लंड फंसा लिया। बोला - पहले तुम दो।
लता - आह , भाई ये क्या कर रहा है। ये भी कर लिया तो बचा ही क्या है। मेरी चूत तो कब से दीवानी है। इस्स्स्सस्स्स्स

लता के नरमगांड के एहसास से एक दो ही धक्के में अनुराग स्खलित हो गया। उसने जोर से आवाज लगाई - दीदीईईईई , मैं तो गया तुम्हारे मखमली मुलायम गांड पर।

अनुराग अपने आखिरी झटके लेते रहा और अपना माल उसके गांड पर उड़ेल दिया। उसने लता के मुम्मों को जोर से भींच रखा था। कुछ देर बाद जब पूरा पानी बाह गया तो उसका लंड थोड़ा निचे हुआ और उस चक्कर में लता के दोनों टांगो के बीच से चूत की तरफ हो गया। उसके लंड का एहसास होते ही पहले ही कई बार झाड़ चुकी लता एकबार फिर से झाड़ गई। लता के हाथ की ऊँगली चूत से निकल गई और उसने पैरों को जोर से इस तरह दबाया जिससे अनुराग का लंड फंस गया। कुछ देर में लता को लगा की अनुराग का लंड चूत में घुसने वाला ही है।

उसने तुरंत पेअर ढीले किए और धीरे से कहा - कर ली न अपनी वाली।
अनुराग हाँफते हुए बोलै - जब अंदर लोगी तो मेरी वाली वाली होगी।
लता - हम्ममम।

दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे। तभी दरवाजे की बेल बजी। दोनों को अब जाकर एहसास हुआ की कितनी देर से दोनों एक दुसरे में खोये हुए थे। लता ने तुरंत अपनी साडी, ब्लॉउस और पेटीकोट संभाला और कमरे में बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली - अपने लंड को संभाल और दरवाजा खोल। मेरे बारे में बोले तो कह देना कपडे धो रही है

अनुराग ने भी अपने लंड को शांत किए और लुंगी सही करते हुए दरवाजा खोलने चल पड़ा।
Hot update
 
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WARSHAW

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Wonderful update
 
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Curiousbull

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Ye Lata kaha bich me aa gayi. Pehla number to Varsha ka hi sahi tha aakhir beti maa aur patni teeno kartavya nibha Rahi hai
 
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Motaland2468

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उस दिन के बाद अनुराग को तो लता के मुम्मे टच करने की इजाजत सी मिल गई थी। वो मौका देखता और अगर वर्षा पास नहीं होती तो लता के मुम्मे दबा देता। मालिश के वक़्त लता उसका मुठ मार देती और पानी निकाल देती थी। वर्षा भी दिन में कई बार उन दोनों को अकेले रहने का मौका दे देती थी।

ऐसे ही रात में वर्षा अनुराग के ऊपर चढ़ कर मालिश करती। और उसका लैंड अपने चूत पर रगड़ कर उसका माल निकाल देती थी। अनुराग ने अभी तक वर्षा के मुम्मे नहीं टच किये थे। वो दोनों के साथ हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहता था। शुरु के दिनों में उसके मन में गिल्ट था पर वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो चूका था और अब वो लता और वर्षा दोनों के सानिध्य को एन्जॉय करने लगा था।

एक दिन ऐसे ही वर्षा को बाजार से कुछ लाना था तो नाश्ते के बाद अपने बेटे को लेकर बाजार चली गई। अनुराग और लता ने भी साथ चलने को कहा तो उसने मना कर दिया। उन दोनों को एक्सीडेंट के बाद घर में अकेले रहने का पहली आर मौका मिला था। सुलेखा के गुजरने के बाद लता अनुराग के साथ घंटों घर में अकेले रहती थी पैट तबमें और अब की भावनाओं में अंतर था। लता ने हमेशा की तरह उस दिन भी साडी पहनी हुई थी। वर्षा के जाने के कुछ देर बाद लता खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। उसके पीछे पीछे अनुराग भी पहुँच गया।

उसे देख लता ने कहा - क्या है ? यहाँ क्या कर रहा है ?
अनुराग ने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके कंधे पर गर्दन रखते हुए बोलै - सोच रहा हूँ थोड़ा मदद कर दू।
लता - चल हट , मुझे पता है तू क्या मदद करेगा।
अनुराग एक हाथ से लता के पेट सहलाने लगा और दुसरे को उसके दोनों मुम्मे के ऊपर रखते हुए उसे जकड लिया।
लता - जा यहाँ से काम करने दे। अभी मालिश के वक़्त तो इन्हे इतना दबाया थ। मन नहीं भरा ?
अनुराग - तुम्हारे दूध से मन नहीं भरता।
लता - चुप रह। वर्षा के दूध दबाया कर, पिलाती भी तो वही है । मेरे दबाने से कुछ न होने वाला।
अनुराग ने अब दोनों हाथों से उसके मुम्मे दबाने लगा। वो बीच बीच में उसके निप्पल भी उमेठ देता। लता ने ब्रा पहनी हुई थी तो निप्पल उमेठने पर ब्रा के कपडे की वजह से उसे दर्द होने लगा।
लता - आराम से कर। ब्रा से रगड़ कर निप्पल छील जायेंगे।
अनुराग - तो ब्रा उतार दो न।
लता - तेरा बस चले तो नंगा ही कर दे।
अनुराग - ये भी आईडिया सही है।
ये कहकर अनुराग ने उसके ब्रा के हुक खोल दिए।
लता - तू नहीं मानेगा।
अनुराग - दीदी , पहली बार तो ऐसा मौका मिला है।

अनुराग ने उसका ब्लाउज उतार दिया और फिर थोड़ा पीछे होकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब लता की साडी का आँचल जमीन पर था, ब्लाउज उतर के स्लैब पर और ब्रा को अनुराग ने उतार कर निचे गिराया तो फ्रिज के बगल में जा गिरा।
अब अनुराग लता के मुम्मे निचोड़ रहा था। कभी वो उन्हें आटे की तरह मथता तो कभी उसके निप्पल निचोड़ता।
लता बस अपने दोनों हाथो को स्लैब पर रख खड़ी सिसकारियां ले रही थी। अनुराग का लैंड अपने पुरे शेप में था और लुंगी से बाहर निकल लता के गांड पर दस्तक दे रहा था।

लता - आह अनु, बसकर न , कुछ गलत हो जायेगा।
अनुराग का खुद पर काबू नहीं था , बोला - होने दो न , अब मत रोको।
लता - तेरी बहन हूँ मैं।
अनुराग लंड को उसके गांड में धकेलता हुआ बोला - दीदी , प्लीज।
लता - नहीं , रुक जा, देख साडी खराब हो जाएगी।

अनुराग ने अपना एक हाथ लता के कमर पर लाकर सामने से उसके साडी की गांठे खोल दीं। लता की साडी भरभरा कर निचे गिर पड़ी। अब अनुराग उसके पेटीकोट के ऊपर से ही गांड पर धक्के लगाने लगा।
अनुराग - दीदी क्या मस्त गांड है तुम्हारी। मन कर रहा है मार लू।
लता - गांड तो तेरे जीजा भी आजतक नहीं मार पाए। जो कर रहा है जल्दी कर।
अनुराग ने उसके पेटीकोट को उठाते हुए कहा - गांड न सही , चूत तो दो न।
लता ने उसके हाथ को रोकते हुए कहा - नही , बस कर भाई। बाहर से ही कर ले। मेरी गांड के फांक में फंसा कर अपना माल निकाल ले।

अनुराग ने दोनों हठी से उसके चूतड़ों को फैला दिया और उनके बीच अपना लंड फंसा कर मारने लगा। लता को पता था ऐसे में अनुराग को देर लगेगी।
उसने कहा - गांड तो वर्षा की भी मस्त है। एकदम सुलेखा की तरह।
अनुराग - सुलेखा की गांड की बात ही अलग थी दीदी। उसे तो गांड मरवाने में बहुत मजा आता था। आह , आह
लता - सही कह रहा है। कई बार तो उसके गांड की चर्चा करके तेरे जीजा भी मेरे गांड पर ऐसे ही माल निकलते थे।
अनुराग - आह आह , लगता है तुम दोनों मियां बीवी ने हमारे नाम से बहुत मजे लिए है।

लता ने अब अपने एक हाथ को पेटीकोट के अंदर किया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। बोली - ओह्ह , इस्सस इस्सस , तुम दोनों की चर्चाएं तो पुरे मोहल्ले में थी। तेरे नाम से भी बहुत औरतें ऊँगली करती थी। औरतें क्या लड़कियां भी। तेरी बहु भी तेरी दीवानी है।
अनुराग तृप्ति का नाम सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगा।
अनुराग - आह आह दीदी ये सब तुम्हे कैसे पता।
लता - नैना और तृप्ति खूब बातें करती थी तेरी। मुझे सब पता है। मेरा तो हो गया भाई। तू जल्दी कर , वर्षा के आने का टाइम हो गया।
अनुराग - आह आह , अपनी चूत में डालने देती तो अब तक हो गया होता न। आह आह।
लता - वर्षा आये तो उसकी चूत मार लेना। बड़ी चुदक्कड़ बनी घूम रही है आजकल।
अनुराग ने स्पीड बढ़ा दी। उसने लता के मुम्मे तेजी से दबाते हुए कहा - मुझे पता नहीं था की घर की औरतें ही मेरी दीवानी बानी घूम रही है। ऐसा ही रहा तो सबको चोद कर उनकी मनोकामना पूरी करनी होगी।
लता - हाँ , चोद देना सबको। साली लड़कियां नहीं रंडी है। ऐसे ही वर्षा की गांड मारना। कुछ दिन में रूबी भी आ जाएगी तो उसकी भी ले लेना।
अनुराग से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसने लता का पेटीकोट उठा लिया और उसके नंगे गांड के बीच में लंड फंसा लिया। बोला - पहले तुम दो।
लता - आह , भाई ये क्या कर रहा है। ये भी कर लिया तो बचा ही क्या है। मेरी चूत तो कब से दीवानी है। इस्स्स्सस्स्स्स

लता के नरमगांड के एहसास से एक दो ही धक्के में अनुराग स्खलित हो गया। उसने जोर से आवाज लगाई - दीदीईईईई , मैं तो गया तुम्हारे मखमली मुलायम गांड पर।

अनुराग अपने आखिरी झटके लेते रहा और अपना माल उसके गांड पर उड़ेल दिया। उसने लता के मुम्मों को जोर से भींच रखा था। कुछ देर बाद जब पूरा पानी बाह गया तो उसका लंड थोड़ा निचे हुआ और उस चक्कर में लता के दोनों टांगो के बीच से चूत की तरफ हो गया। उसके लंड का एहसास होते ही पहले ही कई बार झाड़ चुकी लता एकबार फिर से झाड़ गई। लता के हाथ की ऊँगली चूत से निकल गई और उसने पैरों को जोर से इस तरह दबाया जिससे अनुराग का लंड फंस गया। कुछ देर में लता को लगा की अनुराग का लंड चूत में घुसने वाला ही है।

उसने तुरंत पेअर ढीले किए और धीरे से कहा - कर ली न अपनी वाली।
अनुराग हाँफते हुए बोलै - जब अंदर लोगी तो मेरी वाली वाली होगी।
लता - हम्ममम।

दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे। तभी दरवाजे की बेल बजी। दोनों को अब जाकर एहसास हुआ की कितनी देर से दोनों एक दुसरे में खोये हुए थे। लता ने तुरंत अपनी साडी, ब्लॉउस और पेटीकोट संभाला और कमरे में बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली - अपने लंड को संभाल और दरवाजा खोल। मेरे बारे में बोले तो कह देना कपडे धो रही है

अनुराग ने भी अपने लंड को शांत किए और लुंगी सही करते हुए दरवाजा खोलने चल पड़ा।
Behtreen update bro maza aa gaya.
 
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Premkumar65

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अगले दिन सुबह लता जब वापस आई तो देखा वर्षा नार्मल थी। सुबह नाश्ते के बाद वर्षा अपने बाथरूम में कपडे धो रही थी। लता को बाथरूम जाना था। वो अनुराग के बाथरूम में चली गई। वहां बाथरूम के वक़्त उसने एक पैंटी लटकती देखि। उसने नजदीक जाकर देखा तो पाया वो वर्षा की थी। उसका माथा ठनक गया। उसे लगा कहीं अनुराग ने वर्षा को चोद तो नहीं दिया। वर्षा आज सुबह खुश भी लग रही थी। उसने धीरे से वो पैंटी अपने मुट्ठी में दबाई और वर्षा के कमरे के तरफ चल पड़ी। उसने देखे वर्षा अपने बाथरूम में बच्चे के कपडे धो रही थी।

लता ने वर्षा को अपने हाथ में लटके पैंटी देखते हुए पुछा - ये क्या है ?
वर्षा - मेरी पैंटी आपको कहाँ मिली ?
लता - तेरे बाप के कमरे में। ये वहां क्या कर रही थी ? तुम दोनों ने क्या गुल खिलाया है ?
वर्षा पहले तो थोड़ा दरी फिर उसने तुरंत एक बहाना सोच कर कहा - वो दरअसल सुबह मेरे कमरे में पानी नहीं आ रहा था तो मैं वहीँ नहाने चली गई थी। नहाने के बाद वहीँ छूट गई होगी।
लता - अच्छा फिर ब्रा कहा हैं ?
वर्षा - आप भी न बुआ। सुबह बेटू को दूध पीला रही थी तो उस समय उतार दिया था। तो वैसे ही चली गई थी वहां।
लता - झूठ मत बोल। अभी पानी कैसे आ रहा है ?
वर्षा - अरे वो पापा ने प्लम्बर बुलाया था। सही कर दिया उसने। वैसे आप इतना परेशान क्यों हैं ? खुद तो ना जाने क्या क्या गुल खिलाने पर लगी हो और मेरी एक छोटी सी बात का बतंगड़ बना रही हो।
लता - चुप कर।
वर्षा - अच्छा जी। मुझे तो चुप करा दोगी और अभी मालिश के समय आपके भाई साहब आपकी मांगेगे तो दे दोगी। बड़ी कमीनी हो आप।
लता - तो तू भी दे दे।
वर्षा - एक पैंटी छूट गई तो इतना हंगामा , और कह रही हो मैं भी दे दूँ।
लता को अपनी गलतो का एहसास हुआ। उसने पैंटी वर्षा के तरफ फेंकते हुए कहा - चुद जा फिर पैंटी छोड़ , ऐसे वहां छोड़ेगी तो उसकी तड़प बढ़ेगी।
वर्षा - और जो तुम कर रही हो उसे तड़पाना नहीं कहते हैं ? हाथ में लेने के बजाये सीधे चूत में ही ले लो।
लता ने कोई जवाब नहीं दिया और कमरे से बाहर चली गई।

लता के जाते ही वर्षा सोचने लगी - तुम चुद जाओ जल्दी से , मैं तो बस तैयार बैठी हूँ।

लता ने बाहर जाकर अनुराग से कहा - चल तेरी मालिश कर दूँ ।
ये सुनते ही अनुराग के चेहरे पर चमक आ गई। वो मुश्कुरा कर कमरे की तरफ चल पड़ा। उसने अपनी बनियान और अंडरवियर उतार दिया। वो सिर्फ एक लुंगी में हो गया। लता भी तेल की सीसी लेकर उसके कमरे में पहुंची। अनुराग आपमें चेयर पर बैठा हुआ थ। कमरे में पहुँच कर लता ने दरवाजा भिड़ा दिया पर बंद नहीं किया। वो जानती थी आज भी वर्षा झांकेगी जरूर। कमरे में पहुँच कर लता ने अपनी साडी खोल दी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में आ गई। आज उसने थोड़े गहरे गले का ब्लॉउस पहना हुआ था जिससे उसके दोनों मुम्मे बिना झुके ही आधे से अधिक दिख रहे थे। झुक कर तेल लगाते समय तो वो बाहर ही आ जाते।

लता निचे उसके सामने बैठ गई और उसके पैरों पर मालिश करने लगी। लता के हिलने से उसके मुम्मे भी हिल रहे थे। लता ने पालथी मार ली थी और पेटीकोट को घुटनो तक समेट लिया था। उसने पहले अनुराग के तलुए को अपने जांघो पर रख कर मालिश किया। अनुराग उसके नरम जांघो के एहसास से ही उत्तेजित होने लगा था। एक पैरके तालु के बाद उसने दुसरे पैर के तालु पर भी तेल लगाया। फिर थोड़ा नजदीक खिसक कर उसके पिंडलियों और घुटनो की मालिश की। इस पुरे प्रकरण में उसने अनुराग के पैर अपने जांघो से नहीं हटाया। अनुराग का पैर उसके जांघों और पेट को टच करने लगा था। एक आध बार तो उसके मुम्मे भी टच हो गए थे। अनुराग मन ही मन यही सोच रहा था की काश पैरों की जगह हाथ होते।

उसने एक आध बार जान बुझ कर उसके मुम्मे अपने पैरों की उँगलियों से टच किया तो लता बोली - क्या कर रहा है ? पैर क्यों लगा रहा है।
अनुराग ढीढाई से बोलै - हाथ लगाने दो न।
लता मुश्कुरा कर बोली - तेरा मन बढ़ गया है।
अनुराग - दी आप जैसी हो तो किसी का भी मन बढ़ जाए।
लता - चुप कर।
अनुराग - एक बार हाथ लाने दो न।

लता उठ कर उसके सामने खड़ी हो गई। उसने थोड़ा तेल लिया और बालों पर चम्पी करने लगी। आजतक ये हमेशा पीछे खड़े होकर करती थी। आज सामने से करने का मतलब वो अनुराग को उसके मुम्मे टच कर लेने देना चाहती थी। अनुराग ने लता की तरफ देखा और अपना एक हाथ बढ़ा कर धीरे से उसके मुम्मे पर रख दिए।

अनुराग के हाथ का स्पर्श पाते ही लता के मुँह से सिसकारी निकल गई - इस्सस अनुउउउ

एक पल के लिए उसने सर की चम्पी रोक दी। कुढ़ देर बाद उसने चम्पी वपस शुरू कर दी। अब अनुराग ने अपना दूसरा हाथ भी बढ़ा लिया और दोनों हाथो से उसके मुम्मे दबाने लगा। लगभग साल भर बाद उसके हाथ में बूब्स आये थे। सुलेखा की बात अलग थी पर लता के बूब्स भी कम नहीं थे। उसके पति लगता है रोज उसका मर्दन करते रहे होंगे। अनुराग के टच करने से उसके निप्पल एकदम टाइट होकर इरेक्ट हो गए थे। अनुराग उसको निचोड़ने लगा था। लता उसकी मालिश के बजाये अपनी मालिश करवाने लगी थी। उसने अपने दांतो से अपने होठ दबा लिए थे और आँख लगभग बंद कर लिया था।

अनुराग को बहुत मजा आ रहा था। उसने तेजी से दबाना शुरू कर दिया। एक बार तो जोर भींचने पर लता के मुँह से आह निकल गई। लता ने कहा - आराम से करना है तो कर वरना कोई रंडी बुला ले।
अनुराग ने सॉरी बोल दिया। कुछ देर के चूची मर्दन के बाद अनुराग ने उसके ब्लाउज को खोलने की कोशिश की तो लता ने कहा - सब एक ही दिन में कर लेगा क्या ? चल तेरे लौड़े की मालिश कर देती हूँ।

लता अब निचे वापस बैठ गई। उसने अपना हाथ बढ़ा कर अनुराग के लैंड को पकड़ लिया। अनुराग का लैंड पहले ही लुंगी से बाहर आ चूका था। लता एक हाथ से उसके अंडकोषों को सहला रही थी और दुसरे हाथों को उसके लंड पर आगे पीछे करने लगी। अनुराग ने आनंद में आँखे बंद कर ली।

बाहर वर्षा ये सब छुप कर देख रही थी। वो मन ही मन सोचने लगी की बुआ तो रोज एक कदम बढ़ा रही है। आज अपने मुम्मे दबवा लिए। कल को चूत भी दे देंगी। उसका खुद का एक हाथ अपने मुम्मे पर था और दूसरा सलवार के अंदर चूत में।

उधर लता अनुराग के लंड को तेजी से ऊपर नीचे किये जा रही थी। अनुराग - आह दीदी , मजा आ रहा है। कमाल करती हो तुम। आह आह।
लता - हां , बस समझ ले तू वर्षा को चोद रहा है। तेरी गोद में बैठी है वो। कोशिश करेगा तो उसके दूध में मुँह लगाकर पीला देगी।
अनुराग - आह दीदी , तुम ही बैठ जाती गोद में। जरा मुँह में लो न।
लता - बस जल्दी कर , मेरा हाथ दुःख रहा है।

लता को अनुराग के स्टेमिना देख आश्चर्य हो रहा था। उसके पति तो बस कुछ ही मुट्ठी में फारिग हो जाते हैं। वो सोचने लगी की अगर अनुराग उसे चोदेगा तो देर तक मजा देगा। ये सोच ही रही थी की अनुराग के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया। उसका वीर्य लता के चेहरे पर और ब्लॉउस पर जा गिरा। कुछ बुँदे उसके होठ के पास थी। लता ने उसे जीभ से चाट लिया।

लता का ब्लॉउस ख़राब हो गया था। उसने कहा - पहले बताना था। तूने पूरा ब्लॉउस ख़राब कर दिया।
अनुराग ने कहा - सॉरी दी , कण्ट्रोल नहीं हुआ।
लता ने चेहरे का वीर्य चाटते हुए कहा - कोई बात नहीं।

वो बाथरूम में चली गई। जहाँ उसने अपना चेहरा धोया और ब्लाउज पर लगे वीर्य को भी धोने लगी। अनुराग ने दरवाजे की तरफ देखा तो उसे वर्षा की परछाईं दिखी। उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
Bua bhatiji dono Anurag ko pataane me lagi hui hain. Dekhna hai kaun pahle chudti hai.
 
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Premkumar65

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उस दिन के बाद अनुराग को तो लता के मुम्मे टच करने की इजाजत सी मिल गई थी। वो मौका देखता और अगर वर्षा पास नहीं होती तो लता के मुम्मे दबा देता। मालिश के वक़्त लता उसका मुठ मार देती और पानी निकाल देती थी। वर्षा भी दिन में कई बार उन दोनों को अकेले रहने का मौका दे देती थी।

ऐसे ही रात में वर्षा अनुराग के ऊपर चढ़ कर मालिश करती। और उसका लैंड अपने चूत पर रगड़ कर उसका माल निकाल देती थी। अनुराग ने अभी तक वर्षा के मुम्मे नहीं टच किये थे। वो दोनों के साथ हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहता था। शुरु के दिनों में उसके मन में गिल्ट था पर वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो चूका था और अब वो लता और वर्षा दोनों के सानिध्य को एन्जॉय करने लगा था।

एक दिन ऐसे ही वर्षा को बाजार से कुछ लाना था तो नाश्ते के बाद अपने बेटे को लेकर बाजार चली गई। अनुराग और लता ने भी साथ चलने को कहा तो उसने मना कर दिया। उन दोनों को एक्सीडेंट के बाद घर में अकेले रहने का पहली आर मौका मिला था। सुलेखा के गुजरने के बाद लता अनुराग के साथ घंटों घर में अकेले रहती थी पैट तबमें और अब की भावनाओं में अंतर था। लता ने हमेशा की तरह उस दिन भी साडी पहनी हुई थी। वर्षा के जाने के कुछ देर बाद लता खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। उसके पीछे पीछे अनुराग भी पहुँच गया।

उसे देख लता ने कहा - क्या है ? यहाँ क्या कर रहा है ?
अनुराग ने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके कंधे पर गर्दन रखते हुए बोलै - सोच रहा हूँ थोड़ा मदद कर दू।
लता - चल हट , मुझे पता है तू क्या मदद करेगा।
अनुराग एक हाथ से लता के पेट सहलाने लगा और दुसरे को उसके दोनों मुम्मे के ऊपर रखते हुए उसे जकड लिया।
लता - जा यहाँ से काम करने दे। अभी मालिश के वक़्त तो इन्हे इतना दबाया थ। मन नहीं भरा ?
अनुराग - तुम्हारे दूध से मन नहीं भरता।
लता - चुप रह। वर्षा के दूध दबाया कर, पिलाती भी तो वही है । मेरे दबाने से कुछ न होने वाला।
अनुराग ने अब दोनों हाथों से उसके मुम्मे दबाने लगा। वो बीच बीच में उसके निप्पल भी उमेठ देता। लता ने ब्रा पहनी हुई थी तो निप्पल उमेठने पर ब्रा के कपडे की वजह से उसे दर्द होने लगा।
लता - आराम से कर। ब्रा से रगड़ कर निप्पल छील जायेंगे।
अनुराग - तो ब्रा उतार दो न।
लता - तेरा बस चले तो नंगा ही कर दे।
अनुराग - ये भी आईडिया सही है।
ये कहकर अनुराग ने उसके ब्रा के हुक खोल दिए।
लता - तू नहीं मानेगा।
अनुराग - दीदी , पहली बार तो ऐसा मौका मिला है।

अनुराग ने उसका ब्लाउज उतार दिया और फिर थोड़ा पीछे होकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब लता की साडी का आँचल जमीन पर था, ब्लाउज उतर के स्लैब पर और ब्रा को अनुराग ने उतार कर निचे गिराया तो फ्रिज के बगल में जा गिरा।
अब अनुराग लता के मुम्मे निचोड़ रहा था। कभी वो उन्हें आटे की तरह मथता तो कभी उसके निप्पल निचोड़ता।
लता बस अपने दोनों हाथो को स्लैब पर रख खड़ी सिसकारियां ले रही थी। अनुराग का लैंड अपने पुरे शेप में था और लुंगी से बाहर निकल लता के गांड पर दस्तक दे रहा था।

लता - आह अनु, बसकर न , कुछ गलत हो जायेगा।
अनुराग का खुद पर काबू नहीं था , बोला - होने दो न , अब मत रोको।
लता - तेरी बहन हूँ मैं।
अनुराग लंड को उसके गांड में धकेलता हुआ बोला - दीदी , प्लीज।
लता - नहीं , रुक जा, देख साडी खराब हो जाएगी।

अनुराग ने अपना एक हाथ लता के कमर पर लाकर सामने से उसके साडी की गांठे खोल दीं। लता की साडी भरभरा कर निचे गिर पड़ी। अब अनुराग उसके पेटीकोट के ऊपर से ही गांड पर धक्के लगाने लगा।
अनुराग - दीदी क्या मस्त गांड है तुम्हारी। मन कर रहा है मार लू।
लता - गांड तो तेरे जीजा भी आजतक नहीं मार पाए। जो कर रहा है जल्दी कर।
अनुराग ने उसके पेटीकोट को उठाते हुए कहा - गांड न सही , चूत तो दो न।
लता ने उसके हाथ को रोकते हुए कहा - नही , बस कर भाई। बाहर से ही कर ले। मेरी गांड के फांक में फंसा कर अपना माल निकाल ले।

अनुराग ने दोनों हठी से उसके चूतड़ों को फैला दिया और उनके बीच अपना लंड फंसा कर मारने लगा। लता को पता था ऐसे में अनुराग को देर लगेगी।
उसने कहा - गांड तो वर्षा की भी मस्त है। एकदम सुलेखा की तरह।
अनुराग - सुलेखा की गांड की बात ही अलग थी दीदी। उसे तो गांड मरवाने में बहुत मजा आता था। आह , आह
लता - सही कह रहा है। कई बार तो उसके गांड की चर्चा करके तेरे जीजा भी मेरे गांड पर ऐसे ही माल निकलते थे।
अनुराग - आह आह , लगता है तुम दोनों मियां बीवी ने हमारे नाम से बहुत मजे लिए है।

लता ने अब अपने एक हाथ को पेटीकोट के अंदर किया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। बोली - ओह्ह , इस्सस इस्सस , तुम दोनों की चर्चाएं तो पुरे मोहल्ले में थी। तेरे नाम से भी बहुत औरतें ऊँगली करती थी। औरतें क्या लड़कियां भी। तेरी बहु भी तेरी दीवानी है।
अनुराग तृप्ति का नाम सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगा।
अनुराग - आह आह दीदी ये सब तुम्हे कैसे पता।
लता - नैना और तृप्ति खूब बातें करती थी तेरी। मुझे सब पता है। मेरा तो हो गया भाई। तू जल्दी कर , वर्षा के आने का टाइम हो गया।
अनुराग - आह आह , अपनी चूत में डालने देती तो अब तक हो गया होता न। आह आह।
लता - वर्षा आये तो उसकी चूत मार लेना। बड़ी चुदक्कड़ बनी घूम रही है आजकल।
अनुराग ने स्पीड बढ़ा दी। उसने लता के मुम्मे तेजी से दबाते हुए कहा - मुझे पता नहीं था की घर की औरतें ही मेरी दीवानी बानी घूम रही है। ऐसा ही रहा तो सबको चोद कर उनकी मनोकामना पूरी करनी होगी।
लता - हाँ , चोद देना सबको। साली लड़कियां नहीं रंडी है। ऐसे ही वर्षा की गांड मारना। कुछ दिन में रूबी भी आ जाएगी तो उसकी भी ले लेना।
अनुराग से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसने लता का पेटीकोट उठा लिया और उसके नंगे गांड के बीच में लंड फंसा लिया। बोला - पहले तुम दो।
लता - आह , भाई ये क्या कर रहा है। ये भी कर लिया तो बचा ही क्या है। मेरी चूत तो कब से दीवानी है। इस्स्स्सस्स्स्स

लता के नरमगांड के एहसास से एक दो ही धक्के में अनुराग स्खलित हो गया। उसने जोर से आवाज लगाई - दीदीईईईई , मैं तो गया तुम्हारे मखमली मुलायम गांड पर।

अनुराग अपने आखिरी झटके लेते रहा और अपना माल उसके गांड पर उड़ेल दिया। उसने लता के मुम्मों को जोर से भींच रखा था। कुछ देर बाद जब पूरा पानी बाह गया तो उसका लंड थोड़ा निचे हुआ और उस चक्कर में लता के दोनों टांगो के बीच से चूत की तरफ हो गया। उसके लंड का एहसास होते ही पहले ही कई बार झाड़ चुकी लता एकबार फिर से झाड़ गई। लता के हाथ की ऊँगली चूत से निकल गई और उसने पैरों को जोर से इस तरह दबाया जिससे अनुराग का लंड फंस गया। कुछ देर में लता को लगा की अनुराग का लंड चूत में घुसने वाला ही है।

उसने तुरंत पेअर ढीले किए और धीरे से कहा - कर ली न अपनी वाली।
अनुराग हाँफते हुए बोलै - जब अंदर लोगी तो मेरी वाली वाली होगी।
लता - हम्ममम।

दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे। तभी दरवाजे की बेल बजी। दोनों को अब जाकर एहसास हुआ की कितनी देर से दोनों एक दुसरे में खोये हुए थे। लता ने तुरंत अपनी साडी, ब्लॉउस और पेटीकोट संभाला और कमरे में बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली - अपने लंड को संभाल और दरवाजा खोल। मेरे बारे में बोले तो कह देना कपडे धो रही है

अनुराग ने भी अपने लंड को शांत किए और लुंगी सही करते हुए दरवाजा खोलने चल पड़ा।
baat dhire dhire aage bade rahi hai.
 
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