काफी देर तक उदयराज रजनी की मुलायम गाँड़ में जड़ तक लंड पेले झड़ता रहा, अपने सगे बाबू का गर्म गर्म लावा रजनी अपनी गाँड़ की गहराई में गिरता हुआ साफ महसूस कर रही थी, मस्ती में वो मुस्कुराने लगी और उदयराज उसके गालों को चूमने लगा।
अब आगे.......
Update- 77
उदयराज रजनी पर हाँफते हुए उसकी गाँड़ में जड़ तक लंड घुसेड़े कुछ देर ढेर होकर पड़ा रहा, फिर रजनी बोली- बाबू
उदयराज- हम्म
रजनी- उठिए न.....मैं तो अभी प्यासी ही हूँ..... प्यास बुझाइए मेरी भी.....डालिये अब मेरी बूर में।
उदयराज- बेटी मैं जरा अपने लन्ड को धो लूं।
रजनी- कहाँ धोएंगे बाबू?
उदयराज- खेत की नाली में जो पानी बह रहा है उसी में।
रजनी- अच्छा जल्दी धो के आइए, बर्दाश्त नही हो रहा मुझसे।
उदयराज ने अपनी बेटी रजनी की गाँड़ में से लंड खींचकर बाहर निकाला और खाट से उतरकर बगल में कच्ची मिट्टी की नाली में बह रहे साफ पानी में अपना काला मोटा लन्ड धोने के लिए बैठा, रजनी खाट पर लेटे लेटे पहले तो देखती रही फिर झट से बोली- बाबू रुको मैं धोऊंगी उसे।
उदयराज रुक गया, रजनी खाट से उतरकर अपने बाबू के पास बैठ गयी और नाली में बह रहा ठंडा ठंडा पानी अपनी अंजुली में लेकर अपने बाबू के लंड का सुपाड़ा खोल के अच्छे से धोने लगी, ठंडा ठंडा पानी लंड पर पड़ते ही उदयराज झनझना गया और बोला-बेटी कितना ठंडा पानी है कहीं तुम्हारे लाडले को ठंड न लग जाये।
रजनी- अभी इसे नहाने दो फिर बूर में लेकर इसको बूर की गर्मी से सिकाई कर दूंगी अपने लाडले की, नहाने के बाद बूर रूपी रजाई में घुस के बैठेगा तो अपने आप ठंड भाग जाएगी, ठंड कैसे लगेगी मेरे होते हुए, चलो उठो अब बहुत नहा लिया इसने।
उदयराज और रजनी एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे और उठ खड़े हुए, उदयराज ने रजनी को बाहों में उठा लिया तो रजनी हल्के से चिहुँक गयी- आह बाबू धीरे से.....आराम से....कहीं फिसलकर नाली में न गिर जाएं दोनों।
उदयराज ने रजनी को खाट पे लिटाया तो रजनी ने झट से अपनी साड़ी को कमर तक खींचकर अपने निचले मखमली बदन को निवस्त्र कर लिया, कच्छी उसने पहले ही उतार दी थी, उदयराज ने भी झट से अपना लंड थामा और रजनी पर चढ़ने लगा, दोनों ने सर उठाकर एक बार चारों तरफ निगरानी की फिर निश्चिन्त होकर एक दूसरे को मुस्कुरा कर देखा और होंठों से होंठ मिला कर एक जोरदार चुम्बन लिया, रजनी ने बगल से हाँथ नीचे ले जाकर अपनी कामवेग में तपती बूर की फांकों को और अच्छे से खोलकर बोला- बाबू डालो न अब जल्दी।
दोनों की आंखों में वासना के लाल डोरे तैरने लगे, उदयराज के मुँह से निकला- आह...मेरी बेटी।
और फिर जैसे ही उदयराज ने अपने लंड का मोटा सा ठंडा ठंडा सुपाड़ा अपनी बेटी की बूर के गरम छेद पर रखा रजनी की मस्ती में आँखें बंद हो गयी- आआआआआहहहहहह ...बाबू......कितना चिकना है ये आपका लंड......... कितना ठंडा ठंडा हो गया है नहा कर।
उदयराज ने लंड के सुपाड़े को बूर के रस बहा रहे छेद पर रखा और फिर हल्का सा हटा लिया बूर का चिपचिपा रस लन्ड के सुपाड़े पर लग गया, उदयराज ने फिर लन्ड को बूर के रसीले छेद से छुआया और फिर पीछे हटा लिया, रजनी मस्ती में आंखें बंद किये सिसक सिसक कर लंड की इस मस्ती भरे खेल में डूब रही थी, हाँथ की दो उंगलियों से उसने अपनी बूर फाड़ रखी थी।
उदयराज के बार बार लंड को बूर की छेद पर छुवाना और फिर हल्का सा हटा लेना, कभी थोड़ी देर दोनों फांकों के बीच सुपाड़ा रगड़ना और फिर पीछे हटा लेना रजनी को बहुत उत्तेजित कर रहा था उससे अब बिल्कुल रहा नही जा रहा था, उसने खुद ही दूसरे हाँथ को अपने बाबू की गाँड़ पर रखा और अपनी गाँड़ उचका कर हल्का सा लन्ड का सुपाड़ा बूर में गच्च से ले लिया और फिर उदयराज ने मुस्कुराते हुए गच्च से आधा लन्ड बूर में पेल दिया
रजनी- ऊऊऊऊऊईईईईईईईईई...... दैय्या.... धीरे बाबू...... आराम से.......शुरू में आराम से डालो न.....दर्द होता है........बाद में जी भरके तेज तेज चोद कर फाड़ लेना मेरी बूर.......अपनी सगी बेटी की बूर को।
उदयराज- हाय मेरी बिटिया.....क्या बूर है तेरी....चाहता तो मैं भी नही हूँ तुझे दर्द देना पर रसमलाई जैसी बूर में गच्च से ही डालने का मन करता है.....तेरी बूर कितनी नरम है.....आह मजा आ गया।
रजनी- अच्छा बाबा ठीक है....डाल लिया करो गच्च से बाबू......इस दर्द में भी कितनी मिठास है....उई... अम्मा
उदयराज ने एक बार में ही पूरा लंड रजनी की बूर में उतार दिया और उसे ताबड़तोड़ चूमने लगा, रजनी भी उसका साथ देने लगी, दोनों एक दूसरे को कस कस के चूमने लगे, रजनी ने मदहोशी में एक बार सर घुमा के चारों तरफ देखा फिर निश्चिन्त होकर अपने बाबू से लिपट गयी और बोली- अब चोदो बाबू जल्दी जल्दी अपनी बिटिया को।
उदयराज रजनी के चूतड़ के नीचे दोनों हाँथ लगा कर उसकी चूतड़ को हल्का सा ऊपर उठा कर गच्च गच्च बूर चोदने लगा, रजनी अपार मस्ती में डूबने लगी उसके मुँह से गरम गरम साँसे तेज तेज सिसकारी के साथ निकलने लगी जिसको नियंत्रण करने की वो नाकाम कोशिश भी किये जा रही थी, उसके बाबू का मोटा लन्ड उसकी बूर में किसी पिस्टन की तरह अंदर बाहर होने लगा, बूर की गहराइयों में लन्ड का मोटा सुपाड़ा तेज तेज ठोकर मारने लगा, रजनी ने अपने दोनों पैर अपने बाबू की कमर पर लपेट दिए और चुदाई की मस्ती के अथाह सागर में डूबती चली गयी।
उदयराज हुमच हुमच कर अपनी सगी बेटी को चोदने लगा, दिन में खुले में चुदाई का मजा ही अलग था, एक तो किसी के देख लेने का डर ऊपर से चुदाई की मस्ती, दोनों का मिला जुला रोमांच अलग ही अहसास करा रहा था।
उदयराज का 9 इंच का लंबा मोटा लन्ड पूरा पूरा रजनी की बूर में डूब जा रहा था खुद रजनी को भी इस बात पर अचरज होता था कि कैसे उसकी कमसिन छोटी सी बूर इतना बड़ा लंड लील लेती है, ये सोचकर वो और मस्ती में भर जा रही थी कि उसकी बूर अब उसके सगे पिता के लंड कितनी आसानी से खा लेती है।
उदयराज- मजा आ रहा है न बेटी
रजनी मदहोशी में- बहुत बाबू....बहुत ज्यादा......चोदो मुझे और तेज तेज......आआआआआआआहहहहहह
उदयराज लगातार तेज तेज धक्के लगाने लगा, तेज धक्कों की वजह से खटिया हल्का हल्का चर्रर्रर्रर चर्रर्रर्रर करने लगी, दोनों बाप बेटी की न चाहते हुए भी थोड़ी तेज तेज सिसकारियां गूंजने लगी।
करीब 15 मिनट की रसभरी तेज चुदाई के बाद रजनी अपने बाबू से तेजी से लिपट कर झड़ने लगी- ऊई....बाबू..... मैं गयी......आआआआआआआहहहहह.........हाहाहाहाययय ...….अम्मा......कितना मजा देता है आपका लंड बाबू.......मैं झड़ रही हूं बाबू........मेरे पिता जी......मेरे सैयां...... मेरे बलमा......ऐसे ही मुझे चोदा करो मेरे राजा........कितना मजा है चुदाई में.......हाय मेरी बूर......मजा आ गया
रजनी कुछ पल के लिए मदहोश होकर मस्ती में झड़ते हुए धीरे धीरे बड़बड़ाती रही, उदयराज लगातार उसे चोदे जा रहा था, अपनी सगी बेटी के मुँह से ऐसी कामुक बातें सुन वो भी ज्यादा देर टिक नही पाया और रजनी की बूर में एक तेज धक्का मारते हुए उसकी नरम नरम बूर में झड़ने लगा, रजनी का झड़ना अभी बंद नही हुआ था और उदयराज भी झड़ने लगा, अपने बाबू को झड़ता महसूस कर रजनी और मस्ती में भर गई, दोनों एक दूसरे को चूमने लगे।
उदयराज ने रजनी के गाल पे जोर से चुम्मा लिया तो रजनी शरमा गयी, फिर रजनी ने भी कई बार अपने बाबू के दोनों गाल चूमे और बोला- अब उठो मेरे राजा जी, कहीं काकी न आ जाय।
उदयराज- रुको न बेटी थोड़ी देर और लंड को तेरी बूर में डूबे रहने दे, अभी उसकी ठंड गयी नही है
रजनी- अच्छा जी......लगता है आज ये रजाई में ही रहेगा बाहर नही निकलेगा......अभी निकालो इसको रात को फिर घुसा लेना बाबू.....रात को फिर दूंगी।
उदयराज- फिर दोगी।
रजनी मस्ती में- हाँ... दूंगी।
उदयराज- क्या दोगी?
रजनी- बूर....अपनी बूर दूंगी अपने बाबू को......चोदने के लिए.......अब खुश।
उदयराज- हाय..... कितनी प्यारी है मेरी बिटिया, मेरी जान है मेरी बेटी।
ऐसा कहकर उदयराज ने रजनी को कई बार चूमा, रजनी गदगद हो गयी, फिर उदयराज ने रजनी की बूर में डूबा हुआ अपना काला लंड बाहर खींच लिया, दोनों ने नीचे झुक कर देखा, काला लन्ड सफेद वीर्य और बूर रस से पूरी तरह सना हुआ था, दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे, रजनी से साये से लन्ड को अच्छे से पोछा और उदयराज खाट से उठ गया, रजनी उठी और अपनी कच्छी पहन कर साड़ी ठीक की, उदयराज ने भी अपनी धोती ठीक से पहनी और रजनी अपने बाबू के होंठों को एक बार फिर अच्छे से चूमकर अपनी बेटी के पास ये देखने चली गयी कि कहीं वो जाग तो नही गयी। उदयराज खाट पर लेट गया।