अब तक हुई अश्लील गर्माहट से लड़के का विशाल लंड पत्थर हो चुका था, लाल आलू बुखारे समान सुपाड़ा रस की गाढ़ी बूँदो से सराबोर, जिसे वह अपनी बहेन के खुल चुके गुलाबी होंठो पर फेरने लगा.
"तू भी मज़ा ले इस रस का, मम्मी तो दीवानी हैं मेरे लंड की और जल्द ही तेरी चूत भी इसके नाम की माला जपा करेगी" अट्टहास करते हुए जबरन लड़के ने आधा लंड किसी भाले की भाँति अपनी बहेन के मूँह में ठूँसा और लड़की घबरा कर अपना गला उसकी गिरफ़्त से छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
"ना बहना !! अभी तो सज़ा मिलनी शुरू हुई है, बस तू देखती जा कैसे मैं तेरी चुदास मिटाता हू" एक करारी आह के साथ लड़के ने अपनी बहेन के मूँह में धक्के लगाने शुरू कर दिए, वह पूरी तरह जानवर बनता जा रहा था, जानता था उसकी बहेन पीड़ा से घुट रही है मगर लग रहा था जैसे वह उस पर कोई रहम नही करेगा.
"उउल्ल्लूउउउऊप" लड़की को उबकाइयाँ आने लगी, वजह लड़के का लंड उसके गले को चोट करने लगा था.
"आहह !! कितना टाइट जा रहा है. चूस बहना, किस्मत वाली है जो सगे भाई का लंड तेरे मूँह में है" इतना कह कर लड़के ने धक्के मारना बंद कर दिए, वह अपनी बहेन के मूँह से बाहर बहती उसकी लार और खुद के लंड से निकले रस के मिश्रण को गौर से देखने लगा.
"स्नेहा दीदी !! तू बहुत सुंदर है. मुझे नही पता था, मेरा लंड चूसने से मेरी बहेन को इतनी खुशी मिलेगी कि उसकी आँखें छलक उठेंगी. विक्की से पंगा ले रही थी ना, अब भुगत"
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ये दोनो नीमा के बच्चे हैं, एक रात पानी की प्यास ने स्नेहा को उसके कमरे से बाहर आने पर मजबूर किया. वह कमरे से बाहर निकली ही थी कि हॉल का नज़ारा देख उसकी प्यास गले से नीचे खिसक, उसकी कुँवारी चूत में उठने लगी.
हॉल की सारी लाइट्स ऑन थी और विक्की अपनी मम्मी को सोफे पर कुतिया बना कर चोद रहा था. स्नेहा को लगा कहीं ये सपना तो नही लेकिन उसकी मम्मी और छोटे भाई की सिसकारियों ने उसे हक़ीक़त का अंदाज़ा करवा दिया.
किसी कुँवारी लड़की के लिए चुदाई देखना बड़ी बात है मगर चुदाई उसकी मा और सगे भाई के बीच हो तो क्या कहने, स्नेहा उस रात तब तक झड़ती रही जब तक हॉल की रास-लीला समाप्त नही हो गयी.
देखने से ही पता चल रहा था कि उसकी मा और भाई काफ़ी लंबे अरसे से इस पाप में लिप्त होंगे, और अंत में जिस कामुकता से एक मा ने अपने बेटे का वीर्य चखा, स्नेहा बेहोश होते-होते बची.
रात भर चूत की आशाए जलन और मन में उठ रहे दर्ज़नो सवाल, स्नेहा सिर्फ़ करवटें बदलती रही.
रात बीती नयी सुबह आई मगर वह सो ना सकी, हलाकी उसके दिल ओ दिमाग़ में अपनी मा और भाई के लिए ज़रा भी नाराज़गी नही थी बल्कि रोमांच से उसकी चूत अब तक बहे जा रही थी.
छुट्टियों के दिन थे तो बच्चे और उनकी मा, मन चाहे समय तक नींद पूरी करते, उस दिन भी ठीक वैसा ही हुआ.
दोपहर 11:30 तक स्नेहा अपने बिस्तर पर रही. फिर जब उससे और ना लेटा गया तो वह किसी चोर के समान कमरे से बाहर आई.
किचन से आती हसी मज़ाक की आवाज़ो ने ज़ाहिर किया कि अंदर उसकी मा और भाई विक्की पहले से मौजूद हैं, वह दबे पाव किचन की तरफ बढ़ी और दरवाज़े से अंदर झाँका.
उसकी मा नीचे ज़मीन पर बैठी थी और विक्की खड़ा, मा को अपना लंड चुस्वा रहा था. नीमा की पीठ दरवाज़े की तरफ होने से वह स्नेहा को नही देख पाई लेकिन विक्की की आँखें अपनी बड़ी बहेन पर बाज़ की भाँति जमी रह गयी.
दोनो भाई-बहेन स्टॅच्यू बन चुके थे, ना तो स्नेहा द्वारा कोई हरक़त हुई और ना ही विक्की द्वारा और फिर अचानक से नीमा के मूँह की गर्मी विक्की बर्दाश्त नही कर पाया.