अब अनुराग वर्षा की गांड भी मार चूका था। इसी प्यार के चक्कर में लता भी नैना और अनुराग की शादी के लिए लगभग मान चुकी थी। ये प्यार सिर्फ अनुराग और वर्षा के लिए नहीं था बल्कि अपने पति शेखर के लिए भी था। उसे पता था शेखर वर्षा को भोगना चाहता है। उसे छोड़ते समय वो जब उसके स्तनों को चूसता तो बार बार कहता की काश इनमे दूध आता। लता फिर उसे वर्षा का नाम लेकर उत्तेजित करती तो वो उसे जबरजस्त तरीके से चोदता। अक्सर वो लता को गाय की तरह बना कर उसके स्तनों को ऐसे दूहता जैसे उनमे से दूध आ रहा हो। जब वो ऐसा करता तो लता कहती - कहो तो वर्षा को बुला दूँ , दुह लेना।
ये सुनकर शेखर उसके मुम्मे और तेजी से खींचता।
ये बात सिर्फ लता और शेखर के बीच में ही नहीं थी। नैना ने भी ये महसूस कर लिया था की उसके पापा वर्षा को अलग तरीके से देखने लगे हैं। जब दौड़ने परिवार इक्कठा होते तो उसने शेखर को कई बार वर्षा को ताड़ते हुए देखा था। शेखर नैना को बहुत मानता था। लता को पता नहीं था पर शेखर और नैना अनुराग के बारे में कभी कभार बात कर लेते थे। शेखर जब नैना से पूछता की वो शादी क्यों नहीं कर रही तो नैना का जवाब वही होता की आपको पता है।
शेखर का फिर अगला सवाल होता - अनुराग से बात करे ?
नैना मन कर देती। उसे अनुराग से ज्यादा अपनी माँ का डर था। उसने इस बारे में शेखर को इशारा किया था। पर शेखर भी लता से डरता था। पर जबसे उसे लता और अनुराग के सम्बन्धो का अंदाजा हुआ तो वो समझ गया की अब जल्दी ही लता अनुराग और नैना के रिश्ते के लिए तैयार हो जाएगी। अभी तक उसने वर्षा को कामुक नजरों से नहीं देखा था पर धीरे धीरे वो उसकी तरफ आकर्षित होने लगा। पहले उसे बुरा लगता और ग्लानि होती की बेटी के समान लड़की की तरफ गलत नजरों से देख रहा है। पर फिर अनुराग और लता और नैना और अनुराग के बारे में सोचता तो लगता गलत क्या है। पर जब से उसे अनुराग और वर्षा के सम्बन्धो का पता चला उसके अंदर वर्षा को भोगने की इच्छा बढ़ती चली गई।
इधर लता ने भी जब देखा की शेखर को उसके और अनुराग के सम्बन्धो पर आपत्ति नहीं है तो उसे शेखर पर बहुत प्यार आया। उसने भी शेखर को इनाम स्वरुप वर्षा दिलवाने को सोच लिया था। पर वो जबरजस्ती नहीं करना चाहती थी। पर अब तो वर्षा मान गई थी। पर वर्षा के मानने के साथ शर्त थी। वो थी नैना और अनुराग की शादी के लिए तैयार होना। अब वो अपने आप को उसके लिए तैयार कर चुकी थी। आखिर मानती क्यों नहीं। परिवार एक ही था। सम्बन्धो में घायल मेल हो चूका था। सब तो चोरी छुपे थे कम से कम ये तो रिश्ता जायज होता। समाज में थोड़ा अजीब लगता पर ये सब होता रहता है। वैसे भी कौन मतलब रखता है इस जिंदगी में।
खैर इससे बड़ी चिंता रूबी के आने से थी। रूबी थोड़ी कड़क मिजाज थी। कम बोलती थी। उससे थोड़ा सब घबराते थे। सब के सब डरे हुए थे की रूबी के आने से तो ये सब बंद हो जायेगा। और रूबी लंबा रुकने का प्लान करके आई थी। कहाँ सब सोच रहे थे की वर्षा जाएगी तो रूबी के दूध का फायदा अनुराग को हो जायेगा। पर दूध का रिश्ता बदल चूका था और रूबी के कड़क सभाव से किसी को उससे बात करने की इच्छा नहीं थी। अनुराग को दूध की प्रॉब्लम नहीं थी क्योंकि इतना स्तनपान कराने से वर्षा के स्तनों से दूध बनता ही जा रहा था। और लता उसे पुष्टिक चीजें खिलाती जिससे दूध और बनता। पर रूबी के आने से अनुराग को दूध की पिलाने की भी समस्या हो जाती। किचन में जो आग भड़की थी , उसके शांत होते ही तीनो के दिमाग में यही सब चल रहा था।
वर्षा - पापा , आज आपने गांड भी मार ली। पर सिर्फ चार पांच दिनों के लिए ही सब संभव है। फिर तो रूबी के आने से सब बंद।
लता - यार , कुछ करना पड़ेगा। मैं भी बस एक ही बार दोनों छेद के मजे ले पाई हूँ। मुझे और चाहिए।
वर्षा - आज मौका था फूफा आये थे। कर लेना था।
लता - फट्टू है साला। रात चोदते समय बातें तो ऐसे करेंगे जैसे दुनिया की साड़ी औरतों को चोद के गुलाम बना लेंगे। पर सुबह थोड़ी से बात पर निकल पड़े ।
लता - हाँ वो नैना ने ऐसा बोला की क्या ही बोलते।
लता ने अनुराग की तरफ देखा और कहा - तेरा बाप भी फट्टू ही है। बहनचोद , जब प्यार करता है तो बोलता क्यों नहीं। जब तेरी बीवी ने कह ही दिया था फिर इतना गम में क्यों डूबा है ?
अनुराग - दीदी , मुझ पर क्यों गुस्सा हो रही हो। मान तो आप नहीं रही थी। आज पता नहीं कैसे मान गई।
लता - एकदम डरपोक और बुद्धू है तू। एक वो है जो तेरे चक्कर में ब्याह नहीं कर रही। एक ये है तो तेरे चक्कर में अपने फूफा से छोड़ने को तैयार है और तू मेरी रजामंदी देख रहा है। प्यार करता है तो हक़ से मांगता।
अनुराग - दीदी , आप भी कैसी बात करती हैं। भांजी का हाथ मांग लेता वो भी अपनी सगी बहन की बेटी का।
लता - चूतिये , उसी बहन को चोदने में दिक्कत नहीं है। अपनी बेटी की गांड मारने की तम्मन्ना दिल में लिए बैठा था और आज मार भी ली और बात संस्कारी वाली करता है।
अनुराग ने सर झुका लिया। पर लता की ये बात सुन कर वर्षा हंस पड़ी।
हँसते हुए वो वाली - बुआ आप भी न नैना की माँ हो। एकदम बोल्ड। जिसे प्यार करती हो दिल से। और आज पापा की मार ली तुमने।
लता और वो फिर हंसने लगे। लता को बहुत अच्छा लगा जब वर्षा ने ये कहा की नैना उसके जैसी है। उसका सीना एकदम चौड़ा हो गया।
उसने अनुराग से कहा - सर झुका कर क्यों पड़ा हुआ है। नैना को नाराज तुमने किया है। उसे तुम्हारे हाँ का इंतजार है। कर ले कॉल उसे।
मना ले।
अनुराग उठ कर कमरे से मोबाईल लाने चला गया। उसने देखा मोबाईल में आलरेडी नैना के बहुत सारे कॉल आये हुए थे। उसने उसे फ़ोन किया और स्पीकर पर रखते हुए वापस किचन में आ गया। वहां वर्षा और लता गुथम गुथा थे। अनुराग को देखकर भी वो एक साथ लगे रहे।
फ़ोन उठाते ही नैना उधर से बोली - जी मामा जी बोलिये।
ये सुन वर्षा बोली - साली सैयां को मामा बोल रही है। कितनी शरीफ है।
लता - सस्शह्ह्ह , चुप।
अनुराग - वो सुबह के लिए सॉरी। मैं उस समय कुछ बोल नहीं पाया और तुम नाराज होकर चली गई।
नैना - ओह्ह , तो आपने सुबह के लिए कॉल किया है। आप सॉरी क्यों बोल रहे हैं ? मैं आपसे नाराज नहीं हूँ।
अनुराग - अच्छा , हम तीनो यहाँ काफी परेशान थे। तुम गई फिर, जीजा जी भी निकल गए। हम तीनो यही सोच में थे की कैसे नारजगो दूर की जाए।
नैना ने हँसते हुए कहा - आप तीनो परेशान थे ? अच्छा तो इसी परेशानी में आपने आपस में चुदाई कर ली। कितनी बार बेटी की ली और कितनी बार अपने शरीफ बहन की।
ये सुनते ही लता से रहा नहीं गया। लता बोली - क्या बकवास कर रही है। तुझे पता भी है हम कितने स्ट्रेस में हैं ?
नैना - अच्छा स्ट्रेस कम करने के लिए गांड मरवाई या चूत ?
लता - तुझे कैसे पता हमने क्या किया ?
नैना - अपना फ़ोन देखो ? और मामा , आप बताओ कितने मिस्ड कॉल हैं आपके फ़ोन पर ? इतनी ही चिंता थी तो फ़ोन क्यों नहीं उठाया।
तीनो समझ गए। उन्होंने अपना माथा पकड़ लिया।
नैना - जब किसी का फ़ोन नहीं लगा तभी मैं समझ गई थी। मुझे लगा की आज पापा को वरसधा रानी की चूत मिल गई होगी। पर उनको फ़ोन किया तो वो वाकई परेशान थे पर ऑफिस में थे। सच कहीं तो उन्हें मेरी चिंता थी।
लता - माफ़ कर दे हमें। ऐसा नहीं है की हमें चिंता नहीं है पर तू तो जानती है , इन दोनों को देख कर होश खो देती हूँ।
नैना - ठीक है ठीक है सब समझती हूँ।
वर्षा - ये बता , तूने हमें माफ़ कर दिया न ?
नैना - अरे नाराज ही नहीं हूँ तो माफ़ी कैसी। वो तो उस समय बोल गई थी ताकि पापा , माँ और मामा मेंटली मान जाएँ।
लता - हम्म्म। अगर मैं मान गई तो ये बता तू अपनों बेटी को अपने पापा से चुदवा देगी।
नैना - ये क्या बात हुई ?
लता हँसते हुए - अरे भाई , तू अनु की पत्नी बनेगी तो वर्षा तेरी बेटी। और उसने तो शर्त रखी है मैं मान जाऊं तो वो तेरे पापा से चुद लेगी। तू घर की मालकिन है, सब तेरे हिसाब से होगा न।
नैना - ओह्ह। ये बात। अरे वर्षा मेरी बहन भी है, और तुम रेडी तो मेरी बेटी और पापा की और बेटी दोनों राजी तो मुझे क्या दिक्कत। वैसे भी पापा की ललचाई नजरों पर अब तरस आता है। आजकल तुम्हे गाय बनाकर दूहते हैं तो अजीब लगता है।
लता - ओह्ह , तूने हर जगह सैटेलाइट लगा रखा है क्या ?
नैना - आप दोनों एक नंबर के हवसी हो। एक तो सेक्स करते समय इतना चिल्लाते हो उस पर से कमरे का दरवाजा खुला रखते हो। सब पता चलता है। पडोसी तक जानते होंगे आप दोनों कितने राउंड कब्बड्डी खेले हो।
लता शर्मा गई। बोली - ठीक है बकवास बंद कर। पापा को बता दे - असली गाय को दुह सकते हैं। वैसे भी उन्होंने सुबह की ताजे दूध की चाय मिस कर दी।। तूने भी मिस कर दी।
नैना - ये गाय तो मेरी ही है। कभी भी पी लुंगी।
वर्षा - चिंता न कर तू कभी गाय बनेगी। पापा से बोलूंगी जल्दी ही बछड़ा या बछड़ी कर लें।
नैना चुप हो गई फिर बोली - अभी इन्हे इंतजार करना पड़ेगा।
वर्षा ने मजे लेते हुए कहा - इन्हे , बड़ी जल्दी मामा से इन पर आ गई।
नैना - चुप करो। मैं फ़ोन रखती हूँ। मरीज इंतजार कर रहे हैं।
लता - और यहाँ जो बीमार पड़ा है उसका क्या ?
नैना - उसकी बिमारी के इलाज के लिए ही तो दुधारू गाय बुलाई है। एक राउंड पीला दो।
अब वर्षा और अनुराग शर्मा गए। फ़ोन कटते ही अनुराग उठ कर जाने लगा।
लता ने उसका हाथ पकड़ लिया - कहाँ जा रहा है ? बेटी पा गया तो माँ को भूल गया। बहनचोद तुम दोनों बाप बेटी ने जो अंदर आग लगाई है उसे कौन बुझायेगा।
अनुराग जो अब तक नंगा ही था , उसकी बात सुन कर एकदम चौंक गया। उसका लैंड भी चौकन्ना हो गया , उसने तुरंत खुद को संभाला और लता के हाथ से पकड़ते हुए खींच कर खड़ा कर दिया और अपने से चिपकता हुआ बोला - गांड मरवाओगी या चूत ?
लता - अभी तो चूत में आग लगी है। तेरी होने वाली ने तेरे जीजा कप फ़ोन कर दिया होगा। वो ठरकी भी आ ही जायेगा। तब सैंडविच बना कर गांड मारना पर अभी चूत मार ले।
अनुराग ने उसे कमर पकड़ कर उठा दिया और किटचेक के स्लैब पर बिठा दिया। उसने उसकी टाँगे फैलाई और उसके चूत में डालते हुए कहा - तुम्हारी चूत तो पहले से तैयार बैठी है।
लता ने अपने हाथो को उसके कंधे पर लपेटा और पैरों को उसके कमर पर और कहा - हां रे। तेरे लैंड की दीवानी है।
वर्षा - चलो आप दोनों तो अपनी गर्मी शांत करो , मैं चाय बनाने जा रही हूँ।
लता - पैकेट का दूध डालना। अपना बचा लेना। तेरे फूफा आकर पिएंगे।
वर्षा - पहले अपना सैंडविच बना कर खिला देना , फिर दूध की बात करेंगे।
लता - तैयार रह सैंडविच तो तेरा भी बनेगा। उफ़ तू क्यों रुक गया। चल जोर से पेल मुझे।
अनुराग - उफ्फ्फ दीदी , क्या चूत है तुम्हारी। मजा आ जाता है अंदर जाकर। मक्खन की तरह चिकनी।
वर्षा - गांड तो और भी मस्त है पापा। इसके बाद गांड भी मार लेना।
लता - हाय, उफ़। इस्सस गांड तो तेरी मरवाउंगी। चिंता मत कर कुछ घंटो की बात है।
अनुराग के लैंड ने दो तीन बार माल पहले निकाल लिया था तो उसे देर होनी ही थी पर लता की चूत ने पानी छोड़ दिया। उसने अनुराग के कमर को पैरों से जकड लिया और कांपते हुए झड़ने लगी।
वर्षे ने उसकी हालत देखि तो कहा - इतनी जल्दी। मेरे पापा को संभाल नहीं पाओगी।
लता - चुप कर कमिनी। अभी तो एक राउंड हुआ है।
अनुराग ने लता को स्लैब से उतारा और उल्टा करके स्लैब के सहारे झुका दिया और उसके गांड में लैंड डालने लगा।
लता - गांड रहने दे प्लीज।
अनुराग - थोड़ी देर।
लता - तू कहाँ मानेगा।
अनुराग ने लता के गांड में लैंड डालना शुरू किया।
लता को दर्द हो रहा था। वो चीख कर बोली - बहनचोद , तेल तो लगा लेता। तेरी बेटी को मक्खन लगा कर तैयार किया था और तू सूखे ही मार रहा है।
वर्षा हँसते हुए उन दोनों के बीच में तेल उड़ेलती हुई बोली - तेल लगा लिया करो पापा। अभी इनकी गांड चौड़ी होने में वक़्त लगेगा।
अनुराग का लैंड तेल लगते ही तेजी से अंदर घुस गया।
लता - उफ़ , आराम से। बोल ले वर्षा तू भी बोल ले। तेरी गांड और तेरी बहन की गांड ना मरवाई अपने खसम से तो बोलना।
वर्षा - पहले अपनी मरवा लो , वैसे भी रूबी की चिंता ना करो , उसके आने से गांड तो क्या चूत भी नहीं मरवा पाओगी।
लता - बकरे की बिटिया कब तक खैर मनायेगी। तेरा बाप ही उसे पहले चोदेगा देख लेना।
वर्षा - बुआ , उसे मेरी तरह लैंड की जरूरत नहीं है। देखा नहीं उसका हस्बैंड कितना प्यार करता है।
लता - उफ़ , आह , आह अनुराग तेरा हुआ नहीं क्या ? रंडी बुलानी पड़ेगी क्या ?
अनुराग - तुम हो न मेरी परसनल रांड , बाहर से क्यों बुलाएं।
लता - हम्म्म तूने हम सबको रंडी तो बना ही दिया है। उफ्फ्फ आह। बहु भी पेलेगा क्या ?
वर्षा - दीवानी तो वो भी इनकी कम नहीं है। बोलेंगे तो चुद जाएगी।
बहु तृप्ति का नाम सुन कर अनुराग का लैंड एकदम कड़क हो गया। पर उसने अपनी भावनाओं को छुपाते हुए कहा - वो तो बहु है। पहले उसकी सहेली तुम्हारी बेटी पेल लूंगा।
लता - आह आह। बस कर रे। जिसको मन करे उसको पेल लेना। मुझे बख्स दे।
अनुराग - आह आह। बस दीदी होने ही वाला है।
लता की हालत देख वर्षा से रहा नहीं गया। वो स्लैब पर वहीँ टांग फैला कर बैठ गई और बोली - पापा आइये। आपको मैं ही संभाल सकती हूँ।
वर्षा का इनविटेशन देख अनुराग ने अपना लंड लता के गांड से निकाल लिया और बोला - तू ही मेरी सहारा है।
लता - उफ़ , मार ले उसकी।
अनुराग ने कुछ ही धक्के मारे होंगे की उसका लंड खलास हो गया। वर्षा बही गरम ही हुई थी। अनुराग को पता था वो संतुष्ट नहीं हुई है।
अनुराग ने अपना लंड तो निकाल लिया पर झुक कर वो वर्षा के चूत को चाटने लगा। वर्षा - आह पापा खा जाओ। कितने ाचे हो आप। बस होने ही वाला है। सक माय कंट। चूस लो। आह आह आह बस मेरा होने ही वाला है। उसने अपने पैरों को अनुराग के दोनों कंधे पर से दबा लिया और तेजी से झड़ने लगी।
आज अनुराग ने दिन में ही कई राउंड चुदाई कर ली थी। तीनो थक चुके थे।
वर्षा - बुआ , फूफा को मना कर दो। आज अब कुछ नहीं होगा।
लता - सच में। मुझसे भी नहीं होगा। अभी कुछ खाया पीया भी नहीं है।
उसने शेखर को फ़ोन घुमा दिया। अभी वो ऑफिस से निकलने को सोच ही रहा था पर हालात सुनकर मन मसोस लिया उसने। खैर एक दिन और सही। उसके कल के लिए ऑफिस में छुट्टी डाल दी और कल के सपने में खो गया।
इधर तीनो थके मांदे घर के कामों में लग गए। नैना भी माँ के मान जाने से खुश थी। उसके अंदर की चिंगारो तो पहले ही भड़क उठी थी। बस शोले उठने वाले थे। पर आग में पूरी तरह जलने से पहले उसे कई काम करने थे। सुलेखा की तरह सबको खुश रखना था , सबका ख्याल रखना था , उसे पता था अभी आग में उसके तपने का समय नहीं है। अभी कई और लोग तपेंगे।
ये परिवार इधर अपने सुख में था पर रूबी के आने से डरा भी हुआ था। पता नहीं रूबी के आने के बाद क्या होगा।