• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest पापी परिवार

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
पापी परिवार--56




स्नेहा ने विक्की को अपनी कामुक अदाओ से ललचाना शुरू किया और कमरे में दौड़ लगाने लगी. दौड़ते वक़्त उसकी सुडोल चूचियों का तेज़ी से ऊपर-नीचे होना और साथ ही चूतडो का आपस में घिसना, मटकना. विक्की के सख़्त लंड में दर्द की असीम पीड़ा उत्पन्न कर रहा था.


"दीदी रुक जा !! अगर पकड़ में आई ना तो तेरी खेर नही" विक्की निरंतर इस प्रयास में लगा रहा कि जल्द से जल्द अपनी बहेन को नग्न अवस्था में देख सके.


"दम हो तो पकड़ ले" स्नेहा ने उसे जीभ चिढ़ा कर कहा. जब विक्की बेड के नज़दीक होता, वह सोफे के पिछे चली जाती और जब विक्की सोफे के नज़दीक आता तो वह बेड के चक्कर काटने लगती.


"उफफफ्फ़ !! मैं तो थक गया" जब विक्की थक़ान से चूर हो गया तब हार-कर सोफे पर निढाल होते हुए बोला.


"बस इतने में ही. अरे मुझे तो लगा, कि तू खुद अपने हाथो से मेरे कपड़े उतारेगा" स्नेहा अपनी जीत पर इतराई.


"ना ना !! अब और ताक़त नही मुझ में. तरस खा ना दीदी अपने छोटे भाई पर" विक्की का चेहरा मायूसी से लटक गया.


वहीं स्नेहा का दिल भी पसीजा "चल ठीक है, मैं उतारती हूँ" वह अपने चूतडो को विक्की की दिशा में घुमाते हुए बोली.


स्कर्ट के अंतिम छोर को हाथ में पकड़ कर स्नेहा ने उसे हौले-हौले अपनी मोटी-मोटी जाँघो तक ऊपर उठा लिया.


"यस दीदी !! बिल्कुल सही जा रही हो" विक्की के लौडे की अकड़न भविश्य की कल्पना से और भी ज़्यादा बढ़ने लगी "काश मैं ये नज़ारा करीब से देख पाता" वह अपने लंड को हिलाते हुए बोला.


"मगर तू मुझे च्छुएगा ?" जांघे बे-परदा करने के बाद स्नेहा ने अपने भाई की डिमॅंड पर गौर किया.


विक्की :- "पास आजा दीदी !! प्रॉमिस तुझे टच नही करूँगा"


"सोच ले तूने वादा किया है विक्की !! मेरे बदन को हाथ नही लगाएगा" स्नेहा ने री-कन्फर्म किया.


"पक्का !! हाथ नही लगाउन्गा" विक्क की आँखें चमक उठी.


स्नेहा ने सेम पोज़िशन में अपने कदम विक्की की दिशा में बढ़ा दिए और सोफे पर बैठे अपने छोटे भाई के बेहद करीब आ कर खड़ी हो गयी.


"ओह दीदी !! कितनी चिकनी जांघे हैं तेरी" विक्की सिसका, उसकी बहेन की टाँगो पर बाल रूपी एक भी रेशा नही था "हां अब ठीक है !! उठा स्कर्ट अपनी" वह सब्र करने की सिचुयेशन से कोसो दूर था.


वहीं उससे कहीं ज़्यादा खराब हालत स्नेहा की थी, आज वह अपने सगे छोटे भाई के सामने नग्न होने जा रही थी. अपने गुप्ताँग जो हर जवान लड़की सिर्फ़ अपने भावी पति को सौंपती है, स्नेहा अपने भाई के सुपुर्द कर रही थी.


"भाई" वह लो वाय्स में बोली "मुझे शरम आ रही है"
bemishaal
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
विक्की :- "मैं जानता हूँ दीदी !! मेरे साथ भी कुच्छ ऐसा ही हुआ था जब पहली बार मोम ने मेरा लंड अपने हाथो में पकड़ा, फिर बात लंड चूसने पर पहुचि और आज हम दोनो सेक्स को खूब एंजाय करते हैं. खेर शरम का भी अपना एक अलग ही मज़ा है.


"हम दोनो भाई-बहेन हैं विक्की और आज से पहले मेरे मन में तेरे लिए कोई ग़लत ख़यालात नही आए. क्या तू फिर भी अपनी सग़ी बड़ी बहेन को नंगी देखना चाहता है" अत्यधिक रोमांच से कामुक होती स्नेहा का कथन सुन कर विक्की भी हैरत में पड़ गया.


"तो फिर क्या करें दीदी ?" विक्की कोई भी निर्णए लेने में असमर्थ दिखा "मामा के घर चलें ?"


"मगर तेरी इक्षा का क्या भाई ? क्या तू ऐसा मोका छोड़ सकता है जब कोई लड़की तेरे सामने अपना सब कुच्छ न्योछावर करने को तैयार हो ?" स्नेहा ने विक्की का आंतरिक मन जान-ना चाहा.


"दीदी !! यदि वो लड़की कोई और होती, तो मैं कभी ना रुकता मगर तू मेरी बहेन है, मुझसे बड़ी है और हमारा खून का रिश्ता है. अब अगर तू नही चाहती तो मैं तुझे फोर्स नही करूँगा" विक्की ने समझदारी का परिचय दिया तो स्नेहा के मन में भी उसके लिए प्रेम उमड़ पड़ा.


"तभी तो मेरा दिल मेरे छोटे भाई पर आया है" इतना कह कर स्नेहा ने अपनी आँखें बंद कर ली और स्कर्ट को जाँघो से ऊपर खीचती हुई, अपनी चूतडो की दरार के स्टार्टिंग पॉइंट तक ले आई.


विक्की तो जैसे शून्य में परिवर्तित हो चला था, स्नेहा ने एक गहरी साँस ली और इसके फॉरन बाद स्कर्ट को पूरी तरह से अपनी कमर के ऊपर चढ़ा लिया.


"देख ले भाई तेरी बहेन की कातिल जवानी" स्नेहा आगे को झुकती चली गयी और अगले ही पल विक्की की पथराई आँखों के सामने उसकी सग़ी बड़ी बहेन की चिकनी कुँवारी चूत और गान्ड का अन्छुआ भूरा छेद अवतरित हो गया.


स्नेहा की पलकें मुंदी थी, वह अपने दिल में उठ रही हर उस आवाज़ को बंद कर देना चाहती थी जो चीख-चीख कर उससे कह रही थी "विक्की तेरा भाई है, तुझे 5 साल छोटा. मत कर ये पाप और छुपा ले अपनी शरमगाह"


कमरे में पसरा सन्नाटा ज़्यादा देर टिक नही पाया और विक्की ने अपनी मंत्रमुग्ध अवस्था का त्याग कर, नीचे झुकाते हुए, स्नेहा की रस से सराबोर चूत पर अपने सुस्क होंठ चिपका दिए.


"उफफफफफफफफ्फ़ भाई" स्नेहा की सिसकी से बंद कमरा गूँज उठा. उसके अनुमान की धज्जियाँ उड़ाते हुए, उसके छोटे भाई ने उसकी कुँवारी चूत पर हमला बोल दिया था.


विक्की की नाक स्नेहा के नर्म गुदा द्वार से पूरी तरह सटी और सूखे होंठ खुद ब खुद गीले हो कर बहेन की कुँवारी चूत से बहते गाढ़े रस का, रस-पान करने लगे थे.


"बेड पर चल भाई !! मैं ज़्यादा देर इस तरह खड़ी नही रह पाउन्गि" टाँगो में होते कंपन ने ज़ाहिर कर दिया, कि अब स्नेहा भी खुल कर इस खेल का आनंद लेना चाहती है
fantastic
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
विक्की ने अपनी बड़ी बहेन की बात का समर्थन करते हुए उसकी चूत से अपना मूँह हटा लिया और वे दोनो जल्द ही बेड पर एक-दूसरे के समानांतर लेट चुके थे.


स्नेहा की अनियंत्रित चढ़ि साँसें और उसकी खूबसूरती से हैरत में पड़ा उसका छोटा भाई मानो किसी गरम रेत के रेगिस्तान में भटक रहा था, जिसे अब जल्द ही किसी शीतल झरने को पाने की आस थी.


"ऐसे क्या देख रहा है भाई ?" स्नेहा उसकी एक-टक नज़र को ज़यादा देर सह नही पाई और उससे पुच्छ बैठी.


विक्की भी सपने से बाहर आया "दीदी तेरी आँखें कितनी प्यारी है, होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी, सुराही दार गर्दन. खेर बाकी तो मैने कुच्छ नही देखा लेकिन तेरी चूत वाकाई लाजवाब है" वह शायराना अंदाज़ मे बोला.


"अच्छा भाई !! कहीं तेरा दिल मोम से हट कर अपनी बहेन पर तो नही आ गया ?" स्नेहा ने दोबारा सवाल किया.


"ऐसा नही है दीदी !! मोम और तुझ में ज़मीन-आसमान का अंतर है" कहते हुए विक्की उठा और अपनी बहेन की टाँगो के दरम्यान बैठने लगा.


"वो क्यों भला ?" स्नेहा समझ गयी विक्की दोबारा उसकी चूत को बे-परदा करेगा लेकिन जानते हुए भी उसने कोई आपत्ति नही जताई, बल्कि अपनी टाँगो की जड़ को विपरीत दिशा में फैलाने लगी.


"मोम तुझसे काफ़ी बड़ी हैं, और उनका बदन भी तुझसे ज़्यादा गदराया हुआ है" विक्की ने स्नेहा की स्कर्ट को उसके सपाट पेट पर पलट-ते हुए कहा, खुद उसकी बहेन ने इस कार्य में अपनी गान्ड बेड से ऊपर उठाते हुए उसकी मदद की.


"हां मोम का शरीर थोड़ा हेवी है और वेट भी मुझसे ज़्यादा है लेकिन तू कह रहा है ज़मीन-आसमान का अंतर है. क्यों ?" स्नेहा की चूत से बहते रस का कोई अंत नही था और विक्की का हाथ हल्के-हल्के उसकी मोटी जाँघो को सहला रहा था.


"ह्म्म तू सही है दीदी मगर सबसे बड़ा अंतर क्या है, बताउ ?" विक्की के सवाल के जवाब में बेड पर लेटी स्नेहा ने अपना सर हां के इशारे में हिलाया.


"तेरी ये कुँवारी चूत काफ़ी टाइट, चिपकी हुई और छोटी है वहीं मोम की चूत के होंठ पूरी तरह खुले, इतनी टाइट नही और बहुत बड़ी भी है" विक्की ने बेहद अश्लीलता से अपनी मा और बहेन की योनि का अंतर समझाया.


"भाई !! एक तो उन्होने डॅड के साथ आधी उमर तक सेक्स किया, फिर अब तेरे साथ कर रही हैं और तू ये कैसे भूल गया कि हम दोनो भाई-बहेन भी तो उसी चूत से बाहर निकल कर इस दुनिया में आए हैं. अब हमेशा तो औरत की चूत किसी कुँवारी लड़की जैसी नही रहेगी ना" स्नेहा ने सच बयान किया.


"ओ तेरी !! मैं तो भूल ही गया था, खेर दीदी तेरी तो अब तक झान्टे भी नही उगी हैं" विक्की ने अपने दाएँ हाथ की मद्धिम उंगली चूत की नर्म व सूजी फाँक पर फेरते हुए कहा.


"आहह भाई !! वो मेरे मेन्स्ट्रवुशन कल से स्टार्ट हैं तो मैने क्रीम से सारे बाल सॉफ कर लिए" स्नेहा तड़प्ते हुए बोली, ये पहला मौका था जब किसी मर्द का हाथ उसकी चूत के इतना करीब था.
jabardast
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
"चल ठीक है दीदी !! अब तो मुझसे रहा नही जाता. तेरी चूत चाटने से खुद को रोक नही पा रहा हू" कहते हुए विक्की ने खुद को अपनी बहेन की टाँगो के बीच स्थापित किया और उसकी दोनो खुली जाँघो और ऊपर उठाते हुए अपने चेहरे को उनकी जड़ की दिशा में तब तक नीचे झुकता गया, जब तक उसके होंठो का क़ब्ज़ा स्नेहा की कुँवारी चूत से ना हो गया हो.


"उफफफफफ्फ़ भाई !! चाट ले, प्यार कर अपनी बहेन को भी, जैसे तू मोम के साथ करता है" स्नेहा की उबल्ति चूत में सैकड़ों चीटियों द्वारा काटे जाने समान दर्द उठने लगा और अपने भाई के सर को वह कठोरता से अपनी घायल होती जा रही चूत के मुख पर दबाने लगी.


"ह्म्‍म्म !! लव मी भाई, लव मी" वह घुर्राई बदले में विक्की ने अपनी वही उंगली जिसे कुच्छ देर पहले वह चूत की चिपकी फांको पर फेर रहा था, झटके से चूत की सन्करि घाटी में पूरी ताक़त से उतार दी.


"खचह" कुछ ऐसी ही आवाज़ दोनो भाई-बहेन के कानो को भेद गयी.


"आहह !! भेन्चोद निकाल अपनी उंगली बाहर, मैने आज तक कुच्छ भी अंदर नही डाला है" स्नेहा ने विक्की के सर के बालो को नोंछते हुए कहा "भाई सिर्फ़ चूस या चाट मगर अंदर कुच्छ ना डाल, मैं प्यार करने को थोड़ी मना कर नही रही हूँ"


विक्की ने अपनी बहेन की आग्या का पालन करते हुए अपनी उंगली को हौले-हौले बाहर निकाला तो उंगली के साथ ही जैसे रस की, मोटी धार भी बाहर खीची चली आई.


"एम्म्म एम्म्म" धरती पर अपनी बड़ी बहेन को स्वर्ग का दीदार करवाते हुए विक्की सारी गाढ़ी मलाई, होंठो के ज़ोर से मूँह के अंदर सुड़कने लगा, खीचने लगा.


उसकी जीभ निरंतर चूत की जुड़ी फांको को लंड की तरह चोद रही थी और बारी-बारी उसने दोनो फाको को होंठो के दरमियाँ कठोरता से भींच, दबा-दबा कर चूसा जिसके प्रभाव से जल्द ही चूत का भज्नासा भी अपना सर उठाए उसके होंठो से द्वंद करने की अभिलाषा लिए प्रकट हो गया.


स्नेहा की चूत मे ऐंठन शुरू हुई, संकुचन बढ़ गया, लगा जैसे अन्द्रूनि संकरे मार्ग से कोई बलिष्ठ वास्तु अत्यधिक कोशिशो के बावजूद भी बाहर नही निकल पर रही हो "भाई ज़ोर लगा और खा जा मेरी चूत को" वह बल खाई नागिन की तरह मचल उठी.


दर्ज़नो बार अपनी मा के साथ पापी संबंध बनाने के तजुर्बे ने जल्द ही विक्की की जीब और होंठो का रुख़ चूत के सूजे भग्नासे की तरफ केंद्रित कर दिया और इतनी प्रवीनता से उसने उसे चूसा, जैसे आज के बाद वह मोटा दाना कभी अपना सर नही उठा सकेगा.


"ओह्ह ह्म्म" स्नेहा के आनंद की ये पराकाष्ठा थी.



"ले मसल इन्हे भी" कामन्ध स्नेहा ने अपनी चूचियों की तरफ इशारा किया तो विक्की के दोनो हाथ एक-साथ उन्हें दबाने के उद्देश्य से उन पर टूट पड़े.
damakedaar
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
बड़ी बहेन के तने चुचकों की घुंडी ना भीच पाने का गम विक्की ने उन्हे अति-कठोरता से मसल्ने में पूरा किया, हलाकी स्नेहा की चूचियाँ आकार में नीमा से कुच्छ कम थी मगर उनका माँस बेहद टाइट था. विक्की के हाथो की उंगलियाँ तेज़ी से उन्हे पंप करने लगी थी.


नीचे कुँवारी चूत पर भाई के होंठो का कसाव और अन्छुइ चूचियों पर उसके हाथो के दबाव ने स्नेहा को अपने चूतड़ उच्छालने पर मजबूर कर दिया, लगा जैसे वह खुद अपने भाई के मूँह को चोद रही हो.


"भाई" स्नेहा पुरजोर ताक़त से चीखी, अपनी चूत के अन्द्रूनि मार्ग में उसे रस उमड़ता महसूस हुआ "मर गयी" इतना कहते ही जो अवरुद्ध वास्तु उसकी चूत से बहार आने को लालायित थी, किसी फुहार की भाँति सैलाब बन कर निकल पड़ी.


"आहह" स्नेहा के गुदा-द्वार में अजीब सी सिरहन और चूचक जैसे भाले की नोक बन गये. पहली बार जब कोई कुँवारी स्त्री अपने ऑर्गॅज़म को प्राप्त करती है, उस आनंद की कल्पना शब्दो में लिख पाना महज एक चूतियापा ही होगा.


विक्की की सफलता का प्रमाण उसकी आँखों के सामने था, रस की काई मोटी-मोटी धारे वह सीधे अपने गले में उतारने लगा. उसके होंठ बेहद कड़कता से बहेन की जवानी चूसने में मगन थे और जीभ शीघ्र अति-शीघ्र चूत-मुख को रगड़ कर छील्ति जा रही थी.


लगभग पूरे एक मिनिट तक स्नेहा अपनी कमर उठाए झड़ती रही, उसके रति-रस का त्याग होता रहा. सगा भाई भी प्रेम-पूर्वक उसकी चूत सहलाता रहा, चूस्ता रहा, चाट-ता रहा, चुंबनो की झड़ी लगाता रहा और अंत में स्नेहा ने अपनी उखड़ी सांसो को समहालते हुए विक्की को अपने बदन के ऊपर खीच लिया.


"भाई" इससे ज़्यादा वह कुछ ना कह सकी और विक्की के चेहरे को गौर से देखा, जो पूरा स्वयं उसके काम रस से तर था, भीगा था.


"दीदी तू खुश है ना ?" विक्की की छाति के ठीक नीचे उसकी बहेन के स्तन थे, जिनकी कठोरता वह सॉफ महसूस करने लगा. बहेन की चूचियाँ किसी धुकनी के समान धड़क रही थी और वह खुद भी तेज़-तेज़ हंपायी ले रहा था.


"बहुत खुश मेरे भाई" स्नेहा ने अपने होंठ विक्की के होंठो से जोड़ कर उसकी मेहनत का पुरूस्कार उसे प्रदान किया, हलाकी चूत रस के स्वाद से वह वाकिफ़ थी मगर भाई के होंठो से लग कर जैसे उस रस का स्वाद अत्यधिक स्वादिष्ट हो गया था.


"अच्छा भाई !! तुझे कैसा लगा मेरी चूत चाटना ?" स्नेहा ने चुंबन तोड़ा और विक्की के चेहरे को अपने हाथो में थाम कर पुछा.


"मुझसे मत पुच्छ दीदी, मेरे लंड से पुच्छ. देख ना, कैसे दर्द के मारे मेरी जान निकल रही है" विक्की ने कहने के साथ ही अपने कड़क लंड को, स्नेहा की झाड़ चुकी चूत से रगड़ना शुरू किया तो जैसे दोनो ही पिघल कर रह गये.


"ना भाई !! ऐसा ग़ज़ब ना करना. रुक मैं कुच्छ करती हूँ" उत्तेजना-वश विक्की कहीं उसकी कुँवारी चूत के अंदर अपना विशाल लॉडा ना ठूंस दे, घबरा कर स्नेहा ने उसे अपने ऊपर से हटने का इशारा किया और खुद भी बेड पर उठ कर बैठ गयी.
kamuk
 
  • Like
Reactions: Dinesh chand

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
"तूने मेरा दर्द मिटाया भाई, ला मैं तेरा मिटाती हूँ" स्नेहा का आशय समझ कर विक्की के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी "लेट कर चूस दीदी, साथ में मैं भी तेरी चूत से खेलूँगा" वह बोला.


स्नेहा :- "और अभी जो इतनी देर तक मेरी चूत से चिपका पड़ा था, मन नही भरा क्या तेरा ?"


"कभी भरेगा भी नही दीदी. फिकर ना कर, मैं उंगली अंदर नही डालूँगा बस ऊपर-ऊपर से थोड़ी देर सहलाउन्गा" विकी की बात से सुंतुष्ट हो कर स्नेहा ने हामी भर दी और पुनः लेट कर अपने भाई के गर्माते लौडे को अपने कोमल हाथ से हिलाने लगी.


विक्की के लिए उसने अपनी टाँगो की जड़ काफ़ी हद्द तक खोल रखी थी और जल्द ही दोनो अपने कार्य में जुट गये.


लंड को जड़ से पकड़ कर स्नेहा ने रस उगलते सुपाडे पर अपनी खुरदूरी जीभ से चाटना शुरू किया तो सिसक कर विक्की ने भी उसकी चूत को अपनी मुठ्ठी में भींचा.


कुच्छ देर अपनी जीभ को गोलाकार आक्रति में सुपाडे पर घुमाने के पश्चात स्नेहा ने लंड को मुठियाना शुरू किया और सुपाडा समेत आधा लंड अपने मूँह में प्रवेश करवा लिया. बिना किसी जानकारी के भी वह लंड की सतह पर अपना मूँह तेज़ी से ऊपर-नीचे कर रही थी.


"तेरी चूत तो टाइट है ही दीदी, तेरा मूँह भी बेहद गरम है. लग रहा है जैसे चूत की फांकों के भीतर हो" विक्की ने अपनी बहेन की हौसला-अफ़ज़ाइ की तो स्नेहा ने कठोरता से लॉडा चूसना आरंभ कर दिया.


लंड की जड़ मुठियाने से लगातार सुपाडा खाल के अंदर-बाहर होने लगा था और स्नेहा मूँह के भीतर कभी उस पर अपनी जीभ घुमाने लगती तो कभी कड़क होंठो से बलपूर्वक चूसना शुरू कर देती, विक्की को दोहरे आनंद की प्राप्ति हो रही थी.


स्नेहा की चूत के दाने ने संवेदनशील हो कर वापस अपना सर ऊपर उठाया और इस बार विक्की के अंगूठे और प्रथम उंगली के बीच फस कर दम तोड़ने लगा.


"दीदी मैं करीब हू" जाने कब से विक्की खुद पर नियंत्रण रखे था लेकिन आगे कब तक रख पाता, ज्यों ही स्नेहा के मूँह का कसाव प्रचंड हुआ, वह झाड़ पड़ा और साथ ही भाई के वीर्य का स्वाद मूँह में आते ही, स्नेहा ने भी दोबारा पानी छोड़ दिया.


अनेक प्रकार की कामुक चीखों ने कमरा दहला दिया और शुरुआत हुई उस पाप की, जो इंसानी समझ में सिवाए कलंक के, कुच्छ और ना था.
rash bhari
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
पापी परिवार--57





ऑफीस के बाथरूम में दीप अपनी छोटी बेटी निम्मी के साथ नहाने में व्यस्त था और तभी रेस्टरूम में रखा उसका सेल बजने लगा.


दोनो शवर के नीचे नग्न खड़े एक दूसरे के होंठो का रस्पान कर रहे थे, निम्मी तो पूर्ण-रूप से मदहोशी का शिकार थी मगर दीप ने अपने सेल की धुन पहचान ली.


"बेटा !! अंदर मेरा सेल बज रहा है, मैं एक मिनिट में आया" दीप ने उस गहरे चुंबन को तोड़ा और रेस्टरूम में जाने लगा.


"डॅड !! प्लीज़ जल्दी आना" निम्मी ने कदम बढ़ाते दीप का हाथ थाम कर कहा. पिता ने देखा, उसकी बेटी को उस अखंड चुंबन के टूटने का बेहद अफ़सोस है.


दीप दोगुनी तेज़ी से पलट कर निम्मी के करीब आया "बजने दे, बाद में बात कर लूँगा" उसने अपनी वृहद बाहें फैलाई और अत्यंत खुशी से अभिभूत, उसकी बेटी उनमें समा कर क़ैद हो गयी.


"ओह्ह्ह्ह निम्मी !! जाने क्यों मैं पल भर के लिए भी तुझसे अलग नही रह पाता" दीप ने बलपूर्वक उसे दबोचा, उसके दोनो हाथ बेटी के मांसल व गीले चूतड़ पर कस चुके थे.


"उफफफफ्फ़ !! मैं भी डॅड" अपने पिता के हाथो की वास्तविक स्थिति महसूस कर निम्मी सिसक उठी, वह खुद अपनी चूत का मुलायम घर्षण पिता के अध्खडे लंड को, पुनः जाग्रत करने के उद्देश्य में भिड़ चुकी थी.


दीप अत्यधिक कठोरता से चुतडो के दोनो पाट भींचता और नियमित अंतराल से अपना हाथ उनकी गहरी घाटी में घुसाने लगता, नतिजन उसकी उंगलियाँ यादा-कदा बेटी के अती-संवेदनशील अन्छुए गुदा-द्वार से टकरा जाती और दोनो के नंगे बदन बुरी तरह काँप उठते.


जीभ का जीभ से जुड़ाव, छातियों का आपसी टकराव, चूत पर लंड का लिसलिसा घर्षण और गुदा-द्वार में उंगलियों का भेदन. जल्द ही दोनो असहनीय कामवासना के शिखर की तरफ प्रस्थान करने लगे थे.


दीप ने दोबारा चुंबन तोड़ा "निम्मी" वह अपनी बेटी का नाम पुकारने लगा जो उस वक़्त अपनी आँखें बंद किए, उत्तेजना के भंवर में अनगिनत गोते खा रही थी.


"ह्म्‍म्म" निम्मी ने बंद पलके खोली और काफ़ी लो वाय्स में जवाब दिया.


"और चुदेगि ?" डीप ने अपनी आँखों का कॉंटॅक्ट बेटी की आँखों से जोड़ कर पुछा और अपनी मिड्ल लोंग फिंगर को निम्मी की गंद के छेद के अंदर ठेलने की कोशिश की.


"औछ्ह डॅड !! दुख़्ता है" शरम और पीड़ा के एहसास मात्र से निम्मी दोहरी हो गयी, खुद ब खुद उसके बदन का सारा भार एडियों से हटा कर, पंजो के बल ऊपर उठने लगा.


"बोल ना बेटी, लेगी क्या डॅडी का लंड फिर से अपनी चूत में ?" निम्मी की आशय स्थिति का पूर्ण आनंद लेते हुए दीप ने अपना अश्लील सवाल दोहराया.
sunder
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
निम्मी का चेहरा सुर्ख लाल था, वासना और लाज का मिश्रण उसे और भी ज़्यादा खूबसूरत बनाता जा रहा था. हलाकी दोनो बाप-बेटी अब काफ़ी खुल चुके थे मगर निम्मी से कुच्छ बोलते नही बन पाया और स्वतः ही उसकी पलकें झुकती चली गयी.


"क्या तुझे मज़ा नही आ रहा ?" दीप ने अपनी लंबी जिह्वा का इस्तेमाल करते हुए उसका दाहिना गाल चाटा, वह खुद बेहद उत्तेजित हो चुका था और इसका प्रमाण उसका विशाल लॉडा बेटी की रस छोड़ती चूत पर लगातार ठोकर मारते हुए दर्शा रहा था.


"डॅड" अचानक निम्मी के बंद होंठ फड़फडाए "जैसा आप को उचित लगे" गुदा के कुंवारे छेद पर अपने पिता की मोटी उंगली के असन्ख्य प्रहार ने उसे बोलने पर मजबूर कर दिया था.


"मेरा तो बहुत मन है मगर मैं तेरे मूँह से सुनना चाहता हूँ, बोल क्या दोबारा चुदेगि अपने बाप से ?" इस बार दीप की कोशिश रंग लाई और उसकी उंगली लगभग 2 इंच तक बेटी के नर्म गुदा-द्वार में घुस गयी.


"आहह डॅड !! बोला तो मैने जो आप चाहते हो कर लो" निम्मी ने अपनी सहमति जताई, उसके लिए अब एक भी क्षण रुक पाना नामुमकिन था.


"तू बोलेगी तो चोदुन्गा वरना नही" दीप ने नटखते अंदाज़ में कहा, अब वह भी कहाँ रुक सकता था.


निम्मी समझ गयी "उसका पिता उसके मूँह से क्या सुनना चाहता है ?" उसने पुरजोर सह से अपनी शरम का त्याग किया, पिता की आँखों से अपनी रक्त-रंजीत आँखें जोड़ी और टूट कर बिखर गयी.


"हां डॅडी !! छोड़ो मुझे, किसी रंडी की तरह मसल डालो" वह चीखी और इसके फॉरन बाद दीप ने अपनी उंगली को उसके गुदा-द्वार से बाहर खीच लिया.


"रंडी की तरह नही निम्मी, अपनी बीवी की सौतन की तरह" मुस्कुरकर उसने बेटी के होंठो को कठोरता चूसा और तत्पश्चात उसे पलटा कर बाथरूम की दीवार से चिपका दिया.


"शवर का टॅप पकड़ ले, वरना गिर जाएगी" दीप ने समझाया और ज्यों ही निम्मी ने झुक कर टॅप को अपने हाथो से पकड़ा, उसके चूतड़ अनुमान से कहीं ज़्यादा ऊपर उठ कर दीप के लौडे को अपनी तरफ आकर्षित करने लगे.


यह नज़ारा देख दीप के लंड ने ठुमकीयाँ लेनी शुरू कर दी, कुच्छ क्षण तक वह अपनी बेटी के मांसल चूतड़ निहारता रहा और फिर नीचे ज़मीन पर बैठ गया.


निम्मी को अपने चुतडो पर पिता के कठोर हाथ महसूस हुए तो उसने अपना सर घुमा कर नीचे देखा "उफफफ्फ़" वह तड़प उठी.


दीप ने उसके चुतडो के पट खोल कर अपनी जीभ दरार के अंदर फेरनी शुरू कर दी थी और जल्द ही वह उसकी गान्ड के छेद से लेकर, उसकी चूत के दाने तक, पूरी लंबाई में अपनी जिह्वा घुमाने लगा.


निम्मी के अत्यधिक गरम होने का संकेत उसे बेटी की जाँघो पर बहते, उसके रति-रस को देख कर हुआ परंतु जाने क्यो वह अब तक उसकी योनि चाटने में मगन था. शायद काम सुख का सही अर्थ ही यही होगा होता.


"आईईई डॅडी !! अब बस भी करो, मैं मर जाउन्गि" हार-कर निम्मी पुनः चीख उठी.
atisunder
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
निम्मी के इतनी ज़ोर से चीखने का दीप पर लेश मात्र भी असर नही पड़ा और वह अपने कार्य में पूरी निपुणता, ईमानदारी से जुटा रहा. उसकी बेटी के चूतड़ बुरी तरह हिल रहे थे जैसे उसके बदन में बिजली के करारे झटके लग रहे हों.


"ओह्ह्ह डॅडी !! प्लीज़ मान जाओ" असह्नीय तकलीफ़ से निम्मी बिलख उठी. हलाकी उसे पता था, उसका पिता सनकी है मगर महा-ठरकी भी होगा, ऐसी आशा उसे कतयि ना थी. उसका रोम-रोम इस गहेन पीड़ा के अनुभव से सिहरता जा रहा था.


अनगिनत रंडियों के साथ सोने के बावजूद दीप ने उनमें से किसी की भी चूत पर अपना मूँह नही लगाया था और वाइल्ड सेक्स की, उसकी चाहत आज उसकी सग़ी छोटी बेटी के साथ पूरी हो रही थी. वह निम्मी की चीखों की परवाह किए बगैर उसकी जवानी को तब तक चूस्ता रहा, निचोड़ता रहा जब तक उसकी बेटी अपने चरम के बिल्कुल नज़दीक नही पहुच गयी.


"बस अब ठीक है" निम्मी को उसके ऑर्गॅज़म के बेहद करीब पहुचने के पश्चात अचानक दीप ने उसकी चूत से अपना मूँह हटाया और ज़मीन से उठ कर खड़ा हो गया.


निम्मी जो किसी भी वक़्त झाड़ सकती थी, दीप के उसे बीच मजधार में यूँ तड़प्ता छोड़ देने से से, उसकी आँखों में क्रोध की ज्वाला जल उठी और फॉरन पलट कर उसने अपने पिता के निचले होंठ पर अपने नुकीले दाँत बेरहमी से गढ़ा दिए.


"हमेशा सताते हो !! इतना भी नही समझते, मुझे तकलीफ़ होती होगी" निम्मी ने उसके होंठ पर ज़ुल्म करने के बाद कहा, दांतो के प्रहार से पिता का निचला होंठ काफ़ी ज़ख़्मी हो गया था.


"इसी तकलीफ़ के बाद तो असली आनंद मिलता है निम्मी !! देख तूने मुझे कितनी ज़ोर से काटा लेकिन मैने कोई शिक़ायत नही की. अरे चुदाई का असली मज़ा तो दर्द सहने में है" दीप मुस्कुराते हुए बोला और निम्मी का गुस्सा शांत होते ही उसे अपनी ग़लती पर अफ़सोस होने लगा.


"आइ आम सॉरी डॅडी !! मुझे इतनी ज़ोर से काटना नही चाहिए था" कहते हुए निम्मी ने माफी स्वरूप बड़े प्यार से पिता के चोटिल होंठ को चूसना शुरू किया तो दीप का अंतर-मॅन भी गद-गद हो उठा.


कितना आनंद-तिरेक नज़ारा था, एक पिता की बाहों में क़ैद उसकी जवान बेटी, दोनो पूर्ण नग्न, पानी की हल्की-हल्की फुहारें और होंठो का अकल्प्नीय चुंबन, वाकाई कल्पना से परे द्रश्य.


बुझते अंगारों में वापस चिंगारी भड़क उठी थी और अब ना तो चैन निम्मी को था और ना ही दीप को.


पिता ने पुत्री के होंठ चूस्ते हुए अपना विशाल लॉडा हाथ से पकड़ा और सूजा सुपाडा उसकी गीली चूत की फांकों पर रगड़ने लगा. फिर अगले ही क्षण एक हाथ से बेटी की कमर को जाकड़ कर उसने अचूक निशाना साध दिया.


एक झटके में लंड का आधा हिस्सा किसी मिज़ाइल की तरह चूत की संकरी दीवारें चीरता हुआ अंदर जा घुसा और निम्मी के साथ-साथ दीप की आह भी बाथरूम में गूँज उठी.


"उफफफफफफ्फ़" दोनो कराहे. जहाँ निम्मी अपना कुँवारा-पन खोने के बावजूद पीड़ा का अनुभव करने लगी वहीं दीप को अपनी बेटी की चूत की कसावट बेहद आनंद-दायक लगी.
jakash
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,005
173
दीप ने प्रथम झटके के उपरांत ही निम्मी की चूचियों पर अपने हाथो का क़ब्ज़ा जमाया और जिससे उनके बीच चल रहा चुंबन टूट गया "बेटी तकलीफ़ ज़्यादा हो, तो थोड़ी देर रुकु ?" उसने अगला धक्का मारने से पूर्व निम्मी की राय जान-नी चाही.


"डॅड !! मेरी पुसी की झिल्ली तो फॅट चुकी है फिर भी इतना दर्द क्यों हो रहा है ?" शरम-वश यह सवाल पुच्छने के पश्चात निम्मी का चेहरा वर्तमान से कहीं ज़्यादा लाल हो उठा. चूत की जगह पुसी शब्द का उच्चारण भी वह मुश्क़िल से कर पाई थी.


"तेरी पुसी को रेस्ट नही मिला तभी दर्द हो रहा होगा मगर तू फिकर ना कर, तेरे डॅडी के पास इस दर्द की बेहद सटीक दवा है" दीप की शैतानी मुस्कान जाग्रत हुई और अगले ही पल उसकी कमर ने दूसरा झटका खाया, जो पहले से कहीं ज़्यादा दर्दनाक और घातक था.


"आईईई मम्मी !! मर गयी" बेटी की चूत के साथ ही एक पिता ने उसके अनुमान की भी धज्जियाँ उड़ा दी और ताबड-तोड़ धक्को का सिलसिला चल निकला.


जल्द ही पिता का विशाल लंड बेटी की चूत के अंदर गहरा और गहरा जाने लगा. मोटे सुपाडे के कुच्छ जघन्य प्रहार तो सीधे निम्मी के गर्भाशय को छु रहे थे.


"अह्ह्ह्ह डॅडी !! अपनी बेटी पर कुच्छ तो रहम खाओ" निम्मी की सहेन-शक्ति जवाब देने लगी, रह-रह कर उसे लगता कहीं वह बेहोश ना हो जाए परंतु दीप तो जैसे वासना रूपी राक्षस बन चुका था.


वह पल भर को नही रुका, जवान चूत का सन्कीर्न मुख उसके लंड की चोटों से खुल चुका था. यौवन से भरपूर अपनी बेटी के गोल-मटोल मम्मे अपने कठोर हाथो में वह किसी गुब्बारे की तरह महसूस कर रहा था.


अत्यधिक पीड़ा व उत्तेजना में निम्मी अपना निचला होंठ दांतो में दबाए रीरियाती रही. उसकी चूत की कोमल फाँकें पिता के आक्रमणकारी लंड की मोटाई के कारण बुरी तारह फैल कर लंड को जकड़े हुए थी और जिस रफ़्तार से लॉडा उसकी चूत के अंदर-बाहर होता, उसे लग रहा था जैसे उसकी चूत का माँस भी लंड के साथ ही ताल से ताल मिला का खिंचता जा रहा हो.


लगातार होते घर्षण से जल्द ही चूत के अंदर रस की बहार उमड़ने लगी थी और जो अब कभी भी फूटने को तैयार थी, जैसे ही दीप ने अपना एक हाथ मम्मे से हटाकर उसका अंगूठा निम्मी के गुदा-द्वार के अंदर ठेलने का प्रयास किया, उसकी बेटी किसी भी अग्रिम-चेतावनिके झाड़ पड़ी.


"फाड़ दो !! और अंदर डॅडी और अंदर" रंडी में परिवर्तित दीप की बेटी के अंतिम लफ्ज़ यही थे.



निम्मी की चूत मन्त्रमुग्ध कर देने वाले स्खलन के सुखद एहसास मात्र से फॅट पड़ी और सुंकुचित हो कर इतना रस उगलती है, जिसे उसके पिता का विशाल लॉडा चूत के भीतर फसे होने के बावजूद भी बाहर निकलने से नही रोक पाता.


दीप के धक्को की रफ़्तार निरंतर जारी रही और वह कोशिश करता है कि इस बार अपनी बेटी को दो स्खलनो का सुख प्रदान कर सके. मन में ऐसा विचार आते ही उसके लंड की नसों में प्रचंड रक्त-स्ट्राव होने लगा और बेटी के चुचक की घुंडी मसलते हुए वह उसकी सोई कामवासना को दोबारा जगाने में जुट गया.


"ओह्ह्ह डॅड !! पूरे जानवर हो आप" निम्मी अपने पिता की चोदन क्षमता की कायल हो चुकी थी. कभी पिता का उसे लाड करना और फिर अचानक से दर्द देना. आज पहली बार उसने जाना था कि सेक्स में रिश्ते, मर्यादा, शरम इत्यादि का कोई महत्व नही. सर्वोपरि सिर्फ़ काम-वासना है.


"बड़ी जल्दी समझ गयी तू अपने डॅड को, खेर अभी हम दोनो ही जानवर हैं" दीप बोला. चूत के एक बार झाड़ जाने के उपरांत अन्द्रूनि मार्ग पर चिकनाई बढ़ गयी थी जिससे उसका लॉडा बिना किसी रोक-टोक के सीधे गहराई में चोट करने लगा था.


"हे हे !! मैं थोड़ी हू जानवर" निम्मी मुस्कुराइ, दीप को प्रसन्नता हुई बेटी की जघन्य पीड़ा ख़तम होने से.
jaanwaar
 
Top