उस दिन के बाद अनुराग को तो लता के मुम्मे टच करने की इजाजत सी मिल गई थी। वो मौका देखता और अगर वर्षा पास नहीं होती तो लता के मुम्मे दबा देता। मालिश के वक़्त लता उसका मुठ मार देती और पानी निकाल देती थी। वर्षा भी दिन में कई बार उन दोनों को अकेले रहने का मौका दे देती थी।
ऐसे ही रात में वर्षा अनुराग के ऊपर चढ़ कर मालिश करती। और उसका लैंड अपने चूत पर रगड़ कर उसका माल निकाल देती थी। अनुराग ने अभी तक वर्षा के मुम्मे नहीं टच किये थे। वो दोनों के साथ हर कदम सोच समझ कर उठाना चाहता था। शुरु के दिनों में उसके मन में गिल्ट था पर वो भी धीरे धीरे ख़त्म हो चूका था और अब वो लता और वर्षा दोनों के सानिध्य को एन्जॉय करने लगा था।
एक दिन ऐसे ही वर्षा को बाजार से कुछ लाना था तो नाश्ते के बाद अपने बेटे को लेकर बाजार चली गई। अनुराग और लता ने भी साथ चलने को कहा तो उसने मना कर दिया। उन दोनों को एक्सीडेंट के बाद घर में अकेले रहने का पहली आर मौका मिला था। सुलेखा के गुजरने के बाद लता अनुराग के साथ घंटों घर में अकेले रहती थी पैट तबमें और अब की भावनाओं में अंतर था। लता ने हमेशा की तरह उस दिन भी साडी पहनी हुई थी। वर्षा के जाने के कुछ देर बाद लता खाना बनाने के लिए किचन में चली गई। उसके पीछे पीछे अनुराग भी पहुँच गया।
उसे देख लता ने कहा - क्या है ? यहाँ क्या कर रहा है ?
अनुराग ने उसे पीछे से पकड़ लिया और उसके कंधे पर गर्दन रखते हुए बोलै - सोच रहा हूँ थोड़ा मदद कर दू।
लता - चल हट , मुझे पता है तू क्या मदद करेगा।
अनुराग एक हाथ से लता के पेट सहलाने लगा और दुसरे को उसके दोनों मुम्मे के ऊपर रखते हुए उसे जकड लिया।
लता - जा यहाँ से काम करने दे। अभी मालिश के वक़्त तो इन्हे इतना दबाया थ। मन नहीं भरा ?
अनुराग - तुम्हारे दूध से मन नहीं भरता।
लता - चुप रह। वर्षा के दूध दबाया कर, पिलाती भी तो वही है । मेरे दबाने से कुछ न होने वाला।
अनुराग ने अब दोनों हाथों से उसके मुम्मे दबाने लगा। वो बीच बीच में उसके निप्पल भी उमेठ देता। लता ने ब्रा पहनी हुई थी तो निप्पल उमेठने पर ब्रा के कपडे की वजह से उसे दर्द होने लगा।
लता - आराम से कर। ब्रा से रगड़ कर निप्पल छील जायेंगे।
अनुराग - तो ब्रा उतार दो न।
लता - तेरा बस चले तो नंगा ही कर दे।
अनुराग - ये भी आईडिया सही है।
ये कहकर अनुराग ने उसके ब्रा के हुक खोल दिए।
लता - तू नहीं मानेगा।
अनुराग - दीदी , पहली बार तो ऐसा मौका मिला है।
अनुराग ने उसका ब्लाउज उतार दिया और फिर थोड़ा पीछे होकर उसके ब्रा का हुक भी खोल दिया। अब लता की साडी का आँचल जमीन पर था, ब्लाउज उतर के स्लैब पर और ब्रा को अनुराग ने उतार कर निचे गिराया तो फ्रिज के बगल में जा गिरा।
अब अनुराग लता के मुम्मे निचोड़ रहा था। कभी वो उन्हें आटे की तरह मथता तो कभी उसके निप्पल निचोड़ता।
लता बस अपने दोनों हाथो को स्लैब पर रख खड़ी सिसकारियां ले रही थी। अनुराग का लैंड अपने पुरे शेप में था और लुंगी से बाहर निकल लता के गांड पर दस्तक दे रहा था।
लता - आह अनु, बसकर न , कुछ गलत हो जायेगा।
अनुराग का खुद पर काबू नहीं था , बोला - होने दो न , अब मत रोको।
लता - तेरी बहन हूँ मैं।
अनुराग लंड को उसके गांड में धकेलता हुआ बोला - दीदी , प्लीज।
लता - नहीं , रुक जा, देख साडी खराब हो जाएगी।
अनुराग ने अपना एक हाथ लता के कमर पर लाकर सामने से उसके साडी की गांठे खोल दीं। लता की साडी भरभरा कर निचे गिर पड़ी। अब अनुराग उसके पेटीकोट के ऊपर से ही गांड पर धक्के लगाने लगा।
अनुराग - दीदी क्या मस्त गांड है तुम्हारी। मन कर रहा है मार लू।
लता - गांड तो तेरे जीजा भी आजतक नहीं मार पाए। जो कर रहा है जल्दी कर।
अनुराग ने उसके पेटीकोट को उठाते हुए कहा - गांड न सही , चूत तो दो न।
लता ने उसके हाथ को रोकते हुए कहा - नही , बस कर भाई। बाहर से ही कर ले। मेरी गांड के फांक में फंसा कर अपना माल निकाल ले।
अनुराग ने दोनों हठी से उसके चूतड़ों को फैला दिया और उनके बीच अपना लंड फंसा कर मारने लगा। लता को पता था ऐसे में अनुराग को देर लगेगी।
उसने कहा - गांड तो वर्षा की भी मस्त है। एकदम सुलेखा की तरह।
अनुराग - सुलेखा की गांड की बात ही अलग थी दीदी। उसे तो गांड मरवाने में बहुत मजा आता था। आह , आह
लता - सही कह रहा है। कई बार तो उसके गांड की चर्चा करके तेरे जीजा भी मेरे गांड पर ऐसे ही माल निकलते थे।
अनुराग - आह आह , लगता है तुम दोनों मियां बीवी ने हमारे नाम से बहुत मजे लिए है।
लता ने अब अपने एक हाथ को पेटीकोट के अंदर किया और अपनी चूत में ऊँगली करने लगी। बोली - ओह्ह , इस्सस इस्सस , तुम दोनों की चर्चाएं तो पुरे मोहल्ले में थी। तेरे नाम से भी बहुत औरतें ऊँगली करती थी। औरतें क्या लड़कियां भी। तेरी बहु भी तेरी दीवानी है।
अनुराग तृप्ति का नाम सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगा।
अनुराग - आह आह दीदी ये सब तुम्हे कैसे पता।
लता - नैना और तृप्ति खूब बातें करती थी तेरी। मुझे सब पता है। मेरा तो हो गया भाई। तू जल्दी कर , वर्षा के आने का टाइम हो गया।
अनुराग - आह आह , अपनी चूत में डालने देती तो अब तक हो गया होता न। आह आह।
लता - वर्षा आये तो उसकी चूत मार लेना। बड़ी चुदक्कड़ बनी घूम रही है आजकल।
अनुराग ने स्पीड बढ़ा दी। उसने लता के मुम्मे तेजी से दबाते हुए कहा - मुझे पता नहीं था की घर की औरतें ही मेरी दीवानी बानी घूम रही है। ऐसा ही रहा तो सबको चोद कर उनकी मनोकामना पूरी करनी होगी।
लता - हाँ , चोद देना सबको। साली लड़कियां नहीं रंडी है। ऐसे ही वर्षा की गांड मारना। कुछ दिन में रूबी भी आ जाएगी तो उसकी भी ले लेना।
अनुराग से अब बर्दास्त नहीं हुआ। उसने लता का पेटीकोट उठा लिया और उसके नंगे गांड के बीच में लंड फंसा लिया। बोला - पहले तुम दो।
लता - आह , भाई ये क्या कर रहा है। ये भी कर लिया तो बचा ही क्या है। मेरी चूत तो कब से दीवानी है। इस्स्स्सस्स्स्स
लता के नरमगांड के एहसास से एक दो ही धक्के में अनुराग स्खलित हो गया। उसने जोर से आवाज लगाई - दीदीईईईई , मैं तो गया तुम्हारे मखमली मुलायम गांड पर।
अनुराग अपने आखिरी झटके लेते रहा और अपना माल उसके गांड पर उड़ेल दिया। उसने लता के मुम्मों को जोर से भींच रखा था। कुछ देर बाद जब पूरा पानी बाह गया तो उसका लंड थोड़ा निचे हुआ और उस चक्कर में लता के दोनों टांगो के बीच से चूत की तरफ हो गया। उसके लंड का एहसास होते ही पहले ही कई बार झाड़ चुकी लता एकबार फिर से झाड़ गई। लता के हाथ की ऊँगली चूत से निकल गई और उसने पैरों को जोर से इस तरह दबाया जिससे अनुराग का लंड फंस गया। कुछ देर में लता को लगा की अनुराग का लंड चूत में घुसने वाला ही है।
उसने तुरंत पेअर ढीले किए और धीरे से कहा - कर ली न अपनी वाली।
अनुराग हाँफते हुए बोलै - जब अंदर लोगी तो मेरी वाली वाली होगी।
लता - हम्ममम।
दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे। तभी दरवाजे की बेल बजी। दोनों को अब जाकर एहसास हुआ की कितनी देर से दोनों एक दुसरे में खोये हुए थे। लता ने तुरंत अपनी साडी, ब्लॉउस और पेटीकोट संभाला और कमरे में बाथरूम की तरफ जाते हुए बोली - अपने लंड को संभाल और दरवाजा खोल। मेरे बारे में बोले तो कह देना कपडे धो रही है
अनुराग ने भी अपने लंड को शांत किए और लुंगी सही करते हुए दरवाजा खोलने चल पड़ा।