पिँकी मुझसे छुङाने की तो अब कोशिश नही कर रही तयी मगर अब भी यही दोहरा रही थी....
"छोड़ मुझे… अब बस भी कर… प्लीज…
भाभी आ जायेगी… जल्दी कर..
अब मान भी जा ना… प्लीज…"लेकिन मैंने अपने हाथो का जोर कम नहीं किया, मै ऐसे ही उसके दोनों उभारो को रगङता मसलता रहा...
साथ ही मेरा जो दुसरा हाथ उसके नन्हे उभारो को मसक रहा था, उसे धीरे से पिंकी के मखमली पेट पर से सहलाते हुए उसकी जाँघों के जोड़ पर पहुंचा दिया...
लेकिन मेरा हाथ उसकी चुत को छुये उससे पहले ही पिंकी ने अपनी जाँघों को भींच कर अपनी चुत को छुपा लिया और दोनो हाथो से मेरे हाथ को पकङके..
"इइईईई..श्श्श्श्, ब्.बस्स्..अब.." पिँकी ने सिसकते हुवे कहा।
"क्या..है..? हटा ना...!" मैने उसके हाथ से अपने हाथ को छुङाते हुवे कहा और फिर से अपने हाथ को उसकी जाँघो के जोङ पर रख दिया..
पिँकी ने मेरा हाथ तो छोङ दिया था मगर अपनी जाँघो को वो अभी भी जोरो से भीँचे थी इसलिये..
"देखने तो दे..." मैने अपना हाथ उसकी जाँघो के बीच घुसाने की कोशिश करते हुवे कहा मगर पिँकी ने तो जैसे मेरी बात को सुनी ही नही, वो वैसे ही अपनी जाँघो को भीँचे लेटी रही..
"देखने तो दे..,
ओय्....
देखने दे ना एक बार.." मैने अब थोङा जबरदस्ती अपनी उंगलियाँ उसकी जाँघो के बीच घुसाते हुवे कहा जिससे पिँकी ने कुछ कहा नही बस..
"ऊऊह्ह्ह्ह्.." हल्का सा कसमसाते हुवे थोङा सा अपनी जाँघो को खोल दिया..
मैने भी अब पहले तो अपनी उंगलियाँ फिर धीरे धीरे करके पूरा हाथ ही उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया और प्रेमरस से भीगी उसकी नन्ही सी मुनिया को अपनी हथेली मे भर लिया..
"ऊऊह्ह्ह्ह्..ब्.बस्स्..अब..
यहाँ नही..
तु जल्दी कर ले.." पिँकी ने सिसकते हुवे फिर से कहा, मगर मै रुका नही.. मैंने उसकी कच्ची कुंवारी चुत को हथेली मे भर के अब कभी सहलाना तो कभी जोर जोर मसलना शुरु कर दिया..
मेरी उंगलियाँ भी चुत की दोनों फांकों के बीच उसके प्रवेशद्वार पर अब कभी गोल गोल घूम रही थी तो कभी चुत की फांकों को सहला रही थी जिससे कुछ ही देर मे पिंकी की सांसें अब गहरी व तेज होती चली गयी।
पिँकी को भी अब फिर से मजा आने लगा था इसलिये उसने अब अपनी आँखें बंद कर ली और मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ सी भरने लगी।
मैं उसके चेहरे की तरफ ही देख रहा था, वो अब बिल्कुल शांत सी हो गई थी, मगर जैसे जैसे मेरी उंगलियाँ उसकी नन्ही मुनिया के साथ खेल रही थी वैसे वैसे उसके चेहरे की भाव-भंगिमायें लगातार बदल रही थी।
पिंकी का चेहरा देखते देखते मेरा हाथ जो उसकी चुत पर हरकत कर रहा था वो अब रुक गया, मेरे हाथ के रुकते ही पिंकी ने भी अब थोड़ी सी आँखें खोल कर मेरी ओर देखा..
मै उसके चेहरे की ओर ही देख रहा था जिससे पिँकी की नजरें अब सीधा ही मेरी नजरों से टकराई। मेरे ऐसे देखने से पिँकी शरमा गयी थी इसलिये वो तुरन्त अपनी गर्दन घुमा अब दुसरी ओर देखने लगी और..
"बस अब..
जल्दी कर
मुझे डर लग रहा है.." उसने दुसरी ओर देखते देखते ही कहा।
मैं भी उसके उभारो को छोड़ कर अब नीचे की तरफ बढ़ गया, मैंने पहले तो उसके केले के पत्ते जैसे चिकने पेट पे चुम्बनों की बारिश की और फिर जीभ की लौ को उसकी गहरी नाभि पर गोल गोल घुमाने लगा..
मेरा एक हाथ अभी भी पिँकी की चुत पर ही था जिससे मैं अपनी बीच वाली उंगली उसके प्रवेशद्वार पर हल्के हल्के गोल गोल घुमाया फिर हल्के उसे अन्दर की ओर दबा दिया..
मैंने बस हल्के से दबाया ही था अन्दर डालने की कोशिश किये बिना, मगर उसकी चुत इतनी गीली हो चुकी थीं की मेरी उंगली का एक पौरा, बल्कि पौरे का भी आधा घुस गया और पिंकी के मुँह से...
"इईईई.श्श्श्श्श्...अ्आ्आ्.ह्ह्ह्…" की एक मिठी सित्कार फुट पङी...