Update- 80
रजनी तेज पेशाब लगने की वजह से उठकर जाने लगी तो नीलम बोली- क्या हुआ?
रजनी- पेशाब लगी है यार आती हूँ करके।
नीलम- जा कर ले दालान के पीछे सूरन की क्यारी है उसी में कर लेना।
रजनी दालान के पीछे गयी तो वहां पर नींबू के कई सारे पेड़ थे उनके नीचे सूरन की क्यारियां बनाई हुई थी, रजनी ने इधर उधर देखा और अपनी लाल साड़ी को हल्का सा उठा के काली कच्छी को नीचे सरका कर सूरन के छोटे पौधों की ओट में मूतने बैठ गयी।
जैसे ही रजनी ने पेशाब की गरम गरम मोटी धार अपनी रसीली बूर से छोड़ी उसकी नज़र नींबू के पेड़ पर बैठे उसी तोते पर चली गयी जो कल ही उसकी बूर को चूमकर उड़ गया था।
रजनी उस तोते को देखकर चौंक गई, तोता रजनी की बूर से निकलता पेशाब और रजनी के चेहरे को बार बार टकटकी लगा कर देख रहा था।
तोता रजनी की बूर नही देख पा रहा था क्योंकि रजनी ने दोनों हांथों से साड़ी के किनारे को पकड़कर काफी नीचे तक खींचा हुआ था और तोता ऊपर डाल पर बैठा था, रजनी के पेशाब की धार साड़ी के किनारे से लगभग एक इंच नीचे से होकर एक फुट दूर मिट्टी में तेज गिरकर गढ्ढा बना दे रही थी।
अपने छोटे आशिक को देखकर रजनी चौंक गयी और आश्चर्य और खुशी में उसका पेशाब बंद हो गया, शर्म से उसका चेहरा लाल हो चुका था, पर मन में न जाने क्यों खुशी हो रही थी। न जाने क्यों वो मन ही मन उस तोते की राह देख ही रही थी, उसे आभास था कि वो वापिस जरूर आएगा, और एक दिन बाद ही वो फिर वापिस आ गया था और उसे ऐसी जगह पर दिखा की वो चकित रह गयी।
रजनी ने धीरे से बोला- छुटकू फिर तुम आ गए, बेशर्म......बदमाश.....क्या देखने आए हो......मुझे मूतने भी नही दोगे।
तोता पेड़ से उड़कर नीचे आ गया और रजनी के सीधे पैर के पास आकर बैठ गया उसने एक चोंच हल्का सा रजनी के पैर पर मारा मानो मूतने के लिए कह रहा हो, न जाने रजनी को क्या हुआ उसने उसकी इच्छा जान ली और फिर से बूर से पेशाब की धार छोड़ दी, मानो वो उसकी गुलाम हो गयी हो।
तोते ने एक दो बार रजनी के पैर को चोंच से छुआ, रजनी "ऊई, क्या कर रहे हो बदमाश" कहते हुए मूतने लगी, तभी तोते ने रजनी के पेशाब की धार में अपना सिर अच्छे से भिगोया और चोंच खोलकर पीने लगा, रजनी ये देखकर दंग रह गयी, वो घूमकर इधर उधर देखने लगी और उसकी हंसी छूट गयी, छुटंकी की कामुक शैतानियां देखकर।
रजनी- हे भगवान क्या चाहिए तुझे मुझसे, कौन है तू? तू मुझसे प्यार करता है क्या? छुटंकी बदमाश देखो कैसे मेरा मूत पी रहा है बदमाश....गन्दू जी.....लड़की फसाना आता है तुम्हे बहुत अच्छे से?
रजनी अभी उस तोते की एक हरकत से चकित ही थी कि तभी वो तोता रजनी की साड़ी के अंदर जाने लगा पर रजनी ने दोनों हाँथ से साड़ी ज्यादा नीचे तक खींच रखी थी तो जा नही पाया और बड़ी हसरत से बड़े प्यार से रजनी को देखने लगा।
उसकी इस मासूमियत और मंशा जानकर रजनी की हंसी छूट गयी और शर्म से चेहरा गुलाबी सा हो गया, वो समझ गयी कि उसे बूर देखना है इसलिए अंदर जाना चाहता है, न जाने क्यों रजनी ने खुद ही अपनी साड़ी को हल्का सा ऊपर कर दिया और तोता साड़ी के अंदर घुस गया, रजनी ने फिर इधर उधर देखा, बूर से पेशाब की मोटी धार निकल ही रही थी, लगभग अब वो पेशाब कर चुकी थी।
तभी उसे अपनी बूर की फांकों के बीच भग्नासे पर तोते की चोंच की अद्भुत छुवन का अहसास हुआ तो वो चिहुँक गयी, तोता उसकी बूर के भग्नासे को चोंच से कुरेद रहा था मानो वो उसको चूम रहा हो, रजनी को अपार सुख की अनुभूति हुई, उसने मस्ती में साड़ी को नीचे जमीन तक छुवाते हुए तोते को साड़ी के अंदर ढक लिया मानो दुनिया की नज़र से अपने नन्हे आशिक को छुपा लेना चाहती हो।
भग्नासे पर तोते की चोंच लगने से रजनी का पूरा बदन सनसना गया और पेशाब बंद होने के बाद भी दुबारा एक बार हल्का सा पेशाब निकल गया, जिसका कुछ भाग तोता पी भी गया, रजनी जान नही पाई, तोते ने कई बार रजनी के भग्नासे को अपनी चोंच से छेड़ा और अपना मोटा सर उसकी बूर की फांकों के बीच रगड़ा तो रजनी की अनायास ही सिसकी निकल गयी, उससे रहा नही गया तो उसने अपनी साड़ी को उठा के देखा, उसकी गोरी गोरी मोटी मोटी जाँघों के बीच हरा हरा तोता उसकी बूर से खेल रहा था और उसे ये सब न जाने क्यों बहुत अच्छा लग रहा था तभी तो वो उस तोते को ये सब करने दे रही थी, जब जब तोता अपना सर उसकी बूर में रगड़ता वो सिसक जाती। कुछ देर बाद रजनी के मुँह से यही निकला "आह, अब बस करो, बाद में कर लेना फिर" और आश्चर्य देखो तोता तुरंत एक आज्ञाकारी आशिक की तरह बूर छोड़कर साड़ी से बाहर आ गया और उड़कर रजनी के घुटने पर बैठ गया, रजनी उसे और वो रजनी को देखने लगे।
रजनी- कौन हो तुम?....छुटकू जी....क्या चाहिए तुम्हे?
रजनी ने उस तोते को पकड़ा और उसे बड़े प्यार से चूम लिया, उसे चूमते ही न जाने कैसा रोमांच रजनी के पूरे बदन को गनगना गया, ऐसा अद्भुत रोमांच आज तक उसे महसूस नही हुआ था, हालांकि वो अपने बाबू के साथ सम्भोग करके तृप्त थी पर तोते की हरकत उसे अलौकिक रोमांच का अहसाह करा रही थी।
उसने तोते को पकड़कर कई बार चूमा और बोली- अब जाओ, कोई देख लेगा नही तो।
तोते ने रजनी के होंठों पर अपनी चोंच से हल्का सा मारा और उड़ गया, रजनी "अच्छा चुम्मी लेकर जा रहे हो बदमाश!" कहते हुए रजनी उसे पलटकर देखती रही, इस बार फिर अपनी चोंच में भरकर वो शैतान रजनी की बूर का रसीला अर्क ले गया था, ये बात रजनी नही समझ पा रही थी, वो तो न जाने क्यों एक खिंचाव सा महसूस कर रही थी तोते के प्रति, और उसे दुनियां की नज़रों के बचा कर अपने दिल के किसी कोने में बसा रही थी, उसे ये नही आभास था कि वो शैतान है।