पिँकी को भी शायद अब मजा आने लगा था क्योंकि
उसके हाथ भी मेरी कमर पर से फिसल कर अब मेरे गले में आ गये थे औरउसकी कराहों की जगह भी अब धीरे धीरे सिसकारियों लेने लगी थी..
मेरे धक्के लगाने से उसके मुँह से अब दर्द कराहे नही निकल रही थी वो बस हल्के हल्के..
"ऊऊह्ह्ह्ह्....
ओ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...
ईईई..श्श्श्श्श्श्श्श्श्.. ओ्ह्ह्ह्ह्..." ही कर रही थी इसलिये मैंने भी अब धीरे धीरे अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी...
पिँकी भी अब पहले तो एक बार हल्का सा कसमसाई फिर अपने आप की उसके कुल्हो ने नीचे से धीरे धीरे और हल्के हल्के जुम्बीस सी करनी शुरु कर दी..
पिँकी के होठ भी हल्के हल्के मेरे होंठों को दबाने लगे थे इसलिये मौका देख मैने अब अपनी जीभ को उसके मुँह मे घुसा दी जिससे पिँकी पहले तो कसमसाई फिर उसने भी हौले हौले मेरी जीभ को चुशना शुर कर दिया..
मेरे तो अब दोनो ओर से ही मजे हो गये थे क्योंकि नीचे से मेरा लण्ड पिँकी की कच्ची कुँवारी चुत का रश चुस रहा था तो उपर से मेरी जुबान भी उसके रशीले होठो व मुँह के रश को चुश रही थी।
पिँकी को भी अब मजा आ रहा था इसलिये उसने अपने पैरों को भी मेरे पैरों में फँसा लिया और अपनी बाँहें को मेरे गले डाल नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरु कर दिया...
पिंकी का साथ पाते ही मै भी अब जोश भर गया था इसलिये मैने अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाने शुरु कर दिये, मेरा लण्ड अब पिंकी की चुत में अन्दर तक घर कर रहा था जिससे मेरे प्रत्येक धक्के के साथ पिंकी अब जोर जोर से...
"अ्आ्आ्… ह्ह्हह...
इईई… श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्.ह्ह्ह्ह्ह्...
अ्.ओय्.. इईईई… श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्… ह्ह्ह्ह्ह्ह् इईईई… श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्.. ह्ह्ह्ह्…" की आवाज करने लगी।
ऐसा नही था की पिँकी को अब कोई तकलीफ हो रही थी। ये तो वो बस मजे से उसके मुँह से आहे.. निकल रही थी। नही तो पिंकी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैने अब अपने धक्को की गति को और भी तेज कर दिया..जिससे पिँकी की सिसकारियाँ और भी तेज हो गयी। उत्तेजना के वश पिंकी ने तो अब खुद ही ऊपर हो कर मेरे होंठों को अपने मुँह में ले लिया था और उन्हें जोर से चूसने चाटने लगी...
अब कुछ देर तक ऐसे ही हमारी ये धक्कमपेल चलती रही जिससे हम दोनों की ही साँसें फूल गई तो बदन भी पसीने से भीग गये....और फिर अचानक से पिंकी के बदन मे एक थरथरी चढी, जिससे उसने अपने हाथों व पैरों से मेरे शरीर को कस के जकड़ लिया और...
"इईई.श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्…ह्ह्ह्ह्....
इईईई..श्श्श्श्श्…अ्आ्आ्…ह्ह्ह्ह्ह्..
इईईई… श्श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्… ह्ह्ह्ह्ह्..." की किलकारियाँ सी मारते हुवे मेरे शरीर से किसी बेल की तरह लिपट गयी...
उसकी चुत मे भी अब जोरो का सँकुचन सा होना शुरु हो गया था जिससे पिँकी की चुत नर अब रह रह कर मेरे लण्ड को नहलाना शुरु कर दिया...
इस कामोन्माद के साथ पिँकी ने मेरे होंठों को तो अब इतनी जोरो से चुम काट लिया की उसके दाँत मेरे होंठों में ही चुभ गये थे। मुझे दर्द तो हुवा था मगर उस समय मैं भी चरम सुख के करीब ही था इसलिये मै वैसे ही धक्के लगाता रहा...
और फिर चार पाँच धक्कों के बाद ही मैंने भी पिंकी के छुईमुई से नाजुक बदन को अपनी बाँहों में समेट लिया और उसकी छोटी सी नन्ही चुत को अपने गर्म वीर्य से भरता चला गया...
पिंकी की चुत को अपने वीर्य से ऊपर तक का भर कर मैं भी अब निढाल गया था इसलिये मै उसके उपर ही लेट गया..
उसके हाथ भी मेरी कमर पर से फिसल कर अब मेरे गले में आ गये थे औरउसकी कराहों की जगह भी अब धीरे धीरे सिसकारियों लेने लगी थी..
मेरे धक्के लगाने से उसके मुँह से अब दर्द कराहे नही निकल रही थी वो बस हल्के हल्के..
"ऊऊह्ह्ह्ह्....
ओ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह...
ईईई..श्श्श्श्श्श्श्श्श्.. ओ्ह्ह्ह्ह्..." ही कर रही थी इसलिये मैंने भी अब धीरे धीरे अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी...
पिँकी भी अब पहले तो एक बार हल्का सा कसमसाई फिर अपने आप की उसके कुल्हो ने नीचे से धीरे धीरे और हल्के हल्के जुम्बीस सी करनी शुरु कर दी..
पिँकी के होठ भी हल्के हल्के मेरे होंठों को दबाने लगे थे इसलिये मौका देख मैने अब अपनी जीभ को उसके मुँह मे घुसा दी जिससे पिँकी पहले तो कसमसाई फिर उसने भी हौले हौले मेरी जीभ को चुशना शुर कर दिया..
मेरे तो अब दोनो ओर से ही मजे हो गये थे क्योंकि नीचे से मेरा लण्ड पिँकी की कच्ची कुँवारी चुत का रश चुस रहा था तो उपर से मेरी जुबान भी उसके रशीले होठो व मुँह के रश को चुश रही थी।
पिँकी को भी अब मजा आ रहा था इसलिये उसने अपने पैरों को भी मेरे पैरों में फँसा लिया और अपनी बाँहें को मेरे गले डाल नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरु कर दिया...
पिंकी का साथ पाते ही मै भी अब जोश भर गया था इसलिये मैने अपनी पूरी ताकत से धक्के लगाने शुरु कर दिये, मेरा लण्ड अब पिंकी की चुत में अन्दर तक घर कर रहा था जिससे मेरे प्रत्येक धक्के के साथ पिंकी अब जोर जोर से...
"अ्आ्आ्… ह्ह्हह...
इईई… श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्.ह्ह्ह्ह्ह्...
अ्.ओय्.. इईईई… श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्… ह्ह्ह्ह्ह्ह् इईईई… श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्.. ह्ह्ह्ह्…" की आवाज करने लगी।
ऐसा नही था की पिँकी को अब कोई तकलीफ हो रही थी। ये तो वो बस मजे से उसके मुँह से आहे.. निकल रही थी। नही तो पिंकी अब मेरा पूरा साथ दे रही थी।
मैने अब अपने धक्को की गति को और भी तेज कर दिया..जिससे पिँकी की सिसकारियाँ और भी तेज हो गयी। उत्तेजना के वश पिंकी ने तो अब खुद ही ऊपर हो कर मेरे होंठों को अपने मुँह में ले लिया था और उन्हें जोर से चूसने चाटने लगी...
अब कुछ देर तक ऐसे ही हमारी ये धक्कमपेल चलती रही जिससे हम दोनों की ही साँसें फूल गई तो बदन भी पसीने से भीग गये....और फिर अचानक से पिंकी के बदन मे एक थरथरी चढी, जिससे उसने अपने हाथों व पैरों से मेरे शरीर को कस के जकड़ लिया और...
"इईई.श्श्श्श्श्..अ्आ्आ्…ह्ह्ह्ह्....
इईईई..श्श्श्श्श्…अ्आ्आ्…ह्ह्ह्ह्ह्..
इईईई… श्श्श्श्श्श्… अ्आ्आ्… ह्ह्ह्ह्ह्..." की किलकारियाँ सी मारते हुवे मेरे शरीर से किसी बेल की तरह लिपट गयी...
उसकी चुत मे भी अब जोरो का सँकुचन सा होना शुरु हो गया था जिससे पिँकी की चुत नर अब रह रह कर मेरे लण्ड को नहलाना शुरु कर दिया...
इस कामोन्माद के साथ पिँकी ने मेरे होंठों को तो अब इतनी जोरो से चुम काट लिया की उसके दाँत मेरे होंठों में ही चुभ गये थे। मुझे दर्द तो हुवा था मगर उस समय मैं भी चरम सुख के करीब ही था इसलिये मै वैसे ही धक्के लगाता रहा...
और फिर चार पाँच धक्कों के बाद ही मैंने भी पिंकी के छुईमुई से नाजुक बदन को अपनी बाँहों में समेट लिया और उसकी छोटी सी नन्ही चुत को अपने गर्म वीर्य से भरता चला गया...
पिंकी की चुत को अपने वीर्य से ऊपर तक का भर कर मैं भी अब निढाल गया था इसलिये मै उसके उपर ही लेट गया..