गुंज़न की बात सुन कर धर्मवीर बोल- तोक्या धर्मवीर जी अपनी बेटी शालू को भी चोदते है।
गुंज़न - हा पापा शालू भी बाबाजी के साथ खूब मस्ती करती हैं।
रामलाल - तो बेटी है कहा वो घर पर तो नही है।
गुंज़न - हा पापा वो आप के आने के कुछ देर पहले ही राकेश के पास अपनी नौकरी के लिया इंटरवू दने गई थी।
रामलाल - तो क्या अब वो वापस नही आईगी
गुंज़न समझ जाती हैं की अब उस के पापा का मन शालू को चोदने का भी करने लगा है और फिर गुंज़न शरारती मुश्कान देते हुए अपने पापा की छाती पर किस करने लगी, और अपनी जीभ को छाती से उसके गले तक फेरा, उसके जिश्म के ऊपर चढ़ी, क्योंकी उस वक्त उसका पिता अपनी पीठ पर लेट गया था। गुंज़न ने अपने मुँह को बाप के मुँह से लगाया, होंठों से होंठ फिर से मिले और गुंज़न ने अपनी जीभ बाप के मुँह में डाला और दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे तभी रामलाल के लंड का सुपाड़ा गुंज़न की नाभी से आ टकराया । और रामलाल अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी गहरी नाभी में घिसने लगा.गुंज़न ने अपने हाथ में लण्ड पकड़े उसकाे सुपाड़ा से खेलने लगी रामलाल के चिकना सुपाड़ा इतना सुंदर लग रहा था कि गुंज़न से ना रहा गया और उसने नीचे झुक कर उसके सुपाड़े को चुम लिया. फिर उसके लण्ड को अपने चेहरे पे हर तरफ रगड़ने घिसने लगी.तो रामलाल बोला कि अरे अपने इन गुलाबी होंठो से उसे थोड़ा प्यार तो करो.. लंड चूसो मेरी रानी.. यह लंड आज तुम्हारा ही है।
गुंज़न बस आज ही मेरा है दोबारा इसको नहीं दोगे मुझे.. यह कहकर उसने उसे अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी।
गुंज़न के गीले मुँह के अंदर जाते ही रामलाल की सिसकारी निकल गयी..वो आँखे बंद किए गुंज़न के गर्म मुँह को अपने लंड पर महसूस करता हुआ उनके रेशमी बालों पर दबाव देकर अपने लंड को उसके मुँह के और अंदर धकेल रहा था...और वो भी रामलाल की सेवा अपनी गर्म जीभ से कर रही थी...तभी रामलाल बोलााा-बेटी गुंज़न अगर तुमे बुरा न लगे तो क्या मे तुम को गाली दे सकता हूँ।
गुंज़न - पापा तुमहार जो मन करे वो करो मेरे साथ।
गुंज़न की बात सुन रामलाल बोल - क्या लंड चूसती है तू और ज़ोर से चूस रंडी.. क्यों अब तक कितने लंड चूस चुकी हो रानी?
गुंज़न के तीखे दांतो और लपलपाति जीभ के हुनर से उसके लंड की कसावट में चार चाँद लग गये...और वो पूरी तरह से फूल कर उसके मुँह में अंदर बाहर होने लगा.
शाबाश मेरी रानी चूस मेरा लंड, चाट ले मेरे अंडकोष. आज की रात मैं तुझे अपने बच्चे की मा बना कर यादगार बना देना चाहता हूँ, ज़ोर से चूस लंड को रानी, काट खायो मेरे लंड को
रामलाल गुंज़न के गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए बोला - जिस तरह तू अपनी चूत और गांड की मालकिन है । मैं भी लोड़े का मालिक हूं । अभी नीचे आकर छूट जाएगी तेरी मस्ती । तेरी सारी मस्ती झड़ जाएगी। जितनी मस्ती तेरी गांड में चढ़ी है सारी उतर जाएगी । वैसे भी तेरे जैसी घोड़ी को लंड ना मिले तो क्या जवाब देगी तू अपनी इस गदरायी जवानी को।ऐसा कहकर रामलाल ने पूरा लंड गुंज़न के मुंह में घुस आने के लिए उसके सर को पकड़कर झटका मारा ।
गुंज़न की आंखें अब रामलाल की झांटों पर आ गई ।रामलाल के लंड की जड़ में उगे हुए बाल गुंज़न की बिल्कुल आंखों पर थे, मतलब लौड़ा उसके हलक तक पहुंच गया था और उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी इसी तकलीफ के कारण गुंज़न के मुंह से केवल घोंघोंघोंघों की आवाज आ रही थी ।रामलाल समझ गया कि मुंह में पूरा लंड ले गई मतलब प्यासी तो है कुतिया।और गर्म भी है सही से ठोकने लायक माल है बिल्कुल मेरी बेटी ।
ऐसा सोचकर रामलाल ने एक झटके से बाहर खींच लिया पूरा लंड सेकंड के कुछ हिस्से में ही गुंज़न के मुंह से गोली की तरह बाहर हो गया उसके बाप का लौड़ा। गुंज़न का मुंह खुला का खुला रह गया जिसमें से उसकी थूक की लार नीचे लटक रही थी।अब गुंज़न ने उसके बालों को खींच कर बेड पर घुटने के बल खड़े करते हुए खुद उसके सामने खड़ा हो गया और और उसके खुले चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर ऊपर की तरफ मोड़ा और झुक कर उसके मुंह में थूक दिया ।
यह सब गुंज़न के लिए इतना जल्दी हुआ कि उसे सोचने और समझने का भी वक्त नहीं मिला । जब उसके मुंह में उसके बाप ने थूका तो उसे एहसास हुआ कि ऐसा प्यार तो धर्मवीर ने भी नहीं किया था जितना मजा मुझे प्यार में आ रहा है और अपने बाप का थूक अपने मुंह में उसने अपने थूक से मिला दिया ।
गुंज़न ने उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए उसके मुंह में दोबारा से थूका और फिर खड़ा होकर अपना लंड उसके मुंह में घुसेड़ दिया ।
गुंज़न का सर पकड़ कर उसके मुंह में लंड के घस्से मारता हुआ बोला - बेटी ऐसे लंड भगवान तेरे जैसी गरम रंडियों के लिए ही बनाता है मैं तो अपने लंड को देखकर सोचता था कि मेरा लंड सबसे इतना अलग अलग क्यों है लेकिन मुझे आज पता चला ऐसे लंड तो तेरे जैसी गदरआई हुई घोड़ियों के लिए बने होते हैं जो तुम्हारा सही से बाजा बजा सकें ।
गुंज़न भी गर्म होते हुए उसके लंड के झटकों से अपने मुंह की ताल से ताल मिला रही थी। फिर कुछ झटके मारने के बाद रामलाल उसके मुंह से अपना लौड़ा निकाल कर बेड पर बैठ गया।
गुंज़न के मुंह से रामलाल के लंड की लार से मिली हुई लार उसके मुंह से टपक रही थी । अपनी बेटी के मोटे मोटे चूचे और उसका चेहरा इस तरह से सना हुआ देखकर रामलाल का सर भनभना गया।
रामलाल ने गुंज़न का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचते हुए बेड पर उसे अपनी गोद में उल्टी लिटा लिया ।
अब गुंज़न की गांड रामलाल की गोद में थी और उस चौड़ी और भारी सी गांड को देखकर रामलाल के मुंह में भी पानी आ गया । उसने जोश में आते हुए एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर लगाया ।अपने बाप के भारी हाथों से अपनी भारी गांड पर पड़ा थप्पड़ महसूस करके गुंज़न के मुंह से आउच निकला।अब रामलाल ने उसके दोनों चूतड़ों को फैलाया और देखा तो उसकी चूत के छेद से पानी रिस रहा था। रामलाल
ने गुंज़न की चूत जिसे अभी अभी कुत्तों की तरह चाटा था उसमें अपनी एक उंगली डाल दी ।गुंज़न ने जब अपनी पानी छोड़ती चूत में अपने बाप की उंगली महसूस की तो उसकी सिसकारी निकल पड़ी ।बेटी को सिसियाती हुई देख रामलाल ने अपनी पूरी जान लगा कर तेजी से उंगली चूत के अंदर बाहर करने शुरू कर दी । उंगली से हो रही इस चूत चुदाई के सामने गुंज़न मिनट भी नहीं टिक सकी और उसने पानी छोड़ दिया। यह देखकर तो रामलाल बिल्कुल हैरान ही रह गया क्योंकि वह भी अपना हाथ गीला होने की वजह से समझ गया था कि गुंज़न झड़ गई और हैरान होते हुए सोचने लगा कि उसकी बेटी कितनी गरम है । उसकी उंगली पर ही इतनी जल्दी झड़ गई इसे तो ठोकने के लिए सच में ही एक दमदार लंड की जरूरत है जो इसकी चूत के पानी को सुखा सके ।
सच में बहुत गर्म और चुदक्कड़ है मेरी बेटी ।
यह सोचते हुए रामलाल बोला - क्या हुआ बेटी इतनी गरम है तू तो कि मेरी उंगली पर ही पानी छोड़ गई। अभी तो लौड़ा चूत में गया भी से ही तेरी गांड बखान नहीं करती तेरे गर्म होने का। ऐसे ही तेरे मटकते चूतड़ बखान नहीं करते तेरी लंड की प्यास का कुछ तो बात होती है जब ये बखान करते हैं । वह सच ही कहते हैं उनकी क्या गलती ।
अब गुंज़न भी गरम होकर झड़ चुकी थी और बुरी तरह से सिसिया रही थी लंड के लिए और लंड की उसी भूख की में बोली बड़ी ही कामुक आवाज में - क्या कहते हैं आपकी बेटी के मटकते चूतड़ और गांड ।
रामलाल बोला - ये कहते हैं कि हमें अच्छे से रगड़ कर चोदो। हमें दौड़ा-दौड़ा कर चोदो । तेरी भारी भरकम गांड जब हिलती है बेटी तो ऐसा लगता है कि तुझे मुता मुताकर चोदू ।
गुंज़न भी कामुक आवाज में साथ देती हुई बोली- हां पापा यह बात तो माननी पड़ेगी। मेरी चूत अब लोड़े मांगने लगी है । आपकी बेटी अब पूरी तरह से जवान हो गई है तो इसमें मेरी क्या गलती है पापा ।मेरी उम्र भी तो हो गई है अब लौड़ों से खेलने की , लौड़ों के नीचे रहने की।
रामलाल के जोश में इतनी बढ़ोतरी हुई कि उसने गुंज़न को बेड पर सीधी लिटा कर और जल्दी से उसके घुटने उसकी छाती से मिला दिए ।यह सीन कुछ ऐसा था की पहली बार गुंज़न चेहरे पर शर्म की लाली छा गई और उसके चेहरे पर शर्म और शरारत से मिली जुली मुस्कान फैल गई सोमनाथ ने उसके घुटने मोड़कर बिल्कुल इसकी छातियों से लगा दिए थे
गुंज़न ने अपने हाथ की दो उंगलीयों से अपनी चूत के होंठ फैला कर रामलाल को अंदर का गुलाबी फांक दिखाया. गुंज़न की दोनों उंगलीयों के बीच खुली चूत का अब दाना और अंदर की गुलाबी छेद साफ दिख रही थी.
रामलाल - क्या चूत है तेरी? मैंने ऐसी चूत कभी नहीं देखी है एकदम चिकनी है रूई की तरह.. मेरा तो जी करता है खा जाऊँ इसको दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे बिना कुछ बोले । जैसे कुछ पढ़ रहे हो ।गुंज़न की आंखों में झांकते हुए रामलाल ने अपना मुंह और नाक चूत कअधखुली फांक में घुसा दिया.और गुंज़न की गीली चूत को चाटने लगा।
गीली चूत पर मुंह जाते ही गुंज़न सिसकारी भरनी चाही लेकिन वह रुक गई क्योंकि उसकी आंखों में झांकता हुआ रामलाल उसकी चूत पर मुह लगाए उसे बड़ा अच्छा लग रहा था । और वह नहीं चाहती थी कि उसकी आंखों का यह कनेक्शन टूटे । जिसकी वजह से गुंज़न ने अपनी सिसकारी को रोककर रामलाल की आंखों में आंखें ही डाले रखीं ।
रामलाल ने अपनी बेटी की आंखों में झांकते हुए अपनी जीभ निकालकर कुटिल मुस्कान के साथ उसकी चूत के छेद पर रख दिया।
गुंज़न के लिए यह बर्दाश्त से बाहर हो गया था अपनी सिसकारी को रोकना लेकिन फिर रामलाल की आंखों में घूरती हुई अपने दोनो हाथ रामलाल के सिर पे रख दिए और दोनो पैरों को उसके कंधो के दोनो तरफ करके अपनी मांसल जांघों की पकड़ उसके सिर के दोनो तरफ लगा दी और अपनी चूत उठा कर रामलाल के मूह मे देने लगी और बोली " मेरे पापा आज इसका सारा रस निचोड़ ले मेरा आज से मैं तेरी हो गयी" ओह! पापा और अंदर जीभ डाल दो निचोड़ दो मुझे
हाय मेरी चुत के कीड़े….मे.खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है…. बहनचोद….जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना…..बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट घुसा चुत .मथ….दे…….गुंज़न बहुत जोश में आ चुकी थी
अब रामलाल भी गुंज़न की चूत चाटते हुए घूरने लगा था।
यह आंखें प्यार वाली नहीं थी दोस्तों यह आंखें तो एक दूसरे को खोल रही थी ।
रामलाल को गुंज़न की आंखों में प्यार नहीं बल्कि लंड की भूखी एक औरत की प्यास दिख रही थी ।
गुंज़न को रामलाल की आंखों में प्यार नहीं बल्कि उसकी गदरायी चूत और गांड की बखिया उधेड़ कर रखने वाला लंड दिख रहा था ।
थोड़ी देर तक चूत चूसने के बाद रामलाल ने अपना मुँह गुंज़न की बूर से बाहर निकाला और उसकी आंखों को घूरते हुए खड़ा होकर अपने लोड़े को हिलाने लगा , लेकिन आंखों का कनेक्शन नही टूटने दिया।अभी भी दोनों एक दूसरे को घूर रहे थे ।
गुंज़न को घूरते हुए रामलाल ने थोड़ा सा झुकते हुए अपना लौड़ा का सुपाड़ा गुंज़न की चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया ।उधर गुंज़न भी रामलाल का लंड अपनी चूत पर रगड़ता महसूस करके बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी रोकने की कोशिश करते हुए सोमनाथ को घूरती रही ।
दोस्तों नजारा ही कुछ ऐसा था कमरे का की एक जवान कुतिया लोड़े की चाह में बेड पर उस लंड के नीचे अपने बाप को नहीं बल्कि अपने यार को घूर रही थी। गुंज़न उसके लंड की रगड़ से मूतने को तैयार थी उसका उत्तेजना के मारे मूत निकलने को तैयार था ।
रामलाल ने गुंज़न की आंखों में लंड कितनी भूख देखकर लंड उसके छेद पर रख कर एक झटका मारा और लंड का सुपाड़ा गुंज़न की चूत में डाल दिया और गुंज़न ने अपनी मुट्ठी से बेडशीट को कस कर पकड़ कर नीचे से अपनी गांड को उठाकर लंड का स्वागत किया।
अपनी चूत में अपने बाप के लंड का सुपाड़ा फंसाकर कर गुंज़न जरा भी नहीं सिसकी।बस वह अपने बाप की आंखों में घूरती रही ।
रामलाल ने गुंज़न की आंखों में घूरते हुए पूछा - डाल दूं तेरी चूत में यह लंड, कर दूं तेरी चुदाई, भर दूं तेरी चूत को अपने लोड़े
गुंज़न - डाल दो लंड को मेरी चूत में.. आज इसकी आग बुझा
दो। आज एक नया लंड लेने के लिए मेरी चूत बहुत बेकरार हो रही है चाहे मै जितना भी झटपटाउ तुम रुकना नही ओर ताबड़तोड़ झटके मरना ओर एक ही बार मे अंदर उत्तर देना
रामलाल गुंज़न के उपर झुक कर उसकी आंखों में घूरते हुए अपनी पूरी जान से रामलाल में झटका मारा।झटका इतनी जान से मारा गया था एक ही बार मे पूरा का पूरा लंड गुंज़न की चूत की गहराईयों में फंसा गया और अपनी चूत में फंसा लंड महसूस करते ही गुंज़न की चीख उस कमरे में गूंज गई ।
दोस्तों ठीक ऐसा लगा था जैसे कोई गरम कुतिया गला फाड़ कर चीखी हो और उस लज्जत भरी चीख के बाद गुंज़न ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा।
रामलाल - क्या हुआ बेटी।
गुंज़न - ऐसा क्यो पूछ रहे हो पापा।
रामलाल- इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि पहले झटके में ही तुम कुत्तिया की तरह गला फाड़कर चिल्लाई हो ।
यह सुनकर गुंज़न बुरी तरह से शर्मा गई और अपना चेहरा
रामला के चेहरे की तरफ से मोड़ लिया और शर्माते और मुस्कुराते हुए बोली- आप मेरी चिंता ना कीजिए, मैं कितनी भी चीखू या चिल्लाऊं लेकिन अब आप अपनी पूरी ताकत लगा दीजिए अपनी बेटी को चोदने में ।
यह कहकर शर्माती हुई गुंज़न ने अपनी आंखें बंद कर लीं ।
रामलाल ने गुंज़न से कहां अपना चेहरा मेरी तरफ करो।
गुंज़न फिर सवालिया नजरों से रामलाल को देखने लगी और अपना चेहरा रामलाल की तरफ कर दिया।
रामलाल - अब अपना मुंह खोलो ।
गुंज़न को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि लंड का सुपाड़ा तो उसकी चूत में था फिर अब रामलाल मुंह क्यों खुलवा रहा है, लेकिन उसने सोचते हुए मुंह खोल दिया ।
रामलाल ने गुंज़न के खुले हुए होठों को अपने मुंह में भर लिया और रामलाल ने अपने चूतड़ों में अपनी जान इकट्ठी करके पूरी ताकत से एक जोरदार झटका मारा। झटका इतना तगड़ा था कि रामलाल की जांघें गुंज़न की जांघो से मिल गई ।रामलाल के लटके हुए टट्टे गुंज़न की गांड की लकीर से मिल गए ।कहने का मतलब है दोस्तों रामलाल अपनी बेटी की चूत में अपना लंबा लौड़ा जड़ तक ठोक दिया था और जैसे ही यह झटका लगा गुंज़न का मुह जो अभी रामलाल के मुंह में था।
गुंज़न के मुंह से इतनी तेज चीख निकली लेकिन
गुंज़न के होंठ रामलाल के मुंह में होने की वजह से चीख
रामलाल के मुंह में ही घुट कर रह गई ।रामलाल को महसूस हो रहा था की गुंज़न कितनी जोर जोर से हांफ रही है और उसकी मुंह से निकलती हुई उसकी सांसें रामलाल के मुंह में भर रही हैं ।
ऐसे ही जड़ तक चूत में लंड को ठोके हुए रामलाल ने गुंज़न की आंखों में झांका ते हुए दो तीन झटके गुंज़न की चूत में चेंप दिए ।
गुंज़न के साथ कुछ ऐसा सीन हो गया था कि उसकी चौड़ी गांड बेड के गद्दे में धस गई थी और उसका बाप उसके ऊपर चढ़ा हुआ था।
फिर रामलाल अपने मुंह से गुंज़न के होंठो को छोड़ते हुए अपना चेहरा अलग कर लिया ।जब रामलाल ने अपने मुंह से गुंज़न का मुंह दूर किया तो मुंह के बीच में दोनों के थूक की लार खिंचने लगी ।
रामलाल ने अपना मुंह बिना साफ किए ही अपने थूक लगे होठों से मुस्कुरा कर कहा - मेरी बेटी का मुंह तो बड़ा मीठा है ।दूसरी तरफ गुंज़न ने भी अपने मुंह को साफ करने की कोई पहल नहीं की।गुंज़न ने तो बस रामलाल के थूक में सने हुए मुंह को एक तरफ किया और बड़ी ही मादक आवाज में धीरे से मुस्कुरा कर बोली - चूत मीठी नहीं लगी क्या अपनी बेटी की ।
गुंज़न के इस अंदाज से भनभना गया रामलाल का लोड़ा और चुदास का पागलपन रामलाल के चेहरे पर ऐसा छाया कि उसने अपनी पूरी ताकत से 10 12 धक्के चुत में पेल दिए ।
और गुंज़न अपने बाप के लंबे लोड़े के तगड़े तगड़े झटके अपना मुंह खोलो हुए ही अपनी चूत में लील गई ।
धक्के लगाने के बाद रामलाल ने फिर अपना लौड़ा जड़ तक
गुंज़न की चूत में बिठाकर रुक गया और फिर मुस्कुरा पड़ा गुंज़न के चेहरे को देखकर ।
गुंज़न मुस्कुरा कर धीरे से बोली- आज मौका है अपनी बेटी को इस बिस्तर में रगड़ लीजिए जितना मन करे। मैं पीछे नहीं हटूंगी।काश मुझे पहले पता होता मेरा बाप इस तरह रौंदता है किसी को बिस्तर में , इस तरह की गांड से गांड मिला देता है झटके मारते हुए तो मैं तो पता नहीं अब तक कितनी बार अपने बाप के नीचे लेट जाती ।
किसी सस्ती रांड से भी ज्यादा गरम बातें गुंज़न कर रही थी मुस्कुराते मुस्कुराते।
अब रामलाल ने गुंज़न की दोनों टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और झुक गया ।रामलाल गुंज़न के चेहरे पर झुका तो गुंज़न की टांगे भी उसके चेहरे की तरफ मिलने लगी और नीचे से गुंज़न की गांड ऐसे खुल गई जैसे उसके कोई चूतड़ नहीं बल्कि तबले हो । मोटी और भारी भारी गांड बिल्कुल उभर कर आ गई थी लेकिन दबी हुई थी रामलाल के तगड़े तंदुरुस्त शरीर के नीचे और गुंज़न की चूत में भरा हुआ था रामलाल का लंबा सा लोड़ा।
इस पोजीशन में करके जब रामलाल ने गुंज़न को जकड़ कर एक तगड़ा झटकाेे मार चोदते समय कह रहा था- ले लण्ड … पूरा लण्ड ले चूत में … और ले ले … उम्म्ह… अहह… हय… याह… तेरे भोसड़े में उतार दिया. और ले ले मेरा लण्ड
गुंज़न अब रामलाल से “और तेज… और तेज.. खूब जोर से.. आह और जोर से…. चोदो.. मुझे.. फाड़ दो.. अपनी भाभी की चुत को..आह्ह..” कहते हुए चुदवा रही थी.
रामलाल भी जोश में आ कर आहें भरता हुआ गुंज़न को बुरी तरह से चोद रहा था... वो बहुत जोर जोर के धक्के लगा रहा था. गुंज़न के बदन के सारे जोड़ हिलने लगे थे. रूम में “धप धप..” और “चप चप..” की आवाज गूँज रही थी. साथ ही साथ पूरा बेड जोर जोर से हिल रहा था.
चोदो!! आज मुझे चोद चोदकर रंडी बना दो!! किसी रांड की तरह फाड़ दो मेरे भोसड़े को!!बोहुत मज़ा आ रहा है आज मेरी बच्चेदानी में अपना वीर्य छोड़ना ।
जोरदार चुदाई चालू हो चुकी थी। दोनों नंगी नंगी गालियो के साथ चुदाई कर रहे थे
रामलाल -आज तो तेरी भोसड़ी फाड़ डालूंगा… क्या चिकनी चूत है…!’
गुंज़न -‘पेल हरामी… ठोक दे अपना लण्ड…चोद दे साले…’
दोनों की मस्त चुदाई चलती रह रामलाल गुंज़न की गांड से अपनी झांटों को मिलाकर ,जड़ तक उसकी चूत में लंड को चेंप रहा था। गुंज़न की चूत ने चिकने चिकने पानी से रामलाल के लंड को नहलाना शुरू कर दिया । लोड़ा चमकने लगा
गुंज़न की चूत के पानी से । बाहर आता तो चमकने लगता फच्च की आवाज से वापस चूत की गहराई में चला जाता और इस फच्च की आवाज के साथ साथ एक और आवाज होती जो रामलाल और गुंज़न की जांघों के मिलने से फट की आवाज होती थी ।
अपने बाप के नीचे आधे घंटे तक ऐसे ही चुदने के बाद जब
गुंज़न दो बार झड़ गई पर अब भी गुंज़न अपनी गर्मी निकलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी । अभी कोई ऐसा भाव उसके चेहरे पर नहीं था जिससे पता लगे की गुंज़न अपने बाप को अपने ऊपर से हटाना चाहती है ।
गुंज़न के चुदाई भरे चेहरे को देखकर यही कहा जा सकता था कि ऐसी घोड़ी पर तो चढ़े रहो इतनी आसानी से ठंडी नहीं होती यह घोड़ी ।
इसी अंदाज में आधे घंटे तक चोदने के बाद अब रामलाल ने गुंज़न की चूत से अपना लौड़ा बाहर किया तो गुंज़न को अपनी चूत बिल्कुल खाली खाली लगने लगी । चूत का छेद अब पहले की तरह बंद नहीं हो रहा था खुला हुआ छेद अंदर तक दिख रहा था जिसमें ध्यान से देखने पर अंदर सिर्फ अंधेरा ही देख रहा था ।अपनी चूत पर इस तरह बेरहमी से लंड बजवा कर भी गुंज़न अभी ठंडी नहीं हुई थी फिर रामलाल बेड पर सीधा लेट गया गुंज़न शर्माते और मुस्कुराते हुए बराबर में बैठी हुई थी ।
गुंज़न को रामलाल ने इशारा किया कि आकर मेरे लंड पर बैठ।रामलाल की तरफ से यह इशारा देखकर गुंज़न शर्मा दी और मुस्कुराती हुई बोली - अब मैं अपने बाप के ऊपर चढूं क्या ?
रामलाल - जब बाप बेटी के ऊपर चढ़ा हुआ था तब तो तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं थी । तो तुम क्यों नहीं चढ़ सकती।
इसका कोई जवाब गुंज़न के पास नहीं था लेकिन फिर भी बोली- वह तो आप चढ़े हुए थे मेरे ऊपर , मैं कैसे मना करती।
रामलाल - ऐसे ही तुम चढ़ जाओ, मैं भी अपनी बेटी को चढ़ने के लिए मना नहीं करूंगा ।
गुंज़न ने एक बार लंड पर नजर डाली उसके बाप का लंड खड़ा हुआ था।गुंज़न ने अपने दोनों पैर फैलाए और रामलाल के ऊपर चड गई और अपने होठों से रामलाल की गर्दन पर चूम लिया है।लेकिन लोड़ा तो चूत में घुसा ही नहीं था गुंज़न ने रामलाल का लंड अपने हाथ में लेकर अपनी चूत में फिट किया और धीरे धीरे बैठकर अपनी चूत में डाल लिया लंड तो बिना किसी मेहनत के आराम से उतर गया गुंज़न की चूत में।रामलाल ने गुंज़न चौड़े चौड़े नितंबों पर अपना हाथ रखा और नीचे से अपनी गांड उठा दी।
रामलाल कहां कम था बेशर्मी से बोला- ले गई पूरा लौड़ा अपनी चूत में।
गुंज़न- जब बेटी को अपने ऊपर चढ़ा कर उसकी चूत में लंड डाला जाएगा या बेटी के ऊपर चढ़कर उसकी चूत को अपने लंड से भरा जाएगा तो लंड चूत की जगह कहीं और तो जाएगा नहीं पापा । चूत में ही जाएगा ना।
रामलाल- समझदार हो गई है तो मेरी बेटी अब।
गुंज़न - समझदार नहीं, लंडो की दीवानी हो गई है , लंडो से ठंडी होना सीख लिया है आपकी बेटी ने ।
रामलाल- तो अब मैं आगे का क्या समझूं , ऐसे ही ठंडी करता रहूंगा क्या मैं अपनी बेटी को, क्या मेरी बेटी मुझसे ठंडी होना चाहेगी ।
गुंज़न - आपको पूरा हक है पापा । मैं आपकी ही तो बेटी हूं । जब भी आप देखो कि आपकी बेटी ज्यादा ठुमक ठुमक कर चूतड़ों को हिला हिला कर चल रही है तो पूछना मत पटक कर अपना लौड़ा उसकी चूत में पेल देना और उसकी चूत को ऐसे रगड़ना , ऐसे रगड़ना कि ठंडी हो जाए आपकी बेटी। और मटक कर चलने की जगह लंगड़ा कर चलने लगे आपकी बेटी ।
रामलाल - लगता है मेरी बेटी के अंदर लोड़े की भूख कुछ ज्यादा ही जग गई है ।
गुंज़न- आपने मेरी मां को चोद कर ऐसी बेटी पैदा की है कि जिसकी आग ठंडी करने के लिए रात भर दौड़ा-दौड़ा कर चोदा जाए तब कहीं जाकर ठंडी होती है आपकी बेटी ।
रामलाल- तो अब क्या कमी है । अब तो ससुर और बाप दोनों ही हैं अपनी प्यारी सी गुंज़न बेटी के लिए । हमारी बेटी जब चाहे चढ़ा सकती है अपने ऊपर ।
गुंज़न - इसमे चाहने वाली क्या बात है पापा आपकी बेटी तो चाहती है आप उसे नंगी करके लंड पर नचाते रहो और मैं नाचती रहूं । अपनी गांड को घुमा घुमा कर अपनी चूत को भींच भींचकर कर अपने होठों को चुसवा चुसवा कर ।
रामलाल को गुंज़न की बातों से इतनी इतनी गर्मी चढ़ी कि नीचे से लौड़ा चार पांच बार उसकी चूत में कसकर पेला।
गुंज़न अपने चूतड़ ऊपर नीचे करती हुई रामलाल को चोदने लगी.गुंज़न हर बार अपनी गांड़ इतना ऊपर तक उठाती कि
रामलाल के लण्ड का बस सुपाड़ा भर ही उसकी चूत में रह जाता और फिर वो वापस अपनी गांड रामलाल कि गोद में नीचे तक लाती जब तक कि उसका लण्ड जड़ तक अंदर ना घुस जाता.और
रामलाल नीचे से उसके बूब्स को पकड़कर दबाता हुआ नीचे से लंड को गुंज़न की चूत में डालने लगा और वो दोनों बड़ी मस्ती से चुदाई का खेल खेल रहे थे
रामलाल ने अब अपना लंड गुंज़न की चूत में से निकाल लिया और गुंज़न को बेड पर एक साइड में धकेल कर गुंज़न को बोला -मेरे सामने घोड़ी बन जा. चोदते वक्त मैं तेरी गांद देखना चाहता हूँ. में तुझे कुतिया की तरह चोदना चाहता हूँ.. तो गुंज़न भी जल्दी से कुतिया की तरह अपने दोनों पैरों पर खड़ी हो गयी और अपनी गांड को हिलाने लगी थी मस्ती से रामलाल ने गुंज़न की जांघों पर हाथ फेरते हुए उसकी चूत पर अपना पूरा हाथ रख दिया । गुंज़न की गीली चूत पर हाथ रखते ही रामलाल का हाथ भीग गया। दूसरी तरफ गुंज़न भी मद भरी सिसकारियां भरने लगी। रामलाल ने दो तीन बार उसकी चूत पर हाथ फेरा और फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रखकर गुंज़न की कमर को पकड़ा और फिर क्या था---- मिला दी रामलाल ने अपनी जांघे अपनी बेटी की जांघों से और बिठा दिया पूरा लौड़ा उसकी चूत में ।गुंज़न आगे को गिरने को हुई लेकिन रामलाल ने उसकी कमर पकड़ी हुई थी
गुंज़न अपनी गांड पीछे धकेलती हुई लंड अपनी चूत में डलवा रही थी और आआऊऊऊईईईई माँ और चोद और ज़ोर ज़ोर से चोद.. अपनी बेटी की चूत फाड़ द.. मार और ज़ोर से धक्के मार.. तेरा लंड मेरी चूत के अंदर तक ठोकर मार रहा हैआज मेरी चूत को फाड़ दो ... आज कुछ भी हो जाए ... लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना ..
इस पोजीसन में गचागच लंड अंदर बाहर करते हुए बोला।
रामलाल- बेटी जब किसी गाय के ऊपर कोई सांड चढ़ता है तो वह ऐसे ही चढ़ता है जैसे मैं तेरे ऊपर चढ़ा हुआ हूं।
गुंज़न - वैसे भी आपकी बेटी को सांड की ही जरूरत है पापा । मैं तो चाहती हूं आप जैसा कोई सांड मेरे ऊपर चढ़े और मुझे इतनी ठोके की मैं निखर जाऊं ।
फिर रामलाल ने गुंज़न के बाल पकड़े और पीछे की तरफ खींचते हुए कुत्तिया बनी हुई गुंज़न की चूत में धक्के लगाने लगा ।इस तरह की चुदाई को ज्यादा नहीं सह पाई गुंज़न और किसी घोड़ी की तरह हिनहिनाने लगी ।.
गुंज़न की चोटी को उसने एस्से पकड़ रखा था जैसे क़िस्सी घोड़ी की लगाम हो और तेज़ी से हांकने लगा.” वाह मेरी घोड़ी, बहुत मस्त चूत है तेरी, चुदवा मज़े से मेरी लंड आज तेरे पेट के अंदर की तलाशी ले रहा है.
रानी, मुझे घोड़ी बना कर चुदाई करने में बहुत मज़ा आता है. तुझे कैसा लगता है मेरी रानी. तेरे चूतड़ बहुत सेक्सी लगते हैं मुझे. एक दिन तेरी गांद ज़रूर चोदुन्गा. वह कितनी सेक्सी हो तुम साली.
गुंज़न - हाँ में गांड भी मरवा लूँगी पहले अच्छे से चोदो तो सही और यह गांड भी तुम्हारी है और यह चूत भी तुम्हारी है और हाँ अब तू मुझे जब चाहे चोद सकता है .. तू जब भी चोदना चाहे में यह चूत लेकर आ जाउंगी तेरा लंड लेने के लिए और चोद ज़ोर से और ज़ोर से चोद।
जब रामलाल ने देखा की गुंज़न झड़ने के करीब आ गई है, पूरी मस्ती में चुदासी कुत्तिया की तरह टूट कर चुदवा रही है तो रामलाल ने उसके बालों को छोड़कर उसके मुंह में अपने दोनों हाथों की दो दो उंगलियां डाल दीं। और गुंज़न मुंह को चौड़ाते हुए पीछे से उसकी चूत में लौड़ा पेलना शुरू कर दिया
चुदासी गुंज़न किसी कुत्तिया की तरह गला फाड़कर , हाफ हाफ कर चुद रही थी ।रामलाल उसके मुंह को और खोलते हुए उसकी चूत में अपने पूरे जोश से धक्के लगाने शुरू किये
गुंज़न का बदन अकड़ने लगा और अपने बाप के लौड़े के झटकों पर गुंज़न झड़ने लगी । जैसे-जैसे गुंज़न झड़ रही थी वैसे वैसे ही उसके खुले मुंह से गुंज़न की जीभ बाहर की तरफ लटकती जा रही थी। अपना मुंह फाड़े हुए और जीभ को बाहर निकालकर की चूत ने पानी को बाहर निकालकर उड़ेल दिया रामलाल के लंड पर ।
अपनी बेटी की चूत में पानी भरे होने का एहसास जब रामलाल को हुआ तो उसकी मस्ती और बढ़ गई और उसने और तेज धक्के लगाने शुरू किये।
नतीजा यह हुआ की गुंज़न की पानी भरी चूत में जब लंडो जा रहा था तो पच पच की आवाज बहुत तेज होने लगी और साथ में गुंज़न का पानी रामलाल के लंड पर लगकर झाग बनाने लगा ।जब गुंज़न पूरी तरह से चुदकर ठंडी हो गई तो वह अपना मुंह इधर उधर करने लगी करने लगी तब रामलाल बोला।
रामलाल - अब तो मेरी जान तुझे चोदने में मजा ही आएगा इधर उधर मत भाग , चुप लौड़ा खाती रह मेरा ।
गुंज़न को बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था और दूसरी तरफ रामलाल ना आव देख रहा था ना ताव देख रहा था ।
रामलाल तो बस गुंज़न के मुंह में अपने दोनों हाथ की उंगलियां डालकर उसकी चूत पर लंड बजा रहा था
गुंज़न झटपटाने लगी , दर्द से कराहने लगी लेकिन रामलाल को कोई रहम नहीं आया उसने उसी बर्बरता से चूत का चबूतरा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी ।
फिर रामलाल गुंज़न के बूब्स को पकड़कर दबाता हुआ लंड अनु चूत में डालने लगा वों मादकता में चिल्ला भी रही थी-
और जोर से चोदो मुझे, हाँ, इसी तरह हाँ, बहुत अच्छा लग रहा है! और तेजी से डालों अपना लंड. चोदो और जोर से चोदो ... आज मेरी चूत को फाड़ दो ... आज कुछ भी हो जाए ... लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना ... आआह और ज़ोर से ... उउईईई ... आहह ..." वे ऐसे ही गर्म आहें और कराहें निकाल रही थीं.
अब रामलाल को लगने लगा कि वह भी झड़ने वाला है ।
रामलाल का बदन भी अकड़ने लगा। रामलाल ने अपनी जान इकट्ठे करके करके पूरी जान से गुंज़न की चूत में धक्का मारा और इस बार धक्का इतना जोरदार था कि गुंज़न के लिए संभलना मुश्किल हो गया और गुंज़न आगे को जा गिरी साथ में रामलाल भी गुंज़न के साथ ही उसके ऊपर गिर गया ।
जब गुंज़न जैसी घोड़ी के ऊपर रामलाल जैसा सांड गिरा चूत में लौड़ा फंसा होने की वजह से गुंज़न की चीख निकल गई ।
- वाह मेरे शेर ज़ोर जोर से करो, ऐसे ही करते जाओ, बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज़ रुकना नहीं, आह और ज़ोर से, लगता है मेरा छूटने वाला है।"
रामलाल आआह्ह्ह्हह्ह मेरी रांड … मस्त बदन है तेरा… बहुत मजा आ रहा है.
गुंज़न मेरा झड़ने वाला है.. साले कुत्ते बहनचोद… थोक्दो अपना लोड्ा जोर जोर से मेरी चुत मे पेल मुझे” आज मुझे पहली बार इतना मजा मेरा होने वालाआ हैईई ! और ज़ोर से जोर से चोदो निकाल दो कचूमर मेरी चूत का ! बहुत तंग किया है इसने मुझे ! पी जाओ मेरी जवानी का रस ! खूब जोर लगा कर चोदो
और ज़ोर से आअहह माँ में गईईईईईइ में झड़ गई .. फिर गुंज़न की चूत ने अपना पानी फिर छोड़ दिया.. लेकिन
गुंज़न अब भी धक्के लगाता जा रहा था और थोड़ी देर में वसंत भी तेज़ी से चोदने लगा और रामलाल ने भी एक सांड की तरह हुंकारते हुए अपने लोड़े का पानी एक पिचकारी के रूप में गुंज़न की चूत में छोड़ा रामलाल का वीर्य गुंज़न को सीधा अपनी बच्चादानी बच्चादानी पर महसूस हुआ ।
पूरा झलझला कर झड़ा था रामलाल। कम से कम 1 मिनट तक तक तक कम 1 मिनट तक तक 1 मिनट तक तक
रामलाल के लोड़े से सफेद गरम वीर्य गुंज़न की चूत में जाता रहा।कहां तक भरती गुंज़न की चूत उस वीर्य को को, कैसे संभालती ।
जब रामलाल ने देखा की गुंज़न की चूत में पूरा वीर्य भर गया है तो उसने उसके ऊपर लेटे लेटे अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर अपना लौड़ा चूत के बाहर के बाहर कर दिया।
लंड बाहर निकलते ही गुंज़न की चूत से वीर्य बह निकला ।
रामलाल - अब इस अनमोल वीर्य को को क्यों बहा रही है है पानी की तरह मेरी कुतिया।
गुंज़न - पापा आपने इतना वीर्य मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत में छोड़ा है मेरी चूत संभाल नहीं पा रही ।
रामलाल - ऐसी ही चुदाई की तो जरूरत थी तुझे बेटी , अब हुई है तू ठंडी ।
गुंज़न - हां पापा आपने तो मेरी चूत का भोसड़ा बना के रख दिया अपनी बेटी के अंदर उतर गए आज आप ,अपनी बेटी की चूत ले ली आपने आज, अपनी बेटी को अपने लंड पर खूब नचाया है आज आपने पापा ।
दोस्तों फिर रामलाल और गुंज़न ने एक दूसरे के होठों को चूम कर गुड नाईट बोल कर सो गए।