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Incest पाप ने बचाया

Sweet_Sinner

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Index

~~~~ पाप ने बचाया ~~~~

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S_Kumar

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Update- 28

रजनी और पूर्वा ने मिलकर फटाफट खाना बनाया और सबने जल्द ही खाना खा लिया, अंधेरा हो गया था, मशालें जल चुकी थी।

दिन में काफी थके होने की वजह से सब सोने की तैयारी करने लगे, काकी ने बच्ची को ले रखा था, रजनी और पुर्वा मिलकर सबका बिस्तर लगा रही थी, आज काफी गर्मी थी तो कुटिया के अंदर किसी का सोने का मन नही था, सबका यही विचार था कि बाहर ही बिस्तर डाल कर यहीं सब सोते हैं।

रजनी और पुर्वा खाट बिछा बिछा के सबका बिस्तर लगा रही थी कुटिया के दरवाजे पर एक मशाल जल रही थी जिससे माध्यम रोशनी फैली हुई थी।

रजनी बिस्तर लगाते लगाते बार बार उदयराज को देखे जा रही थी और उदयराज की नजरें भी रजनी पर टिकी हुई थी तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना रजनी ने नही की थी

उदयराज ने नज़र बचा कर अपनी तर्जनी उंगली अपने होठ पर रखते हुए रजनी से होंठों पर एक kiss मांगी।

रजनी को बिल्कुल भी अंदाजा नही था कि उसके बाबू आज जिंदगी में पहली बार इस तरह kiss मांगेंगे, उनका इस तरह नज़रें बचा कर अपनी शादीशुदा बेटी से kiss मांगना रजनी को रोमांचित कर गया, वो सर झुका के मुस्कुरा उठी।

उदयराज अपने गाल पर हाथ रखकर बैठा था और काकी से बातें कर रहा था, हाथ कुछ इस तरह रखा था कि चुपके चुपके नज़र बचा के kiss मांग सके, जब जब रजनी उसकी तरफ देखती उदयराज बड़ी ही मिन्नत करते हुए इशारे से अपनी उंगली को होंठों पे रखते हुए kiss मांगता।

रजनी ने पुर्वा से नज़र बचा के अपने बाबू को हाथ से पिट्टी लगेगी (पिटाई) का इशारा करते हुए शर्मा गयी। कुछ देर बाद फिर सिर उठा के देखा तो उदयराज ने फिर बड़े ही रोमांटिक अंदाज में kiss मांगा। रजनी के होंठ अपने बाबू के होंठ से मिलने के लिए तरसने लगे, उसने आखों से इशारा किया कि यहां तो सब हैं कैसा होगा?

उदयराज भी इस बात से उदास हो गया कि चांस नही मिलेगा, आज सो भी तो बाहर रहे हैं सब, उस दिन की तरह कुटिया में सोए होते तो मजा आ जाता, पर आज गर्मी थी काफी, अंदर सोना काफी मुश्किल भरा हो सकता था।

तभी बच्ची रोने लगी, शायद गर्मी से थोड़ा परेशान हो गयी थी काकी उठकर उसको घुमाने लगी और घुमाते घुमाते वो थोड़ा दूर बैलगाडी की तरफ चली गयी।

उदयराज को तभी पेशाब लगी और वो कुटिया के पीछे जाने लगा, उसने सोचा कि चांस तो मिलेगा नही आज, छोड़ो।

कुटिया के पीछे temporary बाथरूम बनाया हुआ था जिसमे सुलोचना और पुर्वा नहाते थे उसमे पानी से भरी हुई तांबे की गगरी और एक लोटा रखा हुआ रहता था।

रजनी ने उदयराज को कुटिया के पीछे जाते हुए देख लिया कुटिया के पीछे ओझल होने से पहले उदयराज ने रजनी को एक बार पलट के देखा तो रजनी मुस्कुरा दी। उदयराज कुटिया के पीछे अंधेरे में चला गया।

रजनी और पुर्वा ने बिस्तर लगाने का काम पूरा किया और पुर्वा बोली- रजनी तुम बिस्तर पर लेटो मैं अम्मा को पैर में मालिश करके आती हूँ और जैसे ही पुर्वा कुटिया में गयी। रजनी तुरंत कुटिया के पीछे आ गयी

उदयराज थोड़ी दूर पर पेशाब करके लौटकर बाथरूम में हाथ धो रहा था उसे पता नही था कि रजनी चुपचाप आके उसके पीछे खड़ी हो गयी है जैसे ही वो उठा और मुड़ा, रजनी को देखकर उसका मन मयूर झूम उठा, वहां अंधेरा तो था पर पास की चीजें समझने लायक दिख रही थी

रजनी चुप खड़ी अपने बाबू को देख रही थी और उदयराज भी उसकी आँखों में देखने लगा

धीरे से बोला- मुझे लगा था तुम जरूर आओगी, और लपककर अपनी बेटी को बाहों में कसकर भर लेता है। रजनी भी अपने बाबू की बाहों में समा जाती है, दोनों एक दूसरे के पूरे बदन को इस तरह सहलाने और भींचने दबाने लगते हैं जैसे बरसों से मिले नही हैं,

उदयराज के दोनों हाथ रजनी के पीठ, कमर और भारी नितंबों पर मचल मचल कर चलने लगे, सहलाते सहलाते वह कस कस के पीठ कमर और गांड को दबा देता तो रजनी की aaaaaahhhhhh निकल जाती, सिसकियां गूंजने लगी अब रजनी की।

वो धीरे से उदयराज के कान में बोली- बाबू अब मुझसे बर्दास्त नही होता, आपको क्या लगता है मैं निर्दयी हूँ आपको तड़पाती हूँ, नही मेरे बाबू, मैं आपके बिना खुद नही रह सकती और कस के उदयराज से अमरबेल की तरह लिपट गयी।

उदयराज- oooohhhhh मेरी प्यारी बिटिया, मैंने ऐसा कब सोचा, तू तो मेरी जान है, मैं भी तो तेरे बिना नही रह सकता अब, बहुत प्यास लगी है।

रजनी- घर चलके सारी प्यास खूब बुझा लेना अभी थोड़ा सब्र मेरे बाबू।

उदयराज रजनी की आंखों में देखने लगा, रजनी की मोटी उन्नत चूचीयाँ उदयराज के चौड़े सीने में पिस गयी थी, जो कि उदयराज को जन्नत का अहसास करा रही थी, उसके निप्पल कड़क होकर उदयराज के सीने में चुभ रहे थे।
रजनी की आंखों में देखते हुए उदयराज ने अपने होंठ उसके बाएं गाल पर रखकर एक चुम्बन जड़ दिया, रजनी की सिसकी निकल गयी उसने वासना में आंखें बंद कर ली।

उदयराज गाल पर कुछ देर अपने गीले होंठ रखे रहा फिर धीरे से अपने होंठ रगड़ता हुआ रजनी के होंठ के किनारे पर लाया (जहां पर होंठ खत्म होते हैं) वहां बने हल्के से गढ्ढे में अपनी जीभ निकाल कर डाल दी और फिर जीभ की नोक को लिपिस्टिक की तरह रजनी के होंठ के बाएं किनारे से लेकर दाएं किनारे तक धीरे धीरे रगड़ता हुआ लाया, ऐसा उसने 3 4 बार इधर से उधर किया, रजनी असीम आनंद में पहुँच गयी, जीवन में पहली बार उसके बाबू उसके नरम मुलायम लालिमा से भरे होंठ छू रहे थे वो भी इस तरह, वो सिरह उठी और बुरी तरह अपने बाबू से लिपटने के बाद अपने होंठ खोल दिये, उदयराज ने लप्प से अपनी सगी शादीशुदा बेटी की जीभ अपने मुँह में भर ली और बेताहाशा चूसने लगा, रजनी की सांसें धौकनी की तरह चलने लगी, उसकी उखड़ती सांसे उदयराज को और वासना से भर दे रही थी, आज पहली बार सगे बाप बेटी के होंठ एक दूसरे से इस कदर मिल रहे थे।

तभी अचानक एक जुगनू उदयराज के सर पे आके बैठ गया और उसकी हल्की सी टिमटिमाती रोशनी रजनी की अधखुली वासनामय आंखों में पड़ी और उसे होश आया कि कोई आ सकता है इस तरफ, जगमग जगमग टिमटिमाता हुआ जूगनु उदयराज के सर से उतरकर कंधे की तरफ जा ही रहा था कि लड़खड़ा कर रजनी की चूचीयों पर गिर पड़ा और उदयराज के चौड़े मर्दाना सीने व रजनी की मदमस्त मोटी-मोटी गोरी चूचीयों के बीच आ गया, उसकी मदमस्त टिमटिमाती रोशनी दोनों के बीच गजब का उजाला कर रही थी कि तभी उदयराज की भी नज़र उसपर पड़ी और जैसे ही उसने रजनी के होंठ छोड़े जूगनु मोटी मोटी चूची की घाटी में गिर पड़ा और अंदर चला गया, रजनी ने अपने अंगूठे से ब्लॉउज के सबसे ऊपरी बटन को पकड़ कर ब्लॉउज को आगे की तरफ ताना, तो उदयराज की नज़र मोटी मोटी चूचीयों पर पड़ी, नीचे से पड़ रही जूगनु कि रोशनी ने रजनी की पूरी भारी भारी मोटी चुचियों की गोलाई के दर्शन उदयराज को करा दिए, यहां तक कि उदयराज को रजनी के फूले हुए दोनों कड़क गुलाबी निप्पल भी बखूबी दिख गए, इतना सुंदर और वासनात्मक दृश्य देखकर उदयराज पागल हो गया और झुककर बदहवासी से चूचीयों को ताबड़तोड़ चूमने लगा, कभी बीच की घाटी को चूमता तो कभी ब्लॉउज के ऊपर से ही पूरी चूची को, रजनी aaaaaaaahhhhh, hhhhhhhaaaaaiii bbbaaabbbuuuu करने लगी, जूगनु अंदर फड़फड़ा रहा था, एकाएक उदयराज ने रजनी को पलट दिया और उसकी दोनों वासना से सख्त हो चुकी मोटी मोटी चूची को अपनी हथेली में भरकर बहुत सख्ती से भर भरके दबाने लगा, रजनी एक बार फिर बदहवास हो गयी, aaaaaaaaahhhhhhh mmmeeerrreee bbaabbbuu bbaasssss kkaaro कहते हुए उसने भी अपनी बाहें पीछे कर अपने बाबू के गले में लपेट दी और अपने बाबू के ऊपर ही झूल सी गयी, वासना पूरे बदन में इस कदर रेंग रही थी कि दोनों से ही अब खड़ा होना मुश्किल हो गया था, जहां रजनी की मखमली बूर अब रिसने लगी थी वहीं उदयराज का विशाल लन्ड भी लोहे की तरह शख्त हो गया था। उदयराज ने रजनी के दोनों निप्पल पकड़े और मसलने लगा, रजनी ने वासनामय स्वर में धीरे से बोला- बाबू बस करो नही तो वो जूगनु मर जायेगा अंदर ही, और बहुत देर हो गयी अब जाने दो न कोई आ जायेगा इधर।

उदयराज ने एक बार फिर रजनी को होंठों को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा रजनी की आंखें फिर बंद हो गयी पर कुछ पल बाद वो बड़ी मुश्किल से बोली- बाबू बस करो नही तो यहीं सब हो जाएगा और सब जान जाएंगे, अब सब्र करो, जल्दी से जल्दी घर चलो फिर जी भरके सब कर लेना।

उदयराज ने बड़ी मुश्किल से रजनी को छोड़ा और वो अपनी उखड़ी सांसों को संभालती और भागती हुई कुटिया के दायीं तरफ से आगे की तरह आ गयी।

काकी बच्ची को लेके खाट पे लेटी थी, रजनी को आता देख बोली- अरे रजनी बिटिया कहाँ गयी थी।

रजनी- काकी वो स्नानघर में जो गगरी रखी है न वो खाली हो गयी थी तो मैंने सोचा उसमे पानी भर दूँ, रात में किसी को जरूरत पड़ जाएगी तो?

काकी- हाँ ठीक है, अच्छा किया, ले गुड़िया को दूध पिला दे कब से रो रही है, कितनी देर घुमाती रही मैं इसको, नही तो रो रही थी, भूखी है शायद।

रजनी- हाँ काकी दो।

और रजनी उसको लेकर खाट पे लेट गयी, दूध पिलाने के लिए जैसे ही उसने अपनी साड़ी का पल्लू हटाया, ब्लॉउज के अंदर जूगनु टिमटिमाते हुए रोशनी करने लगा। काकी देखते ही बोली- अरे रजनी ये अंदर कैसे घुस गया?

रजनी हंसते हुए- पता नही काकी, मुझे पता ही नही चला ये कब अंदर चला गया। सब बदमाश हो गए हैं आजकल

और जैसे ही रजनी ने ब्लॉउज के नीचे के तीन बटन खोलकर चूची को बाहर निकाला, मौका पाते ही जुगनू आजाद होकर जगमगाता हुआ ऊपर उड़ गया और उसे देखकर रजनी मुस्कुराती रही।

उदयराज पहले थोड़ी देर वहां खड़ा रहा फिर वो भी कुटिया की बायीं तरफ से धीरे धीरे आ गया और आकर अपनी खाट पर लेट गया, सबकी खाट थोड़ी थोड़ी दूर पर आसपास ही थी, उदयराज सबसे किनारे लेटा था, उसके बाद काकी की खाट थी फिर रजनी और पुर्वा की और दुसरी तरफ सबसे किनारे सुलोचना की।

पूर्वा और सुलोचना भी आ गए और फिर कुछ देर सब बातें करते रहे फिर सो गए।
 
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Update- 28

रजनी और पूर्वा ने मिलकर फटाफट खाना बनाया और सबने जल्द ही खाना खा लिया, अंधेरा हो गया था, मशालें जल चुकी थी।

दिन में काफी थके होने की वजह से सब सोने की तैयारी करने लगे, काकी ने बच्ची को ले रखा था, रजनी और पुर्वा मिलकर सबका बिस्तर लगा रही थी, आज काफी गर्मी थी तो कुटिया के अंदर किसी का सोने का मन नही था, सबका यही विचार था कि बाहर ही बिस्तर डाल कर यहीं सब सोते हैं।

रजनी और पुर्वा खाट बिछा बिछा के सबका बिस्तर लगा रही थी कुटिया के दरवाजे पर एक मशाल जल रही थी जिससे माध्यम रोशनी फैली हुई थी।

रजनी बिस्तर लगाते लगाते बार बार उदयराज को देखे जा रही थी और उदयराज की नजरें भी रजनी पर टिकी हुई थी तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी कल्पना रजनी ने नही की थी

उदयराज ने नज़र बचा कर अपनी तर्जनी उंगली अपने होठ पर रखते हुए रजनी से होंठों पर एक kiss मांगी।

रजनी को बिल्कुल भी अंदाजा नही था कि उसके बाबू आज जिंदगी में पहली बार इस तरह kiss मांगेंगे, उनका इस तरह नज़रें बचा कर अपनी शादीशुदा बेटी से kiss मांगना रजनी को रोमांचित कर गया, वो सर झुका के मुस्कुरा उठी।

उदयराज अपने गाल पर हाथ रखकर बैठा था और काकी से बातें कर रहा था, हाथ कुछ इस तरह रखा था कि चुपके चुपके नज़र बचा के kiss मांग सके, जब जब रजनी उसकी तरफ देखती उदयराज बड़ी ही मिन्नत करते हुए इशारे से अपनी उंगली को होंठों पे रखते हुए kiss मांगता।

रजनी ने पुर्वा से नज़र बचा के अपने बाबू को हाथ से पिट्टी लगेगी (पिटाई) का इशारा करते हुए शर्मा गयी। कुछ देर बाद फिर सिर उठा के देखा तो उदयराज ने फिर बड़े ही रोमांटिक अंदाज में kiss मांगा। रजनी के होंठ अपने बाबू के होंठ से मिलने के लिए तरसने लगे, उसने आखों से इशारा किया कि यहां तो सब हैं कैसा होगा?

उदयराज भी इस बात से उदास हो गया कि चांस नही मिलेगा, आज सो भी तो बाहर रहे हैं सब, उस दिन की तरह कुटिया में सोए होते तो मजा आ जाता, पर आज गर्मी थी काफी, अंदर सोना काफी मुश्किल भरा हो सकता था।

तभी बच्ची रोने लगी, शायद गर्मी से थोड़ा परेशान हो गयी थी काकी उठकर उसको घुमाने लगी और घुमाते घुमाते वो थोड़ा दूर बैलगाडी की तरफ चली गयी।

उदयराज को तभी पेशाब लगी और वो कुटिया के पीछे जाने लगा, उसने सोचा कि चांस तो मिलेगा नही आज, छोड़ो।

कुटिया के पीछे temporary बाथरूम बनाया हुआ था जिसमे सुलोचना और पुर्वा नहाते थे उसमे पानी से भरी हुई तांबे की गगरी और एक लोटा रखा हुआ रहता था।

रजनी ने उदयराज को कुटिया के पीछे जाते हुए देख लिया कुटिया के पीछे ओझल होने से पहले उदयराज ने रजनी को एक बार पलट के देखा तो रजनी मुस्कुरा दी। उदयराज कुटिया के पीछे अंधेरे में चला गया।

रजनी और पुर्वा ने बिस्तर लगाने का काम पूरा किया और पुर्वा बोली- रजनी तुम बिस्तर पर लेटो मैं अम्मा को पैर में मालिश करके आती हूँ और जैसे ही पुर्वा कुटिया में गयी। रजनी तुरंत कुटिया के पीछे आ गयी

उदयराज थोड़ी दूर पर पेशाब करके लौटकर बाथरूम में हाथ धो रहा था उसे पता नही था कि रजनी चुपचाप आके उसके पीछे खड़ी हो गयी है जैसे ही वो उठा और मुड़ा, रजनी को देखकर उसका मन मयूर झूम उठा, वहां अंधेरा तो था पर पास की चीजें समझने लायक दिख रही थी

रजनी चुप खड़ी अपने बाबू को देख रही थी और उदयराज भी उसकी आँखों में देखने लगा

धीरे से बोला- मुझे लगा था तुम जरूर आओगी, और लपककर अपनी बेटी को बाहों में कसकर भर लेता है। रजनी भी अपने बाबू की बाहों में समा जाती है, दोनों एक दूसरे के पूरे बदन को इस तरह सहलाने और भींचने दबाने लगते हैं जैसे बरसों से मिले नही हैं,

उदयराज के दोनों हाथ रजनी के पीठ, कमर और भारी नितंबों पर मचल मचल कर चलने लगे, सहलाते सहलाते वह कस कस के पीठ कमर और गांड को दबा देता तो रजनी की aaaaaahhhhhh निकल जाती, सिसकियां गूंजने लगी अब रजनी की।

वो धीरे से उदयराज के कान में बोली- बाबू अब मुझसे बर्दास्त नही होता, आपको क्या लगता है मैं निर्दयी हूँ आपको तड़पाती हूँ, नही मेरे बाबू, मैं आपके बिना खुद नही रह सकती और कस के उदयराज से अमरबेल की तरह लिपट गयी।

उदयराज- oooohhhhh मेरी प्यारी बिटिया, मैंने ऐसा कब सोचा, तू तो मेरी जान है, मैं भी तो तेरे बिना नही रह सकता अब, बहुत प्यास लगी है।

रजनी- घर चलके सारी प्यास खूब बुझा लेना अभी थोड़ा सब्र मेरे बाबू।

उदयराज रजनी की आंखों में देखने लगा, रजनी की मोटी उन्नत चूचीयाँ उदयराज के चौड़े सीने में पिस गयी थी, जो कि उदयराज को जन्नत का अहसास करा रही थी, उसके निप्पल कड़क होकर उदयराज के सीने में चुभ रहे थे।
रजनी की आंखों में देखते हुए उदयराज ने अपने होंठ उसके बाएं गाल पर रखकर एक चुम्बन जड़ दिया, रजनी की सिसकी निकल गयी उसने वासना में आंखें बंद कर ली।

उदयराज गाल पर कुछ देर अपने गीले होंठ रखे रहा फिर धीरे से अपने होंठ रगड़ता हुआ रजनी के होंठ के किनारे पर लाया (जहां पर होंठ खत्म होते हैं) वहां बने हल्के से गढ्ढे में अपनी जीभ निकाल कर डाल दी और फिर जीभ की नोक को लिपिस्टिक की तरह रजनी के होंठ के बाएं किनारे से लेकर दाएं किनारे तक धीरे धीरे रगड़ता हुआ लाया, ऐसा उसने 3 4 बार इधर से उधर किया, रजनी असीम आनंद में पहुँच गयी, जीवन में पहली बार उसके बाबू उसके नरम मुलायम लालिमा से भरे होंठ छू रहे थे वो भी इस तरह, वो सिरह उठी और बुरी तरह अपने बाबू से लिपटने के बाद अपने होंठ खोल दिये, उदयराज ने लप्प से अपनी सगी शादीशुदा बेटी की जीभ अपने मुँह में भर ली और बेताहाशा चूसने लगा, रजनी की सांसें धौकनी की तरह चलने लगी, उसकी उखड़ती सांसे उदयराज को और वासना से भर दे रही थी, आज पहली बार सगे बाप बेटी के होंठ एक दूसरे से इस कदर मिल रहे थे।

तभी अचानक एक जुगनू उदयराज के सर पे आके बैठ गया और उसकी हल्की सी टिमटिमाती रोशनी रजनी की अधखुली वासनामय आंखों में पड़ी और उसे होश आया कि कोई आ सकता है इस तरफ, जगमग जगमग टिमटिमाता हुआ जूगनु उदयराज के सर से उतरकर कंधे की तरफ जा ही रहा था कि लड़खड़ा कर रजनी की चूचीयों पर गिर पड़ा और उदयराज के चौड़े मर्दाना सीने व रजनी की मदमस्त मोटी-मोटी गोरी चूचीयों के बीच आ गया, उसकी मदमस्त टिमटिमाती रोशनी दोनों के बीच गजब का उजाला कर रही थी कि तभी उदयराज की भी नज़र उसपर पड़ी और जैसे ही उसने रजनी के होंठ छोड़े जूगनु मोटी मोटी चूची की घाटी में गिर पड़ा और अंदर चला गया, रजनी ने अपने अंगूठे से ब्लॉउज के सबसे ऊपरी बटन को पकड़ कर ब्लॉउज को आगे की तरफ ताना, तो उदयराज की नज़र मोटी मोटी चूचीयों पर पड़ी, नीचे से पड़ रही जूगनु कि रोशनी ने रजनी की पूरी भारी भारी मोटी चुचियों की गोलाई के दर्शन उदयराज को करा दिए, यहां तक कि उदयराज को रजनी के फूले हुए दोनों कड़क गुलाबी निप्पल भी बखूबी दिख गए, इतना सुंदर और वासनात्मक दृश्य देखकर उदयराज पागल हो गया और झुककर बदहवासी से चूचीयों को ताबड़तोड़ चूमने लगा, कभी बीच की घाटी को चूमता तो कभी ब्लॉउज के ऊपर से ही पूरी चूची को, रजनी aaaaaaaahhhhh, hhhhhhhaaaaaiii bbbaaabbbuuuu करने लगी, जूगनु अंदर फड़फड़ा रहा था, एकाएक उदयराज ने रजनी को पलट दिया और उसकी दोनों वासना से सख्त हो चुकी मोटी मोटी चूची को अपनी हथेली में भरकर बहुत सख्ती से भर भरके दबाने लगा, रजनी एक बार फिर बदहवास हो गयी, aaaaaaaaahhhhhhh mmmeeerrreee bbaabbbuu bbaasssss kkaaro कहते हुए उसने भी अपनी बाहें पीछे कर अपने बाबू के गले में लपेट दी और अपने बाबू के ऊपर ही झूल सी गयी, वासना पूरे बदन में इस कदर रेंग रही थी कि दोनों से ही अब खड़ा होना मुश्किल हो गया था, जहां रजनी की मखमली बूर अब रिसने लगी थी वहीं उदयराज का विशाल लन्ड भी लोहे की तरह शख्त हो गया था। उदयराज ने रजनी के दोनों निप्पल पकड़े और मसलने लगा, रजनी ने वासनामय स्वर में धीरे से बोला- बाबू बस करो नही तो वो जूगनु मर जायेगा अंदर ही, और बहुत देर हो गयी अब जाने दो न कोई आ जायेगा इधर।

उदयराज ने एक बार फिर रजनी को होंठों को अपने होंठो में भर लिया और चूसने लगा रजनी की आंखें फिर बंद हो गयी पर कुछ पल बाद वो बड़ी मुश्किल से बोली- बाबू बस करो नही तो यहीं सब हो जाएगा और सब जान जाएंगे, अब सब्र करो, जल्दी से जल्दी घर चलो फिर जी भरके सब कर लेना।

उदयराज ने बड़ी मुश्किल से रजनी को छोड़ा और वो अपनी उखड़ी सांसों को संभालती और भागती हुई कुटिया के दायीं तरफ से आगे की तरह आ गयी।

काकी बच्ची को लेके खाट पे लेटी थी, रजनी को आता देख बोली- अरे रजनी बिटिया कहाँ गयी थी।

रजनी- काकी वो स्नानघर में जो गगरी रखी है न वो खाली हो गयी थी तो मैंने सोचा उसमे पानी भर दूँ, रात में किसी को जरूरत पड़ जाएगी तो?

काकी- हाँ ठीक है, अच्छा किया, ले गुड़िया को दूध पिला दे कब से रो रही है, कितनी देर घुमाती रही मैं इसको, नही तो रो रही थी, भूखी है शायद।

रजनी- हाँ काकी दो।

और रजनी उसको लेकर खाट पे लेट गयी, दूध पिलाने के लिए जैसे ही उसने अपनी साड़ी का पल्लू हटाया, ब्लॉउज के अंदर जूगनु टिमटिमाते हुए रोशनी करने लगा। काकी देखते ही बोली- अरे रजनी ये अंदर कैसे घुस गया?

रजनी हंसते हुए- पता नही काकी, मुझे पता ही नही चला ये कब अंदर चला गया। सब बदमाश हो गए हैं आजकल

और जैसे ही रजनी ने ब्लॉउज के नीचे के तीन बटन खोलकर चूची को बाहर निकाला, मौका पाते ही जुगनू आजाद होकर जगमगाता हुआ ऊपर उड़ गया और उसे देखकर रजनी मुस्कुराती रही।

उदयराज पहले थोड़ी देर वहां खड़ा रहा फिर वो भी कुटिया की बायीं तरफ से धीरे धीरे आ गया और आकर अपनी खाट पर लेट गया, सबकी खाट थोड़ी थोड़ी दूर पर आसपास ही थी, उदयराज सबसे किनारे लेटा था, उसके बाद काकी की खाट थी फिर रजनी और पुर्वा की और दुसरी तरफ सबसे किनारे सुलोचना की।

पूर्वा और सुलोचना भी आ गए और फिर कुछ देर सब बातें करते रहे फिर सो गए।
Jugnu ne udayraj or rajni ka kam bana diya mst update Baap beti ki kissing very hot
 
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