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Incest पापा का इलाज [Erotica, Romance and Incest]

Do you want all characters of the stories to fuck each other or only Anurag should fuck the ladies?

  • Yes - I love everyone to be fucked by everyone

    Votes: 29 44.6%
  • No - I love the love between Anurag, Naina and Varsha. That should be kept sacred

    Votes: 21 32.3%
  • No- Only the Hero should have all the fun

    Votes: 15 23.1%

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namedhari

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Bhai update jaldi dijiye.
 

Rinkp219

DO NOT use any nude pictures in your Avatar
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tharkiman

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अगली सुबह वर्षा किचन में नाश्ता बना रही थी और अनुराग उसके बच्चे के साथ ड्राइंग रूम में टीवी देखते हुए खेल रहा रहा था। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा ने आवाज लगाते हुए कहा - पापा देखिये लगता है बुआ आ गईं।
अनुराग उठकर दरवाजे पर पहुंचा। खोलते ही देखा सामने रूबी और उसका पति रितेश खड़ा था। अनुराग को देखते ही दोनों ने झुक कर उसके पैर छुए। अनुराग को खुश होना चाहिए था पर वो शॉक में था। पर उसने खुद को संभाला और आषीर्वाद देने के बाद बगल में प्रैम में लेते बच्चे को उठाता हुआ बोला - आखिर तुम लोगों को मेरी याद आ ही गई। मेरे नाती को मेरे पास लेकर आई तो सही ।
रितेश - पापा , आना तो था। कुछ दिन बाद का प्लान था। पर इसने कल जिद्द लगा ली की आज आएगी।
रूबी - आप सबकी बहुत याद आ रही थी। मन नहीं माना तो जबरजस्ती लेकर आ गई और आप कह रहे हैं याद नहीं आती।
अंदर से वर्षा ने आवाज दी - पापा कौन है ?
रूबी ने उसे चुप रहने का इशारा किया और धीरे से जाकर वर्षा के पीछे से उसके आँख पर हाथ रख दिया।
वर्षा- बुआ , ये बुढ़ापे में कौन सा नया खेल चालु किया है ?
रूबी ने उसके कान में धीरे से कहा - बुआ के साथ कौन कौन सा खेल खेल रही हो दीदी ?
वर्षा चौंकाते हुए बोली - अरे तुम।
वो पलट गई और दोनों बहने गले लग गईं। भावनाओ का ज्वार फूटा और दोनों वहीँ रोने लगीं। काफी दोनों बाद इस तरह से मिल रही थी।
उन दोनों को वहीँ रोते देख अनुराग के आँख में भी आंसू आ गए। पर खुद को सँभालते हुए उसने कहा - अरे भाई , ऐसे मिलने पर कौन रोता है ?
वर्षा - पापा ये ख़ुशी के आंसू हैं। इतने दिनों बाद इस पगली से मिल रही हूँ।
वर्षा और रूबी बाहर आ गई। वर्षा को देख कर रितेश उसके पैर छूने के लिए झुका तो वर्षा पीछे हट गई। बोली - अरे ये क्या कर रहे हैं। आप बैठिये। उसे लगा रितेश उसे अजीब नजरों से देख रहा है। देखता भी क्यों नहीं। वर्षा ने एक स्लीवलेस नाइटी पहन रखी थी और अंदर कुछ भी नहीं था। वर्षा को ये एहसास हुआ तो उसने कहा - आप लोग बैठिये मैं आती हूं।
रूबी - बैठो न कहाँ जा रही हो ?
वर्षा ने इशारे से अपने कपडे की तरफ दिखाया और अपने कमरे में चली गई। अनुराग रूबी के बच्चे के साथ खेल रहा था। रितेश वर्षा के अंदर जाते ही निराश हो गया। रूबी ने अपनी केहुनी से उसके बगल में मारते हुए कहा - क्या हुआ जनाब , उम्म्मेदों पर पानी फिर गया ?
रितेश - चुप रहो।
दोनों मिया बीवी मुश्कुराने लगे।
कुछ देर में वर्षा एक अच्छे से सलवार सूट में बाहर आई। वो तुरंत किचन में गई और नाश्ते के इंतजाम में लग गई। अनुराग रितेश से उसके काम धंधे के बारे में बात करने लगा। रूबी वर्षा और अपने बच्चे के साथ खेलने लगी। वर्षा का बच्चा उनसे ज्यादा घुला मिला नहीं था तो उसे उससे दोस्ती करनी थी। कुछ देर बाद वर्षा ने रूबी को आवाज देकर बुलाया - रूबी , नाश्ता ले जा।
रूबी उसके पास पहुँच कर बोली - क्या दी। आते ही काम पर लगा दिया।
वर्षा - अच्छा रहने दे मैं लेकर आती हूँ।
रूबी - अरे मैं तो मजाक कर रही थी।
रूबी ट्रे में चाय नाश्ता लेकर पहुंची। वो जैसे ही ट्रे रखने को झुकी तो उसके सूट से सुकि घाटियां दिखने लगी। अनुराग की नजर वाहन गई तो कमर के निचे कुछ हलचल होने लगी। पर तुरंत उसने खुद को संभाल लिया। किचन से इधर की तरफ देखती वर्षा के होठो पर मुस्कान आ गई। उसने मन ही मन कहा - पापा अब तो सिर्फ देख कर ही काम चलाना पड़ेगा। मेरा भी और रूबी का भी।
रूबी ने फिर आवाज दिया - आप भी आओ न दीदी।
वर्षा भी आ गई। सब बातों में मसगूल हो गए। पर दो जोड़ी नजरे दो जोड़ी दूध भरे स्तनों को ताड़ने में लगे थे। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा उठते हुए बोली - लगता है बुआ आ गईं।
रूबी - आप बैठो मैं खोलती हूँ। रूबी उठ कर गई तो सच में बुआ थी पर अकेले नहीं थी साथ में शेखर भी था।
रूबी को देखते ही दोनों चौंक गए। पर खुद को सँभालते हुए लता ने उसे गले लगा लिया।
लता - तू कब आई ?
रूबी - अभी कुछ देर हुए।
फिर वो शेखरका पैर छूने ले लिए झुकी । उसके झुकने से शेखर की नजर उसके हाहाकारी स्तनों पर पड़ी। उसके कमर के निचे भी हलचल होने लगी। उसकी हालत देख लता ने उसे कहीं मारते हुए कहा - आशीर्वाद तो दीजिये लड़की को।
शेखर - हाँ हाँ। खुश रहो। बहुत दिनों बाद देखा है।
शेखर आशा लेकर आया था की आज उसे आखिर में वर्षा का दूध और चूत दोनों मिल जाएगा पर यहाँ मिला तो कुछ नहीं पर एक और दूध वाली ने उसे तड़पाने को आ गई है।
दोनों अंदर आये। रितेश ने दोनों के पैर छुए।
लता - बहुत दिनों बाद दामाद जी नजर आये हैं।
रूबी - अभी हॉस्पिटल में भी तो मिली थी।
लता - हॉस्पिटल में मिलना भी कोई मिलना होता है। अब एक आध हफ्ते खातिर करेंगे तब मन भरेगा।
रूबी - इनका मन तो आपके खातिर से कभी नहीं भरेगा। क्यों रितेश ?
रितेश हकलाता हुआ बोला - हम्म , पर मज़बूरी है। मुझे शाम को निकलना पड़ेगा। रूबी ने अचानक प्लान बना लिया तो मैं छुट्टी नहीं ले पाया। बड़ी मुश्किल से एक दिन की मिली है। मैं फिर बाद में आराम से एक हफ्ते के बाद आऊंगा।
लता दुखी होते हुए बोली - ये तो गलत बात है। वर्षा , रूबी , रोको इन्हे।
वर्षा - हां। रुक जाइये न रितेश जी।
रितेश उसकी तरफ देख कर बोला - आज नहीं पर अगली बार आप दोनों से अच्छी खातिर कराऊंगा।
रूबी - बड़े हैं दोनों। खातिर करनी पड़ेगी।
रितेश - हाँ हाँ।
सब हंसने लगे। रूबी की बातें सिर्फ लता और वर्षा को ही नहीं अनुराग को भी अजीब लग रही थी। पर अभी कुछ भी कहने सोचने के हालत में नहीं थे। पर शेखर की हालत बहुत ख़राब थी। रूबी को देख कर वो पागल हो रहा था। रूबी के स्तन वर्षा से भी बड़े थे। बल्कि लता से भी। उसका बदन बहुत भरा हुआ था। पूरा मांसल शरीर था । नई माँ बनी थी , एक्स्ट्रा चर्बी उतरी नहीं थी। पर शेखर को उसी में तो मजा आता था। पैट अफ़सोस ये नयनसुख भी उसके नसीब में ज्यादा नहीं था। रूबी ने आकर सबका खेल बिगाड़ दिया था।
वर्षा किचन में उन सबके लिए नाश्ता लाने चली गई। तभी दरवाजे पर फिर से घंटी बजी।
अनुराग - अब कौन आया है ?
रूबी - देखती हूँ
दरवाजा खोलते ही रूबी एकदम ख़ुशी से चीख पड़ी। सामने नैना खड़ी थी। दोनों ने एक दुसरे को गले लगाया।
नैना धीरे से - मानी नहीं। आ गई खेल बिगाड़ने।
रूबी - मैं सबको समय देना चाहती हूँ। जल्दीबाजी में कोई कदम ना उठे। सोच समझ कर सबकी मर्जी होनी चाहिए।
नैना - तू बड़ी चोर है। पापा की हालत देखी।
रूबी - हाँ , उनके सामने से तो थाली खींच ली है मैंने।
नैना - बच के रहना। ठरकी के सामने अब दो दो थाली है।
रूबी - थाली या थन।
दोनों हंसने लगी। लता बोली - वहीँ मिलकर विदा करेगी या अंदर आने देगी।
रूबी - उसी का घर है बुआ। उसे कौन रोक सकता है। मालकिन हैं मैडम।
रूबी बम फोड़े जा रही थी। सब समझ कर भी अनजान बने हुए थे। उसके मन की बात कोई नहीं जानता था। कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहता था क्योंकि रूबी के गुस्से से सब वाकिफ थे।
पूरा दिन हंसी ठहाके में गूंजा। बड़े दिनों बाद परिवार इकठ्ठा हुआ था। अनुराग मन ही मन सुलेखा को याद कर रहा था।
तभी लता बोल पड़ी - काश अवी और तृप्ति भी होते।
नैना - हाँ। मजा आ जाता।
रूबी - भाई ने कहा तो है आएगा। कोशिश कर रहा है लम्बी छुट्टी मिले तो आये।
अनुराग - हाँ मुझसे भी कह रहा था। पर कब आएगा पता नहीं।
सबको उदास होते देख नैना ने कहा - कोई बात नहीं। बाकी तो हैं। और चलिए उसको भी वीडियो कॉल पर ले लेते हैं।
अनुराग - अरे वो सब सो रहे होंगे।
नैना - नहीं। सुबह मेरी बात हुई थी। कुछ वर्क प्रेशर है। आजकल पूरी रात लगे रहते हैं।
उसने फ़ोन घुमा दिया। उसने सही कहा था। अवि और तृप्ति जगे हुए थे। फिर से ठहाको और मजाक का दौर चल पड़ा। इस मस्ती में कब दिन निकल गया पता ही नहीं चला। आखिर शाम को रितेश भी निकल गया। उसके कुछ देर बाद लता , शेखर और नैना भी। घर में रह गए सिर्फ तीन जन। रात अभी शुरू हुई थी। ये देखना दिलचस्प होगा अब आगे क्या होगा।
 

Motaland2468

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अगली सुबह वर्षा किचन में नाश्ता बना रही थी और अनुराग उसके बच्चे के साथ ड्राइंग रूम में टीवी देखते हुए खेल रहा रहा था। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा ने आवाज लगाते हुए कहा - पापा देखिये लगता है बुआ आ गईं।
अनुराग उठकर दरवाजे पर पहुंचा। खोलते ही देखा सामने रूबी और उसका पति रितेश खड़ा था। अनुराग को देखते ही दोनों ने झुक कर उसके पैर छुए। अनुराग को खुश होना चाहिए था पर वो शॉक में था। पर उसने खुद को संभाला और आषीर्वाद देने के बाद बगल में प्रैम में लेते बच्चे को उठाता हुआ बोला - आखिर तुम लोगों को मेरी याद आ ही गई। मेरे नाती को मेरे पास लेकर आई तो सही ।
रितेश - पापा , आना तो था। कुछ दिन बाद का प्लान था। पर इसने कल जिद्द लगा ली की आज आएगी।
रूबी - आप सबकी बहुत याद आ रही थी। मन नहीं माना तो जबरजस्ती लेकर आ गई और आप कह रहे हैं याद नहीं आती।
अंदर से वर्षा ने आवाज दी - पापा कौन है ?
रूबी ने उसे चुप रहने का इशारा किया और धीरे से जाकर वर्षा के पीछे से उसके आँख पर हाथ रख दिया।
वर्षा- बुआ , ये बुढ़ापे में कौन सा नया खेल चालु किया है ?
रूबी ने उसके कान में धीरे से कहा - बुआ के साथ कौन कौन सा खेल खेल रही हो दीदी ?
वर्षा चौंकाते हुए बोली - अरे तुम।
वो पलट गई और दोनों बहने गले लग गईं। भावनाओ का ज्वार फूटा और दोनों वहीँ रोने लगीं। काफी दोनों बाद इस तरह से मिल रही थी।
उन दोनों को वहीँ रोते देख अनुराग के आँख में भी आंसू आ गए। पर खुद को सँभालते हुए उसने कहा - अरे भाई , ऐसे मिलने पर कौन रोता है ?
वर्षा - पापा ये ख़ुशी के आंसू हैं। इतने दिनों बाद इस पगली से मिल रही हूँ।
वर्षा और रूबी बाहर आ गई। वर्षा को देख कर रितेश उसके पैर छूने के लिए झुका तो वर्षा पीछे हट गई। बोली - अरे ये क्या कर रहे हैं। आप बैठिये। उसे लगा रितेश उसे अजीब नजरों से देख रहा है। देखता भी क्यों नहीं। वर्षा ने एक स्लीवलेस नाइटी पहन रखी थी और अंदर कुछ भी नहीं था। वर्षा को ये एहसास हुआ तो उसने कहा - आप लोग बैठिये मैं आती हूं।
रूबी - बैठो न कहाँ जा रही हो ?
वर्षा ने इशारे से अपने कपडे की तरफ दिखाया और अपने कमरे में चली गई। अनुराग रूबी के बच्चे के साथ खेल रहा था। रितेश वर्षा के अंदर जाते ही निराश हो गया। रूबी ने अपनी केहुनी से उसके बगल में मारते हुए कहा - क्या हुआ जनाब , उम्म्मेदों पर पानी फिर गया ?
रितेश - चुप रहो।
दोनों मिया बीवी मुश्कुराने लगे।
कुछ देर में वर्षा एक अच्छे से सलवार सूट में बाहर आई। वो तुरंत किचन में गई और नाश्ते के इंतजाम में लग गई। अनुराग रितेश से उसके काम धंधे के बारे में बात करने लगा। रूबी वर्षा और अपने बच्चे के साथ खेलने लगी। वर्षा का बच्चा उनसे ज्यादा घुला मिला नहीं था तो उसे उससे दोस्ती करनी थी। कुछ देर बाद वर्षा ने रूबी को आवाज देकर बुलाया - रूबी , नाश्ता ले जा।
रूबी उसके पास पहुँच कर बोली - क्या दी। आते ही काम पर लगा दिया।
वर्षा - अच्छा रहने दे मैं लेकर आती हूँ।
रूबी - अरे मैं तो मजाक कर रही थी।
रूबी ट्रे में चाय नाश्ता लेकर पहुंची। वो जैसे ही ट्रे रखने को झुकी तो उसके सूट से सुकि घाटियां दिखने लगी। अनुराग की नजर वाहन गई तो कमर के निचे कुछ हलचल होने लगी। पर तुरंत उसने खुद को संभाल लिया। किचन से इधर की तरफ देखती वर्षा के होठो पर मुस्कान आ गई। उसने मन ही मन कहा - पापा अब तो सिर्फ देख कर ही काम चलाना पड़ेगा। मेरा भी और रूबी का भी।
रूबी ने फिर आवाज दिया - आप भी आओ न दीदी।
वर्षा भी आ गई। सब बातों में मसगूल हो गए। पर दो जोड़ी नजरे दो जोड़ी दूध भरे स्तनों को ताड़ने में लगे थे। तभी दरवाजे पर घंटी बजी। वर्षा उठते हुए बोली - लगता है बुआ आ गईं।
रूबी - आप बैठो मैं खोलती हूँ। रूबी उठ कर गई तो सच में बुआ थी पर अकेले नहीं थी साथ में शेखर भी था।
रूबी को देखते ही दोनों चौंक गए। पर खुद को सँभालते हुए लता ने उसे गले लगा लिया।
लता - तू कब आई ?
रूबी - अभी कुछ देर हुए।
फिर वो शेखरका पैर छूने ले लिए झुकी । उसके झुकने से शेखर की नजर उसके हाहाकारी स्तनों पर पड़ी। उसके कमर के निचे भी हलचल होने लगी। उसकी हालत देख लता ने उसे कहीं मारते हुए कहा - आशीर्वाद तो दीजिये लड़की को।
शेखर - हाँ हाँ। खुश रहो। बहुत दिनों बाद देखा है।
शेखर आशा लेकर आया था की आज उसे आखिर में वर्षा का दूध और चूत दोनों मिल जाएगा पर यहाँ मिला तो कुछ नहीं पर एक और दूध वाली ने उसे तड़पाने को आ गई है।
दोनों अंदर आये। रितेश ने दोनों के पैर छुए।
लता - बहुत दिनों बाद दामाद जी नजर आये हैं।
रूबी - अभी हॉस्पिटल में भी तो मिली थी।
लता - हॉस्पिटल में मिलना भी कोई मिलना होता है। अब एक आध हफ्ते खातिर करेंगे तब मन भरेगा।
रूबी - इनका मन तो आपके खातिर से कभी नहीं भरेगा। क्यों रितेश ?
रितेश हकलाता हुआ बोला - हम्म , पर मज़बूरी है। मुझे शाम को निकलना पड़ेगा। रूबी ने अचानक प्लान बना लिया तो मैं छुट्टी नहीं ले पाया। बड़ी मुश्किल से एक दिन की मिली है। मैं फिर बाद में आराम से एक हफ्ते के बाद आऊंगा।
लता दुखी होते हुए बोली - ये तो गलत बात है। वर्षा , रूबी , रोको इन्हे।
वर्षा - हां। रुक जाइये न रितेश जी।
रितेश उसकी तरफ देख कर बोला - आज नहीं पर अगली बार आप दोनों से अच्छी खातिर कराऊंगा।
रूबी - बड़े हैं दोनों। खातिर करनी पड़ेगी।
रितेश - हाँ हाँ।
सब हंसने लगे। रूबी की बातें सिर्फ लता और वर्षा को ही नहीं अनुराग को भी अजीब लग रही थी। पर अभी कुछ भी कहने सोचने के हालत में नहीं थे। पर शेखर की हालत बहुत ख़राब थी। रूबी को देख कर वो पागल हो रहा था। रूबी के स्तन वर्षा से भी बड़े थे। बल्कि लता से भी। उसका बदन बहुत भरा हुआ था। पूरा मांसल शरीर था । नई माँ बनी थी , एक्स्ट्रा चर्बी उतरी नहीं थी। पर शेखर को उसी में तो मजा आता था। पैट अफ़सोस ये नयनसुख भी उसके नसीब में ज्यादा नहीं था। रूबी ने आकर सबका खेल बिगाड़ दिया था।
वर्षा किचन में उन सबके लिए नाश्ता लाने चली गई। तभी दरवाजे पर फिर से घंटी बजी।
अनुराग - अब कौन आया है ?
रूबी - देखती हूँ
दरवाजा खोलते ही रूबी एकदम ख़ुशी से चीख पड़ी। सामने नैना खड़ी थी। दोनों ने एक दुसरे को गले लगाया।
नैना धीरे से - मानी नहीं। आ गई खेल बिगाड़ने।
रूबी - मैं सबको समय देना चाहती हूँ। जल्दीबाजी में कोई कदम ना उठे। सोच समझ कर सबकी मर्जी होनी चाहिए।
नैना - तू बड़ी चोर है। पापा की हालत देखी।
रूबी - हाँ , उनके सामने से तो थाली खींच ली है मैंने।
नैना - बच के रहना। ठरकी के सामने अब दो दो थाली है।
रूबी - थाली या थन।
दोनों हंसने लगी। लता बोली - वहीँ मिलकर विदा करेगी या अंदर आने देगी।
रूबी - उसी का घर है बुआ। उसे कौन रोक सकता है। मालकिन हैं मैडम।
रूबी बम फोड़े जा रही थी। सब समझ कर भी अनजान बने हुए थे। उसके मन की बात कोई नहीं जानता था। कोई रिस्क भी नहीं लेना चाहता था क्योंकि रूबी के गुस्से से सब वाकिफ थे।
पूरा दिन हंसी ठहाके में गूंजा। बड़े दिनों बाद परिवार इकठ्ठा हुआ था। अनुराग मन ही मन सुलेखा को याद कर रहा था।
तभी लता बोल पड़ी - काश अवी और तृप्ति भी होते।
नैना - हाँ। मजा आ जाता।
रूबी - भाई ने कहा तो है आएगा। कोशिश कर रहा है लम्बी छुट्टी मिले तो आये।
अनुराग - हाँ मुझसे भी कह रहा था। पर कब आएगा पता नहीं।
सबको उदास होते देख नैना ने कहा - कोई बात नहीं। बाकी तो हैं। और चलिए उसको भी वीडियो कॉल पर ले लेते हैं।
अनुराग - अरे वो सब सो रहे होंगे।
नैना - नहीं। सुबह मेरी बात हुई थी। कुछ वर्क प्रेशर है। आजकल पूरी रात लगे रहते हैं।
उसने फ़ोन घुमा दिया। उसने सही कहा था। अवि और तृप्ति जगे हुए थे। फिर से ठहाको और मजाक का दौर चल पड़ा। इस मस्ती में कब दिन निकल गया पता ही नहीं चला। आखिर शाम को रितेश भी निकल गया। उसके कुछ देर बाद लता , शेखर और नैना भी। घर में रह गए सिर्फ तीन जन। रात अभी शुरू हुई थी। ये देखना दिलचस्प होगा अब आगे क्या होगा।
To aakhir kaar Rubi madam ki entry ho hi gyi bas ek request hai tharki bhai jaise varsha or papa ko khulne ka pura mauka mila tha aisa hi mauka or ekant Rubi or papa ko bhi milna chahiye tabhi to dono kele main maza le payenge
 
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namedhari

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Update ke liye thanks bhai lekin bhai aapne klpd kar diya umieed thee ki foursome aue sandwich chudai ka lekin Rubi ke aane se maja kharab ho gaya ,lekin aage majedaar update ka intezar rahega.
 

Mass

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wonderful update bhai...good one!!

tharkiman
 
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